विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
- बिहार विधानसभा में शक्ति परीक्षण
- चुनावी वादों पर 2013 के फैसले पर पुनर्विचार
- राज्य की उधारी शक्तियां प्रभावित हुई है: वित्त मंत्री, केरल सरकार
सामान्य अध्ययन-III
- भारत में अन्य प्रकार की UBI के लिए स्थितियां
- 10 वर्षों में 10 मिलियन प्रशिक्षुता (अप्रेंटिसशिप) का लक्ष्य
- प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022
सामान्य अध्ययन-IV
- औषधि-निर्माता, डॉक्टर्स और इनमे मिलीभगत को दूर रखने के लिए आचार संहिता
मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (नैतिकता/निबंध)
- जम्मू-कश्मीर में घायल हुए पाक आतंकवादी को सैनिकों द्वारा रक्तदान
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
- मंडला कला
- राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार-2022
- राज्य की योजनाओं के लिए आयुष्मान कार्ड का उपयोग मान्य
- MCA21 संस्करण -3
- ‘निच’ बैटरी विकसित करने के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना
- कोराडिया आईलिंट
- 2024 तक पवन ऊर्जा परियोजनाओं का चरम स्तर
- वाणिज्य विभाग का पुनर्गठन
- मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क
- स्टॉकहोम विश्व जल सप्ताह 2022
- SING प्रोजेक्ट
- श्वेत वामन (व्हाईट ड्वार्फ)
सामान्य अध्ययन– I
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
बिहार विधानसभा में शक्ति परीक्षण
संदर्भ: हाल ही में, बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार द्वारा बहुमत साबित करने के लिए राज्य विधानसभा में किए गए ‘शक्ति परीक्षण’ / ‘फ्लोर टेस्ट’ (Floor Test) में विजय हासिल की। नीतीश कुमार ने पहले ध्वनि मत से और फिर मतगणना के माध्यम से बहुमत साबित किया।
फ्लोर टेस्ट या शक्ति परीक्षण क्या होता है?
फ्लोर टेस्ट, मुख्यतः सदन में बहुमत साबित करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य यह साबित करना होता है, कि कार्यपालिका को विधायिका का विश्वास प्राप्त है अथवा नहीं।
प्रक्रिया:
यह मतदान प्रक्रिया, राज्य की विधान सभा या केंद्रीय स्तर पर लोकसभा में होती है।
- संविधान के अनुसार राज्य के मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
- यदि विपक्षी दलों द्वारा सरकार के बहुमत पर सवाल उठाया जाता है, तो बहुमत का दावा करने वाले दल के नेता को ‘विश्वास मत’ हासिल करना होगा, और उपस्थित और मतदान करने वालों सदस्यों के बीच अपने बहुमत को साबित करना होगा।
- सदन में बहुमत साबित करने में विफल रहने पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ता है।
- यह प्रक्रिया, संसद और राज्य विधानसभाओं दोनों में होती है।
‘संयुक्त शक्ति परीक्षण’ या ‘कंपोजिट फ्लोर टेस्ट’ क्या होता है?
- जब एक से अधिक व्यक्ति सरकार बनाने का दावा पेश करते हैं और बहुमत स्पष्ट नहीं होता है, तो सदन में ‘कंपोजिट फ्लोर टेस्ट’ (Composite floor test) की आवश्यकता होती है।
- किसके पास बहुमत है, इसका आकलन करने के लिए राज्यपाल विशेष सत्र बुला सकते हैं। बहुमत की गणना उपस्थित और मतदान करने वालों के आधार पर की जाती है और यह ‘कंपोजिट फ्लोर टेस्ट’ ‘ध्वनि मत’ के माध्यम से भी किया जा सकता है।
मतदान प्रकिया:
फ्लोर टेस्ट के दौरान तीन विधियों द्वारा मतदान किया जा सकता है:
- ध्वनि मत (Voice vote): ध्वनि मत में, सदन के सदस्य मौखिक रूप से प्रतिक्रिया देते हैं।
- डिवीज़न वोट (Division vote): डिवीज़न वोट के मामले में, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, स्लिप या बैलेट बॉक्स का उपयोग करके वोटिंग की जाती है।
- बैलेट वोट (Ballot vote): बैलेट वोट, आमतौर पर एक ‘गुप्त मतदान’ होता है – ठीक उसी तरह जैसे लोग राज्य या संसदीय चुनावों के दौरान वोट करते हैं।
बराबर मत हासिल होने (टाई) की स्थिति में:
मतदान के बाद, जिसके पास बहुमत होगा उसे सरकार बनाने की अनुमति दी जाएगी। बराबर मत हासिल होने (Tie) की स्थिति में सदन का अध्यक्ष अपना वोट डाल सकता है।
इंस्टा लिंक:
प्रारंभिक लिंक:
- फ्लोर टेस्ट बनाम कम्पोजिट फ्लोर टेस्ट
- सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत
- फ्लोर टेस्ट के दौरान मतदान प्रक्रिया
- स्पष्ट बहुमत बनाम त्रिशंकु विधानसभा होने पर मुख्यमंत्री की नियुक्ति।
- क्या स्पीकर अपना वोट डाल सकते हैं?
मेंस लिंक:
फ्लोर टेस्ट कराने को लेकर कानून में अस्पष्टता के कारण अक्सर गाली-गलौज और दुरुपयोग होता है। टिप्पणी कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
चुनावी वादों पर 2013 के फैसले पर पुनर्विचार
संदर्भ: हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने 2013 के एक फैसले पर फिर से विचार करने के लिए तीन-न्यायाधीशों की पीठ का गठन करने का निर्णय लिया है। इस फैसले में कहा गया था, कि एक राजनीतिक दल द्वारा किए गए चुनाव-पूर्व वादों को ‘लोक प्रतिनिधित्व (आरपी) अधिनियम’ (Representation of the People (RP) Act) के तहत एक ‘भ्रष्ट आचरण’ (corrupt practice) नहीं माना जा सकता है।
पृष्ठभूमि:
एस. सुब्रमण्यम बालाजी बनाम तमिलनाडु (2013) मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कहा गया था, कि मुफ्त उपहारों का वादा करके केवल कोई उम्मीदवार व्यक्तिगत तौर पर – न कि उसकी पार्टी- ‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम’ तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ का दोषी हो सकता है।
अतार्किक ‘मुफ्त उपहारों’ पर लगाम लगाने के तरीकों पर सुनवाई के दौरान, हाल ही में, नौ साल बाद ‘बालाजी फैसला’ सुर्खियों में आया था।
मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण की पीठ के समक्ष दिए गए तर्कों के अनुसार,
- किसी राजनीतिक दल और उसके उम्मीदवार के बीच कोई द्विभाजन (Dichotomy) नहीं हो सकता।
- उम्मीदवार वही वादा करता है जो उसकी पार्टी उससे करने को कहती है। ‘मुफ्त उपहारों’ के वादों पर उमीदवार का पार्टी दायित्व से नहीं बच सकती।
‘लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम’ की धारा 123:
- ‘आरपी अधिनियम’ की धारा 123 ‘भ्रष्ट आचरण’ से संबंधित है
- इस प्रावधान के अनुसार, यदि किसी उम्मीदवार या उसके एजेंट द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मतदाताओं को कोई उपहार, प्रस्ताव या संतुष्टि का वादा किए जाना ‘रिश्वत’ के समान है, और इसे एक ‘भ्रष्ट आचरण’ माना जाएगा।
बालाजी फैसले पर प्रश्नचिह्न:
इस निर्णय के द्वारा स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक दल और उसी राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए एक व्यक्तिगत उम्मीदवार के बीच ‘अंतर’ किया गया था।
बालाजी फैसले का तर्काधार:
- फैसले में कहा गया था कि, ‘दानशीलता’ या ‘उदारता’ के रूप में उपयुक्त और पात्र व्यक्तियों को रंगीन टीवी, लैपटॉप, आदि का वितरण सीधे तौर पर राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है।
- राज्य, किस तरह से ‘राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों’ को लागू करने का विकल्प चुनता है यह राज्य का एक नीतिगत निर्णय है और जब तक कि यह असंवैधानिक न हो, न्यायालय ऐसे निर्णयों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता।
सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियाँ::
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, कि इस मुद्दे की पहचान करने तथा ‘कल्याणकारी योजनाओं’ और ‘खैरात बाटनें’ के बीच अंतर करने के लिए, अपने पिछले फैसले पर पुनर्विचार की आवश्यकता है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने चुनाव आयोग को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों के साथ परामर्श करने और उम्मीदवारों के सामान्य आचरण आदि के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने और चुनाव घोषणापत्र के लिए भी निर्देश दिया है।
- अदालत ने कहा, कि इन सभी को राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन के लिए ‘आदर्श आचार संहिता’ में शामिल किया जा सकता है।
- मुख्य न्यायाधीश रमण ने कहा है कि, इसके लिए तीन न्यायाधीशों की पीठ का गठन किया जाएगा।
इंस्टा लिंक:
प्रीलिम्स लिंक:
- आरपी अधिनियम की धारा 123
- बालाजी निर्णय
- बालाजी फैसले के पीछे तर्क
मेंस लिंक:
बालाजी फैसले ने स्पष्ट रूप से एक राजनीतिक दल द्वारा खड़े किए गए एक व्यक्तिगत उम्मीदवार और स्वयं राजनीतिक दल के बीच अंतर को स्पष्ट कर दिया था। टिप्पणी कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।
राज्य की उधारी शक्तियां प्रभावित हुई है: वित्त मंत्री, केरल सरकार
संदर्भ: केरल के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने राज्य की वित्तीय स्थिति का बचाव करते हुए कहा है, कि राज्य की वित्तीय स्थिति तनाव-पूर्ण नहीं है, और राज्य का ऋण स्तर अपने स्वयं के ‘सकल घरेलू उत्पाद’ की तुलना में ‘अनुमेय सीमा’ से नीचे है।
पृष्ठभूमि:
हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक’ द्वारा ‘राज्य वित्त: एक जोखिम विश्लेषण’ (State Finances: A Risk Analysis) शीर्षक से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार-“राज्यों की राजकोषीय स्थिति 2020 में राजस्व में तेज गिरावट, खर्च में वृद्धि और GSDP के अनुपात में ऋण में तीव्र वृद्धि के साथ, तेजी से खराब हुई है।“
- 2020-21 में ऋण और जीएसडीपी अनुपात के आधार पर, आरबीआई की रिपोर्ट में केरल सहित 10 राज्यों में कर्ज का बोझ काफी अधिक पाया गया था।
- आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान केरल का कर्ज 37 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया था और चालू वित्त वर्ष के दौरान इसके 37.2 फीसदी रहने का अनुमान है।
केरल का पक्ष:
- केरल के वित्त मंत्री ने कहा है, “वित्त प्रबंधन में कोई चूक नहीं हुई है।”
- केंद्र सरकार द्वारा कर संग्रह संबंधी राज्यों के अधिकार ले लिए गए हैं। जीएसटी के हिस्से के रूप में, केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों से कर एकत्र करने के सभी अधिकार ले लिए हैं, और राज्यों के हिस्से को भी कम कर दिया है। इससे, राज्य को कम से कम ₹12,000 करोड़ का नुकसान हुआ है।
राज्यों के ऋणों के बारे में मूल बातें:
संवैधानिक प्रावधान:
संविधान में अनुच्छेद 293 ‘राज्यों द्वारा उधार लेने’ से संबंधित है।
इसमें कहा गया है, कि “राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार- उस ‘राज्य की संचित निधि’ की प्रतिभूति पर ऐसी सीमाओं के भीतर, जिन्हें ऐसे राज्य का विधान-मंडल समय-समय पर विधि द्वारा नियत करे, भारत के राज्यक्षेत्र के भीतर उधार लेने तक और ऐसी सीमाओं के भीतर, जिन्हें इस प्रकार नियत किया जाए- प्रत्याभूति देने तक है।“
राज्यों को ऋण लेने हेतु केंद्र से अनुमति की आवश्यकता:
संविधान के अनुच्छेद 293 (3) के अनुसार, राज्यों पर केंद्र सरकार का पिछला बकाया होने के मामले में, राज्यों को ऋण लेने हेतु केंद्र की सहमति प्राप्त करना आवश्यक होता है।
- अनुच्छेद 293 (4) के तहत राज्यों को केंद्र द्वारा कुछ शर्तों के अधीन भी ऋण लेने हेतु सहमति दी जा सकती है।
- व्यवहार में, केंद्र इस शक्ति का प्रयोग वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार कर रहा है।
वर्तमान में, प्रत्येक राज्य, केंद्र का ऋणी है और इस प्रकार, सभी राज्यों को ऋण लेने के लिए केंद्र की सहमति लेना आवश्यक है।
क्या केंद्र को इस प्रावधान के तहत शर्तें लागू करने हेतु निर्बाध शक्ति प्राप्त है?
- इस विषय पर उपर्युक्त प्रावधान ही कोई दिशा-निर्देश नहीं देता है, और अनुकरण करने हेतु केंद्र द्वारा निर्बाध रूप से शर्ते लागू करने संबंधी पूर्व में भी को उदहारण नहीं है।
- दिलचस्प बात यह है कि इस प्रश्न को 15 वें वित्त आयोग की संदर्भ-शर्तों में सम्मिलित किया गया था, किंतु वित्त आयोग की अंतरिम रिपोर्ट में इसे संबोधित नहीं किया गया था।
केंद्र द्वारा राज्यों के लिए शर्तें कब लगायी जा सकती है?
केंद्र द्वारा राज्यों के लिए शर्तें, ऋण लेने हेतु सहमति देते समय लगायी जा सकती हैं, तथा यह सहमति राज्यों के केंद्र सरकार के प्रति ऋणी होने पर ही दी जा सकती है।
इन प्रतिबंधों की आवश्यकता
- केंद्र को इस शक्ति प्रदान करने का एक संभावित उद्देश्य किसी ऋण लेने वाले राज्य की क्षमताओं को देखते हुए अपने हितों की रक्षा करना था।
- एक अन्य व्यापक उद्देश्य ‘समष्टि आर्थिक स्थिरता’ सुनिश्चित करने का भी प्रतीत होता है, क्योंकि राज्य की ऋणग्रस्तता पूरे देश के वित्तीय स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है।
प्रीलिम्स लिंक:
- क्या राज्य सरकारों को उधार के माध्यम से सीधे ऋण लेने की अनुमति है?
- केंद्र सरकार की भूमिका
- उच्चतम जीएसडीपी वाले राज्य
- अनुच्छेद 293
- केंद्र कब राज्यों पर शर्तें लगा सकता है?
मेंस लिंक:
राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करें और उन्हें कैसे संबोधित किया जा सकता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन– III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
भारत में अन्य प्रकार की UBI के लिए स्थितियां
संदर्भ: इस आर्टिकल में, ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ (Universal Basic Income) की तुलना में ‘यूनिवर्सल बेसिक इनश्योरेंस’ (Universal Basic Insurance) को बेहतर साबित करने के पक्ष में तर्क दिए गए हैं।
‘सामाजिक सुरक्षा प्रणालियाँ’ (Social Security Systems) एक सुरक्षा जाल की तरह होते हैं। यह एक परिवार को गरीबी के जाल में फसने से बचाते हैं। ‘सामाजिक सुरक्षा’ में मुख्य रूप से ‘खाद्य सुरक्षा’ (NFSA), स्वास्थ्य सुरक्षा (आयुष्मान भारत योजना) और ‘आय सुरक्षा’ शामिल होती है।
सुरक्षा जालों के प्रकार:
- निष्क्रिय सुरक्षा जाल (Passive safety net): जैसे, बढ़ती अर्थव्यवस्था, अधिक रोजगार सृजन।
- सक्रिय सुरक्षा जाल (Active safety net): यह एक ट्रैम्पोलिन की तरह काम करता है, अर्थात जो लोग इसमें शामिल होते है, उन्हें लाभ मिलता है। जैसेकि, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, मनरेगा, आयुष्मान भारत योजना।
- अग्रसक्रिय सुरक्षा जाल (Proactive safety net): यह गरीबी से बाहर निकलने के लिए एक लॉन्चपैड की तरह काम करता है जैसे, यूनिवर्सल बेसिक इनकम।
‘आय सुरक्षा’ (Income security), सामाजिक सुरक्षा टोकरी में शामिल सभी घटकों में ‘समाधान’ का सबसे कठिन हिस्सा है। आय सुरक्षा के लिए विभिन्न सरकारी योजनाएं शुरू की गयी हैं:
- सामान्य भविष्य निधि (GPF)- केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए
- कर्मचारी भविष्य निधि (EPF)- अन्य संगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए।
- लोक भविष्य निधि (PPF) जिसका लाभ कोई भी भारतीय नागरिक उठा सकता है
- प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (PM-KMY)
- पीएम-किसान योजना (किसानों के लिए)
- अटल पेंशन योजना (APY)
‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ क्या है?
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI), किसी देश अथवा किसी भौगोलिक क्षेत्र / राज्य के सभी नागरिकों को बिना शर्त आवधिक रूप से धनराशि प्रदान करने का कार्यक्रम है। इसके अंतर्गत नागरिकों की आय, सामजिक स्थिति, अथवा रोजगार-स्थिति पर विचार नहीं किया जाता है।
- ‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ की अवधारणा के पीछे मुख्य विचार, गरीबी कम करना अथवा रोकना और नागरिकों में समानता की वृद्धि करना है।
- यूनिवर्सल बेसिक इनकम अवधारणा का मूल सिद्धांत है, कि सभी नागरिक, चाहे वे किसी परिस्थिति में पैदा हुए हों, एक जीने योग्य आय के हकदार होते हैं।
UBI के महत्वपूर्ण घटक
- सार्वभौमिकता (सभी नागरिक)
- बिना शर्त (कोई पूर्व शर्त नहीं)
- आवधिक (नियमित अंतराल पर आवधिक भुगतान)
- नकद हस्तांतरण (कोई फ़ूड वाउचर या सर्विस कूपन नहीं)
यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI) के लाभ
- नागरिकों के लिए सुरक्षित आय प्राप्त होती है।
- समाज में गरीबी तथा आय-असमानता में कमी आती है।
- निर्धन व्यक्तियों की क्रय शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे अंततः सकल मांग बढ़ती है।
- लागू करने में आसान है क्योंकि इसमें लाभार्थी की पहचान करना शामिल नहीं होता है।
- सरकारी धन के अपव्यय में कमी होती है, इसका कार्यान्वयन बहुत सरल होता है।
UBI के साथ समस्याएं:
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी
- भारी राजकोषीय दबाव
- लोगों को मुफ्त नकदी दिए जाने मुद्रास्फीति दर में वृद्धि होने की आशंका
- मौजूदा योजनाओं पर सब्सिडी कम करने में कठिनाई
- इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि नकदी को उत्पादक संपत्तियों पर खर्च किया जाएगा।
‘यूनिवर्सल बेसिक इंश्योरेंस’ क्यों?
- बीमा सेवाओं की कम पैठ: भारत में बीमा पैठ (जीडीपी के प्रतिशत के रूप में प्रीमियम) कई वर्षों से ताइवान, जापान और चीन में क्रमशः 17%, 9% और 6% की तुलना में 4% के आसपास रही है। लिहाजा, बीमा (Insurance) गरीबों के लिए आवश्यकता आधारित ‘सुरक्षा’ जाल बन सकता है।
- डेटा की उपलब्धता: अर्थव्यवस्था काफी हद तक अनौपचारिक बनी हुई है, इस अनौपचारिक क्षेत्र का डेटा अब व्यवसायों (जीएसटीआईएन, या माल और सेवा कर पहचान संख्या के माध्यम से) और असंगठित श्रमिकों के लिए (केंद्रीकृत डेटाबेस ‘ई-श्रम’ के माध्यम से) दोनों के लिए उपलब्ध है।
- कर्नाटक द्वारा विकसित सामाजिक रजिस्ट्री पोर्टल, ‘कुटुम्बा’ सामाजिक सुरक्षा डेटा का एक अच्छा उदाहरण है।
निष्कर्ष:
जब तक भारतीय अर्थव्यवस्था में पर्याप्त स्वैच्छिक बीमा नहीं हो जाता, तब तक ‘सार्वभौमिक बुनियादी बीमा’ (universal basic insurance) की योजना के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा को बढ़ावा दिया जा सकता है।
इंस्टा लिंक:
मेंस लिंक:
गरीबी को कम करने के एक प्रयास के रूप में यूनिवर्सल बेसिक इनकम के कार्यान्वयन पर भारत में प्रायः बहस होती रही है। भारत में यूबीआई की संभावना पर आलोचनात्मक चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
10 वर्षों में 10 मिलियन प्रशिक्षुता (अप्रेंटिसशिप) का लक्ष्य
संदर्भ: एक अध्ययन के अनुसार, प्रशिक्षुओं की संख्या को 5 लाख से बढ़ाकर 10 लाख प्रति वर्ष करना, और दस वर्षों में 10 मिलियन प्रशिक्षुओं का प्रारंभिक लक्ष्य निर्धारित करना, कौशल-अंतर को पाटने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
प्रशिक्षुता / अप्रेंटिसशिप (Apprenticeship), एक सवेतन नौकरी होती है, जिसमे कर्मचारी सीखता है और मूल्यवान अनुभव प्राप्त करता है। इसमें अंशकालिक कक्षा अध्ययन के साथ-साथ ‘नौकरी’ भी शामिल हो सकती है।
वर्तमान स्थिति:
- भारत में वर्तमान में केवल 5 लाख प्रशिक्षु हैं, जो दुनिया भर में प्रशिक्षुओं के पूल का मात्र 11% है।
- वर्ष 2020-21 भारत में बेरोजगारी दर 3% थी, जिसमे युवा बेरोजगारी दर 12.9% दर्ज की गयी।
- भारत में औपचारिक प्रशिक्षण 4% से कम है। दक्षिण कोरिया में, 90% से अधिक कामगार आबादी औपचारिक रूप से प्रशिक्षित हैं।
कम प्रशिक्षुता के कारण:
- प्रशिक्षुओं को काम पर रखने वाली फर्मों के लिए जटिल श्रम और नियामक शर्ते।
- भारत में, व्यावसायिक प्रशिक्षण (व्यावहारिक) की तुलना में अकादमिक शिक्षा (सैद्धांतिक) को प्राथमिकता दी जाती है।
- ‘काम की दुनिया को क्या चाहिए’ और ‘युवा’ क्या जानते हैं – इसके बीच महत्वपूर्ण बेमेल है।
- प्रशिक्षुओं को सस्ते श्रम के स्रोत के रूप में देखा जाता है और उन्हें अपर्याप्त सुरक्षा दी जाती है।
- और कर्मचारी के साथ-साथ नियोक्ता के लिए भी जानकारी और कौशल का अभाव होता है।
- सरकारी क्षेत्र में प्रशिक्षुओं कमी है, उदाहरण के लिए, 339 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में से केवल 150 प्रशिक्षुओं को नियुक्त करते हैं।
सरकारी प्रयास:
- राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति, 2015 (National Policy of Skill Development and Entrepreneurship, 2015)। इसमें लाभप्रद रोजगार प्रदान करने के साधन के रूप में प्रशिक्षुता पर जोर दिया जाता है।
- प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना (Apprentice Protsahan Yojna)। इस योजना के तहत, प्रशिक्षुओं के बुनियादी प्रशिक्षण की लागत की प्रतिपूर्ति सरकार द्वारा की जाती है।
- राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (National Apprenticeship Training Scheme – NATS)। यह शिक्षा मंत्रालय के तहत 1 वर्षीय प्रशिक्षुता कार्यक्रम है।
- ‘प्रशिक्षुता कार्यक्रम के माध्यम से राष्ट्रीय रोजगार नियोजनीयता’। यह कौशल विकास मंत्रालय के तहत अगले 10 वर्षों के लिए हर साल 2 लाख प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने के लिए एक ‘निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) कार्यक्रम है। कौशल विकास मंत्रालय, प्रशिक्षुता आउटलुक रिपोर्ट भी जारी करता है।
- राष्ट्रीय प्रशिक्षुता मेला। यह एक लाख से अधिक प्रशिक्षुओं के नियोजन में सहायता प्रदान करता है।
- शिक्षुता और कौशल में उच्च शिक्षा वाले युवाओं के लिए योजना ‘श्रेयस’ (SHREYAS – scheme for higher education youth in apprenticeship and skill)।
- युवाह (YuWaah) यूथ स्किलिंग इनिशिएटिव।
- प्रशिक्षु अधिनियम, 1961। यह उद्योग में प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण को नियंत्रित करता है।
आवश्यकता:
- आवश्यकता-आधारित कौशल प्रदान करने के लिए नियोक्ता के नेतृत्व में ‘प्रशिक्षण मैनुअल’ की शुरुआत।
- विश्वविद्यालयों में शिक्षाशास्त्र और पाठ्यक्रम में बदलाव।
- बेहतर कुशल प्रशासन।
- अध्ययन के अनुसार यदि प्रत्येक एमएसएमई केवल एक प्रशिक्षु को नियुक्त करता है, तब भी भारत में 25 लाख प्रशिक्षुताएं होंगी।
निष्कर्ष:
इन सुधारों के साथ, न केवल हमारी अप्रेंटिसशिप के नियोजन में तेजी आयेगी, बल्कि यूरोप, चीन और जापान जैसे देश, जो गत एक दशक से अप्रेंटिसशिप में अग्रणी भूमिका का बीड़ा उठाया है, भारत उनके बराबर पहुँच जाएगा।
इंस्टा लिंक
मेंस लिंक:
प्रशिक्षुता कौशल व्यावसायिक फर्मों को कई तरह से उत्पादकता बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, अतः यह भारत की सफलता की वास्तविक कुंजी हो सकती है। चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
स्रोत: इकोनॉमिक टाइम्स
विषय: अर्थव्यवस्था पर उदारीकरण के प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन और औद्योगिक विकास पर उनके प्रभाव।
प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022
संदर्भ: प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 में संशोधन के लिए लंबे समय से प्रतीक्षित ‘प्रतिस्पर्धा (संशोधन) विधेयक, 2022’ (The competition (amendment) Bill, 2022) को आखिरकार, हाल ही में, लोकसभा में पेश किया गया।
‘भारतीय प्रतिस्पर्धा अधिनियम’ (Indian Competition Act) 2002 में पारित किया गया था, लेकिन यह क़ानून अपने पारित होने के सात साल बाद ही लागू हो सका था। इस क़ानून की समीक्षा के लिए वर्ष 2019 में एक ‘समीक्षा समिति’ गठित की गई जिसने अधिनियम में कई बड़े संशोधनों का प्रस्ताव किया है।
आवश्यकता:
‘प्रतिस्पर्धा आयोग’ (Competition Commission) मुख्य रूप से बाजार में प्रतिस्पर्धा-रोधी प्रथाओं संबंधी तीन मामलों की निगरानी करता है:
- प्रतिस्पर्धा-रोधी करार (anti-competitive agreements),
- प्रभुत्व का दुरुपयोग (abuse of dominance) और
- संयोजन (combinations)।
बाजार की बदलती गतिकी: तकनीकी प्रगति, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और कीमत के अलावा अन्य कारकों के बढ़ते महत्व के कारण बाजार की गतिशीलता तेजी से बदलने के साथ, बाजार की प्रतिस्पर्धा को बनाए रखने और बढ़ावा देने के लिए संशोधन आवश्यक हो गए है।
विधेयक में प्रस्तावित प्रमुख संशोधन:
- आयोग के लिए सूचना: व्यावसायिक संस्थाओं को किसी ‘संयोजन’ (combination) को निष्पादित करने से पहले ‘प्रतिस्पर्धा आयोग’ को सूचित करना आवश्यक होगा।
- आयोग, प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव की जांच करने के बाद ‘संयोजन’ को स्वीकृत या अस्वीकृत कर सकता है।
- समय-सीमा में वृद्धि: नए विधेयक में ‘संयोजन’ को मंजूरी देने के लिए 30 दिनों की संरक्षिका अवधि (conservatory period) सहित, समय-सीमा को 210 कार्य दिवसों से बढ़ाकर केवल 150 कार्य दिवसों तक बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया है।
- प्रतिस्पर्धात्मक-रोधी समझौते: संशोधन में, समान व्यापार प्रथाओं में शामिल न होने पर भी ‘कार्टेलिज़ेशन’ (Cartelisation) की सुविधा प्रदान ‘संस्थाओं’ को पकड़ने के लिए ‘प्रतिस्पर्धी-रोधी समझौतों’ के दायरे को विस्तृत किया गया है।
- निपटान और प्रतिबद्धताओं के लिए ढांचा: ऊर्ध्वाधर समझौतों (Vertical Agreements) और प्रभुत्व (Dominance) के दुरुपयोग से संबंधित मामलों के लिए ‘निपटान और प्रतिबद्धता ढांचा’ तैयार किए जाने का प्रस्ताव किया गया है।
- ऊर्ध्वाधर समझौतों और प्रभुत्व के दुरुपयोग के मामले में, महानिदेशक (डीजी) द्वारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने से पहले पार्टियां एक ‘प्रतिबद्धता’ के लिए आवेदन कर सकती हैं।
- रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद, और आयोग के निर्णय से पहले ‘निपटान’ पर विचार किया जाएगा।
- उदारता का प्रावधान: ‘उदारता प्लस’ (Leniency Plus) के तहत, आयोग के लिए असंबंधित बाजार में किसी अन्य कार्टेल के अस्तित्व का खुलासा करने वाले किसी आवेदक को दंड की अतिरिक्त छूट देने की अनुमति दी गयी है।
- महानिदेशक की नियुक्ति: महानिदेशक की नियुक्ति केंद्र सरकार के बजाय आयोग द्वारा की जाएगी, इस प्रकार आयोग को अधिक नियंत्रण दिया गया है।
- दंड और दंड दिशानिर्देश: किसी भी गलत सूचना के लिए, पांच करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा, और आयोग के निर्देशों का पालन करने में विफलता के लिए, 10 करोड़ का जुर्माना लगाया जाएगा।
- ‘राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण’: आयोग के आदेश के खिलाफ ‘राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण’ (National Company Law Tribunal – NCLT) द्वारा सुनवाई के लिए, पार्टी को जुर्माना राशि का 25% जमा करना होगा।
खुले बाजार की खरीद में संयोजन पार्टियों के समक्ष चुनौतियाँ:
- ‘गन जंपिंग’ के मामले: खुले बाजार में खरीद की निष्पत्ति को स्थगित करने में ‘संयोजन पार्टियों’ की अक्षमता के कारण कई बार ‘गन जंपिंग’ (Gun jumping) के मामले सामने आए हैं।
- गैर-वहनीय लेन-देन: यदि पार्टियां आयोग की मंजूरी की प्रतीक्षा करती हैं, तो लेन-देन ‘गैर-वहनीय’ (Unaffordable) हो सकता है।
- खुले बाजार की खरीद में छूट: संशोधन में आयोग को अग्रिम रूप से सूचित करने के बजाय खुले बाजार की खरीद और स्टॉक मार्केट लेनदेन को छूट देने का प्रस्ताव है।
- इसके लिए यह शर्त होगी, कि अधिग्रहणकर्ता द्वारा मतदान या स्वामित्व अधिकारों का प्रयोग तब तक नहीं किया जाएगा, जब तक कि लेनदेन स्वीकृत नहीं हो जाता और बाद में आयोग को इसकी सूचना नहीं दी जाती।
निष्कर्ष:
इन संशोधनों को लागू करके, आयोग को नए युग के बाजार के कुछ पहलुओं को संभालने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित किया जाना चाहिए और इसे अधिक मजबूत बनाने के लिए इसकी कार्य-प्रणाली में परिवर्तन किया जाना चाहिए।
हब-एंड-स्पोक व्यवस्थाएं:
हब-एंड-स्पोक व्यवस्था (Hub-and-Spoke arrangements) एक प्रकार का ‘कार्टेलाइज़ेशन’ है जिसमें उर्ध्वाधर रूप से संबंधित कारोबारी ‘हब’ (Hub) के रूप में कार्य करते हैं और आपूर्तिकर्ताओं या खुदरा विक्रेताओं (spokes) पर क्षैतिज प्रतिबंध लगाते हैं।
- वर्तमान में, प्रतिस्पर्धा-रोधी समझौतों पर प्रतिबंध में केवल ‘समान व्यापार वाली संस्थाओं’ को शामिल किया जाता है।
- ‘हब-एंड-स्पोक मॉडल’ का उपयोग तब किया जाता है जब एक केंद्रीय लोकेशन (जिसे ‘हब’ कहा जाता है) के साथ कई लोकेशन स्थान (Multiple Locations Sourcing) होते हैं। यह लोकेशन ग्राहक के संपर्क के लिये एक एकल बिंदु प्रदान करता है, जिसे ‘स्पोक’ कहा जाता है।
‘गन-जंपिंग’ क्या है?
पार्टियों को ‘संयोजन’ के अनुमोदन से पहले इससे संबधित प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ानी चाहिए।
- यदि ‘संयोजन पार्टियाँ’ अनुमोदन से पहले एक ‘अधिसूचित लेनदेन’ को पूरा कर देते हैं, या आयोग को सोचित किए बिना एक ‘रिपोर्ट योग्य’ लेनदेन को पूरा दिया जाता है, तो इसे ‘गन-जंपिंग’ (gun-jumping) के रूप में देखा जाता है।
- गन-जंपिंग के लिए, कुल संपत्ति या कारोबार का 1% जुर्माने के रूप में वसूला जाता था। यह नए विधेयक में इसे सौदे के मूल्य का 1% किए जाने का प्रस्ताव किया गया है।
‘भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग’ के बारे में:
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI), भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय है।
- इसकी स्थापना प्रतिस्पर्द्धा अधिनियम, 2002 (Competition Act, 2002) के तहत अधिनियम के प्रशासन, कार्यान्वयन और प्रवर्तन के लिए की गई थी और मार्च 2009 में इसका विधिवत गठन किया गया था।
- इसके अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।
इंस्टा लिंक्स:
मेंस लिंक:
विश्व व्यापार में संरक्षणवाद और मुद्रा में हेराफेरी की हालिया घटनाएं भारत की व्यापक आर्थिक स्थिरता को किस प्रकार प्रभावित करेंगी? (UPSC 2018)
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत का प्रतिस्पर्धा आयोग
- गन जंपिंग
- हब और स्पाइक व्यवस्था
- एनसीएलटी
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन– IV
औषधि-निर्माता, डॉक्टर्स और इनमे मिलीभगत को दूर रखने के लिए आचार संहिता
संदर्भ: लोकप्रिय पेरासिटामोल ब्रांड ‘डोलो’ (Dolo) के निर्माताओं द्वारा 1000 करोड़ रुपये के ‘मुफ्त उपहारों’ के वितरण पर हालिया विवाद ने फार्मा क्षेत्र से संबंधित विपणन प्रथाओं में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया है।
2015 में, अनैतिक प्रथाओं को दूर रखने के लिए ‘यूनिफॉर्म कोड ऑफ फार्मास्युटिकल्स मार्केटिंग प्रैक्टिसेज’ (UCPMP) एक स्वैच्छिक कोड के रूप में अपनाया गया था।
संबंधित नैतिक मुद्दे:
- डॉक्टर-फार्मा नेक्सस: बाजार में दवाओं का एक प्रकार का एकाधिकार (जैसे: डोलो) बनाना।
- डॉक्टरों को रिश्वत देना – नकद या महंगे उपहारों के माध्यम से।
- डॉक्टरों को अवैध प्रथाओं में शामिल करना: दवा परीक्षण, नैदानिक परीक्षण, आदि जहां रोगी अपने डॉक्टरों पर भरोसा करते हैं और इसके परिणामों को जाने बिना इन परीक्षणों में भाग लेते हैं।
आवश्यक उपाय:
- फार्मास्युटिकल मार्केटिंग प्रैक्टिस के लिए यूनिफ़ॉर्म कोड (UCPMP) को वैधानिक आधार देते हुए कानूनी रूप से बाध्यकारी ‘आचार संहिता’ बनाया जाना चाहिए। साथ ही, इसे प्रभावी, पारदर्शी और जवाबदेह भी बनाया जाना चाहिए।
- भेषज उद्योग (pharmaceutical industry) के लिए एक सख्त ‘नैतिक विपणन संहिता’ लागू किए जाने की आवश्यकता है।
स्रोत: बिजनेस स्टैंडर्ड
मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (नैतिकता/निबंध)
जम्मू-कश्मीर में घायल हुए पाक आतंकवादी को सैनिकों द्वारा रक्तदान
- भारतीय सेना के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में एक सीमा चौकी पर हमला करने के प्रयास के दौरान गोली लगने के बाद गंभीर रूप से घायल एक पाकिस्तानी आतंकवादी को भारतीय सैनिकों ने को रक्तदान किया था।
- आतंकवादी ने कहा कि ‘कर्नल यूनुस चौधरी’ नामक एक पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी ने उसे भेजा था।
इस उदाहरण का उपयोग करुणा, सहानुभूति, मानवता/सार्वभौमिक मानवीय मूल्यों आदि में किया जा सकता है।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
मंडला कला
संदर्भ: लिवरपूल के निवासी, पत्तियों और छोटे-छोटे पत्थरों जैसी सामग्री से निर्मित लंबाई में लगभग डेढ़ फुटबॉल पिच के बराबर की एक ‘मंडला कलाकृति’ पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे हैं। यह कलाकृति, कलाकार जेम्स ब्रंट द्वारा बनाई गई है।
- ‘मंडला’ (Mandala) एक ज्यामितीय डिजाइन या पैटर्न है, जिसमे विभिन्न स्वर्गीय दुनियाओं में ब्रह्मांड या देवताओं का चित्रण किया जाता है। ‘मंडला’ कलाकृतियाँ, डिजाइन और ब्रह्मांड की समरूपता में शांति पाने के बारे में होती है। मंडला पैटर्न, सदियों पुराने प्रतीकों और ब्रह्मांड को चित्रित करने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- हालाँकि, इसे एक वर्ग के आकार में भी बनाया जा सकता है, और मंडल पैटर्न अनिवार्य रूप से परस्पर जुड़े हुए होते हैं।
राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार-2022
‘गोपाल रत्न पुरस्कार’ पशुधन और डेयरी क्षेत्र के क्षेत्र में दिए जाने वाले सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है।
- यह पुरस्कार, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अधीन ‘पशुपालन और डेयरी विभाग’ द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
- उद्देश्य: इस क्षेत्र में कार्यरत सभी व्यक्तियों और डेयरी सहकारी समितियों / दुग्ध उत्पादक कंपनी / डेयरी किसान उत्पादक संगठनों को तीन श्रेणियों में सम्मानित करना।
- “राष्ट्रीय गोकुल मिशन (RGM)” देश में पहली बार दिसंबर 2014 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों को वैज्ञानिक तरीके से संरक्षित और विकसित करना था।
+
राज्य की योजनाओं के लिए आयुष्मान कार्ड का उपयोग मान्य
आयुष्मान भारत- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के ‘लाभार्थी कार्ड’ का उपयोग अब किसी भी मौजूदा राज्य स्वास्थ्य बीमा योजनाओं का लाभ उठाने के लिए किया जा सकता है। साथ ही, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) द्वारा केंद्र एवं राज्य दोनों की योजनाओं के नाम और नए कार्डों पर AB-PMJAY के ‘लोगो’ के साथ ‘सह-ब्रांडिंग’ की अनुमति भी दी गयी है।
आयुष्मान भारत:
- स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र (HWCs)
- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PM-JAY)।
PM-JAY की प्रमुख विशेषताएं:
- आयुष्मान भारत ‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (PM-JAY), सरकार द्वारा पूरी तरह से वित्तपोषित, विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा / आश्वासन योजना है।
- यह योजना भारत में सार्वजनिक व निजी सूचीबद्ध अस्पतालों में माध्यमिक और तृतीयक स्वास्थ्य उपचार के लिए प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक की धन राशि लाभार्थियों को मुहया कराती है।
- कवरेज: 74 करोड़ से भी अधिक गरीब व वंचित परिवार (या लगभग 50 करोड़ लाभार्थी) इस योजना के तहत लाभ प्राप्त कर सकतें हैं।
- इस योजना में सेवा-स्थल पर लाभार्थी के लिए कैशलेस स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को उपलब्ध कराया जाता है।
- AB-PMJAY योजना को पूरे देश में लागू करने और इसके कार्यान्वयन हेतु ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण’ (National Health Authority – NHA) नोडल एजेंसी है।
- यह योजना, कुछ केंद्रीय क्षेत्रक घटकों के साथ एक केंद्र प्रायोजित योजना है।
योजना के अंतर्गत पात्रता:
- इस योजना के तहत परिवार के आकार, आयु या लिंग पर कोई सीमा नहीं है।
- इस योजना के तहत पहले से मौजूद विभिन्न चिकित्सीय परिस्थितियों और गम्भीर बीमारियों को पहले दिन से ही शामिल किया जाता है।
- इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती होने से 3 दिन पहले और 15 दिन बाद तक का नैदानिक उपचार, स्वास्थ्य इलाज व दवाइयाँ मुफ्त उपलब्ध होतीं हैं।
- यह एक पोर्टेबल योजना हैं यानी की लाभार्थी इसका लाभ पूरे देश में किसी भी सार्वजनिक या निजी सूचीबद्ध अस्पताल में उठा सकतें हैं।
- इस योजना में लगभग 1,393 प्रक्रियाएं और पैकिज शामिल हैं जैसे की दवाइयाँ, आपूर्ति, नैदानिक सेवाएँ, चिकित्सकों की फीस, कमरे का शुल्क, ओ-टी और आई-सी-यू शुल्क इत्यादि जो मुफ़्त उपलब्ध हैं।
- स्वास्थ्य सेवाओं के लिए निजी अस्पतालों की प्रतिपूर्ति सार्वजनिक अस्पतालों के बराबर की जाती है।
स्वास्थ्य केंद्र:
‘प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ (PM-JAY) के तहत, 1.5 लाख उप-केंद्रों को ‘स्वास्थ्य केद्रों’ में परिवर्तित किया जा चुका है, ये केंद्र हृदय रोगों का पता लगाने और उपचार, सामान्य कैंसर की जांच, मानसिक स्वास्थ्य, बुजुर्गों की देखभाल, आंखों की देखभाल आदि जैसी अधिकांश सेवाओं को पूरा करेंगे।
सम्बंधित खबर:
सरकार द्वारा ट्रांस व्यक्तियों के लिए ‘स्वास्थ्य बीमा’ प्रदान किया जाएगा।
- आयुष्मान भारत योजना के तहत ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को हर साल 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा मिलेगा।
- बीमा पॉलिसी में ‘सेक्स रीअसाइनमेंट सर्जरी’ भी शामिल होगी।
- ट्रांस व्यक्तियों को जारी किए गए स्वास्थ्य कार्ड, उनके परिवार के सदस्यों को कवर नहीं करेंगे।
- ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए, राष्ट्रीय पोर्टल द्वारा जारी ट्रांसजेंडर प्रमाण पत्र धारकों को लाभ दिया जाएगा।
MCA21 संस्करण -3
संदर्भ: MCA21 संस्करण-3.0 एक प्रौद्योगिकी-संचालित फॉरवर्ड-लुकिंग प्रोजेक्ट है, जिसे प्रवर्तन को सशक्त करने, व्यवसाय करने में आसानी को बढ़ावा देने और उपयोगकर्ता अनुभव को बढ़ाने के लिए परिकल्पित किया गया है।
MCA21 के बारे में:
- MCA21 ‘कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय’ (MCA) की एक ई-गवर्नेंस पहल है जो भारत के कॉर्पोरेट संस्थाओं, पेशेवरों और नागरिकों के लिए MCA सेवाओं की आसान और सुरक्षित पहुँच प्रदान करता है।
- इससे व्यापारिक समुदाय को अपने वैधानिक दायित्वों को पूरा करने में मदद मिलेगी।
‘निच’ बैटरी विकसित करने के लिए उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना
संदर्भ: सरकार ने जलवायु लक्ष्यों को हासिल करने और जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता को कम करने के लिए ‘निच’ बैटरी (‘Niche’ Batteries) विकसित करने के लिए लगभग 500 मिलियन डॉलर मूल्य के उत्पादन-संबद्ध छूट देने की पेशकश करने की योजना बनाई है।
- अन्य PLI योजनाओं के विपरीत, जहां विनिर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, यह नया उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) ‘‘निच उन्नत रसायनकी सेल’ पर दिया जा रहा है। इस योजना से उत्पादन के साथ-साथ नए रसायनकी सेल के अनुसंधान और विकास के लिए छूट मिलने की संभावना है।
- नई तकनीकों और बैटरी रसायनकी की खोज, भारत में लिथियम की भारी कमी की पृष्ठभूमि में हुई है।
कोराडिया आईलिंट
संदर्भ: जर्मनी ने हाइड्रोजन से चलने वाली यात्री ट्रेनों का दुनिया का पहला बेड़ा ‘कोराडिया आईलिंट’ (Coradia iLint) लॉन्च किया है।
- कोराडिया आईलिंट ट्रेनों की सीमा 1,000 किलोमीटर तक और अधिकतम गति 140 किमी प्रति घंटे (87 मील प्रति घंटे) है।
- नवीकरणीय ऊर्जा से उत्पादित हाइड्रोजन का उपयोग करके ट्रेनें एक वर्ष में 1.6 मिलियन लीटर (422,000 गैलन से अधिक) डीजल ईंधन की बचत करेंगी।
- हाइड्रोजन वर्तमान में रासायनिक प्रक्रियाओं के उपोत्पाद के रूप में उत्पादित किया जाता है, लेकिन जर्मन गैस कंपनी ‘लिंडे’ तीन साल के भीतर केवल अक्षय ऊर्जा का उपयोग करके इसे स्थानीय रूप से उत्पादित करने की योजना बना रही है।
2024 तक पवन ऊर्जा परियोजनाओं का चरम स्तर
संदर्भ: एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में नई पवन ऊर्जा परियोजनाओं की वार्षिक स्थापना 2024 तक चरम पर होगी और उसके बाद संभावित गिरावट आएगी। 2024 के बाद, नई परियोजनाओं के ‘पवन-सौर संकरण’ (wind-solar hybrids) होने की संभावना है।
- अभी तक केवल 40 गीगावाट पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित की जा सकी है।
- 2017 के बाद से भारत में पवन उद्योग की स्थापना धीमी हो रही है। 2021 में केवल 1.45 GW पवन परियोजनाएं स्थापित की गई थीं, जिनमें से कई COVID-19 की दूसरी लहर और आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित व्यवधानों के कारण विलंबित थीं।
वाणिज्य विभाग का पुनर्गठन
संदर्भ: हाल ही में, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा ‘डिपार्टमेंट ऑफ कॉमर्स री-स्ट्रकचरिंग डॉजियर’ (वाणिज्य विभाग की पुनर्संरचना रिपोर्ट) जारी की गयी।
वाणिज्य विभाग की पुनर्संरचना का उद्देश्य विश्व व्यापार में भारत को अग्रणी भूमिका में ले आना है।
पुनर्गठन का व्यापक उद्देश्य:
पुनर्संरचना पांच प्रमुख स्तंभों पर आधारित हैः
- विश्व व्यापार में भारत के हिस्से को बढ़ाना, (2030 तक 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का निर्यात हासिल करना) ।
- बहुपक्षीय संगठनों में नेतृत्वकारी भूमिका अपनाना,
- व्यापार का लोकतांत्रिकीकरण,
- वैश्विक चैम्पियनों के रूप में 100 भारतीय ब्रांडों की रचना करना तथा
- भारत में आर्थिक ज़ोनों की स्थापना करना।
पुनर्संरचना के लिए विशिष्ट कार्यक्रम:
- 3-टी, यानी ट्रेड, टेक्नोलॉजी और टूरिज्म पर फोकस।
- प्रचार रणनीति के निर्माण और निष्पादन को बढ़ावा देने के लिए समर्पित ‘व्यापार संवर्धन निकाय’।
- व्यापार सुविधा प्रक्रियाओं का डिजिटलीकरण।
- विशेषज्ञता और संस्थागत स्मृति को बढ़ावा देने के लिए भारतीय व्यापार सेवा के डेटा और विश्लेषण पारिस्थितिकी तंत्र की मरम्मत और क्षमता निर्माण।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय- दो विभागों, वाणिज्य विभाग और ‘औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग’ का प्रशासन करता है।
मल्टी-मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क
संदर्भ: भारतमाला परियोजना के तहत आधुनिक मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (Multi Modal Logistics Park – MMLP) के तेजी से विकास के लिए त्रिपक्षीय समझौता।
राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (NHLML), भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) और रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) द्वारा इस त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
उद्देश्य:
- ‘माल ढुलाई समेकन’ (freight consolidation) को केंद्रीकृत करना। माल (freight) ट्रक, ट्रेन, जहाज या विमान द्वारा थोक में लाया-ले जाने वाला सामान होता है।
- लॉजिस्टिक की लागत को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सकल घरेलू उत्पाद के 14 प्रतिशत से कम करके 10 प्रतिशत पर लाना।
- कार्गो को जलमार्ग, समर्पित फ्रेट कॉरिडोर और सड़क परिवहन से स्वैप/स्थानांतरित किया जाना सुनिश्चित करना।
- तेज, कुशल, किफायती और पर्यावरण के अनुकूल लॉजिस्टिक्स मूवमेंट सुनिश्चित करना।
- पीएम गति शक्ति के माध्यम से मापनीय अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त और सक्रिय करना।
MMLP के बारे में:
- मल्टी मॉडल लॉजिस्टिक्स पार्क (MMLP), रेल और सड़क मार्ग से पहुंच के साथ एक माल ढुलाई सुविधा होगी।
- ‘हब एंड स्पोक मॉडल’ के तहत विकसित, MMLP राजमार्गों, रेलवे और अंतर्देशीय जलमार्गों के माध्यम से माल परिवहन के कई तरीकों को एकीकृत करेगा।
- समझौता देश के भीतर लॉजिस्टिक की आवाजाही में दक्षता हासिल करने के लिए तीन निकायों के बीच सहयोग और सहयोग मॉडल को रेखांकित करता है।
- मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स पार्कों के विकास के लिए 35 स्थानों की पहचान की गई है।
- भारत का पहला MMLP असम के जोगीघोपा में होगा।
परियोजनाओं के बारे में:
- भारतमाला परियोजना सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा परिकल्पित राजमार्ग क्षेत्र के लिए एक अम्ब्रेला कार्यक्रम है।
- गति शक्ति योजना (अब 110 लाख करोड़ रुपये की राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (2019) में समाहित) का उद्देश्य लॉजिस्टिक लागत को कम करने के लिए बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की समन्वित योजना और निष्पादन करना है।
तीन निकायों के बारे में:
- राष्ट्रीय राजमार्ग रसद प्रबंधन लिमिटेड (NHLML), राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) का एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) है।
- भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI)- बंदरगाह, नौवहन और जलमार्ग मंत्रालय के तहत एक वैधानिक प्राधिकरण है।
- रेल विकास निगम लिमिटेड (RVNL) – रेल मंत्रालय के तहत एक पूर्ण स्वामित्व वाला सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
स्टॉकहोम विश्व जल सप्ताह 2022
संदर्भ: राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन द्वारा ‘स्टॉकहोम विश्व जल सप्ताह’ 2022 के पहले दिन आभासी सत्र की मेजबानी की गयी।
‘विश्व जल सप्ताह’ क्या है?
विश्व जल सप्ताह (World Water Week), वैश्विक जल मुद्दों पर प्रमुख वार्षिक कार्यक्रम है, जिसका आयोजन 1991 से ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल वाटर इंस्टीट्यूट’ (SIWI) द्वारा किया जाता है।
विश्व जल सप्ताह 2022 का विषय: “अनदेखे को देखना: पानी का मूल्य” है।
विश्व जल सप्ताह: इतिहास
- 1991 में, स्टॉकहोम शहर में मछली पकड़ना और तैरना फिर से संभव होने के उपलक्ष्य में एक सार्वजनिक जल उत्सव आयोजित किया गया था।
- इस उत्सव के हिस्से के रूप में,’ स्टॉकहोम जल संगोष्ठी’ नामक एक ‘जल सम्मेलन’ आयोजित किया गया, जिसमें प्रमुख वैज्ञानिकों ने भाग लिया।
- यही संगोष्ठी, बाद में ‘विश्व जल सप्ताह’ में परिवर्तित हो गयी।
SING प्रोजेक्ट
संदर्भ: नेबुलर गैस की स्पेक्ट्रोग्राफिक जांच (Spectrographic Investigation of Nebular Gas – SING) परियोजना, भारतीय खगोल विज्ञान संस्थान (IIA) और रूसी विज्ञान अकादमी के बीच, चीन के तियांगोंग अंतरिक्ष स्टेशन के लिए पेलोड डिजाइन करने के लिए एक ‘सहयोग’ है।
संबंधित चिंता: भारत के बीच तनाव के कारण, चीन ने परियोजना के भविष्य को लेकर चिंता जताई है।
‘स्पेक्ट्रोग्राफ’ (spectrograph) एक ऐसा उपकरण होता है जो आने वाली रोशनी को उसकी तरंग दैर्ध्य या आवृत्ति से अलग करता है और उन्हें रिकॉर्ड करता है। कई खगोलीय अवलोकन मुख्यतः स्पेक्ट्रोग्राफ के रूप में दूरबीनों का उपयोग करते हैं।
‘चीन के कार्यक्रम’ के बारे में:
- चीन का अंतरिक्ष स्टेशन ‘पृथ्वी की निचली कक्षा’ (340-450 किमी) में संचालित होगा।
- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) को 2024 के बाद ‘लूनर गेटवे’ के लिए जगह छोड़ने के लिए हटा दिया जाएगा। ‘लूनर गेटवे’, नासा के आर्टेमिस मिशन के तहत एक छोटी बाहरी आउटपोस्ट होगी, जो चंद्रमा की परिक्रमा करेगी। इस परियोजना में चीन शामिल नहीं है।
अन्य नियोजित अंतरिक्ष स्टेशन:
- लूनर गेटवे: NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ESA), जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA), और कैनेडियन स्पेस एजेंसी (CSA)।
- रशियन ऑर्बिटल सर्विस स्टेशन का निर्माण 2025 में शुरू होने वाला है।
- ‘स्टारलैब’: वाणिज्यिक अंतरिक्ष गतिविधियों के उपयोग के लिए नानोरैक (Nanorack) द्वारा डिजाइन किए गए नियोजित ‘पृथ्वी की निचली कक्षा’ (LEO) अंतरिक्ष स्टेशन को ‘स्टारलैब’ (Starlab) नाम दिया गया है।
- भारतीय मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम: गगनयान मिशन का अनुवर्ती कार्यक्रम।
श्वेत वामन (व्हाईट ड्वार्फ)
संदर्भ: हाल के अध्ययन के अनुसार, 2007 की सर्दियों वाले महीनों में दुनिया भर के खगोल भौतिकीविद सुदूर अन्तरिक्ष में एक श्वेत वामन (व्हाईट ड्वार्फ – white dwarf) और उसके साथी तारे के ब्रह्मांडीय नृत्य से उत्पन्न हुए एक ऐसे उज्ज्वल विस्फोट के परिणामस्वरूप एक विस्फोटित नोवा के चारों ओर मोटी धूल एकत्र हो गई थी।
नए तारों की धूल के उनके अध्ययन से ऐसी धूल की प्रकृति और विशेषताओं एवं उनसे संबंधित प्रक्रियाओं को समझने में मदद मिल सकती है।
नोवा क्या है?
- एक नोवा (Nova) एक खगोलीय घटना है जिसमें एक अस्थायी रूप से प्रचंड विस्फोट होता है, इस प्रकार चमक उत्पन्न होती है, जोकि धीरे-धीरे हफ्तों या महीनों में अंधकार में बदल जाती है।
- यह घटना आम तौर पर एक बाइनरी सिस्टम (पिंड के एक केंद्र के चारों ओर परिक्रमा करने वाले दो तारे) में होती है, जिसमें एक सफेद बौना तारा (White dwarf) और एक मुख्य अनुक्रम तारा होता है।
महत्व: अंतरिक्ष-धूल टकराव, विभिन्न ग्रहों के बीच अत्यधिक दूरी होने के बाद भी जीवों को ग्रह पर जीवन शुरू करने के लिए प्रेरित करने का कारण हो सकता है।