विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
- पुट्टस्वामी मामला और एक मूल अधिकार का धुंधला होता हुआ वादा
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत द्वारा रूस के खिलाफ मतदान
सामान्य अध्ययन-III
- 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य तक पहुंचने हेतु भारत को $ 10 ट्रिलियन निवेश की आवश्यकता
मुख्य परीक्षा संवर्धन पाठ्य सामग्री (निबंध/नैतिकता)
- अर्बन हीट आइलैंड/हीट वेव्स के खिलाफ अभिनव समाधान
- लिंग समानता त्वरक
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- सुप्रीम कोर्ट में पूरे वर्ष के लिए एक संविधान पीठ: नामित सीजेआई यू.यू. ललित
- टीबी के इलाज के लिए 75 आदिवासी जिलों की पहचान
- चीन द्वारा UNHRC सत्र में श्रीलंका को समर्थन देने का संकल्प
- अर्थ गंगा परियोजना
- राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड
- मॉडर्ना द्वारा फाइजर पर ‘कोविड वैक्सीन प्रद्योगिकी’ को लेकर मुकदमा
- विष्णुगढ़ पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना
सामान्य अध्ययन– II
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
पुट्टस्वामी मामला और एक मूल अधिकार का धुंधला होता हुआ वादा
संदर्भ:
भारत के सर्वोच्च न्यायालय की नौ-न्यायाधीशों की खंडपीठ द्वारा ‘न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ’ (Justice K.S. Puttaswamy (retd.) vs Union of India) मामले में एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाए हुए 24 अगस्त को पांच साल पूरे हो गए है।
न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ मामला (2017):
- इस फैसले में उच्चतम न्यायालय ने औपचारिक रूप से ‘निजता के अधिकार’ को भारतीय संविधान के ‘अनुच्छेद 21’ के तहत प्रत्याभूत ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ से उत्पन्न ‘मौलिक अधिकार’ के रूप में मान्यता दी थी।
- यद्यपि,‘निजता का अधिकार’ किसी व्यक्ति की ‘दैहिक स्वायत्तता’ का प्रयोग करने की क्षमता में अंतर्भूत है, फिर भी यह “पूर्ण अधिकार” (Absolute Right) नहीं है।
अभी तक कायम हुए मुद्दे:
- ‘डेटा सुरक्षा उल्लंघन’– जिसके परिणामस्वरूप व्यक्तिगत, संवेदनशील डेटा का नुकसान और चोरी होती है, संबंधी गौर करने लायक मामलों की संख्या या इसके प्रभाव में कम नहीं हुई है।
- निजी जानकारी की खरीद: भारत के भीतर और बाहर कोई भी व्यक्ति या व्यवसाय, व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर सकता है।
- कंपनियों द्वारा डेटा का उपयोग: डेटा का उपयोग अक्सर कुछ वैध विज्ञापन एजेंसियों, बेईमान टेलीमार्केटिंग फर्मों और साइबर अपराधियों द्वारा किया जाता है।
- भारतीय नागरिकों पर पेगासस स्पाइवेयर का उपयोग: हाल ही में, भारत में पेगासस स्पाइवेयर का कथित उपयोग किए जाने के मामले सामने आये थे।
- वीपीएन सेवाओं तक पहुंच: सरकार द्वारा हाल ही में किए गए हस्तक्षेप का उद्देश्य, भारतीय नागरिकों को वीपीएन सेवाओं की सदस्यता लेने और उन तक पहुंचने से प्रतिबंधित करना है।
- निजी डेटा संरक्षण विधेयक, 2021: कई त्रुटिपूर्ण पाए जाने के बाद, इस महीने की शुरुआत में अनावश्यक रूप से लंबी अवधि तक लटकाए जाने के बाद वापस ले लिया गया था।
निष्कर्ष:
‘पुट्टस्वामी मामले’ में जिस उद्देश्य को हासिल करने का प्रयास किया गया था, वह काफी शानदार ढंग से विफल हो चुका है।
यह सरकार के अतिरेक और शक्ति के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक सभी ‘निवारण और संतुलन’ सुनिश्चित करते हुए, भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक बीत चुके अवसर का प्रतिनिधित्व करता है।
इंस्टा लिंक्स:
मेंस लिंक:
निजता के अधिकार पर सर्वोच्च न्यायालय के नवीनतम निर्णय के आलोक में, ‘मौलिक अधिकारों के दायरे’ का परीक्षण कीजिए। (यूपीएससी 2017)
स्रोत: द हिंदू
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में भारत द्वारा रूस के खिलाफ मतदान
संदर्भ: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UNSC) में पहली बार यूक्रेन मुद्दे पर “प्रक्रियात्मक वोट” (Procedural Vote) के दौरान रूस के खिलाफ मतदान किया है।
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को इस दौरान वीडियो-टेलीकॉन्फ्रेंस के जरिए बैठक को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था।
प्रमुख बिंदु:
- प्रक्रियात्मक वोट: रूस के अनुरोध की अनुक्रिया में, सुरक्षा परिषद् में एक “प्रक्रियात्मक वोट” (Procedural Vote) आयोजित किया गया, जिसमें UNSC के 15 सदस्यों में से 13 सदस्यों ने ज़ेलेंस्की को परिषद को संबोधित करने की अनुमति देने के पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस ने इसके खिलाफ मतदान किया और चीन ने मतदान में भाग नहीं लिया।
- दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर करने के दौरान अनुपस्थिति: भारत ने रूस के खिलाफ ‘संयुक्त राष्ट्र परिसर’ में पश्चिमी देशों द्वारा प्रायोजित और लगभग 60 देशों द्वारा समर्थित एक दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए।
- रूस विरोधी संयुक्त बयान: इसे केवल संयुक्त राष्ट्र के 58 सदस्य देशों या 193 सदस्यीय संगठन के एक तिहाई से भी कम सदस्यों का समर्थन प्राप्त था। भारत, इस संयुक्त वक्तव्य का पक्षकार नहीं था।
- फिल्ट्रेशन ऑपरेशन: अमेरिका ने रूस के “निस्पंदन ऑपरेशन” (Filtration operation) के बारे में चिंता व्यक्त की गयी। इस ऑपरेशन में, रूसी संघ के दूरदराज के क्षेत्रों में यूक्रेनी नागरिकों का व्यवस्थित और जबरन निर्वासन शामिल है।
रूस-यूक्रेन संकट पर भारत का रुख:
तटस्थ रुख (Neutral stand): यूक्रेन में जारी सैन्य अभियानों के बीच भारत ने रूस के खिलाफ तटस्थ रुख बनाए रखा है।
कूटनीति और संवाद: भारत ने रूसी और यूक्रेनी पक्षों को कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने संबंधी अपने रुख को बार-बार दोहराया है।
इंस्टा लिंक्स:
मेंस लिंक:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक स्थायी सीट हासिल करने के प्रयास में भारत के सामने आने वाली बाधाओं पर चर्चा कीजिए। (यूपीएससी 2015)
प्रीलिम्स लिंक:
- UNSC
- संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख अंग
- यूक्रेन का भौगोलिक मानचित्रण
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, इकोनॉमिक टाइम्स
सामान्य अध्ययन– III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन लक्ष्य तक पहुंचने हेतु भारत को $ 10 ट्रिलियन निवेश की आवश्यकता
संदर्भ: ‘गेटिंग इंडिया टू नेट ज़ीरो’ (Getting India to Net Zero) रिपोर्ट के अनुसार, 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (Net-Zero Emissions) लक्ष्य प्राप्त करने के लिए, भारत को अभी से $ 10 ट्रिलियन निवेश की आवश्यकता है।
रिपोर्ट के अन्य निष्कर्ष:
- दस लाख रोजगारों का सृजन: 2070 तक ‘नेट-जीरो’ लक्ष्य प्राप्त करने से 2036 तक वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में 4.7% तक की वृद्धि होगी और 2047 तक 15 मिलियन नए रोजगार सृजित होंगे।
- 2015 के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तैयार: 2015 में निर्धारित भारत के ‘राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ (Nationally Determined Contributions- NDC) लक्ष्यों को वर्तमान नीतियों के माध्यम से अगले कुछ वर्षों में जल्दी पूरा किए जाने की संभावना है।
- भारत में 2030 तक उत्सर्जन का स्तर चरम पर पहुंच सकता है।
- 2023 तक नए कोयले को समाप्त करना, और 2040 तक कोयले-जनित ऊर्जा से संक्रमण,, विशेष रूप से मध्य शताब्दी के करीब शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए प्रभावशाली होगा।
- स्वीकृत ऐतिहासिक जिम्मेदारी: उत्सर्जन के लिए ऐतिहासिक जिम्मेदारी पश्चिमी देशों की है – और इस चुनौती में विकासशील देशों को वित्त एवं प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण किया जाना महत्वपूर्ण है।
रिपोर्ट के बारे में:
- इस रिपोर्ट को पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधान मंत्री केविन रुड द्वारा जारी किया गया है। वर्तमान में, केविन रुड, एशिया को ‘नेट ज़ीरो’ लक्ष्यों में शामिल करने के लिए गठित उच्च स्तरीय नीति आयोग के संयोजक हैं।
- ‘गेटिंग इंडिया टू नेट ज़ीरो रिपोर्ट’ में नए शोध और मॉडल शामिल किए गए हैं, और ‘स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण’ शुरू करने के लिए नीतियों के बारे में विवरण दिया गया है।
COP26 में भारत की पंचामृत प्रतिज्ञाएँ:
भारत ने अपनी जलवायु कार्रवाई के ‘पांच अमृत तत्व’ अर्थात पंचामृत (Five Nectar Elements – Panchamrit) प्रस्तुत किए हैं। जोकि निम्नलिखित हैं:
- वर्ष 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता तक पहुंच।
- वर्ष 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं की 50 प्रतिशत आपूर्ति।
- कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन में, अब से वर्ष 2030 तक एक अरब टन की कटौती।
- वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता में, वर्ष 2005 के स्तर से 45 प्रतिशत की कमी।
- वर्ष 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन की लक्ष्य प्राप्ति।
LIFE का मंत्र- जीवन शैली:
भारत द्वारा COP 26 में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ‘लाइफ-लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ (LIFE- Lifestyle for Environment) का मंत्र भी साझा किया गया था।
इंस्टा लिंक
मेंस लिंक:
भारत द्वारा घोषित वर्ष 2070 तक हासिल करने किए जाने वाले जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक उपायों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
मुख्य परीक्षा संवर्धन पाठ्य सामग्री (निबंध/नैतिकता)
अर्बन हीट आइलैंड/हीट वेव्स के खिलाफ अभिनव समाधान
शहरी क्षेत्र लगातार अत्यधिक गर्मी के समय का सामना कर रहे हैं, जिससे ‘शहरी गर्म द्वीप’ (अर्बन हीट आइलैंड) विकसित होते जा रहे हैं। ‘अर्बन हीट आइलैंड’ (urban heat islands) शहरों के वे क्षेत्र होते है, जो उनके आसपास के क्षेत्रों से भी अधिक गर्म होते हैं।
- वर्ष 2017 का ‘कूलिंग सिंगापुर‘ प्रोजेक्ट: यह सिंगापुर का एक कंप्यूटर मॉडल, या डिजिटल शहरी जलवायु जुड़वां शहर बनाने के लिए शुरू किया गया था। इस प्रोजेक्ट ने नीति निर्माताओं को गर्मी-अनुकूलन के लिए सूक्ष्म-स्तरीय सुधारात्मक परिवर्तन करने में मदद की है।
- उदाहरण के लिए, अप्रभावी व्यक्तिगत एयर कंडीशनिंग कंडेनसर के बजाय ‘जिला-स्तरीय कूलिंग’ का उपयोग।
मैड्रिड (स्पेन) में विंड गार्डन: यह काई और फ़र्न से बनी एक सर्पिल संरचना है, जो पेड़ की चोटी के ऊपर की ठंडी हवा को पकड़ती है और उसे एक विशाल एयर कंडीशनर की तरह काम करते हुए ठंडे बगीचों और सड़कों की ओर खींचती है। यह प्रणाली आसपास के तापमान को 4 डिग्री सेल्सियस तक कम कर सकती है।
‘कूल रूफ्स’ में अधिक ऊष्मा को प्रतिबिंबित करने और कम ऊष्मा को अवशोषित करने के लिए चमकीले कोटिंग्स लगे होते हैं।
‘स्पंज शहर’ (चीन): इसमें सड़कों और फुटपाथों जैसी कठोर सतहों को पारगम्य सतहों में बदल दिया जाता है। ये पारगम्य सतहें पानी को अवशोषित, रिसाव (seep), शुद्ध और संग्रहित कर सकती हैं और इस प्रकार आसपास के तापमान को भी कम कर सकती हैं।
लिंग समानता त्वरक
वैश्विक लिंग अंतर रिपोर्ट 2022 के अनुसार, परिवर्तन की वर्तमान दर पर, ‘वैश्विक आर्थिक लैंगिक अंतर’ (Global Economic Gender Gap) को पाटने में 151 वर्ष लगेंगे।
‘लैंगिक आर्थिक/वेतन अंतर’, काम करने वाले पुरुषों और महिलाओं के पारिश्रमिक के बीच का औसत अंतर होता है।
- कार्य-प्रणाली: विश्व आर्थिक मंच का ‘लिंग समानता त्वरक’ / जेंडर पैरिटी एक्सेलेरेटर (Gender Parity Accelerator) देशों को अंतर्दृष्टि और अनुभवों का आदान-प्रदान करने के साथ-साथ ‘मुख्य कार्यकारी अधिकारियों (CEOs) और सरकारी मंत्रियों को अपने-अपने देशों में आर्थिक लैंगिक अंतर को पाटने के लिए 3 साल की समयसीमा देने में सक्षम बनाता है।
- परिणाम: उदाहरण के लिए, ‘एक्सेलेरेटर’ ने चिली के निजी क्षेत्र में 7% वेतनभोगी कर्मचारियों (1.3 लाख से अधिक महिलाओं) के लिए काम की गुणवत्ता बढ़ाने में मदद की है।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
सुप्रीम कोर्ट में पूरे वर्ष के लिए एक संविधान पीठ: नामित सीजेआई यू.यू. ललित
संदर्भ: न्यायमूर्ति यू यू ललित (भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश) ने आश्वासन दिया है, कि उच्चतम न्यायालय में साल भर में कम से कम एक ‘संविधान पीठ’ काम करेगी।
प्रमुख बिंदु:
अत्यावश्यक मामले: वकीलों को अत्यावश्यक मामलों (जिसमें जमानत याचिकाएं आदि शामिल होती हैं) का उल्लेख करने की अनुमति देने के लिए एक स्पष्ट तंत्र स्थापित किया जाएगा। यह तंत्र, संबंधित पीठों के समक्ष मामलों की शीघ्र सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेगा।
सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 2017 में लगभग 55,000 थी, जोकि अब 71,000 से अधिक हो गई है। हालाँकि, अगस्त 2019 में अदालत की स्वीकृत न्यायिक शक्ति को बढ़ाकर 34 न्यायाधीश तक कर दिया गया था।
संवैधानिक पीठ:
जब किसी संवैधानिक मामले या फिर जिन मामलों में विधि के मौलिक की व्याख्या किए जाने की आवश्यकता होती है तो इसकी सुनवाई पांच या इससे अधिक न्यायाधीशों के द्वारा की जाती है। इस पीठ को ही संवैधानिक पीठ (Constitution bench) कहा जाता है।
- संवैधानिक पीठ का प्रावधान भारत के संविधान के अनुच्छेद 145 (3) द्वारा अधिदेशित किया गया है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक संविधान पीठ का गठन करने और मामलों को संदर्भित करने की शक्ति प्राप्त है।
संवैधानिक पीठ निम्नलिखित प्रकार के मामलों की सुनवाई के लिए गठित की जाती है:
- भारत के संविधान की व्याख्या के संबंध में ‘कानून के एक महत्वपूर्ण प्रश्न’ को शामिल करने वाले मामले।
- अनुच्छेद 143 के तहत, भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिए गए संदर्भित किसी भी मामले की सुनवाई के उद्देश्य से।
टीबी के इलाज के लिए 75 आदिवासी जिलों की पहचान
संदर्भ:
जनजातीय मामलों के मंत्रालय और स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रभाग ने 75 आदिवासी जिलों को चिह्नित किया है, जहां अगले कुछ महीनों में उन्हें टीबी मुक्त बनाने के लिए ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
महत्वपूर्ण बिदु::
टीबी सेवाओं के वितरण में सुधार: टीबी परीक्षण या जांच और निदान के बुनियादी ढांचे में वृद्धि करके कार्यान्वयन अंतराल को दूर करने के लिए पीआईपी और वित्त पोषण के अन्य स्रोतों का लाभ उठाकर अनुकूलित समाधान के प्रावधान द्वारा टीबी सेवाओं के वितरण में सुधार करना।
आश्वसन अभियान:
जनजातीय टीबी पहल के दायरे में भारत के 174 जनजातीय जिलों में टीबी के सक्रिय मामलों का पता लगाने के लिए आश्वासन अभियान इस वर्ष 7 जनवरी को शुरू किया गया था। इसके तहत 68,000 से अधिक गांवों में घर-घर जाकर स्क्रीनिंग की गई है।
- इस पहल के तहत 68,019 गांवों में टीबी की घर-घर जाकर जांच की गई। 1,03,07,200 व्यक्तियों की मौखिक जांच के आधार पर 3,82,811 लोगों में टीबी होने की पहचान की गई थी।
- आश्वसन अभियान (Aashwasan Campaign), जनजातीय कार्य मंत्रालय और स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय टीबी प्रभाग की एक संयुक्त पहल है, जिसे ‘यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ (USAID) द्वारा एक तकनीकी भागीदार और पीरामल स्वास्थ्य द्वारा कार्यान्वयन भागीदार के रूप में समर्थन प्राप्त है।
टीबी उन्मूलन रणनीति: भारत, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के वैश्विक लक्ष्य यानी 2030 से पांच साल पहले 2025 तक देश से ‘तपेदिक’ को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है।
डॉट्स (DOTS) के घटक:
चीन द्वारा UNHRC सत्र में श्रीलंका को समर्थन देने का संकल्प
संदर्भ: ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) के जिनेवा में आयोजित होने वाले आगामी सत्र में श्रीलंका पर एक प्रस्ताव पेश किए जाने की संभावना है। चीन ने कहा है कि वह मानवाधिकार के मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर श्रीलंका का “समर्थन करना” जारी रखेगा।
- पहले, चीन ने श्रीलंका का समर्थन करते हुए इस मुद्दे के खिलाफ मतदान किया था, जबकि भारत ने मतदान में भाग नहीं लिया था।
- कोर ग्रुप: मार्च 2022 के सत्र में, श्रीलंका पर ‘कोर ग्रुप’ (Core Group), जिसमें यूनाइटेड किंगडम, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जर्मनी, उत्तरी मैसेडोनिया, मलावी और मोंटेनेग्रो शामिल हैं, ने एक बयान में कहा कि श्रीलंका में “नागरिक समाज की निगरानी और धमकी देना तथा पत्रकारों और मानवाधिकार रक्षकों को हिरासत में लेना और डराना-धमकाना अभी भी जारी है।“
UNHRC के बारे में:
‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) का पुनर्गठन वर्ष 2006 में इसकी पूर्ववर्ती संस्था, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UN Commission on Human Rights) के प्रति ‘विश्वसनीयता के अभाव’ को दूर करने में सहायता करने हेतु किया गया था।
इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
संरचना:
- वर्तमान में, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) में 47 सदस्य हैं, तथा समस्त विश्व के भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु सीटों का आवंटन प्रतिवर्ष निर्वाचन के आधार पर किया जाता है।
- प्रत्येक सदस्य तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है।
- किसी देश को एक सीट पर लगातार अधिकतम दो कार्यकाल की अनुमति होती है।
अर्थ गंगा परियोजना
संदर्भ: यह आसपास के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके और उन्हें सतत आर्थिक गतिविधियों में शामिल करके नदी के सतत विकास के लिए सरकार का नया मॉडल (2019 में प्रस्तावित) है।
- अर्थ गंगा (Arth Ganga) परियोजना को नदी के संरक्षण के लिए एक आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
- उद्देश्य: गंगा बेसिन से सकल घरेलू उत्पाद का 3% योगदान करना।
- इसे ‘राष्ट्रीय जलमार्ग-1’ के लिए जल विकास मार्ग परियोजना II के तहत कार्यान्वित किया जा रहा है।
राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड
संदर्भ: नेशनल कैंसर ग्रिड (NCG) द्वारा पूरे भारत में कैंसर की देखभाल में सुधार के लिए डिजिटल तकनीकों और उपकरणों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘डिजिटल ऑन्कोलॉजी के लिए कोइता सेंटर’ (Koita Centre for Digital Oncology – KCDO) की स्थापना की गयी है।
अपनाई जा रही नई प्रौद्योगिकियां:
- टेलीमेडिसिन और दूरस्थ रोगी निगरानी, विशेष रूप से अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में देखभाल को अधिक सुलभ बनाने में मदद करेगी।
- एआई-समर्थित नैदानिक निर्णय सहयोग उपकरण, बेहतर देखभाल प्रदान करने के लिए डॉक्टरों की क्षमता में सुधार करने में मदद करेंगे।
- मोबाइल पेशेंट एंगेजमेंट ऐप्स, रोगियों को दवा प्रबंधन और देखभाल दिशानिर्देशों के बेहतर अनुपालन में मदद करेंगी।
- अस्पतालों में हेल्थकेयर डेटा एनालिटिक्स का उपयोग, नैदानिक परिणामों की ट्रैकिंग और बेंचमार्किंग और विभिन्न उपचार और देखभाल मार्गों की प्रभावशीलता को सक्षम करेगा।
राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (एनसीजी) के बारे में:
राष्ट्रीय कैंसर ग्रिड (National Cancer Grid – NCG) मानकों, प्रशिक्षण और सुविधाओं में एकरूपता के लिए भारत भर में कैंसर केंद्रों, अनुसंधान संस्थानों, रोगी समूहों और धर्मार्थ संस्थानों का एक नेटवर्क बनाने के लिए ‘परमाणु ऊर्जा विभाग’ और ‘टाटा मेमोरियल सेंटर’ की एक पहल है।
‘कोइता फाउंडेशन’ के बारे में:
कोइता फाउंडेशन एक गैर-लाभकारी संगठन है जिसके दो फोकस क्षेत्र हैं – एनजीओ ट्रांसफॉर्मेशन और डिजिटल हेल्थ।
मॉडर्ना द्वारा फाइजर पर ‘कोविड वैक्सीन प्रद्योगिकी’ को लेकर मुकदमा
संदर्भ: अमेरिकी फार्मा कंपनी मॉडर्ना ने कहा है, कि वह पहले कोविड -19 टीकों के विकास में अपनी mRNA तकनीक (और इस तरह पेटेंट उल्लंघन) की नकल करने के लिए फाइजर और उसके जर्मन पार्टनर बायोएनटेक पर मुकदमा करेगी।
‘mRNA वैक्सीन’ के बारे में:
- mRNA वैक्सीन द्वारा रोगी की प्रतिरक्षा प्रणाली को वायरल प्रोटीन का स्वतः उत्पादन करने के लिए भ्रमित किया जाता है।
- इसके लिए मैसेंजर RNA अथवा mRNA का उपयोग किया जाता है। मैसेंजर आरएनए, कोरोनावायरस के स्पाइक प्रोटीन को सांकेतिक शब्दों में बदलता (Encode) करता है।
- mRNA, कोशिका को स्पाइक प्रोटीन की प्रतियां तैयार करने के लिए निर्देशित करता है, ताकि ‘प्रतिरक्षा प्रणाली’ वास्तविक संक्रमण होने पर स्पाइक प्रोटीन को पहचान सके, और प्रतिक्रिया शुरू कर सके।
mRNA वैक्सीन के उदाहरण: फाइजर/बायोएनटेक (Pfizer/BioNTech) और मॉडर्ना (Moderna)।
पेटेंट: ‘पेटेंट’ किसी आविष्कार के लिए दिया गया एक विशेष अधिकार होता है।
विष्णुगढ़ पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना
संदर्भ: विश्व बैंक पैनल ‘विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना’ के खिलाफ शिकायतों की जांच करेगा।
शिकायतें: एक गांव (हाट गांव, चमोली जिला, उत्तराखंड) के निवासियों ने आरोप लगाया है कि ‘विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना’ के निर्माण से निकलने वाली कीचड़ से ऐतिहासिक मंदिर को खतरा है और परियोजना के निर्माण ने उनकी आजीविका, और पानी तक पहुंच को प्रभावित किया है।
परियोजना के बारे में:
- 444-मेगावाट की ‘विष्णुगढ़ जलविद्युत परियोजना’ (VPHEP) का निर्माण ‘टिहरी जलविद्युत विकास निगम’ (THDC) द्वारा किया जा रहा है।
- यह परियोजना मुख्य रूप से विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित है, और 2011 में स्वीकृत की गई थी।
- इसे जून 2023 में पूरा करने का प्रस्ताव है।