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[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 18th October 2022

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. न्यायिक पीठ में सदस्यों की संख्या पर न्यायिक मंडली के विचार
  2. इंटरपोल की भूमिका

सामान्य अध्ययन-III

  1. निवारण कार्यप्रणाली: अरिहंत एसएलबीएम

मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री

  1. मांड्या में 17 तालाब बनाने वाला चरवाहा

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. डॉ दिलीप महालनाबिस
  2. ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम’ के सिद्धांत श्रीलंकाई हिंदू तमिलों पर लागू
  3. मुस्लिम महिला की शादी की उम्र के सवाल की सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच
  4. केरल के राज्यपाल की गलत मंत्रियों को बर्खास्त करने की शक्ति
  5. सीखने की हानि / लर्निंग लॉसेस
  6. भारत में गरीबी
  7. डिजिटल बैंकिंग इकाइयां
  8. भारत में एफडीआई
  9. टोकनाइजेशन से ऑनलाइन कार्ड धोखाधड़ी पर रोक
  10. राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सम्मेलन 2022
  11. विश्व खाद्य दिवस
  12. ‘वन नेशन, वन फर्टिलाइजर’ योजना का शुभारंभ
  13. एल्यूमिनियम फ्रेट ट्रेन रेक
  14. बाघ पुनर्वास
  15. हरित पटाखे
  16. डिफेंस एक्सपो 2022
  17. मानचित्रण

सामान्य अध्ययन-II


विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।

न्यायिक पीठ में सदस्यों की संख्या पर न्यायिक मंडली के विचार

संदर्भ: सुप्रीम कोर्ट की एक संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से माना है कि एक बड़ी पीठ (बेंच) द्वारा दिया गया निर्णय एक छोटी पीठ के फैसले से अधिक महत्वपूर्ण होगा, भले ही बड़ी पीठ में बहुमत वाले  न्यायाधीशों की संख्या कितनी भी हो।

सकारात्मक प्रभाव:

  • स्थिरता और निरंतरता: यह सुनिश्चित करना चाहता है कि न्यायालय के निर्णयों में स्थिरता और निरंतरता हो।
  • सही निर्णय: अधिक संख्या वाली पीठ के सही निर्णय पर पहुंचने की संभावना अधिक होती है।

न्यायिक पीठों के कामकाज का तंत्र:

बड़ी बेंचों के साथ समस्या:

  • बड़ी बेंचों में बहुमत के फैसले को, असहमति वाले न्यायाधीशों की राय की अनदेखी करते हुए पूरी पीठ के फैसले के रूप में माना जाता है।
  • यदि बड़ी बेंच कम बहुमत, जैसेकि, सात-न्यायाधीशों की पीठ में 4:3 से निर्णय लेती है, तब इसकी परिशुद्धता पर इस आधार पर संदेह किया जा सकता है कि यदि पीठ में कोई अन्य न्यायाधीश शामिल होते तो परिणाम अलग हो सकता था।

पूर्ववर्ती निर्णयों का सिद्धांत:

‘पूर्ववर्ती निर्णयों का सिद्धांत’ (Doctrine of Precedents), उच्च न्यायालय द्वारा पहले लिए जा चुके निर्णय को संदर्भित करता है।

  • इस सिद्धांत के अनुसार, उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय द्वारा पहले लिया जा चुका निचली अदालत के लिए बाध्यकारी होता है और साथ ही निचली अदालत द्वारा किए जाने वाले फैसलों के लिए एक ‘मिसाल’ (पूर्व उदहारण) के रूप में होता है, जिसे निचली अदालत द्वारा बदला नहीं जा सकता है।
  • इस सिद्धांत को स्टेयर डेसीसिस (Stare decisis) के नाम से जाना जाता है।
  • अनुच्छेद 141: यह निर्धारित करता है कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा घोषित कानून भारत के क्षेत्र में सभी न्यायालयों पर बाध्यकारी होगा।

किसी पीठ (बेंच) के बजाय न्यायाधीशों की संख्या के आधार पर ‘निर्णय’ के परिणाम:

  • न्यायाधीशों की अलग-अलग राय के आधार पर एक ‘बड़ी पीठ’ के प्रत्येक निर्णय पर संदेह किया जा सकता है और खारिज किया जा सकता है, जिससे निर्णयों की निश्चितता और दृढ़ता कम हो सकती है।
  • किसी निर्णय की परिशुद्धता ‘तर्क शक्ति’ के बजाय ‘संख्याओं’ का खेल बन जाएगी।

इस प्रकार के संघर्षों से बचने हेतु सिफारिश:

संतुलन-स्तर (Break-Even) सहित या निचली बेंच की तुलना में अधिक बहुमत वाली एक ‘न्याय सभा’ (Quorum) होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि पांच-न्यायाधीशों के सर्वसम्मत निर्णय को एक बड़ी बेंच के पास भेजा जाता है, तो इस पर सात के बजाय नौ-न्यायाधीशों की बेंच द्वारा सुनवाई की जानी चाहिए, ताकि किसी भी स्थिति में कम से कम पांच न्यायाधीशों के बहुमत से निर्णय लिया जा सके।

‘संवैधानिक पीठ’ के बारे में:

संविधान के अनुच्छेद 145(3) के अनुसार, “जिस मामले में इस संविधान के निर्वचन के बारे में विधि का कोई सारवान्‌ प्रश्न अतंर्वलित है उसका विनिश्चय करने के प्रयोजन से ‘कम से कम पांच न्यायाधीशों’ की पीठ गठित की जाएगी। ऐसी पीठ को ‘संवैधानिक पीठ’ (Constitution Bench) कहा जाता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश को ‘संवैधानिक पीठ’ का गठन करने और मामलों को संदर्भित करने की शक्ति प्राप्त है।

इंस्टा लिंक:

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई ललित द्वारा लागू किए गए सुधार

मेंस लिंक:

भारत में उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014’ पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (यूपीएससी 2017)

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

इंटरपोल की भूमिका

संदर्भ:

हाल ही में, इंटरपोल सचिव ने एक बयान जारी करते हुए कहा है, कि ‘अंतरराष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन’ राज्य प्रायोजित आतंकवाद को रोकने में कोई भूमिका नहीं निभाता है और यह मुख्य रूप से सामान्य कानूनी अपराधों पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।

इंटरपोल का अधिदेश:

‘अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन’ (International Criminal Police OrganisationINTERPOL), संयुक्त राष्ट्र की भांति एक संगठन है। लेकिन यह ‘विवाद समाधान’ का कार्य नहीं करता है। यह संगठन सदस्य देशों के पुलिस बलों की सहायता के लिए बनाया गया है। ‘इंटरपोल’, न तो सीबीआई के समान जांच एजेंसी है और न ही ‘फ्रंट-लाइन पुलिस बल’। इसका कार्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों को जानकारी साझा करना और पीछे से तकनीकी सहायता प्रदान करना है।

  • ‘इंटरपोल’, बाल शोषण करने वालों, बलात्कारियों, हत्यारों, तस्करों, ड्रग डीलरों और साइबर अपराधियों से संबंधित मामलों को देखता है।
  • यह डिजिटल स्पेस में अपराध और अपराधियों के बारे में सूचना प्रदान करता है; साइबरस्पेस के दुरुपयोग, और डार्क वेब पर हैकर्स को रोकता है।

इंटरपोल द्वारा उपयोग किए जा रहे नए उपकरण:

  • पूर्व चेतावनी प्रणाली: इंटरपोल आतंकवाद से संबंधित जानकारी के संग्रह और साझा करने के लिए एक ‘वैश्विक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली’ विकसित कर रहा है।
  • आतंकवादियों की सूचना: इंटरपोल के पास विदेशी आतंकवादी ठिकानों और उपकरणों से संबंधित सूचनाओं का सबसे बड़ा भंडार रहता है। इसके पास उंगलियों के निशान, डीएनए प्रोफाइल, चेहरे की पहचान किट, साइबर-सक्षम वित्तीय अपराध और संपत्ति संबंधी-अपराधों के बारे में जानकारी का एक विशाल भंडार है।
  • इंटरपोल का ‘ग्लोबल स्टॉप-पेमेंट मैकेनिज्म’: यह एक एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग रैपिड रिस्पॉन्स प्रोटोकॉल है। इस प्रोटोकॉल के माध्यम से इंटरपोल ने सदस्य देशों को $60 मिलियन (पिछले 10 महीनों) से अधिक राशि की वसूली करने में मदद की है।
  • इंटरपोल द्वारा जारी ‘ग्लोबल क्राइम ट्रेंड रिपोर्ट’ में ऑनलाइन बाल यौन शोषण और दुर्व्यवहार में भारी वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
  • इंटरपोल का अंतर्राष्ट्रीय बाल यौन शोषण डेटाबेस: इसके माध्यम से इंटरपोल, दुनिया भर के जांचकर्ताओं को हर दिन औसतन सात बाल शोषण पीड़ितों की पहचान करने में मदद करता है।
  • रेड नोटिस: यह एक अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट नहीं है और इंटरपोल किसी भी सदस्य देश को ‘नोटिस में उल्लखित व्यक्ति’ को गिरफ्तार करने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है।
  • इंटरपोल की सिंगापुर इकाई: यह सदस्य देशों को कानूनी ढांचा विकसित करने और क्रिप्टोकरेंसी पर नज़र रखने और उन्हें जब्त करने के लिए उपकरणों को विकसित करने में सहायता प्रदान कर रही है।
  • इंटरपोल, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) के साथ भी सहयोग करता है।

आगे की राह:

  • इंटरपोल को अब अपने डेटाबेस और टूल्स के अलावा अपने विस्तार को स्पष्ट करने की आवश्यकता है।
  • 24/7 सूचना साझा करने के लिए इसके सुरक्षित i-24 की सफलता, सूचना के वास्तविक समय के प्रसार के महत्व को प्रमुखता मिलनी चाहिए।
  • समान महत्व: इंटरपोल को लोकतांत्रिक चार्टर का अनुसरण करने वाली बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं के वैध हितों के अनुरूप होना चाहिए।
  • जनसांख्यिकीय लाभांश: स्टार्टअप्स में एक बड़े और युवा प्रौद्योगिकी-उन्मुख कार्यबल का उपयोग सुरक्षा-संरचना के उन्नयन के लिए किया जा सकता है।
  • इंटरपोल और सदस्य राष्ट्रों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों को उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए एक जन-केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण, रखरखाव और संचालन का प्रयास करना चाहिए।

इंस्टा लिंक:

इंटरपोल

मेंस लिंक: अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक पुलिस संगठन की भूमिकाएँ और कार्य क्या हैं? रेड नोटिस के महत्व और दिल्ली में होने वाली आगामी बैठक में होने वाले बदलावों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू, इंडियन एक्सप्रेस


सामान्य अध्ययन-III


विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

निवारण कार्यप्रणाली: अरिहंत एसएलबीएम

संदर्भ: सुरक्षा और सामरिक चुनौतियों के अपने विशिष्ट विस्तार को देखते हुए, भारत के लिए ‘परमाणु प्रतिरोध’ का इष्टतम स्तर हासिल करना अनिवार्य हो गया है।

‘पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल’ (SLBM) का प्रक्षेपण:

हाल ही में भारत ने ‘पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल’ (Submarine-Launched Ballistic Missile – SLBM) का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और जल के भीतर इस तरह की क्षमता रखने वाले छह राष्ट्रों- अर्थात रूस, यूके, यूएसए, फ्रांस और चीन के समूह में शामिल हो गया।

  • अगस्त 2016 में, उत्तर कोरिया ने SLBM के सफल प्रक्षेपण का दावा किया था।
  • महत्व: यह भारत की ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध’ की नीति को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत, जीवित और सुनिश्चित प्रतिशोधी क्षमता में मदद करेगी। यह परीक्षण भारत की ‘पहले उपयोग न करने’ की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।”
  • यह भारत की सेकंड-स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाता है और इस प्रकार इसकी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

भारत की प्रतिरोधक क्षमता से संबंधित मुद्दे:

  • एसएलबीएम का साधारण बैलिस्टिक प्रोफाइल का शुभारंभ 6,000 टन के ‘आईएनएस अरिहंत’ से जुड़ी विशेषताओं से स्पष्ट है। यह K-15 SLBM से सुसज्जित है, जिसकी मारक-क्षमता 750 किमी है और इसे ‘कम दूरी की मिसाइल’ के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा।
  • धीमी प्रगति: भारत ने अपने मिसाइल कार्यक्रम, परमाणु हथियार क्षमता, परमाणु पनडुब्बी और हाल ही में एक विमानवाहक पोत के निर्माण में धीमी लेकिन निरंतर प्रगति की है। लेकिन ये सभी क्षमताएं “कार्य-प्रगति” श्रेणी में ही बनी हुई हैं।
  • स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित विमान वाहक (आईएनएस विक्रांत), उपयुक्त लड़ाकू विमान और एक SSBN नहीं होने से कार्य करने में अक्षम है।

जल-क्षेत्र में उभरती चुनौतियाँ:

  • यूएस-चीन विवाद: वर्तमान में, वैश्विक भू-राजनीतिक डोमेन उतार-चढ़ाव की स्थिति में है और अन्य मुद्दों के बीच यूएस-चीन प्रतिस्पर्धा, समुद्री-क्षेत्र में स्थिति खराब करेगी।
  • यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन में युद्ध के परिणाम और दिल्ली-मास्को संबंधों के उन्मुखीकरण का भारत के रणनीतिक कार्यक्रमों पर असर पड़ेगा।

इस प्रकार, यह कहना गलत नहीं होगा कि जहां तक ​​समुद्री क्षेत्र का संबंध है, भारत एक “जटिल क्रिसलिस चरण” (complex chrysalis phase) से गुजर रहा है।

आवश्यकता:

  • INS अरिहंत को 3,500 किमी की मारक-क्षमता वाली ‘मध्यवर्ती दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल’ (IRBM) से लैस किया जाए।
  • अगले चरण में इसको 5,000 किमी से अधिक रेंज वाली SSBN मिसाइल से लैस किया जाए। यह अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के रूप में कार्य करगी।
  • इसी चरण में भारत को, अपनी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के एक प्रमुख तत्व- SSBN कार्यक्रम को विधिमान्य करने के लिए, आवश्यक स्तर की रणनीतिक क्षमता हासिल करने वाला माना जाएगा।

भारत का ‘बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी कार्यक्रम’:

  • भारत का परमाणु-संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) कार्यक्रम एक गुप्त रूप से संरक्षित परियोजना है।
  • आईएनएस अरिहंत, एसएसबीएन परियोजना के तहत निर्मित पहला पोत था, उसके बाद दूसरा पोत ‘आईएनएस अरिघाट’ था।
  • एसएसबीएन कार्यक्रम भारत की परमाणु प्रतिरोध क्षमता का एक प्रमुख तत्व है।
  • SSBN, पनडुब्बियों का वह वर्ग है जो समुद्र के नीचे गहराई तक जा सकते हैं जिससे उन्हें महीनों तक लगभग पता नहीं चल पाता है। ये पनडुब्बियां परमाणु-हथियार युक्त बैलिस्टिक मिसाइल ले जाने में सक्षम होती हैं।

इंस्टा लिंक:

प्रीलिम्स लिंक:

  1. बैलिस्टिक मिसाइल क्या है?
  2. आईएनएस अरिहंत के बारे में
  3. आईएनएस विक्रांत के बारे में
  4. एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम

मेंस लिंक:

परमाणु हथियार, प्रतिरोध या रक्षा के रूप में राष्ट्रों के लिए समकालीन सुरक्षा खतरों के खिलाफ सीमित रूप से उपयोगी हैं। इस कथन की व्याख्या कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री


मांड्या में 17 तालाब बनाने वाला चरवाहा

संदर्भ:

कर्नाटक में “पोंड मैन” (Pond Man) के रूप में प्रसिद्ध ‘कलमने कामेगौड़ा’ (Kalmane Kaamegowda) की उम्र से संबंधित बीमारियों के कारण अपने घर में मृत्यु हो गई। ‘कलमने कामेगौड़ा’ एक चरवाहा थे और इन्हें कर्नाटक के मांड्या तालुक में किंडिनबेट्टा की बंजर पहाड़ियों में 17 तालाबों का निर्माण करने के लिए जाना जाता है।

  • इन्होने अपने जीवनकाल में कई पेड़ लगाए और वे अपने गांव के ‘सेक्शन 4 वन क्षेत्र’ में बरगद का बाग विकसित रहे थे।
  • प्रधान मंत्री द्वारा अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में उनके काम का उल्लेख किए जाने के बाद कर्नाटक राज्योत्सव पुरस्कार विजेता ‘कलमने कामेगौड़ा’ को राष्ट्रीय ख्याति मिली।

इस उदाहरण का उपयोग सामान्य अध्ययन के पर्यावरण, निबंध और नैतिकता – प्रकृति के संरक्षण के प्रति समर्पण- के लिए किया जा सकता है।


 प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


डॉ दिलीप महालनाबिस

संदर्भ: ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (ORS) के खोजकर्ता एवं प्रसिद्ध चिकित्सक, डॉ दिलीप महलानाबिस का हाल ही में निधन हो गया।

  • डॉ महालनाबिस ने 1971 के बांग्लादेश मुक्ति युद्ध के समय शरणार्थी शिविरों में काम करने के दौरान ‘ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन’ (ORS) का पहली बार इस्तेमाल किया। प्रसिद्ध चिकित्सा पत्रिका ‘द लैंसेट’ ने इसे “20वीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण चिकित्सा खोज” बताया।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, कई विकासशील देशों में ‘हैजा’ जैसी अतिसार संबंधी बीमारियां, शिशुओं और छोटे बच्चों में मृत्यु दर के प्रमुख कारणों में हैं और इन बीमरियों में रोगी की ‘निर्जलीकरण’ से मृत्यु हो जाती है।
  • पानी, ग्लूकोज और नमक का एक संयोजन ‘ओआरएस’ (ORS) ‘निर्जलीकरण’ से होने वाली मौतों को रोकने का एक सरल और लागत प्रभावी तरीका है।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम’ के सिद्धांत श्रीलंकाई हिंदू तमिलों पर लागू

संदर्भ: मद्रास उच्च न्यायालय ने ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ (Citizenship Amendment Act – CAA) को लेकर एक अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि इस ‘अधिनियम’ सिद्धांत श्रीलंकाई हिंदू तमिलों पर समान रूप से लागू होते हैं।

प्रमुख बिंदु:

  • मद्रास उच्च न्यायालय, ने तिरुचि के एक श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी ‘एस. अभिरामी’ द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
  • ‘एस. अभिरामी’ का जन्म भारत में हुआ था, इनके माता-पिता श्रीलंकाई तमिल शरणार्थी थे। ये भारतीय नागरिकता की मांग कर रही है।
  • न्यायाधीश ने कहा, कि याचिकाकर्ता “प्रवासी माता-पिता” की वंशज है, और वह भारत में पैदा हुई हैं। वह कभी भी ‘श्रीलंकाई नागरिक’ नहीं रही है, और इसलिए उनके लिए ‘श्रीलंकाई नागरिकता’ त्यागने का प्रश्न ही नहीं उठता।

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के बारे में:

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (CAA), 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था, इसके ठीक 24 घंटे के भीतर ही 12 दिसंबर को यह अधिनियम अधिसूचित कर दिया गया था।

  • इस संशोधन का उद्देश्य ‘नागरिकता अधिनियम’, 1955 में संशोधन करना है।
  • ‘नागरिकता अधिनियम, 1955’ में नागरिकता प्राप्त करने हेतु विभिन्न तरीके निर्धारित किये गए हैं।
  • इसके तहत, भारत में जन्म के आधार पर, वंशानुगत, पंजीकरण, प्राकृतिक एवं क्षेत्र समाविष्ट करने के आधार पर नागरिकता हासिल करने का प्रावधान किया गया है।

मुस्लिम महिला की शादी की उम्र के सवाल की सुप्रीम कोर्ट द्वारा जांच

संदर्भ: हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने ‘पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय’ के एक आदेश की जांच करने के लिए सहमत व्यक्त की है। इस आदेश में ‘उच्च न्यायालय’ ने एक नाबालिग मुस्लिम लड़की को ‘बाल विवाह रोकथाम अधिनियम, 2006’ के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए अपनी पसंद के व्यक्ति से शादी करने की अनुमति दी है।

भारत में विवाह के लिए कानूनी उम्र:

  • एक महिला और एक पुरुष के लिए विवाह की कानूनी उम्र क्रमश: 18 और 21 वर्ष है। हालांकि, यह आयु सीमा सभी समुदायों के लिए एक समान नहीं है।
  • कानून के अनुसार, 18 वर्ष से कम आयु वालों को ‘सहमति’ देने के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता है।

भारत में विवाह की आयु का निर्धारण:

  • विभिन्न समुदायों के लिए ‘विवाह और अन्य प्रथाओं’ को नियंत्रित करने वाले ‘व्यक्तिगत कानून’ (Personal laws) विवाह के लिए ‘उम्र’ सहित कुछ मानदंड निर्धारित करते हैं।
  • उदाहरण के लिए, हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 5(iii) ‘वधू’ के लिए न्यूनतम आयु 18 और ‘वर’ के लिए 21 वर्ष निर्धारित करती है। भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, 1872 और विशेष विवाह अधिनियम के तहत ईसाइयों के लिए भी यही आयु-सीमा निर्धारित है।
  • मुसलमानों के लिए, विवाह की आयु का निर्धारण ‘तरुणायी’ (Puberty) हासिल करने के आधार पर होता है, और इसमें ‘वर’ या ‘वधू’ को 15 साल के हो जाने पर ‘तरुण’ या ‘जवान’ माना जाता है।

बाल विवाह को नियंत्रित करने संबंधी कानून:

  • ‘बाल विवाह निषेध अधिनियम’, 2006 और ‘बाल यौन अपराध संरक्षण अधिनियम’, 2012।
  • ‘बाल विवाह निषेध अधिनियम’ में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो कहता है कि यह कानून इस विषय से संबंधित किसी भी अन्य कानून को खत्म कर देगा। इसलिए, विवाह की न्यूनतम आयु पर बाल विवाह निषेध अधिनियम और मुस्लिम पर्सनल लॉ के बीच एक विसंगति है, और यह स्पष्ट नहीं है कि कौन सा कानून दूसरे का स्थान लेता है।

केरल के राज्यपाल की गलत मंत्रियों को बर्खास्त करने की शक्ति

संदर्भ: केरल के राज्यपाल ने राज्य सरकार के मंत्रियों को धमकी देते हुए कहा है, कि यदि ये मंत्री राज्यपाल कार्यालय की गरिमा को कम करना जारी रखते हैं, तो उन्हें उनके पद से बर्ख़ास्त कर दिया जाएगा।

  • नियमों के अनुसार, कोई भी राज्यपाल किसी मंत्री को राज्य मंत्रिमंडल से तब तक बर्खास्त नहीं कर सकता जब तक कि मुख्यमंत्री इसके लिए सिफारिश न करे।
  • मंत्रियों की नियुक्ति और बर्खास्तगी से संबंधित मामलों में’ राज्यपाल’, मुख्यमंत्री की सलाह से बाध्य होते हैं।

संवैधानिक प्रावधान:

  • अनुच्छेद 163: राज्यपाल को अपने कृत्यों, विवेकानुसार कार्य करने संबंधी विषयों को छोड़कर, को पूरा करने में सहायता और सलाह देने के लिए मुख्यमंत्री के नेतृत्व में एक मंत्रि-परिषद होगी।
  • अनुच्छेद 164: मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री की सलाह पर की जाएगी।
  • मुख्यमंत्री किसी मंत्री को इस्तीफा देने के लिए कह सकता है।

सुप्रीम कोर्ट:

कई मौकों पर यह माना गया था कि सदन में बहुमत वाली सरकार को राज्यपाल द्वारा बर्खास्त नहीं किया जा सकता है। इस प्रकार, यदि सरकार को सदन में बहुमत प्राप्त है, तो राज्यपाल यह नहीं कह सकता कि वह अपना मरज़ी वापस लेता है।

सीखने की हानि / लर्निंग लॉसेस

संदर्भ: केंद्रीय वित्त मंत्री ने विश्व बैंक की विकास समिति की बैठक के दौरान लर्निंग लॉसेस: व्हाट टू डू अबाउट द हैवी कॉस्ट ऑफ कोविड ​​​​ऑन चिल्ड्रन, यूथ, एंड फ्यूचर प्रोडक्टिविटी शीर्षक शोध-पत्र पर चर्चा में भाग लिया।

कोविड के कारण शिक्षा के मामले में सीखने का नुकसान:

  • विश्व बैंक-यूनेस्को-यूनिसेफ की रिपोर्ट के अनुसार- कोविड-19 के कारण स्कूलों के बंद होने के मद्देनजर हुए सीखने से संबंधित नुकसान से छात्रों की इस पीढ़ी को जीवन भर की कमाई में $17 ट्रिलियन के करीब नुकसान हो सकता है।
  • घाना, मैक्सिको और पाकिस्तान जैसे देशों में निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति वाले छात्रों के लिए ‘सीखने का नुकसान’ (Learning losses) अधिक था।
  • लड़कियों के लिए ‘सीखने का नुकसान’ काफी अधिक रहा, क्योंकि उनके कल्याण और जीवन में अवसर देने वाली शिक्षा और स्कूलों द्वारा दी जा रही सुरक्षा शीघ्र ही समाप्त हो गयी।

भारत द्वारा कोविड के कारण “सीखने के नुकसान” को दूर करने के लिए कदम उठाए गए:

  • नवंबर 2021 में, भारत ने सीखने की दक्षता का मूल्यांकन करने के लिए कक्षा तीन, पांच, सात और दस के 3.4 मिलियन छात्रों को कवर करते हुए ‘राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण’ (NAS), 2021 का आयोजन किया था। इस सर्वेक्षण ने यह दर्शाया कि तुलनीय ग्रेड के लिए NAS 2017 की तुलना में राष्ट्रीय औसत प्रदर्शन नौ प्रतिशत तक गिर गया है।
  • मार्च 2022 में, भारत ने कक्षा III के छात्रों के लिए सीखने से संबंधित राष्ट्रीय स्तर पर एक बुनियादी सर्वेक्षण का आयोजन किया।
  • भारत ने एक ‘वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर’ भी जारी किया है जिसमें पाठ्यक्रम आधारित सीखने के परिणामों को शामिल करते हुए सप्ताह-वार योजना को शामिल किया गया है।
  • शिक्षकों को समर्थ बनाने के लिए भारत ने एक एकीकृत शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम ‘निष्ठा’ (विद्यालयों के प्रमुखों और शिक्षकों के लिए समग्र उन्नति के लिए राष्ट्रीय पहल) शुरू किया है।
  • भारत ने हाल ही में स्वयंसेवकों को उनकी पसंद के स्कूलों से सीधे जोड़ने और सीखने की प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद करने हेतु विद्यांजलि 2.0 ऑनलाइन प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है।
  • भारत का डिजिटल प्लेटफॉर्म, दीक्षा, जिसे भारत द्वारा 12 डिजिटल ग्लोबल गुड्स में से एक के रूप में पहचाना गया है, अब सार्वजनिक डोमेन में है।

भारत में गरीबी

संदर्भ: हाल ही में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) और ऑक्सफ़ोर्ड पावर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) द्वारा ‘बहुआयामी गरीबी सूचकांक’2022  (Multidimensional Poverty Index – MPI, 2022) जारी किया गया है।

MPI 2022 के तहत ‘बहुआयामी गरीबी को कम करने हेतु पृथकीकरण गठरी को खोलना” रिपोर्ट (Unpacking deprivation bundles to reduce multidimensional poverty report) के अनुसार- पिछले 15 वर्षों में भारत में गरीब लोगों की संख्या में लगभग 415 मिलियन की गिरावट आई है, फिर भी भारत में गरीबों की आबादी सर्वाधिक है।

प्रमुख निष्कर्ष:

  • सबसे गरीब राज्यों ने सबसे तेजी से गरीबी कम की है।
  • बच्चों में गरीबी तेजी से कम हुई है। हालांकि, भारत में अभी भी दुनिया के सबसे ज्यादा गरीब बच्चे हैं।
  • 15 वर्षों में गरीबी की घटनाएं 55.1% से गिरकर 16.4% हो गई हैं। 16.4% में से 4.2% लोग अत्यधिक गरीबी में रहते हैं।
  • लगभग 21.2% गरीब ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, और 5.5% गरीब शहरों में रहते हैं।
  • 2015-16 और 2019-21 के बीच गरीबी में गिरावट की दर सालाना 11.9% थी, जोकि 2005-06 और 2015-16 के बीच 8.1% की तुलना में अधिक तेज थी।

सुझाव:

  • पोषण, खाना पकाने के ईंधन, आवास और स्वच्छता में अभाव से निपटने के लिए एक एकीकृत नीति।
  • स्कूलों में सब्सिडी वाले भोजन, प्रारंभिक चाइल्डकैअर केंद्रों और मध्याह्न भोजन तक पहुंच को सक्षम बनाना।

बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI)

वैश्विक बहुआयामी निर्धनता सूचकांक (MPI) क्या है?

  • वैश्विक MPI निर्धनता को लेकर 107 विकासशील देशों को कवर करने वाला एक अंतरराष्ट्रीय उपाय है।
  • इसे पहली बार 2010 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की मानव विकास रिपोर्ट के लिए ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (Oxford Poverty and Human Development Initiative- OPHI) और UNDP द्वारा विकसित किया गया था।

इसे कब जारी किया जाता है?

वैश्विक MPI को हर साल जुलाई में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास संबंधी ‘उच्च-स्तरीय राजनीतिक फोरम’ (High-Level Political Forum- HLPF) पर जारी किया जाता है।

देशों की रैंकिंग किस प्रकार की जाती है?

वैश्विक MPI की गणना प्रत्येक सर्वेक्षित घर को 10 मापदंडों पर आधारित अंक देकर की जाती है। इसमें पोषण, बाल मृत्यु दर, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने का ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास और घरेलू संपत्ति जैसे मानक शामिल हैं।

डिजिटल बैंकिंग इकाइयां

संदर्भ: प्रधानमंत्री ने 75 डिजिटल बैंकिंग इकाइयां (Digital banking units – DBUs) राष्ट्र को समर्पित कीं। इस योजना की घोषणा 2022-23 के बजट में की गई थी।

‘डिजिटल बैंकिंग इकाइयों’ के बारे में:

एक ‘डिजिटल बैंकिंग इकाई’ (Digital Banking Unit), एक विशेष निश्चित बिंदु कार्य इकाई या हब होती है, जिसमे डिजिटल बैंकिंग उत्पादों और सेवाओं को प्रदान करने के साथ-साथ, मौजूदा वित्तीय उत्पादों और सेवाओं को किसी भी समय ‘स्वयं-सेवा मोड’ में डिजिटल रूप से उपलब्ध कराने के लिए कुछ न्यूनतम डिजिटल आधारभूत अवसंरचनाएं मौजूद होती हैं।

‘डिजिटल बैंकिंग इकाइयों’ की स्थापना:

जब तक रिज़र्व बैंक द्वारा विशेष रूप से प्रतिबंधित न किया गया हो, डिजिटल बैंकिंग में पूर्व अनुभव रखने वाले वाणिज्यिक बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों, भुगतान बैंकों और स्थानीय क्षेत्र के बैंकों के अलावा) को टियर 1 से टियर 6 केंद्रों में ‘डिजिटल बैंकिंग इकाईयां’ (Digital Banking Units – DBUs) खोलने की अनुमति है। इसके अलावा निर्धारित शर्तों के अधीन, निर्दिष्ट बैंकों के लिए ‘डिजिटल बैंकिंग इकाईयां’ खोलने के लिए आरबीआई से अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।

‘डिजिटल बैंकिंग इकाईयों’ के लाभ:

  1. डिजिटल बैंकिंग इकाइयाँ, ‘हल्के’ बैंकिंग दृष्टिकोण के साथ कम संख्या में छोटी-छोटी बैंक शाखाओं के माध्यम से ‘भौतिक मौजूदगी’/ भीड़भाड़ को कम करने का इरादा रखने वाली बैंकों की स्वतः मदद करेंगी।
  2. इस कदम से ऋण प्रवाह को बढ़ावा देने के अलावा, सेवा प्रदाताओं के लिए ग्रामीण बाजार खुल जाएगा।
  3. ऐसी इकाइयाँ, स्थापित करने में बैंक की नई शाखा की तुलना में सस्ती भी होंगी, और प्रौद्योगिकी के माध्यम से बेहतर ग्राहक अनुभव प्रदान कर सकती हैं।
  4. इन इकाइयों को नए जमाने के बैंकों के रूप में भी ‘ब्रांडेड’ किया जा सकता है, और यह नए उपभोक्ताओं को बेहतर तरीके से ब्रांडेड व्यक्तिगत ‘वित्त प्रबंधन उपकरण’ प्रदान करने में मदद कर सकती हैं।
  5. डिजिटल बैंकिंग इकाइयों को तकनीकी उपकरणों के कारण सस्ते रखरखाव हेतु कम कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, और इसलिए ये मूल बैंक के लिए ‘उच्च-लाभ प्रदान करने वाली इकाइयां हो सकती हैं।
  6. यदि कुछ नहीं तो ऐसी और इकाइयाँ, समय की मांग के अनुरूप अधिक वित्तीय साक्षरता और डिजिटल बैंकिंग के प्रति अनुकूल दृष्टिकोण को प्रोत्साहित कर सकती हैं।

भारत में एफडीआई

संदर्भ: भारतीय उद्योग परिसंघ (Confederation Of Indian Industries – CII) और EY द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार-  भारत में अगले 5 वर्षों में 475 बिलियन डॉलर का FDI आकर्षित करने की क्षमता है।

निष्कर्ष:

  • भारत, वर्तमान में 5वां सबसे आकर्षक विनिर्माण गंतव्य है।
  • भारत को वैश्विक और घरेलू आर्थिक वातावरण में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद वित्तीय वर्ष 2022 (सिंगापुर से उच्चतम) (FY22) में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में 58.8 बिलियन डॉलर प्राप्त हुए हैं।

भारतीय उद्योग परिसंघ- (CII)

  • यह एक गैर-सरकारी व्यापार संघ और वकालत समूह है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली, भारत में है। ‘भारतीय उद्योग परिसंघ’ की स्थापना 1895 में हुई थी और यह 1860 के सोसायटी पंजीकरण अधिनियम के तहत पंजीकृत है।

टोकनाइजेशन से ऑनलाइन कार्ड धोखाधड़ी पर रोक

संदर्भ: ऑनलाइन भुगतान में उपयोग किए जाने वाले कार्डों के टोकनाइजेशन के लिए आरबीआई की समय सीमा 30 सितंबर को समाप्त हो गई।

टोकनाइजेशन क्या है?

‘टोकनाइजेशन’ (Tokenisation / Tokenization) का तात्पर्य, एक वास्तविक कार्ड के संवेदनशील विवरण को एक यूनिक कोड वाले टोकन (token) में परिवर्तित करना है। यह एक कार्ड,  एवं ‘टोकन अनुरोधकर्ता’ और डिवाइस का अनोखा संयोजन होता है।

यह ऑनलाइन धोखाधड़ी को किस प्रकार रोकता है?

  • ‘टोकनकृत कार्ड’ (Tokenised Card) से लेनदेन को सुरक्षित माना जाता है, क्योंकि इसमें लेनदेन प्रक्रमण के दौरान ‘वास्तविक कार्ड’ के विवरण को व्यापारी के साथ साझा नहीं किया जाता है।
  • वर्तमान में, ‘टोकनकृत कार्ड’ अनिवार्य नहीं है और जो ग्राहक अपने कार्ड का ‘टोकनाइजेशन’ नहीं करते हैं उन्हें 1 अक्टूबर, 2022 से हर बार लेन-देन करने के लिए अपने कार्ड का विवरण मैन्युअल रूप से दर्ज करना होगा।

कार्ड टोकनाइजेशन के लाभ:

  • बढ़ी हुई सुरक्षा: कार्ड पर उत्पन्न टोकन एक विशिष्ट व्यापारी के एकल कार्ड के लिए अद्वितीय होंगे।
  • जल्दी चेकआउट
  • चूंकि भुगतान के लिए टोकन का उपयोग उच्चतम आदेश की सुरक्षा की पुष्टि करता है, अतः अब और ‘झूठी अस्वीकरण’ नहीं होंगे।
  • आसान कार्ड प्रबंधन
  • भौतिक कार्ड की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि कोई भी व्यक्ति अपने स्मार्टफोन पर कार्ड का वर्चुअल संस्करण रख सकता है

राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सम्मेलन 2022

संदर्भ: हाल ही में ‘राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सम्मेलन’ 2022 (National Intellectual Property Conference 2022) का आयोजन किया गया।

‘बौद्धिक संपदा’ (Intellectual property – IP) का तात्पर्य मस्तिष्क द्वारा की गयी रचनाओं से होता है। ‘बौद्धिक संपदा’ के तहत नवीन, आविष्कारशील विचार, परमाणु ऊर्जा को छोड़कर औद्योगिक अनुप्रयोग वाले आविष्कार; साहित्यिक और कलात्मक कार्य; डिजाइन; और वाणिज्य में उपयोग किए जाने वाले प्रतीक, नाम और चित्र आदि शामिल होते हैं। परमाणु ऊर्जा संबंधी विषय ‘पेटेंट अधिनियम, 1970’ के तहत पेटेंट के पात्र नहीं हैं।

संबंधित मुद्दे:

  • वर्तमान में भारत में ‘बौद्धिक संपदा’ संबंधी कानूनों के ‘सख्त प्रवर्तन’ का अभाव है, ‘बौद्धिक संपदा’ की चोरी बड़े पैमाने पर की जाती है, पेटेंट प्रसंस्करण बोझिल है और बौद्धिक संपदा अपीलीय बोर्ड को समाप्त करने के बाद शिकायत निवारण तंत्र का अभाव है।
  • ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2022 में भारत 130 देशों में 40वें स्थान पर है।

भारत में IPR के लिए पहल:

  • स्टार्ट-अप्स को बौद्धिक संपदा संरक्षण की सुविधा;
  • पेटेंट सुविधा कार्यक्रम;
  • कपिला योजना (पेटेंट दाखिल करने के लिए कॉलेजों / विश्वविद्यालयों के लिए धन);
  • राष्ट्रीय आईपीआर नीति 2016

विश्व खाद्य दिवस

हर साल 16 अक्टूबर को ‘विश्व खाद्य दिवस’ (World Food Day)  मनाया जाता है।  वर्ष 1945 में इसी तारीख को संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (United Nations Food and Agriculture Organisation – FAO) की स्थापना की गयी थी।

  • FAO, संयुक्त राष्ट्र की एक विशेष एजेंसी है जो भुखमरी उन्मूलन के लिए अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों का नेतृत्व करती है।
  • FAO और वर्ल्ड फूड प्रोग्राम द्वारा जारी ‘हंगर हॉटस्पॉट आउटलुक’ 2022-23 में पहले अफगानिस्तान, इथियोपिया, नाइजीरिया, हॉर्न ऑफ अफ्रीका आदि जैसे प्रमुख ‘भुखमरी हॉटस्पॉट क्षेत्रों’ पर प्रकाश डाला गया था।
  • निरंतर भुखमरी के कारण: भू-राजनीतिक अस्थिरता, जलवायु परिवर्तन, आर्थिक भेद्यता, राजनीतिक अस्थिरता और उष्णकटिबंधीय चक्रवात जैसी आपदाएं।

वन नेशन, वन फर्टिलाइजर’ योजना का शुभारंभ

संदर्भ: पीएम मोदी ने दो दिवसीय पीएम किसान सम्मान सम्मेलन 2022 के दौरान ‘प्रधानमंत्री भारतीय जन उर्वरक परियोजना’ का शुभारंभ किया। इस योजना को ‘वन नेशन वन फर्टिलाइजर’  (One Nation, One Fertilizer) के रूप में भी जाना जाता है।

‘एक राष्ट्र एक उर्वरक’ योजना:

  • इस योजना के तहत उर्वरक कंपनियों को एक ही ब्रांड ‘भारत’ (Bharat) के तहत सब्सिडी वाले सभी उर्वरकों का विपणन करना होगा।
  • इस योजना की शुरुआत के साथ, भारत में भारत यूरिया, भारत डीएपी, भारत एमओपी, भारत एनपीके, आदि जैसे पूरे देश में एक साधारण बैग डिजाइन किए जाएंगे।
  • योजना के पीछे तर्क यह है, कि चूंकि एक विशेष श्रेणी के उर्वरकों को ‘उर्वरक नियंत्रण आदेश’ (Fertilizer Control Order – FCO) के पोषक तत्व-सामग्री विनिर्देशों को पूरा करना चाहिए, इसलिए प्रत्येक प्रकार के उर्वरक के लिए विभिन्न ब्रांडों के बीच कोई उत्पाद भिन्नता नहीं होनी चाहिए।
  • इसके अलावा, किसानों द्वारा ब्रांड वरीयता के कारण किसानों को उर्वरक-आपूर्ति में देरी होती है और उर्वरकों की लंबी दूरी की क्रॉस-क्रॉस आवाजाही के लिए भुगतान की जाने वाली माल ढुलाई सब्सिडी में वृद्धि के कारण राजकोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।

योजना की खामियां:

  • यह योजना, उर्वरक कंपनियों को विपणन और ब्रांड प्रचार गतिविधियों को शुरू करने से हतोत्साहित करेगी।
  • सरकार पर दोष: वर्तमान में, उर्वरकों के किसी भी बैग या बैच के आवश्यक मानकों को पूरा नहीं करने की स्थिति में, दोष कंपनी पर लगाया जाता है। लेकिन अब, यह पूरी तरह से सरकार को दिया जा सकता है।

एल्यूमिनियम फ्रेट ट्रेन रेक

संदर्भ: हाल ही में, पहला स्वदेश निर्मित ‘एल्युमीनियम मालगाड़ी का रेक’ (aluminium freight train rake) रेलवे में शामिल किया गया।

  • ट्रेन में ‘रेक’ (Rake) युग्मित यात्री डिब्बों, माल वैगनों, या रेलकारों (लोकोमोटिव को छोड़कर) की एक पंक्ति होती है जो आम तौर पर एक साथ चलती है। एक रेक में लगभग 40 से 58 वैगन जुड़े हो सकते हैं।
  • पहले ये ‘रेक’ स्टील से निर्मित होते थे।

एल्युमिनियम निर्मित ‘रेक’ के निम्नलिखित फायदे हैं:

  • हल्का: अधिक गति, कम ऊर्जा खपत और उच्च माल ढुलाई क्षमता;
  • कम CO2 पदचिह्न;
  • पुन: प्रयोज्य 100%;

इन एल्युमिनियम ‘रेक’ को बेस्को लिमिटेड वैगन डिवीजन और एल्यूमीनियम प्रमुख हिंडाल्को (आदित्य बिड़ला समूह की सहायक कंपनी) के सहयोग से बनाया गया है।

 

बाघ पुनर्वास
संदर्भ: एक बाघ (T-113) को ‘रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य’ से ‘सरिस्का बाघ अभ्यारण्य’ में स्थानांतरित कर दिया गया है, क्योंकि सरिस्का में अधिकांश बाघ वृद्ध हो चुके हैं।

  • इससे पहले, 2005 में ‘सरिस्का बाघ अभ्यारण्य’ में बाघों के गायब होने के बाद, 2008 में पहली बार बाघों को ‘अभ्यारण्य’ फिर से लाया गया था।
  • ‘रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य’ दिन और रात के दौरान सक्रिय बाघों (Diurnal Tigers) के लिए प्रसिद्ध है। आमतौर पर बाघ रात में, यानी केवल रात के दौरान सक्रिय रहते हैं। ‘रणथंभौर बाघ अभ्यारण्य’ चंबल और बनास नदियों से घिरा है।
  • राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) बाघ संरक्षण और पुनर्वास के लिए ‘वन्यजीव संरक्षण अधिनियम’ 1972 के तहत एक वैधानिक निकाय है।

हरित पटाखे

संदर्भ: चंडीगढ़ ने हरित पटाखों (Green crackers) के उपयोग की अनुमति दे दी है।

ग्रीन पटाखों और पारंपरिक पटाखों में अंतर:

  • हरित पटाखे (Green Crackers) और पारंपरिक पटाखे दोनों ही प्रदूषण का कारण बनते हैं और लोगों को इसका इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। हालांकि, फर्क सिर्फ इतना है कि पारंपरिक पटाखों की तुलना में हरे पटाखों से 30 फीसदी कम वायु प्रदूषण होता है।
  • हरित पटाखे उत्सर्जन को काफी हद तक कम करते हैं, धूल को अवशोषित करते हैं, और इनमे बेरियम नाइट्रेट जैसे खतरनाक तत्व नहीं होते हैं। जबकि, पारंपरिक पटाखों में जहरीली धातुओं को कम खतरनाक यौगिकों से बदल दिया जाता है।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा विकसित ग्रीन पटाखे तीन श्रेणियों में आते हैं- SWAS, SAFAL और STAR

  • SWAS – “सेफ वाटर रिलीजर”: इन पटाखों में पानी की छोटी-छोटी पॉकेट/बूंदें होनी चाहिए जो फटने पर वाष्प के रूप में निकलती हैं।
  • स्टार – एक सुरक्षित थर्माइट पटाखा होता है, जिसमें पोटेशियम नाइट्रेट और सल्फर शामिल नहीं है, कम कण निपटान और कम ध्वनि तीव्रता का उत्सर्जन करता है।
  • SAFAL – इन पटाखों में एल्युमीनियम का न्यूनतम उपयोग होता है, और इसके बजाय मैग्नीशियम का उपयोग किया जाता है। यह पारंपरिक पटाखों की तुलना में ध्वनि में कमी सुनिश्चित करता है।

डिफेंस एक्सपो 2022

संदर्भ: गांधीनगर में आयोजित ‘भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता’ (India-Africa Defence Dialogue – IADD) और ‘हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) प्लस कॉन्क्लेव’ में भारत अपने सैन्य हार्डवेयर को विभिन्न देशों के समक्ष पेश करेगा।

भारत का रक्षा निर्यात:

  • सरकार ने 2025 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं और सेवाओं में 5 अरब डॉलर के निर्यात सहित 25 अरब डॉलर या 1,75,000 करोड़ रुपये का विनिर्माण कारोबार हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
  • भारत का रक्षा निर्यात 2021-22 के लिए ₹13,000 करोड़ तक पहुंच गया। इस वित्तीय वर्ष के लिए, रक्षा निर्यात ₹8,000 करोड़ तक पहुंच चुका हैं।
  • पहला ‘भारत-अफ्रीका रक्षा वार्ता’ डिफेंस एक्सपो, वर्ष 2020 में लखनऊ, उत्तर प्रदेश में आयोजित किया गया था और ‘लखनऊ घोषणा को अपनाया गया था।

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