[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 28 October 2021

 

 

विषय सूची:

सामान्य अध्ययन-II

1. राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम न्यायिक समीक्षा।

2. जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में संशोधन

3. एशियाई विकास बैंक

 

सामान्य अध्ययन-III

1. भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम

2. पेगासस जासूसी प्रकरण

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. ‘हर घर दस्तक’ अभियान

2. ‘टाइम फॉर इंडिया’ अभियान

3. एकीकृत अध्यापक शिक्षण कार्यक्रम

4. अग्नि 5 मिसाइल

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

राष्ट्रीय सुरक्षा बनाम न्यायिक समीक्षा


संदर्भ:

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने देश की ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ (National Security) से संबंधित मामलों में ‘न्यायिक समीक्षा’ (Judicial Review) की प्रयोज्यता के संबंध में कुछ टिप्पणियां की हैं।

संबंधित प्रकरण:

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय द्वारा, ‘पेगासस जासूसी मामले’ में केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर-जनरल द्वारा प्रस्तुत किए गए जबावों पर प्रतिक्रिया दी गयी।

अदालत ने सरकार को जासूसी के आरोपों का जवाब देते हुए एक विस्तृत हलफनामा दायर करने की बार-बार सलाह दी गयी थे, जिसे सरकार ने नकार दिया और कहा था कि “कुछ तथ्यों का खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्र की रक्षा को प्रभावित कर सकता है”।

न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियां:

  • राज्य, केवल “राष्ट्रीय सुरक्षा” का हौव्वा दिखा कर अदालत से ‘रहस्य’ नहीं रख सकता है और अदालत मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकती है।
  • अदालत द्वारा मांगी गई जानकारी का खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को प्रभावित करेगा, इस दावे को साबित करने के लिए कोई प्रमाण या सबूत पेश किए जाने चाहिए।
  • ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ कोई ऐसा हौआ (Bugbear) नहीं हो सकती है, जिसका उल्लेख करने मात्र से ही न्यायपालिका इससे दूर चली जाए।

निहितार्थ:

यद्यपि अदालत ने स्वीकार किया है, कि राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों में ‘न्यायिक समीक्षा’ की भूमिका सीमित होती है। फिर भी, अदालत की विनम्रता, सरकार को ‘न्यायिक समीक्षा’ के खिलाफ “सर्वव्यापी निषेध” लागू करने का लाइसेंस नहीं देती है।

राज्य द्वारा ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ का केवल आह्वान किए जाने से, अदालत मूकदर्शक नहीं बन जाती है।

न्यायिक समीक्षा’ क्या है?

न्यायिक समीक्षा (Judicial review), न्यायपालिका को प्राप्त एक शक्ति है, जिसके अंतर्गत वह सरकार के विधायी तथा कार्यकारी अंगों द्वारा पारित किसी अधिनियम या आदेश से किसी प्रभावित व्यक्ति के चुनौती दिए जाने पर इन कानूनों/ आदेश की समीक्षा तथा इनकी संवैधानिकता पर निर्णय करती है।

भारत में ‘न्यायिक समीक्षा’ की स्थिति:

भारत में न्यायिक समीक्षा की शक्ति का स्रोत भारतीय संविधान है (संविधान के अनुच्छेद 13, 32, 136, 142 और 147)।

  1. न्यायिक समीक्षा की शक्ति का प्रयोग संविधान के भाग-तीन में प्रदत्त मूल अधिकारों की रक्षा करने और इन्हें प्रवर्तित करने के लिए किया जाता है।
  2. संविधान के अनुच्छेद 13 में संसद और राज्य विधानसभाओं को देश के नागरिकों को प्राप्त मूल-अधिकारों को समाप्त करने अथवा इनका हनन करने वाले क़ानून बनाना निषेध किया गया है ।
  3. अनुच्छेद 13 के तहत मौलिक अधिकारों की सुरक्षा करने के प्रावधान किए गए हैं तथा इसके तहत किसी भी कानून को ‘मूल-अधिकारों के असंगत अथवा अल्पीकरण’ करने की सीमा तक अमान्य माना गया है।

judicial

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘न्यायिक समीक्षा’ क्या है?
  2. न्यायिक समीक्षा का विकास
  3. अनुच्छेद 13, 21 और 32

मेंस लिंक:

भारतीय संदर्भ में न्यायिक समीक्षा के बारे चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

जन्‍म एवं मृत्‍यु पंजीकरण अधिनियम, 1969 में संशोधन


संदर्भ:

केंद्र सरकार द्वारा ‘जन्‍म एवं मृत्‍यु पंजीकरण अधिनियम’, 1969 (Registration of Births and Deaths Act, 1969) में संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। इस संशोधन के पश्चात्, केंद्र सरकार को “राष्ट्रीय स्तर पर ‘जन्‍म एवं मृत्‍यु पंजीकरण डेटाबेस को बनाए रखने” में शक्ति प्राप्त हो जाएगी।

वर्तमान में, जन्म एवं मृत्यु का पंजीकरण, राज्यों द्वारा नियुक्त स्थानीय रजिस्ट्रार द्वारा किया जाता है।

current affairs

 

आवश्यकता:

इस डेटाबेस का उपयोग, जनसंख्या रजिस्टर और चुनावी रजिस्टर, और आधार कार्ड, राशन कार्ड, पासपोर्ट और ड्राइविंग लाइसेंस डेटाबेस को अद्यतन करने के लिए किया जा सकता है।

केंद्र द्वारा प्रस्तावित संशोधन:

राज्य स्तर पर, ‘मुख्य रजिस्ट्रार’ (राज्यों द्वारा नियुक्त) एक एकीकृत डेटाबेस बनाए रखेंगे और इस डेटाबेस को भारत के महापंजीयक / रजिस्ट्रार जनरल (Registrar General of India) की देख-रेख में “राष्ट्रीय स्तर” पर रखे गए डेटा के साथ एकीकृत किया जाएगा। संशोधनों का आशय है, कि केंद्र सरकार के पास इस प्रकार के डेटा का समानांतर भंडार होगा।

किसी आपदा की स्थिति में “विशेष उप-रजिस्ट्रारों” (Special Sub-Registrars) की नियुक्ति की जायगी, और तत्काल घटनास्थल पर ही मृत्यु पंजीकरण और संबंधित दस्तावेज जारी करने के लिए, उसकी कुछ या सभी शक्तियों और कर्तव्यों को निर्धारित किया जा सकता है।

जन्म एवं मृत्यु पंजीकरण के लाभ:

‘जन्म प्रमाण पत्र’ बच्चे का पहला अधिकार है, और यह उसकी पहचान स्थापित करने की दिशा में पहला कदम होता है।

‘जन्म एवं मृत्यु प्रमाण पत्र’ के निम्नलिखित प्रमुख उपयोग हैं:

  • स्कूलों में प्रवेश के लिए
  • रोजगार के लिए उम्र के प्रमाण के रूप में
  • शादी के समय आयु प्रमाण के लिए
  • पितृत्व साबित करने हेतु
  • मतदाता सूची में नामांकन के लिए आयु निर्धारित करने हेतु
  • बीमा उद्देश्यों के लिए आयु निर्धारित करने हेतु
  • राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में पंजीकरण के लिए।
  • संपत्ति उत्तराधिकार के उद्देश्य से और बीमा कंपनियों और अन्य कंपनियों से देय राशि का दावा करने के लिए मृत्यु प्रमाण पत्र का अनिवार्य प्रस्तुतीकरण।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

यदि किसी भारतीय नागरिक का विदेश में (भारत के बाहर) जन्म होता है, तो क्या भारत में ऐसे जन्म को पंजीकृत करने का कोई प्रावधान है? इस बारे में जानकारी के लिए पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारत के महापंजीयक- नियुक्ति, कार्यकाल और कार्य
  2. शिशु मृत्यु दर (IMR) और मातृत्व मृत्यु दर (MMR)- वर्तमान दर और प्रवृत्ति
  3. सर्वश्रेष्ठ और सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले राज्य।
  4. सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) का संकलन कौन करता है?

मेंस लिंक:

भारत की ‘राष्ट्रीय जन्म दर’ की प्रमुख प्रवृत्तियों की विवेचना कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

एशियाई विकास बैंक


संदर्भ:

भारत सरकार ने ‘एशियाई विकास बैंक’ (Asian Development Bank- ADB) और ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (Asian Infrastructure Investment Bank – AIIB) से कोविड-19 टीकों की 667 मिलियन खुराकों की खरीद के लिए ऋण हेतु आवेदन किया है।

मनीला स्थित ‘एशियाई विकास बैंक’ और बीजिंग स्थित ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ द्वारा ऋण देने पर विचार किया जा रहा है। विदित हो कि, ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ में चीन और भारत सबसे बड़े शेयरधारक हैं।

पृष्ठभूमि:

भारत सरकार द्वारा कोविड-19 के लिए वैक्सीन की खरीद एक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के माध्यम से की जाएगी, और इस खरीद-प्रक्रिया का प्रबंधन और कार्यान्वयन ‘एशियाई विकास बैंक’ द्वारा, एडीबी की एपीवीएक्स (APVAX) अथवा एशिया-प्रशांत वैक्सीन एक्सेस सुविधा (Asia-Pacific Vaccine Access Facility) प्रणाली के तहत किया जाएगा।

एशियाई विकास बैंक के बारे में:

  • यह एक क्षेत्रीय विकास बैंक है।
  • 19 दिसंबर 1966 को स्थापित किया गया।
  • मुख्यालय – मनीला, फिलीपींस।
  • इसे संयुक्त राष्ट्र प्रेक्षक का आधिकारिक दर्जा प्राप्त है।

एशियाई विकास बैंक की सदस्यता:

एशियाई विकास बैंक में, एशिया एवं प्रशांत के लिये आर्थिक तथा सामाजिक आयोग (United Nations Economic and Social Commission for Asia and the Pacific – UNESCAP) के सदस्य, तथा गैर-क्षेत्रीय विकसित देशों को सदस्य के तौर पर सम्मिलित होते है। UNESCAP को पहले ‘एशिया एवं सुदूर-पूर्व के लिए आर्थिक आयोग’ (Economic Commission for Asia and the Far East ECAFE)  कहा जाता था।

  • वर्तमान में ADB में 68 सदस्य हैं, जिनमें से 49 एशिया-प्रशांत क्षेत्र के हैं।

एशियाई विकास बैंक में मताधिकार (Voting rights):

  • एशियाई विकास बैंक को विश्व बैंक की तर्ज पर स्थापित किया गया है। इसमें विश्व बैंक के समान ही भारित मतदान प्रणाली होती है, जिसमे किसी सदस्य राष्ट्र के मताधिकार का निर्धारण बैंक की अधिकृत पूंजी में उस राष्ट्र के अंश के आधार पर किया जाता है।
  • 31 दिसंबर 2019 तक, ADB के पांच सबसे बड़े शेयरधारक, जापान और संयुक्त राज्य अमेरिका (दोनों देशों में प्रत्येक के पास कुल शेयरों का 15.6%), पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (6.4%), भारत (6.3%), और ऑस्ट्रेलिया (5.8%) हैं।

भूमिकाएँ एवं कार्य:

  • एशियाई विकास बैंक, एशिया और प्रशांत क्षेत्र में समावेशी आर्थिक विकास, पर्यावरणीय रूप से संवहनीय विकास और क्षेत्रीय एकीकरण के माध्यम से गरीबी को कम करने के लिए समर्पित है।
  • इन कार्यों को, ऋण, अनुदान और सूचना की साझेदारी – बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं, वित्तीय और सार्वजनिक प्रशासन प्रणालियों, राष्ट्रों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के लिए तैयार करने में सहयोग तथा प्राकृतिक संसाधनों का बेहतर प्रबंधन आदि क्षेत्रों में निवेश, के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ADB के अध्यक्ष तथा उपाध्यक्ष की नियुक्ति कौन करता है?
  2. ADB का मुख्यालय
  3. ADB सदस्यों के वोटिंग अधिकार
  4. यह विश्व बैंक से किस प्रकार भिन्न है?
  5. ADB के सदस्य कौन हो सकते हैं।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम


(Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics)

संदर्भ:

भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics INSACOG) के नेतृत्व में एक टीम द्वारा SARS-Cov-2 के कुल 108 उत्परिवर्तनों (Mutations) का पता लगाया गया है। इनमे से चार उत्परिवर्तन, दिसंबर 2020 और अप्रैल 2021 के बीच पुणे शहर से एकत्र किए गए अपशिष्ट जल के नमूनों में पाए गए थे।

वैरिएंट्स की लगातार निगरानी करना और उभरती हुई जीनोमिक महामारी विज्ञान को समझना देशों के लिए कितना महत्वपूर्ण है?

अन्य रोगजनकों के प्रकोपों ​​​​का पता लगाने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए, ‘जीनोमिक अनुक्रमण’ (Genomic sequencing) हर देश की चिकित्सा पद्धति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।

भारत और समूचे विश्व में, SARS-CoV-2 के तेजी से प्रसार और नए रूपों के उद्भव ने यह स्पष्ट कर दिया कि वायरल नमूनों को एकत्र करने, उन्हें अनुक्रमित करने और उस जानकारी को राष्ट्रीय और क्षेत्रीय रूप से साझा करने में सक्षम होना कितना महत्वपूर्ण है। इससे महामारी के प्रसार, रोगज़नक़ में बदलाव, और जीवन कि बचाने वाली शमन और प्रत्युपाय रणनीतियों (countermeasure strategies) की प्रभावशीलता के बारे में एक स्पष्ट, सटीक वास्तविक समय की तस्वीर प्राप्त होती है।

‘जीनोम अनुक्रमण’ का उद्देश्य:

  • ‘जीनोम अनुक्रमण’ का मुख्य उद्देश्य ‘निगरानी’ करना है। यह वायरस के प्रचलित वेरिएंट, उभरते वेरिएंट (जैसे डेल्टा) और दोबारा संक्रमण पैदा करने वाले वेरिएंट की सही तस्वीर हासिल करने में मदद करता है।
  • ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ द्वारा ‘अनुक्रमण के आंकड़ों’ को GISAID जैसे ओपन-एक्सेस प्लेटफॉर्म पर संग्रहीत किए जाने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि दुनिया के एक हिस्से में किए गए अनुक्रम को वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय द्वारा देखा और समझा जा सके।

जीन अनुक्रमण (Gene Sequencing) क्या है?

जीनोम (Genome) एक डीएनए (DNA) अथवा कोशिका में जीन का अनुक्रम होता है। अधिकांश DNA नाभिक में होते हैं और एक जटिल संरचना में परस्पर गुथित होते है, जिसे गुणसूत्र (Chromosome) कहा जाता है।

  • प्रत्येक मानव कोशिका में गुणसूत्रों का एक युग्म होता है, जिनमें से प्रत्येक गुणसूत्र में तीन बिलियन आधार-युग्म होते है, अथवा प्रत्येक चार अणुओं में एक अणु विशिष्ट तरीके से युग्मित होता है।
  • आधार युग्मों के अनुक्रम और इन अनुक्रमों की अलग-अलग लंबाई ‘जीन’ (Genes) का निर्माण करती है।

जीनोम अनुक्रमण का अर्थ है, ‘व्यक्ति में आधार युग्म के सटीक क्रम को समझना’। जीनोमिक अनुक्रमण एक ऐसी तकनीक है जो हमें DNA या RNA के भीतर पाए जाने वाले आनुवंशिक विवरण को पढ़ने और व्याख्या करने की अनुमति प्रदान करती है।

जीनोम अनुक्रमण की आवश्यकता:

  • भारत के आनुवंशिक पूल की विविधता का मानचित्रण, व्यक्‍ति आधारित दवाओं की आधारशिला रखेगा और इसे वैश्विक मानचित्र पर पेश करेगा।
  • हमारे देश में जनसंख्या की विविधता और मधुमेह, मानसिक स्वास्थ्य आदि सहित जटिल विकारों के रोग भार को ध्यान में रखते हुए, एक बार हमारे पास ‘आनुवंशिक आधार’ उपलब्ध होने के बाद, बीमारी की शुरुआत से पहले ही इस पर कार्रवाई करना संभव हो सकता है।

भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (INSACOG) के बारे में:

‘इंडियन SARS-CoV-2 जीनोमिक्स कंसोर्टियम (Indian SARS-CoV-2 Consortium on Genomics – INSACOG) को संयुक्त रूप से केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, और जैव प्रौद्योगिकी विभाग (DBT) द्वारा वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) और ‘भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद’ (ICMR) के सहयोग से शुरू किया गया है।

  • ‘यह, SARS-CoV-2 में जीनोमिक विविधताओं की निगरानी के लिए 28 राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं का एक समूह है।
  • यह पूरे देश में SARS-CoV-2 वायरस की संपूर्ण जीनोम अनुक्रमण करता है, जिससे वायरस के प्रसार और विकास को समझने में सहायता मिलती है।
  • INSACOG का उद्देश्य रोग की गतिशीलता और गंभीरता को समझने के लिए नैदानिक ​​नमूनों की अनुक्रमण पर ध्यान केंद्रित करना है।

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इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने भारत में जन स्वास्थ्य के लिए शुरू किए गए ‘इंडीजीन कार्यक्रम’ (IndiGen Program) के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘जीन’ (Genes) क्या होते हैं?
  2. जीनोम अनुक्रमण क्या है?
  3. इंडीजीन कार्यक्रम के बारे में
  4. INSACOG के बारे में
  5. जीन अनुक्रमण के अनुप्रयोग

मेंस लिंक:

जीनोम अनुक्रमण से आप क्या समझते हैं? इस संबंध में भारत द्वारा किये गए विभिन्न प्रयासों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

पेगासस जासूसी प्रकरण


संदर्भ:

सर्वोच्च न्यायालय ने, इस बात पर जोर देते हुए कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर व्यक्तियों के “सम्मानजनक निजी जगहों” में ‘राज्य’ द्वारा ताकझांक करने की शक्ति ‘निरंकुश’ नहीं है, शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश आर.वी. रवींद्रन की अध्यक्षता में एक जाँच-समिति का गठन किया है।

यह समिति केंद्र सरकार पर इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस के माध्यम से नागरिकों की जासूसी करने संबंधी लगाए जा रहे आरोपों की जांच करेगी।

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संबंधित प्रकरण:

याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीमकोर्ट में नागरिकों के ‘निजता के अधिकार’ के उल्लंघन में स्पाइवेयर के दुरुपयोग या संभावित दुरुपयोग के बारे में शिकायत दायर की गयी है।

पृष्ठभूमि:

कुछ समय पूर्व जारी रिपोर्ट्स में ‘पेगासस स्पाइवेयर’ (Pegasus spyware) का निरंतर उपयोग किए जाने की पुष्टि की गई थी। इस ‘स्पाइवेयर’ को एक इजरायली कंपनी द्वारा, विश्व में कई देशों की सरकारों को बेचा जाता है। जिन फोनों को इस ‘पेगासस स्पाइवेयर’ के द्वारा लक्षित किया जाता है, उनकी तरह ही इस ‘स्पाइवेयर’ को भी अपडेट किया गया है और अब नई जासूसी क्षमताओं से युक्त है।

‘पेगासस’ क्या है?

यह ‘एनएसओ ग्रुप’ (NSO Group) नामक एक इजरायली फर्म द्वारा विकसित एक ‘स्पाइवेयर टूल’ अर्थात जासूसी उपकरण है।

  • यह स्पाइवेयर, लोगों के फोन के माध्यम से उनकी जासूसी करता है।
  • पेगासस, किसी उपयोगकर्ता के फ़ोन पर एक ‘एक्सप्लॉइट लिंक’ (exploit link) भेजता है, और यदि वह लक्षित उपयोगकर्ता, उस लिंक पर क्लिक करता है, तो उसके फोन पर ‘मैलवेयर’ (malware) या ‘जासूसी करने में सक्षम’ कोड इंस्टॉल हो जाता है।
  • एक बार ‘पेगासस’ इंस्टॉल हो जाने पर, हमलावर के पास ‘लक्षित’ उपयोगकर्ता के फोन पर नियंत्रण और पहुँच हो जाती है।

‘पेगासस’ की क्षमताएं:

  • पेगासस, “लोकप्रिय मोबाइल मैसेजिंग ऐप से, लक्षित व्यक्ति का निजी डेटा, उसके पासवर्ड, संपर्क सूची, कैलेंडर ईवेंट, टेक्स्ट संदेश, लाइव वॉयस कॉल आदि को हमलावर के पास पहुंचा सकता है”।
  • यह, जासूसी के के दायरे का विस्तार करते हुए, फ़ोन के आस-पास की सभी गतिविधियों को कैप्चर करने के लिए लक्षित व्यक्ति के फ़ोन कैमरा और माइक्रोफ़ोन को चालू कर सकता है।

‘जीरो-क्लिक’ अटैक क्या है?

‘जीरो-क्लिक अटैक’ (zero-click attack), पेगासस जैसे स्पाइवेयर को बिना किसी मानवीय संपर्क या मानवीय त्रुटि के, लक्षित डिवाइस पर नियंत्रण हासिल करने में मदद करता है।

  • तो, जब लक्षित डिवाइस ही ‘सिस्टम’ बन जाता है, तो ‘फ़िशिंग हमले से कैसे बचा जाए, या कौन से लिंक पर क्लिक नहीं करना है, इस बारे में सभी तरह की जागरूकता व्यर्थ साबित हो जाती है।
  • इनमें से अधिकतर ‘जीरो-क्लिक अटैक’ किसी भी उपयोगकर्ता द्वारा डिवाइस पर प्राप्त हुए डेटा की विश्वसनीयता निर्धारित करने से पहले ही, सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर लेते हैं।

मैलवेयर, ट्रोजन, वायरस और वर्म में अंतर:

मैलवेयर (Malware), कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से अवांछित अवैध कार्य करने के लिए डिज़ाइन किया गया सॉफ़्टवेयर होता है। इसे दुर्भावनापूर्ण इरादे वाले सॉफ़्टवेयर के रूप में भी परिभाषित किया जा सकता है।

मैलवेयर को उनके निष्पादन, प्रसार और कार्यों के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है। इसके कुछ प्रकारों की चर्चा नीचे की गई है।

  1. वायरस (Virus): यह एक प्रोग्राम होता है, जो कंप्यूटर के अन्य प्रोग्रामों को, उनमे अपनी ही एक संभावित विकसित प्रतिलिपि शामिल करके, संशोधित और संक्रमित कर सकता है।
  2. वर्म्स (Worms): यह कंप्यूटर नेटवर्क के माध्यम से प्रसारित होते हैं। यह, कंप्यूटर वर्म्स, वायरस के विपरीत, वैध फाइलों में घुसपैठ करने के बजाय एक सिस्टम से दूसरे सिस्टम में खुद को कॉपी करते हैं।
  3. ट्रोजन (Trojans): ट्रोजन या ट्रोजन हॉर्स एक ऐसा प्रोग्राम होते है, जो आमतौर पर किसी सिस्टम की सुरक्षा को बाधित करते है। ट्रोजन का उपयोग, सुरक्षित नेटवर्क से संबंधित कंप्यूटरों पर बैक-डोर बनाने के लिए किया जाता है ताकि हैकर सुरक्षित नेटवर्क तक अपनी पहुंच बना सके।
  4. होक्स (Hoax): यह एक ई-मेल के रूप में होता है, और उपयोगकर्ता को, उसके कंप्यूटर को नुकसान पहुचाने वाले किसी सिस्टम के बारे में चेतावनी देता है। इसके बाद, यह ई-मेल संदेश, उपयोगकर्ता को नुकसान पहुंचाने वाली सिस्टम को ठीक करने के लिए एक ‘प्रोग्राम’ (अक्सर डाउनलोड करने के लिए) चालू करने का निर्देश देता है। जैसे ही यह प्रोग्राम चालू या ‘रन’ किया जाता है, यह सिस्टम पर हमला कर देता है और महत्वपूर्ण फाइलों को मिटा देता है।
  5. स्पाइवेयर (Spyware): यह कंप्यूटर पर हमला करने वाले प्रोग्राम होते हैं, और, जैसा कि इसके नाम का तात्पर्य है, ये बिना सहमति के उपयोगकर्ता की गतिविधियों पर नज़र रखते है। ‘स्पाइवेयर’ आमतौर पर वास्तविक ई-मेल आईडी, गैर-संदेहास्पद ई-मेल के माध्यम से अग्रेषित किए जाते हैं। स्पाइवेयर, दुनिया भर में लाखों कंप्यूटरों को संक्रमित करते रहते हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने ‘गूगल  प्रोजेक्ट ज़ीरो’ के बारे में सुना है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. स्पाइवेयर के बारे में
  2. पेगासस के बारे में
  3. स्पाइवेयर, मैलवेयर और ट्रोजन के बीच अंतर

मेंस लिंक:

‘जीरो-क्लिक अटैक’ क्या है? इसके बारे में चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


हर घर दस्तक’ अभियान

स्वास्थ्य मंत्रालय, खराब प्रदर्शन वाले जिलों में घर-घर जाकर कोविड-19 टीकाकरण के लिए अगले महीने के दौरान ‘हर घर दस्तक’  (Knock Every Door) अभियान शुरू करने की योजना बना रहा है।

इसका उद्देश्य लोगों को घातक वायरस से बचाव के लिए पूर्ण टीकाकरण के लिए प्रेरित करना है।

 

‘टाइम फॉर इंडिया’ अभियान

  • ‘टाइम फॉर इंडिया’ अभियान (‘Time for India’ drive), स्वीडन द्वारा शुरू किया जा रहा है।
  • यह व्यापार संवर्धन हेतु ‘द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ावा देने’ के लिए एक कार्यक्रम है।
  • इस कार्यक्रम के तहत, व्यापार हेतु देश में प्रवेश के लिए टीकाकरण करवाना आवश्यक नहीं होगा और न ही संगरोध की कोई व्यवस्था होगी। लेकिन यात्रियों को देश में आगमन पर कोविड-19 परीक्षण कराना अनिवार्य होगा।

 

एकीकृत अध्यापक शिक्षण कार्यक्रम

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के अनुसार, शिक्षा मंत्रालय द्वारा चार वर्षीय एकीकृत अध्यापक शिक्षण कार्यक्रम (Integrated Teacher Education Programme – ITEP) की अधिसूचना जारी की गयी है।

  • यह एक दोहरी-प्रमुख स्नातक डिग्री है, जिसके तहत बी.ए. बी.एड./बी.एस.सी. बी.एड. और बी.कॉम. बी.एड. पाठ्यक्रम उपलब्ध कराए गए हैं।
  • इसे 2022-23 में, देश भर के लगभग 50 चयनित बहु-विषयक संस्थानों में पायलट मोड में शुरू किया जाएगा।
  • राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (National Testing Agency) द्वारा राष्ट्रीय सामान्य प्रवेश परीक्षा (NET) के जरिए इस पाठ्यक्रम में प्रवेश दिया जाएगा।

 

अग्नि 5 मिसाइल

हाल ही में, भारत ने परमाणु सक्षम ‘अग्नि-V’ बैलिस्टिक मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।

  • अग्नि-V इंटरकांटिनेंटल-रेंज बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है।
  • इसका वजन करीब 50,000 किलोग्राम है। मिसाइल 75 मीटर लंबी है और इसका व्यास दो मीटर है।
  • यह मिसाइल जो तीन चरणों वाले ठोस ईंधन वाले इंजन का उपयोग करती है, बहुत उच्च स्तर की सटीकता के साथ 5,000 किलोमीटर तक लक्ष्य पर प्रहार करने में सक्षम है।
  • यह मिसाइल पूरे एशिया, यूरोप, और अफ्रीका के कुछ हिस्सों तक मार करने में सक्षम है। शामिल होने के बाद, अग्नि-पांच मिसाइल को ‘सामरिक बल कमान’ के साथ तैनात किया जाएगा।
  • अग्नि-5 का सफल परीक्षण भारत की ‘विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता’ के लिए बताई गई नीति के अनुरूप है जो ‘नो फर्स्ट यूज’ के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
  • भारत पहले ही 5,000 किलोमीटर से अधिक मारक क्षमता वाली इस मिसाइल के सात परीक्षण कर चुका है।

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