HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
सांची स्तूप के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- सांची स्तूप भारत के प्राथमिक बौद्ध स्थलों में से एक है और इसमें देश की सबसे पुरानी पत्थर की कुछ संरचनाएँ मौजूद हैं।
- सांची को पहले मठवासी स्तूपों में से एक माना जाता है।
- बुद्ध ने कई बार सांची का दौरा किया था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
सांची स्तूप भारत के प्राथमिक बौद्ध स्थलों में से एक है और इसमें देश की सबसे पुरानी पत्थर की कुछ संरचनाएँ मौजूद हैं।
इन्हें प्रारंभ में तीर्थयात्रियों द्वारा मठों के बाहर निर्मित किया गया था। सांची को पहले मठवासी स्तूपों में से एक माना जाता है।
बुद्ध कभी सांची नहीं गए। ह्वेन त्सांग जैसे विदेशी यात्रियों ने भारत में पवित्र बौद्ध स्थलों का दस्तावेजीकरण किया था, लेकिन अपने लेख में सांची का उल्लेख नहीं किया था।
Incorrect
उत्तर: a)
सांची स्तूप भारत के प्राथमिक बौद्ध स्थलों में से एक है और इसमें देश की सबसे पुरानी पत्थर की कुछ संरचनाएँ मौजूद हैं।
इन्हें प्रारंभ में तीर्थयात्रियों द्वारा मठों के बाहर निर्मित किया गया था। सांची को पहले मठवासी स्तूपों में से एक माना जाता है।
बुद्ध कभी सांची नहीं गए। ह्वेन त्सांग जैसे विदेशी यात्रियों ने भारत में पवित्र बौद्ध स्थलों का दस्तावेजीकरण किया था, लेकिन अपने लेख में सांची का उल्लेख नहीं किया था।
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Question 2 of 5
2. Question
प्रसिद्ध मोढेरा सूर्य मंदिर उदाहरण है
Correct
उत्तर: c)
गुजरात और राजस्थान सहित भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में, सोलंकी शासकों के संरक्षण में सोलंकी कला या मारू-गुर्जर शैली विकसित हुई।
मंदिर की दीवारें नक्काशी रहित थीं। इस कला की एक अनूठी विशेषता बावड़ी की उपस्थिति है, जिसे सूर्य-कुंड के नाम से जाना जाता है। उदाहरण: मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात।
Incorrect
उत्तर: c)
गुजरात और राजस्थान सहित भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में, सोलंकी शासकों के संरक्षण में सोलंकी कला या मारू-गुर्जर शैली विकसित हुई।
मंदिर की दीवारें नक्काशी रहित थीं। इस कला की एक अनूठी विशेषता बावड़ी की उपस्थिति है, जिसे सूर्य-कुंड के नाम से जाना जाता है। उदाहरण: मोढेरा सूर्य मंदिर, गुजरात।
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Question 3 of 5
3. Question
ऐहोल शिलालेख के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह ब्राह्मी लिपि में रचित है।
- इसमें पुलकेशिन द्वितीय द्वारा हर्षवर्धन की हार का उल्लेख है
- इसकी रचना रविकीर्ति ने की थी।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
ऐहोल शिलालेख:
शिलालेख संस्कृत में रचित और यह कन्नड़ लिपि का है। पुलकेशिन द्वितीय द्वारा हर्षवर्धन की हार और पल्लवों पर चालुक्यों की जीत का उल्लेख है। इसमें राजधानी को ऐहोल से बादामी स्थानांतरित करने का भी उल्लेख है। इसे पुलकेशिन द्वितीय के दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित है, जिन्होंने 610 से 642 सीई तक शासन किया था।
Incorrect
उत्तर: c)
ऐहोल शिलालेख:
शिलालेख संस्कृत में रचित और यह कन्नड़ लिपि का है। पुलकेशिन द्वितीय द्वारा हर्षवर्धन की हार और पल्लवों पर चालुक्यों की जीत का उल्लेख है। इसमें राजधानी को ऐहोल से बादामी स्थानांतरित करने का भी उल्लेख है। इसे पुलकेशिन द्वितीय के दरबारी कवि रविकीर्ति द्वारा रचित है, जिन्होंने 610 से 642 सीई तक शासन किया था।
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Question 4 of 5
4. Question
पाटन पटोला है
Correct
उत्तर: c)
पटोला एक दोहरी इकत की गई साड़ी है, जिसे आमतौर पर रेशम से बनाया जाता है, जिसका प्रमुख केंद्र गुजरात के पाटन में है।
Incorrect
उत्तर: c)
पटोला एक दोहरी इकत की गई साड़ी है, जिसे आमतौर पर रेशम से बनाया जाता है, जिसका प्रमुख केंद्र गुजरात के पाटन में है।
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Question 5 of 5
5. Question
शंखलिपि लिपि ( Shankhalipi script) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- शंखलिपि लिपि अलंकृत सर्पिल पात्रों का वर्णन करती है जो शंख या शंख की तरह दिखते हैं।
- यह मंदिर के खंभों, स्तंभों और चट्टानों की सतहों पर उत्कीर्णित पाया जाता है।
- इसकी खोज एक अंग्रेज विद्वान जेम्स प्रिंसेप ने की थी।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
शंखलिपि या “शेल-स्क्रिप्ट” एक शब्द है जिसका उपयोग विद्वानों द्वारा अलंकृत सर्पिल वर्णों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिन्हें ब्राह्मी व्युत्पन्न माना जाता है जो शंख या शंख की तरह दिखते हैं। ये उत्तर-मध्य भारत में शिलालेखों में पाए जाते हैं और चौथी और आठवीं शताब्दी से संबंधित हैं।
शंखलिपि और ब्राह्मी दोनों ही शैलीबद्ध लिपियाँ हैं जिनका उपयोग मुख्य रूप से नाम और हस्ताक्षर के लिए किया जाता है।
लिपि की खोज 1836 में उत्तराखंड के बाराहाट में पीतल के त्रिशूल पर अंग्रेजी विद्वान जेम्स प्रिंसेप द्वारा की गई थी, जो जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के संस्थापक संपादक थे।
शैल शिलालेख वाले प्रमुख स्थलों में बिहार में मुंडेश्वरी मंदिर, मध्य प्रदेश में उदयगिरी गुफाएं, महाराष्ट्र में मानसर और गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ गुफा स्थल शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि इंडोनेशिया के जावा और बोर्नियो में भी शेल शिलालेख प्राप्त हुए हैं।
शंखलिपि मंदिर के खंभों, स्तंभों और चट्टानों की सतहों पर खुदी हुई पाई जाती है।
Incorrect
उत्तर: d)
शंखलिपि या “शेल-स्क्रिप्ट” एक शब्द है जिसका उपयोग विद्वानों द्वारा अलंकृत सर्पिल वर्णों का वर्णन करने के लिए किया जाता है जिन्हें ब्राह्मी व्युत्पन्न माना जाता है जो शंख या शंख की तरह दिखते हैं। ये उत्तर-मध्य भारत में शिलालेखों में पाए जाते हैं और चौथी और आठवीं शताब्दी से संबंधित हैं।
शंखलिपि और ब्राह्मी दोनों ही शैलीबद्ध लिपियाँ हैं जिनका उपयोग मुख्य रूप से नाम और हस्ताक्षर के लिए किया जाता है।
लिपि की खोज 1836 में उत्तराखंड के बाराहाट में पीतल के त्रिशूल पर अंग्रेजी विद्वान जेम्स प्रिंसेप द्वारा की गई थी, जो जर्नल ऑफ द एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल के संस्थापक संपादक थे।
शैल शिलालेख वाले प्रमुख स्थलों में बिहार में मुंडेश्वरी मंदिर, मध्य प्रदेश में उदयगिरी गुफाएं, महाराष्ट्र में मानसर और गुजरात और महाराष्ट्र के कुछ गुफा स्थल शामिल हैं। ज्ञातव्य है कि इंडोनेशिया के जावा और बोर्नियो में भी शेल शिलालेख प्राप्त हुए हैं।
शंखलिपि मंदिर के खंभों, स्तंभों और चट्टानों की सतहों पर खुदी हुई पाई जाती है।
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