HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
प्रागैतिहासिक चित्रकला के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- कला निर्माण करने संबंधी निम्न पुरापाषाणकालीन लोगों के साक्ष्य मौजूद हैं।
- प्रतीक प्रागैतिहासिक चित्रों का हिस्सा नहीं हैं।
- शिकार के दृश्य मध्यपाषाण काल चित्रों की प्रमुख विशेषता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
कला निर्माण करने वाले निम्न पुरापाषाणकालीन (lower Paleolithic) लोगों के कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। इसका निर्माण केवल उत्तर पुरापाषाणकाल (Upper Paleolithic) के दौरान प्रारंभ हुआ था।
चित्रों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: मनुष्य, पशु और ज्यामितीय प्रतिरूप।
चित्रों की सबसे बड़ी संख्या मध्यपाषाण (Mesolithic) युग की है।
शिकार के दृश्य मध्यपाषाणकालीन (Mesolithic) चित्रों में दिखाई देते हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
कला निर्माण करने वाले निम्न पुरापाषाणकालीन (lower Paleolithic) लोगों के कोई साक्ष्य उपलब्ध नहीं हैं। इसका निर्माण केवल उत्तर पुरापाषाणकाल (Upper Paleolithic) के दौरान प्रारंभ हुआ था।
चित्रों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है: मनुष्य, पशु और ज्यामितीय प्रतिरूप।
चित्रों की सबसे बड़ी संख्या मध्यपाषाण (Mesolithic) युग की है।
शिकार के दृश्य मध्यपाषाणकालीन (Mesolithic) चित्रों में दिखाई देते हैं।
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Question 2 of 5
2. Question
सातवाहनों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- उन्होंने बौद्ध धर्म और ब्राह्मणवाद का संरक्षण किया।
- उन्होंने प्राकृत भाषा और साहित्य का संरक्षण किया।
- उन्होंने अश्वमेध और राजसूय यज्ञ किए।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: d)
सातवाहनों को पुराणों में आंध्र के रूप में भी जाना जाता है, यह दक्कन क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन भारतीय राजवंश था। सातवाहन ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक दक्कन क्षेत्र पर प्रभुत्व स्थापित किया था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी और उनके उत्तराधिकारी वासिष्ठिपुत्र पुलमवी के शासन के तहत यह राजवंश अपने चरम पर पहुंच गया था।
उन्होंने भारत-गंगा के मैदान से लेकर भारत के दक्षिणी सिरे तक व्यापार और विचारों और संस्कृति के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक सांस्कृतिक पुल का निर्माण किया। उन्होंने हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म का भी समर्थन किया और प्राकृत साहित्य का संरक्षण किया।
उन्होंने अश्वमेध और राजसूय यज्ञ किए।
Incorrect
उत्तर: d)
सातवाहनों को पुराणों में आंध्र के रूप में भी जाना जाता है, यह दक्कन क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन भारतीय राजवंश था। सातवाहन ने पहली शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व तक दक्कन क्षेत्र पर प्रभुत्व स्थापित किया था।
गौतमीपुत्र सातकर्णी और उनके उत्तराधिकारी वासिष्ठिपुत्र पुलमवी के शासन के तहत यह राजवंश अपने चरम पर पहुंच गया था।
उन्होंने भारत-गंगा के मैदान से लेकर भारत के दक्षिणी सिरे तक व्यापार और विचारों और संस्कृति के हस्तांतरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और एक सांस्कृतिक पुल का निर्माण किया। उन्होंने हिंदू धर्म के साथ-साथ बौद्ध धर्म का भी समर्थन किया और प्राकृत साहित्य का संरक्षण किया।
उन्होंने अश्वमेध और राजसूय यज्ञ किए।
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Question 3 of 5
3. Question
गुप्त कला और वास्तुकला के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- इस काल के दौरान नागरा और द्रविड़ शैली दोनों शैलियाँ विकसित हुईं।
- गुप्त काल में धातुकर्म व्यवसाय ने अद्भुत प्रगति की थी।
- इस पर गांधार शैली का कोई प्रभाव नहीं था।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: a)
इस अवधि के दौरान कला की नागरा और द्रविड़ शैली दोनों विकसित हुईं। लेकिन इस अवधि की अधिकांश वास्तुकला हूणों की तरह विदेशी आक्रमणों के कारण नष्ट हो गयी थी।
झांसी के पास देवगढ़ मंदिर और इलाहाबाद के पास गढ़वा मंदिर में मूर्तियां गुप्त कला का महत्वपूर्ण नमूना हैं। इस पर गांधार शैली का कोई प्रभाव नहीं था। लेकिन मथुरा में खड़ी बुद्ध की सुंदर मूर्ति से ग्रीक शैली का पता चलता है।
गुप्त काल के दौरान धातुकर्म व्यवसाय ने भी शानदार प्रगति की थी। शिल्पकार धातु की मूर्तियों और स्तंभों की ढलाई की कला में कुशल थे। मूल रूप से सुल्तानगंज में बुद्ध की विशालकाय तांबे की मूर्ति, जो अब बर्मिंघम संग्रहालय में रखी गई थी, लगभग साढ़े सात फीट की ऊंचाई और लगभग एक टन वजन की थी। गुप्त काल का दिल्ली लौह स्तंभ शताब्दियों से धूप और वर्ष के संपर्क में रहने के बावजूद अभी भी जंग से मुक्त बना हुआ है।
Incorrect
उत्तर: a)
इस अवधि के दौरान कला की नागरा और द्रविड़ शैली दोनों विकसित हुईं। लेकिन इस अवधि की अधिकांश वास्तुकला हूणों की तरह विदेशी आक्रमणों के कारण नष्ट हो गयी थी।
झांसी के पास देवगढ़ मंदिर और इलाहाबाद के पास गढ़वा मंदिर में मूर्तियां गुप्त कला का महत्वपूर्ण नमूना हैं। इस पर गांधार शैली का कोई प्रभाव नहीं था। लेकिन मथुरा में खड़ी बुद्ध की सुंदर मूर्ति से ग्रीक शैली का पता चलता है।
गुप्त काल के दौरान धातुकर्म व्यवसाय ने भी शानदार प्रगति की थी। शिल्पकार धातु की मूर्तियों और स्तंभों की ढलाई की कला में कुशल थे। मूल रूप से सुल्तानगंज में बुद्ध की विशालकाय तांबे की मूर्ति, जो अब बर्मिंघम संग्रहालय में रखी गई थी, लगभग साढ़े सात फीट की ऊंचाई और लगभग एक टन वजन की थी। गुप्त काल का दिल्ली लौह स्तंभ शताब्दियों से धूप और वर्ष के संपर्क में रहने के बावजूद अभी भी जंग से मुक्त बना हुआ है।
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Question 4 of 5
4. Question
गुप्त युग के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- गुप्त युग को अक्सर “भारतीय वास्तुकला के स्वर्णिम काल” के रूप में जाना जाता है, जिसने सभी धर्मों के लिए अनुकरणीय सहिष्णुता विधमान थी।
- गुप्त काल के दौरान, गुफाओं के निर्माण का विकास किया गया था।
- गुफाओं में छवियों को फ्रेस्को पेंटिंग का उपयोग करके बनाया गया था।
- बौद्ध और जैन कला ने इस दौरान अपना महत्व खो दिया।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
चौथी शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के उद्भव को अक्सर “भारतीय वास्तुकला के स्वर्णिम काल“ के रूप में जाना जाता है।
मंदिर वास्तुकला इस अवधि के दौरान अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई थी। इसी तरह, बौद्ध और जैन कला भी गुप्त युग के दौरान अपने चरम पर थी।
गुप्त शासक, विशेष रूप से बाद के चरण में, ब्राह्मणवादी शासक थे। हालांकि, वे अन्य सभी धर्मों के प्रति अनुकरणीय सहिष्णुता रखते थे।
गुप्त काल के दौरान, गुफा निर्माण का विकास स्थिर रहा। हालांकि, गुफाओं की दीवारों पर भित्ति चित्रों का उपयोग किया गया। अजंता और एलोरा की गुफाओं में भित्ति चित्रों के कुछ सर्वश्रेष्ठ उदाहरण देखे जा सकते हैं।
अजंता की गुफाओं में छवियों को फ्रेस्को पेंटिंग का उपयोग करके चित्रित किया गया था।
Incorrect
उत्तर: b)
चौथी शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के उद्भव को अक्सर “भारतीय वास्तुकला के स्वर्णिम काल“ के रूप में जाना जाता है।
मंदिर वास्तुकला इस अवधि के दौरान अपने चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई थी। इसी तरह, बौद्ध और जैन कला भी गुप्त युग के दौरान अपने चरम पर थी।
गुप्त शासक, विशेष रूप से बाद के चरण में, ब्राह्मणवादी शासक थे। हालांकि, वे अन्य सभी धर्मों के प्रति अनुकरणीय सहिष्णुता रखते थे।
गुप्त काल के दौरान, गुफा निर्माण का विकास स्थिर रहा। हालांकि, गुफाओं की दीवारों पर भित्ति चित्रों का उपयोग किया गया। अजंता और एलोरा की गुफाओं में भित्ति चित्रों के कुछ सर्वश्रेष्ठ उदाहरण देखे जा सकते हैं।
अजंता की गुफाओं में छवियों को फ्रेस्को पेंटिंग का उपयोग करके चित्रित किया गया था।
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Question 5 of 5
5. Question
जैन धर्म के अनुसार निम्न में से किसे त्रिरत्न माना जाता है।
- सम्यक् ज्ञान
- सम्यक् संस्कृति
- सम्यक् आचरण
- सम्यक् विश्वास
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: b)
जैन धर्म के तीन सिद्धांत, जिन्हें त्रिरत्न (तीन रत्न) भी कहा जाता है:
– सम्यक् विश्वास
– सम्यक् ज्ञान
– सम्यक् आचरण
सम्यक् विश्वास महावीर की शिक्षाओं और ज्ञान में विश्वास करना है।
सम्यक् ज्ञान इस सिद्धांत की स्वीकृति है कि कोई ईश्वर नहीं है और यह कि जगत सृष्टिकर्ता के बिना विद्यमान रही है और सभी वस्तुओं में आत्मा होती है।
सम्यक् आचरण पाँच महावृत्त के पालन को संदर्भित करता है:
– जीवन को नष्ट न करना
– झूठ नहीं बोलना
– चोरी नहीं करना
– संपत्ति का अधिग्रहण नहीं करना
– अनैतिक जीवन न जीना।
Incorrect
उत्तर: b)
जैन धर्म के तीन सिद्धांत, जिन्हें त्रिरत्न (तीन रत्न) भी कहा जाता है:
– सम्यक् विश्वास
– सम्यक् ज्ञान
– सम्यक् आचरण
सम्यक् विश्वास महावीर की शिक्षाओं और ज्ञान में विश्वास करना है।
सम्यक् ज्ञान इस सिद्धांत की स्वीकृति है कि कोई ईश्वर नहीं है और यह कि जगत सृष्टिकर्ता के बिना विद्यमान रही है और सभी वस्तुओं में आत्मा होती है।
सम्यक् आचरण पाँच महावृत्त के पालन को संदर्भित करता है:
– जीवन को नष्ट न करना
– झूठ नहीं बोलना
– चोरी नहीं करना
– संपत्ति का अधिग्रहण नहीं करना
– अनैतिक जीवन न जीना।
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