HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित में से कौन बायोगैस का मुख्य घटक है?
1) मीथेन
2) कार्बन डाइऑक्साइड
3) मीथेन और
4) नाइट्रोजन
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correct
उत्तर: b)
बायोगैस में मुख्य रूप से मीथेन (CH4) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) शामिल हैं और इसमें नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, हाइड्रोजन सल्फाइड और ऑक्सीजन की थोड़ी मात्रा मौजूद होती है।
Incorrect
उत्तर: b)
बायोगैस में मुख्य रूप से मीथेन (CH4) और कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) शामिल हैं और इसमें नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, हाइड्रोजन सल्फाइड और ऑक्सीजन की थोड़ी मात्रा मौजूद होती है।
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Question 2 of 5
2. Question
खाद्य श्रृंखलाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- चरागाह खाद्य श्रृंखला स्थलीय और जलीय पारितंत्र दोनों में पाई जाती है।
- अपरद खाद्य श्रृंखला के लिए प्रारंभिक ऊर्जा स्रोत मृत कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
- चराई और अपरद खाद्य श्रृंखलाएं आपस में जुड़ी नहीं होती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
- जीवों का एक क्रम जो एक दूसरे पर निर्भर होते हैं, खाद्य श्रृंखला का निर्माण करते हैं। प्रकृति में, दो मुख्य प्रकार की खाद्य श्रृंखलाएँ पाई गई हैं: चराई खाद्य श्रृंखला और अपरद खाद्य श्रृंखला।
- चराई खाद्य श्रृंखला उत्पादकों या स्वपोषी के आधार का निर्माण करती है, जिसका उपभोग विषमपोषी द्वारा किया जाता है। यह स्थलीय और जलीय पारिस्थितिक तंत्र दोनों में पाया जाता है।
- अपरद खाद्य श्रृंखला मृत कार्बनिक ‘क्षयकारी जानवरों के शरीर और पौधों या फिर अपरद से शुरू होती है और अपघटक नामक जीवों और अन्य शिकारियों को भोजन प्रदान करती हैं।
- दोनों खाद्य श्रृंखलाएं आपस में जुड़ी होती हैं क्योंकि अपरद खाद्य श्रृंखला के लिए प्रारंभिक ऊर्जा स्रोत चराई खाद्य श्रृंखला से प्राप्त अपशिष्ट पदार्थ और मृत कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
- जीवों का एक क्रम जो एक दूसरे पर निर्भर होते हैं, खाद्य श्रृंखला का निर्माण करते हैं। प्रकृति में, दो मुख्य प्रकार की खाद्य श्रृंखलाएँ पाई गई हैं: चराई खाद्य श्रृंखला और अपरद खाद्य श्रृंखला।
- चराई खाद्य श्रृंखला उत्पादकों या स्वपोषी के आधार का निर्माण करती है, जिसका उपभोग विषमपोषी द्वारा किया जाता है। यह स्थलीय और जलीय पारिस्थितिक तंत्र दोनों में पाया जाता है।
- अपरद खाद्य श्रृंखला मृत कार्बनिक ‘क्षयकारी जानवरों के शरीर और पौधों या फिर अपरद से शुरू होती है और अपघटक नामक जीवों और अन्य शिकारियों को भोजन प्रदान करती हैं।
- दोनों खाद्य श्रृंखलाएं आपस में जुड़ी होती हैं क्योंकि अपरद खाद्य श्रृंखला के लिए प्रारंभिक ऊर्जा स्रोत चराई खाद्य श्रृंखला से प्राप्त अपशिष्ट पदार्थ और मृत कार्बनिक पदार्थ होते हैं।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- जैव आवर्धन का अर्थ है खाद्य श्रृंखला में होने वाले दूषित पदार्थों या जहरीले रसायनों की वृद्धि होना।
- जैव आवर्धन के लिए प्रदूषकों का दीर्घ जीवनकाल और वसा में घुलनशील होना चाहिए।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
जैविक आवर्धन, जिसका अर्थ है खाद्य श्रृंखलाओं में होने वाले दूषित पदार्थों या विषैले रसायनों की वृद्धि। ये पदार्थ अक्सर विषाक्तता या दूषित वातावरण से उत्पन्न होते हैं।
- संदूषकों में भारी धातुएं जैसे पारा, आर्सेनिक, कीटनाशक जैसे डीडीटी, और पॉलीक्लोरीनेटेड बाइफिनाइल (PCBs) यौगिक शामिल हैं, जो जीवों द्वारा ग्रहण किए जाते हैं।
- जैव आवर्धन को संभव बनाने के लिए प्रदूषकों में लंबे जीवनकाल, जैविक रूप से सक्रिय, वसा में घुलनशील आदि जैसी विशेषताएं होनी चाहिए।
Incorrect
उत्तर: c)
जैविक आवर्धन, जिसका अर्थ है खाद्य श्रृंखलाओं में होने वाले दूषित पदार्थों या विषैले रसायनों की वृद्धि। ये पदार्थ अक्सर विषाक्तता या दूषित वातावरण से उत्पन्न होते हैं।
- संदूषकों में भारी धातुएं जैसे पारा, आर्सेनिक, कीटनाशक जैसे डीडीटी, और पॉलीक्लोरीनेटेड बाइफिनाइल (PCBs) यौगिक शामिल हैं, जो जीवों द्वारा ग्रहण किए जाते हैं।
- जैव आवर्धन को संभव बनाने के लिए प्रदूषकों में लंबे जीवनकाल, जैविक रूप से सक्रिय, वसा में घुलनशील आदि जैसी विशेषताएं होनी चाहिए।
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Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- अधिकांश स्तनधारी अपने शरीर के तापमान को उसी तरह नियंत्रित करते हैं जैसे मनुष्य करते हैं।
- मनुष्य की तरह, पौधों में भी आंतरिक तापमान बनाए रखने के लिए तंत्र मौजूद होता है।
- अत्यंत सूक्ष्म जीव ध्रुवीय क्षेत्रों में बहुत कम पाए जाते हैं क्योंकि उनके लिए थर्मोरेगुलेशन प्रक्रिया की आवश्यकता अधिक होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: c)
अधिकांश स्तनधारियों द्वारा अपने शरीर के तापमान को विनियमित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तंत्र मनुष्यों के समान होता है। हम 37 डिग्री सेंटीग्रेड शरीर के तापमान को निरंतर बनाए रखते हैं। गर्मियों में, जब बाहर का
तापमान हमारे शरीर के तापमान से अधिक होता है, हमें पसीना निकलता है।
जिसके परिणामस्वरूप वाष्पीकरणीय शीतलन कि क्रिया होती है, जो शरीर के तापमान को कम करता है। सर्दियों में जब तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड से बहुत कम हो जाता है, तो हम कांपने लगते हैं। कंपकंपी, एक तरह का व्यायाम होता है जो गर्मी उत्पन्न करती है और शरीर के तापमान को बढ़ाती है। दूसरी ओर, पौधों में आंतरिक तापमान बनाए रखने के लिए ऐसे तंत्र नहीं होते हैं।
थर्मोरेग्यूलेशन एक ऐसा तंत्र है जो जीवित जीवों को एक निरंतर आंतरिक वातावरण बनाए रखने की अनुमति देता है। मानव शरीर में अधिकांश प्रक्रियाएं तापमान पर निर्भर करती हैं: चयापचय, प्रोटीन और हार्मोन का संश्लेषण, पाचन और संज्ञानात्मक कार्य। इसके अलावा, अधिक गर्मी या हाइपोथर्मिया से गंभीर बीमारी और मृत्यु भी हो सकती है। चूंकि छोटे जानवरों के पास उनकी मात्रा के सापेक्ष एक बड़ा सतह क्षेत्र होता है, अत: वे बाहर अधिक ठंड होने पर बहुत तेजी से शरीर की गर्मी खो देते हैं; फिर उन्हें चयापचय के माध्यम से शरीर की गर्मी उत्पन्न करने के लिए बहुत ऊर्जा खर्च करनी होती है। यह मुख्य कारण है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में बहुत कम जानवर पाए जाते हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
अधिकांश स्तनधारियों द्वारा अपने शरीर के तापमान को विनियमित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले तंत्र मनुष्यों के समान होता है। हम 37 डिग्री सेंटीग्रेड शरीर के तापमान को निरंतर बनाए रखते हैं। गर्मियों में, जब बाहर का
तापमान हमारे शरीर के तापमान से अधिक होता है, हमें पसीना निकलता है।
जिसके परिणामस्वरूप वाष्पीकरणीय शीतलन कि क्रिया होती है, जो शरीर के तापमान को कम करता है। सर्दियों में जब तापमान 37 डिग्री सेंटीग्रेड से बहुत कम हो जाता है, तो हम कांपने लगते हैं। कंपकंपी, एक तरह का व्यायाम होता है जो गर्मी उत्पन्न करती है और शरीर के तापमान को बढ़ाती है। दूसरी ओर, पौधों में आंतरिक तापमान बनाए रखने के लिए ऐसे तंत्र नहीं होते हैं।
थर्मोरेग्यूलेशन एक ऐसा तंत्र है जो जीवित जीवों को एक निरंतर आंतरिक वातावरण बनाए रखने की अनुमति देता है। मानव शरीर में अधिकांश प्रक्रियाएं तापमान पर निर्भर करती हैं: चयापचय, प्रोटीन और हार्मोन का संश्लेषण, पाचन और संज्ञानात्मक कार्य। इसके अलावा, अधिक गर्मी या हाइपोथर्मिया से गंभीर बीमारी और मृत्यु भी हो सकती है। चूंकि छोटे जानवरों के पास उनकी मात्रा के सापेक्ष एक बड़ा सतह क्षेत्र होता है, अत: वे बाहर अधिक ठंड होने पर बहुत तेजी से शरीर की गर्मी खो देते हैं; फिर उन्हें चयापचय के माध्यम से शरीर की गर्मी उत्पन्न करने के लिए बहुत ऊर्जा खर्च करनी होती है। यह मुख्य कारण है कि ध्रुवीय क्षेत्रों में बहुत कम जानवर पाए जाते हैं।
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Question 5 of 5
5. Question
फास्फोरस और फास्फोरस चक्र के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- फास्फोरस चक्र मुख्य रूप से स्थलीय होता है और स्थल पर फास्फोरस आमतौर पर फॉस्फेट के रूप में पाया जाता है।
- फॉस्फोरस फॉस्फेट चट्टानों में खनिज के रूप में बड़ी मात्रा में मौजूद होता है और क्षरण और खनन गतिविधियों से फास्फोरस चक्र में प्रवेश करता है।
- फास्फोरस मुख्य रूप से जल निकायों में मुक्त तैरने वाले सूक्ष्म पौधों के क्षरण के लिए जिम्मेदार है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
फॉस्फोरस चक्र मुख्य रूप से स्थलीय होता है। फास्फोरस का मुख्य भंडार पृथ्वी की क्रस्ट है। भूमि पर फास्फोरस आमतौर पर फॉस्फेट के रूप में पाया जाता है।
यह फॉस्फेट चट्टानों में एक खनिज के रूप में बड़ी मात्रा में मौजूद होता है और क्षरण एवं खनन गतिविधियों के माध्यम से फास्फोरस चक्र में प्रवेश करता है।
अपक्षय और अपरदन की प्रक्रिया के द्वारा फॉस्फेट नदियों और धाराओं में प्रवेश करता हैं जिसके माध्यम से यह अंततः महासागर में प्रवेश कर जाता है।
एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व होने के कारण, फॉस्फोरस झीलों में यूट्रोफिकेशन को बढ़ावा देता है। नाइट्रोजन से संबंधित यौगिकों के साथ-साथ यह शैवाल प्रस्फुटन जैसी अवांछनीय स्थितियों को बढ़ावा देता है।
Incorrect
उत्तर: d)
फॉस्फोरस चक्र मुख्य रूप से स्थलीय होता है। फास्फोरस का मुख्य भंडार पृथ्वी की क्रस्ट है। भूमि पर फास्फोरस आमतौर पर फॉस्फेट के रूप में पाया जाता है।
यह फॉस्फेट चट्टानों में एक खनिज के रूप में बड़ी मात्रा में मौजूद होता है और क्षरण एवं खनन गतिविधियों के माध्यम से फास्फोरस चक्र में प्रवेश करता है।
अपक्षय और अपरदन की प्रक्रिया के द्वारा फॉस्फेट नदियों और धाराओं में प्रवेश करता हैं जिसके माध्यम से यह अंततः महासागर में प्रवेश कर जाता है।
एक महत्वपूर्ण पोषक तत्व होने के कारण, फॉस्फोरस झीलों में यूट्रोफिकेशन को बढ़ावा देता है। नाइट्रोजन से संबंधित यौगिकों के साथ-साथ यह शैवाल प्रस्फुटन जैसी अवांछनीय स्थितियों को बढ़ावा देता है।
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