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[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 19 March 2022

विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-I

  1. पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री के कार्यालय में भगत सिंह की तस्वीर पर विवाद
  2. यौन उत्पीड़न निवारण या POSH अधिनियम

सामान्य अध्ययन-II

  1. भारत की मसौदा चिकित्सा उपकरण नीति

सामान्य अध्ययन-III

  1. श्रम प्रधान आर्थिक मॉडल के लिए आरएसएस का प्रस्ताव
  2. ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान
  3. विलुप्ति विद्रोह / इक्स्टिंगशन रेबेलियन

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

  1. वर्ष 2022 में आने वाला पहला चक्रवात: आसनी
  2. मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार
  3. ‘दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर’ के लिए भारत की पहली रैपिड रेल

सामान्य अध्ययन-I


 

 

विषय: स्वतंत्रता संग्राम- इसके विभिन्न चरण और देश के विभिन्न भागों से इसमें अपना योगदान देने वाले महत्त्वपूर्ण व्यक्ति/उनका योगदान।

 

पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री के कार्यालय में भगत सिंह की तस्वीर पर विवाद

संदर्भ:

हाल ही में,पंजाब के नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री भगवंत मान के कार्यालय में लगी भगत सिंह की एक तस्वीर पर विवाद शुरू हो गया है।

  • आम आदमी पार्टी के नए मुख्यमंत्री ने कहा है, कि वह उस समतावादी और भेदभाव-हीन पंजाबबनाने का सपना देखते हैं, जिसका सपना भगत सिंह ने देखा था और जिसके लिए उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया।
  • हालांकि, फोटो में भगतसिंह को बसंती (पीली) पगड़ी होने दिखाया गया है, जिस पर मुख्यतः फोटो की प्रामाणिकता की कमी के कारणआपत्ति जताई जा रही है।Current Affairsविवाद का विषय:

विशेषज्ञों के मुताबिक, भगतसिंह की मात्र चार प्रमाणिक / ओरिजिनल तस्वीरें मौजूद हैं। एक तस्वीर में वह जेल में खुले बालों के साथ बैठे हैं, दूसरी तस्वीर में वह एक हैट / गोल टोप पहने हुए हैं तथा दो अन्य तस्वीरों में उन्हें सफेद पगड़ी में देखा जा सकता हैं। उन्हें पीले या नारंगी रंग की पगड़ी पहने हुए अथवा हाथ में हथियार लिए हुए दिखाने वाली अन्य सभी तस्वीरें कल्पना की उपज हैं।

Current Affairs

भगत सिंहके बारे में प्रमुख तथ्य:

  • भगत सिंह का जन्म 1907 में लायलपुर जिले (अब पाकिस्तान में) में हुआ था, और वह राजनीतिक गतिविधियों में गहराई से संलिप्त एक सिख परिवार में पले-बढ़े।
  • 1923 में, भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज, लाहौर में प्रवेश लिया। इस कॉलेज की स्थापना लाला लाजपत राय और भाई परमानंद द्वारा की गयी थी, और इसका प्रबंधन भी इनके द्वारा ही किया जा रहा था।
  • 1924 में भगत सिंह, कानपुर में एक साल पहले ‘सचिंद्रनाथ सान्याल’ द्वारा शुरू किए गए संगठन‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HRA) के सदस्य बन गए।
  • 1928 में, HRA का नाम ‘हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ से बदलकर ‘हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन’ (HSRA) कर दिया गया।
  • वर्ष 1925-26 में भगत सिंह और उनके साथियों ने ‘नौजवान भारत सभा’ नाम से एक जुझारू युवा संगठन बनाया।
  • 1927में, उन्हें पहली बार एक छद्म नाम ‘विद्रोही’से एक लेख लिखने पर ‘काकोरी मामले’से संबंध रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
  • 1928 में लाला लाजपत राय ने साइमन कमीशन के आगमन के विरोध में एक जुलूस का नेतृत्व किया था। पुलिस ने इस जुलूस पर क्रूरतापूर्वक लाठीचार्ज किया, जिसमें लाला लाजपत राय गंभीर रूप से घायल हो गए और बाद में उनकी मौत हो गई।
  • लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और उनके साथियों ने पुलिस अधीक्षक जेम्स ए स्कॉट की हत्या की साजिश रची।
  • हालांकि, इन क्रांतिकारियों ने गलती से जेपी सॉन्डर्स को मार डाला। इस घटना को लाहौर षडयंत्र केस (1929)के नाम से जाना जाता है।
  • 8 अप्रैल, 1929 कोभगत सिंह और बी.के. दत्त ने,‘सार्वजनिक सुरक्षा विधेयक’(Public Safety Bill) और ‘व्यापार विवाद विधेयक’ (Trade Dispute Bill)नामक दो दमनकारी कानूनोंके पारित होने के विरोध में ‘केंद्रीय विधान सभा’ में बम फेंका।
  • इसका उद्देश्य किसी की हत्या करना नहीं था, बल्कि बहरों को अपनी आवाज सुनाना और विदेशी सरकार को उसके द्वारा किए जा रहे क्रूर शोषण की याद दिलाना था।

भगत सिंह पर मुकद्दमा:

भगत सिंह और बी.के. दत्त ने ‘केंद्रीय विधान सभा’ में बम फेकने के बाद ने आत्मसमर्पण कर दिया और मुकदमे का सामना किया ताकि वे अपने उद्देश्य और कार्य को और आगे बढ़ा सकें। इस घटना के लिए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

  • हालांकि, भगत सिंह को लाहौर षडयंत्र मामले में जे.पी. सॉन्डर्स की हत्या और बम निर्माण के आरोप में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था।
  • इस मामले में उन्हें दोषी पाया गया और 23 मार्च, 1931 को लाहौर में सुखदेव और राजगुरु के साथ फांसी पर लटका दिया गया।
  • हर साल 23 मार्च को स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को श्रद्धांजलि के रूप में शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘बसंती रंग’को अक्सर पंजाब में विरोध और क्रांति से जोड़ कर देखा जाता है?

प्रीलिम्स लिंक:

निम्नलिखित के बारे में जानिए:

  1. हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन
  2. हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन
  3. नौजवान भारत सभा
  4. काकोरी षड्यंत्र केस
  5. लाहौर षडयंत्र केस

मेंस लिंक:

क्रांतिकारी और एक समाजवादी भगत सिंह काभारत के स्वतंत्रता आंदोलन में बहुत बड़ा योगदान है। चर्चा कीजिए।

https://indianexpress.com/article/explained/controversy-bhagat-singh-photograph-punjab-cm-bhagwant-mann-office-7826262/lite/.

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

यौन उत्पीड़न निवारण या POSH अधिनियम


(Prevention of Sexual Harassment or POSH Act)

संदर्भ:

केरल उच्च न्यायालय ने फिल्म उद्योग से जुड़े संगठनों को ‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष)अधिनियम’,2013(Sexual Harassment of Women at Workplace (Prevention, Prohibition and Redressal) Act of 2013) के अनुरूप महिलाओं के यौन उत्पीड़न संबंधी मामलों से निपटने के लिए एक ‘संयुक्त समिति’ गठित करने के लिए कदम उठाने को कहा है।

क्या आप ‘विशाखा दिशा- निर्देशों’ के बारे में जानते हैं?

कानूनी रूप से बाध्यकारी ‘विशाखा दिशा-निर्देशों’(Vishaka Guidelines)को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 1997 में सुनाए गए एक फैसले में निर्धारित किया गया था। शीर्ष अदालत द्वारा यह फैसला महिला अधिकार समूहों द्वारा दायर एक मामले में सुनाया गया था,  इन याचिकाकर्ता महिलाओं में एक महिला का नाम विशाखा था।

  • इन दिशानिर्देशों में ‘यौन उत्पीड़न’ (Sexual Harassment) को परिभाषित किया गया है और संस्थानों के लिए तीन प्रमुख दायित्व- निवारण(Prevention), प्रतिषेध (Prohibition) और प्रतितोष या प्रतिकार (Redressal)निर्धारित किए गए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने, संस्थानों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के मामलों की जांच करने हेतु एक शिकायत समिति का गठन निर्देश दिया।
  • 2013 के अधिनियम के तहत इन दिशानिर्देशों को और अधिक विस्तारित किया गया।

महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष)अधिनियम’,2013के बारे में:

2013 में संसद द्वारा पारित,यौन उत्पीड़न के खिलाफ इस कानून को आमतौर पर ‘यौन उत्पीड़न निवारण / रोकथाम अधिनियम (Prevention of Sexual Harassment Act) या POSH एक्ट के रूप में जाना जाता है।

यौन उत्पीड़न की परिभाषा:

‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष)अधिनियम’,2013 में ‘यौन उत्पीड़न’ को निम्नलिखित रूप में परिभाषित किया गया है:

“यौन अथवा लैंगिकउत्पीड़नकेअंतर्गतप्रत्यक्षरूपसेयाबिबक्षितरूपसे,निम्नलिखितकिसीएकयाअधिकअवांछनीयकार्ययाव्यवहार को शामिल किया गया है:

  1. शारीरिक संपर्क और अग्रगमन(Physical contact and advances);या
  2. लैंगिक अनुकूलता की मांग या अनुरोध करना(A demand or request for sexual favours);या
  3. लैंगिक अत्युक्त टिप्पणियां करना(Sexually coloured remarks);या
  4. अश्लील साहित्य दिखाना(Showing pornography);या
  5. लैंगिक प्रकृति का कोई अन्य अवांछनीय शारीरिक, मौखिक या अमौखिक आचरण करना(Any other unwelcome physical, verbal or non-verbal conduct of sexual nature)।Sexual_Harassment

अधिनियम के मुख्य प्रावधान:

  • इस अधिनियम में शिकायत और जांच तथा की जाने वाली कार्रवाई के लिए प्रक्रियाओं को निर्धारित किया गया है।
  • इसमें प्रत्येक नियोक्ता को 10 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक कार्यालय या शाखा मेंएक ‘आंतरिक शिकायत समिति’ (Internal Complaints Committee – ICC) का गठन करने को अनिवार्य किया गया है।
  • अधिनियम में प्रक्रियाओं को निर्धारित किया गया है और यौन उत्पीड़न के विभिन्न पहलुओं को परिभाषित किया गया है।
  • “यौन उत्पीड़न के किसी भी कृत्य की शिकार होने का आरोप लगाने वाली महिला” किसी भी उम्र की हो सकती है, चाहे वह कार्यरत हो या नहीं। अर्थात अधिनियम के तहत,किसी भी रूप में किसी भी कार्यस्थल पर काम करने वाली, या आने वाली सभी महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की जाती है।

सख्त प्रावधानों की जरूरत:

  • ‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष)अधिनियम’,2013 में ‘आंतरिक शिकायत समिति’(ICC) को दीवानी अदालत की शक्तियां प्रदान की गयी हैं, किंतु इसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस समिति के सदस्यों को कानूनी पृष्ठभूमि का होना चाहिए या नहीं। चूंकि ‘आंतरिक शिकायत समिति’ द्वारा अधिनियम के फ्रेमवर्क के तहत एक महत्वपूर्ण शिकायत निवारण तंत्र का गठन किया जाता है, अतः इसे देखते हुए यह एक बड़ी कमी है।
  • 2013 के अधिनियम में ‘आंतरिक शिकायत समिति’ का गठन नहीं करने पर, नियोक्ताओं पर मात्र ₹50,000 के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।जोकि नियोक्ताओंद्वारा समयबद्धतरीकेसेआईसीसीकागठन किए जाने को सुनिश्चितकरनेमेंअपर्याप्तसाबितहुआहै।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. POSHअधिनियम के बारे में
  2. विशाखा दिशानिर्देश
  3. आंतरिक शिकायत समिति
  4. महिला यौन उत्पीड़न के संरक्षण के लिए कानून

मेंस लिंक:

यौन उत्पीड़न से महिलाओं की सुरक्षा के लिए ‘महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष)अधिनियम’,2013के महत्व पर चर्चा कीजिए।

https://indianexpress.com/article/explained/everyday-explainers/explained-posh-law-against-sexual-harassment-in-india-7825733/lite/.

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


सामान्य अध्ययनII


 

विषय:सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति 2022 मसौदा

संदर्भ:

हाल ही में,रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग (DoP)के द्वारा ‘राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति’ 2022 के मसौदा (Draft National Policy for the Medical Devices, 2022)पर ‘दृष्टिकोण पत्र’ (Approach Paper) जारी किया गया है।

Current Affairs

मसौदे / ड्राफ्ट के प्रमुख बिंदु:

  1. निजी क्षेत्र के निवेश सहित, स्थानीय विनिर्माण परितंत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिए वित्तीय और वित्तीय सहायता के माध्यम से प्रतिस्पर्धात्मकता का निर्माण।
  2. कर वापसी और छूट के माध्यम से कोर प्रौद्योगिकी परियोजनाओं और निर्यात को प्रोत्साहित करना।
  3. स्वास्थ्य देखभाल और संचालन दक्षता की लागत को कम करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को अपनाना।
  4. चिकित्सा उपकरणों के लाइसेंस के लिए सिंगल-विंडो क्लीयरेंस सिस्टम का निर्माण करना।
  5. महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ताओं की पहचान करना और स्थानीय रूप से उत्पादित सामग्री के उपयोग को बढ़ावा देना।
  6. विभिन्न उद्योगों के बीच सहकार्यता को प्रोत्साहित करना।
  7. ‘अनुसंधान और विकास’ में चिकित्सा प्रौद्योगिकी कंपनियों की हिस्सेदारी बढ़ाकर लगभग 50% करना।
  8. मौजूदा उद्योग भागीदारों, प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों और स्टार्टअप को शामिल करते हुए, संयुक्त अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के लिए एक समर्पित कोष स्थापित करना।
  9. सभी नागरिकों को सस्ती कीमतों पर गुणवत्तापूर्ण और प्रभावी चिकित्सा उपकरण उपलब्ध कराने के लिए एक ‘सुसंगत मूल्य निर्धारण विनियमन’ के लिए एक फ्रेमवर्क शामिल करना।

इस नीति की परिकल्पनाके अनुसार,2047 तक:

  1. हमारे देश में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मास्युटिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (NIPERs) की तर्ज पर कुछ राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (NIMERs) होंगे।
  2. हमारा देश मेडटेक में 25 सर्वोत्तम फ्यूचरिस्टिक तकनीकों का केंद्र और जननी होगा।
  3. देश में10-12% की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी के साथ 100-300 अरब डॉलर की आकार का मेडटेक उद्योग होगा।

नीति की आवश्यकता और महत्व:

  • वर्तमान में देश में बेचे जाने वाले लगभग 80% चिकित्सा उपकरण, विशेष रूप से उच्च श्रेणी के उपकरण आयात किए जाते हैं।
  • इस नई नीति का उद्देश्य अगले 10 वर्षों में भारत की आयात निर्भरता को लगभग 30% तक कम करना है।
  • इसका उद्देश्य चिकित्सा उपकरणों पर, भारत के प्रति व्यक्ति व्यय को बढ़ाना भी है। प्रति व्यक्ति खपत के वैश्विक औसत $47 की तुलना में, भारत में चिकित्सा उपकरणों पर सबसे कम प्रति व्यक्ति व्ययअर्थात मात्र $47 है।

सरकार द्वारा अब तक की शुरू की गयी पहलें:

  1. चिकित्सा उपकरणों के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना।
  2. चिकित्सा उपकरण पार्कों को बढ़ावा देना।
  3. 2014 में ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के तहत चिकित्सा उपकरणों को एक ‘सूर्योदय क्षेत्र’ (Sunrise Sector) के रूप में मान्यता दी गई है।

इंस्टा जिज्ञासु:

केंद्र सरकार ने 2020 में, सभी चिकित्सा उपकरणों को ‘दवाओं’ के रूप में अधिसूचित किया गया था, जोकि 1 अप्रैल से प्रभावी है। इसके तहत उपकरणों से लेकर प्रत्यारोपण तक, यहां तक ​​​​कि मानव या जानवरों में चिकित्सा उपयोग के लिए तैयार किए गए सॉफ़्टवेयर तक उत्पादों की एक श्रृंखला को ‘औषध एवं प्रसाधन अधिनियम’, 1940 (Drugs and Cosmetics Act, 1940)के दायरे में लाया गया है।

https://indianexpress.com/article/explained/india-draft-medical-devices-policy-explained-7820757/lite/.

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय:भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

श्रम प्रधान आर्थिक मॉडल के लिए आरएसएस का प्रस्ताव

संदर्भ:

आरएसएस ने देश में बढ़ती बेरोजगारी को देखते हुए ‘श्रम प्रधान भारतीय आर्थिक मॉडल’(Labour-Intensive Bharatiya Economic Model)का आह्वान करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया है।

प्रस्ताव के प्रमुख बिंदु:

  • समाज को आगे बढ़कर एक ‘आत्मानिर्भर भारत’ के निर्माण में भाग लेना चाहिए, जहां आर्थिक मॉडल भारतीय मूल्यों पर आधारित हो।
  • यह मॉडल, मानव केंद्रित, श्रम गहन, पर्यावरण के अनुकूल होना चाहिए और इसमें विकेंद्रीकरण और लाभों के समान वितरण पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • इसमॉडल में ग्रामीण अर्थव्यवस्था, सूक्ष्म, लघु और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ाना चाहिए।
  • बेरोजगारी के समाधान के रूप में ग्रामीण रोजगार, असंगठित क्षेत्र के रोजगार और महिलाओं के रोजगार के रूप में क्षेत्रों पर जोर दिया जाना चाहिए।
  • आरएसएस ने अपने प्रस्ताव में युवाओं से केवल नौकरी तलाशने की मानसिकता से बाहर आने का भी आग्रह किया है। लोगों, विशेषकर युवाओं को शिक्षित करके और परामर्श देकर उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल वातावरण का निर्माण किया जाना चाहिए।

आवश्यकता:

  • भारत की बेरोजगारी दर बढ़ रही है, और विमुद्रीकरण और महामारी के प्रभाव ने अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया है और अवसरों की कमी हो चुकी है।
  • दिसंबर 2021 में,बेरोजगारी दर बढ़कर 7.91% हो गई, जोकि 2018-19 में 6.3% और 2017-18 में 4.7% थी।
  • कहा जाता है कि विनिर्माण क्षेत्र में 2019-20 से लेकर दिसंबर 2021 के बीच 9.8 मिलियन नौकरियां समाप्त हो चुकी हैं।

आवश्यकता:

  • विनिर्माण क्षेत्र में छोटे और मध्यम उद्यमों को सहयोग प्रदान करने हेतु सरकार पर दबाव दिया जाना चाहिए।
  • जमीनी स्तर पर युवाओं के साथ काम करके “कृषि-संबद्ध गतिविधियों और अन्य स्व-रोजगार के अवसरों के माध्यम से उद्यमशीलता के उपक्रमों में शामिल होने में उनकी मदद की जानी चाहिए।
  • औद्योगीकरण, खाद्य प्रसंस्करण, कृषि से संबंधित गतिविधियों जैसे पशुपालन, बांस की खेती, मछली पालन आदि के माध्यम से ग्रामीण भारत में नौकरियों के सृजन के पर्याप्त अवसर मौजूद हैं, इनका दोहन किए जाने की आवश्यकता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारत में बेरोजगारी दर
  2. बेरोजगारी के प्रकार
  3. इस संबंध में सरकारी योजनाएं

मेंस लिंक:

श्रम प्रधान भारतीय आर्थिक मॉडल के महत्व पर टिप्पणी कीजिए।

https://indianexpress.com/article/explained/explained-rss-resolution-labor-intensive-economic-model-7824927/lite/.

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

 

मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ अभियान

संदर्भ:

हाल ही में, कर्नाटक के हासन में ‘मेरी पॉलिसी मेरे हाथ’ (Meri Policy Mere Haath) अभियानका आरंभ किया गया है।

अभियान के बारे में:

  • यह अभियान ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ का हिस्सा है।
  • इसका उद्देश्य, देश के सभी किसानों को अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए प्रेरित करना है।
  • इसकार्यक्रमकेतहत, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बीमा लेने वाले प्रत्येक किसान को पॉलिसी दस्तावेज उनके दरवाजे पर मिलेंगे।

महत्व:

  • यह अभियान फसल बीमा जागरूकता के माध्यम से, और बीमा पॉलिसी को किसानों के दरवाजे तक लाकर उन्हें फसल बीमा के लिए सक्षम बनाता है।
  • इस अभियान से, किसानों और बीमा कंपनियों के बीच सीधा संवाद बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।

PMFBYके बारे में:

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana – PMFBY), आगामी खरीफ 2022 सीज़न के साथ अपने कार्यान्वयन के 7वें वर्ष में सफलतापूर्वक प्रवेश कर चुकी है। इस योजना की घोषणा 18 फरवरी, 2016 को मध्य प्रदेश के सीहोर में की गयी थी,इसके बाद से योजना के कार्यान्वयन के छह साल पूरे हो गए हैं।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रदर्शन:

  1. अबतक, इस योजना के तहत 29.16 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों (साल-दर-साल आधार पर 5.5 करोड़ किसानों के आवेदन) का बीमा किया गया है।
  2. पांच वर्षों की अवधि में 8.3 करोड़ से अधिक किसानों के आवेदनों ने इस योजना का लाभ उठाया है।
  3. इसके अलावा, 20,000 करोड़ रुपये के किसानों की हिस्सेदारी की एवज में 95,000 करोड़ रुपये के दावों का भुगतान किया गया है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के बारे में:

जनवरी 2016 में शुरू की गई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY), खराब मौसमी परिघटनाओं के कारण फसलों को होने वाले नुकसान के लिए बीमा सुरक्षा प्रदान करती है।

  • वन नेशन – वन स्कीम थीम के अनुरूप इस योजना में, पूर्ववर्ती ‘राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना’ (NAIS) और ‘संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना’ (MNAIS) का विलय कर दिया गया है।
  • इस योजनाउद्देश्यकिसानोंपरप्रीमियमकाबोझकमकरनाऔरपूर्णबीमितराशिकेलिएफसलबीमादावेकाशीघ्रनिपटानसुनिश्चित करना है।

प्रीमियम:

इस योजना के तहत, सभी रबी फसलों के लिए किसानों को प्रीमियम का 1.5% तथा सभी खरीफ फसलों के लिए 2%भुगतान करना होता हैं, और शेष राशि का भुगतान राज्य और केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। वार्षिक वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के मामले में किसानों के लिए 5% प्रीमियम दर निर्धारित है।

उद्देश्य:

  1. प्राकृतिकआपदाओं, कीटों और रोगों के परिणामस्वरूप, अधिसूचित फसलों में से किसी भी फसल के नष्ट होने की स्थिति में किसानों को बीमा कवरेज और वित्तीय सहायता प्रदान करना।
  2. खेती में निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आय को स्थिर करना।
  3. किसानों को नवीन और आधुनिक कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
  4. कृषि क्षेत्र को ऋण का प्रवाह सुनिश्चित करना।

योजना के अंतर्गत कवरेज:

इस योजना में, सभी खाद्य और तिलहन फसलों और वार्षिक वाणिज्यिक / बागवानी फसलों को शामिल किया गया है, जिसके लिए पिछले उपज के आंकड़े उपलब्ध है और जिनके लिए, सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण (General Crop Estimation Survey- GCES) के तहत ‘फसल कटाई प्रयोगों’ (Crop Cutting Experiments- CCEs) का अपेक्षित संख्या संचालन किया जा रहा है।

PMFBYसेPMFBY2.0(PMFBY में बदलाव):

पूर्णतया स्वैच्छिक:वर्ष2020केखरीफ सीजन से सभी किसानों के लिए नामांकन को शत प्रतिशत स्वैच्छिक बनाने का निर्णय लिया गया है।

सीमित केंद्रीय सब्सिडी: केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा इस योजना के तहत गैर-सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये बीमा किस्त की दरों पर केंद्र सरकार की हिस्सेदारी को 30% और सिंचित क्षेत्रों/फसलों के लिये 25% तक सीमित करने का निर्णय लिया गया है।

राज्यों के लिये अधिक स्वायत्तता: केंद्र सरकार द्वारा राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू करने के लिये व्यापक छूट प्रदान की गयी है और साथ ही उन्हें बुवाई, स्थानिक आपदा, फसल के दौरान मौसम प्रतिकूलता, और फसल के बाद के नुकसान आदि किसी भी अतिरिक्त जोखिम कवर/ सुविधाओं का चयन करने का विकल्प भी दिया गया है।

निर्णय में देरी होने पर दंड: संशोधित PMFBY में, एक प्रावधान शामिल किया गया है, जिसमें राज्यों द्वारा खरीफ सीजन के लिए 31 मार्च से पहले और रबी सीजन के लिए 30 सितंबर से पहले अपना हिस्सा जारी नहीं करने पर, उन्हें बाद के फसल सीजनों में योजना के तहत भाग लेने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

सूचना, शिक्षा और संचार गतिविधियों में निवेश: अब इस योजना के तहत बीमा कंपनियों द्वारा एकत्र किये गए कुल प्रीमियम का 0.5% सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य किया गया है।

PMFBY की आलोचना:

  • शुरुआत से ही, विशेष रूप से महाराष्ट्र के किसानों द्वारा विभिन्न कारणों से इस योजना की आलोचना की जाती रही है।
  • इसके खिलाफ एक मुख्य तर्क यह है कि इससे किसानों से ज्यादा बीमा कंपनियों को मदद मिलती है।
  • किसान नेताओं का दावा है, कि सरकारी खजाने और किसानों के प्रीमियम पर बीमा कंपनियों ने अप्रत्याशित लाभ कमाया है।
  • विलंबित भुगतान और दावों से इनकार करना बीमा कंपनियों के खिलाफ अन्य आम शिकायतें हैं।
  • पर्याप्त फसल कटाई प्रयोग (CCE) नहीं करने के लिए भी बीमा कंपनियों को दोषी ठहराया जाता है।CCEके द्वारा किसानों को होने वाले कुल नुकसान को मापा जाता है।

किन राज्यों ने इस योजना से अपना नाम वापस ले लिया है?

गुजरात, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और झारखंड ने इस योजना से बाहर होने का विकल्प चुना है।

इंस्टा जिज्ञासु:

देश में कई राज्यों द्वारा अपनी बीमा योजनाएं भी चलायी जा रही हैं। इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी हेतु पढ़िए।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY)की प्रमुख विशेषताएं
  2. लाभ
  3. पात्रता
  4. PMFBY 0

मैंसलिंक:

PMFBY 2.0 केमहत्वपरचर्चाकीजिए

स्रोत: पीआईबी।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

विलुप्ति विद्रोह / इक्स्टिंगशनरेबेलियन


(Extinction Rebellion)

संदर्भ:

‘विलुप्ति विद्रोह’ (Extinction Rebellion)को लेकर आंदोलन करने वाले पूरे विश्व के कार्यकर्ता विभिन्न स्वरूपों में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

‘विलुप्ति विद्रोह’ / ‘इक्स्टिंगशन रेबेलियन’ क्या है?

‘विलुप्ति विद्रोह’ (Extinction Rebellion)को ‘XR’ के नाम से जाना जाता है।

‘विलुप्ति विद्रोह’ कीशुरुआत, जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (Intergovernmental Panel on Climate Change-IPCC) कीएक रिपोर्ट की प्रतिक्रिया के रूप में, 31 अक्टूबर, 2018 को यूनाइटेड किंगडम में हुईथी।

  • अब, यह एक वैश्विक आंदोलन बनचुका है। यहआंदोलन “विद्रोह” करने की मांग करता है, और समूहों को बिना किसी की अनुमति के ‘स्वयं-संगठित’ होने तथासमूह के मूल सिद्धांतों का पालन करते हुए ‘सामूहिक कार्य योजनाओं’ को शुरू करने के लिए कहता है।
  • यह एक विकेंद्रीकृत, अंतर्राष्ट्रीय और राजनीतिक रूप से गैर-पक्षपातपूर्ण आंदोलन है, जिसमें सरकारों को केवल जलवायु और पारिस्थितिक आपातकाल पर कार्य करने हेतु राजी करने के लिए अहिंसक प्रत्यक्ष कार्रवाई और सविनय अवज्ञा का उपयोग किया जाता है।

इस समूह कीसमूचेविश्व की सरकारों से “तीन प्रमुख मांगें” हैं।

यह समूह, विश्व के समक्ष उपस्थितजलवायु और पारिस्थितिक आपातकाल का मुकाबला करने के क्रम में,सरकारों से, ‘सच बताने’ ‘तत्काल कार्रवाई करने’ और‘राजनीति से परे जाने’ की मांग करता है।

‘XR’की अब तक की गतिविधियां:

  • इस समूह ने (Declaration of Rebellion)के साथ अपना आंदोंलन को शुरू किया था, और इसके तहत लंदन मेंसविनय अवज्ञा की एक सार्वजनिक कार्रवाई को शामिल किया गया और इसमें सरकार से 2025 तक कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने की मांग की गई थी।
  • इस आंदोलन की अंतिम योजना, मार्च 2019 में अन्य देशों में कार्यों का समन्वय करने और “अंतर्राष्ट्रीय विद्रोह” में शामिल होने की थी।
  • ‘XR’की वैश्विक वेबसाइट के अनुसार, यह आंदोलन “पूरी तरह से अहिंसक” (strictly non-violent)है, और इनके आंदोलनकारी “अनिच्छुकता से कानून तोड़ने वाले” (Reluctant Law-Breakers)हैं।
  • अप्रैल 2019 में, किशोर स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता ‘ग्रेटा थुनबर्ग’ ने लंदन में इस समूह के सदस्यों को संबोधित करते हुए आंदोलन को अपना समर्थन दिया था।

XR और भारत:

  • यह आंदोलन,महिलाओं के मताधिकार और ‘अरब क्रांति’तथा भारत का स्वतंत्रता संग्राम सहित दुनिया भर में हुए 15 प्रमुख सविनय अवज्ञा आंदोलनों से प्रेरित होने का दावा करता है।
  • यह आंदोलन 1930 में महात्मा गांधी के साल्ट मार्च / नमक सत्याग्रह का भी उल्लेख करता है।
  • XRकी वेबसाइट के अनुसार,मुंबई, पुणे, दिल्ली, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोलकाता और चेन्नई शहर सहित देश भर में इसके 19 समूह हैं।

स्रोत: लाइवमिंट।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


 

वर्ष 2022 में आने वाला पहला चक्रवात: आसनी

  • दक्षिण पश्चिम हिंद महासागर के ऊपर निर्मित एक ‘निम्न दबाव के क्षेत्र’ (Low Pressure Area) की, इस सप्ताह एक चक्रवात में परिवर्तित होने की संभावना है।
  • इस चक्रवात का नाम ‘आसनी’(Asani)रखा गया है। इस नाम का सुझाव भारत के दक्षिणी पड़ोसी देश श्रीलंका द्वारा दिया गया था।
  • गहन दबाव में परिवर्तित होने से पहले यहचक्रवातअंडमान और निकोबार द्वीप समूह के तट के साथ-साथ गति करने की उम्मीद है।Current Affairs


    मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार

(Man Booker International Prize)

  • हाल ही में, दिल्ली की लेखिका गीतांजलि श्री का 2019 में प्रकाशित उपन्यास ‘रेत समाधि’(Ret Samadhi)‘मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार’ (Man Booker International Prize) के लिए लंबे समय से सूचीबद्ध होने वाली 13 पुस्तकों में से पहली हिंदी कृति बन गई है।
  • उपन्यास का अंग्रेजी में अनुवाद चित्रकार, लेखक और अनुवादक, डेज़ी रॉकवेल ने ‘टॉम्ब ऑफ़ सैंड’(Tomb of Sand)शीर्षक से किया है।

पुरस्कार के बारे में:

‘मैन बुकर अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार’ यूनाइटेड किंगडम का एक अंतरराष्ट्रीय साहित्यिक पुरस्कार है।

  • इस पुरुस्कार की घोषणा जून 2004 में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘मैन बुकर पुरस्कार’(Man Booker Prize)के पूरक के रूप में की गई थी।
  • मैन ग्रुप द्वारा प्रायोजित, 2005 से 2015 तक यह पुरस्कार हर दो साल में किसी भी राष्ट्रीयता के एक जीवित लेखक को अंग्रेजी में प्रकाशित या आमतौर पर अंग्रेजी अनुवाद में उपलब्ध रचना के लिए दिया जाता है।
  • 2016 के बाद से, यह पुरस्कार हर साल अंग्रेजी में अनुवादित और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित होने वाली एकल पुस्तक को दिया जाता है।विजेता के लिए £50,000 कापुरस्कार, लेखक और अनुवादक के बीच समान रूप से साझा किया जाता है।

‘दिल्ली-मेरठ कॉरिडोर’ के लिए भारत की पहली रैपिड रेल

  • दिल्ली से मेरठ कॉरिडोर के लिए भारत की पहली रैपिड रेल का हाल ही में ‘राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रीय परिवहन निगम’ (NCRTC) द्वारा अनावरण किया गया था।
  • ‘रीजनल रैपिड ट्रांजिट सिस्टम’ (RRTS) ट्रेन दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर पर चलेगी और 82 किमी की दूरी सिर्फ 55 मिनट में तय करेगी।
  • देश के इस पहले क्षेत्रीय कॉरिडोर पर ‘बिज़नेस’ या ‘प्रीमियम’ कोच भी शुरू किए जाएंगे।Current Affairs