HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
सतलुज नदी निम्नलिखित में से किस दर्रे से भारत में प्रवेश करती है?
Correct
उत्तर: c)
शिपकी ला भारत-चीन सीमा पर स्थित दर्रा और एक सीमा चौकी है। सतलुज नदी इसी दर्रे के पास से भारत में प्रवेश करती है। यह सड़क प्राचीन सिल्क रोड की एक शाखा है।
Incorrect
उत्तर: c)
शिपकी ला भारत-चीन सीमा पर स्थित दर्रा और एक सीमा चौकी है। सतलुज नदी इसी दर्रे के पास से भारत में प्रवेश करती है। यह सड़क प्राचीन सिल्क रोड की एक शाखा है।
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Question 2 of 5
2. Question
अपवाह तंत्र के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- वृक्षाकर तंत्र वहां विकसित होता है जहां नदी अपवाह क्षेत्र के ढलान का अनुसरण करती है।
- एक आयताकार प्रतिरूप विकसित होता है जहां कठोर और मुलायम चट्टानें एक दूसरे के समानांतर विस्तृत होती हैं।
- जालीनुमा प्रतिरूप कठोर चट्टानी भूभाग पर विकसित होता है।
- रेडियल प्रतिरूप तब विकसित होता है जब धारा केंद्रीय शिखर से विभिन्न दिशाओं में प्रवाहित होती है
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
वृक्षाकर प्रतिरूप: यह प्रतिरूप वहां विकसित होता है जहां नदी अपवाह क्षेत्र के ढलान का अनुसरण करती है। इसकी सहायक नदियों के साथ धारा एक पेड़ की शाखाओं के समान मिलती है, इस प्रकार इसका नाम वृक्षाकर प्रतिरूप है।
जालीनुमा प्रतिरूप: एक नदी अपनी सहायक नदियों से लगभग समकोण पर मिलती है। जालीनुमा प्रतिरूप तब विकसित होता है जहां कठोर और मुलायम चट्टानें एक दूसरे के समानांतर मौजूद होती हैं।
आयताकार प्रतिरूप: एक आयताकार जल निकासी प्रतिरूप कठोर चट्टानी भूभाग पर विकसित होता है।
रेडियल प्रतिरूप: यह तब विकसित होता है जब धाराएं केंद्रीय शिखर या गुंबद जैसी संरचना से अलग-अलग दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
वृक्षाकर प्रतिरूप: यह प्रतिरूप वहां विकसित होता है जहां नदी अपवाह क्षेत्र के ढलान का अनुसरण करती है। इसकी सहायक नदियों के साथ धारा एक पेड़ की शाखाओं के समान मिलती है, इस प्रकार इसका नाम वृक्षाकर प्रतिरूप है।
जालीनुमा प्रतिरूप: एक नदी अपनी सहायक नदियों से लगभग समकोण पर मिलती है। जालीनुमा प्रतिरूप तब विकसित होता है जहां कठोर और मुलायम चट्टानें एक दूसरे के समानांतर मौजूद होती हैं।
आयताकार प्रतिरूप: एक आयताकार जल निकासी प्रतिरूप कठोर चट्टानी भूभाग पर विकसित होता है।
रेडियल प्रतिरूप: यह तब विकसित होता है जब धाराएं केंद्रीय शिखर या गुंबद जैसी संरचना से अलग-अलग दिशाओं में प्रवाहित होती हैं।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित पहाड़ियों को दक्षिण से उत्तर की ओर व्यवस्थित कीजिए।
- अन्नामलाई पहाड़ियाँ
- नल्लामाला पहाड़ियाँ
- पालकोंडा श्रेणी
- शेवरॉय पहाड़ियाँ
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correct
उत्तर: c)
Incorrect
उत्तर: c)
-
Question 4 of 5
4. Question
उत्तर-पूर्वी पठार के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- उत्तर-पूर्वी पठार मुख्य प्रायद्वीपीय पठार से अलग है।
- मेघालय के पठार में दक्षिण पश्चिम मानसून से अधिकतम वर्षा होती है, जिसके परिणामस्वरूप इसकी सतह का अत्यधिक क्षरण होता है।
- मेघालय के पठार में इसकी भौगोलिक परिस्थितियों के कारण कोयला और यूरेनियम के भंडार मौजूद नहीं हैं।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
उत्तर-पूर्वी पठार:
वस्तुतः यह मुख्य प्रायद्वीपीय पठार का ही विस्तार है। ऐसा माना जाता है कि हिमालय की उत्पत्ति के समय भारतीय प्लेट के उत्तर-पूर्व की ओर गति करने वाले बल के कारण राजमहल की पहाड़ियों और मेघालय के पठार के बीच एक बहुत बड़ा फाल्ट बन गया था। बाद में, यह फाल्ट कई नदियों की निक्षेपण गतिविधि से भर गया।
मेघालय और कार्बी आंगलोंग पठार मुख्य प्रायद्वीपीय ब्लॉक से अलग हो गए हैं।
मेघालय का पठार आगे तीन भागों में विभाजित है: (i) गारो हिल्स; (ii) खासी हिल्स; (iii) जयंतिया हिल्स।
इसका विस्तार असम की कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों में भी देखने को मिलता है। छोटानागपुर पठार के समान, मेघालय का पठार भी कोयला, लौह अयस्क, सिलीमेनाइट, चूना पत्थर और यूरेनियम जैसे खनिज संसाधनों से समृद्ध है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है। नतीजतन, मेघालय के पठार की सतह का अत्यधिक क्षरण हुआ है। चेरापूंजी किसी भी स्थायी वनस्पति आवरण से रहित एक नंगे चट्टानी सतह को प्रदर्शित करता है।
Incorrect
उत्तर: b)
उत्तर-पूर्वी पठार:
वस्तुतः यह मुख्य प्रायद्वीपीय पठार का ही विस्तार है। ऐसा माना जाता है कि हिमालय की उत्पत्ति के समय भारतीय प्लेट के उत्तर-पूर्व की ओर गति करने वाले बल के कारण राजमहल की पहाड़ियों और मेघालय के पठार के बीच एक बहुत बड़ा फाल्ट बन गया था। बाद में, यह फाल्ट कई नदियों की निक्षेपण गतिविधि से भर गया।
मेघालय और कार्बी आंगलोंग पठार मुख्य प्रायद्वीपीय ब्लॉक से अलग हो गए हैं।
मेघालय का पठार आगे तीन भागों में विभाजित है: (i) गारो हिल्स; (ii) खासी हिल्स; (iii) जयंतिया हिल्स।
इसका विस्तार असम की कार्बी आंगलोंग पहाड़ियों में भी देखने को मिलता है। छोटानागपुर पठार के समान, मेघालय का पठार भी कोयला, लौह अयस्क, सिलीमेनाइट, चूना पत्थर और यूरेनियम जैसे खनिज संसाधनों से समृद्ध है। इस क्षेत्र में सबसे अधिक वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून से होती है। नतीजतन, मेघालय के पठार की सतह का अत्यधिक क्षरण हुआ है। चेरापूंजी किसी भी स्थायी वनस्पति आवरण से रहित एक नंगे चट्टानी सतह को प्रदर्शित करता है।
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Question 5 of 5
5. Question
उत्तरी मैदानों में पश्चिमी विक्षोभ की परिघटनाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- ये उच्च दबाव वाली प्रणालियाँ हैं, जो भूमध्य सागर और पश्चिमी एशिया से उत्पन्न होती हैं और भारत में प्रवेश करती हैं।
- ‘रबी‘ फसलों की खेती के लिए इनका अत्यधिक महत्व है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
उत्तरी मैदानी इलाकों में ठंड के मौसम की एक विशिष्ट विशेषता पश्चिम और उत्तर पश्चिम से चक्रवाती विक्षोभ का प्रवाह है। ये निम्न-दबाव प्रणालियाँ भूमध्य सागर और पश्चिमी एशिया से उत्पन्न होती हैं और पछुआ प्रवाह के साथ-साथ भारत में प्रवेश करती हैं।
इनके कारण मैदानी इलाकों में सर्दियों की बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी होती है। यद्यपि स्थानीय रूप से ‘मावट‘ के रूप में जानी जाने वाली शीतकालीन वर्षा की कुल मात्रा कम होती है, लेकिन ‘रबी‘ फसलों की खेती के लिए इनका अत्यधिक महत्व होता है।
Incorrect
उत्तर: b)
उत्तरी मैदानी इलाकों में ठंड के मौसम की एक विशिष्ट विशेषता पश्चिम और उत्तर पश्चिम से चक्रवाती विक्षोभ का प्रवाह है। ये निम्न-दबाव प्रणालियाँ भूमध्य सागर और पश्चिमी एशिया से उत्पन्न होती हैं और पछुआ प्रवाह के साथ-साथ भारत में प्रवेश करती हैं।
इनके कारण मैदानी इलाकों में सर्दियों की बारिश और पहाड़ों में बर्फबारी होती है। यद्यपि स्थानीय रूप से ‘मावट‘ के रूप में जानी जाने वाली शीतकालीन वर्षा की कुल मात्रा कम होती है, लेकिन ‘रबी‘ फसलों की खेती के लिए इनका अत्यधिक महत्व होता है।
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