विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
- स्थापत्य भव्यता – ताजमहल
सामान्य अध्ययन-II
- भारत-नेपाल संबंधों में ताजगी
- गुणवत्तापूर्ण इंजीनियरिंग शिक्षा का अभाव
मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (निबंध/नैतिकता)
- अपने पूर्व माओवादी ससुर द्वारा उड़ाए गए स्कूल में अध्यापन
- हरित अर्थव्यवस्था के लिए परिपक्व
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- सिल्फ़ियोन
- जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ‘शिंजो आबे’ का राजकीय अंतिम संस्कार
- भारत और पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध
- जलदूत ऐप
- सांकेतिक भाषा की शिक्षा
- ‘क्वाड’ से भारत के व्यापार में वृद्धि
- स्टार्ट-अप्स इंडिया इन्वेस्टमेंट के लिए फंड ऑफ फंड्स
- सिम्फोने
- माधव राष्ट्रीय उद्यान
- नीलकुरिंजी फूल
- बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण
- मानचित्रण
सामान्य अध्ययन-I
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
स्थापत्य भव्यता – ताजमहल
संदर्भ: शीर्ष अदालत ने अचंभित कर देने वाले वास्तुकला के उत्कृष्ट उदाहरण और जटिल जालीदार संरचनाओं और डिजाइनों के लिए प्रसिद्ध ‘ताजमहल’ की प्रदूषण के विभिन्न रूपों से सुरक्षा करने में विफलताओं की ओर बार-बार ध्यान आकर्षित किया है।
ताजमहल के बारे में:
- ताजमहल (Taj Mahal) सफेद संगमरमर से निर्मित का एक मकबरा (Mausoleum) है जिसे मुगल बादशाह शाहजहाँ ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था।
- यह ‘यमुना नदी’ के तट पर स्थित है।
- यह मुगल वास्तुकला और भव्यता के शिखर का शानदार प्रतिनिधित्व करता है।
- ताजमहल का निर्माण 1631 से 1648 ईस्वी तक 17 वर्षों की अवधि में पूरा हुआ था।
ताज़ ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) एवं बढ़ता प्रदूषण
- एम.सी. मेहता केस (1996) में सुप्रीम कोर्ट: स्मारक को प्रदूषण से बचाने के लिए, केंद्र सरकार ने ताजमहल के चारों ओर 10,400 वर्ग किमी के क्षेत्र का सीमांकन किया था, जिसे ‘ताज ट्रेपेज़ियम ज़ोन’ (Taj Trapezium Zone – TTZ) कहा जाता है।
- सुप्रीम कोर्ट ने इस क्षेत्र में संचालित 292 उद्योगों को औद्योगिक ईंधन के रूप में प्राकृतिक गैस का उपयोग या उद्योग को इस क्षेत्र से बाहर स्थानांतरित किए जाने का भी निर्देश दिया।
- वर्ष 2010 में, ‘राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान’ (NEERI) द्वारा प्रस्तुत एक रिपोर्ट में पाया गया कि ताज़ ट्रेपेज़ियम ज़ोन (TTZ) क्षेत्र में प्रदूषण को कम करने के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के बावजूद, अनुप्रतीकात्मक ताजमहल को जल और वायु प्रदूषण से खतरा बना हुआ है।
कीड़ों द्वारा किया गया नुकसान:
ताजमहल और आगरा के अन्य स्मारकों में ‘कीट गतिविधियों’ पर एक रिपोर्ट में, मेहता ने कहा कि मुख्य रूप से ताजमहल के उत्तरी हिस्से में एक विशिष्ट प्रकार के कीड़ों की उपस्थिति के कारण संगमरमर के अग्रभाग पर हरे और काले धब्बे विकसित हुए हैं।
अतिरिक्त जानकारी: नक्काशीदार जालियों के बारे में (बीबीसी से)
जाली (Jaali) का शाब्दिक अर्थ है ‘जाल’ (Net)- इसका मध्य और दक्षिण एशिया में इस्तेमाल किया जाता है। सजावटी पैटर्न में संगमरमर या लाल बलुआ पत्थर से तराशी गयी ‘जालियां’ भारत में 16 वीं और 18 वीं शताब्दी के बीच (ताजमहल सहित) एक विशिष्ट वास्तुशिल्प विशेषता थी।
- जयपुर में राजपूत शासकों द्वारा 1799 में निर्मित हवा महल या “विंड पैलेस” में 953 खिड़कियाँ हैं जिनमें जालीदार पट्टियाँ लगाई गयी हैं, जिन्हें ताजी और ठंडी हवा आने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- अब, संवहनीय शीतलन समाधानों की खोज में, आर्किटेक्ट आरामदायक, कम कार्बन वाली इमारतों का निर्माण करने की कोशिशों में इस प्राचीन डिजाइन को पुनर्जीवित कर रहे हैं।
- ‘जाली’ का ‘कूलिंग फीचर’ एयर कंडीशनिंग यूनिट की तरह ही ‘वेंचुरी इफेक्ट’ (Venturi Effect ) पर निर्भर करता है। अर्थात, “जब हवा महीन छिद्रों से होकर गुजरती है, तो यह वेग पकड़ती है और दूर तक प्रवेश करती है। छोटे छिद्रों के कारण, हवा संकुचित हो जाती है और जब छोड़ी जाती है तो यह ठंडी हो जाती है,”।
इंस्टा लिंक: इंडो-इस्लामिक वास्तुकला
मेंस लिंक:
ताजमहल के स्थापत्य और सांस्कृतिक महत्व की चर्चा कीजिए। (10 अंक)
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, बीबीसी
सामान्य अध्ययन-II
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
भारत-नेपाल संबंधों में ताजगी
संदर्भ:
नेपाल निवेश बोर्ड ने कुल 1,200 मेगावाट की ‘पश्चिम सेती और सेती नदी’ (SR6) परियोजनाओं को विकसित करने के लिए भारत के ‘राष्ट्रीय हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन’ (NHPC) लिमिटेड के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
पृष्ठभूमि:
- चीन का पीछे हटना: नेपाल द्वारा भारत को परियोजना प्रदान करने का निर्णय लिए जाने से पहले ही चीन ‘सेती परियोजना’ (Seti project) से हट गया था।
- स्थान-परिवर्तन और पुनर्वास संबंधी मुद्दे: वर्ष 2012 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन में, नेपाल द्वारा चीन की ‘थ्री गोरजेस इंटरनेशनल कॉरपोरेशन’ को परियोजना विकसित करने के लिए सौंपा गया था, लेकिन इस कंपनी ने वर्ष 2018 में स्थान-परिवर्तन और पुनर्वास संबंधी मुद्दों का हवाला देते हुए परियोजना से हाथ खींच लिए।
भारत और नेपाल की अन्य संयुक्त परियोजनाएं:
- महाकाली संधि (6,480 मेगावाट)
- अपर करनाली परियोजना (900 मेगावाट)
- अरुण तीन परियोजनाएं (900 मेगावाट)
इस परियोजना से भारत के लिए लाभ:
- चीन का भू-राजनीतिक प्रभाव: यह परियोजना, भारत को चीनी प्रभाव कम करने और नेपाल में अपनी उपस्थिति को मजबूत करने में मदद करेगी। ‘वेस्ट सेती हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट’ चीन का ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के तहत एक प्रमुख उद्यम था।
- सीमा-पार विनिमय: इस परियोजना में दोनों देशों के बीच सीमा-पार विद्युत आदान-प्रदान को बढ़ाने की क्षमता है।
- बढ़ती ऊर्जा मांग: ‘वेस्ट सेती जलविद्युत परियोजना’ बिजली की कमी को दूर करने के लिए एक अतिरिक्त वैकल्पिक और व्यवहार्य तरीका प्रदान कर सकती है।
इस परियोजना की सफलता के लिए आवश्यक कदम:
- निवेश से संबंधित बाधाएं: प्रारंभिक चरण में निवेश परिदृश्यों, विशेष रूप से एक अनुकूल निवेश वातावरण, वितरण और संचरण नेटवर्क और पुनर्वास और पुनर्वास की लागत का सावधानीपूर्वक अध्ययन करने की आवश्यकता है।
- भारत से बिजली दरों और आपूर्ति के बारे में नेपाल की चिंता: इन चिंताओं को दूर करने के लिए, नए समझौता ज्ञापन (MoU) में, नेपाल को उत्पादन परियोजनाओं से मिलने वाली मुफ्त ऊर्जा के प्रतिशत हिस्से को पहले ही संशोधित करते हुए 10% से 21. 9% कर दिया गया है।
- घरेलू मांग: समझौता ज्ञापन, नेपाल को परियोजनाओं से उत्पादित बिजली को NHPC द्वारा निर्यात बाजार में पूर्ण या आंशिक रूप से बेचने से, पहले घरेलू बाजार में बेचने का अनुरोध करने की अनुमति देता है।
- BBIN ऊर्जा सहयोग: सीमा पार ऊर्जा सहयोग के लिए बांग्लादेश-भूटान-भारत-नेपाल (BBIN) ढांचे के तहत परियोजना को अन्य क्षेत्रीय भागीदारों तक भी बढ़ाया जा सकता है।
इंस्टा लिंक्स:
मेंस लिंक:
उत्पीड़ित और हाशिए पर पड़े राष्ट्रों के नेता के रूप में भारत की लंबे समय से चली आ रही छवि उभरती वैश्विक व्यवस्था में अपनी नई भूमिका के कारण गायब हो गई है” चर्चा कीजिए। (यूपीएससी 2019)
प्रीलिम्स लिंक:
- महाकाली संधि
- अपर करनाली परियोजना
- अरुण तीन परियोजनाएं
- पश्चिम सेती परियोजना
- भारत नेपाल सीमा विवाद मानचित्रण
- ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
गुणवत्तापूर्ण इंजीनियरिंग शिक्षा का अभाव
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा 2022 के लिए ‘राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (National Institutional Ranking Framework – NIRF) रैंकिंग जारी की गयी है।
शीर्ष 200 प्रौद्योगिकी संस्थानों और इंजीनियरिंग कॉलेजों का विश्लेषण एक चिंताजनक तस्वीर प्रस्तुत कर रहा है।
संबंधित मुद्दे:
- कई संस्थानों और इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा नियोजन सबंधी भ्रामक खबरें प्रसारित की जाती है और इसके बाद में ‘फीस’ बढ़ा दी जाती है। ‘कड़ी मेहनत का भुगतान’ और ‘संस्थान मायने रखता है’, जैसी कहानियां संभावित छात्रों को आकर्षित करती हैं और बढ़ती फीस को सही ठहराती हैं।
- इंजीनियरिंग कॉलेजों द्वारा स्पष्टीकरण का अभाव: रिपोर्ट किए गए पैकेज को ‘अमेरिका में डॉलर में दिए जाने वेतन’ को ‘रुपए’ में परिवर्तित करके बताया जाता है, जिसमे ‘रहने की लागत’ ‘क्रय शक्ति समानताएँ’ (Purchasing Power Parity – PPP) का कोई जिक्र नहीं होता है।
- हाथ में आने वाला वेतन: हाथ में आने वाला वेतन (Take-Home Salaries), इन सुर्खियों में उल्लिखित वेतन का केवल एक अंश होता है।
- नौकरी के लिए ‘साइन-ऑन बोनस’: ‘साइन-ऑन बोनस’ को शायद ही कभी अग्रिम भुगतान किया जाता है, इसके बजाय, यह आमतौर पर लगभग 24 महीनों में वितरित किया जाता है।
- दुर्लभ ऑफर: ‘प्लेसमेंट हेडलाइंस’ शायद ही कभी दिखाते हैं कि ऐसे जॉब ऑफर दुर्लभ होते हैं, और केवल कुछ स्नातकों को ही मिल पाते हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय प्लेसमेंट: ‘नियोजन’ (प्लेसमेंट) आमतौर पर ‘अंतर्राष्ट्रीय प्लेसमेंट’ तक और ज्यादातर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र तक ही सीमित होते हैं।
कॉलेजों द्वारा किए जाने वाले भ्रामक विज्ञापन का प्रभाव:
- विचारहीन दौड़: कॉलेजों द्वारा किए जाने वाले भ्रामक विज्ञापन छात्रों को ‘राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों’ में लाने के लिए एक विचारहीन चूहा दौड़ को शुरू कर देते है।
- प्लेसमेंट का पीछा: छात्र अधिमानतः एक ड्रीम पैकेज के साथ सुनिश्चित प्लेसमेंट की पेशकश करने वाले ‘गुणवत्तापूर्ण संस्थानों’ का पीछा करते हैं।
- पूंजीकरण: उपरोक्त सभी कारक, कॉलेजों में स्थानों की कमी के साथ, व्यापार को भुनाने के लिए एक उपजाऊ जमीन बनाते हैं।
- प्रवेश पर ध्यान: अच्छे कॉलेजों में प्रवेश पर ध्यान केंद्रित करने के लिए, बच्चों को अक्सर अपनी पढ़ाई से समय निकालने के लिए मजबूर किया जाता है।
- माता-पिता और साथियों का दबाव: बच्चे अपने माता-पिता और साथियों ने जो सपना देखा है उसे साकार करने के लिए मजबूर होते हैं और डॉक्टर और इंजीनियर बन जाते हैं।
आगे की राह:
- वहनीय कीमत पर इंजीनियरिंग शिक्षा: भारत में कई संस्थान हैं जो सस्ती कीमत पर गुणवत्तापूर्ण इंजीनियरिंग शिक्षा प्रदान करते हैं। व्यापार की भाषा में, यह ‘पैसे की कीमत’ देने की क्षमता होती है।
- तकनीकी उच्च शिक्षा की गुणवत्ता: मौजूदा गुणवत्ता संस्थानों में ‘प्रवेश’ बढ़ाने की गुंजाइश भी सीमित प्रतीत होती है। वर्तमान में, पूरे देश में तकनीकी उच्च शिक्षा की समग्र गुणवत्ता में सुधार करने की आवश्यकता है।
इंस्टा लिंक्स:
मेंस लिंक:
भारत की ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ 2020, सतत विकास लक्ष्य-4 (2030) के अनुरूप है। इसका उद्देश्य भारत में शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन और पुन: उन्मुखीकरण करना था। कथन का समालोचनात्मक परीक्षण करें (यूपीएससी 2020)
स्रोत: द हिंदू
मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (निबंध/नैतिकता)
अपने पूर्व माओवादी ससुर द्वारा उड़ाए गए स्कूल में अध्यापन
बिहार में जमुई जिले के चोरमारा गांव में ‘रंजू देवी’ एक सम्मानित नाम है।
दस साल पहले उसके चरमपंथी ससुर ने गांव के स्कूल की इमारत को उड़ा दिया था, ‘रंजू देवी’ ने उसी स्कूल में बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया है।
- ‘रंजू देवी’ के ससुर, पूर्व माओवादी बालेश्वर कोड़ा ने जून में अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, तब उन्होंने सीआरपीएफ अधिकारियों और जिला प्रशासन से उसे स्कूल में पढ़ाने की अनुमति देने का अनुरोध किया।
- कोड़ा और अन्य चरमपंथियों ने भाकपा (माओवादी) के प्रति निष्ठा के कारण बरहट इलाके के सुदूर जंगल में स्थित स्कूल में विस्फोट कर दिया था।
इस उदाहरण को इस प्रकार दिखाया जा सकता है – समाज को वापस देना, साहस (नक्सल प्रभावित क्षेत्र में अध्यापन), लोक सेवा आदि।
हरित अर्थव्यवस्था के लिए परिपक्व
ओडिशा के नयागढ़ में कोडलपली, सिंदूरिया और आस-पास के गांवों की महिलाओं के लिए ‘जंगल’ घर की तरह हैं; ये महिलाएं भविष्य की अर्थव्यवस्था का निर्माण कर सकती हैं।
- वर्षों से, आदिवासी अधिकारों पर काम करने वाली एक गैर-लाभकारी संस्था ‘वसुंधरा’ की मदद से ब्लॉक और जिला स्तर पर ग्राम संरक्षण समितियों का एक संघ बनाया गया है। इसमें ज्यादातर अधिकारी महिलाएं होती है, और ये समितिया गावों के बीच होने वाले संघर्ष और अन्य मुद्दों को सुलझाने के लिए हर महीने वैठक करती हैं।
- इनके ‘वन-उपयोग’ संबंधी नियम सभी पर लागू होते हैं – जैसेकि ईंधन की लकड़ी केवल रविवार को एकत्र की जानी है; हरे पेड़ नहीं काटे जाएंगे; मानसून के दौरान कोई चराई नहीं होगी; और लघु वनोपज, जैसे बांस, केंदू (या बीड़ी निर्माण में प्रयुक्त तेंदू पत्ते) का संग्रह केवल ग्रामीण परिवारों द्वारा किया जाएगा, बाहरी लोगों द्वारा नहीं, आदि।
- यह शानदार प्रयोग अब एक नए चरण में प्रवेश कर गया है। नवंबर 2021 में, वर्षों के संघर्ष के बाद, 24 गांवों को सामुदायिक वन अधिकार दिए गए हैं। यह ‘वन अधिकार अधिनियम, 2006’ का एक प्रावधान है, जिसके तहत गांवों को सरकारी वनों के उन हिस्सों का अधिकार मिल सकता है जो पारंपरिक रूप से संसाधनों और सुरक्षा के लिए उपयोग किए जाते थे।
- इससे पहले, नयागढ़ जिले के एक गैर-वर्णित गांव ‘मुदुलीगड़िया’ ने राज्य के पहले ‘पारिस्थितिकी-ग्राम’ (Eco-Village) की ख्याति अर्जित की थी।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
सिल्फ़ियोन
संदर्भ: एक रामबाण दवा (cure-all) के रूप में माना जाने वाला ‘सिल्फ़ियन’ (Silphion) नामक एक भूमध्यसागरीय औषधीय पौधा लगभग 2,000 साल पहले रहस्यमय तरीके से गायब हो गया था। एक हालिया अध्ययन में किए गए दावे के अनुसार- यह औषधीय पौधा अभी भी आसपास मौजूद हो सकता है।
‘सिल्फ़ियन’ के बारे में:
- ‘सिल्फ़ियन’ (Silphion) की राल का बड़े पैमाने पर मसाले, इत्र, कामोद्दीपक, गर्भनिरोधक और दवा के रूप में उपयोग किया जाता था। यह पौधा उत्तर-पूर्वी लीबिया के निकट स्थित एक पुराने ग्रीक और बाद में रोमन उपनिवेश प्राचीन ‘साइरेन’ की निर्यात अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण जगह रखता था।
- अध्ययनों के अनुसार, सिल्फ़ियन का उपयोग गोइटर, कटिस्नायुशूल (तंत्रिका दर्द), दांत दर्द, आंतों के विकार, हार्मोनल विकार, मिर्गी, टेटनस, पॉलीप्स (ऊतकों की असामान्य वृद्धि) और घातक ट्यूमर सहित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया गया था।
- इसके डंठल को सब्जी के रूप में खाया जाता था, जबकि जड़ों को कच्चा खाया जाता था। ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि पौधे का उपयोग ‘दलहन’ को संरक्षित करने के लिए भी किया जाता था।
- हो सकता है कि अधिक कटाई की वजह से यह पौधे को विलुप्त हो गया हो।
जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ‘शिंजो आबे’ का राजकीय अंतिम संस्कार
संदर्भ:
प्रधानमंत्री मोदी ने टोक्यो में आयोजित जापान के पूर्व प्रधानमंत्री ‘शिंजो आबे’ के राजकीय अंतिम संस्कार में उनकी दूरदर्शिता को याद किया। हिंद-प्रशांत क्षेत्र को मजबूत करने की बात सबसे पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने व्यक्त की थी।
शिंजो आबे का योगदान:
- भारत-जापान साझेदारी को मजबूत बनाना;
- एक स्वतंत्र, खुले और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की परिकल्पना की कल्पना करना;
- संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ भारत के संबंधों को मजबूत किया;
- जापान-अमेरिका निवारण को फिर से मजबूत करना;
- क्वाड फ्रेमवर्क बनाने के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का सहयोग।
जापान की विदेश नीति में शिंजो आबे के अन्य योगदान:
‘शिंजो आबे’ के बारे में और अधिक पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें।
भारत और पाकिस्तान के साथ अमेरिका के संबंध
संदर्भ: हाल ही में, अमेरिका ने कहा है कि भारत और पाकिस्तान के साथ उसके अलग-अलग संबंध है, और एक-दूसरे से जुड़े हुए नहीं हैं।
प्रमुख बिंदु:
- भारत के विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को उसके F-16 लड़ाकू विमानों के लिए “बनाए रखने और संबंधित उपकरणों” के लिए अमेरिका द्वारा $450 मिलियन की सहायता दिए जाने की आलोचना की।
- अमेरिका ने पाकिस्तान से “कर्ज राहत और पुनर्गठन के कुछ महत्वपूर्ण मुद्दों पर चीन को शामिल करने” के लिए कहा है।
अमेरिका के माध्यम से पाकिस्तान के अनुबंध:
- आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धताएं
- सुरक्षित मार्ग के लिए प्रतिबद्धता
- अफगानिस्तान के नागरिकों के प्रति प्रतिबद्धता
एफ-16 लड़ाकू यान:
- F-16 एक हल्का, सरल और अपेक्षाकृत सस्ता विमान है जो इसे बेहद लोकप्रिय बनाता है।
- इसमें ‘फ्लाई-बाय-वायर’ नियंत्रण प्रणाली है, जो इसकी सबसे नवीन विशेषता है।
- F-16 में, पायलट कंट्रोल स्टिक के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक इनपुट देता है, जिसे एक कंप्यूटर द्वारा पढ़ा जाता है जो इन इनपुट को कंट्रोल सतहों को स्थानांतरित कर देता है। यह सुविधा F-16 को और अधिक फुर्तीला और स्थिर बनाती है।
- प्रत्येक F-16 जेट छह हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों जैसे AIM-9 Sidewinder, AIM-120 AMRAAM, और अन्य ‘हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल’ (AAM) तक ले जाने में सक्षम है।
जलदूत ऐप
संदर्भ: ग्रामीण विकास मंत्रालय और पंचायती राज मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से ‘जलदूत ऐप’ को विकसित किया गया है।
इस ऐप का उपयोग पूरे देश में एक गांव में चयनित 2-3 कुओं के जल स्तर की जानकारी प्राप्त करने के लिए किया जाएगा।
- खुले कुओं में जल स्तर की मैनुअल निगरानी वर्ष में दो बार, 1 मई से 31 मई तक प्री-मानसून जल स्तर के रूप में और 1 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक उसी कुएं के लिए मानसून के बाद के स्तर के लिए मापी जाएगी।
- जलदूत अर्थात जल स्तर मापने के लिए नियुक्त अधिकारियों द्वारा माप के हर अवसर पर ऐप के माध्यम से जियो-टैग की गई तस्वीरें अपलोड किए जायंगे।
- यह मोबाइल ऐप ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से काम करेगा। इसलिए इंटरनेट की कनेक्टिविटी के बिना भी जल स्तर की जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
- यह ऐप देश भर में जल स्तर की निगरानी करने की सुविधा प्रदान करेगा और परिणामी डेटा का उपयोग ग्राम पंचायत विकास योजना और महात्मा गांधी नरेगा योजनाओं के लिए किया जा सकता है।
सांकेतिक भाषा की शिक्षा
संदर्भ: भारत सरकार ने हाल ही में ‘भारतीय सांकेतिक भाषा’ (Indian Sign Language – ISL), मोबाइल ऐप ‘साइन लर्न’ (Sign Learn) को लॉन्च किया है।
- इसका उद्देश्य ‘भारतीय सांकेतिक भाषा’ को बड़े पैमाने पर जनता के लिए आसानी से उपलब्ध कराना है।
- ‘साइन लर्न’ ऐप, भारतीय सांकेतिक भाषा अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र के ‘भारतीय सांकेतिक भाषा शब्दकोश’ पर आधारित है।
‘क्वाड’ से भारत के व्यापार में वृद्धि
संदर्भ: चतुर्पक्षीय सुरक्षा वार्ता (Quadrilateral Security Dialogue – QSD), जिसे आमतौर पर ‘क्वाड’ कहा जाता है, में भारत की सदस्यता से इसे अधिक व्यापार और निवेश प्रवाह से लाभ उठाने का अवसर मिलेगा, क्योंकि चीन पर अपनी निर्भरता कम करने के इच्छुक सदस्यों के बीच आर्थिक संबंधों के गहरे होने की उम्मीद है।
क्वाड में शामिल होने पर भारत को लाभ:
- भारत, अन्य क्वाड देशों से वस्तुओं, मशीनरी और रसायनों सहित माल के लिए एक बढ़ता हुआ गंतव्य बाजार बनने की ओर अग्रसर है।
- यू.एस. और जापान, भारत में सेवाओं, दूरसंचार और सॉफ्टवेयर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के प्रमुख स्रोत बने रहेंगे।
- भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते के परिणामस्वरूप देश में ऑस्ट्रेलिया की उपस्थिति बढ़ेगी।
संबंधित मुद्दे:
- भारत का कारोबारी माहौल और निवेश आकर्षण का स्तर, जोकि अन्य एशिया प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं और अन्य क्वाड सदस्यों की तुलना में ‘कमजोर रहता है’।
- किसी भी मुद्दे पर क्वाड सदस्यों के बीच सामंजस्य की कमी, भारत द्वारा IPEF के ‘व्यापार स्तंभ’ से बाहर निकलना इसका एक प्रमुख उदाहरण है।
‘क्वाड’ के बारे में:
- चतुर्भुज सुरक्षा वार्ता (Quad) भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच अनौपचारिक रणनीतिक वार्ता है जिसका साझा उद्देश्य एक “मुक्त, खुला और समृद्ध” इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को सुनिश्चित करना और समर्थन करना है।
- क्वाड का विचार पहली बार 2007 में जापानी प्रधान मंत्री शिंजो आबे द्वारा रखा गया था, लेकिन इसे 2017 में ही मूर्त रूप दिया जा सका।
स्टार्ट-अप्स इंडिया इन्वेस्टमेंट के लिए फंड ऑफ फंड्स
संदर्भ: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने ‘वैकल्पिक निवेश कोष’ (Alternate Investment Funds -AIF) के लिए 7000 करोड़ से अधिक की प्रतिबद्धता व्यक्त की है। ‘वैकल्पिक निवेश कोष’ (AIF) द्वारा इस धनराशि का इस्तेमाल स्टार्ट-अप्स में निवेश करने के लिए किया जाएगा।
यह सुविधा केवल सेबी-पंजीकृत ‘वैकल्पिक निवेश कोषों’ के लिए उपलब्ध है।
‘वैकल्पिक निवेश कोष’ क्या होता है?
‘वैकल्पिक निवेश कोष’ (Alternative Investment Fund – AIF) में उन ‘संयोजित निवेश कोषों’ को शामिल किया जाता है, जिनका उपयोग उद्यम पूंजी, निजी इक्विटी, हेज फंड, प्रबंधित वायदा कारोबार आदि में निवेश करने के लिए किया जाता है।
- सरल शब्दों में, ‘वैकल्पिक निवेश कोष’ (AIF), निवेश के पारंपरिक तरीकों जैसे स्टॉक, ऋण प्रतिभूतियों आदि से भिन्न प्रकार का निवेश होता है।
स्टार्ट-अप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (Fund of the Fund for Start-Ups) को 2016 में ‘स्टार्टअप इंडिया पहल’ के तहत लांच किया गया था।
- इसका उद्देश्य भारतीय स्टार्ट-अप इकोसिस्टम के लिए घरेलू पूंजी जुटाना है।
- यह स्टार्ट-अप को शुरुआती और शुरुआती चरण में धन प्राप्त करने और विदेशी पूंजी पर उनकी निर्भरता को कम करने में मदद करेगा।
सिम्फोने
संदर्भ:
विश्व पर्यटन दिवस (27 सितंबर) के अवसर पर उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय द्वारा वर्चुअल सम्मेलन ‘सिम्फोने’ (SymphoNE) का आयोजन किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत की अनछुई सुंदरता को प्रदर्शित करने और पूर्वोत्तर क्षेत्र में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए एक रोडमैप बनाना है।
- उत्तर पूर्वी क्षेत्र को ‘यात्रियों के लिए अनदेखा स्वर्ग’ के रूप में जाना जाता है, जिसमें प्राकृतिक सौंदर्य, अद्वितीय संस्कृतियों और प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनों का एक दुर्लभ संयोजन है।
सम्बंधित खबर:
- सरकारी आंकड़ों (भारत पर्यटन सांख्यिकी 2022) के अनुसार, 2020 में 2.74 मिलियन विदेशी पर्यटक भारत आए और 2021 में यह संख्या 1.52 मिलियन थी।
- 2021 में, जिन शीर्ष 15 देशों से विदेशी पर्यटक भारत आए, उनमें यू.एस., यू.के., बांग्लादेश, कनाडा, नेपाल, अफगानिस्तान और ऑस्ट्रेलिया शामिल थे।
- 2019 के दौरान भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या 10.93 मिलियन थी।
माधव राष्ट्रीय उद्यान
संदर्भ:
मध्य प्रदेश के माधव राष्ट्रीय उद्यान (Madhav National Park – MNP) में बाघों को फिर से लाया जा रहा है। बाघ इस उद्यान में अंतिम बार 60 साल पहले देखे गए थे।
‘माधव राष्ट्रीय उद्यान’ के बारे में:
- स्थान: शिवपुरी जिला, मध्य प्रदेश।
- यह मुगल बादशाहों और ग्वालियर के महाराजा का शिकारगाह था।
- पारिस्थितिकी तंत्र: इसमें झीलों (साख्य सागर और माधव सागर), शुष्क पर्णपाती और सूखे कांटेदार जंगलों से मिलकर बना एक विविध पारिस्थितिकी तंत्र है।
- टाइगर कॉरिडोर: यह मध्य भारत और पूर्वी घाट परिदृश्य के रणथंभौर-कुनो-माधव (मध्य प्रदेश और राजस्थान) टाइगर कॉरिडोर का हिस्सा है।
- सहरिया जैसे ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों’ (पीवीटीजी) का वास-स्थान है।
नीलकुरिंजी फूल
संदर्भ: नीलकुरिंजी फूल (Neelakurinji Flower),चिक्कमगलुरु (कर्नाटक) के चंद्रद्रोण पर्वत में 12 वर्षों के बाद खिला है।
फूल के बारे में:
नीलकुरिंजी फूल हर 12 साल में एक बार 1300 से 2400 मीटर की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट (तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक के आसपास के क्षेत्रों) में खिलता है। यह फूल इन जगहों के लिए स्थानिक है।
सम्बंधित खबर:
‘बथुकम्मा फूल उत्सव’ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में सातवाहन कैलेंडर के अनुसार नवरात्रि उत्सव के दौरान मनाया जाता है।
बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (VSHORADS) मिसाइल का सफल उड़ान परीक्षण
- बहुत कम दूरी की वायु रक्षा प्रणाली (Very Short Range Air Defence System – VSHORADS) एक मैन पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है जिसे DRDO के रिसर्च सेंटर इमारत (RCI), हैदराबाद द्वारा अन्य डीआरडीओ प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योग भागीदारों के सहयोग से स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित किया गया है।
- VSHORADS मिसाइल में ‘लघु प्रतिक्रिया नियंत्रण प्रणाली’ (miniaturized Reaction Control System – RCS) और एकीकृत एवियोनिक्स सहित अनेक नवीन प्रौद्योगिकियां शामिल हैं, जिनकी क्षमता परीक्षणों के दौरान सफल सिद्ध हुई हैं।
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