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[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 16 July 2022

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

  1. एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद के लिए भारत को छूट
  2. SCO के नए सदस्य के रूप में ईरान और बेलारूस
  3. उच्च शिक्षण संस्थानों की भारत रैंकिंग 2022
  4. असम एवं अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद को हल करने हेतु समझौते पर हस्ताक्षर

सामान्य अध्ययन-III

  1. वित्तीय समावेशन

मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (नैतिकता/निबंध)

  1. राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में मिट्टी और पानी के संरक्षण के लिए सरजूबाई मीणा का मिशन
  2. पूजा स्थलों में कार्बन तटस्थता
  3. स्थल पर जीवन बचाने के मामले में विश्व पथभ्रष्ट: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. TIME की 2022 के विश्व के महानतम स्थानों की सूची
  2. प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण विधेयक, 2019
  3. POSOCO द्वारा एकल खिड़की हरित ऊर्जा प्रणाली
  4. समर्थ
  5. निर्माण-संचालन-हस्तांतरण मॉडल
  6. लो-पावर मेमोरी डिवाइस
  7. स्थानांतरण कृषि (पोडू)
  8. एशियाई काले भालू

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

S-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद हेतु भारत को छूट

संदर्भ: हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका के निचने सदन अर्थात ‘यूएस हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव’ में एक विधायी संशोधन पारित किया गया है, जिसके तहत चीन जैसे हमलावरों को रोकने में मदद करने के लिए रूस से ‘एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली’ (S-400 missile defence system) की खरीद के लिए दंडात्मक CAATSA प्रतिबंधों से भारत को छूट को मंजूरी दी गयी है।

  • कैलिफोर्निया के 17वें विधानमंडल जिले के अमेरिकी प्रतिनिधि ‘रो खन्ना’ ने कहा, “चीन की ओर से बढ़ती आक्रामकता का सामना करने के लिए अमेरिका को भारत के साथ खड़ा होना चाहिए।
  • विदित हो कि, अमेरिका द्वारा रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणालियों के एक बैच की खरीद के लिए CAATSA के तहत ‘तुर्की’ पर पहले ही प्रतिबंध लगाए जा चुके हैं।

CAATSA क्या है?

‘अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों को प्रतिबंधो के माध्यम से प्रत्युत्तर अधिनियम’ (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act- CAATSA) का प्रमुख उद्देश्य दंडात्मक उपायों के माध्यम से ईरान, उत्तर कोरिया और रूस को प्रत्युत्तर देना है।

  • CAATSA के तहत, अमेरिकी प्रशासन को रूस से प्रमुख रक्षा हार्डवेयर खरीदने वाले देशों पर प्रतिबंध लगाने की शक्ति प्रदान की गयी है।
  • यह क़ानून वर्ष 2017 में, क्रीमिया पर रूस के कब्जे (2014) और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित हस्तक्षेप के जवाब में पारित किया गया था।
  • इसके तहत, रूस के रक्षा और ख़ुफ़िया क्षेत्रों में महत्वपूर्ण लेनदेन करने वाले देशों के खिलाफ लगाए जाने वाले प्रतिबंधो को शामिल किया गया है।

CAATSA के तहत लगाए जाने वाले प्रतिबंध:

  1. अभिहित व्यक्ति (sanctioned person) के लिए ऋणों पर प्रतिबंध।
  2. अभिहित व्यक्तियों को निर्यात करने हेतु ‘निर्यात-आयात बैंक’ सहायता का निषेध।
  3. संयुक्त राज्य सरकार द्वारा अभिहित व्यक्ति से वस्तुओं या सेवाओं की खरीद पर प्रतिबंध।
  4. अभिहित व्यक्ति के नजदीकी लोगों को वीजा से मनाही।

S-400 वायु रक्षा प्रणाली

S-400 ट्रायम्फ (S-400 Triumf) रूस द्वारा डिज़ाइन की गयी एक मोबाइल, सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (surface-to-air missile system- SAM) है।

  • यह विश्व में सबसे खतरनाक, आधुनिक एवं परिचालन हेतु तैनात की जाने वाली लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली SAM (MLR SAM) है, जिसे अमेरिका द्वारा विकसित, ‘टर्मिनल हाई एल्टीट्यूड एरिया डिफेंस’ (Terminal High Altitude Area Defence – THAAD) से काफी उन्नत माना जाता है।
  • भारत ने S-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ (2018 में) 5 बिलियन अमरीकी डालर के समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।

Current Affairs

इंस्टा लिंक:

भारत को S-400 प्रशिक्षण उपकरणों की प्राप्ति

अभ्यास प्रश्न:

एस-400 वायु रक्षा प्रणाली तकनीकी रूप से दुनिया में वर्तमान में उपलब्ध किसी भी अन्य प्रणाली से किस प्रकार बेहतर है? (यूपीएससी 2021)

स्रोत: लाइव मिंट

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

SCO के नए सदस्य के रूप में ईरान और बेलारूस

संदर्भ:

  • शीघ्र ही, चीन एवं रूस समर्थित ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (Shanghai Cooperation Organization SCO) समूह में, ईरान और बेलारूस के दो नए सदस्यों के रूप में शामिल होने की संभावना है।
  • अगले साल ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (SCO) शिखर सम्मेलन की मेजबानी भारत द्वारा की जाएगी, और वाराणसी को SCO क्षेत्र की पहली “पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी” के रूप में चुना गया है।

Current Affairs

 

 

प्रमुख बिंदु:

  • शीघ्र ही, संबंधित औपचारिकताएं पूरी करने के बाद ‘ईरान’, ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (SCO) एक पूर्ण सदस्य बन जाएगा।
  • नए सदस्य देशों के संगठन में शामिल होने संबंधी निर्णय, ‘शंघाई सहयोग संगठन’ (एससीओ) के सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति से किया जाता है, ये देश शीघ्र ही ‘बेलारूस’ के SCO में शामिल होने के आवेदन पर निर्णय लेंगे। .
  • 2017 के बाद पहला विस्तार: वर्ष 2017 में भारत और पाकिस्तान के समूह में शामिल होने के बाद SCO का यह पहला विस्तार है।
  • पश्चिमी देशों के लिए प्रत्युत्तर (Counter to west): चीन और रूस, खासकर यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद‘शंघाई सहयोग संगठन’ को पश्चिमी देशों के जबाव के रूप में तैयार करना चाहते हैं।
  • SCO का बढ़ता अंतरराष्ट्रीय प्रभाव: एससीओ के महासचिव झांग मिंग के अनुसार- इस दौर का समहू में विस्तार, SCO के बढ़ते अंतरराष्ट्रीय प्रभाव, SCO चार्टर के सिद्धांतों की व्यापक रूप से स्वीकारोक्ति को दर्शाता है।
  • NATO से भिन्नता: ‘शंघाई सहयोग संगठन’ का विस्तार, NATO के विस्तार पूर्णतयः भिन्न है, क्योंकि NATO गुटनिरपेक्ष पर आधारित एक सहकारी संगठन है और किसी तीसरे पक्ष को लक्षित नहीं करता है, जबकि NATO शीत युद्ध की सोच पर आधारित है।
  • अन्य देशों की कीमत पर सुरक्षा: SCO का मानना ​​​​है कि किसी को अन्य देशों की कीमत पर अपनी सुरक्षा का निर्माण नहीं करना चाहिए, जबकि नाटो अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए नए दुश्मन बना रहा है।
  • अधिक निष्पक्ष और उचित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था: SCO सदस्य देशों द्वारा इस बारे में विचार किया जा रहा है, कि अंतरराष्ट्रीय स्थितियों में हो रहे गहन परिवर्तनों के प्रति अनुकूलन किस प्रकार स्थापित किया जाए ताकि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को अधिक निष्पक्ष और उचित बनाया जा सके।
  • कनेक्टिविटी और उच्च दक्षता वाले परिवहन गलियारों पर समझौते: ‘समरकंद शिखर सम्मेलन’ में कनेक्टिविटी और उच्च दक्षता वाले परिवहन गलियारों पर समझौते और सदस्य देशों के बीच ‘स्थानीय मुद्रा निपटान’ के लिए एक रोडमैप तैयार होने की उम्मीद है।

SCO के बारे में:

‘शंघाई सहयोग संगठन’ (SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी अंतरराष्ट्रीय संगठन है।

  • SCO के गठन की घोषणा 15 जून 2001 को शंघाई (चीन) में की गई थी।
  • जून 2002 में, सेंट पीटर्सबर्ग SCO राष्ट्राध्यक्षों की बैठक के दौरान ‘शंघाई सहयोग संगठन’ के चार्टर पर हस्ताक्षर किए गए थे, और यह चार्टर 19 सितंबर 2003 को प्रभावी हुआ।
  • SCO का पूर्ववर्ती संगठन ‘शंघाई-5’ था, जिसमे ‘कज़ाकिस्तान, चीन, किर्गिस्तान, रूस और ताजिकिस्तान’ पांच सदस्य थे।
  • SCO की आधिकारिक भाषाएँ, रूसी और चीनी हैं।

SCO के सदस्य देश:

वर्तमान में,  SCO में आठ सदस्य देश शामिल हैं।

  1. कजाकिस्तान
  2. चीन
  3. किर्गिस्तान
  4. रूस
  5. ताजिकिस्तान
  6. उज्बेकिस्तान
  7. भारत
  8. पाकिस्तान

SCO के उद्देश्य:

  • सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और पड़ोसियों को मजबूत करना।
  • राजनीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था, अनुसंधान, प्रौद्योगिकी और संस्कृति के साथ-साथ शिक्षा, ऊर्जा, परिवहन, पर्यटन, पर्यावरण संरक्षण और अन्य क्षेत्रों में प्रभावी सहयोग को बढ़ावा देना।
  • क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने और सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त प्रयास करना।
  • एक लोकतांत्रिक, निष्पक्ष और तर्कसंगत, नई अंतर्राष्ट्रीय राजनीतिक और आर्थिक व्यवस्था की स्थापना की ओर बढ़ना।

Current Affairs

 

इंस्टा लिंक्स:

शंघाई सहयोग संगठन

स्रोत: द हिंदू, द प्रिंट

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

उच्च शिक्षण संस्थानों की इंडिया रैंकिंग 2022

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय शिक्षा मंत्री द्वारा ‘उच्च शिक्षण संस्थानों की इंडिया रैंकिंग 2022’ (India Rankings 2022 of Higher Educational Institutes) जारी की गयी है।

  • शिक्षा मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय संस्थानिक रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (National Institutional Ranking Framework – NIRF, 2022) के अनुसार, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT), मद्रास ने लगातार चौथे वर्ष समग्र श्रेणी में और लगातार सातवें वर्ष इंजीनियरिंग में अपना पहला स्थान बरकरार रखा है।
  • NIRF, 2022 के अनुसार- आईआईटी मद्रास, देश का शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थान है, जिसके बाद भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु और आईआईटी बॉम्बे का स्थान हैं।
  • यह NIRF का लगातार सातवां संस्करण है। यह कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों को रैंक करता है और उन सभी की समग्र रैंकिंग भी प्रदान करता है।
  • इसके तहत, संस्थानों को इंजीनियरिंग, प्रबंधन, फार्मेसी, कानून, चिकित्सा, वास्तुकला और दंत चिकित्सा जैसे सात विषय डोमेन में भी रैंक दी गयी है।

Current Affairs

Current Affairs

 

 

संस्थानों की रैंकिंग हेतु निम्नलिखित मापदंडों का उपयोग किया जाता है:

  1. शिक्षण, अध्ययन एवं संसाधन (Teaching, Learning and Resources)
  2. अनुसंधान एवं व्यावसायिक क्रियाएं (Research and Professional Practices)
  3. स्नातक परिणाम (Graduation Outcomes)
  4. पहुँच एवं समावेशिता (Outreach and Inclusivity)
  5. धारणा (Peer Perception)

 

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • सरकार द्वारा संचालित संस्थानों के लिए अनिवार्य: शुरुआती वर्षों के दौरान NIRF में भागीदारी स्वैच्छिक रखी गयी थी, फिर वर्ष 2018 में इसे सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के लिए अनिवार्य कर दिया गया।
  • सभी के लिए अनिवार्य: शिक्षा मंत्री के अनुसार, हर उच्च शिक्षा संस्थान का प्रत्यायन और मूल्यांकन अनिवार्य किया जाएगा और सभी संस्थानों को NIRF रैंकिंग प्रणाली का हिस्सा बनना होगा।
  • NAAC और NBA का विलय: दो प्रत्यायन प्रणालियाँ – ‘संस्थागत प्रत्यायन के लिए राष्ट्रीय मूल्यांकन और प्रत्यायन परिषद’ (National Assessment and Accreditation Council for institutional accreditation – NAAC) और ‘कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड’ (National Board of Accreditation – NBA) – का विलय किया जाएगा और सरकारी धन-राशि प्राप्त करने के पात्र होने के लिए संस्थानों के पास NAAC मान्यता या NIRF रैंक होना चाहिए।
  • स्कूलों की प्रत्यायन व्यवस्था: देश में स्कूलों की प्रत्यायन की व्यवस्था होगी।

राष्ट्रीय संस्थानिक रैंकिंग फ्रेमवर्क’ (NIRF) क्या है?

यह सरकार द्वारा, देश में ‘उच्च शैक्षणिक संस्थानों’ (HEI) को रैंक प्रदान करने का पहला प्रयास है।

  • इसे शिक्षा मंत्रालय द्वारा नवंबर 2015 में शुरू किया गया था।
  • इस फ्रेमवर्क का उपयोग विभिन्न श्रेणियों तथा ज्ञान-क्षेत्रों में उच्च शैक्षणिक संस्थानों को रैंकिंग प्रदान करने में किया जाता है।
  • शुरुआती वर्षों के दौरान NIRF में भागीदारी स्वैच्छिक रखी गयी थी, फिर वर्ष 2018 में इसे सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के लिए अनिवार्य कर दिया गया।

इंस्टा लिंक्स:

NIRF

अभ्यास प्रश्न:

भारत की ‘राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक नीति 2020’, सतत विकास लक्ष्य-4 (2030) के अनुरूप है। इसका उद्देश्य भारत में शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन और पुन: उन्मुखीकरण करना था। कथन का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (यूपीएससी 2020)

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।

असम एवं अरुणाचल प्रदेश के बीच सीमा विवाद को हल करने हेतु समझौते पर हस्ताक्षर

संदर्भ:

असम और अरुणाचल प्रदेश- दोनों देशों द्वारा लंबे समय से चले आ रहे सीमा विवादों को सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, इसी क्रम में एक समझौते के अनुसार- 1960 में एक समिति द्वारा निर्धारित सीमा रेखा, असम और अरुणाचल प्रदेश अंतरराज्यीय सीमा के पुनर्संरेखण का आधार होगी।

  • हाल ही में, असम और अरुणाचल के मुख्यमंत्रियों के मध्य अरुणाचल के ‘नामसाई’ में सीमा संबंधी विवादों पर तीसरी बैठक आयोजित की गयी थी।
  • जिसके उपरांत, दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से ‘नामसाई घोषणा’ (Namsai Declaration) जारी की।

 

Current Affairs

 

महत्वपूर्ण बिंदु:

  • उच्चाधिकार प्राप्त त्रिपक्षीय समिति द्वारा निर्धारित सीमा रेखा: दोनों राज्यों द्वारा जारी घोषणापत्र के अनुसार- वर्ष 1960 के दौरान, एक उच्चाधिकार प्राप्त त्रिपक्षीय समिति द्वारा ‘अधिसूचित सीमा’ के रूप में, 29 स्थलाकृतियों की शीट पर ‘सीमा रेखा’ को चित्रित एवं हस्ताक्षरित किया गया था। इस ‘सीमा-रेखा को सीमा के पुनर्संरेखण के आधार के रूप में लिया जाएगा।
  • 12 क्षेत्रीय समितियां: दोनों राज्यों ने 123 गांवों के संयुक्त सत्यापन के लिए 12 “क्षेत्रीय समितियां” गठित करने का निर्णय लिया, जिनमें से प्रत्येक समिति, अरुणाचल और असम- दोनों राज्यों के 12-12 जिलों को कवर करेगी।
  • ये समितियां ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, प्रशासनिक सुविधा, निकटता और अंतरराज्यीय सीमा को चित्रित करने संबंधी लोगों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए संबंधित सरकारों को अपनी सिफारिशें देंगी।
  • दोनों राज्य, 37 गांवों को लेकर सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए हैं।
  • क्षेत्रीय समितियों के आधार पर अंतिम निर्णय: अंतिम निर्णय क्षेत्रीय समितियों की सिफारिशों के आधार पर किया जाएगा।
  • गांवों का वितरण: अट्ठाईस गांव, जो अरुणाचल की संवैधानिक सीमा के भीतर हैं, अरुणाचल के साथ रहेंगे। तीन गांव, जिन पर अरुणाचल ने दावा वापस ले लिया था, असम के पास रहेंगे। छह गांवों की अवस्थिति असम में नहीं मिल सकी है और यदि ये गाँव अरुणाचल में मौजूद हैं, तो वे इसके साथ बने रहेंगे।
  • 15 अगस्त से पहले अंतिम भाग: दोनों राज्यों के मध्य यह भी सहमति हुई है, कि जिन क्षेत्रों पर आम सहमति बन जाती है, क्षेत्रीय समितियां उन क्षेत्रों पर अपनी रिपोर्ट की पहली किश्त 15 अगस्त से पहले प्रस्तुत करेंगी।
  • वर्तमान अरुणाचल प्रदेश को फरवरी 1987 में राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ था, इससे पहले भारत के राष्ट्रपति के एजेंट के रूप में असम के राज्यपाल द्वारा प्रशासित ‘उत्तर पूर्व सीमांत पथ’ (North East Frontier Tract) हुआ करता था। 1954 में इसका नाम बदलकर ‘नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी’ कर दिया गया और इसे केंद्र सरकार के नियंत्रण में लाया गया था।

नामसाई घोषणा:

अरुणाचल प्रदेश द्वारा स्थानीय आयोग के समक्ष रखे गए 123 गांवों के संबंध में दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद को कम करने के लिए 15 जुलाई, 2022 को अरुणाचल प्रदेश के ‘नामसाई’, में असम और अरुणाचल प्रदेश राज्यों के बीच इस घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए हैं।

नामसाई घोषणा के अनुसार, असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सभी सीमा मुद्दे 2007 में स्थानीय आयोग के समक्ष उठाए गए मुद्दों तक ही सीमित रहेंगे।

इंस्टा लिंक्स:

अंतर्राज्यीय परिषद

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस, द हिंदू

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: समावेशी विकास तथा इससे उत्पन्न विषय।

वित्तीय समावेशन

 

संदर्भ: विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष ‘डेविड मेलपास’ (David Malpass) का वित्तीय समावेशन पर एक लेख।

  • इस आर्टिकल को 7 जुलाई 2022 को ‘विश्व बैंक का ग्लोबल फाइंडेक्स डेटाबेस 2021’ शीर्षक से दिए गए आर्टिकल से जोड़ कर पढ़ा जा सकता है।
  • डेटा: ग्लोबल फाइंडेक्स (Global Findex) के अनुसार- विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में अब 71% वयस्कों के पास एक औपचारिक वित्तीय खाता है।

वित्तीय समावेशन:

वित्तीय समावेशन (Financial inclusion) का अर्थ है, कि व्यक्तियों और व्यवसायों के पास उपयोगी और किफायती वित्तीय उत्पादों और सेवाओं तक पहुंच है, जो उनकी जरूरतों- लेनदेन, भुगतान, बचत, क्रेडिट और बीमा- को पूरा करते हैं, और एक जिम्मेदार और संधारणीय तरीके से वितरित करते हैं।

वित्तीय समावेशन क्रांति के लाभ:

  • लोगों के लिए नियोक्ताओं से मजदूरी प्राप्त करना और परिवार के सदस्यों को धन भेजना आसान, सस्ता और सुरक्षित।
  • मोबाइल मनी खाते, उच्च मात्रा, छोटे मूल्य के लेनदेन को बेहतर ढंग से संभाल सकते हैं।
  • केस स्टडी: सफल उदाहरण – केन्या का एम-पेसा (M-Pesa), बैंक खाता धारक अथवा बगैर बैंक खाता वाले उपयोगकर्ताओं को एक बुनियादी मोबाइल फोन के माध्यम से धन-राशि का अंतरण करने और भुगतान करने की सुविधा प्रदान करता है। यह डिजिटल वित्तीय समावेशन सफलता की कहानी का एक उदाहरण है। जोकि अब ‘सकल घरेलू उत्पाद’ का 20% है और इससे प्रति व्यक्ति खपत में सुधार हुआ है और 2% केन्याई परिवारों को गरीबी से बाहर निकाल चुका है।
  • महिला सशक्तिकरण: निजी बैंक खाते, महिलाओं को उनके पैसे संबंधी अधिक गोपनीयता, सुरक्षा और नियंत्रण प्रदान करते हैं।
  • सरकारी अंतरण में रिसाव और देरी को कम करना – यह लोगों को उनकी आधार-संख्या से जुड़े बैंक खातों के माध्यम से सीधे लाभान्वित करता है। उदाहरण के लिए – मनरेगा को जन धन-आधार-मोबाइल (JAM) प्लेटफॉर्म से जोड़ा गया है, जिसका उद्देश्य लीकेज और देरी को रोकना है और इस दिशा में एक सही कदम है।
  • आंध्र प्रदेश सरकार ने मनरेगा और सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए एक ‘स्मार्ट-कार्ड कार्यक्रम’ शुरू किया है, जिसके तहत बायोमेट्रिक स्मार्ट कार्ड से जुड़े बैंक खातों में भुगतान वितरित किए जाते हैं। इसके परिणामस्वरूप भुगतान प्रक्रिया तेज और कम भ्रष्ट हो गई है।
  • वित्तीय अनुकूलन (किसी अप्रत्याशित वित्तीय घटना से निपटने की क्षमता) में वृद्धि – वित्तीय पहुंच, दिन-प्रतिदिन के जीवन को आसान बनाती है और परिवारों तथा व्यवसायों को – दीर्घकालिक लक्ष्यों से लेकर अप्रत्याशित आपात स्थितियों तक- हर चीज की योजना बनाने में मदद करती है।
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ: चूंकि, सार्वजनिक एजेंसियों को सरकार के बजट से नागरिकों के लिए धन निर्गत किया जाता है, अतः वित्तीय समावेशन, पारदर्शिता बढ़ाने में मदद करता है।

विश्व बैंक प्रमुख द्वारा दिए गए सुझाव:

  • अनुकूल संचालन और नीतिगत वातावरण का निर्माण: उदाहरण: प्रणालियों की अन्तरसंक्रियता (interoperability of systems) जैसेकि-यूपीआई, बैंकिंग, उपभोक्ता सुरक्षा और स्थिर नियमों के लिए मोबाइल फोन सिस्टम तक पहुंच उपलब्ध करायी जानी चाहिए।
  • डिजिटल पहचान प्रणाली की स्थापना: उदाहरण: भारत में आधार संख्या
  • भुगतानों के डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना: यह अनुपालन को अत्यधिक बोझिल किए बिना औपचारिक क्षेत्र के रोजगार को भी बढ़ावा देगा।
  • समावेशन: हालांकि ‘वित्तीय पहुंच’ में लैंगिक अंतर अब कुछ कम हुआ है, लेकिन यह अभी भी मौजूद है। महिलाओं तथा गरीबों को- व्यक्तिगत पहचान या मोबाइल फोन की कमी, बैंक शाखा से दूर रहने, और वित्तीय खाता खोलने और उपयोग करने के लिए सहायता की जरूरत होने की संभावना है।
  • ‘वित्त तक लोगों की पहुंच’ का विस्तार करना, डिजिटल लेन-देन की लागत को कम करना, और वित्तीय खातों के माध्यम से वेतन भुगतान और सामाजिक हस्तांतरण को प्रसारित करना- वर्तमान में जारी अशांति के परिणामस्वरूप ‘विकास के लिए पहुचने वाले अघात को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होगा।

इंस्टा लिंक:

वित्तीय समावेशन को बढ़ावा

अभ्यास प्रश्न:

वित्तीय सेवाओं तक पहुंच और उपयोग में लैंगिक अंतर को पाटने के लिए भारत को अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)

स्रोत: लाइव मिंट

 


मुख्य परीक्षा सवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री


राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में मृदा और जल संरक्षण हेतु सरजूबाई मीणा का मिशन

भीलवाड़ा जिले के अमर्तिया और आस-पास के गांवों के निवासी, जल के लिए परंपरागत रूप से खोदे गए कुओं पर निर्भर हैं। इन कुओं का उपयोग घरेलू जरूरतों को पूरा करने, मकई जैसी बारिश-आधारित फसलें उगाने, और जानवरों को पिलाने के किया जाता था। लेकिन हाल के वर्षों में भूजल की कमी हो गई है। इसका कारण, बोरवेल से पानी का अत्यधिक उपयोग बताया गया है।

  • सरजूबाई मीणा ने अन्य निवासियों के साथ गांव के लिए जल संरक्षण उपायों की योजना बनाई और पानी के विवेकपूर्ण उपयोग पर लोगों में जागरूकता फैलाई। उन्होंने मिट्टी के कटाव को नियंत्रित करने और भूजल पुनर्भरण को बढ़ावा देने के लिए इसके चारों ओर ‘चेक डैम’ भी बनाए, और इसके अगले चरण में विभिन्न घास और पेड़ प्रजातियों को लगाया गया।
  • मीणा को कई संगठनों द्वारा उनके प्रयासों के लिए पहचान मिली है। 2021 में, संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने उन्हें भारत में संरक्षण के लिए काम करने वाली 41 “महिला जल चैंपियंस” में से एक के रूप में नामित किया गया।

Current Affairs

पूजा स्थलों में कार्बन तटस्थता – SDF लक्ष्यों को हासिल करने/जलवायु संकट से निपटने में समाज की भूमिका

सेंट माइकल चर्च, जिसे माहिम चर्च के नाम से जाना जाता है, भारत में डीकार्बोनाइज करने वाला पहला पूजा स्थल है। इस चर्च ने सौर पैनल स्थापित करके, फूलों के कचरे को बायोगैस में परिवर्तित करके, वृक्षारोपण के लिए सामुदायिक परियोजनाओं में निवेश करके पूजा स्थल को ‘डीकार्बोनाइज’ किया है।

  • ‘कार्बन-तटस्थता’ (Carbon-Neutrality) का अर्थ है, उत्सर्जन-घटाने वाली क्रियाओं की एक श्रृंखला के माध्यम से किसी संगठन या व्यक्ति के ‘कार्बन पदचिह्न’ को शून्य तक कम करना।
  • इसके तहत, स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन करना और निजी कार के बजाय सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना आदि शामिल किया जा सकता है। ‘कार्बन ऑफसेट’ में निवेश – जैसे कि खेतों या सार्वजनिक भूमि पर पेड़ लगाना – ‘कार्बन तटस्थता’ लक्ष्य हासिल करने का एक अन्य तरीका है।
  • कार्बन तटस्थता पर ‘माहिम चर्च’ के अग्रणी प्रयास का प्रभाव अन्य पूजा स्थलों में भी देखने को मिल रहा है है। दक्षिण भारत के कुछ मंदिर भी इस संभावना का पता लगाना चाहते हैं और इसके लिए मंदिरों एक प्रबंधन दल चर्च का दौरा करेगा।
  • यह जिम्मेदारी सरकार के साथ-साथ व्यक्तियों, व्यवसायों, नागरिक समाज संगठनों और यहां तक ​​कि पूजा स्थलों की भी है, जो संकट को दूर करने में भूमिका निभा सकते हैं।

स्थल पर जीवन बचाने के मामले में विश्व पथभ्रष्ट: संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट

सतत विकास लक्ष्य -15 (SDG-15), वर्ष 2030 तक स्थल पर जीवन की रक्षा करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है, जिसमें सभी भूमि-आधारित पारिस्थितिक तंत्र और जैव विविधता शामिल है।

रिपोर्ट के संक्षिप्त निष्कर्ष:

  • विश्व के सभी क्षेत्रों को लक्ष्य प्राप्त करने में बड़ी और महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
  • विश्व के वन क्षेत्र में गिरावट जारी है, हालाँकि इसकी गति पिछले दशकों की तुलना में थोड़ी धीमी है।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


TIME की 2022 के विश्व के महानतम स्थानों की सूची

भारतीय शहर अहमदाबाद और केरल राज्य का उल्लेख टाइम (TIME) पत्रिका की 2022 की दुनिया के सबसे महान स्थानों की सूची में किया गया है।

नामांकन: TIME द्वारा हमारे नए और रोमांचक अनुभव प्रदान करने वाले स्थानों की ओर नज़र रखने वाले अंतरराष्ट्रीय संवाददाताओं और योगदानकर्ताओं के नेटवर्क से स्थानों के नामांकन की मांग की गयी थी।

अहमदाबाद:

  • भारत का पहला ‘यूनेस्को विश्व धरोहर शहर’।
  • सांस्कृतिक पर्यटन: प्राचीन स्थलचिह्न और समकालीन नवाचार, गांधी आश्रम, दुनिया में सबसे लंबा नृत्य उत्सव – नवरात्रि।
  • अहमदाबाद के गुजरात साइंस सिटी: एक “विशाल मनोरंजन केंद्र और थीम पार्क”।

केरल:

  • केरल, भारत के सबसे खूबसूरत राज्यों में से एक है।
  • शानदार समुद्र तट और हरे-भरे बैकवाटर, मंदिर और महल और इसे “भगवान का अपना देश” कहा जाता है।
  • केरल ‘मोटर-होम पर्यटन’ को बढ़ावा दे रहा है
  • राज्य का पहला कारवां पार्क, कारवां मीडोज, एक सुंदर हिल स्टेशन वागामोन में खोला गया।

Current Affairs

 

प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण विधेयक, 2019

केंद्र सरकार, समाचार पत्रों के लिए एक नई पंजीकरण व्यवस्था हेतु ‘प्रेस और पत्रिकाओं का पंजीकरण विधेयक, 2019’ (Registration of Press and Periodicals Bill, 2019) को फिर से लागू करेगी। इस नए संस्करण में डिजिटल मीडिया भी शामिल होगा (वर्तमान पंजीकरण ढांचे में डिजिटल समाचार शामिल नहीं है)।

नया क़ानून, प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 (Press and Registration of Books Act, 1867) की जगह लेगा। यह अधिनियम वर्तमान में समाचार पत्र और प्रिंटिंग प्रेस उद्योग को नियंत्रित करता है।

प्रावधान:

  • यह क़ानून, केंद्र और राज्य सरकार को समाचार पत्रों में सरकारी विज्ञापन जारी करने, समाचार पत्रों की मान्यता और समाचार पत्रों के लिए ऐसी अन्य सुविधाओं के लिए उपयुक्त नियम या विनियम बनाने में सक्षम बनाएगा।
  • इसका एक उद्देश्य, ई-पत्रों के पंजीकरण की एक सरल प्रणाली निर्धारित करने के साथ-साथ एक प्रेस महापंजीयक का सृजन करना भी है।
  • पत्रिका के संपादक के लिए ‘भारतीय नागरिक’ होना अनिवार्य होगा। भारत के नागरिक को इसका प्रकाशन निकालने की अनुमति देता है।
  • विधेयक में संबंधित अपराध के लिए केवल जुर्माने से दंडित करने का प्रावधान किया गया है। पिछले विधेयक में जुर्माना और कारावास- दोनों का प्रावधान था।

 

 

 

POSOCO द्वारा एकल खिड़की हरित ऊर्जा प्रणाली

हाल ही में, विद्युत् मंत्रालय ने ‘सिंगल विंडो ग्रीन एनर्जी सिस्टम’ स्थापित करने और चलाने के लिए ‘पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन लिमिटेड’ (POSOCO) को केंद्रीय नोडल एजेंसी के रूप में अधिसूचित किया है।

POSOCO एक विश्वसनीय, कुशल और सुरक्षित तरीके से भारतीय विद्युत प्रणाली के चौबीसों घंटे एकीकृत संचालन की निगरानी और सुनिश्चित करने के लिए विद्युत मंत्रालय के तहत ‘केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्रक उपक्रम’ (Central Public Sector Enterprises – CPSE) है।

हरित ऊर्जा: सूर्य जैसे प्राकृतिक स्रोतों से प्राप्त उर्जा, हरित ऊर्जा होती है।

फ़ायदे:

  • अनुमोदन प्रक्रिया तेज होगी। POSOCO 15 दिनों के भीतर हरित बिजली आपूर्ति के लिए आवेदनों को स्वीकृत या अस्वीकार करेगा।
  • बड़े उपभोक्ता अब बिना किसी सीमा के (ग्रीन ओपन एक्सेस के तहत) बिजली ले सकते हैं।
  • वितरण कंपनियां, उत्पादन कंपनियों से हरित ऊर्जा की आपूर्ति करने की मांग कर सकती हैं।
  • डिस्कॉम को सौंपे गए क्षेत्रों में कैप्टिव उपभोक्ताओं और वाणिज्यिक संस्थाओं सहित ओपन एक्सेस मानदंडों के तहत उपयोगकर्ताओं पर एक समान अक्षय खरीद दायित्व लागू होगा।
  • हरित ऊर्जा के लिए शुल्क, एक उपयुक्त आयोग द्वारा अलग से निर्धारित किया जाएगा।
  • 2003 के विद्युत अधिनियम के तहत, उपभोक्ताओं को ‘खुली पहुंच व्यवस्था’ के तहत ग्रिड का उपयोग करके सीधे जनरेटर से बिजली खरीदने की अनुमति प्रदान की गयी थी।

समर्थ

समर्थ (SAMARTH) और एनटीपीसी ने ताप विद्युत संयंत्र में ‘को-फायरिंग’ के लिए कृषि अवशेषों के उपयोग पर एक साथ काम करने का निश्चय किया है।

  • कोफायरिंग (Co-firing) एक ऐसा शब्द है, जिसका उपयोग एक ही दहन उपकरण का उपयोग करने वाले प्राथमिक ईंधन के साथ द्वितीयक ईंधन को शामिल करने का वर्णन करने के लिए किया जाता है। कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों में को-फायरिंग का एक सामान्य अनुप्रयोग इस्तेमाल किया जाता है, जिसमे कोयले के साथ-साथ बायोमास के साथ पूरक के रूप में उपयोग किया जाता है।
  • SAMARTH को विद्युत् मंत्रालय (2021) द्वारा लॉन्च किया गया था, और इसके तहत भारत में सभी ताप विद्युत संयंत्रों को बिजली उत्पादन के लिए कोयले के साथ 5-10% बायोमास का उपयोग करना अनिवार्य किया गया है। नतीजतन, यह बायोमास गुटिकाओं में मोजूद अधिक मात्रा में सिलिका और क्षार को संभालने में सक्षम आधुनिक बॉयलरों पर अनुसंधान को बढ़ावा देता है।

(इस योजना से, कपड़ा क्षेत्र में क्षमता निर्माण के लिए शुरू की गयी कपड़ा मंत्रालय की समर्थ योजना (SAMARTH Scheme) के साथ भ्रमित न हों।)

निर्माण-संचालन-हस्तांतरण मॉडल

नई परियोजनाओं के लिए, ‘भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण’ (NHAI) द्वारा ‘बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर’ (Build- Operate- Transfer : BOT) मॉडल को प्राथमिकता दी जाएगी।

BOT मॉडल क्या है?

  • ‘बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर’ (BOT) मॉडल के तहत, एक निजी उद्यमी एक निश्चित समयावधि (20 या 30 साल की अवधि) के लिए एक परियोजना का वित्त, निर्माण और संचालन करेगा। इस मॉडल में- डेवलपर, उपयोगकर्ता शुल्क या सुविधा का उपयोग करने वाले ग्राहकों से शुल्क के रूप में निवेश की भरपाई करते हैं।
  • बीओटी (टोल) मॉडल सड़क परियोजनाओं के लिए पसंदीदा मॉडल था, जो 2011-12 में प्रदान की गई सभी परियोजनाओं का 96% था। लेकिन यह धीरे-धीरे घटकर शून्य हो गया है।
  • अन्य मॉडलों की ओर बदलाव: 2011 के बाद से जब निजी कंपनी को प्रोत्साहन नहीं दिया जा रहा था, तो सरकार ने फंडिंग अंतर को पाटने के लिए EPC और HAM मॉडल को लागू करना शुरू कर दिया। BOT मॉडल की वापसी इस क्षेत्र के लिए एक बड़ा सकारात्मक संकेत हो सकती है।

 

लो-पावर मेमोरी डिवाइस

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान ‘सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज’ (CeNS), बैंगलोर ने डेटा भंडारण अनुप्रयोगों के लिए सिलिकॉन ऑक्साइड के प्रतिस्थापन हेतु रासायनिक हेफ़नियम ऑक्साइड से निर्मित उत्कृष्ट स्विचिंग विशेषताओं के साथ एक ‘लो-पावर मेमोरी डिवाइस’ को विकसित किया है।
  • ‘हेफ़नियम’ (Hafnium) तत्व, न्यूट्रॉन का एक अच्छा अवशोषक है और इसका उपयोग नियंत्रण छड़ बनाने के लिए किया जाता है। इसका गलनांक भी बहुत अधिक होता है और इस वजह से इसका उपयोग प्लाज्मा वेल्डिंग मशालों में किया जाता है।

 

स्थानांतरण कृषि (पोडू)

पोडु (Podu) खेती एक प्रकार की स्थानांतरित खेती है,जिसमे ‘काटो और जलाओ’ जैसी विधियों का प्रयोग किया जाता है। ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के जंगलों में रहने वाली जनजातियों द्वारा इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

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एशियाई काले भालू

वैज्ञानिकों ने ‘स्थानिक उपस्थिति-अनुपस्थिति मॉडल’ के रूप में ज्ञात अपेक्षाकृत नए सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग करके बालों के नमूनों या कैमरा ट्रैप छवियों के माध्यम से अलग-अलग जानवरों की पहचान किए बिना ‘एशियाई काले रंग’ (Asiatic black bears) की घनत्व एवं आबादी की गणना की है।