[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 2 February 2022

विषयसूची

 

सामान्य अध्ययन-II

1. अदालत की अवमानना

 

सामान्य अध्ययनIII

1. केंद्रीय बजट 2022-23 के प्रमुख बिंदु

2. ‘हर घर, नल से जल’ योजना

3. केंद्रीय बजट में पांच नदी-जोड़ो परियोजनाओं की घोषणा

4. अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र

5. वित्त मंत्री द्वारा बजटीय भाषण में घोषित ‘डिजिटल रुपया’

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के नए इतिहास में 1962 के युद्ध का उल्लेख

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

अदालत की अवमानना


(Contempt of Court)

संदर्भ:

भारत के मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमण ने गुरुग्राम में जुमे की नमाज अदा करने वाले नमाजियों के प्रति ‘सांप्रदायिक घृणा और आतंक का माहौल’ बनाने वाले ‘गुंडों’ पर लगाम नहीं लगाने पर, हरियाणा सरकार के अधिकारियों के खिलाफ ‘अवमानना ​​कार्रवाई’ शुरू करने की मांग करने वाली याचिका को सुनवाई के लिए तुरंत सूचीबद्ध करने पर सहमति प्रदान की है।

संबंधित प्रकरण:

शीर्ष अदालत में दायर याचिका में हरियाणा के अधिकारियों की निष्क्रियता को, वर्ष 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करने वाला बताते हुए निंदा की गयी है। अदालत ने अपने इस फैसले में कहा था, कि अधिकारियों को सांप्रदायिक हिंसा के मामले में मूक दर्शक नहीं रहना चाहिए और इसे बर्दाश्त नहीं करना चाहिए तथा नफरत फैलाने वाले अपराधों के खिलाफ कानून का उपयोग करना चाहिए।

अवमानना ​​क्या होती है?

यद्यपि ‘अवमानना ​​कानून’ (Contempt Law) का मूल विचार उन लोगों को दंडित करना है जो अदालतों के आदेशों का सम्मान नहीं करते हैं। किंतु भारतीय संदर्भ में, अवमानना ​​​​का उपयोग अदालत की गरिमा को कम करने तथा न्यायिक प्रशासन में हस्तक्षेप करने वाली भाषा अथवा व्यक्तव्यों को दंडित करने के लिए भी किया जाता है।

अदालत की अवमानना दो प्रकार की हो सकती है: सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना।

  1. सिविल अवमानना: सिविल अवमानना को किसी भी फैसले, आदेश, दिशा, निर्देश, रिट या अदालत की अन्य प्रक्रिया अथवा अदालत में दिए गए वचन के जानबूझ कर किये गए उल्लंघन के रूप में परिभाषित किया गया है।
  2. आपराधिक अवमानना: आपराधिक अवमानना के तहत, किसी भी ऐसे विषय (मौखिक या लिखित शब्दों से, संकेतों, दृश्य प्रतिबिंबो, अथवा किसी अन्य प्रकार से) के प्रकाशन द्वारा अदालत की निंदा करने अथवा न्यायिक कार्यवाही में हस्तक्षेप करने अथवा बाधा डालने के प्रयास को सम्मिलित किया जाता है।

प्रासंगिक प्रावधान:

  1. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 215 में क्रमशः सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को न्यायालय की अवमानना के लिए दोषी व्यक्तियों को दंडित करने की शक्ति प्रदान की गयी है।
  2. 1971 के अवमानना अधिनियम की धारा 10 में उच्च न्यायालय द्वारा अपने अधीनस्थ न्यायालयों को अवमानना करने पर दंडित करने संबंधी शक्तियों को परिभाषित किया गया है।
  3. संविधान में लोक व्यवस्था तथा मानहानि जैसे संदर्भो सहित अदालत की अवमानना के रूप में, अनुच्छेद 19 के अंतर्गत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उचित प्रतिबंध को भी सम्मिलित किया गया है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अवमानना के संदर्भ में उच्चत्तम न्यायालय तथा उच्च न्यायलय की शक्तियां
  2. इस संबंध में संवैधानिक प्रावधान
  3. न्यायलय की अवमानना (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा किये गए परिवर्तन
  4. सिविल बनाम आपराधिक अवमानना
  5. अनुच्छेद 19 के तहत अधिकार
  6. 1971 की अवमानना अधिनियम की धारा 10 किससे संबंधित है?

मेंस लिंक:

भारत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवमानना मामलों को किस प्रकार हल किया जाता है? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: सरकारी बजट।

केंद्रीय बजट 2022-23 के प्रमुख बिंदु


केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण द्वारा 1 फरवरी को ‘सूक्ष्म आर्थिक स्तर पर सभी समेकित कल्याण’ पर जोर देते हुए 39.45 लाख करोड़ रुपये का केंद्रीय बजट पेश किया गया।

नोट: बजट के बारे में, इसका क्या अर्थ है, संबंधित संवैधानिक प्रावधानों और प्रस्तुति के चरणों के बारे में जानिए।

2022-23 के बजट की मुख्य बातें:

कुल व्यय एवं मुख्य फोकस:

  • रोजगार सृजन को अधिक करना तथा आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देना।
  • बजट में, कुल सरकारी व्यय, चालू वर्ष की तुलना में 6 प्रतिशत अधिक किए जाने तथा राज्यों को 1 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त सहायता दिए जाने की घोषणा की गई है।
  • 2022-23 में कुल व्यय 45 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है, जबकि कुल प्राप्तियां, ऋण के अतिरिक्त, 22.84 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
  • पूंजीगत व्यय के लिए परिव्यय को एक बार फिर से 4 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए 2022-23 में 7.50 लाख करोड़ रुपये किया जा रहा है। चालू वर्ष में पूंजीगत व्यय के लिए 5.54 लाख करोड़ रुपये निर्धारित किए गए थे।

Current Affairs

 

अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में संक्षित अवलोकन:

  • भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2 प्रतिशत अनुमानित है, जो सभी बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे अधिक है।
  • डॉलर के संदर्भ में, भारत का ‘सकल घरेलू उत्पाद’ (GDP) पहले ही $3 ट्रिलियन को पार कर चुका है।
  • ‘राजकोषीय घाटा’ चालू वित्त वर्ष में 9 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इससे पहले अनुमानित ‘राजकोषीय घाटा’ 6.8 प्रतिशत था। 2022-23 के लिए सरकार का राजकोषीय घाटा 16,61,196 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।
  • मुद्रास्फीति का बढ़ता स्तर, अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।
  • 21 जनवरी को ‘विदेशी मुद्रा भंडार’ 287 बिलियन डॉलर था, जो 2021-22 के लिए अनुमानित 13 महीने के आयात के बराबर सुरक्षा प्रदान करता है।

बजट में अवसंरचना विकास हेतु प्रावधान:

‘प्रधान मंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान’ (PM GatiShakti National Master Plan) में आर्थिक परिवर्तन, निर्बाध बहुपक्षीय कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक दक्षता के लिए ‘सात कारकों’ (Seven Engines) को शामिल किया जाएगा।

  • ‘सात कारकों’ में सड़क, रेल मार्ग, हवाई मार्ग, विमानपत्तन, माल परिवहन, जल मार्ग और लॉजिस्टिक अवसंरचना शामिल हैं। सभी सात इंजन / कारक एक साथ अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाएंगे।
  • अगले 3 साल के दौरान 400 उत्कृष्ट वंदे भारत रेलगाड़ियों का निर्माण किया जाएगा और रेलवे द्वारा छोटे किसानों और ‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों’ (MSMEs) के लिए नए उत्पाद भी विकसित किए जाएंगे।
  • पार्सलों की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए डाक और रेलवे नेटवर्क के एकीकरण की घोषणा की गई है।
  • राजमार्गों के लिए मास्टर प्लान तैयार किया गया है, इसके तहत 2022-23 में 25,000 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्गों को पूरा करने का लक्ष्य है।

कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण:

  • कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के लिए बजट आवंटन: 2022-23 वित्तीय वर्ष के लिए 1,32,513 करोड़ रुपये।
  • फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण और कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ‘किसान ड्रोन’ (Kisan Drones) को बढ़ावा दिया जाएगा।
  • नाबार्ड (NABARD) के माध्यम से कृषि और ग्रामीण उद्यम से जुड़े स्टार्टप्स को वित्तीय मदद के लिए मिश्रित पूंजी कोष की सुविधा प्रदान की जाएगी।

शिक्षा:

  • विश्व स्तरीय गुणवत्ता युक्त सार्वभौमिक शिक्षा तक देश भर के छात्रों को पहुंच प्रदान करने के लिए एक डिजिटल विश्वविद्यालय की स्थापना की जाएगी।
  • ‘पीएम ई-विद्या’ के ‘एक कक्षा एक टीवी चैनल’ (One class one TV channel) कार्यक्रम को 200 टीवी चैनलों पर दिखाया जाएगा।
  • महत्वपूर्ण चिंतन कौशल और प्रभावी शिक्षण वातावरण को बढ़ावा देने के लिए वर्चुअल प्रयोगशाला और कौशल ई-प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी।
  • कौशल और आजीविका के लिए डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र – देश-स्टैक ई-पोर्टल (DESH-Stack e-portal) लॉन्च किया जाएगा।

स्वास्थ्य देखरेख:

  • केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए 86,200.65 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
  • गुणवत्तापूर्ण मानसिक स्वास्थ्य परामर्श और देखरेख सेवाओं के लिए राष्ट्रीय टेली मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम के लिए खुला मंच शुरू किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लिए, बजट आवंटन 2021-22 में 36,576 करोड़ रुपये से बढाकर 2022-23 में 37,000 करोड़ रुपये किया गया है।

कर प्रस्ताव:

  • आयकर रिटर्न (ITR) दाखिल करने में हुई चूक को सुधारने के लिए करदाताओं को वन-टाइम विंडो की अनुमति दी गई है। वे आकलन वर्ष से 2 साल के भीतर अद्यतन रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
  • वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्तियों के लिए विशेष कर प्रणाली लागू की गई। किसी भी वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत कर का प्रस्ताव किया गया है।
  • लेन-देन के विवरण के लिए वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के हस्तांतरण के संबंध में किए गए भुगतान पर एक निश्चित मौद्रिक सीमा से ऊपर की रकम के लिए 1 प्रतिशत की दर से टीडीएस (Tax Deducted at Source – TDS) देय होगा।
  • वर्चुअल डिजिटल परिसंपत्ति के उपहार पर भी प्राप्तकर्ता के यहाँ कर देय होगा।
  • सरकार द्वारा जल्द ही ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित डिजिटल रुपया की शुरूआत की जाएगी।

‘सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों’ (MSMEs) के लिए प्रोत्साहन:

  • MSMEs के लिए 5 वर्षों की अवधि का ‘रेजिंग एंड एसिलेरेटिंग एमएसएमई परफोर्मेंस’ (आरएएमपी) प्रोग्राम (Raising and Accelerating MSME Performance (RAMP) programme), 6,000 करोड़ रुपए के परिव्यय से शुरू किया जाएगा।
  • 130 लाख MSMEs को आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ECLGS) के तहत अतिरिक्त कर्ज दिया जा चुका है, इस योजना को मार्च 2023 तक बढ़ाया जाएगा।
  • ECLGS के तहत गारंटी कवर को 50000 करोड़ रुपए बढ़ाकर कुल 5 लाख करोड़ कर दिया जाएगा।

स्रोत: पीआईबी, टाइम ऑफ इंडिया, द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

‘हर घर, नल से जल’ योजना


संदर्भ:

‘हर घर, नल से जल’ (Har Ghar, Nal Se Jal) योजना के तहत वर्ष 2022-23 के केंद्रीय बजट में 3.8 करोड़ परिवारों को शामिल करने के लिए 60,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए है।

‘हर घर, नल से जल’ योजना के बारे में:

  • योजना का आरंभ: वर्ष 2019 में।
  • नोडल एजेंसी: जल शक्ति मंत्रालय
  • उद्देश्य: 2024 तक हर ग्रामीण घर में पाइप से पीने का पानी उपलब्ध कराना।

यह सरकार के प्रमुख कार्यक्रम ‘जल जीवन मिशन’ का एक घटक है।

कार्यान्वयन:

यह योजना एक अनूठे मॉडल पर आधारित है। इसमें ग्रामीणों को शामिल करते हुए ‘पानी समितियां’ (water committee) गठित की जाती है, और ये समितियां ही यह तय करती हैं, कि अपने द्वारा उपभोग किए जाने वाले पानी के लिए ग्रामीण क्या भुगतान करेंगे।

पानी समितियों द्वारा निर्धारित शुल्क, गांव के सभी निवासियों के लिए एक समान नहीं होगा। जिन ग्रामीणों के पास बड़े घर हैं, वे अधिक भुगतान करेंगे, जबकि गरीब परिवारों या जिन घरों में कोई कमाने वाला सदस्य नहीं है, उन्हें इस शुल्क से छूट दी जाएगी।

आवश्यकता:

  • 2018 में जारी की गयी नीति आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार, 600 मिलियन भारतीयों को पानी की कमी से अत्यधिक जूझना पड़ता है, और सुरक्षित जल तक अपर्याप्त पहुंच के कारण हर साल लगभग दो लाख व्यक्तियों की मौत हो जाती है।
  • वर्ष 2030 तक, देश में पानी की मांग, उपलब्ध आपूर्ति से दोगुनी हो जाने का अनुमान है, जिसका अर्थ है कि करोड़ों लोगों के लिए पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ेगा और देश के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 6% की हानि होगी।
  • अध्ययनों से यह भी पता चलता है, कि 84% ग्रामीण घरों में पाइप से आने वाले पानी की सुविधा नहीं है और देश का 70% से अधिक पानी दूषित है।

‘जल जीवन मिशन’ के बारे में:

  • ‘जल जीवन मिशन’ (Jal Jeevan Mission) के तहत वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में, कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (Functional House Tap Connections- FHTC) के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।
  • यह अभियान, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • इसे 2019 में लॉन्च किया गया था।

कार्यान्वयन:

‘जल जीवन मिशन’, जल के प्रति सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है और इसके तहत मिशन के प्रमुख घटक के रूप में व्यापक जानकारी, शिक्षा और संवाद को शामिल किया गया है।

  • इस मिशन का उद्देश्य, जल के लिए एक जन-आंदोलन तैयार करना है, जिसके द्वारा यह हर किसी की प्राथमिकता में शामिल हो जाए।
  • इस मिशन के लिए, केंद्र और राज्यों द्वारा, हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10; अन्य राज्यों के लिए 50:50 के अनुपात में; और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि बिहार में भी घरों में पानी उपलब्ध कराने हेतु इसी तरह की एक योजना जारी है? इसके बारे में जानकारी के लिए पढ़िए।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘जल जीवन मिशन’ का लक्ष्य
  2. कार्यान्वयन
  3. राशि आवंटन

मेंस लिंक:

‘जल जीवन मिशन’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

केंद्रीय बजट में पांच नदी-जोड़ो परियोजनाओं की घोषणा


संदर्भ:

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में भारत में ‘पांच नदी-जोड़ो परियोजनाओं’ (five river linking projects) का प्रस्ताव रखा है।

परियोजना हेतु चिह्नित की गयी नदियां:

गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी, दमनगंगा-पिंजल और पार-तापी-नर्मदा (Par-Tapi-Narmada)।

इन नदियों का संक्षिप्त विवरण:

  • कृष्णा नदी, भारत की चौथी सबसे बड़ी नदी है। यह महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलती है तथा महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है।
  • कावेरी नदी का उद्गम ‘कोडागु’ से होता है और यह कर्नाटक और तमिलनाडु से होकर बहती है।
  • पेन्नार नदी, ‘चिक्काबल्लापुरा’ से निकलती है और कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश से होकर बहती है।
  • गोदावरी नदी, भारत की तीसरी सबसे बड़ी नदी है। यह नासिक से निकलती है और महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा से होकर बहती है।

दमनगंगा-पिंजाल नदी-जोड़ परियोजना (Damanganga-Pinjal river linking) का उद्देश्य, मुंबई शहर के लिए घरेलू पानी उपलब्ध कराने हेतु ‘दमनगंगा बेसिन’ से अधिशेष जल को शहर की ओर मोड़ना है।

‘पार-तापी-नर्मदा परियोजना’ (Par-Tapi-Narmada project) के अंतर्गत, उत्तर महाराष्ट्र और दक्षिण गुजरात के पश्चिमी घाट क्षेत्र स्थित सात जलाशयों से अतिरिक्त पानी को, कच्छ और सौराष्ट्र के संदिग्ध क्षेत्रों में भेजे जाने का प्रस्ताव है।

इंटरलिंकिंग के लाभ:

  • जल और खाद्य सुरक्षा में वृद्धि
  • जल का समुचित उपयोग
  • कृषि को बढ़ावा
  • आपदा न्यूनीकरण
  • परिवहन को बढ़ावा देना

संबंधित विवाद एवं चिंताएं:

  • नदियों को आपस में जोड़ना (Interlinking) काफी महंगा प्रस्ताव है। इससे भूमि, जंगलों, जैव विविधता, नदियों और लाखों लोगों की आजीविका पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
  • नदियों को आपस में जोड़ने से, वनों, आर्द्रभूमियों और स्थानीय जल निकायों का विनाश होगा। आर्द्रभूमियां, भूजल पुनर्भरण हेतु प्रमुख तंत्र होती हैं।
  • इस तरह की परियोजनाएं लोगों के बड़े पैमाने पर विस्थापन का कारण बनती है। जिससे विस्थापितों के पुनर्वास के मुद्दे से निपटने के लिए सरकार पर भारी बोझ पड़ता है।
  • नदियों को आपस में जोड़ने से, समुद्र में गिरने वाले ताजे पानी की मात्रा में कमी आएगी और इससे समुद्री जीवन को गंभीर खतरा होगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘नदियों को आपस में जोड़ने की राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना’ (National Perspective Plan) के बारे में जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. परियोजना के बारे में
  2. केन और बेतवा- सहायक नदियाँ और संबंधित राज्य
  3. पन्ना टाइगर रिजर्व के बारे में
  4. भारत में बायोस्फीयर रिजर्व

मेंस लिंक:

‘केन-बेतवा नदी जोड़ परियोजना’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र


(International arbitration centre)

संदर्भ:

‘विवाद समाधान’ में तेजी लाने के लिए, बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा ‘गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी’ (Gujarat International Finance Tec-City: GIFT City), गुजरात में एक ‘अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ (International arbitration centre) स्थापित किए जाने की घोषणा की गयी है।

यह केंद्र, ‘सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ या ‘लंदन वाणिज्यिक मध्यस्थता केंद्र’ की तर्ज पर स्थापित किया जाएगा।

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) के बारे में:

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (International Financial Services Centres – IFSC) घरेलू अर्थव्यवस्था के अधिकार क्षेत्र से बाहर के ग्राहकों की वित्तीय आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

  • IFSC, सीमा-पारीय वित्त प्रवाह, वित्तीय उत्पादों और सेवाओं से संबंधित होते हैं।
  • वर्तमान में, गिफ्ट-आईएफएससी (GIFT-IFSC) भारत में पहला ‘अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र’ है।

विनियमन:

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (International Financial Services Centres Authority – IFSCA) का मुख्यालय GIFT -सिटी, गांधीनगर, गुजरात में स्थित है।

IFSCA की स्थापना ‘अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण अधिनियम’, 2019 के तहत की गई थी।

  • यह संस्था भारत में वित्तीय उत्पादों, वित्तीय सेवाओं और वित्तीय संस्थानों के नियमन तथा विकास के लिये एक एकीकृत प्राधिकार के रूप में काम करती है।
  • इस समय GIFT – IFSCA भारत में पहला अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र है।

IFSC द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं:

  • व्यक्तियों, निगमों और सरकारों के लिए फंड जुटाने हेतु सेवाएं।
  • पेंशन फंड्स, इंश्योरेंस कंपनियों और म्यूचुअल फंड्स द्वारा परिसंपत्ति प्रबंधन (Asset management) और ग्लोबल पोर्टफोलियो डायवर्सिफिकेशन (Global Portfolio Diversification)।
  • धन प्रबंधन (Wealth management)।
  • वैश्विक कर प्रबंधन और सीमा-पार कर देयता अनुकूलन (Cross-Border Tax Liability Optimization), जो वित्तीय बिचौलियों, लेखाकारों और कानूनी फर्मों के लिए एक व्यावसायिक अवसर प्रदान करते है।
  • वैश्विक और क्षेत्रीय कॉरपोरेट ट्रेजरी प्रबंधन संचालन, जिसमें, फंड जुटाना, तरलता निवेश और प्रबंधन और परिसंपत्ति-देयता मिलान करना सम्मिलित होता है।
  • बीमा और पुनर्बीमा जैसे जोखिम प्रबंधन कार्य।
  • अंतर-राष्ट्रीय निगमों के मध्य विलय और अधिग्रहण संबंधी गतिविधियाँ।

क्या IFSC को ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ (SEZ) में स्थापित किया जा सकता है?

SEZ एक्ट, 2005 में केंद्र सरकार द्वारा अनुमोदन के पश्चात बाद किसी ‘विशेष आर्थिक क्षेत्र’ (Special Economic Zone- SEZ) में अथवा SEZ के रूप में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (IFSC) स्थापित करने की अनुमति दी गयी है।

सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) के बारे में:

यह सिंगापुर में स्थित एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन है। यह मध्यस्थता संबंधी अपने नियमों और ‘संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कानून आयोग’ (UNCITRAL) मध्यस्थता नियमों के तहत मध्यस्थता प्रबंधन करता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. IFSCs क्या होते हैं?
  2. क्या IFSC को SEZ में स्थापित किया जा सकता है?
  3. भारत का पहला IFSC
  4. IFSC द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं?
  5. IFSC की सीमाएं

मेंस लिंक:

अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्रों (IFSC)  के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

वित्त मंत्री द्वारा बजटीय भाषण में घोषित ‘डिजिटल रुपया’


संदर्भ:

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा अपने बजटीय भाषण में 2022-23 के बाद से ‘डिजिटल रुपया’ – एक केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) – लॉन्च करने की घोषणा की गयी है।

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा आगामी वित्तीय वर्ष से ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ (Central Bank Digital Currency – CBDC) का आरंभ किया जाएगा।

‘राष्ट्रीय डिजिटल मुद्रा’ या ‘सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी’ (CBDC) के बारे में:

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC), या राष्ट्रीय डिजिटल करेंसी, किसी देश की साख मुद्रा का डिजिटल रूप होती है। इसके लिए, कागजी मुद्रा या सिक्कों की ढलाई करने के बजाय, केंद्रीय बैंक इलेक्ट्रॉनिक टोकन जारी करता है। इस सांकेतिक टोकन को, सरकार का पूर्ण विश्वास और साख का समर्थन हासिल होता है।

भारतीय संदर्भ में CBDC के प्रमुख उपयोग:

  1. किसी देश में सामाजिक लाभ और अन्य लक्षित भुगतानों के लिए उपयोग हेतु उद्देश्य के लिए उपयुक्तधन (‘Fit-for-Purpose’ Money)। ऐसे मामलों में, केंद्रीय बैंक द्वारा आशयित लाभार्थीयों के लिए पूर्व-क्रमादेशित (Pre-Programmed) सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) का भुगतान किया जा सकता है, जो केवल एक विशिष्ट उद्देश्य के लिए मान्य होगी।
  2. विदेशों से देश में शीघ्रता से रकम भेजने के लिए (Remittance Payments), CBDC का उपयोग किया जा सकता है। भारत सहित दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मध्य अंतर्राष्ट्रीय सहयोग से ‘सीबीडीसी’ के हस्तांतरण और परिवर्तन हेतु आवश्यक बुनियादी ढाँचा और तंत्र का निर्माण किया जा सकता है।
  3. ‘सीबीडीसी’ के माध्यम से किए जाने वाले भुगतान के लेनदेन हेतु ‘भुगतान उपकरण’ उपलब्ध कराए जा सकते हैं। इसके अलावा, सीबीडीसी तक सार्वभौमिक रूप से पहुँच बनाने के लिए, इसकी कार्य-प्रणाली में ‘ऑफ़लाइन भुगतान’ को भी शामिल किया जा सकता है।
  4. सीबीडीसी की मदद से भारत में ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों’ (MSMEs) को तत्काल ऋण देना भी संभव हो सकता है।

CBDC की आवश्यकता:

  1. एक आधिकारिक डिजिटल मुद्रा, बिना किसी इंटर-बैंक सेटलमेंट के ‘रियल-टाइम भुगतान’ को सक्षम करते हुए मुद्रा प्रबंधन की लागत को कम करेगी।
  2. भारत का काफी उच्च मुद्रा-जीडीपी अनुपात, सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) का एक और लाभ है- इसके माध्यम से, काफी हद तक नकदी के उपयोग को CBDC द्वारा प्रतिस्थापित किया जा सकता है तथा कागज़ी मुद्रा की छपाई, परिवहन और भंडारण की लागत को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  3. चूंकि, इस व्यवस्था के तहत, व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को मुद्रा-अंतरण केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी होगी, अतः ‘अंतर-बैंक निपटान’ / ‘इंटर-बैंक सेटलमेंट’ की जरूरत समाप्त हो जाएगी।

राष्ट्रीय डिजिटल मुद्रा शुरू करने में चुनौतियाँ:

  1. संभावित साइबर सुरक्षा खतरा
  2. आबादी में डिजिटल साक्षरता का अभाव
  3. डिजिटल मुद्रा की शुरूआत से, विनियमन, निवेश और खरीद पर नज़र रखने, व्यक्तियों पर कर लगाने आदि से संबंधित विभिन्न चुनौतियाँ भी उत्पन्न होती हैं।
  4. निजता के लिए खतरा: डिजिटल मुद्रा के लिए किसी व्यक्ति की कुछ बुनियादी जानकारी एकत्र करनी आवश्यक होती है, ताकि व्यक्ति यह साबित कर सके कि वह उस डिजिटल मुद्रा का धारक है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने ‘IOTA उलझन’ (IOTA Tangle) के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ब्लॉकचेन क्या है?
  2. क्रिप्टोकरेंसी क्या हैं?
  3. किन देशों द्वारा क्रिप्टोकरेंसी जारी की गई है?
  4. बिटकॉइन क्या है?

मेंस लिंक:

सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) के लाभ और हानियों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के नए इतिहास में 1962 के युद्ध का उल्लेख

इस साल अक्टूबर में 1962 के भारत-चीन युद्ध के 60 वर्ष पूरे होने से पहले आधिकारिक चीनी सैन्य शोधकर्ताओं ने युद्ध के महत्व और विरासत का पुनर्मूल्यांकन करते हुए युद्ध का एक नया इतिहास संकलित किया है। जिसके बाद, भारत और चीन के मध्य संबंधों में मौजूदा तनाव के बीच 1962 के युद्ध की चर्चा फिर से शुरू हो गई है। .

संबंधित प्रकरण:

  • 1962 के युद्ध की पिछली सालगिरहों को चीन में केवल मामूली ध्यान – भारत की तुलना में बहुत कम – दिया जाता था और कुछ चीनी सैन्य विद्वान इसे अतीत में हुए भारत के साथ हुए भूले-बिसरे युद्ध रूप में मानते रहे है।
  • लेकिन, अब इस नजरिये में परिवर्तन हो रहा है। अप्रैल 2020 में शुरू होने वाले वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) संकट, और विशेष रूप से 15 जून, 2020 को गालवान घाटी में संघर्ष के बाद 1962 के युद्ध पर नए सिरे से ध्यान दिया जा रहा है।
  • यदि अतीत में भारत और चीन के संबंधों का सामान्यीकरण 1962 के युद्ध को अधिक महत्व नहीं दिए जाने की वजह से था, तो दोनों देशों के मध्य संबंधों में हालिया गिरावट, 1962 और सीमा विवाद में अधिक रुचि लिए जाने के साथ आयी है।

पृष्ठभूमि:

20 अक्टूबर 1962 को, लद्दाख और मैकमोहन रेखा, दोनों जगहों पर चीनी हमलों के साथ भारत-चीन युद्ध शुरू हुआ था। एक महीने तक लड़ाई जारी रहने के बाद, चीन द्वारा युद्धविराम की घोषणा के साथ यह युद्ध समाप्त हो गया।

हिमालयी क्षेत्र में सीमा विवाद, इस युद्ध का प्रमुख बहाना था। चीन द्वारा लद्दाख, कश्मीर में अक्साई चिन क्षेत्र और अरुणाचल प्रदेश में तवांग क्षेत्र पर अपना (अक्साई चिन अपने जिंगजियांग प्रांत के हिस्से के रूप में और तवांग को तिब्बत के हिस्से के रूप में) दावा किया गया था।


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