[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 12 September 2022

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-I

  1. स्वामी विवेकानंद के 1893 के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की वर्षगांठ
  2. भारत में बादल फटने का पूर्वानुमान अभी भी भ्रांतिजनक

सामान्य अध्ययन-II

  1. कश्मीर में नागरिक समाज की भागीदारी की आवश्यकता
  2. गोद लेने की थकाऊ प्रक्रिया

सामान्य अध्ययन-III

  1. नवीनतम मानव विकास रिपोर्ट

मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (निबंध/नैतिकता)

  1. ट्रैफिक जाम एवं महत्वपूर्ण सर्जरी करने के लिए तीन किमी की दौड़

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना
  2. भारत और बांग्लादेश के बीच ‘कुशियारा नदी समझौता’
  3. वैश्विक महामारी संधि
  4. भारत में ‘वनों के बाहर वृक्ष’ पहल
  5. शहरी जल-निकाय सूचना प्रणाली
  6. शून्य-उत्सर्जन वाहन संक्रमण परिषद
  7. ऊर्जा संक्रमण के लिए बायोएनेर्जी रिपोर्ट
  8. भारत-प्रशांत आर्थिक प्रारूप (IPEF) की मंत्रिस्तरीय बैठक
  9. पहली बार सिटेसियाई जीवों में ‘एवियन फ्लू’
  10. भारतीय नौसेना का स्टेल्थ फ्रीगेट ‘तारागिरि’
  11. पर्वत प्रहार युद्धाभ्यास
  12. मानचित्रण (चर्चा में)

 


सामान्य अध्ययनI


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

स्वामी विवेकानंद के 1893 के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की वर्षगांठ


संदर्भ: शिकागो में स्वामी विवेकानंद के वर्ष 1893 के असाधारण भाषण को याद करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि, उनके संबोधन ने पूरी दुनिया को भारत की संस्कृति एवं मूल्यों की एक झलक दिखाई थी।

  • 11 सितंबर, 1893 को, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित ‘विश्व धर्म संसद’ (Parliament of the World’s Religions) में अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था, और दुनिया को भारत के मानवीय मूल्यों से परिचित कराया।
  • इस एतिहासिक भाषण के पश्चात उन्हें ‘भारत का चक्रवाती भिक्षु’ (Cyclonic Monk of India) का उपनाम दिया गया।

स्वामी विवेकानंद का प्रारंभिक जीवन एवं योगदान:

  • 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्मे स्वामी विवेकानंद को उनके संन्यास-पूर्व जीवन में नरेंद्र नाथ दत्त के नाम से जाना जाता था।
  • 1893 में, खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने ‘विवेकानंद’ नाम धारण किया था।
  • कहा जाता है, कि स्वामी विवेकानंद ने वेदांत की अवधारणाओं और आदर्शों को पश्चिमी दुनिया में प्रस्तुत किया था। विश्व धर्म संसद में अपने प्रसिद्ध भाषण के बाद वे पश्चिमी देशों में लोकप्रिय हो गए।
  • वह 19वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी रामकृष्ण परमहंस के प्रमुख शिष्य और रामकृष्ण मठ और रामकृष्ण मिशन के संस्थापक भी थे।
  • स्वामी विवेकानंद को भारत में ‘हिंदू धर्म के पुनरुद्धार’ में एक प्रमुख शक्ति और 19वीं शताब्दी के अंत में इसे ‘प्रमुख विश्व धर्म’ की स्थिति में लाने वाले महत्वपूर्ण कारक के रूप में माना जाता है।
  • स्वामी विवेकानंद के जन्मदिन ‘12 जनवरी’ को देश में ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है।
  • उन्होंने ‘नव-वेदांत’, पश्चिमी दृष्टिकोण से हिंदू धर्म की व्याख्या, का प्रचार किया, और वह भौतिक प्रगति के साथ-साथ आध्यात्मिकता के संयोजन में विश्वास करते थे।

उनके द्वारा लिखित पुस्तकें:

‘राज योग’, ‘ज्ञान योग’, और ‘कर्म योग’ उनके द्वारा लिखी गई कुछ पुस्तकें हैं।

इंस्टालिंक्स:

स्वामी विवेकानंद

प्रीलिम्स लिंक:

  1. विश्व धर्म संसद, 1893 के बारे में
  2. हिंदू धर्म में स्वामी विवेकानंद का योगदान।
  3. अब तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आधुनिक धर्म संसद।
  4. रामकृष्ण मिशन के बारे में।

मेंस लिंक:

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में स्वामी विवेकानंद की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। (10 अंक)

स्रोत: दिप्रिंट

 

विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी गतिविधि, चक्रवात आदि।

भारत में बादल फटने का पूर्वानुमान अभी भी भ्रांतिजनक

बादल फटना: परिचय

‘मेघ विस्फोट’ या ‘बादल फटने’ या ‘मूसलाधार वृष्टि’ (Cloudburst) का अर्थ है- कम अवधि में अत्यधिक मात्रा में बारिश होना, जिसमे कभी कभी-कभी ओलों और गरज के साथ मूसलाधार बारिश होती है।

‘भारत मौसम विज्ञान विभाग’ (India Meteorological Department – IMD) द्वारा ‘बादल फटने’ को “लगभग 20 से 30 वर्ग किमी के भौगोलिक क्षेत्र में प्रति घंटे 100 मिमी (या 10 सेमी) से अधिक अप्रत्याशित वर्षा” के रूप में परिभाषित किया गया है।

  • भारत में, ‘बादल फटने’ की घटनाएँ, खासकर मानसून के महीनों के दौरान होती है। मानसून के दौरान दक्षिण-पश्चिमी मानसूनी हवाएँ अपने साथ ‘आर्द्रता’ की प्रचुर मात्रा में देश के आंतरिक भागों में लाती हैं। ये आर्द्रता-पूर्ण हवाएं भूमि पर अभिसरण करती हैं और पर्वतीय भागों के पहाड़ियों से टकरा कर ऊपर उठ जाती है।
  • ‘बादल फटने’ की अधिकांश घटनाएँ हिमालय के ऊबड़-खाबड़ इलाकों, पश्चिमी घाटों और भारत के उत्तरपूर्वी पहाड़ी राज्यों में होती हैं, जहां स्थानीय उच्चावच, पवन प्रणाली और निचले और ऊपरी वातावरण के बीच तापमान प्रवणता, आदि इन घटनाओं को आसान बनाती है।
  • इन क्षेत्रों की भंगुर खड़ी ढलानों पर ‘भारी बारिश’ के कारण भूस्खलन होने लगता है और मलबा बहकर नदियों में गिरता है, जिससे अचानक बाढ़ आ जाती है, तथा बड़े पैमाने पर विनाश और लोगों की जान और संपत्ति का नुकसान होता है।

इंस्टा लिंक्स:

‘बादल फटना’ (Cloudburst)

प्रीलिम्स लिंक:

  1. बादल फटने के कारण।
  2. परिणाम
  3. शमन उपाय

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

कश्मीर में नागरिक समाज की भागीदारी की आवश्यकता

संदर्भ:

घाटी में कश्मीरी पंडितों और अन्य हिंदुओं को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाए जाने से एक बार फिर उनके ‘वापसी के अधिकार’ के साथ-साथ घाटी में रहने वाले अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का सवाल सामने आया है।

प्रधानमंत्री ‘कश्मीर प्रवासियों की वापसी और पुनर्वास योजना’:

इस योजना के तहत, “प्रवासी” कश्मीरी पंडित युवाओं, जिनमें अधिकतर शिक्षक थे, के लिए घाटी में सरकारी पोस्टिंग सृजित की गयी हैं।

संबंधित मुद्दे:

  • हाई-सिक्योरिटी एन्क्लेव: ये सरकारी कर्मचारी सुरक्षित ‘हाई-सिक्योरिटी एन्क्लेव’ (High-Security Enclaves) में रहते हैं।
  • हिंसा की नवीनतम घटनाएं: कश्मीरी पंडित, अपने समुदाय के सदस्यों के खिलाफ हिंसा की नई घटनाओं के कारण अब असुरक्षित महसूस करते हैं।

आवश्यक उपाय:

  • जमीन पर स्थितियां: सरकार कश्मीरी पंडितों के लिए सुरक्षित माहौल बना सकती है, लेकिन व्यक्ति और ‘नागरिक समाज’ (Civil Society) इनके लिए रहने योग्य ‘जमीनी परिस्थितियां’ बना सकते हैं।
  • विश्वास बहाली और गलतियों की स्वीकरोक्ति: व्यक्तियों या समुदायों को अपने दिल में खोजना होगा कि उन्होंने दूसरे के साथ कहाँ अन्याय किया है, और गलतियों को स्वीकार करने और विश्वास बहाल करने के लिए साहस जुटाना होगा।

साझी शहादत का महत्व- पंडित-मुस्लिम संवाद श्रृंखला:

  • दोनों समुदायों के प्रतिभागी: एक पंडित-मुस्लिम संवाद श्रृंखला शुरू की गयी है, जिसमे लोक-बुद्धिजीवी और दोनों समुदायों के अन्य प्रभावशाली व्यक्ति भाग लेते हैं।
  • प्रधान मंत्री की नौकरी योजना: यह संवाद, प्रधान मंत्री की नौकरी योजना (Prime Minister’s job scheme) के शुभारंभ के साथ हुआ था।
  • सामाजिक वातावरण: इन संवादों ने एक सामाजिक वातावरण तैयार किया जिसने कश्मीरी पंडितों को घाटी में सरकारी पोस्टिंग लेने में सक्षम बनाया।
  • कश्मीरी पंडितों का विस्थापन: इन संवादों में 1990 और उसके आसपास की घटनाओं और पंडित समुदाय के विस्थापन को गति देने वाली घटनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया।

निष्कर्ष:

  • कश्मीर में समुदायों के बीच ‘नागरिक समाज’ से जुड़ाव की अत्यंत आवश्यकता है। यह अकेले लोगों के मन में विश्वास पैदा कर सकता है, विश्वास बहाल कर सकता है और अंतर-सामुदायिक बंधनों को मजबूत कर सकता है।
  • गरिमा के साथ शांति से वापसी: यह जुड़ाव भी पंडितों को शांति और सम्मान के साथ लौटने के लंबे समय से पोषित सपने को पूरा करने में सक्षम बना सकता है।

इंस्टा लिंक्स:

कश्मीरी पंडितों का पुनर्वासन: एन्क्लेव या अपनाना

मेंस लिंक:

जम्मू-कश्मीर में ‘जमात-ए-इस्लामी’ पर प्रतिबंध लगाने से आतंकवादी संगठनों की सहायता करने में ओवर-ग्राउंड वर्कर्स (OGWs) की भूमिका पर ध्यान दिया गया। उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में आतंकवादी संगठनों की सहायता करने में OGWs द्वारा निभाई गई भूमिका का परीक्षण कीजिए। ओजीडब्ल्यू के प्रभाव को बेअसर करने के उपायों पर चर्चा कीजिए। (यूपीएससी 2020)

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

दत्तक-ग्रहण की थकाऊ प्रक्रिया

संदर्भ:

नए क़ानून के तहत, गोद लेने / दत्तक-ग्रहण (Adoption)  का आदेश देने की शक्ति अदालतों के बजाय जिला मजिस्ट्रेटों (District Magistrates) को सौंप दी गयी है।

अब न्यायालयों के समक्ष दत्तक-ग्रहण से संबंधित सभी लंबित मामलों को स्थानांतरित किया जाएगा।

‘किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) संशोधन विधेयक, 2021:

‘किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, अर्थात ‘जेजे एक्ट’ की धारा 61: इसके तहत, अधिनियम में “न्यायालय” (Court) शब्द को हटाकर ‘गोद लेने के आदेश’ जारी करने के लिए जिला मजिस्ट्रेटों और अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेटों को अधिकृत किया गया है।

जिला मजिस्ट्रेटों की अधिकारिता:

  1. अधिनियम के तहत जिलाधिकारियों को ‘किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम के सुचारू कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ संकट की स्थिति में बच्चों के पक्ष में समन्वित प्रयास करने के लिए और अधिक अधिकार दिए गए हैं।
  2. अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (ADM) सहित जिला मजिस्ट्रेट (DM) जेजे अधिनियम के तहत, स्वतंत्र रूप से जिला बाल संरक्षण इकाइयों, बाल कल्याण समितियों, किशोर न्याय बोर्डों, विशेष किशोर पुलिस इकाइयों, बाल देखभाल संस्थानों आदि के कामकाज का मूल्यांकन करेंगे।

संशोधित नियमों पर चिंता:

  • मामलों की नए सिरे से शुरूआत: पिछले कई महीनों से अदालतों में पहले से चल रहे मामलों को ‘जिला मजिस्ट्रेटों’ के समक्ष स्थानांतरित करना होगा और प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करना होगा।
  • दत्तक-ग्रहण हेतु पंजीकरण कराने वाले माता-पिता के साथ समस्याएं: इस तरह के आदेश में देरी का मतलब अक्सर यह हो सकता है कि बच्चे को स्कूल में प्रवेश नहीं मिल सकता क्योंकि माता-पिता के पास अभी तक जन्म प्रमाण पत्र नहीं होता है।
  • जागरूकता: माता-पिता और वकीलों का कहना है कि न तो न्यायाधीशों और न ही ‘जिला मजिस्ट्रेटों’ को जेजे एक्ट में बदलाव के बारे में पता है, जिससे सिस्टम में भ्रम पैदा होता है और देरी होती है।

भारत में दत्तक-ग्रहण हेतु प्रकिया:

भारत में ‘दत्तक ग्रहण’ प्रकिया दो कानूनों द्वारा शासित हैं:

  1. हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956: भारत में, कोई भारतीय नागरिक या एक अनिवासी भारतीय (NRI) ‘हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम, 1956 (Hindu Adoption and Maintenance Act, 1956 – HAMA, 1956) के तहत किसी बच्चे को गोद ले सकते हैं। इस क़ानून के तहत, एक “दत्तक होम” समारोह (“Dattaka Hom” Ceremony) या ‘दत्तक-ग्रहण विलेख’ (Adoption Deed) या ‘न्यायालय का आदेश’ अपरिवर्तनीय दत्तक-ग्रहण अधिकार प्राप्त करने के लिए पर्याप्त है।
  2. किशोर न्याय अधिनियम, 2015: माता-पिता को ‘केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण’ (Central Adoption Resource Authority- CARA) के पोर्टल पर पंजीकरण करना होता है जिसके बाद एक विशेष ‘दत्तक ग्रहण एजेंसी’ एक ‘गृह अध्ययन रिपोर्ट’ तैयार करती है।

 

चुनौतियां:

  • दत्तक ग्रहण पूल: नवीनतम आंकड़ों के अनुसार ‘गोद लेने वाले पूल’ (Adoption Pool) में केवल 2,188 बच्चे हैं, जबकि 31,000 से अधिक माता-पिता बच्चे को गोद लेने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
  • अवैध व्यापार: कम उपलब्धता से अवैध व्यापार करने वाले HAMA की खामियों का लाभ उठा सकते हैं।

हेग कन्वेंशन:

हेग कन्वेंशन (Hague Convention). बच्चों और उनके परिवारों को विदेशों में अवैध, अनियमित, समय से पहले या गलत तरीके से गोद लेने के जोखिमों से बचाता है।

निष्कर्ष:

  • बाल-केंद्रित कानूनों की आवश्यकता: अन्य देशों की तरह वैकल्पिक, सक्षम और लिंग-न्यायपूर्ण ” विशेष दत्तक कानून बनाए जाने चाहिए।
  • कदाचार की जाँच: कदाचार की जाँच करने और निगरानी में सुधार करने की आवश्यकता है।

इंस्टा लिंक्स:

चाइल्ड एडॉप्शन रेगुलेटरी अथॉरिटी (CARA)

जेजे संशोधन अधिनियम

मेंस लिंक:

‘राष्ट्रीय बाल नीति’ के मुख्य प्रावधानों की जांच करें और इसके कार्यान्वयन की स्थिति पर प्रकाश डालें। (यूपीएससी 2016)

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

नवीनतम ‘मानव विकास रिपोर्ट’ का विश्लेषण

संदर्भ: हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी ‘मानव विकास रिपोर्ट’, 2022 में छह अलग-अलग ‘मानव विकास सूचियों’ (Human Development Indices) का विवरण दिया गया है।

रिपोर्ट के बारे में महत्वपूर्ण बिंदु:

  • मानव विकास सूचकांक, 2021 (Human Development Index – HDI, 2021) में भारत के अंकों में तीन दशकों में पहली बार लगातार दो वर्षों में गिरावट दर्ज की गयी है और भारत को 191 देशों की सूची में 132वें स्थान पर रखा गया है।
  • इस सूचकांक में चीन 79वें स्थान पर है।
  • 1990 से ‘मानव विकास रिपोर्ट’ (HDR) के संकलित किए जाने के बाद से, अपने इतिहास में पहली बार वैश्विक HDI मूल्य में लगातार दो साल गिरावट दर्ज की गयी है, और इसने पिछले पांच वर्षों में की गयी प्रगति को लगभग मिटा दिया है।

‘मानव विकास रिपोर्ट’ (HDR)  में निम्नलिखित सूचकांको का संकलन होता है:

  1. मानव विकास सूचकांक (HDI)
  2. असमानता-समायोजित मानव विकास सूचकांक (Inequality-adjusted HDI IHDI): IHDI, किसी देश की दीर्घायु, शिक्षा और आय में औसत उपलब्धियों से आगे आकलन किया जाता है, और यह सूचकांक इन उपलब्धियों को देश के निवासियों के बीच वितरिण को दर्शाता है।

असमानता के लिए समायोजित करने पर भारत के HDI 25% की गिरावट हुई है। ऐसा इसलिए है क्योंकि देश में सबसे अमीर 1% आबादी की आय का हिस्सा, सबसे गरीब 40% आबादी की आय से अधिक है।

  1. लैंगिक विकास सूचकांक (Gender Development IndexGDI): इसके तहत, मुख्यतः महिलाओं और पुरुषों के लिए HDI मूल्यों का अनुमान लगाया जाता है और फिर अनुपात का आकलन किया जाता है। ‘लैंगिक विकास सूचकांक’ (GDI) में भारत, विश्व औसत से भी काफी पीछे है।
  2. लैंगिक असमानता सूचकांक (Gender Inequality Index GII) : इसमें तीन आयामों – प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और श्रम बाजार – का उपयोग करते हुए एक समग्र मापक तैयार करके ‘लैंगिक असमानता’ का आकलन किया जाता है। इस सूचकांक में भारत प्रमुख देशों से पीछे है।
  3. बहुआयामी गरीबी सूचकांक (Multidimensional Poverty Index): बहुआयामी गरीबी सूचकांक में विकासशील देशों में नागरिको को स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर में अभावों का आकलन किया जाता है। इस सूचकांक में भी भारत काफी पीछे है।
  4. भूमण्डलीय दबाव-समायोजित मानव विकास सूचकांक (Planetary pressures-adjusted Human Development Index): इसके तहत, अंतर-पीढी असमानता के लिए चिंताओं को प्रतिबिंबित करने के लिए एंथ्रोपोसीन (Anthropocene) युग में भूमण्डलीय दबाव के लिए HDI को समायोजित किया जाता है।

इंस्टा लिंक:

मानव विकास सूचकांक

मेंस लिंक:

लगातार उच्च विकास के बावजूद, मानव विकास सूचकांक के संकेतकों में भारत का प्रदर्शन अभी भी निचले स्तर पर है। संतुलित और समावेशी विकास को दुष्प्राप्य बनाने वाले मुद्दों की जांच कीजिए। (2016)

 

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (नैतिकता/मुख्य)


ट्रैफिक जाम एवं महत्वपूर्ण सर्जरी करने के लिए तीन किमी की दौड़

बेंगलुरु के मणिपाल अस्पताल में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सर्जन डॉ गोविंद नंदकुमार को तत्काल लेप्रोस्कोपिक गॉलब्लैडर सर्जरी करनी थी, लेकिन वे ट्रैफिक जाम में फंस गए थे। समय पर आवश्यक सर्जरी नहीं किए जाने से महिला रोगी की जान को खतरा हो सकता है, इसे देखते डॉ नंदकुमार ने अपनी कार छोड़ दी और आवश्यक सर्जरी को पूरा करने के लिए तीन किलोमीटर की दौड़ लगा दी।

  • डॉक्टर नंदकुमार की टीम ने – जो मरीज को एनेस्थीसिया देने के लिए पहले से ही तैयार थी, उनके ऑपरेशन रूम में प्रवेश करते ही प्रक्रिया शुरू कर दी। डॉक्टर ने जल्दी से सर्जिकल ड्रेस पहनी और इलाज शुरू कर दिया, ऑपरेशन प्रक्रिया अच्छी तरह से चली गई, और रोगी को तुरंत छुट्टी मिल गई।
  • इस उदाहरण का उपयोग कार्य के प्रति समर्पण, कार्य नैतिकता, करुणा आदि को दर्शाने के लिए किया जा सकता है।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना

संदर्भ: हाल ही में, राजस्थान में ‘इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना’ (Indira Gandhi Urban Employment Guarantee Scheme) शुरू की गई है।

उद्देश्य: इस योजना का उददेश्य शहरी क्षेत्र में निवास कर रहे परिवार को कार्य के लिये आवेदन करने पर एक वर्ष में 100 दिवस का गारंटीशुदा रोजगार उपलब्ध करवाकर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

पात्रता: शहरी स्थानीय निकायों की सीमा के भीतर निवास कर रहे 18 से 60 वर्ष के आयु वर्ग के व्यक्ति इस योजना के तहत लाभ के पात्र होंगे।

आय सीमा: कोई आय सीमा नहीं है, हालांकि गरीब और निराश्रित लोगों को वरीयता दी जाएगी।

कार्य श्रेणियाँ:

  • पर्यावरण संरक्षण
  • जल संरक्षण
  • विरासत संरक्षण
  • अतिक्रमण और अवैध बोर्ड आदि हटाना

अन्य राज्यों में इसी तरह की योजनाएं:

  • केरल: ‘अय्यंकाली शहरी रोजगार गारंटी योजना’
  • उड़ीसा: ‘उन्नति के तहत शहरी मजदूरी रोजगार पहल’
  • झारखंड: ‘मुख्यमंत्री श्रमिक योजना’।
  • मध्य प्रदेश: ‘मुख्यमंत्री युवा स्वाभिमान योजना’।

 

भारत और बांग्लादेश के बीच ‘कुशियारा नदी समझौता’

संदर्भ: हाल ही में, ‘कुशियारा नदी’ (Kushiyara River) के जल-बंटवारे पर भारत और बांग्लादेश के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए। ‘कुशियारा’, बराक नदी की एक वितरिका या शाखा-नदी है जो असम से होकर बहती हुई बांग्लादेश में प्रवेश करती है।

कुशियारा समझौता:

इस समझौते के तहत, बांग्लादेश, कुशियारा नदी से 153 क्यूसेक (घन फीट प्रति सेकंड) पानी निकाल सकेगा जिससे सिलहट के किसानों के लिए जल संकट का समाधान होगा।

बांग्लादेश द्वारा इस जल उपयोग किस प्रकार किया जाएगा?

  • सिलहट में ‘रहीमपुर नहर परियोजना’ के माध्यम से कुशियारा का जल प्रवाहित किया जाएगा।
  • ‘रहीमपुर नहर’, कुशियारा नदी से इस क्षेत्र को पानी की आपूर्ति करने का एकमात्र साधन है।

रहीमपुर नहर’ पर भारत की आपत्ति:

सुरक्षा मुद्दे: कुशियारा नदी’ दोनों पक्षों के बीच सीमा बनाती है, ऐसे में ‘रहीमपुर नहर’ के किनारे निर्मित तटबंध और अन्य बुनियादी ढांचे सीमा सुरक्षा में हस्तक्षेप करते हैं।

वैश्विक महामारी संधि

संदर्भ: संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक असमानताओं के निष्पक्ष, दीर्घकालिक समाधान और ‘वैश्विक महामारी संधि’ (Global Pandemic Treaty – GPT) पर वार्ता के पक्ष में मतदान किया है।

पृष्ठभूमि:

WHO ने दिसंबर 2021 में ‘महामारी संधि’ का मसौदा तैयार करने के लिए एक वैश्विक प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति व्यक्त की थी।

‘महामारी संधि’ में निम्नलिखित पहलुओं को शामिल करने की उम्मीद है:

  • उभरते हुए विषाणुओं का डेटा साझाकरण और जीनोम अनुक्रमण;
  • टीकों और दवाओं का समान वितरण;
  • दुनिया भर में संबंधित शोध।

 

भारत में ‘वनों के बाहर वृक्ष’ पहल

संदर्भ: हाल ही में, ‘पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय’ (MoEFCC) और ‘यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ (USAID) द्वारा पारंपरिक जंगलों के बाहर 28 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में वृक्षावरण का विस्तार करने के उद्देश्य से “भारत में ‘वनों के बाहर वृक्ष’ पहल” (Trees Outside Forests (TOF) in India Initiative) शुरू की गयी थी।

  • भारत में, भारतीय वन सर्वेक्षण (FSI) द्वारा ‘वनों के बाहर वृक्षों’ (Trees Outside Forests – TOF) को ‘किसी भी आकार के अधिसूचित वन क्षेत्रों के बाहर उगने वाले सभी वृक्षों’ के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • लाभ: कार्बन पृथक्करण (Carbon Sequestration) में वृद्धि, स्थानीय समुदायों के लिए सहयोग और जलवायु अनुकूलन को मजबूत करना।
  • कार्यान्वयन: सात राज्यों – आंध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश में, किसानों, कंपनियों और निजी संस्थानों के बीच साझेदारी के माध्यम से।
  • भारत में ‘वनों के बाहर वृक्ष’ (TOF) मुख्य रूप से निजी भूमि पर उगते हैं और ये देश में उद्योग और घरेलू लकड़ी के ईंधन के लिए लकड़ी का मुख्य स्रोत हैं। देश का कुल वन और वृक्ष आवरण देश के भौगोलिक क्षेत्रफल का 24.62 प्रतिशत है।

 

शहरी जल-निकाय सूचना प्रणाली

संदर्भ: हाल ही में, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय (MoHUA) द्वारा ‘राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर’, हैदराबाद की मदद से, शहरों में उचित जल प्रबंधन योजना के लिए जल निकायों के उपग्रह चित्र प्रदान करने के लिए एक पोर्टल ‘शहरी जल-निकाय जानकारी प्रणाली’ / ‘अर्बन वाटरबॉडी इंफॉर्मेशन सिस्टम’ (UWAIS) शुरू किया गया।

‘इंडिया वाटर पिच-पायलट-स्केल स्टार्ट-अप चैलेंज’ के तहत चयनित स्टार्ट-अप्स को जल प्रबंधन और कायाकल्प के लिए काम करने के लिए प्रत्येक को 20 लाख तक की वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

 

शून्य-उत्सर्जन वाहन संक्रमण परिषद

संदर्भ: हाल ही में, नीति आयोग ने ‘शून्य-उत्सर्जन वाहन संक्रमण परिषद’ (Zero-Emission Vehicle Transition Council – ZEVTC) के ‘चौथे मंत्रिस्तरीय संवाद’ में भारत का नेतृत्व किया।

ZEVTC के बारे में:

‘शून्य-उत्सर्जन वाहन संक्रमण परिषद’ (ZEVTC), शून्य-उत्सर्जन वाहनों (zero-emission vehicles – ZEVs) के लिए वैश्विक संक्रमण की गति में तेजी लाने के लिए 2020 में गठित एक ‘वैश्विक मंच’ है।

वस्तुस्थिति: वैश्विक मानवजनित CO2 उत्सर्जन में कारों, वैन, बसों और ट्रकों का 21% योगदान है। शून्य-उत्सर्जन वाहन (ZEV) वाहन अपने पूरे जीवन चक्र में ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को 80% तक कम कर सकते हैं।

 

ऊर्जा संक्रमण के लिए बायोएनेर्जी रिपोर्ट

संदर्भ: हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (International Renewable Energy Agency – IRENA) द्वारा ने “ऊर्जा संक्रमण के लिए बायोएनेर्जी: संवहनीयता सुनिश्चित करने और बाधाओं पर नियंत्रण रिपोर्ट” (Bioenergy for the energy transition: ensuring sustainability and overcoming barriers report) जारी की गयी। जिसका उद्देश्य ‘संवहनीय बायोएनेर्जी विकास’ की स्थिति की जानकारी प्रदान करना है।

  • बायोएनेर्जी: ‘जैविक उर्जा’ या बायोएनेर्जी (Bioenergy) नवीकरणीय / अक्षय ऊर्जा का एक रूप होती है, जोकि ‘जैव ईंधन’ / ‘बायोमास ईंधन’ (Biomass Fuel) का दहन करने से उत्पन्न होती है। वर्तमान में, बायोएनेर्जी का दुनिया भर में कुल नवीकरणीय ऊर्जा खपत का दो-तिहाई योगदान है।
  • लाभ: ‘जैविक उर्जा’ के आधुनिक अनुप्रयोग- बिजली उत्पादन, इमारतों में हीटिंग, परिवहन ईंधन या औद्योगिक उपयोग में काम आ सकते हैं। ये ऊर्जा संक्रमण में, विशेष रूप से सीमित नवीकरणीय विकल्पों वाले क्षेत्रों में भी प्रमुख भूमिका निभा सकती है।
  • संबंधित मुद्दे: बायोएनेर्जी- नकारात्मक पर्यावरणीय, सामाजिक और आर्थिक प्रभाव जैसे जैव विविधता हानि, खाद्य असुरक्षा और वनों की कटाई का कारण बन सकती है।

समाधान:

  • देशों को स्थानीय संदर्भों के अनुरूप मजबूत नीतिगत ढांचे की जरूरत है।
  • विभिन्न राजनीतिक, वित्तीय, तकनीकी और आपूर्ति श्रृंखला संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए नीतिगत उपायों की भी तत्काल आवश्यकता है।
  • बायोएनेर्जी के लिए क्रॉस-सेक्टर समन्वय।
  • सतत विकास लक्ष्यों के साथ बायोएनेर्जी नीति-निर्माण का एकीकरण।

 

IRENA के बारे में:

अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी (IRENA) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जिसका कार्य सहयोग, ज्ञान को आगे बढ़ाने और अक्षय / नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने और सतत उपयोग को बढ़ावा देना है।

  • स्थापना: 2009
  • मुख्यालय: बॉन (जर्मनी)
  • इसमें 168 सदस्य शामिल हैं। भारत IRENA का 77वां संस्थापक सदस्य है।
  • IRENA, छोटे द्वीप देशों के ऊर्जा संक्रमण प्रयासों में सहयोग करने के लिए ‘लघु द्वीपीय विकासशील राष्ट्र’ (SIDS) लाइटहाउस पहल का समन्वय भी करता है।

 

भारत-प्रशांत आर्थिक प्रारूप (IPEF) की मंत्रिस्तरीय बैठक

संदर्भ: हाल ही में, भारत-प्रशांत आर्थिक प्रारूप (Indo-Pacific Economic framework – IPEF) की मंत्रिस्तरीय बैठक संपन्न हुई।

‘इंडो-पैसिफिक इकॉनोमिक फ्रेमवर्क’ (IPEF) के बारे में:

यह ‘भारत-प्रशांत क्षेत्र’ में 14 देशों का अमेरिका के नेतृत्व वाला आर्थिक समूह है, जिसका उद्देश्य चीनी आक्रामक और गैर-पारदर्शी व्यापार और आर्थिक नीतियों का मुकाबला करना है।

वर्ष 2021 में घोषित, ‘इंडो-पैसिफिक इकॉनोमिक फ्रेमवर्क’ (IPEF) के अन्य उद्देश्य परस्पर सहयोग के लिए ‘क्षेत्रीय मानक’ निर्धारित करना, तथा इसमें ‘दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ’ (ASEAN) अर्थात ‘आसियान’ के सदस्य देशों को शामिल करना हैं।

  • IPEF का निर्माण, क्षेत्रीय अर्थव्यवस्थाओं को वैकल्पिक आपूर्ति श्रृंखलाओं की ओर ले जाकर, चीन की बाजार से “अलग” होने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए किया गया है।

सदस्य: चार क्वाड देश, दक्षिण कोरिया, न्यूजीलैंड, फिजी और आसियान समूह के सात सदस्य देश। (मानचित्र देखें)

‘इंडो-पैसिफिक इकॉनोमिक फ्रेमवर्क’ के चार “स्तंभ”:

  1. निष्पक्ष और अनुकूलित व्यापार (श्रम, पर्यावरण और डिजिटल मानकों सहित सात उप-विषयों को शामिल करते हुए)
  2. आपूर्ति श्रृंखला अनुकूलन
  3. इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्वच्छ ऊर्जा और डीकार्बोनाइजेशन
  4. कर और भ्रष्टाचार-रोधी

मंत्रिस्तरीय बैठक के परिणाम:

भारत आपूर्ति श्रृंखला, कर और भ्रष्टाचार विरोधी और स्वच्छ ऊर्जा से संबंधित चार स्तंभों में से तीन में शामिल हो गया है, लेकिन “निष्पक्ष और अनुकूलित व्यापार” स्तंभ में शामिल नहीं हुआ क्योंकि भारत को पर्यावरण, श्रम, डिजिटल व्यापार और सार्वजनिक खरीद पर आवश्यक प्रतिबद्धताओं के प्रति आशंका है।

पहली बार सिटेसियाई जीवों में ‘एवियन फ्लू’

संदर्भ: फ्लोरिडा नहर में मृत पाई गई एक ‘बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन’ को ‘बर्ड फ्लू’ के अत्यधिक संक्रामक उपभेद ‘यूरेशियन H5N1’ से संक्रमित पाया गया।

  • इस विषाणु संक्रमण अन्य समुद्री स्तनधारियों में पोरपोइज़ और व्हेल (जिन्हें सिटेसियाई कहा जाता है) में भी पाया गया है।
  • सिटेसियाई (Cetaceans) जीवों को समुद्री स्वास्थ्य का प्रहरी कहा जाता है क्योंकि यह समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य में अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
  • हालाँकि, विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि मनुष्यों के लिए ‘एवियन फ्लू’ का जोखिम कम रहता है, लेकिन नई प्रजातियों में वायरस का प्रसार वन्यजीवों के लिए संभावित जोखिम पैदा करता है और वायरस को, स्तनधारी मेजबानों में उत्परिवर्तन करने और अनुकूलित होने के नए अवसर प्रदान करता है।

भारतीय नौसेना का स्टेल्थ फ्रीगेट ‘तारागिरि’

हाल ही में, प्रोजेक्ट 17ए (Project 17A) के पांचवें स्टेल्थ फ्रीगेट ‘तारागिरी’ को लॉन्च किया गया।

‘तारागिरी’ के बारे में:

‘तारागिरी’ पोत को लगभग 3510 टन के प्रक्षेपण भार के साथ लॉन्च किया जा रहा है।

  • मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) द्वारा बनाए जाने वाले चार युद्धपोतों की कतार में यह तीसरा पोत है।
  • इसे भारतीय नौसेना के ‘इन-हाउस डिज़ाइन संगठन – ‘ब्यूरो ऑफ़ नेवल डिज़ाइन’ द्वारा डिज़ाइन किया गया है।

प्रोजेक्ट 17ए के बारे में:

  • प्रोजेक्ट 17ए की शुरुआत वर्ष 2015 में हुई थी, इसमें 50,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सात स्टील्थ फ्रिगेट का निर्माण शामिल है।
  • इन सात में से, तीन युद्धपोतों का अनुबंध GRSE (कोलकाता) को दिया गया था, जबकि अन्य चार युद्धपोतों का अनुबंध मुंबई में स्थित सरकारी स्वामित्व वाली ‘मझगांव डॉक्स लिमिटेड’ (एमडीएल) को दिया गया था।

फ्रिगेट और विध्वंसक पोतों में अंतर:

फ्रिगेट (Frigates) आमतौर पर ‘संचार की समुद्री लाइनों की रक्षा’ के लिए या स्ट्राइक ग्रुप के सहायक घटक के रूप में एस्कॉर्ट जहाजों के रूप में उपयोग किए जाते हैं, जबकि विध्वंसक (Destroyers) आमतौर पर ‘वाहक युद्ध समूहों’ में वायु रक्षा घटक के रूप में एकीकृत होते हैं या क्षेत्रीय, वायु और मिसाइल सुरक्षा प्रदान करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।

पर्वत प्रहार युद्धाभ्यास

संदर्भ: हाल ही में, 14,000 फीट की ऊंचाई पर लद्दाख पठार में पर्वत प्रहार युद्धाभ्यास (Exercise Parvat Prahar) का आयोजन किया गया था। इस युद्धाभ्यास  में चिनूक हेवी लिफ्ट हेलीकॉप्टरों और K9-वज्र हॉवित्जर ने भाग लिया।

इसके साथ ही पश्चिमी मोर्चे पर, ‘गगन स्ट्राइक युद्धाभ्यास’ (Exercise Gagan Strike) का समापन ‘स्ट्राइक कोर’ द्वारा गहन अभियानों में सहयोग करने वाले आक्रामक हेलीकाप्टरों के एक ‘अग्नि शक्ति प्रदर्शन’ के साथ हुआ।

 

मानचित्रण (चर्चा में)