[इनसाइट्स सिक्योर MISSION – 2022] दैनिक सिविल सेवा मुख्य परीक्षा उत्तर लेखन अभ्यास: 31 जनवरी 2022

 

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MISSION – 2022: YEARLONG TIMETABLE

 


सामान्य अध्ययन– I


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

1. गांधीजी के राजनीतिक दर्शन के आवश्यक तत्वों को सूचीबद्ध कीजिए। विश्व इतिहास के एक महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में उनके योगदान पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: सरल

 सन्दर्भ: The Hindu

 निर्देशक शब्द:

 चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

महात्मा गांधी एवं उनके राजनीति के तरीके का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।

 विषय वस्तु:  

गांधीवादी राजनीतिक दर्शन के आवश्यक तत्वों का विस्तार से उल्लेख कीजिए।

विश्व इतिहास में महात्मा गांधी के योगदान का उल्लेख कीजिए। साथ ही, विश्व के उन महत्वपूर्ण नेताओं के बारे में लिखिए, जिन्हें उन्होंने प्रेरित किया।

निष्कर्ष:

वर्तमान समय में महात्मा गांधी की विरासत के बारे में लिखते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन– II


 

विषय: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।

2. संविधान में वर्णित राष्ट्रीय आपातकाल एवं राज्य आपातकाल के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: सरल

सन्दर्भ: Insights on India

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

अनुच्छेद 352 एवं 356 के बारे में संक्षेप में चर्चा करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

विषय वस्तु:

उद्देश्य, प्रकृति, केंद्र- राज्य संबंधों पर प्रभाव, संसदीय विधान, अनुमोदन, निरसन, अवधि आदि के आधार पर राष्ट्रीय आपातकाल एवं राज्य आपातकाल का तुलनात्मक विश्लेषण कीजिए।

निष्कर्ष:

संविधान में आपात स्थिति होने की आवश्यकता का उल्लेख करते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

विषय: संघ एवं राज्यों के कार्य तथा उत्तरदायित्व, संघीय ढाँचे से संबंधित विषय एवं चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण और उसकी चुनौतियाँ।

3. राष्ट्रीय आपातकाल की उद्घोषणा के मौलिक अधिकारों पर पड़ने वाले प्रभावों का विश्लेषण कीजिए। आपातकाल के दौरान मौलिक अधिकारों के निलंबन की वैधता की न्यायिक व्याख्याओं पर प्रकाश डालिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: कठिन

 निर्देशक शब्द:

 विश्लेषण कीजिएऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।

 प्रकाश डालिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर लेखन में अभ्यर्थी से अपेक्षा की

जाती है कि वह प्रश्न से सम्बंधित प्रासंगिक जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।

उत्तर की संरचना:

 परिचय:

राष्ट्रीय आपातकाल के उद्देश्य के बारे में चर्चा करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:

मौलिक अधिकारों पर राष्ट्रीय आपातकाल के प्रभावों पर प्रकाश डालिए।

मौलिक अधिकारों के निलंबन के संबंध में विभिन्न न्यायिक व्याख्याओं का उल्लेख कीजिए-  माखन सिंह बनाम पंजाब राज्य, ए.डी.एम. जबलपुर वि. शिवकांत शुक्ला आदि जैसे विभिन्न मामलों का उल्लेख कीजिए।

निष्कर्ष:

इस तथ्य पर बल देते हुए निष्कर्ष निकालिए कि निलंबन एक अस्थायी उपाय है।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

4. कोविड के प्रबंधन पर विश्व स्वास्थ्य संगठन को सभी क्षेत्रों से गंभीर आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है एवं जरूरतमंद आबादी के लिए टीके के प्रावधानों को सुविधाजनक बनाने में वह ज्यादा कुछ नहीं कर सका है। वैश्विक स्वास्थ्य शासन को लोकतांत्रिक बनाने के उपायों का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए एवं सुझाव दीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

सन्दर्भ: New Indian Express

 निर्देशक शब्द:

 आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

डब्ल्यूएचओ के लक्ष्य एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिए।

 विषय वस्तु:

महामारी के विरुद्ध वैश्विक युद्ध के दौरान डब्ल्यूएचओ की विभिन्न कमियों एवं आलोचनाओं का उल्लेख कीजिए।

एक मजबूत वैश्विक स्वास्थ्य शासन के लिए डब्ल्यूएचओ में आवश्यक विभिन्न सुधारों पर प्रकाश डालिए।

निष्कर्ष:

उपर्युक्त मुद्दों को हल करने के लिए आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन– III


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

5. वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर क्या है एवं इसकी घोषणा के क्या कारण हैं? वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर की शुरूआत से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

सन्दर्भ: The Hindu

 निर्देशक शब्द:

 मूल्यांकन कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है की वह कथन अथवा विषय के महत्व को रेखांकित करते हुए उसकी समग्र उपयोगिता बताये।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

विषय वस्तु:

वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर के दो स्तंभों पर विस्तार से चर्चा कीजिए एवं इसके उद्देश्यों पर प्रकाश डालिए।

इसे प्रारम्भ किए जाने के तर्कों पर चर्चा कीजिए।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर के संभावित सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभावों का मूल्यांकन कीजिए।

निष्कर्ष:

इसकी नकारात्मकताओं को दूर करके वैश्विक न्यूनतम कॉर्पोरेट कर व्यवस्था की ओर बढ़ने के लिए आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 

विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।

6. भारत अपने स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र के प्रतिफल का उपयोग कर रहा है क्योंकि यह एक यूनिकॉर्न क्रांति का अनुभव कर रहा है। हालांकि, नियामकों को यह सुनिश्चित करने के लिए सही संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है कि ये आशाजनक स्टार्ट-अप एक कुशल एवं पारदर्शी तरीके से विकसित हों। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

 सन्दर्भ: New Indian Express

निर्देशक शब्द:

टिप्पणी कीजिए ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।

उत्तर की संरचना:

परिचय:

भारत में यूनिकॉर्न क्रांति पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारंभ कीजिए।

विषय वस्तु:  

भारत में यूनिकॉर्न क्रांति, स्टार्ट-अप पारितंत्र के त्वरित विकास एवं नीति समर्थन का परिणाम कैसे है? उल्लेख कीजिए।

भारत में स्टार्ट-अप के संबंध में विभिन्न नियामक एवं शासन संबंधी मुद्दों का उल्लेख कीजिए।

भारतीय अर्थव्यवस्था एवं स्टार्ट-अप पारितंत्र पर स्टार्ट-अप के कुशासन के प्रभावों का उल्लेख कीजिए। उन्हें दूर करने के लिए उपायों का सुझाव दीजिए।

निष्कर्ष:

आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।

 


सामान्य अध्ययन– IV


 

विषय: भारत तथा विश्व के नैतिक विचारकों तथा दार्शनिकों के योगदान।

 7. टैगोर के दर्शन का केंद्र मानवतावाद के इर्द-गिर्द घूमता था एवं यह उनके दृष्टिकोण में अंतर्निहित था। विस्तृत चर्चा कीजिए। (150 शब्द)

 प्रश्न का स्तर: मध्यम

 निर्देशक शब्द:

 चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।

 उत्तर की संरचना:

 परिचय:

टैगोर के दर्शन पर एक संक्षिप्त लेख लिखते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।

 विषय वस्तु:  

मानवतावाद टैगोर के दर्शन के मूल में कैसे था? समझाइए।

यह उनके राजनीतिक, सामाजिक एवं शैक्षिक विचारों में कैसे परिलक्षित होता है? विस्तार से समझाइये।

निष्कर्ष:

संक्षेप में निष्कर्ष निकालिए।


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