विषयसूची
सामान्य अध्ययन-III
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना से भारत में सामाजिक कल्याण में बदलाव
- ग्लोबल वार्मिंग के टिपिंग पॉइंट्स
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- समान नागरिक संहिता
- बिलकिस बानो मामला
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना- मुख्यमंत्री अमृतम
- शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष पर UIDAI
- वर्ल्ड ग्रीन सिटी अवार्ड 2022
- ऋण वसूली अधिकरण
- विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार
- पीएम किसान समृद्धि केंद्र
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
- गाम्बिया में मौतें और जहरीली खांसी की दवाई
- प्रकाश से तेज होने का भ्रम
- जिराफ
- दीर्घकालिक मृदा कार्बन स्थिरता के लिए चराई वाले जानवर महत्वपूर्ण: आईआईएससी अध्ययन
- मानचित्रण
सामान्य अध्ययन-III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण योजना से भारत में सामाजिक कल्याण में बदलाव
संदर्भ: हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत की ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (Direct Benefit Transfer – DBT) योजना को एक “लॉजिस्टिकल चमत्कार” / “प्रचालन-तंत्रीय चमत्कार” (logistical marvel) बताते हुए सराहना की है। यह योजना करोड़ों लोगों तक पहुंच चुकी है और इससे विशेष रूप से महिलाएं, बुजुर्ग और किसान लाभान्वित हुए हैं।
‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ की सफलता में योगदान देने वाले कारक:
- समावेशी वित्तीय क्षेत्र प्रणाली: जिसमे विशिष्ट रूप से समाज के सबसे हाशिए पर स्थित वर्गों को औपचारिक वित्तीय नेटवर्क से जोड़ा गया है।
- मिशन मोड दृष्टिकोण: सरकार ने मिशन-मोड में, सभी परिवारों के लिए बैंक खाते खोलने का प्रयास किया, सभी तक ‘आधार’ संख्या का विस्तार किया, और बैंकिंग और दूरसंचार सेवाओं के कवरेज को बढ़ाया।
- सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली और ‘आधार भुगतान ब्रिज’ ने सरकार से लोगों के बैंक खातों में तत्काल धन अंतरण को सक्षम बनाया।
- आधार-सक्षम भुगतान प्रणाली और एकीकृत भुगतान इंटरफ़ेस ने ‘अंतर्संचालनीयता’ और ‘निजी क्षेत्र की भागीदारी’ का और विस्तार किया।
- सक्षम नीति व्यवस्था, सक्रिय सरकारी पहल और सहायक नियामक प्रशासन ने वित्तीय क्षेत्र में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को, औपचारिक बैंकिंग सेवाओं से बाहर रहने वाले आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रणाली में शामिल करने की लंबे समय से चली आ रही चुनौतियों से पार पाने की सुविधा प्रदान की।
‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (DBT) के सफल क्रियान्वयन में बाधाएं:
- जटिल और बहुस्तरीय शासन तंत्र
- भारत की विविधता
- अभिगम्यता संबंधी बाधाएं, और
- डिजिटल डिवाइड
डीबीटी योजना का कार्यान्वयन:
‘डीबीटी’ योजना 2013-14 में एक पायलट परियोजना के रूप में शुरू हुई थी।
ग्रामीण भारत में:
- प्रभावी और पारदर्शी वित्तीय सहायता: ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (DBT) ने सरकार को छोटे एवं अल्प पूंजी वाले किसानों को प्रभावी और पारदर्शी रूप से वित्तीय सहायता प्रदान करने की सुविधा प्रदान की है।
- कृषि योजना – चाहे उर्वरकों के लिए हो या पीएम किसान सम्मान निधि, पीएम फसल बीमा योजना, और पीएम कृषि सिंचाई योजना सहित अन्य कोई भी योजना हो – डीबीटी योजना से होने वाले लाभ कृषि अर्थव्यवस्था के विकास में सहयोग के लिए ‘मुख्य सहारा’ बन चुके हैं।
- मनरेगा: ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम’ और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत प्राप्त लाभ, ग्रामीण मांग-आपूर्ति श्रृंखला को संचालित करते हैं।
शहरी भारत में:
- ‘पीएम आवास योजना’ और ‘एलपीजी पहल योजना’ के तहत पात्र लाभार्थियों को धन हस्तांतरित करने के लिए ‘डीबीटी’ का सफलतापूर्वक उपयोग किया जाता है।
- विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएं और राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम, सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए ‘डीबीटी’ प्रणाली का उपयोग करते हैं।
- हाथ से मैला उठाने वालों के पुनर्वास के लिए ‘स्वरोजगार योजना’ जैसे पुनर्वास कार्यक्रमों के तहत ‘डीबीटी’, समाज के सभी वर्गों की सामाजिक गतिशीलता को सक्षम बनाने वाली नयी सीमाएं खोलता है।
महामारी के दौरान:
- डीबीटी नेटवर्क की प्रभावोत्पादकता और मजबूती ने सरकार को अंतिम पड़ाव तक पहुंचने और लॉकडाउन का खामियाजा भुगतने वाले सर्वाधिक वंचितों की सहायता करने में मदद की।
- प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत लगभग 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन से लेकर, सभी महिला जन धन खाताधारकों को ‘फंड ट्रांसफर’ और ‘पीएम-स्वनिधि’ के तहत छोटे विक्रेताओं को सहायता, तक ‘डीबीटी’ ने महामारी के सदमे को झेलने में कमजोर लोगों की मदद की।
विश्व बैंक के अनुसार, भारत अपने डीबीटी नेटवर्क के माध्यम से 85 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों और 69 प्रतिशत शहरी परिवारों को भोजन या नकद सहायता प्रदान करने में उल्लेखनीय रूप से कामयाब रहा।
डीबीटी के लाभ:
- वित्तीय समावेशन;
- कल्याणकारी योजनाओं में लीकेज को रोकने में सहायक;
- फर्जी या मिथ्या लाभार्थियों को बाहर निकालने में मदद की और वास्तविक लाभार्थियों को धन हस्तांतरित किया;
- राजकोष में महत्वपूर्ण बचत सुनिश्चित की;
- सरकारी निधियों का सक्षम कुशल उपयोग;
- शासन में नागरिकों का विश्वास जगाया।
डीबीटी नेटवर्क के समक्ष वर्तमान चुनौतियां:
- डिजिटल और वित्तीय साक्षरता;
- मजबूत शिकायत निवारण तंत्र का अभाव;
- जागरूकता और एक सशक्त नवाचार प्रणाली की कमी;
‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (DBT) से भारत की आबादी की विविध जरूरतों को पूरा करने और संतुलित, समान और समावेशी विकास सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
क्या आप जानते हैं?
वर्ष 2022 तक, 135 करोड़ से अधिक आधार-कार्ड बनाए जा चुके हैं, प्रधान मंत्री जन धन योजना के तहत 47 करोड़ लाभार्थी हैं, 6.5 लाख बैंक मित्र शाखा रहित बैंकिंग सेवाएं दे रहे हैं और मोबाइल ग्राहकों की संख्या 120 करोड़ से अधिक है।
मेंस लिंक:
- लक्षित लाभार्थियों को लाभ के निर्बाध और समय पर वितरण में ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ (डीबीटी) योजना के प्रदर्शन का आलोचनात्मक विश्लेषण कीजिए।
- ‘प्रत्यक्ष लाभ अंतरण’ मिशन ने सरकार के ‘कल्याणकारी हस्तांतरण’ में किस प्रकार सुधार किया है? इससे जुड़ी चुनौतियों पर भी चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
ग्लोबल वार्मिंग के टिपिंग पॉइंट्स
संदर्भ: एक अध्ययन के अनुसार- विश्व में ‘उष्मन’ (वार्मिंग) के मौजूदा स्तरों पर भी, कई जलवायु ‘टिपिंग पॉइंट्स’ (Tipping Points) को पार हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप अपरिवर्तनीय, विनाशकारी और स्वतः-स्थायी परिवर्तन होने की संभावना है।
निष्कर्ष:
- दृश्यमान परिवर्तन (Visible changes): पिछले 15 वर्षों में कई अध्ययनों में विभिन्न ‘टिपिंग पॉइंट्स’ की पहचान की गयी है जैसे कि ग्रीनलैंड की हिम-चादर का विघटन, अमेज़ॅन वन क्षेत्र में स्वतःप्रवर्तित कमी, हिमनदों का पिघलना, या ध्रुवीय क्षेत्रों में स्थायी रूप से जमे हुए मैदानों का नरम होना, जिनमे बड़ी मात्रा में कार्बन मौजूद है।
- इनमें से प्रत्येक टिपिंग पॉइंट तापमान वृद्धि के विभिन्न स्तरों के साथ एक दूसरे के साथ सहसंबद्ध है।
- नवीनतम अध्ययन में, नौ वैश्विक और सात क्षेत्रीय ‘टिपिंग पॉइंट्स‘ की पहचान की गयी है।
कार्यशील टिपिंग पॉइंट्स:
बढ़ते तापमान के कारण जलवायु प्रणालियों में बड़े पैमाने पर परिवर्तन हो रहे हैं।
- तापमान वृद्धि ने हिमनदों के पिघलने, आर्कटिक की बर्फ के पतले होने और समुद्र के स्तर में वृद्धि को भी तेज कर दिया है। हालांकि, कम से कम सैद्धांतिक रूप से, इन परिवर्तनों को रोकना, या समय के साथ उन्हें पूर्णतया बदल देना अभी भी संभव है।
- आईपीसीसी की आकलन रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा स्तर के प्रयासों से, दुनिया वर्ष 2100 तक 2 डिग्री से अधिक गर्म होने की ओर अग्रसर है।
- पर्माफ़्रॉस्ट के लिए ख़तरा: पर्माफ्रॉस्ट अथवा स्थायी तुषार-भूमि (Permafrost) की परतों के नरम होने या पिघलने की वजह से पहले से ही वातावरण में कुछ कार्बन उत्सर्जित हो रहा है।
- पर्माफ्रॉस्ट की परतों में मुख्य रूप से कार्बन डाइऑक्साइड और मीथेन के रूप में 1,700 बिलियन टन कार्बन संग्रहीत है। इसकी तुलना में, एक वर्ष में कार्बन का वैश्विक उत्सर्जन लगभग 40 अरब टन होता है।
- आत्मनिर्भर और चक्रीय प्रणाली: एक बार टिपिंग पॉइंट को पार करने के बाद, यह एक आत्मनिर्भर और चक्रीय प्रणाली बन जाती है। भले ही वैश्विक तापमान बढ़ना बंद हो जाए, लेकिन सिस्टम उल्टा नहीं होता है।
- ‘इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज’ (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट के अनुसार- इनमें से अधिकतर टिपिंग पॉइंट, 1 और 2 डिग्री सेल्सियस तापमान वृद्धि के बीच पार हो जाएंगे।
नीतिगत प्रतिक्रिया:
- ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के प्रयासों में वृद्धि।
- बढ़ते तापमान के प्रभावों का अध्ययन करने की पहल किए जाने की आवश्यकता।
- देशों को अगले कुछ वर्षों में अपनी जलवायु कार्रवाई की महत्वाकांक्षा को बढ़ाने की जरूरत है।
- यूक्रेन युद्ध के प्रभावों के कारण दुनिया भर में ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखलाओं पर प्रगति धीमी होने की संभावना है।
भारत पर प्रभाव:
समुद्र के स्तर में एक मीटर की वृद्धि, भारत में 7.1 मिलियन लोगों को विस्थापित करेगी।
इस साल की शुरुआत में जारी आईपीसीसी की छठी आकलन रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर 1.5 डिग्री सेल्सियस के लक्ष्य को हासिल करना है तो ग्रीनहाउस गैसों के वैश्विक उत्सर्जन को 2025 तक चरम पर पहुंचने और 2030 तक मौजूदा स्तर से 43 फीसदी कम करने की जरूरत है।
‘जलवायु टिपिंग पॉइंट्स’ के बारे में:
“जलवायु टिपिंग पॉइंट्स” (Climate Tipping Points) या जलवायु परिवर्तन संबंधी जानकारी देने वाली घटनाएं, ‘पारिस्थितिक परिवर्तनों’ के वे स्तर होते हैं, कि इनसे अधिक होने या इससे आगे जाने पर पृथ्वी की प्रणालियों के संचालन के तरीके में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन हो सकता है, जो महासागरों, मौसम और रासायनिक प्रक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है, जो “अपरिवर्तनीय” हो सकता है।
इंस्टा लिंक:
प्रीलिम्स लिंक:
- पेरिस जलवायु समझौता
- COP 26 के परिणाम
- IPCC और इसकी आकलन रिपोर्ट के बारे में
- जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना
मेंस लिंक:
- ‘जलवायु परिवर्तन’ एक वैश्विक समस्या है। जलवायु परिवर्तन से भारत किस प्रकार प्रभावित होगा? भारत के हिमालयी और तटीय राज्य जलवायु परिवर्तन से कैसे प्रभावित होंगे? (यूपीएससी 2017)
- ‘प्रवाल जीवन प्रणाली’ पर ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव का उदाहरण सहित आकलन कीजिए। (यूपीएससी मेन्स 2019)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, डाउन टू अर्थ
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
समान नागरिक संहिता
संदर्भ: हाल ही में, कानून मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि अदालत संसद को कोई कानून बनाने या उसे लागू करने का निर्देश नहीं दे सकती है।
सरकार ने कहा है कि, विभिन्न धर्मों और संप्रदायों के नागरिक, संपत्ति और विवाह संबंधी अलग-अलग कानूनों का पालन करते हैं जो “देश की एकता का अपमान” है, और कानून होना या न होना एक नीतिगत निर्णय है और अदालत कार्यपालिका को कोई निर्देश नहीं दे सकती है।
प्रमुख बिंदु:
- सरकार मंत्रालय ने देश में ‘समान नागरिक संहिता’ (Uniform Civil Code – UCC) की मांग करने वाली जनहित याचिकाओं को खारिज करने की मांग की है।
- मंत्रालय ने कहा है, कि वर्तमान रिट याचिका कानून की नजर में सुनवाई योग्य नहीं है, क्योंकि याचिकाकर्ता, अन्य बातों के साथ, तलाक के आधार पर विसंगतियों को दूर करने और समान नागरिक संहिता बनाने के लिए भारत संघ के खिलाफ निर्देश की मांग रहा है।
- कानून बनाने की शक्ति: सरकार ने कहा कि कानून बनाने की शक्ति विशेष रूप से विधायिका की है। न्यायालय “कुछ कानून बनाने के लिए संसद को परमादेश” (Mandamus) नहीं दे सकता है।
- विधि आयोग “समान नागरिक संहिता (यूसीसी) से संबंधित विभिन्न मुद्दों की जांच करेगा और विभिन्न समुदायों को नियंत्रित करने वाले विभिन्न व्यक्तिगत कानूनों में शामिल संवेदनशीलता और गहन अध्ययन पर विचार करते हुए सिफारिशें करेगा।
- 21वां विधि आयोग ने ‘परिवार कानून में अनन्तर सुधार, 2018’ (Reform of Family Law subsequently 2018) शीर्षक से एक परामर्श पत्र अपलोड किया है।
- अनुच्छेद 44: अनुच्छेद 44 का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में निहित ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के उद्देश्य को मजबूत करना था।
- ‘समान नागरिक संहिता’ (UCC) इस अवधारणा पर आधारित है कि देश में विरासत, संपत्ति के अधिकार, रखरखाव और उत्तराधिकार के मामलों में एक समान कानून होगा।
बिलकिस बानो मामला
संदर्भ: 2002 के गुजरात दंगों के बिलकिस बानो मामले (Bilkis Bano case) में दोषी बलात्कारियों और हत्यारों की रिहाई को मंजूरी देने के कुछ महीने पहले, केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार- “बलात्कार के अपराध के लिए दोषी कैदियों” सहित 12 श्रेणियों के दोषी स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में एक विशेष छूट योजना के तहत, समय से पहले रिहा करने के योग्य नहीं हैं।
प्रमुख बिंदु:
- राज्य सरकार ने कहा है, कि 1992 की नीति के अनुसार 11 कैदियों की जल्द रिहाई की याचिका पर विचार किया गया था।
- सीबीआई और सीबीआई अदालत की राय: दोषियों को रिहा नहीं किया जा सकता क्योंकि अपराध “जघन्य, संगीन और गंभीर” है और “अपराध केवल इस आधार पर किया गया था कि पीड़ित एक विशेष धर्म के हैं।
- दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 435: इसमें कहा गया है कि राज्य सरकार को ‘परिहार’ या छूट (Remission) के कुछ मामलों में केंद्र सरकार के परामर्श के बाद कार्य करना चाहिए।
- संविधान की समवर्ती सूची के तहत ‘जेल’ राज्य का विषय है।
विशेष ‘सजा-परिहार’ के लिए पात्र कैदी:
- 50 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिला और ट्रांसजेंडर अपराधी और 60 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुष अपराधी।
- शारीरिक रूप से विकलांग या 70% और अधिक विकलांगता वाले विकलांग, जिन्होंने अपनी कुल सजा अवधि का 50% पूरा कर लिया है।
- मानसिक रूप से बीमार सजायाफ्ता कैदी, जिन्होंने अपनी कुल सजा का दो-तिहाई (66%) पूरा कर लिया है।
- गरीब या गरीब कैदी, जिन्होंने अपनी सजा पूरी कर ली है।
- कम उम्र (18-21) में अपराध करने वाले व्यक्ति।
योजना से बाहर रखे गए कैदी:
- मौत की सजा के साथ दोषी ठहराए गए व्यक्ति, या जिनकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है।
- किसी ऐसे अपराध के लिए दोषी ठहराया गया व्यक्ति, जिसके लिए सजा के एक के रूप में ‘मौत की सजा’ को निर्दिष्ट किया गया है।
- आजीवन कारावास की सजा के साथ दोषी ठहराए गए व्यक्ति।
- आतंकवादी गतिविधियों में शामिल अपराधी।
- दहेज हत्या के दोषी व्यक्ति।
- जाली नोट।
- बलात्कार और मानव तस्करी का अपराध।
- वाल यौन अपराध संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत अपराध।
- धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002, आदि।
‘परिहार’ क्या है?
‘परिहार’ या छूट (Remission) का तात्पर्य, सजा की प्रकृति को बदले बगैर सजा में कमी किए जाने से है, जैसे कि, एक साल की सजा को घटाकर छह महीने की सजा में परिवर्तन।
- अर्थात ‘परिहार’ की स्थिति में में दोषी को शेष सजा को पूरा करने की आवश्यकता नहीं होती है।
- उदाहरण के लिए, यदि किसी व्यक्ति को 20 वर्ष की सजा सुनाई जाती है, तो उसकी सजा अब घटाकर 15 वर्ष कर दी जाती है।
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना- मुख्यमंत्री अमृतम
संदर्भ: प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना- गुजरात में मुख्यमंत्री अमृतम (PMJAY-MA) लाभार्थियों को आयुष्मान कार्ड प्रदान किए जाएंगे।
“मुख्यमंत्री अमृतम” (Mukhyamantri Amrutam -MA) गुजरात सरकार की एक योजना है।
सम्बंधित जानकारी:
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) और भारतीय गुणवत्ता परिषद के एक बोर्ड ‘नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स’ (NABH) ने एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं।
- यह समझौता ज्ञापन क्षमता निर्माण, सूचना के प्रसार, भारतीय गुणवत्ता परिषद (QCI) मान्यता व ‘आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन’ (ABDM) मानकों को बढ़ावा देने, तकनीकी सहायता, हितधारक समर्थन के क्षेत्रों में सहयोग करने के लिए और एक दूसरे की पहुंच व मौजूदगी का लाभ उठाकर NABH और NHA की विभिन्न पहलों को लेकर व्यापक जागरूकता उत्पन्न करने के लिए किया गया है।
- NABH के पास स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए एक विस्तृत व कुशल गुणवत्ता ढांचा और मान्यता प्रणाली है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) को आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री-जन आरोग्य योजना (AB PM-JAY) के कार्यान्वयन का अधिदेश दिया गया है।
शिकायत निवारण सूचकांक में शीर्ष पर UIDAI
संदर्भ: भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ‘शिकायत निवारण सूचकांक’ में लगातार दूसरे महीने में शीर्ष स्थान पर रहा है।
- प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) मासिक आधार पर ‘शिकायत निवारण सूचकांक’ जारी करता है।
UIDAI का शिकायत निवारण तंत्र:
- भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के पास एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र मौजूद है, जिसमें UIDAI का मुख्यालय, इसके क्षेत्रीय कार्यालय, प्रौद्योगिकी केंद्र और जुड़े हुए भागीदार संपर्क केंद्र भी शामिल हैं। एक सामंजस्यपूर्ण प्रणाली UIDAI को एक सप्ताह के भीतर लगभग 92% शिकायतों को हल करने में सक्षम बनाती है।
- UIDAI धीरे-धीरे अत्याधुनिक ओपन-सोर्स ग्राहक संबंध प्रबंधन समाधान उपलब्ध करा रहा है। नए ‘ग्राहक संबंध प्रबंधन’ (CRM) समाधान में फोन कॉल, ईमेल, चैटबॉट, वेब पोर्टल, सोशल मीडिया, पत्राचार और वॉक-इन जैसे मल्टी-चैनलों द्वारा सहायता उपलब्ध कराने की क्षमता है, जिसके माध्यम से शिकायतों को दर्ज किया जा सकता है, उन्हें ट्रैक किया जा सकता है और प्रभावी ढंग से हल किया जा सकता है।
- UIDAI ने 12 भाषाओं में आईवीआरएस सेवाएं शुरू की हैं।
‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण’ (UIDAI):
- यह 12 जुलाई 2016 को स्थापित एक ‘वैधानिक प्राधिकरण’ है।
- मूल निकाय: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में कार्य करता है।
- अधिदेश: यूआईडीएआई को भारत के सभी निवासियों को एक 12-अंकीय विशिष्ट पहचान (यूआईडी) संख्या (आधार) प्रदान करना।
वर्ल्ड ग्रीन सिटी अवार्ड 2022
संदर्भ: ‘हैदराबाद सिटी’ ने “लिविंग ग्रीन फॉर इकोनॉमिक रिकवरी एंड इनक्लूसिव ग्रोथ” श्रेणी में “वर्ल्ड ग्रीन सिटी अवार्ड 2022” जीता है। 2022 वर्ल्ड ग्रीन सिटीज अवार्ड्स, इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ हॉर्टिकल्चर प्रोड्यूसर्स (AIPH) द्वारा साउथ कोरिया के ‘जेजू’ (Jeju) में आयोजित किया गया था।
ऋण वसूली अधिकरण
संदर्भ: सरकार ने उच्च मूल्य वाले मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित करने के लिए चेन्नई, मुंबई और दिल्ली में स्थापित ‘ऋण वसूली अधिकरणों’ (Debt recovery Tribunals – DRTs) में तीन विशेष पीठों का गठन किया है।
100 करोड़ रुपये से अधिक राशि के मामलों को ‘उच्च मूल्य के मामलों’ की श्रेणी में रखा जाता है। ये मामले, ऋण वसूली के कुल मामलों का मात्र 1% हैं, लेकिन इनका दावा मूल्य का लगभग 80% है।
विशेष पीठों की आवश्यकता:
- नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल में इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत पार्टनरशिप या फैमिली फर्मों के मामलों की सुनवाई नहीं की जाती है। IBC केवल कंपनियों के मामलों पर सुनवाई करता।
- वर्तमान में समाधान के लिए ‘ऋण वसूली अधिकरणों’ (DRTs) में 2 लाख करोड़ से अधिक लंबित हैं।
- वर्तमान में, 39 DRTs और 5 अपीलीय न्यायाधिकरण, ऋण वसूली और दिवालियापन अधिनियम 1993 के तहत काम करते हैं। ‘ऋण वसूली अधिकरण’ ‘सरफेसी अधिनियम 2002’ के तहत मामलों की सुनवाई भी करता है।
ट्रिब्यूनल से जुड़ी जानकारी:
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की रिपोर्ट ने अरावली पहाड़ियों में बड़े पैमाने पर खनन की चेतावनी दी है। पहाड़ों के पारिस्थितिक मूल्य को बहाल करने के लिए 2009 में इस क्षेत्र में खनन पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रतिबंध लगा दिया गया था।
विदेशी मुद्रा विनिमय भंडार
संदर्भ: भारत का विदेशी मुद्रा भंडार पिछले साल सितंबर में 642 अरब डॉलर के शिखर से गिरकर करीब 530 अरब डॉलर हो गया है।
भारत के ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ में गिरावट के कारण:
- आरबीआई द्वारा डॉलर और अन्य मुद्राओं में संपत्तियों के मूल्य में गिरावट।
- रुपये की रक्षा के लिए मुद्रा बाजार में केंद्रीय बैंक का हस्तक्षेप।
उदाहरण के लिए, रुपये की रक्षा के लिए आरबीआई ने 2022 की शुरुआत के बाद से कुल $43.15 बिलियन डॉलर की बिक्री की है।
प्रभाव:
- इससे ‘चालू खाता घाटा’ में वृद्धि हो सकती है। मार्च 2023 को समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष के लिए ‘चालू खाता घाटा’ सकल घरेलू उत्पाद के 3% से ऊपर रहने की उम्मीद है।
- अस्थिर पूंजी प्रवाह: अर्थशास्त्रियों के अनुसार- भुगतान संतुलन नकारात्मक होगा, जिससे ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ और कम होगा।
- हालाँकि, मौजूदा स्तरों पर ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ आठ महीने से अधिक के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त हैं, किंतु आठ महीने के आयात कवर (करीब 500 अरब डॉलर) से नीचे की गिरावट, बाजार का ध्यान आकर्षित करना शुरू कर सकती है।
आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम:
आरबीआई ने विदेशी मुद्रा प्रवाह को उदार बनाने के उपायों की घोषणा की थी, जिसमें विदेशी निवेशकों को सरकारी ऋण के एक बड़े हिस्से तक पहुंच प्रदान करना और गैर-निवासियों से अधिक जमा राशि जुटाने के लिए बैंकों को व्यापक अवसर देना शामिल था।
पीएम किसान समृद्धि केंद्र
संदर्भ: किसानों की विभिन्न प्रकार की इनपुट जरूरतों- परीक्षण की जरूरत, विस्तार सेवाएं, उर्वरक, बीज, उपकरण आदि, को पूरा करने के लिए ‘रसायन और उर्वरक मंत्रालय’ के तहत 600 प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (PM KSK) शुरू किए गए हैं।
- सरकार की योजना, देश भर में 3 लाख से अधिक उर्वरक दुकानों को ‘समृद्धि केंद्र’ के रूप में विकसित करने की है।
- यह किसान सम्मेलन 2022 में शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री ने ‘समृद्धि केंद्र’ के अलावा ‘एक राष्ट्र एक उर्वरक’ का भी शुभारंभ; उर्वरकों पर एक ई-पत्रिका ‘इंडिया एज’ का शुभारंभ; और एग्री स्टार्टअप कॉन्क्लेव का उद्घाटन भी किया है
- भारत, उर्वरक का पहला सबसे बड़ा आयातक, दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक खपत वाला देश (सबसे बड़ा उपभोक्ता चीन है) और उर्वरक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादक (सबसे बड़ा उत्पादक चीन है)।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन
संदर्भ: भारत में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (International Solar Alliance – ISA) की 5वीं सभा का उद्घाटन किया गया है। भारत, ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ (ISA) सभा का अध्यक्ष है, और फ्रांस सरकार इसकी सह-अध्यक्ष है।
- ISA सभा, ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की शीर्ष निर्णय लेने वाली संस्था है, और इसमें प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व होता है।
- आईएसए की सीट पर इस सभा की मंत्रिस्तरीय स्तर बैठक सालाना आयोजित की जाती हैं।
- इस वर्ष, आईएसए सभा तीन महत्वपूर्ण मुद्दों पर ऊर्जा पहुंच, ऊर्जा सुरक्षा और ऊर्जा संक्रमण पर विचार-विमर्श करेगी।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे में:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की परिकल्पना भारत और फ्रांस द्वारा ‘सौर ऊर्जा समाधानों’ के माध्यम से जलवायु परिवर्तन के खिलाफ प्रयासों को संगठित करने संबंधी संयुक्त प्रयास के रूप में की गई थी।
- इसे 2015 में पेरिस में आयोजित ‘संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज’ (UNFCCC) में पार्टियों के 21वें सम्मेलन (COP21) में दोनों देशों के नेताओं द्वारा प्रस्तुत किया गया था।
- आईएसए, सौर ऊर्जा का उपयोग से ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने हेतु ‘कर्क रेखा’ और ‘मकर रेखा’ के बीच पूर्ण या आंशिक रूप से अवस्थित, सौर संसाधन समृद्ध देशों का गठबंधन है।
- पेरिस घोषणापत्र में ‘आईएसए’ को अपने सदस्य देशों के मध्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित गठबंधन के रूप में घोषित किया गया है।
- एक क्रियान्मुख संगठन के रूप में, अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) वैश्विक मांग में वृद्धि हेतु, सौर क्षमता समृद्ध देशों को एक साथ लाता है, जिससे ऊर्जा की थोक खरीद से कीमतों में कमी आती है तथा मौजूदा सौर प्रौद्योगिकियों को विस्तार की सुविधा प्राप्त होती है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, मौजूदा सौर प्रौद्योगिकियों के बड़े पैमाने पर परिनियोजन की सुविधा प्रदान करता है, और सहयोगी सौर अनुसंधान एवं विकास और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देता है।
सचिवालय:
- भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से ‘गुरुग्राम’ में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ मुख्यालय की आधारशिला रखी गयी।
- इनके द्वारा हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित ‘राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान परिसर’ में आईएसए के अंतरिम सचिवालय का उद्घाटन किया गया था।
गाम्बिया में मौतें और जहरीली खांसी की दवाई
संदर्भ: अफ्रीकी देश ‘गाम्बिया’ (Gambia) के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा है कि एक भारतीय निर्माता द्वारा बनाए गए दूषित ‘कफ सिरप’ से होने वाली संभावित मौतों की संख्या बढ़कर 69 हो गई है।
विवरण:
- स्थानीय स्तर पर बेचे जाने वाले ‘पेरासिटामोल सिरप’ का सेवन करने के तीन से पांच दिनों के भीतर कई बच्चे गुर्दे की समस्याओं से बीमार होने लगे।
- ‘पैरासिटामोल’ आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली दवा है जो दर्द का इलाज करने और उच्च तापमान (बुखार) को कम करने में मदद कर सकती है।
डब्ल्यूएचओ द्वारा परीक्षण किए गए नमूनों में कौन से जहरीले रसायन पाए गए हैं:
- डायथिलीन ग्लाइकॉल, एथिलीन ग्लाइकॉल।
- ये दोनों रसायन अवैध अपमिश्रक हैं जिनका उपयोग तरल दवा में विलायक के रूप में किया जाता है।
खांसी के सिरप में इस्तेमाल होने वाले सामान्य सॉल्वैंट्स:
- ग्लिसरीन (ग्लिसरॉल), प्रोपलीन ग्लाइकोल
- ये सॉल्वैंट्स परिरक्षकों, गाढ़ेपन, मिठास और रोगाणुरोधी एजेंटों के रूप में भी काम करते हैं
संबंधित जांच:
- राज्य दवा नियंत्रक द्वारा ‘मेडेन फार्मास्युटिकल लिमिटेड’ (जिम्मेदार कंपनी) की प्रारंभिक जांच शुरू कर दी गई है।
- WHO ने भारतीय अधिकारियों के साथ समन्वय में गहन जांच शुरू की है।
- केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने हरियाणा के राज्य औषधि नियंत्रक के सहयोग से एक विस्तृत जांच शुरू की है।
कफ सिरप का निर्यात: कंपनी ने अब तक इन चार कफ सिरप का निर्यात केवल गाम्बिया को किया है।
सामान्य प्रक्रिया: आयातक देश द्वारा उत्पादों के उपयोग को मंजूरी देने से पहले गुणवत्ता के लिए उनका परीक्षण किया जाता है।
भारत पर प्रभाव:
- सामरिक लक्ष्यः कफ सिरप विवाद अफ्रीका में भारत के रणनीतिक लक्ष्यों के लिए झटका साबित हो सकता है।
- वैक्सीन डिप्लोमेसी: गाम्बिया भारत की अफ्रीका आउटरीच नीति और उदारता, विशेष रूप से ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी‘ का लाभार्थी है। ऐसी घटनाएं भारत के लिए एक झटका हो सकती हैं।
प्रकाश से तेज होने का भ्रम
संदर्भ: वैज्ञानिकों ने एक सुपरनोवा जैसी घटना में कुछ ऐसा देखा है जो प्रकाश की गति से 7 गुना तेज गति से आगे बढ़ता हुआ प्रतीत हो रहा है।
विवरण:
वर्ष 2017 में, लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल-वेव (LIGO) वेधशालाओं ने दो बड़े न्यूट्रॉन तारों के विलय से पदार्थ का एक असामान्य फुहारा रिकॉर्ड किया। यह प्रकाश से तेज गति से यात्रा करता हुआ प्रतीत हो रहा था।
क्या कोई वस्तु प्रकाश की गति से तेज हो सकती है?
- नहीं। यह किसी पिंड के प्रकाश से तेज गति से गति करने का भ्रम हमें तब होता है, जब कोई पिंड ‘प्रकाश के वेग के लगभग बराबर वेग’ से (हमारी ओर) गति करता है।
- अधिकतर, ब्लैक होल ऐसे तेज गति वाले पिंडों की उत्पत्ति के लिए जिम्मेदार होते हैं।
जिराफ
संदर्भ: अंग्रेजों द्वारा भारत लाए गए जिराफ (Giraffes) लुप्तप्राय प्रजातियों से संबंधित हो सकते हैं। अलीपुर में जिराफों के ‘आनुवंशिक दूरी विश्लेषण’ से पता चला है कि वे न्युबियन और रोथस्चिल्ड जिराफ से सबसे अधिक निकटता से संबंधित थे।
पृष्ठभूमि: लगभग 150 साल पहले, ब्रिटिश उपनिवेशवादियों द्वारा अफ्रीका में अपनी अन्य औपनिवेशिक संपत्ति में से ‘उत्तरी जिराफ’ (Northern Giraffe) की एकल प्रजातियों के बैचों को भारत लाया गया था।
- अब इनमें से देश भर में 29 कैप्टिव ‘उत्तरी जिराफ’ बचे है।
- प्रोटोकॉल: ‘उत्तरी जिराफ’ एक विदेशी प्रजाति हैं जिन्हें भारत में आयात किया गया था, इनकी आबादी के प्रबंधन के लिए जारी प्रोटोकॉल, देश के मूल जानवरों की तुलना में अलग थे।
- जंगली ‘जिराफ’ केवल उप-सहारा अफ्रीका में पाए जाते हैं।
न्युबियन जिराफ (Nubian Giraffes):
- यह जिराफ की एक उप-प्रजाति है।
- पर्यावास: इथियोपिया, केन्या, युगांडा, दक्षिण सूडान और सूडान में पाया जाता है।
- IUCN स्थिति: पिछले 3 दशकों में 95% की गिरावट के कारण पहली बार 2018 में IUCN द्वारा उप-प्रजाति को ‘गंभीर रूप से लुप्तप्राय’ के रूप में सूचीबद्ध किया गया था।
रोथ्सचाइल्ड जिराफ (Rothschild’s Giraffe):
- इसे बारिंगो जिराफ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि यह केन्या के क्षेत्र में बारिंगो झील के पास जंगली में देखा जाता है।
- पर्यावास: अफ्रीका के रेगिस्तानी और सवाना मैदानी इलाके, मुख्य रूप से पूर्वी युगांडा और पश्चिमी केन्या में पाया जाता है।
- IUCN स्थिति: संकटग्रस्त
क्या आप जानते हैं:
- जिराफ, जुगाली करने वाले जीव होते हैं, जिसका अर्थ है कि उनके पेट में कई कक्ष होते हैं। यदि वे सक्रिय रूप से नहीं खा रहे हैं, तो वे शायद अपना पागुर चबा रहे हैं।
- जिराफों के समूह या झुंड को ‘टावर’ (tower) कहा जाता है।
- आईयूसीएन के अनुसार जिराफ ‘असुरक्षित’ प्रजाति है।
- जिराफ अक्सर सवाना/वुडलैंड आवासों में पाए जाते हैं और पूरे अफ्रीका में व्यापक रूप से पाए जाते हैं।
दीर्घकालिक मृदा कार्बन स्थिरता के लिए चराई वाले जानवर महत्वपूर्ण: आईआईएससी अध्ययन
संदर्भ: शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि चरने वाले जानवर लंबे समय तक ‘मिट्टी की कार्बन स्थिरता’ की कुंजी होते हैं।
अध्ययन के प्रमुख बिंदु:
- याक और आईबेक्स जैसे बड़े स्तनधारी शाकाहारी, हिमालय में स्पीति क्षेत्र जैसे चराई वाले पारिस्थितिक तंत्र में मृदा कार्बन के पूल को स्थिर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- एक वर्ष से लेकर अगले वर्ष की अवधि में, चराई वाले भूखंडों की तुलना में, बाड़-युक्त भूखंडों में- जहां पशु अनुपस्थित थे- मिट्टी के कार्बन में 30-40% अधिक उतार-चढ़ाव पाया गया। चराई वाले भूखंडों में मृदा कार्बन स्तर हर साल अधिक स्थिर रहा।
- इन उतार-चढ़ावों का मुख्य कारण नाइट्रोजन था।
- मिट्टी की स्थिति के आधार पर, नाइट्रोजन कार्बन पूल को स्थिर या अस्थिर कर सकता है।
क्या आप जानते हैं:
- मिट्टी में, सभी पौधों और संयुक्त वातावरण की तुलना में अधिक कार्बन होता है।
- जब पौधे और जानवर मर जाते हैं, तो सूक्ष्मजीवों द्वारा विखंडित किए जाने, और कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में वातावरण में छोड़ने से पहले मृत कार्बनिक पदार्थ मिट्टी में लंबे समय तक रहते हैं।
- चरागाह, पारिस्थितिकी तंत्र पृथ्वी की सतह का लगभग 40% हिस्सा बनाते हैं।
- कार्बन को कैप्चर करने के लिए एक ‘मिट्टी का पूल’ एक विश्वसनीय सिंक होता है। इसलिए मिट्टी में कार्बन के स्थिर स्तर को बनाए रखना जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की भरपाई के लिए महत्वपूर्ण है।
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