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[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 10th October 2022

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई ललित द्वारा लागू किए गए सुधार
  2. ऑनलाइन गेमिंग के संबंध में नियम
  3. संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के बीच मौतों की बढ़ती संख्या

सामान्य अध्ययन-III

  1. चीन द्वारा देश में निर्धनता में कमी और भारत के लिए इससे सबक

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार
  2. 2,000 साल पुराना ‘रोसेटा स्टोन’
  3. ओडिशा के ‘विधवाओं के गांव’ में जारी संकट पर चिंता
  4. शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर निर्वाचन आयोग द्वारा रोक लगाए जाने का कारण
  5. भारत में कॉर्पोरेट निवेश में गिरावट
  6. ‘जैव विविधता’ को मुख्यधारा में लाने पर वानिकी रिपोर्ट
  7. स्मार्ट अनुबंध
  8. हथियार प्रणाली शाखा
  9. मानचित्रण

 


सामान्य अध्ययन-II


विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।

सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई ललित द्वारा लागू किए गए सुधार

निर्देश: यह एक काफी विस्तृत आर्टिकल है, यहाँ पर केवल मुख्य परीक्षा के उत्तरों में उपयोग किए जाने योग्य ‘विवरण’ दिया गया है।

मुख्य न्यायाधीश द्वारा उठाए गए कदम:

  • संवैधानिक पीठ: भारत के मुख्य नयायाधीश यू यू ललित के द्वारा उच्चतम न्यायालय में पांच संवैधानिक पीठों का गठन किया गया।
  • प्रशासनिक परिवर्तन: मामलों को पारदर्शी और त्वरित तरीके से सूचीबद्ध करने हेतु प्रणाली शुरू की गयी।
  • सभी न्यायाधीशों को अपनी राय व्यक्त करने का अवसर दिया गया है। अब सुप्रीम कोर्ट में बड़े फैसले सभी न्यायाधीशों (फुल कोर्ट) की बैठकों के बाद लिए जाते हैं।
  • संवैधानिक पीठों द्वारा की जाने वाली सुनवाई का सीधा प्रसारण (लाइव-स्ट्रीमिंग)।

संबंधित चिंताएँ:

  • उच्चतम न्यायालय की प्रत्येक पीठ के समक्ष लगभग 60 से 70 मामले सूचीबद्ध होते हैं। इससे सवाल यह उठता है कि क्या न्यायाधीश इतने अधिक काम के दबाव का सामना करने में सक्षम हैं।
  • मामलों को अचानक सूचीबद्ध (listing of cases) किए जाने से वकीलों को अपने मामलों के लिए अपना ‘संक्षिप्त विवरण’ तैयार करने के लिए कम समय मिलता है।

‘संवैधानिक पीठ’ के बारे में:

संविधान के अनुच्छेद 145(3) के अनुसार, “जिस मामले में इस संविधान के निर्वचन के बारे में विधि का कोई सारवान्‌ प्रश्न अतंर्वलित है उसका विनिश्चय करने के प्रयोजन से ‘कम से कम पांच न्यायाधीशों’ की पीठ गठित की जाएगी। ऐसी पीठ को ‘संवैधानिक पीठ’ (Constitution Bench) कहा जाता है।

भारत के मुख्य न्यायाधीश को ‘संवैधानिक पीठ’ का गठन करने और मामलों को संदर्भित करने की शक्ति प्राप्त है।

इंस्टा लिंक्स:

भारत के मुख्य न्यायाधीश

मेंस लिंक:

भारत में उच्च न्यायपालिका के न्यायाधीशों की नियुक्ति के संदर्भ में ‘राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग अधिनियम, 2014’ पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (यूपीएससी 2017)

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  2. भारत के मुख्य न्यायाधीशकी नियुक्ति
  3. राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड रोलिंग
  4. अनुच्छेद 21
  5. प्रथम न्यायाधीशों का मामला
  6. द्वितीय न्यायाधीशों का मामला
  7. तृतीय न्यायाधीश का मामला
  8. राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्त‍ि आयोग

स्रोत: द हिंदू

 

विषय:  कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।

ऑनलाइन गेमिंग से संबंधित नियम

संदर्भ: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा गठित एक टास्क फोर्स ने भारत में ऑनलाइन गेमिंग उद्योग को विनियमित करने के लिए अपनी सिफारिशों सहित एक अंतिम रिपोर्ट तैयार की है।

‘ऑनलाइन गेमिंग’ क्या है?

‘ऑनलाइन गेम’ (Online Game), आंशिक रूप से या मुख्य रूप से इंटरनेट अथवा किसी अन्य उपलब्ध कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से खेले जाने वाले वीडियो गेम होते हैं।

ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) के प्रकार:

  1. ई-स्पोर्ट्स (e-sports): यह सुव्यवस्थित इलेक्ट्रॉनिक स्पोर्ट्स होते हैं, जिसमें पेशेवर खिलाड़ी शामिल होते हैं।
  2. काल्पनिक खेल (Fantasy sports)
  3. अनौपचारिक खेल (Casual games): ये कौशल-आधारित (मानसिक कौशल) या मौका आधारित (पासा फेंकने जैसी यादृच्छिक गतिविधि पर आधारित) ऑनलाइन गेम हो सकते हैं।

भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बाजार:

  • उत्पन्न राजस्व: वर्ष 2025 तक ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र में राजस्व $ 5 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है।
  • वृद्धि: भारत में ‘चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर’ (Compound Annual Growth Rate – CAGR) 2017-2020 के बीच 38% रहने के अनुमान है, जबकि CAGR क्रमशः चीन और अमेरिका में 8% और 10% रह सकती है।

भारत में ‘ऑनलाइन गेमिंग’ पर कानून:

  • राज्य का विषय: ‘ऑनलाइन गेमिंग’ अब तक राज्य का विषय रहा है, लेकिन राज्य सरकारों को अपने राज्य के क्षेत्र में कुछ ऐप्स या वेबसाइटों को ब्लॉक करने- ‘जियो-ब्लॉकिंग’ (geo-blocking) जैसे कुछ नियमों को लागू करना बेहद मुश्किल हो रहा है।
  • प्रयोज्यता का मुद्दा: एक चिंता का विषय है कि एक राज्य में पारित नियम दूसरे राज्य में लागू नहीं होते हैं, जिसके कारण विनियमों में असंगति हुई है।
  • पर्याप्त शक्ति का अभाव: राज्य सरकारों के पास, केंद्र सरकार के समान विदेशी सट्टेबाजी साइटों को ब्लॉक करने का आदेश जारी करने के लिए पर्याप्त अवरोधक शक्तियां नहीं हैं।

ऑनलाइन गेमिंग के प्रसार के साथ उभरने वाले सामाजिक मुद्दे:

  • आत्महत्या की घटनाओं में वृद्धि: ‘ऑनलाइन गेम्स’ पर लोग बड़ी रकम गंवा देते हैं, जिससे देश के विभिन्न हिस्सों में आत्महत्याएं बढ़ रही हैं।
  • अनिश्चितता: ऑनलाइन गेमिंग व्यवसायों में ‘असंगति’ से ‘अनिश्चितता’ उत्पन्न होती है।
  • अन्य चिंताएं: ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करने के लिए वर्तमान में कोई नियामक ढांचा- जैसे कि शिकायत निवारण तंत्र, खिलाड़ी सुरक्षा उपायों को लागू करना, डेटा और बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा करना और भ्रामक विज्ञापनों पर रोक लगाना- मौजूद नहीं है।

टास्क फोर्स की सिफारिशें:

  • ‘ऑनलाइन गेमिंग’ के लिए केंद्रीय स्तर का कानून लागू होना चाहिए।
  • जिन अनौपचारिक खेलों (Casual games) में दांव के रूप में किसी तरह से वास्तविक धन-राशि का प्रयोग नहीं होता है, उन खेलों को ऐसे नियमों के दायरे से बाहर रखा जा सकता है।
  • ऑनलाइन गेमिंग उद्योग के लिए एक नियामक निकाय गठित किया जाना चाहिए।
  • ऑनलाइन स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के तहत निर्धारित ‘तीन स्तरीय विवाद समाधान तंत्र’ के समान एक ‘तंत्र की स्थापना की जाए।
  • प्रत्येक ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म – घरेलू या विदेशी – को भारतीय कानून के तहत शामिल एक विधिसम्मत इकाई होना चाहिए।
  • नियामक निकाय: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (MeitY), ई-स्पोर्ट्स श्रेणी को छोड़कर सभी ऑनलाइन गेमिंग को विनियमित करने के लिए एक नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य कर सकता है। ई-स्पोर्ट्स श्रेणी पर ‘खेल विभाग’ नेतृत्व कर सकता है।
  • ‘सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय’ विज्ञापनों, सामग्री वर्गीकरण से संबंधित आचार संहिता आदि को विनियमित कर सकता है।
  • ‘उपभोक्ता मामले मंत्रालय’ अनुचित व्यापार व्यवहारों के लिए इस क्षेत्र को विनियमित कर सकता है।

‘ऑफशोर बेटिंग ऐप्स’ के बारे में टास्क फोर्स की टिप्पणी:

इत्तफ़ाक़ या संयोग के खेल, जुआ वेबसाइटों, या ऑनलाइन खेले जाने वाले ऐप्स को प्रतिबंधित करने के पहलू पर प्रस्तावित ‘डिजिटल इंडिया अधिनियम’ के तहत इनको ‘निषिद्ध हानिकारक उपयोगकर्ता’ की सूची में शामिल किया जा सकता है।

इंस्टा लिंक:

ऑनलाइन गेमिंग

मेंस लिंक:

  1. इंटरनेट गेमिंग ड्रग्स से भी बदतर हो गया है”। क्या आप सहमत हैं? विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा “गेमिंग डिसऑर्डर” को मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के रूप में शामिल करने की घोषणा के आलोक में इस कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
  2. गेमिंग की लत बच्चों को कैसे प्रभावित करती है? क्या आपको लगता है कि चीन द्वारा हाल ही में गेमिंग पर तीन घंटे की सीमा लागू करना, इससे निपटने का एक अच्छा तरीका है? (150 शब्द)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

विषय:  महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के बीच मौतों की बढ़ती संख्या

संदर्भ: यू.एन. के अंडर सेक्रेटरी-जनरल जीन-पियरे लैक्रोइक्स के अनुसार- सीधे हमलों में, ‘संयुक्त राष्ट्र शांति सेना’ (United Nations Peacekeeping Forces – UNPKF) के बीच मौतों की संख्या बढ़ रही है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

भारत, ‘संयुक्त राष्ट्र शांति सेना’ में सर्वाधिक सैनिक भेजने वाले योगदानकर्ताओं में से एक है, और इसको “ब्लू हेलमेट” अर्थात ‘संयुक्त राष्ट्र शांति सेना’ (UNPKF) के बीच होने वाली मौतों में किसी भी देश की अपेक्षा सबसे ज्यादा मौतों का सामना करना पड़ा है।

मौतों में अचानक वृद्धि के कारण:

  • शांति अभियानों के दौरान बिगड़ता ‘भू-सुरक्षा वातावरण’।
  • संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे वैश्विक निकाय में बढ़ता अविश्वास’।

 

संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने हेतु भारत का 10 बिंदु सूत्र:

  1. स्पष्ट और यथार्थवादी अधिदेश: शांति अभियानों को पर्याप्त संसाधनों के अनुरूप “स्पष्ट और यथार्थवादी अधिदेश” (clear and realistic mandates) दिए जाने चाहिए।
  2. मिशन अधिदेश: अधिदेश का निर्धारण सुरक्षा परिषद द्वारा किए जाने के बजाय, शांति अभियानों में शामिल देशों को एजेंडा निर्धारित करना चाहिए।
  3. शांति स्थापना मिशनों को “उनकी सीमाओं की पूर्णतयः पहचानते हुए “विवेकपूर्ण ढंग से (सावधानीपूर्वक) तैनात किया जाना चाहिए”।
  4. हर संभव प्रयास: “शांतिरक्षकों के विरुद्ध अपराध करने वाले अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाने के लिए हर संभव प्रयास” होने चाहिए।
  5. ऑपरेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक ‘शांति मिशन के नेतृत्व’ और ‘मेजबान राष्ट्र’ के बीच विश्वास और सुचारू समन्वय स्थापित होना चाहिए।
  6. सुरक्षा चुनौतियों पर काबू पाने के लिए शांति अभियानों में उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
  7. सामूहिक प्रयास और प्रदर्शन: मिशन का मूल्यांकन करते समय, मिशन के सभी घटकों- सेना, नागरिकों और उसके नेतृत्व पर विचार किया जाना चाहिए।
  8. आतंकवादी समूहों द्वारा उत्पन्न नागरिकों की असुरक्षा को दूर करने की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मेजबान सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है कि वह अपने क्षेत्र में गैर-राज्य समूहों से नागरिकों की रक्षा करे।
  9. क्षेत्रीय दृष्टिकोण और UNSC सहयोग: सशस्त्र संघर्षों को हल करने और अंतरराष्ट्रीय खतरों के खिलाफ सामूहिक सुरक्षा के निर्माण के लिए क्षेत्रीय दृष्टिकोण और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् का सहयोग अनिवार्य है।
  10. बाहर निकलने की रणनीति: शांति अभियानों को “अपनी शुरुआत से ही, बाहर निकलने की रणनीति” शामिल करना चाहिए।

‘संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान’ क्या होते हैं?

  • 1945 में स्थापित, ‘संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान’ (UN Peacekeeping), संयुक्त राष्ट्र संघ के ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ पीस ऑपरेशन’ तथा ‘डिपार्टमेंट ऑफ़ ऑपरेशनल सपोर्ट’ का एक संयुक्त प्रयास है।
  • प्रत्येक ‘शांति सुरक्षा अभियान’ को ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ द्वारा मंजूरी प्रदान की जाती है।
  • संयुक्त राष्ट्र के शांति रक्षकों में सैनिक, पुलिस अधिकारी और नागरिक कर्मी सम्मिलित हो सकते हैं। शांति रक्षकों के हल्के नीले रंग की बेरी या हेलमेट के कारण इनको प्रायः ‘ब्लू बेरेट्स’ या ‘ब्लू हेलमेट’ के रूप में जाना जाता है
  • शांति स्थापना बलों में सदस्य देशों द्वारा स्वैच्छिक आधार पर शांति सैनिको का योगदान दिया जाता है।
  • शांति अभियानों के नागरिक कर्मचारी, अंतर्राष्ट्रीय सिविल सेवक होते हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र सचिवालय द्वारा भर्ती और तैनात किया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान तीन बुनियादी सिद्धांतों द्वारा निर्देशित होते है:

  1. पक्षकारों की सहमति
  2. निष्पक्षता
  3. अधिदेश की सुरक्षा और आत्मरक्षा के अलावा बल प्रयोग नहीं किया जाएगा।

इंस्टा लिंक्स:

संयुक्त राष्ट्र शांति सेना

मेंस लिंक:

2014 में अफगानिस्तान से ‘अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा सहायता बल’ (ISAF) की प्रस्तावित वापसी इस क्षेत्र के देशों के लिए प्रमुख सुरक्षा निहितार्थों से भरी है। इस तथ्य के आलोक में परीक्षण करें कि भारत अनेक चुनौतियों का सामना कर रहा है और उसे अपने स्वयं के सामरिक हितों की रक्षा करने की आवश्यकता है। (यूपीएससी 2013)

स्रोत: द हिंदू, हिंदुस्तान टाइम्स


सामान्य अध्ययन-III


विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

चीन द्वारा देश में निर्धनता में कमी और भारत के लिए इससे सबक

संदर्भ: पिछले हफ्ते, विश्व बैंक द्वारा ‘वैश्विक गरीबी’ (Global Poverty) पर अपनी नवीनतम रिपोर्ट जारी की गयी। इस रिपोर्ट के अनुसार- कोविड महामारी और यूक्रेन में युद्ध ने गरीबी में कमी के हालिया परिणामो को को पूरी तरह से उलट दिया है।

‘अत्यंत गरीबी’ और इसकी परिभाषा:

विश्व बैंक के अनुसार- 2.15 डॉलर प्रति दिन से कम पर जीने वाला कोई भी व्यक्ति ‘अत्यधिक गरीबी’ (Extreme Poverty) में रहने वाला माना जाता है। 2019 में वैश्विक स्तर पर लगभग 648 मिलियन लोग इस स्थिति में थे।

  • पहली ‘अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा’ (International Poverty Line) – एक डॉलर प्रतिदिन – 1990 में निर्धारित की गयी थी और इसे 1985 की कीमतों के आधार पर तैयार किया गया था।
  • इसके बाद 1993 में इसे 1.08 डॉलर प्रतिदिन, 2005 में 1.25 डॉलर प्रतिदिन और 2011 में 1.90 डॉलर प्रतिदिन तक बढ़ा दिया गया था।
  • डॉलर प्रतिदिन की ‘अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा’ वर्ष 2017 की कीमतों पर आधारित है।

भारत में निर्धनता स्तर पर ‘विश्व बैंक’ की रिपोर्ट: ‘विश्व बैंक’ के अनुसार, भारत सबसे अधिक गरीब लोगों (2020 में 5 करोड़ से अधिक) वाला देश है।

चीन की उपलब्धियां:

विश्व बैंक के अनुसार- वर्ष 1978 से 2019 के बीच चीन ने पिछले 4 दशकों में 76.5 करोड़ लोगों को अत्यधिक गरीबी से बाहर निकला है।

  • वर्ष 2021 में, चीन द्वारा अपने देश ‘अत्यधिक गरीबी’ (Extreme Poverty) का उन्मूलन कर दिए जाने की घोषणा की थी।
  • चीन में ‘जन्म के समय जीवन प्रत्याशा’ 1978 में 66 वर्ष से बढ़कर 2019 तक 77 वर्ष हो गई है।
  • शिशु मृत्यु दर 1978 में 52 से गिरकर 2019 में प्रति हजार शिशुओं पर 6.8 हो गई है।

चीन ने यह उपलब्धि किस प्रकार हासिल की:

निर्धनता उन्मूलन हेतु चीन के दृष्टिकोण से भारत के लिए सीख:

  • स्थानीय प्रयोग के लिए महत्वपूर्ण गुंजाइश के साथ विकेन्द्रीकृत कार्यान्वयन व्यवस्थाओं को शामिल करते हुए प्रभावी शासन।
  • सामंजस्य हासिल करने के लिए स्थानीय सरकारों के बीच उच्च स्तर की प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना।
  • शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा में निवेश।
  • गरीब परिवारों के लिए सामाजिक सुरक्षा नीतियां और सामाजिक सहायता, सामाजिक बीमा, सामाजिक कल्याण और अन्य लक्षित सामाजिक नीतियों में विशिष्ट कार्यक्रम शामिल करना।
  • गरीब क्षेत्रों और गांवों को समग्र रूप से लक्षित करके, गरीब परिवारों पर लक्षित हस्तक्षेपों के एक समूह के लिए क्षेत्र आधारित दृष्टिकोण अपनाना।
  • गरीबी से बचने के साधन के रूप में आर्थिक अवसरों का सृजन करना।

इंस्टा लिंक:

गरीबी और बेरोजगारी

मेंस लिंक:

‘भारत में सरकार द्वारा निर्धनता उन्मूलन के लिए विभिन्न कार्यक्रमों के क्रियान्वयन के बावजूद गरीबी अभी भी विद्यमान है।’ कारण देते हुए स्पष्ट कीजिए। (यूपीएससी 2018)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


अर्थशास्त्र में नोबेल पुरस्कार

  • अर्थशास्त्र में इस साल के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने के लिए फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन सहित अमेरिका के तीन अर्थशास्त्रियों- बेन एस बर्नान्के (Ben S Bernanke), डगलस डब्ल्यू डायमंड (Douglas W Diamond) और फिलिप एच डायबविग (Philip H Dybvig) को चुना गया है।
  • बेन एस बर्नान्के अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व के पूर्व चेयरमैन हैं।
  • यह पुरस्कार इन अर्थशास्त्रियों को ‘बैंकों और वित्तीय संकट पर शोध’ के लिए दिया गया है।
  • इस पुरस्कार के तहत एक करोड़ स्वीडिश क्रोनर (लगभग नौ लाख अमेरिकी डॉलर) का नकद पुरस्कार दिया जाता है।

2,000 साल पुराना ‘रोसेटा स्टोन’

संदर्भ: रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र के लोग ब्रिटेन से दुनिया के अजूबों में शामिल पिरामिड और ममी का राज बताने वाले रोसेटा स्टोन (Rosetta Stone) को वापस करने की मांग कर रहे हैं।

‘रोसेटा स्टोन’ के बारे में:

‘रोसेटा स्टोन’ पत्थर का एक बड़ा स्लैब है जिस पर शिलालेख उत्कीर्ण हैं। इस पर तीन अलग-अलग भाषाओं में ईसा से 196 वर्ष पूर्व का एक शाही आदेश लिखा हुआ है, जिसमें एक नए राजा के राज्याभिषेक का जिक्र है। भाषाविदों ने इसके आधार पर मिस्र के फराओ राजाओं की भाषा को दुनिया को बताया था।

‘रोसेटा स्टोन’ पर प्राचीन भारत में, राजा अशोक द्वारा स्तम्भों या शिलालेखों उत्कीर्ण कराए गए आदेश तथा बुद्ध की शिक्षाओं के संदेश और युद्ध में जीत के बारे में जानकारी, के समान शाही आदेश और जानकारी खुदी हुई है।

रोसेटा स्टोन का महत्व:

  • यह स्टोन, मिस्र की चित्रलिपि को समझने की एक कुंजी है।
  • पुरातात्विक महत्व: यह ​​2000 वर्ष से अधिक पुराना है।

ओडिशा के विधवाओं के गांवमें जारी संकट पर चिंता

संदर्भ:

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने ओडिशा के ‘मदरंगाजोड़ी गांव’ में एक ‘पायरोफिलाइट’ (PYROPHYLLITE) पीसने वाली यूनिट के संपर्क में आने के बाद मरने वाले व्यक्तियों की विधवाओं के बारे में चिंता व्यक्त की है।

प्रमुख बिंदु:

  • कुछ महिलाओं द्वारा इसकी शिकायत किए जाने पर ‘श्रम न्यायालय’ ने उनके लिए मुआवजा दिया गया है।
  • ‘राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग’ के अनुसार – ‘ग्राइंडिंग यूनिट’ में काम करने वालों को धीमी मौत का सामना करना पड़ रहा है।

पायरोफाईलाइट:

  • अन्तःश्वसन: ‘पायरोफिलाइट’ (PYROPHYLLITE) की उच्च सांद्रता यांत्रिक जलन और परेशानी का कारण बन सकती है।
  • न्यूमोकोनियोसिस: क्रिस्टलीय सिलिका की अनुपस्थिति में, पायरोफिलाइट निम्न श्रेणी के न्यूमोकोनियोसिस (Pneumoconiosis) का कारण बन सकता है:

पायरोफाईलाइट के उपयोग: कागज, प्लास्टिक, पेंट, कीटनाशक और दवा उद्योगों में पूरक (filler) के रूप में।

NCST के बारे में:

राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) एक भारतीय संवैधानिक निकाय है जिसे 2003 के संविधान अधिनियम (अनुच्छेद 338 में संशोधन करके और एक नया अनुच्छेद 338A सम्मिलित करके) के माध्यम से स्थापित किया गया था।

 

 शिवसेना के चुनाव चिन्ह पर निर्वाचन आयोग द्वारा रोक लगाए जाने का कारण

संदर्भ: हाल ही में निर्वाचन आयोग ने महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और वर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुटों द्वारा पार्टी के नाम और उसके चुनाव चिन्ह का उपयोग करने पर रोक लगा दी थी।

राजनीतिक दलों को प्रतीक चिह्न आवंटन हेतु प्रक्रिया:

निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार- किसी राजनीतिक दल को चुनाव चिह्न का आवंटन करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  • नामांकन पत्र दाखिल करने के समय राजनीतिक दल / उम्मीदवार को निर्वाचन आयोग की प्रतीक चिह्नों की सूची में से तीन प्रतीक चिह्न प्रदान किये जाते हैं।
  • उनमें से, राजनीतिक दल / उम्मीदवार को ‘पहले आओ-पहले पाओ’ आधार पर एक चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है।
  • किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के विभाजित होने पर, पार्टी को आवंटित प्रतीक/चुनाव चिह्न पर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्णय लिया जाता है।

 

पार्टी का विभाजन होने पर ‘चुनाव चिह्न संबंधी विवाद में निर्वाचन आयोग की शक्तियां:

विधायिका के बाहर किसी राजनीतिक दल का विभाजन होने पर, ‘निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश’, 1968 के पैरा 15 में कहा गया है:

“निर्वाचन आयोग जब इस बात इस संतुष्ट हो जाता है, कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल में दो या अधिक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह हो गए हैं और प्रत्येक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह, उस ‘राजनीतिक दल’ पर दावा करता है, तो ऐसी स्थिति में, निर्वाचन आयोग को, इनमे से किसी एक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह को ‘राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता देने, अथवा इनमे से किसी को भी मान्यता नहीं देने संबंधी निर्णय लेने की शक्ति होगी, और आयोग का निर्णय इन सभी प्रतिद्वंद्वी वर्गों या समूहों के लिए बाध्यकारी होगा”।

  • यह प्रावधान ‘मान्यता प्राप्त’ सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों में होने वाले विवादों पर लागू होता है।
  • पंजीकृत, लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन होने पर, निर्वाचन आयोग आमतौर पर, संघर्षरत गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अदालत जाने की सलाह देता है।

कृपया ध्यान दें, कि वर्ष 1968 से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा ‘चुनाव आचरण नियम’, 1961 के तहत अधिसूचना और कार्यकारी आदेश जारी किए जाते थे।

भारत में कॉर्पोरेट निवेश में गिरावट

संदर्भ: सरकार द्वारा कॉरपोरेट टैक्स (नई विनिर्माण कंपनियों के लिए 30% से 22% और 15% तक) को कम करने के बावजूद, भारत की निवेश दर, औसत के रूप में जीडीपी 2015-16 से 2019-2020 तक वित्त वर्ष 2012 में अपने 39% के शिखर से लगभग 31% तक गिर गई है।

  • कुल निवेश में कॉरपोरेट क्षेत्र का हिस्सा लगभग आधा है, जोकि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 15% है।
  • अर्थव्यवस्था में कुल पूंजी निर्माण में निजी निवेश का हिस्सा लगभग 75% है।

इस गिरावट के कारण:

  • वैश्विक अर्थव्यवस्था का धीमा होना, 2008 के बाद के वैश्विक वित्तीय संकट, और रूस-यूक्रेन युद्ध और यूएस फेड के कड़े होने के कारण मंदी का वर्तमान डर।
  • कृषि क्षेत्र की सुस्त वृद्धि।
  • कॉर्पोरेट क्षेत्र में कम निवेश की भावना।
  • स्थिर सार्वजनिक निवेश: सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान केवल 2.2% के आसपास है।

किए गए सुधार:

  • बजट 2022-23 में, पूंजीगत व्यय का परिव्यय 35.4% बढ़कर चालू वर्ष के 5.54 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 7.50 लाख करोड़ रुपये हो गया।
  • राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन।
  • पीएम गति शक्ति योजना।
  • राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन
  • उत्पादकता बढ़ाने वाले बुनियादी ढांचे में निवेश पर विशेष ध्यान।

 

‘जैव विविधता’ को मुख्यधारा में लाने पर वानिकी रिपोर्ट

संदर्भ: ‘संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन’ (FAO) ने प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और सतत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए नीतियों, रणनीतियों और प्रथाओं में जैव विविधता के विचारों को समाहित करने के उद्देश्य से ‘जैव विविधता’ को मुख्यधारा में लाने पर वानिकी रिपोर्ट जारी की है।

रिपोर्ट की मुख्य सिफारिश:

  • स्वदेशी लोगों के योगदान को मान्यता देना और लाभों के समान बंटवारे को बढ़ाना।
  • प्राकृतिक वनों को ‘वन वृक्षारोपण’ में शामिल किए जाने से रोकना।
  • पौधों और वन्यजीवों की अधिक कटाई पर नियंत्रण।
  • जैव विविधता को मुख्यधारा में लाना।
  • खेती के प्राकृतिक तरीकों को अपनाने के कारण कम उत्पादन के लिए मुआवजा प्रदान करना।
  • जैव विविधता संरक्षण के लिए CSR प्रतिबद्धताओं का प्रयोग।

स्मार्ट अनुबंध

संदर्भ: स्मार्ट अनुबंध (Smart contracts) आपको ब्लॉकचेन पर स्वचालित कार्रवाइयां निष्पादित करने की सुविधा प्रदान करते हैं और ये ‘क्रिप्टो उद्योग’ की रीढ़ होते हैं।

‘स्मार्ट अनुबंध’ या ‘स्मार्ट कांट्रेक्ट’ क्या होते हैं?

  • वितरित लेजर के शीर्ष पर ‘क्रिप्टो पारितंत्र’ स्थापित है, जिसे मोटे तौर पर ‘ब्लॉकचैन’ कहा जाता है। लेनदेन को रिकॉर्ड करने और सत्यापित करने के अलावा, एथेरियम जैसे कुछ क्रिप्टो, ब्लॉकचेन उपयोगकर्ताओं को कारोबार या विशेष कार्रवाइयां शुरू करने की सुविधा प्रदान करते हैं, ये कार्रवाइयां स्वतः निष्पादित होती हैं।
  • इसे ही ‘स्मार्ट अनुबंध’ के रूप में जाना जाता है और इन्हें प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने के लिए ‘प्रोग्रामिंग भाषाएं’ अनिवार्य होती हैं।

‘स्मार्ट कांट्रेक्ट’ पर निर्भर गतिविधियाँ:

क्रिप्टो एक्सचेंज, विकेन्द्रीकृत ऐप (decentralized apps dApps), ऑर्डर की स्वचालित खरीद या बिक्री, और यहां तक ​​​​कि NFT -आधारित गेम अक्सर सुचारू रूप से क्रियान्वित होने के लिए स्मार्ट अनुबंधों पर निर्भर करते हैं।

‘स्मार्ट कांट्रेक्ट’ के विफल होने की स्थिति में:

एक ‘स्मार्ट कांट्रेक्ट’ की विफलता के कारण प्लेटफॉर्म बंद हो सकता है, और कोड का दुरुपयोग पूरे पारितंत्र का अवमूल्यन कर सकता है।

क्रिप्टो के लिए प्रोग्रामिंग की प्रमुख भाषाएं:

  • सी++, जावा, सॉलिडिटी, रस्क, पायथन रोलैंग, पीएचपी, और हास्केल।

हथियार प्रणाली शाखा

संदर्भ: भारतीय वायु सेना ने अपने अधिकारियों के लिए एक नई ‘हथियार प्रणाली शाखा’ (Weapon Systems Branch) की स्थापना की है।

  • इसका उद्देश्य सभी हथियार प्रणाली ऑपरेटरों को एक ही स्ट्रीम के तहत विशेषज्ञ ग्राउंड-आधारित सिस्टम और एयरबोर्न प्लेटफॉर्म में एकीकृत करना है।
  • यह शाखा सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों, दूर से संचालित विमान और ट्विन/एक से अधिक चालक दल वाले विमानों में हथियार प्रणाली ऑपरेटरों की चार विशेष धाराओं में ऑपरेटरों को शामिल करेगी।

महत्व:

  • आजादी के बाद पहली बार वायु सेना में एक नई ‘परिचालन शाखा’ बनाई गई है।
  • नई शाखा से उड़ान प्रशिक्षण पर खर्च कम होने से ₹3,400 करोड़ से अधिक की बचत होगी।
  • यह सभी जमीन आधारित और विशेषज्ञ हवाई हथियारों के ऑपरेटरों को तैनाती के लिए भारतीय वायुसेना के सभी हथियार प्रणाली ऑपरेटरों को एक इकाई के तहत एकीकृत करेगा।
  • शाखा नवीनतम हथियार प्रणालियों को संभालने के लिए विशेष संवर्ग अधिकारियों को शामिल करेगी।

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