[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 30 June 2022

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-I

  1. भारत द्वारा विश्व के लिए डेटा संग्रहीत करने की कला का ज्ञान

सामान्य अध्ययन-II

  1. इंटरनेट शटडाउन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट
  2. ‘अस्वच्छ ईंधन’ से खाना पकाने का महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव

सामान्य अध्ययन-III

  1. कृषि-खाद्य कंपनियों द्वारा ‘कार्बन तटस्थ प्रयास’
  2. प्राथमिक कृषि ऋण समितियां

मुख्य परीक्षा संवर्धन हेतु पाठ्य सामग्री (नैतिकता/निबंध)

  1. क्योटो: हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को संरक्षित करना क्यों महत्वपूर्ण है।

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. जामदानी बुनाई
  2. गोइंग ऑनलाइन एज़ लीडर्स (जीओएएल) कार्यक्रम
  3. गतिशील दुनिया
  4. संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन: ‘ब्लू डील’
  5. नासा का कैपस्टोन मिशन
  6. कोविड-19 के लिए भारत का पहला mRNA वैक्सीन
  7. RIMPAC

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: स्वतंत्रता के पश्चात् देश के अंदर एकीकरण और पुनर्गठन।

भारत द्वारा विश्व के लिए डेटा संग्रहीत करने की कला का ज्ञान


संदर्भ:

भारत के ‘योजना पुरुष’ (Plan Man) प्रो. प्रशांत चंद्र महालनोबिस (Prof. Prasanta Chandra Mahalanobis) द्वारा किए गए योगदान के सम्मान में 29 जून को ‘राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस’ (National Statistics Day) मनाया जाता है।

भारतीय सांख्यिकी के जनक:

  • पी.सी. महालनोबिस का निश्चित रूप से मानना था कि- डेटा (आंकड़े), राष्ट्रीय विकास और मानव विकास के लिए प्रभावशाली योजना बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
  • प्रो. महालनोबिस ने कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज में स्थित ‘बेकर प्रयोगशाला’ में ‘सांख्यिकीय प्रयोगशाला’ की स्थापना की।
  • उन्होंने 1931 में कोलकाता में भारतीय सांख्यिकी संस्थान (Indian Statistical Institute-ISI) की स्थापना की।
  • 1933 में, महालनोबिस ने संस्थान ने कार्ल पियर्सन की बायोमेट्रिका (Biometrika) की तर्ज पर इंडियन जर्नल ऑफ़ स्टैटिस्टिक्स ‘सांख्य’ का प्रकाशन आरंभ किया।
  • 1959 में ISI को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त संस्था बनाया गया था।
  • उन्होंने केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (CSO), नेशनल सैंपल सर्वे (NSS) और एनुअल सर्वे ऑफ़ इंडस्ट्रीज (ASI) की स्थापना में भी मदद की।
  • उन्होंने सांख्यिकीय प्रतिरूपों पर संयुक्त राष्ट्र उप-आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
  • 1936 में उन्होंने महालनोबिस दूरी नाम का एक सांख्यिकीय पद्यति प्रस्तुत की। इसका व्यापक रूप से क्लस्टर विश्लेषण और वर्गीकरण तकनीकों में उपयोग किया जाता है।
  • महालनोबिस मॉडल को द्वितीय पंचवर्षीय योजना में लागू किया गया था, जिसने भारत में तेजी से औद्योगिकीकरण की दिशा में वृद्धि हेतु कार्य किया।

रवींद्रनाथ टैगोर के साथ उनके संबंध:

  • सत्रह वर्षीय महालनोबिस पहली बार 1910 में शांतिनिकेतन में टैगोर से मिले थे।
  • महालनोबिस ने प्रतिष्ठित बंगाली पत्रिका, प्रोबाशी (Probashi) के लिए ‘रवींद्र परिचय’ शीर्षक से निबंधों की एक श्रृंखला की रचना की। उन्होंने 1929 में रवींद्रनाथ टैगोर की कनाडा यात्रा नामक पुस्तक भी लिखी।
  • उन्होंने विश्व भारती के आरंभ से 10 वर्षों तक इसके संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया, तथा शासी निकाय, कार्यकारी परिषद, शैक्षणिक परिषद और कृषि बोर्ड के सदस्य भी रहे।
  • टैगोर के नृत्य नाटक, ‘बसंत’ का प्रीमियर कलकत्ता विश्वविद्यालय संस्थान के सभागार में महालनोबिस के विवाह के दिन हुआ।

मूल्य:

  • महालनोबिस-प्रकार के नवाचार, समर्पण और परिश्रम की वर्तमान में बहुत आवश्यकता है।

विश्व के लिए योगदान:

  • विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र द्वारा उनके द्वारा बताए गए तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है।

Current Affairs

स्रोत: द हिंदू, बीबीसी

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

इंटरनेट शटडाउन पर संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट


संदर्भ:

हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र के ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय’ (Office of the High Commissioner for Human Rights -OHCHR) द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि इंटरनेट बंद करने से लोगों की सुरक्षा और कल्याण प्रभावित होता है, सूचना प्रवाह में बाधा आती है और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है।

इंटरनेट शटडाउन: एक परिचय

इंटरनेट शटडाउन (Internet shutdowns), का तात्पर्य इंटरनेट सेवाओं अथवा इलेक्ट्रॉनिक संचार को जानबूझकर बाधित करना है। इसके द्वारा प्रायः सूचनाओं के प्रवाह पर नियंत्रण करने हेतु किसी विशिष्ट आबादी के लिए अथवा किसी स्थान-विशेष पर इंटरनेट सेवाओं को पहुँच से बाहर अथवा प्रभावी रूप से अनुपयोगी बना दिया जाता है।

यह, किसी देश की सरकार द्वारा या सरकार की ओर से किसी प्राधिकारी द्वारा ऑनलाइन सूचना और संचार प्रणालियों तक पहुँच और उपयोग को जानबूझकर बाधित करने के लिए किए जाने वाला एक तरीका है।

वस्तु-स्थिति:

  • विश्व भर में ‘इंटरनेट शटडाउन’ संबंधी घटनाओं की निगरानी करने वाले ‘कीप इट ऑन’ गठबंधन (#KeepItOn coalition) के अनुसार, 2016-2021 तक 74 देशों में 931 इंटरनेट शटडाउन का दस्तावेजीकरण किया गया।
  • भारत का रिकॉर्ड: भारत में 106 बार इंटरनेट कनेक्शन को अवरुद्ध या बाधित किया गया और भारत में केवल जम्मू और कश्मीर में ही कम से कम 85 बार इंटरनेट शटडाउन किया गया।

इसके पीछे कारण:

विरोध-प्रदर्शनों को रोकने और राजनीतिक संकट को दूर करने हेतु: नागरिक समाज समूहों द्वारा 2016-2021 तक दर्ज किए गए सभी इंटरनेट शटडाउन्स में से लगभग आधे शटडाउन सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक शिकायतों से संबंधित विरोध-प्रदर्शनों और राजनीतिक संकट के संदर्भ में किए गए थे।

इंटरनेट बंद का प्रभाव (रिपोर्ट के अनुसार):

  • आर्थिक कीमत: ‘इंटरनेट शटडाउन’ वित्तीय लेनदेन, उद्यमिता, वाणिज्य और उद्योग को बाधित करता है।
  • विश्व बैंक की हालिया गणना के अनुसार- अकेले म्यांमार में फरवरी-दिसंबर 2021 के बीच किए गए इंटरनेट शटडाउन की कीमत लगभग $2.8 बिलियन थी, जिसकी वजह से देश में पिछले दशक में हुई आर्थिक प्रगति वापस पिछड़े-पण में चली गयी।
  • राजनीतिक पारदर्शिता को बाधित करता है: इस तरह के व्यवधान डिजिटल उपकरणों तक पहुंच को मुश्किल या समाप्त कर देते हैं, जोकि प्रचार, सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा देने, मतदान करने और चुनावी प्रक्रियाओं की निगरानी के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • उदहारण: बेलारूस और नाइजर में चुनावी अवधि के दौरान विरोध प्रदर्शन के बाद किए गए ‘इंटरनेट शटडाउन’।
  • नागरिक जीवन को बाधित करता है: उदहारण. सामाजिक वाद-विवाद, NGO, SHG के कार्य।
  • स्वास्थ्य और शिक्षा में हस्तक्षेप: उदहारण. डिजिटल शिक्षा और टेली-मेडिसिन प्रभावित होती हैं।
  • संवेदनशील दुर्बल वर्गों के लिए खतरा: विशेषकर जिन महिलाओं और लड़कियों को समर्थन और सुरक्षा की आवश्यकता है।
  • रचनात्मकता का नुकसान: लोग अपनी ऑनलाइन रचनात्मकता का उपयोग करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं और इंटरनेट सेवाओं का लंबे समय तक व्यवधान उनके मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है।

रिपोर्ट में की गयी सिफारिशें:

  • इंटरनेट शटडाउन करना बंद किया जाए: यह अंतिम उपाय हो सकता है लेकिन वैध कारणों से इसका उपयोग कभी-कभार ही किया जाना चाहिए।
  • वैध शटडाउन: हेट स्पीच, दुष्प्रचार या अवैध या हानिकारक समझी जाने वाली सामग्री के अन्य रूपों के प्रसार को नियंत्रित करने की आवश्यकता।
  • स्पष्ट नीतियां: किसी भी शटडाउन के लिए एक स्पष्ट, सार्वजनिक रूप से उपलब्ध और वैध नीति होनी चाहिए।
  • इंटरनेट कंपनियों को इस तरह के व्यवधान को रोकने के लिए सरकार और नागरिक समाज सहित हितधारकों के साथ जुड़ना और सहयोग करना चाहिए।

भारत में इंटरनेट शटडाउन से संबंधित प्रावधान:

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 के तहत ‘दूरसंचार सेवा (सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम’ 2017 का अस्थायी निलंबन: इस प्रावधान के तहत, सार्वजनिक आपात स्थिति के आधार पर दूरसंचार सेवाओं में निलंबन, शटडाउन या किसी भी व्यवधान को नियंत्रित किया जाता है। किंतु, इसका उपयोग एक बार में केवल 15 दिनों तक के लिए ही किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां:

  • इंटरनेट का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में शामिल एक मौलिक अधिकार (उचित प्रतिबंधों के अधीन) है।
  • मनमानी या अनियंत्रित शक्तियों के प्रयोग करते हुए ‘मौलिक अधिकारों’ पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। इन स्वतंत्रताओं को, सभी प्रासंगिक कारकों” पर विचार करने के बाद और कोई अन्य विकल्प उपलब्ध नहीं होने पर ही केवल अंतिम उपाय के रूप में प्रतिबंधित किया जा सकता है।
  • न्यायिक जांच को प्रतिबंधित या निलंबित करने के लिए पारित कोई भी आदेश ‘न्यायिक जांच’ (Judicial Scrutiny) के अधीन होगा।
  • इंटरनेट सेवाओं को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना दूरसंचार नियमों का उल्लंघन भी है।

सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश:

  • शीर्ष अदालत ने माना है, कि ‘दूरसंचार सेवा (सार्वजनिक आपातकाल और सार्वजनिक सुरक्षा) नियम’ 2017 “सार्वजनिक आपातकाल” की स्थिति में या “सार्वजनिक सुरक्षा के हित में” होने के लिए इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने के लिए पालन की जाने वाली एकमात्र प्रक्रिया है।
  • अदालत ने अपने फैसले ने दोहराया है, कि सामान्य परिस्थितियों में निलंबन नियमों के तहत, ‘आदेश जारी करने हेतु’ सक्षम प्राधिकारी गृह मंत्रालय के सचिव होंगे।
  • 2017 के नियमों के अनुसार, कि यदि उक्त आदेश की सक्षम प्राधिकारी द्वारा पुष्टि नहीं की जाती है, तो ऐसे आदेश 24 घंटे की अवधि के भीतर समाप्त हो जाएंगे।
  • इस प्रकार के आदेश जारी किए जाने के ‘स्पष्ट कारण’ लिखित रूप में दिए जाना आवश्यक है, और इस कारणों को अगले कार्य दिवस तक समीक्षा समिति को अग्रेषित किया जाना चाहिए।
  • ‘पुष्टिकरण’ केवल एक औपचारिकता नहीं होनी चाहिए, बल्कि यह अधिकृत अधिकारी द्वारा पारित आदेश के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वतंत्र रूप से दिमाग का प्रयोग किए जाने का संकेत देता होना चाहिए, जिसमे प्राधिकारी ने बदली हुई परिस्थितियों, यदि कोई हो, आदि को भी ध्यान में रखना हो।

इंस्टा लिंक:

प्रतिबंधों का नियमन

अभ्यास प्रश्न:

क्या इंटरनेट शटडाउन भारत के लिए ठीक है? हाल के रुझानों और इंटरनेट शटडाउन को नियंत्रित करने वाले कानूनों पर समालोचनात्मक विश्लेषण और टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)

स्रोत: डाउन टू अर्थ, OHCHR

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

‘अस्वच्छ ईंधन’ से खाना पकाने का महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव


संदर्भ:

एक हालिया अध्ययन से पता चला है, कि गैस चूल्हे पर खाना पकाने वाली महिलाओं की तुलना में, मुख्य रूप से लकड़ी के कोयले और लकड़ी से खाना पकाने वाली महिलाओं में ‘अवसादग्रस्त’ होने की संभावना लगभग 50% अधिक होती है।

  • वैश्विक आबादी का लगभग आधा अर्थात लगभग 2.6 बिलियन लोग – जिसमे से अधिकांशतः आबादी अफ्रीका, एशिया और मध्य और दक्षिण अमेरिका में निवास करती है- खाना पकाने, गर्मी और अपने घरों में रोशनी के लिए लकड़ी और लकड़ी का कोयला, या मिट्टी का तेल जैसे बायोमास ईंधन पर निर्भर है।
  • उच्च आय वाले देशों में, ‘स्वच्छ घरेलू ऊर्जा’ को वहन करने में असमर्थता ने लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को खराब कर दिया है। यूनाइटेड किंगडम में एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि जो लोग अपने घरों को गर्म नहीं कर सकते थे, उनका मानसिक स्वास्थ्य अपने घरों को गर्म करने में सक्षम व्यक्तियों की तुलना में खराब था। यह जीवन संतुष्टि के निचले स्तरों में दिखाई देता है।
  • जिन महिलाओं के घरों में रोशनी के लिए बिजली नहीं थी, उनमें भी बिजली की रोशनी वाली महिलाओं की तुलना में उदास होने की संभावना 40% अधिक थी।

कारण:

  • इसके कारणों में- उत्पादकता में कमी, नौकरी के कम अवसर, और स्वच्छ ऊर्जा तक पहुंच वाले लोगों की तुलना में ‘निम्न खाद्य सुरक्षा’ शामिल हैं।
  • समय की भी बर्बादी होती है क्योंकि महिलाओं को अक्सर जलाऊ लकड़ी इकट्ठा करने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ती है।
  • बायोमास ईंधन के साथ खाना पकाने में स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की तुलना में अधिक समय लगता है।

समाधान:

  • स्वच्छ और किफायती खाना पकाने का ईंधन उपलब्ध कराया जाए।
  • बायोमास जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में जागरूकता पैदा की जानी चाहिए, ताकि लोग वैकल्पिक स्वच्छ ईंधन की ओर प्रवृत्त हो सकें।

इससे उनके तनाव के स्तर में कमी आयेगी, उनके आहार में सुधार होगा और उन्हें नए रोजगार के लिए अधिक समय मिलेगा।

Current Affairs

 

स्रोत: डाउन टू अर्थ

 


सामान्य अध्ययनIII


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

कृषि-खाद्य कंपनियों द्वारा ‘कार्बन तटस्थ प्रयास’


संदर्भ:

संयुक्त राष्ट्र खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO) और यूरोपियन बैंक फॉर रिकंस्ट्रक्शन एंड डेवलपमेंट (EBRD) की एक हालिया रिपोर्ट में कृषि खाद्य प्रणालियों को ‘डीकार्बोनाइजिंग’ (कार्बन-मुक्त) करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला गया है।

वस्तु-स्थिति:

वैश्विक कृषि खाद्य प्रणाली: कुल मानवजनित GHG उत्सर्जन के लिए 21-37% जिम्मेवार है, और बदलते वर्षा प्रतिरूप और आपूर्ति श्रृंखला व्यवधानों के कारण उष्मन से प्रभावित है।

‘कार्बन तटस्थता’ सहायक हो सकती है, किंतु ‘खाद्य प्रणालियों’ को बदलने के लिए एक अपूर्ण उपकरण है क्योंकि:

  • पहली बाधा: मानकों और प्रक्रियाओं की शासन-विधि: उदाहरण- कार्बन तटस्थता (Carbon Neutrality) के इर्द-गिर्द एक सामान्य शब्दावली का अभी भी अभाव है।
  • दूसरी बाधा: विभिन्न स्तरों पर जानकारी, आंकड़ों और उपकरणों की कमी।
  • तीसरी बाधा: लागत- छोटे किसानों और कंपनियों के लिए ‘कार्बन न्यूट्रल’ बनने की लागत अपेक्षाकृत अधिक हो सकती है
  • चौथी बाधा: छोटे अभिकर्ताओं को शामिल करना: जबकि कुछ कंपनियां ‘लघु और मध्यम आकार के उद्यमों’ (SMEs) और छोटे किसानों को कार्बन तटस्थता के प्रयासों में शामिल कर रही हैं, किंतु ये मामले अभी तक कम ही हैं और अब तक, व्यापक पैमाने पर जुड़ाव न्यूनतम रहा है।

हरित कृषि-खाद्य प्रणाली के लिए कार्य क्षेत्र:

  • डीकार्बोनाइजेशन नीतियों और राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के माध्यम से, रणनीतिक रूप से ‘कार्बन तटस्थता’ को लक्षित करना।
  • उपकरणों में सुधार और मानकीकरण: उदाहरण: कार्बन गणना के लिए डेटाबेस और मानकों को सरल और सुसंगत बनाना।
  • कार्बन को डीकार्बोनाइज करने के लिए कंपनियों और किसानों का सीधे सहयोग करना।
  • कार्बन तटस्थता पर जागरूकता और शिक्षा का प्रसार करना।
  • कम कार्बन निवेश और निजी क्षेत्र के अनुरूप मार्गदर्शन करने के लिए सुदृढ़ शासन तंत्र को बढ़ावा देना।

‘शुद्ध-शून्य उत्सर्जन’ क्या है?

नेट-जीरो उत्सर्जन (या कार्बन तटस्थता) का अर्थ है, जैसे ही हम कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) वायुमंडल में छोड़ते हैं, उसी समय वायुमंडल से समान मात्रा में CO2 को हटाना, और  इस प्रकार पृथ्वी के शुद्ध जलवायु संतुलन को बनाए रखना।

Current AffairsCO बजट से तात्पर्य:

एक CO₂ बजट यह निर्धारित करता है कि ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 °C तक सीमित करने के वैश्विक जलवायु संरक्षण लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु किसी देश या व्यक्ति को कितना CO₂ उत्सर्जित करने की अनुमति है।

इंस्टा लिंक:

भारत द्वारा वर्ष 2070 तक ‘शुद्ध शून्य उत्सर्जन’ हासिल करने की घोषणा

अभ्यास प्रश्न:

  • कार्बन तटस्थता की अवधारणा पर चर्चा करें? इसका महत्व स्पष्ट कीजिए। साथ ही, भारत जैसे विकासशील देश के लिए ऐसे सिद्धांत की व्यवहार्यता का मूल्यांकन करें। (10 अंक)
  • उन तरीकों पर चर्चा करें जिनसे भारत 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है। (10 अंक)

 

 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (पैक्स)


संदर्भ:

हाल ही में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमण्‍डलीय समिति ने 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (Primary Agricultural Credit Societies – PACS) के डिजिटलीकरण को मंजूरी दी है।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (PACS):

  • PACS: यह एक ग्राम स्तर की संस्था है जो सीधे ग्रामीण निवासियों के साथ काम करती है। यह किसानों को बचत करने के लिए प्रोत्साहित करती है, उनसे जमा स्वीकार करती है, योग्य उधारकर्ताओं को ऋण प्रदान करती है, और पुनर्भुगतान एकत्र करती है।
  • प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियां (पैक्स) देश में अल्पकालिक सहकारी ऋण (एसटीसीसी) की त्रि-स्तरीय व्यवस्था में सबसे निचले स्तर पर अपनी भूमिका निभाती हैं। अन्य दो स्तरों अर्थात राज्य सहकारी बैंक (State Cooperative Banks – StCB) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (District Central Cooperative Banks – DCCB) को पहले ही नाबार्ड द्वारा स्वचालित कर दिया गया है और उन्हें साझा बैंकिंग सॉफ्टवेयर (Common Banking Software – CBS) के तहत ला दिया गया है।

लाभ:

  • कम्प्यूटरीकरण पारदर्शिता लाएगा और सभी क्रेडिट सोसायटियों को एक साझा लेखा प्रणाली से जोड़ेगा।
  • प्रत्येक पैक्स को अपनी क्षमता को उन्नत करने के लिए लगभग ₹4 लाख मिलेंगे और यहां तक ​​कि पुराने लेखा रिकॉर्ड को भी डिजिटाइज़ किया जाएगा और क्लाउड-आधारित सॉफ़्टवेयर से जोड़ा जाएगा।
  • सेवा वितरण: प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (Direct Benefit Transfer), ब्याज माफ़ी योजना (Interest Subvention Scheme), फसल बीमा योजना (Crop Insurance Scheme – PMFBY), और उर्वरक और बीज जैसी लागत सामग्रियां।
  • एक सरकारी बयान के अनुसार- देश में सभी संस्थाओं द्वारा दिए गए किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) ऋणों में PACS का हिस्सा 41 प्रतिशत (3.01 करोड़ किसान) है और पैक्स के माध्यम से इन केसीसी ऋणों में से 95 प्रतिशत (2.95 करोड़ किसान) छोटे व सीमांत किसानों को दिए गए हैं।

प्रक्रियाधीन:

  • PACS को नियंत्रित करने वाले मॉडल उपनियमों में संशोधन जल्द ही सार्वजनिक डोमेन में रखे जाएंगे (‘सहकारिता एक राज्य का विषय है।)।
  • बहुराज्यीय सहकारी समितियां संशोधन अधिनियम, 2002 में भी संशोधन शीघ्र ही प्रभावी होंगे।
  • राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना।
  • क्रेडिट सोसायटियों को शासित करने के लिए अखिल भारतीय कानून।

Current Affairs

 

अभ्यास प्रश्न

राष्ट्रीय विकास की दिशा में एक आर्थिक चालक के रूप में सहकारी समितियों की भूमिका का विश्लेषण कीजिए। (10 अंक)

स्रोत: द हिंदू

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


क्योटो: हमारे सांस्कृतिक मूल्यों और परंपराओं को संरक्षित करना क्यों महत्वपूर्ण है?

  • अमेरिका द्वारा अब तक ज्ञात सबसे शक्तिशाली हथियार को गिराए जाने से कुछ ही हफ्ते पहले, ‘नागासाकी’ शहर परमाणु बम के लिए लक्षित शहरों की सूची में भी नहीं था, और इस सूची में, ‘नागासाकी’ की जगह जापान की प्राचीन राजधानी ‘क्योटो’ (Kyoto) थी।
  • क्योटो को 17 विश्व धरोहर स्थलों सहित 2,000 से अधिक बौद्ध मंदिरों और शिंटो मंदिरों (Shinto shrines) के घर के रूप में जाना जाता है।
  • जापान के शहरों पर बम गिराने से पहले, अमेरिकी युद्ध सचिव हेनरी स्टिमसन ने पहले क्योटो का दौरा किया था और इसकी सुंदरता, कला वास्तुकला और सांस्कृतिक परंपराओं की बहुत प्रशंसा की थी। उन्होंने राष्ट्रपति ट्रूमैन को शहर को लक्षित शहरों की सूची से हटाने के लिए राजी किया। इस बाद, क्योटो के स्थान पर, नागासाकी को बमबारी के लिए चुना गया था।
  • यह घटना इस बात पर प्रकाश डालती है कि किसी स्थान की संस्कृति और परंपराएं उसकी वैश्विक पहचान को प्रदर्शित करने के लिए किस प्रकार महत्वपूर्ण होती हैं।

Current Affairs

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

जामदानी बुनाई

‘जामदानी’ एक हल्का और पारभासी कपड़ा है। जामदानी बुनाई (Weaving Jamdani) एक सूती जरीदार कपडा (Brocade) है, जिसकी विशेषता फूलों वाला एक पैटर्न है।

  • 2013 में, यूनेस्को द्वारा जामदानी बुनाई को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया गया था। इस कपड़े को 2016 में बांग्लादेश में भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग भी मिला था।
  • माना जाता है कि जामदानी बुनाई ढाका मलमल उद्योग से उभरी है, जिसमें मुहम्मद बिन तुगलक (1324-51) के शासनकाल के दौरान, भारत में फारसी कारीगरों के आगमन के साथ सादे और सजावटी दोनों तरह के रूप उभर कर सामने आए।

Current Affairs

गोइंग ऑनलाइन एज़ लीडर्स (जीओएएल) कार्यक्रम

संदर्भ: हाल ही में, जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने ‘गोइंग ओलाइन एज़ लीडर्स प्रोग्राम’ (Going Oline as Leaders Programme – GOAL) कार्यक्रम के दूसरे चरण का शुभारंभ किया।

यह कार्यक्रम जनजातीय मामलों के मंत्रालय और मेटा (फेसबुक) की एक संयुक्त पहल है।

उद्देश्य:

  • GOAL0 पहल का उद्देश्य देश के जनजातीय समुदायों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देकर और डिजिटल प्रौद्योगिकी का उपयोग करके उनके लिए अवसर खोलकर 10 लाख युवाओं को डिजिटल रूप से सक्षम बनाना है।
  • देश भर के आदिवासी समुदायों के 5,000 युवाओं (महिलाओं) को व्यक्तिगत रूप से सलाह देने हेतु उद्योग के 2,500 प्रसिद्ध नेताओं को पहचान करना, संगठित करना और कनेक्ट करना।
  • ‘स्वयं सहायता समूह’ और ‘ट्राइफेड’ से जुड़े लोगों के लिए अपने उत्पादों को वैश्विक स्तर पर ले जाने के लिए एक मंच तैयार करना।

Current Affairs

गतिशील दुनिया

गतिशील दुनिया (Dynamic world) बाढ़, आग, वनों की कटाई आदि जैसी विभिन्न प्राकृतिक और मानवीय गतिविधियों के जवाब में ग्रह कैसे बदलता है, यह ट्रैक करने के लिए Google की एक नई सेवा है।

Current Affairs

संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन: ‘ब्लू डील’

संदर्भ: आर्थिक विकास के लिए समुद्री संसाधनों के सतत उपयोग को सक्षम करने के लिए 2022 के संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन में एक “ब्लू डील” को बढ़ावा दिया जा रहा है।

  • व्यापार और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCTAD) के अनुसार, इसमें वैश्विक व्यापार, निवेश और एक स्थायी और लचीला महासागर अर्थव्यवस्था बनाने के लिए नवाचार शामिल हैं।

फ़ायदे:

  • मत्स्य पालन और जलीय कृषि, तटीय पर्यटन, समुद्री परिवहन, अपतटीय नवीकरणीय ऊर्जा, पारिस्थितिकी तंत्र सेवाएं, और समुद्री आनुवंशिक संसाधनों सहित महासागर अर्थव्यवस्था के सतत विकास से तटीय और द्वीप विकासशील राष्ट्र लाभान्वित हो सकते हैं।
  • यह रोजगार सृजित कर सकता है और इन देशों के लिए राजस्व उत्पन्न कर सकता है,

Current Affairs

 

नासा का कैपस्टोन मिशन

संदर्भ:

NASA ने कैपस्टोन (CAPSTONE) नाम का एक माइक्रोवेव ओवन के आकार का ‘क्यूबसैट’ जिसका वजन सिर्फ 55 पाउंड (25 किलोग्राम) है।

  • कैपस्टोन – (Cislunar Autonomous Positioning System Technology Operations and Navigation Experiment – CAPSTONE) एक अद्वितीय, अण्डाकार चंद्र कक्षा का परीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस चंद्र कक्षा को ‘नियर-रेक्टिलिनियर हेलो ऑर्बिट’ (NRHO) के रूप में जाना जाता है, जो काफी लम्बी है और पृथ्वी और चंद्रमा के बीच गुरुत्वाकर्षण रूप से एक सटीक संतुलन बिंदु पर स्थित है। यह गेटवे जैसे दीर्घकालिक मिशनों के लिए स्थिरता प्रदान करता है।
  • CAPS (सिसलुनर ऑटोनॉमस पोजिशनिंग सिस्टम) CAPSTONE का स्वायत्त नेविगेशन सॉफ्टवेयर है
  • यदि सफलतापूर्वक परीक्षण किया जाता है, तो सॉफ्टवेयर भविष्य के अंतरिक्ष यान को विशेष रूप से पृथ्वी-आधारित ट्रैकिंग पर निर्भर किए बिना यान के स्थान का निर्धारण करने की अनुमति देगा।

Current Affairs 

 

 

कोविड-19 के लिए भारत का पहला mRNA वैक्सीन

संदर्भ:

पुणे के जेननोवा बायोफार्मास्युटिकल्स (Gennova Biopharmaceuticals) में विकसित देश की पहली घरेलू mRNA कोविड -19 वैक्सीन – GEMCOVAC-19 – को 18 वर्ष और उससे अधिक आयु वर्ग के लिए ‘प्रतिबंधित आपातकालीन उपयोग’ की अनुमति मिली है।

 

Current AffairsRIMPAC

पैसिफिक रिम (Rim of the Pacific – RIMPAC), सबसे बड़ा नौसैनिक अभ्यास है जिसमें चार क्वाड देश (भारत सहित) और प्रशांत रिम में शामिल अन्य देस भाग लेते हैं। यह जून-जुलाई से द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है और इसे अमेरिकी नौसेना के इंडो-पैसिफिक कमांड द्वारा प्रशासित किया जाता है।

इसका उद्देश्य देशों को समुद्री मार्गों की सुरक्षा और विश्व के महासागरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित करना है।