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[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 29 September 2022

 

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. बंगाल की खाड़ी का महत्व

सामान्य अध्ययन-III

  1. प्रकृति द्वारा चेतावनी के संकेत के रूप में तटवर्ती राज्यों के लिए हलका धक्का
  2. हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का ‘एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र’

मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (निबंध/नैतिकता)

  1. स्वचलीकरण (Automation) का बैंकों में निचले स्तर की नौकरियों पर प्रभाव

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. सुप्रीम कोर्ट द्वारा दया याचिका का निपटारा करने में केंद्र की विफलता की आलोचना
  2. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में विस्तार
  3. एवीगैस 100 एलएल
  4. रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य
  5. आईएमईआई नंबर
  6. नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
  7. पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एवं इसके आठ सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध
  8. मानचित्रण

सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।

बंगाल की खाड़ी का महत्व

संदर्भ:

बंगाल की खाड़ी (Bay of Bengal) भू-आर्थिक, भू-राजनीतिक और भू-सांस्कृतिक गतिविधियों में वृद्धि का अवलोकन कर रही है।

Current Affairs

बिम्सटेक का चौथा शिखर सम्मेलन (2018):

  • चौथा बिम्सटेक शिखर सम्मेलन (4th BIMSTEC summit) नेपाल के काठमांडू में आयोजित किया गया था।
  • इस शिखर सम्मेलन का मुख्य फोकस ‘क्षेत्रीय संपर्क’ और ‘व्यापार’ को बढ़ाना था।
  • बिम्सटेक-2018 में ‘काठमांडू घोषणा’ को सर्वसम्मति से अपनाया गया था।
  • चौथे बिम्सटेक शिखर सम्मेलन में भारत ने ‘नालंदा विश्वविद्यालय’ में ‘बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र’ (Centre for Bay of Bengal Studies – CBS) खोलने की घोषणा की।

‘बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र’ (CBS) का महत्व:

यह केंद्र निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग की पेशकश करेगा:

  • भू-अर्थशास्त्र और भू-राजनीति
  • पारिस्थितिकी, व्यापार और संपर्क
  • समुद्री सुरक्षा और समुद्री कानून
  • सांस्कृतिक विरासत
  • नीली अर्थव्यवस्था

‘बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र’ समुद्री गतिविधियों के लिए भारत के समग्र ढांचे को मजबूत करेगा।

‘बंगाल की खाड़ी’ का महत्व:

  • ‘बंगाल की खाड़ी’, हिंद महासागर का एक प्रमुख वाणिज्य केंद्र है।
  • ‘पूरब’ और ‘पश्चिम’ को जोड़ती है: यह, व्यापार और संस्कृति के मामले में ‘पूरब’ और ‘पश्चिम’ के बीच एक ‘वाहक’ (conduit) है।
  • प्रमुख समुद्री संचार मार्ग: इससे होकर गुजरने वाले ‘समुद्री संचार मार्ग’ (sea lanes of communication) वैश्विक आर्थिक सुरक्षा के लिए जीवन रेखा हैं। ‘समुद्री मार्ग’ ऊर्जा सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं जो इस क्षेत्र के कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं को शक्ति प्रदान करते हैं।
  • क्षेत्रीय सहयोग: यह समुद्री और ऊर्जा संसाधनों के पर्यावरण के अनुकूल अन्वेषण में अधिक क्षेत्रीय सहयोग का अवसर प्रदान करता है।
  • जैव विविधता: ‘बंगाल की खाड़ी’ में जैव विविधता से परिपूर्ण समुद्री वातावरण मौजूद है। यह पारिस्थितिकी और मत्स्यन क्षेत्र के अस्तित्व के लिए आवश्यक कई दुर्लभ और लुप्तप्राय समुद्री प्रजातियों और मैंग्रोव का वास स्थान है।

वर्तमान मुद्दे:

  • खाड़ी का पारिस्थितिकी तंत्र: ‘बंगाल की खाड़ी’ का पारिस्थितिकी तंत्र व्यापक स्तर पर पर्यावरणीय शोषण और भू-राजनीतिक अशांति के कारण एक अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है।
  • जलवायु परिवर्तन और अन्य समस्याएं: जनसंख्या वृद्धि, परिवर्तित भूमि उपयोग, अत्यधिक संसाधन दोहन, लवणता, समुद्र के स्तर में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं खाड़ी के पर्यावरण पर महत्वपूर्ण दबाव डाल रही हैं।
  • ऑपरेशनल डिस्चार्ज: छोटे और मध्यम फीडर जहाजों से, शिपिंग टकराव, अनजाने में तेल रिसाव, औद्योगिक अपशिष्ट, प्रदूषण आदि खाड़ी क्षेत्र की प्रमुख समस्या बन चुके हैं।
  • गैर-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कूड़ा: गैर-जैव अपघट्य प्लास्टिक कूड़े का संचय खाड़ी के दूषण में योगदान दे रहा है।
  • मैंग्रोव के लिए खतरा: प्रकृति के प्रकोप से सागरीय तटवर्ती क्षेत्रों की रक्षा करने वाले मैंग्रोव वृक्ष पहले से कहीं अधिक खतरे में हैं।

आगे की राह:

  • क्षेत्र का संवहनीय विकास: चुनौतियों और रणनीतियों के बेहतर ज्ञान के लिए और क्षेत्र के संवहनीय विकास के लिए, इन मुद्दों पर अधिक केंद्रित और अंतर्विषयक अध्ययन की आवश्यकता है। जैसेकि ‘बंगाल की खाड़ी अध्ययन केंद्र’ (CBS) की स्थापना।
  • समुद्री पड़ोसियों के बीच साझेदारी का विकास एवं सहयोग: समुद्री क्षेत्र की परस्पर संबंधित और अन्योन्याश्रित प्रकृति, अंतरराष्ट्रीय चरित्र और सभी अधिकारक्षेत्रों के बीच जुड़ाव के लिए ‘समुद्री पड़ोसियों के बीच साझेदारी का विकास एवं सहयोग’ आवश्यक है।
  • समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा में सहयोग का विस्तार: समुद्री संपर्क और समुद्री पारगमन में आसानी पर सहयोग बढ़ाकर, और समुद्री संपर्क क्षेत्र में निवेश की संभावनाओं को बढ़ावा देने पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • तटीय सरकारें: इनको कौशल-निर्माण, अनुसंधान और प्रशिक्षण को समर्थन और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
  • प्रोत्साहन और निवेश: समुद्री मामलों को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने के लिए, और वैकल्पिक जीवन शैली पर स्विच करने पर लोगों का समर्थन करने हेतु प्रोत्साहन और निवेश जुटाने की जरूरत है।

इंस्टा लिंक्स:

मेंस लिंक:

‘मौसम’ परियोजना को अपने पड़ोसियों के साथ संबंध सुधारने के लिए भारत सरकार की एक अनूठी विदेश नीति पहल माना जाता है। क्या परियोजना का कोई रणनीतिक आयाम है? चर्चा कीजिए। (यूपीएससी 2015)

स्रोत: द हिंदू


सामान्य अध्ययन-III


विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।

प्रकृति द्वारा चेतावनी के संकेत के रूप में तटवर्ती राज्यों के लिए हलका धक्का

संदर्भ: पिछले कुछ वर्षों से विश्व के अनेक भागों में बाढ़ की तीव्रता, बारंबारता और तीव्रता में वृद्धि देखी जा रही है।

बाढ़ के हालिया उदाहरण:

  • पाकिस्तान
  • भारत के असम और बिहार राज्य

बाढ़ के कारण उत्पन्न प्रमुख बाधाएं:

  • गरीबी उन्मूलन में बाधा
  • सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों (MDGs) को पूरा करने में बाधा

बाढ़ की भयावहता को समझने में रुकावटें:

  • जल विज्ञान संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान में पारदर्शिता का अभाव।
  • तटवर्ती राज्य द्वारा बाढ़ से संबंधित गतिविधियों से संबंधित जानकारी, उसी बाढ़ से प्रभावित होने वाले अन्य राज्यों के साथ साझा करने में आनाकानी।

प्रचलित अन्तर्राष्ट्रीय कानून:

  • क्षेत्र का उपयोग: साझा प्राकृतिक संसाधन का उपयोग करते हुए किसी भी राष्ट्र / राज्य को अपने क्षेत्र का उपयोग इस तरह से नहीं करना चाहिए, जिससे दूसरे राष्ट्र / राज्य को नुकसान हो।
  • बाध्यकारी दायित्व: सभी राष्ट्रों / राज्यों का यह बाध्यकारी दायित्व है, कि वे इस तरह से जल को नहीं छोड़ेगे, जो नदी-जल के अन्य सह-भागीदारों में बाढ़ का कारण बने।

अन्य प्रक्रियात्मक मानदंड:

  • नियोजित उपायों की अधिसूचना;
  • डेटा और सूचना का आदान-प्रदान;
  • सार्वजनिक भागीदारी।

संयुक्त राष्ट्र जल-प्रवाह अभिसमय (UN Watercourses Convention UNWC) का अनुच्छेद 27:

  • इसके अनुसार- “जल-प्रवाह वाले राष्ट्र/ राज्य (Watercourse States), निजी रूप से और जहां उपयुक्त हो वहां संयुक्त रूप से, अन्य ‘जल-प्रवाह राज्यों’ के लिए हानिकारक स्थितियों को रोकने या कम करने के लिए सभी उचित उपाय करेंगे।“

उरुग्वे नदी पर ‘पल्प मिल्स’ (अर्जेंटीना बनाम उरुग्वे) मामले (2010) पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) की टिप्पणी:

  • अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इस बात को सही ठहराया, कि साझा जल-प्रवाह पर किसी नियोजित उपाय या परियोजनाओं का एक ‘सीमापारीय पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन’ (Transboundary Environmental Impact Assessment – TEIA) आयोजित किया जाना प्रचलित अंतरराष्ट्रीय कानून का हिस्सा है।
  • कार्यवाहक राष्ट्र / राज्य को TEIA के परिणामों के बारे में प्रभावित पक्ष को सूचित करना चाहिए।

ब्रह्मपुत्र और भारत की चिंताएं:

तटवर्ती देश:

  • चीन (ब्रह्मपुत्र के ऊपरी भाग में)
  • भारत
  • बांग्लादेश

संबंधित चिंताएं:

  • पुनरावर्ती विशेषता: मानसून के दौरान, पिछले कई दशकों से असम में बाढ़ आना एक पुनरावर्ती विशेषता रही है।
  • बांध नियंत्रक: पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में “बांध नियंत्रक” के रूप में चीन द्वारा अत्यधिक पानी छोड़े जाने से भविष्य में असम में भयावह बाढ़ की स्थिति पैदा हो सकती है।
  • उप-घाटी का अभाव: ब्रह्मपुत्र के जल प्रबंधन से निपटने के लिए कोई विस्तृत उप-घाटी (sub-basin) या घाटी-स्तरीय तंत्र मौजूद नहीं है।

भारत और चीन निम्नलिखित संधियों के पक्षकार नहीं हैं:

  • अंतर्राष्ट्रीय जल-प्रवाह के गैर-नेविगेशनल उपयोगों के कानून पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (UNWC) 1997;
  • सीमापारीय जल-प्रवाह और अंतर्राष्ट्रीय झीलों के संरक्षण और उपयोग पर संयुक्त राष्ट्र यूरोपीय आर्थिक आयोग (United Nations Economic Commission for Europe – UNECE) 1992 (जल अभिसमय)।

भारत और चीन के बीच 2013 का समझौता ज्ञापन (MoU):

  • जलविज्ञान संबंधी (हाइड्रोलॉजिकल) जानकारी: बाढ़ के मौसम (जून से सितंबर) के दौरान हाइड्रोलॉजिकल जानकारी साझा करना।
  • शहरीकरण और वनों की कटाई: इस समझौता ज्ञापन में, भारत को ‘नदी बेसिन’ के चीनी क्षेत्र में शहरीकरण और वनों की कटाई संबंधी गतिविधियां करने से प्रतिबंधित किया गया है।

भारत, नेपाल और बाढ़ की रोकथाम: कोशी और गंडक नदी घाटियों में बाढ़ एक पुनरावर्ती समस्या है।

बाढ़ की तीव्रता और परिमाण में वृद्धि के कारण:

  • भारी मौसमी वर्षा,
  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण हिमनदों का निवर्तन,
  • मानव-प्रेरित तनाव- जैसे कि नेपाल (तराई) और बिहार के नदी बेसिन क्षेत्र में भूमि उपयोग और भूमि आवरण परिवर्तन।

समझौते: भारत-नेपाल कोशी समझौता 1954 (1966 में संशोधित) का उद्देश्य नदी बेसिन में विनाशकारी बाढ़ को कम करना है।

चुनौती: भारत द्वारा सीमापारीय नदियों के आंकड़ों को गोपनीय जानकारी समझा जाना, सीमा-पारीय बाढ़ चेतावनी प्रणाली विकसित करने में प्रमुख चुनौती है।

आगे की राह:

  • यह महत्वपूर्ण है कि दोनों पड़ोसी देश ‘नदी घाटियों’ को ‘एकल इकाई’ (Single Entities) के रूप में देखें, इससे बेहतर बेसिन और बाढ़ जोखिम प्रबंधन के लिए एक एकीकृत दृष्टिकोण को सुविधाजनक बनाने में मदद मिलेगी।
  • पाकिस्तान में बाढ़ और जलवायु परिवर्तन के दृश्यमान प्रभाव: यह महत्वपूर्ण है कि सभी तटवर्ती राष्ट्रों/राज्यों को ‘नुकसान रहित नियम’ के अनुसार सभी प्रक्रियात्मक कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।
  • जल अभिसमय: इन देशों को UNWC या UNECE जल अभिसमय में एक पक्ष बनने के बारे में भी सोचना चाहिए।

इंस्टा लिंक्स:

मेंस लिंक:

उच्च तीव्रता वाली वर्षा के कारण शहरी बाढ़ की आवृत्ति वर्षों से बढ़ रही है। शहरी बाढ़ के कारणों पर चर्चा करते हुए, ऐसी घटनाओं के दौरान जोखिम को कम करने की तैयारी संबधी तंत्र पर प्रकाश डालिए। (यूपीएससी 2016)

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड का ‘एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र’

संदर्भ: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बेंगलुरु में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) के ‘एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र’ (Integrated Cryogenic Engine Manufacturing Facility – ICMF) का उद्घाटन किया।

  • ‘एकीकृत क्रायोजेनिक इंजन निर्माण केंद्र’ (ICMF), इसरो के लिए रॉकेट निर्माण और इसकी असेंबली के लिए समर्पित केंद्र है। यह केंद्र हाई-थ्रस्ट रॉकेट इंजनों के निर्माण में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगा।
  • 5 जनवरी 2014 को, भारत ने निजी उद्योगों के माध्यम से इसरो द्वारा निर्मित ‘क्रायोजेनिक इंजन’ (cryogenic engine) के साथ GSLV-D5 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था और इसके साथ ही, भारत क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने वाला छठा देश बन गया।

क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी का विकास:

 

‘क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी’ के बारे में:

निम्नतापिकी या प्राशीतनी या क्रायोजेनिक्स (Cryogenics), भौतिकी की वह शाखा है, जिसमें अत्यधिक निम्न ताप (-150°C से कम) उत्पन्न करने व उसके अनुप्रयोगों के अध्ययन किया जाता है। यह, मुख्यतः अंतरिक्ष में भारी वस्तुओं को प्रक्षेपित और स्थापित करने के लिए अत्यधिक निम्न तापमान (-150 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे) पर पदार्थों के उत्पादन और व्यवहार का अध्ययन है।

  • ‘क्रायोजेनिक इंजन’ ठोस और तरल प्रणोदक रॉकेट इंजन जैसे अन्य प्रणोदकों की तुलना में, उपयोग किए जाने वाले ‘प्रति किलोग्राम क्रायोजेनिक प्रणोदक’ के साथ अधिक बल प्रदान करता है, और यह अधिक सक्षम होता है।
  • क्रायोजेनिक इंजन, प्रणोदक के रूप में तरल ऑक्सीजन (LOX) और तरल हाइड्रोजन (LH2) का उपयोग करता है जो क्रमशः -183 डिग्री सेल्सियस और -253 डिग्री सेल्सियस पर द्रवित होते हैं।

‘क्रायोजेनिक ईंधन’ के बारे में:

  • जिन ईंधनों को ‘तरल अवस्था’ में बनाए रखने के लिए बेहद कम तापमान पर संग्रहित करने की आवश्यकता होती है, वे ‘क्रायोजेनिक ईंधन’ (Cryogenic Fuels) होते हैं।
  • इन ईंधनों का उपयोग अंतरिक्ष में संचालित होने वाली मशीनरी, जैसेकि रॉकेट, अंतरिक्ष यान और उपग्रह आदि में किया जाता है, क्योंकि अंतरिक्ष में प्रायः अत्यधिक निम्न तापमान रहने तथा ‘ईधन-दहन’ के लिए आवश्यक वातावरण की अनुपस्थिति के कारण ‘साधारण ईंधन’ का उपयोग नहीं किया जा सकता है। ‘क्रायोजेनिक ईंधन’ प्रायः तरल हाइड्रोजन जैसी तरलीकृत गैसों से बनते हैं।

भारत के लिए क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी का महत्व:

  • अंतरिक्ष कार्यक्रम की उन्नति।
  • वजन में हल्की और किफ़ायती।
  • स्वच्छ प्रौद्योगिकी – क्रायोजेनिक प्रौद्योगिकी ईंधन के रूप में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का उपयोग करती है और उप-उत्पाद के रूप में पानी छोड़ती है।
  • आधुनिक तकनीक में अन्य देशों पर बढ़त।

 

इंस्टा लिंक: क्रायोजेनिक तकनीक के बारे में

मेंस लिंक:

‘क्रायोजेनिक तकनीक’ क्या है? यह भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है और भारत ने इस तकनीक को कैसे हासिल किया है?  चर्चा कीजिए। (10 अंक)

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (निबंध/नैतिकता)


स्वचलीकरण (Automation) का बैंकों में निचले स्तर की नौकरियों पर प्रभाव

आंकड़ों से पता चलता है, कि एटीएम के उपयोग तथा ऑनलाइन एवं मोबाइल लेनदेन में वृद्धि, और नई बैंक शाखाओं की संख्या में कमी से, बैंकों में आने वाले लोगों की संख्या में कमी आई है और इसके परिणामस्वरूप लिपिक कर्मचारियों की संख्या में तेजी से गिरावट आई है।

  • विभिन्न हड़तालें और हाल की समाचार रिपोर्टों के अनुसार, घटती जनशक्ति की समस्या एक ‘विभक्ति बिंदु’ पर पहुंच गई है। वास्तव में, भर्तियों में क्लर्कों और उप-कर्मचारियों की कटौती अधिक स्पष्ट है, जबकि अधिकारियों की संख्या स्थिर बनी हुई है।
  • यह प्रवृत्ति, सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों (PSBs) और निजी क्षेत्र के बैंकों (PVBs) दोनों में देखी गई। हालांकि, यह ध्यान देने योग्य है कि ‘निजी क्षेत्र के बैंकों’ में अधिकारियों की संख्या ‘सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों’ की तुलना में तीन गुना अधिक है।     

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा दया याचिका का निपटारा करने में केंद्र की विफलता की आलोचना

संदर्भ:

सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में करीब 27 साल से मौत की सजा काट रहे ‘बलवंत सिंह राजोआना’ द्वारा दायर दया याचिका पर फैसला करने में सरकार की देरी की आलोचना की।

दया याचिका:

किसी व्यक्ति के लिए जब प्रचलित कानूनों और संविधान के तहत उसके लिए उपलब्ध सभी उपचार समाप्त हो जाते हैं, तो ‘दया याचिका’ (Mercy Petition) का अंतिम उपाय है।

अनुच्छेद 72 के तहत भारत के राष्ट्रपति या अनुच्छेद 161 के तहत राज्य के राज्यपाल के समक्ष ‘दया याचिका’ दायर की जा सकती है।

  • दया याचिका की मांग के लिए, सत्र (ट्रायल) अदालत द्वारा सुनाई गयी मौत की सजा की पुष्टि उच्च न्यायालय द्वारा की जानी चाहिए।
  • ‘मौत की सजा’ प्राप्त अभियुक्त के पास सुप्रीम कोर्ट में अपील करने का विकल्प होता है।
  • अगर सुप्रीम कोर्ट उसकी अपील पर सुनवाई से इनकार करता है या मौत की सजा को बरकरार रखता है, तो अभियुक्त या उसका कोई रिश्तेदार भारत के राष्ट्रपति (अनुच्छेद 72) या राज्य के राज्यपाल (161) को दया याचिका प्रस्तुत कर सकता है।

क्षमा (Pardon): इसमें ‘अपराध’ के लिए व्यक्ति को पूरी तरह से दोषमुक्त / बरी कर दिया जाता है और उसे एक ‘सामान्य नागरिक’ की तरह मुक्त रहने की आजादी मिल जाती है।

केहर सिंह बनाम भारत संघ (1988):

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना मत दोहराते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्वारा ‘क्षमादान देना’, शासनानुग्रह (act of grace) का कार्य है और इसलिए, ‘अधिकार’ के मामले के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है।

 

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना में विस्तार

संदर्भ:

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKY) के माध्यम से ‘गरीबों को मुफ्त राशन उपलब्ध कराने के अपने कार्यक्रम’ को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है।

PM-GKAY के बारे में:

कोविड -19 महामारी के कारण जारी संकट के दौरान, केंद्र सरकार द्वारा प्रभावित आबादी को मुफ्त खाद्यान्न प्रदान करने हेतु ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना’ (PM-GKAY) की घोषणा की गयी थी।

  • यह योजना, गरीबों को कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लड़ने में सहायता करने हेतु जारी किए गए ‘प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज’ (PMGKP) का एक हिस्सा है।
  • इस योजना के कार्यान्वयन हेतु नोडल मंत्रालय ‘वित्त मंत्रालय’ है।
  • इस कल्याणकारी योजना के तहत प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के अंतर्गत शामिल व्यक्तियों सहित राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) (अंत्योदय अन्न योजना और प्राथमिकता वाले परिवार) के तहत शामिल सभी लाभार्थियों को प्रति व्यक्ति प्रति माह 5 किलो खाद्यान्न मुफ्त दिया जाता है।

एवीगैस 100 एलएल

संदर्भ: हाल ही में, केंद्र सरकार ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘एवीगैस 100 एलएल’ (AVGAS 100 LL) को लॉन्च किया है। यह पिस्टन इंजन वाले विमान और मानव रहित एरियल वाहनों के लिए एक विशेष विमानन ईंधन है।

इस ईंधन का विकास ‘इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन’ द्वारा किया गया है।

AVGAS 100 LL के बारे में:

एवीगैस या एविएशन गैसोलीन (Aviation Gasoline) एक विमानन ईंधन है जो विमान में स्पार्क-इग्निटेड दहन इंजनों को शक्ति प्रदान करता है। यह मोटर वाहनों में इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक गैसोलीन (पेट्रोल) से अलग है। पारंपरिक गैसोलीन में टेट्राएथिल लेड होता है, जो इंजन को खटखटाने (समय से पहले प्रस्फोटन) को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक अत्यधिक जहरीला पदार्थ है।

  • एवीगैस, आयातित ग्रेड ईंधन की तुलना में बेहतर प्रदर्शन गुणवत्ता मानकों के साथ उत्पाद विनिर्देशों को पूरा करने वाला एक उच्च-ऑक्टेन विमानन ईंधन है।
  • ‘एवी गैस 100 एलएल’ की देश में उपलब्धता, आयात पर निर्भरता को कम करने और संबंधित लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान करने में मदद करेगी। इस उत्पाद की आंतरिक उपलब्धता से देश कीमती विदेशी मुद्रा बचाने में सक्षम होगा।

 

रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य

संदर्भ: उत्तर प्रदेश कैबिनेट ने चित्रकूट जिले में स्थित ‘रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य’ (Ranipur Wildlife Sanctuary) को राज्य के ‘चौथे बाघ अभयारण्य’ के रूप में घोषित किए जाने की अधिसूचना को मंजूरी दी है।

  • ‘रानीपुर वन्यजीव अभयारण्य’ में अपना कोई बाघ नहीं है। लेकिन निकटवर्ती ‘पन्ना बाघ अभयारण्य’ के बाघों के पगमार्क अक्सर यहाँ देखे जाते हैं। इन दोनों संरक्षित क्षेत्रों के बीच मात्र 150 किमी की दूरी है।
  • भारत में, 72,749 वर्ग किमी क्षेत्र में विस्तारित 50 टाइगर रिजर्व हैं, जो भारत के भौगोलिक क्षेत्र का 2.21 प्रतिशत है।
  • 2018 में NTCA के अनुमान के अनुसार भारत में 2,967 बाघ थे। उत्तर प्रदेश में 173 बाघ थे, जिनमें 107 बाघ दुधवा नेशनल पार्क में और 65 बाघ पीलीभीत नेशनल पार्क में थे।

 

आईएमईआई नंबर

संदर्भ: दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल फोन निर्माताओं के लिए भारत में बने सभी हैंडसेटों की ‘अंतर्राष्ट्रीय मोबाइल उपकरण पहचान’ (IMEI) 15 अंकों की संख्या जो प्रत्येक मोबाइल डिवाइस की विशिष्ट रूप से पहचान करती है – को सरकार के साथ पंजीकृत करना अनिवार्य कर दिया है।

IMEI नंबर क्या है और इसका कार्य क्या है?

IMEI, एक अद्वितीय संख्या है जिसका उपयोग मोबाइल नेटवर्क पर किसी उपकरण की पहचान करने के लिए किया जाता है। इसमें 15 अंक होते हैं और यह फोन की विशिष्ट पहचान की तरह होता है।

  • जब कोई उपयोगकर्ता इंटरनेट का उपयोग करता है या इसके माध्यम से कॉल करता है, तब इस नंबर का उपयोग किसी डिवाइस की पहचान को सत्यापित करने के लिए किया जाता है।
  • डुअल-सिम विकल्प वाले फोन में दो आईएमईआई नंबर – प्रत्येक सिम के लिए एक – होते हैं।
  • IMEI नंबर नेटवर्क प्रदाताओं को किसी डिवाइस के चोरी होने या खो जाने की स्थिति में उसे ट्रैक करने में मदद कर सकता है।

 

नए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

संदर्भ: सरकार ने पूर्व पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान को अगले ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (Chief of Defense Staff CDS) के रूप में नियुक्त किया।

अगला ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS) भारत सरकार, सैन्य मामलों के विभाग के सचिव के रूप में भी कार्य करेगा।

 

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) के बारे में:

वर्ष 1999 में गठित कारगिल समीक्षा समिति द्वारा सुझाए गए अनुसार, ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ (CDS), सरकार के एकल-बिंदु सैन्य सलाहकार (single-point military adviser) होंगे।

  • इनके लिए ‘चार सितारा जनरल’ (Four-star General) का दर्जा प्राप्त होगा।
  • CDS, ‘चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी’ के स्थायी अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं। इस कमेटी में तीनो सशत्र- बालों के प्रमुख सदस्य के रूप में शामिल होते हैं।
  • ‘चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ’ का मुख्य कार्य, भारतीय सेना के तीनो सशत्र-बलो के मध्य अधिक से अधिक परिचालन तालमेल को बढ़ावा देना और अंतर-सेवा संघर्ष को न्यूनतम करना होगा।

आवश्यक शर्तेँ:

  • चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) पद पर नियुक्त व्यक्ति, सेवानिवृत्ति के बाद किसी भी सरकारी पद को धारण करने का पात्र नहीं होगा।
  • CDS के पद से सेवानिवृत्ति के 5 वर्षों बाद तक बिना पूर्व अनुमोदन के किसी भी निजी रोज़गार की अनुमति भी नहीं होगी।

भूमिकाएं और कार्य:

  • CDS, सरकार को ‘सिंगल-पॉइंट सैन्य सलाह’ प्रदान करेगा तथा सशस्त्र बलों के मध्य योजना बनाने, खरीद करने और रसद के संबंध में तालमेल स्थापित करेगा।
  • यह थिएटर कमांड के गठन के माध्यम से स्थल-वायु-समुद्र कार्यवाहियों का समेकन सुनिश्चित करेगा।
  • CDS, प्रधानमंत्री के नेतृत्व में ‘परमाणु कमान प्राधिकरण’ के सैन्य सलाहकार के रूप में भी कार्य करेगा, साथ ही अंतरिक्ष और साइबर स्पेस जैसे नए युद्ध क्षेत्रों को संभालने के लिए त्रि-सेवा संगठनों की कमान का नेतृत्व भी करेगा।
  • वह, रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार और चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (Chiefs of Staff Committee – COSC) के स्थायी अध्यक्ष के रूप में भी कार्य करेगा।
  • CDS, ‘रक्षा अधिग्रहण परिषद’ और ‘रक्षा योजना समिति’ के सदस्य भी होगा।

 

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एवं इसके आठ सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध

संदर्भ:

गृह मंत्रालय ने ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (PFI) और इसके छात्र विंग- ‘कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया’ (CFI) सहित इसके आठ सहयोगी संगठनों को ‘विधिविरूद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम’ (Unlawful Activities (Prevention) Act – UAPA) के तहत एक “गैरकानूनी संगठन” घोषित कर दिया है।

प्रमुख बिंदु:

  • सशक्त राज्य: गृह मंत्रालय ने राज्यों को पीएफआई और उसके प्रमुख संगठनों से जुड़े स्थानों – जहां गैरकानूनी गतिविधि हो रही है- को अधिसूचित करने के लिए शक्ति दिए जाने का आदेश जारी किया है।
  • अचल संपत्तियां : संबंधित जिलाधिकारी इन संगठनों की अचल संपत्तियों की सूची तैयार करेंगे।
  • जिलाधिकारी की अनुमति: कोई भी व्यक्ति जो अधिसूचना की तिथि पर अधिसूचित स्थान का निवासी नहीं था, जिला मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना अधिसूचित क्षेत्र में प्रवेश नहीं करेगा।

मानचित्रण