विषय सूची:
सामान्य अध्ययन-II
1. अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन महासभा
2. अवमानना कार्यवाही हेतु महान्यायवादी की सहमति
3. राजनीति का अपराधीकरण
सामान्य अध्ययन-III
1. भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र
2. नासा का परसिवरेंस रोवर
3. भगोड़ा आर्थिक अपराधी
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. बैचलर ऑफ सोवा रिग्पा मेडिसिन एंड सर्जरी (BSRMS)
2. मार्तंड सूर्य मंदिर
3. एलियम नेगियनम
सामान्य अध्ययन- II
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन महासभा
संदर्भ:
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance – ISA) की चौथी महासभा का आयोजन वर्चुअल माध्यम से किया जा रहा है।
इसकी अध्यक्षता भारत सरकार के विद्युत और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री तथा ISA सभा के अध्यक्ष द्वारा की जाएगी।
प्रमुख बिंदु:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) की चौथी महासभा में ‘वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड’ (OSOWOG) पहल के कार्यान्वयन, वर्ष 2030 के लिए 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर सौर निवेश हेतु रोडमैप और एक ‘मिश्रित वित्तीय जोखिम शमन सुविधा’ (Blended Financial Risk Mitigation Facility) के अनुमोदन से संबंधित प्रमुख पहलों पर विचार किया जाएगा।
- आईएसए सदस्य देशों के विश्व नेता अगले पांच वर्षों के लिए आईएसए की रणनीतिक योजना पर भी चर्चा करेंगे।
- आईएसए सदस्य देशों के विश्व नेता अगले पांच वर्षों के लिए आईएसए की रणनीतिक योजना पर भी चर्चा करेंगे।
- निम्न विकसित देशों (Least developed countries – LDCs) और लघु द्विपीय विकसित राज्यों (Small Island Developing States – SIDS) को तकनीकी व वित्तीय सहायता में वृद्धि के लिए आईएसए वैश्विक ऊर्जा गठबंधन (Global Energy Alliance – GEA) के साथ साझेदारी पर भी चर्चा करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन महासभा के बारे में:
- यह महासभा, ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च संस्था है,जिसमें प्रत्येक सदस्य देश का प्रतिनिधित्व होता है।
- यह निकाय ISA फ्रेमवर्क समझौते के कार्यान्वयन से संबंधित निर्णय लेता है और इसके उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए समन्वित कार्रवाई करता है।
- आईएसए की इस मंत्रिस्तरीय सभा का वार्षिक आयोजन होता है।
- यह सभा, सौर ऊर्जा के परिनियोजन, प्रदर्शन, विश्वसनीयता, लागत और लागत में कमी के संदर्भ में कार्यक्रमों व अन्य गतिविधियों के समग्र प्रभाव का आकलन करती है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) के बारे में:
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन की शुरुआत भारत के प्रधानमंत्री और फ्राँस के राष्ट्रपति द्वारा 30 नवंबर, 2015 को फ्राँस की राजधानी पेरिस में आयोजित COP-21 के दौरान की गई थी।
- आईएसए 122 से अधिक देशों का गठबंधन है।
- आईएसए, सौर ऊर्जा का उपयोग से ऊर्जा संबंधी जरूरतों को पूरा करने हेतु ‘कर्क रेखा’ और ‘मकर रेखा’ के बीच पूर्ण या आंशिक रूप से अवस्थित, सौर संसाधन समृद्ध देशों का गठबंधन है।
- पेरिस घोषणापत्र में ‘आईएसए’ को अपने सदस्य देशों के मध्य सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए समर्पित गठबंधन के रूप में घोषित किया गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, मौजूदा सौर प्रौद्योगिकियों के बड़े पैमाने पर परिनियोजन की सुविधा प्रदान करता है, और सहयोगी सौर अनुसंधान एवं विकास और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देता है।
सचिवालय:
- भारत और फ्रांस द्वारा संयुक्त रूप से ‘गुरुग्राम’ में ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ मुख्यालय की आधारशिला रखी गयी।
- इनके द्वारा हरियाणा के गुरुग्राम में स्थित ‘राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान परिसर’ में आईएसए के अंतरिम सचिवालय का उद्घाटन किया गया।
उद्देश्य:
- ‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ के प्रमुख उद्देश्यों में 1,000GW से अधिक सौर उत्पादन क्षमता को वैश्विक रूप से परिनियोजित करना तथा वर्ष 2030 तक सौर ऊर्जा में 1000 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक का निवेश जुटाना शामिल है।
- आईएसए के तहत, प्रौद्योगिकी, आर्थिक संसाधनों की उपलब्धता और विकास, और भंडारण प्रौद्योगिकी के विकास, बड़े पैमाने पर विनिर्माण और नवाचार के लिए पूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम बनाने की परिकल्पना की गयी है।
आवश्यकता:
- कम लागत की प्रौद्योगिकी से अधिक महत्वाकांक्षी सौर ऊर्जा कार्यक्रमों को शुरू किया जा सकता है।
- सौर ऊर्जा, सस्ती और विश्वसनीय ऊर्जा का प्रमुख स्रोत है।
- परियोजना का सफल कार्यान्वयन, सार्वभौमिक ऊर्जा पहुंच लक्ष्य (SDG 7) को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
‘अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन’ के छह प्रमुख कार्यक्रम पर्यावरण संरक्षण के लिए एक ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकते हैं।
- कृषि उपयोग के लिए सौर अनुप्रयोग,
- व्यापक स्तर पर वहनीय वित्त,
- मिनी ग्रिड,
- सौर छत (Solar Rooftops)
- ‘सौर ई-गतिशीलता’ और भंडारण
- बड़े पैमाने पर सौर पार्कों का निर्माण
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप प्रथम ‘विश्व सौर प्रौद्योगिकी शिखर सम्मेलन’ के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA)
- आईएसए सचिवालय
- OSOWOG पहल- उद्देश्य
- इसका आरंभ कब किया गया था?
- कार्यान्वयन एजेंसी।
- गैर-जीवाश्म ईंधन क्या हैं? उदाहरण दीजिए।
मेंस लिंक:
‘वन सन वन वर्ल्ड वन ग्रिड’ (OSOWOG) पहल के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
अवमानना कार्यवाही हेतु महान्यायवादी की सहमति
संदर्भ:
हाल ही में, भारत के महान्यायवादी ‘केके वेणुगोपाल’ ने ‘आजाद समाज पार्टी’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के खिलाफ ‘सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के खिलाफ टिप्पणियां’ करने के लिए आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने हेतु सहमति देने से इनकार कर दिया।
पृष्ठभूमि:
‘चंद्रशेखर आजाद’ के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 15(1)(बी) के तहत महान्यायवादी के समक्ष सहमति देने के लिए अनुरोध किया गया था।
‘अदालत की अवमानना’ से संबंधित कानून:
अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 (Contempt of Courts Act, 1971) में सिविल अवमानना तथा आपराधिक अवमानना को परिभाषित किया गया है, तथा अवमानना के मामले में दोषियों को दण्डित करने हेतु अदालत की शक्तियाँ एवं प्रक्रिया निर्धारित की गयी है।
- अदालत की अवमानना का अर्थ, अदालत की गरिमा, न्याय और इसके प्राधिकार का विरोध अथवा अवज्ञा करने वाले व्यवहार से किसी न्यायालय तथा इसके अधिकारियों की अवहेलना करना तथा उसके अधिकारों के प्रति अनादर प्रदर्शित करना है।
अवमानना कार्यवाही शुरू करने हेतु महान्यायवादी (अटार्नी जनरल) की सहमति की आवश्यकता:
किसी शिकायत को संज्ञान में लेने से पहले, अटॉर्नी जनरल की सहमति आवश्यक किए जाने का उद्देश्य अदालत का समय बचाना है।
- अवमानना कार्यवाही शुरू करने हेतु, अदालत पहला मंच होती है, यदि सार-हीन याचिकाएं दायर की जाती हैं, तो अदालतों का कीमती समय बर्बाद होता है।
- अटार्नी जनरल सहमति का उद्देश्य सार-हीन याचिकाओं पर रोक लगाना है। ऐसा माना जाता है, कि अदालत के अधिकारी के रूप में, अटार्नी जनरल स्वतंत्र रूप शिकायतों की वैधता संबंधी जांच करेगा।
किन परिस्थितियों में अटार्नी जनरल की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है?
- जब कोई प्राइवेट सिटीजन, किसी अन्य व्यक्ति के खिलाफ अदालत की अवमानना कार्यवाही शुरू करना चाहता है, तो इसके लिए अटार्नी जनरल की सहमति अनिवार्य होती है।
- हालाँकि, जब अदालत द्वारा स्वयं ही अवमानना कार्यवाही शुरू की जाती है, तो अटार्नी जनरल की सहमति की आवश्यकता नहीं होती है।
- ऐसा इसलिए होता है क्योंकि भारतीय संविधान में अदालत को अवमानना कार्यवाही शुरू करने शक्ति प्रदान की गयी है, और अदालत अपनी संवैधानिक शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अटार्नी जनरल की सहमति पर निर्भर नहीं है।
अटार्नी जनरल द्वारा सहमति देने से मना करने की स्थिति में:
- यदि अटार्नी जनरल सहमति देने से इनकार करता है, तो मामला इसके साथ ही खत्म हो जाता है।
- हालांकि, शिकायतकर्ता, इस मामले को अलग से अदालत के संज्ञान में ला सकता है और अदालत से इस मामले पर संज्ञान लेने का आग्रह कर सकता है।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 129 और 215 में क्रमशः सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय को न्यायालय की अवमानना के लिए दोषी व्यक्तियों को दंडित करने की शक्ति प्रदान की गयी है।
इंस्टा जिज्ञासु:
‘सिविल अवमानना’ का मतलब किसी भी अदालत के आदेश की जानबूझकर अवज्ञा करना है। यह आपराधिक अवमानना से किस प्रकार भिन्न है? इस विषय की जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- अवमानना के संदर्भ में उच्चत्तम न्यायालय तथा उच्च न्यायलय की शक्तियां
- इस संबंध में संवैधानिक प्रावधान।
- न्यायलय की अवमानना (संशोधन) अधिनियम, 2006 द्वारा किये गए परिवर्तन
- सिविल बनाम आपराधिक अवमानना
- अनुच्छेद 19 के तहत अधिकार
- अदालत की अवमानना अधिनियम, 1971 की धारा 10 किससे संबंधित है?
मेंस लिंक:
भारत में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अवमानना मामलों को किस प्रकार हल किया जाता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।
राजनीति का अपराधीकरण
(Criminalization of Politics)
उत्तर प्रदेश चुनाव से पहले, राजनीतिक दलों द्वारा आपराधिक पृष्ठभूमि रखने वाले, किंतु अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली, लोगों के साथ गठबंधन करने पर पुनर्विचार किया जा रहा है।
पृष्ठभूमि:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा राजनीति में अपराधियों के प्रवेश के बारे में संसद को पहले भी चेतावनी दी चुकी है। पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में अपने उम्मीदवारों के आपराधिक अतीत को मतदाताओं से छिपाने के लिए शीर्ष अदालत ने पिछले साल प्रमुख राजनीतिक दलों पर जुर्माना भी लगाया था।
शीर्ष अदालत द्वारा फरवरी 2020 में जारी निर्देश:
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राजनीतिक दलों को, उनके द्वारा अपने चुनावी उम्मीदवारों का चयन करने के 48 घंटों के भीतर अपनी वेबसाइट के होमपेज पर ‘आपराधिक इतिहास वाले उम्मीदवार’ शीर्षक के तहत आपराधिक इतिहास, यदि कोई हो, को प्रकाशित करने का निर्देश दिया था।
चिंता का विषय:
- देशभर में विधि-निर्माताओं के खिलाफ कुल 4,442 मामले लंबित हैं। इसमें से मौजूदा सांसदों और राज्य विधानसभा सदस्यों के खिलाफ मामलों की संख्या 2,556 है।
- इनमे से अधिकाँश मामले, राजनेताओं के खिलाफ आपराधिक मामलों की सुनवाई हेतु विशेष रूप से गठित विभिन्न विशेष अदालतों में लंबित थे।
- विधि-निर्माताओं के खिलाफ दर्ज मामलों में, भ्रष्टाचार, मनी लॉन्ड्रिंग, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान, मानहानि और धोखाधड़ी के मामले शामिल हैं।
- अधिकाँश मामले, जानबूझकर अवज्ञा करने और लोक सेवकों द्वारा जारी आदेशों में बाधा डालने के लिए आईपीसी की धारा 188 के उल्लंघन से संबंधित है।
- अपराधों के संबंध में 413 मामलों में ‘आजीवन कारावास’ का दंड देने का प्रावधान है, जिनमें से 174 मामलों में मौजूदा सांसद/विधायक आरोपी हैं।
- कई मामले, दर्ज किए जाने के शुरुआती स्तर पर ही लंबित है, और यहां तक कि अदालतों द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट (non-bailable warrants – NBW) भी निष्पादित नहीं किए गए हैं।
- विधि-निर्माताओं के खिलाफ सबसे अधिक मामले उत्तर प्रदेश में लंबित हैं।
इस विषय पर ‘जन प्रतिनिधित्व अधिनियम’ (RPA) के प्रावधान:
वर्तमान में, जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People- RPA) 1951 के तहत, किसी आपराधिक मामले में सजा-युक्त होने के पश्चात चुनाव नहीं लड़ सकते हैं।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8 के अंतर्गत, किसी भी आपराधिक मामले में दो अथवा दो से अधिक वर्षो के सजायाफ्ता व्यक्ति को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित किया गया है। परन्तु, जिन व्यक्तियों का मामला अदालत में विचारधीन है, वे चुनाव में भाग ले सकते हैं।
राजनीति में अपराधीकरण के मुख्य कारण:
- भ्रष्टाचार
- वोट बैंक
- शासन में कमियां
आगे की राह:
- राजनीतिक दलों को स्वयं ही दागी व्यक्तियों को टिकट देने से मना कर देना चाहिए।
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम में संशोधन करके, उन व्यक्तियों को चुनाव लड़ने से प्रतिबंधित कर देना चाहिए जिनके खिलाफ जघन्य प्रकृति के मामले लंबित हैं।
- फास्ट-ट्रैक अदालतों को दागी नीति-निर्माताओं से संबंधित मामलों को शीघ्रता से निपटाना चाहिए।
- चुनाव अभियानों के वित्तपोषण में अधिक पारदर्शिता लाई जाए।
- भारत के निर्वाचन आयोग (ECI) को में राजनीतिक दलों के वित्तीय खातों के ऑडिट की शक्ति प्रदान की जानी चाहिए।
इंस्टा जिज्ञासु:
(चुनावों से संबंधित)
सोचिए! यदि आप मतदाता के रूप में दिल्ली में पंजीकृत हैं, तो क्या आप असम, लक्षद्वीप और सिक्किम निर्वाचन क्षेत्रों से लोकसभा का चुनाव लड़ सकते हैं? इसके लिए देखें ।
प्रीलिम्स लिंक:
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8
- उच्चत्तम न्यायालय दिशानिर्देश।
- ECI – रचना और कार्य।
- CEC- नियुक्ति।
- उम्मीदवारों के चुनाव से संबंधित मामलों पर निर्वाचन आयोग की शक्तियां।
मेंस लिंक:
राजनीति के अपराधीकरण से संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए और इन चिंताओं को दूर करने के लिए उच्चत्तम न्यायालय ने क्या कदम उठाये हैं?
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र
संदर्भ:
हाल ही में ‘नीति आयोग’ द्वारा ‘भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र’ (Geospatial Energy Map of India) लॉन्च किया गया।
भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र के बारे में:
‘भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र’ (Geospatial Energy Map), पारंपरिक बिजली संयंत्रों, तेल और गैस के कुओं, पेट्रोलियम रिफाइनरियों, कोयला क्षेत्रों और कोयला ब्लॉकों जैसे ऊर्जा प्रतिष्ठानों का चित्रण करता है तथा 27 विषयगत श्रेणियों के माध्यम से अक्षय ऊर्जा बिजली संयंत्रों और अक्षय ऊर्जा संसाधन क्षमता आदि पर जिले-वार आंकड़े प्रस्तुत करता है।
- भारत का एक व्यापक ‘भौगोलिक सूचना प्रणाली’ (Geographic Information System – GIS) ऊर्जा मानचित्र, नीति आयोग द्वारा भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से विकसित किया गया है।
- यह जीआईएस मानचित्र, देश के सभी ऊर्जा संसाधनों की एक समग्र तस्वीर प्रदान करता है।
उपयोग:
यह मानचित्र देश में ऊर्जा उत्पादन और वितरण का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए ऊर्जा के सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों और उनके परिवहन/प्रेषण नेटवर्क की पहचान करने तथा उनका पता लगाने का प्रयास करता है।
प्रमुख विशेषताऐं:
- भारत सरकार का यह एक अनूठा प्रयास है, जिसका उद्देश्य कई संगठनों में बिखरे हुए ऊर्जा डेटा को एकीकृत करना और इसे समेकित, आकर्षक चित्रात्मक ढंग से प्रस्तुत करना है।
- इसे प्रभावी और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाने के लिए, इसमें वेब-जीआईएस प्रौद्योगिकी और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर में नवीनतम प्रगति का लाभ उठाया गया है।
- भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र योजना बनाने और निवेश संबंधी निर्णय लेने में उपयोगी होगा।
- यह उपलब्ध ऊर्जा परिसंपत्तियों का उपयोग करके आपदा प्रबंधन में भी सहायता करेगा।
जीआईएस-मानचित्रण का महत्व:
- ऊर्जा परिसंपत्तियों का जीआईएस-मानचित्रण भारत के ऊर्जा क्षेत्र के वास्तविक समय और एकीकृत योजना को सुनिश्चित करने के लिए उपयोगी होगा। इसके बड़े भौगोलिक विस्तार और परस्पर निर्भरता को देखते हुए, ऊर्जा बाजारों में दक्षता हासिल करने की अपार संभावनाएं हैं।
- आगे चलकर, जीआईएस-आधारित ऊर्जा परिसंपत्तियों की मैपिंग सभी संबंधित हितधारकों के लिए फायदेमंद होगी और नीति-निर्माण प्रक्रिया को तेज करने में मदद करेगी।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
नासा का परसिवरेंस रोवर
(NASA Perseverance Rover)
संदर्भ:
नासा के परसिवरेंस रोवर (NASA Perseverance Rover) ने मंगल ग्रह के ‘जेजेरो क्रेटर’ के “साऊथ साईटा’ (South Seitah) क्षेत्र के दृश्यपटल के चित्र उतारे हैं जिनमे इस क्षेत्र के रहस्यमय अतीत के सुराग मिल सकते हैं।
इन चित्रों से धूसर, गहरे भूरे और स्विस-कॉफ़ी के समान रंग वाली बाहर की ओर निकली हुई चट्टानी कटक के बारे में पता चलता है। इस कटक का नामकरण फ्रांसीसी आल्प्स में एक मध्ययुगीन ईसाई मठ के नाम पर ‘फेलेफेउ’ (Faillefeu) रखा गया है।
पृष्ठभूमि:
नासा के परसिवरेंस रोवर द्वारा मंगल ग्रह के ‘जेज़ेरो क्रेटर’ (Jezero Crater) का अन्वेषण किया जा रहा है, और साथ ही यह, ग्रह की सतह से चट्टानों का पहला नमूना एकत्र करने का प्रयास कर रहा है।
‘परसिवरेंस रोवर’ के बारे में:
परसिवरेंस रोवर (Perseverance rover) को, जुलाई 2020 में ‘यूनाइटेड लॉन्च अलायंस एटलस V’ (Atlas V) से लॉन्च किया गया था।
मिशन का महत्व:
- परसिवरेंस रोवर में MOXIE अथवा मार्स ऑक्सीजन ISRU एक्सपेरिमेंट नामक एक विशेष उपकरण लगा है, जो मंगल ग्रह पर कार्बन-डाइऑक्साइड-समृद्ध वातावरण से कार्बन डाइऑक्साइड का उपयोग करके पहली बार आणविक ऑक्सीजन का निर्माण करेगा। (ISRU- In Situ Resource Utilization, अर्थात स्व-स्थानिक संशाधनो का उपयोग)
- इस मिशन पर एक, ‘इंजेन्युटी’ (Ingenuity) नामक एक हेलीकॉप्टर भी भेजा गया है, यह मंगल ग्रह पर उड़ान भरने वाला पहला हेलीकॉप्टर होगा।
- यह मिशन, पृथ्वी पर परिष्कृत प्रयोगशालाओं में विश्लेषण करने हेतु, मंगल ग्रह से चट्टान के नमूनों को लाने का पहला नियोजित प्रयास है। इसका उद्देश्य मंगल ग्रह पर प्राचीन सूक्ष्मजीवीय जीवन के खगोलीय साक्ष्यों की खोज तथा वर्तमान या अतीत में जीवन-संकेतों की खोज करना है।
मिशन के कुछ प्रमुख उद्देश्य:
- प्राचीन सूक्ष्मजीवीय जीवन के खगोलीय साक्ष्यों की खोज करना।
- वापसी में पृथ्वी पर लाने के लिए चट्टानों तथा रेगोलिथ (Reglolith) के नमूने एकत्र करना है।
- मंगल ग्रह पर एक प्रयोगात्मक हेलीकाप्टर उतारना।
- मंगल ग्रह की जलवायु और भूविज्ञान का अध्ययन करना।
- भविष्य के मंगल मिशनों के लिए प्रौद्योगिकी का प्रदर्शन करना।
मंगल ग्रह के बारे में हालिया रुचि का कारण:
- मंगल ग्रह, पृथ्वी के काफी नजदीक (लगभग 200 मिलियन किमी दूर) पर स्थित है।
- यह एक ऐसा ग्रह है, जिस पर मनुष्य, भ्रमण करने या अधिक समय तक रहने की इच्छा कर सकता है।
- मंगल ग्रह पर अतीत में बहता हुए पानी और वातावरण होने के साक्ष्य मिले हैं; और संभवतः इस ग्रह पर कभी जीवन के लिए उपयुक्त स्थितियां भी मौजूद थी।
- यह ग्रह, व्यावसायिक यात्रा के लिए भी उपयुक्त हो सकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप मंगल ग्रह के वायुमंडल की संरचना, इतिहास, वातावरण, गुरुत्वाकर्षण के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- मंगल मिशन
- पर्सविरन्स रोवर – उद्देश्य
- पर्सविरन्स रोवर पर उपकरण
- UAE के ‘होप’ मिशन तथा चीन के तियानवेन -1 अंतरिक्ष यान के बारे में
- पाथफाइंडर मिशन
मेंस लिंक:
‘परसिवरेंस रोवर’ मिशन के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’
(Fugitive Economic Offender)
संदर्भ:
हाल ही में, न्यूयॉर्क की एक ‘दिवालियापन अदालत’ (Bankruptcy Court) द्वारा भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी की याचिका खारिज कर दी गयी, इससे नीरव मोदी द्वारा अपने खिलाफ धोखाधड़ी के आरोपों को खारिज कराने के प्रयासों को एक बड़ा झटका लगा है।
पृष्ठभूमि:
ब्रिटेन के उच्च न्यायालय द्वारा भगोड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी को, मानसिक स्वास्थ्य और मानवाधिकारों के आधार पर, भारतीय अदालतों के समक्ष धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने हेतु भारत को प्रत्यर्पण के पक्ष में जारी एक मजिस्ट्रेट अदालत के आदेश के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी थी।
प्रत्यर्पण आदेश:
- अप्रैल 2020 में, यूनाइटेड किंगडम के गृह विभाग द्वारा, पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के 13,758 करोड़ रुपए के धोखाधड़ी मामले से संबंधित हीरा व्यापारी नीरव मोदी को भारत के लिए प्रत्यर्पण को मंजूरी दी गयी थी।
- प्रत्यर्पण को मंजूरी, दो महीने पहले, लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले के बाद दी गयी थी, जिसमे कोर्ट ने कहा था, कि प्रथम दृष्टया नीरव मोदी के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला बनता है।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी:
दिसंबर 2019, एक विशेष अदालत द्वारा ‘प्रवर्तन निदेशालय’ की याचिका पर हीरा कारोबारी नीरव मोदी को पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के $ 2 बिलियन की धोखाधड़ी मामले में एक भगोड़ा आर्थिक अपराधी (fugitive economic offender) घोषित कर दिया गया था।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी:
प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर एक विशेष अदालत ने दिसंबर 2019 में हीरा व्यवसायी नीरव मोदी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया था।
भगोड़ा आर्थिक अपराधी- परिभाषा:
कोई व्यक्ति, जिसके खिलाफ कम से कम 100 करोड़ रुपये अथवा उससे अधिक के आर्थिक अपराध में शामिल होने के कारण गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है और जो कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए भारत से भाग गया है, ऐसे व्यक्ति को अपराधी माना जायेगा।
प्रक्रिया:
- जांच एजेंसियों द्वारा ‘धन शोधन निवारण अधिनियम’ ( Money-Laundering Act) के तहत ‘विशेष अदालत’ में एक आवेदन दायर किया जाता है। इस आवेदन में जब्त की जाने वाली संपत्तियों और व्यक्ति के ठिकाने से संबधित अन्य जानकारी का विवरण होता है।
- इसके बाद, विशेष न्यायालय द्वारा, उस व्यक्ति को एक निर्दिष्ट स्थान पर उपस्थित होने के लिए एक नोटिस जारी किया जाता है। उपस्थिति होने के लिए, नोटिस के जारी होने से कम से कम छह सप्ताह के बाद की तारीख निर्धारित की जाती है।
- यदि वह व्यक्ति निर्धारित स्थान और तिथि पर हाजिर हो जाता है, तो आगे की कार्यवाही समाप्त कर दी जाती है। यदि वह व्यक्ति हाजिर नहीं होता है, तो जांच एजेंसियों द्वारा प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों के आधार पर व्यक्ति को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया जाता है।
- भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया व्यक्ति ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी अधिनियम’, 2018 के अनुसार, इस प्रकार की घोषणा के 30 दिनों के भीतर उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दे सकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप FATF-शैली के क्षेत्रीय निकायों के बारे में जानते हैं? इनके बारे में जानकारी के लिए पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘भगोड़ा आर्थिक अपराधी’ कौन होता है?
- ‘प्रवर्तन निदेशालय’ की संरचना एवं शक्तियां
- सीबीआई की स्थापना और शक्तियां
- PMLA क्या है?
- ‘भगोड़ा आर्थिक अपराध अधिनियम’ का अवलोकन
मेंस लिंक:
‘भगोड़ा आर्थिक अपराध अधिनियम’ के महत्व और प्रमुख प्रावधानों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
बैचलर ऑफ सोवा रिग्पा मेडिसिन एंड सर्जरी (BSRMS)
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ‘बैचलर ऑफ सोवा रिग्पा मेडिसिन एंड सर्जरी’ (Bachelor of Sowa Rigpa Medicine and Surgery – BSRMS) को विशेष डिग्री के रूप में मान्यता देने की अधिसूचना जारी कर दी है।
इस डिग्री की अवधि न्यूनतम पांच वर्ष रखी गई है। इसमें प्रवेश की योग्यता प्लस टू (10+2) निर्धारित की गयी है।
सोवा-रिग्पा (Sowa -Rigpa) क्या है?
- यह भारत के हिमालयी क्षेत्र में प्रचलित एक पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली है।
- इसकी उत्पत्ति तिब्बत में हुई और भारत, नेपाल, भूटान, मंगोलिया और रूस जैसे देशों में लोकप्रिय रूप से प्रचलित है।
- सोवा-रिग्पा के अधिकांश सिद्धांत और व्यवहार “आयुर्वेद” के समान है।
- तिब्बत के ‘युथोग योंटेन गोंपो’ (Yuthog Yonten Gonpo) को ‘सोवा रिग्पा’ का जनक माना जाता है।
सोवा-रिग्पा के मूल सिद्धांत को निम्नलिखित पांच बिंदुओं के संदर्भ में समझा जा सकता है:
- बीमारी की स्थिति में शरीर को उपचार के केंद्र के रूप में
- एंटीडोट यानी इलाज
- एंटीडोट के माध्यम से उपचार की विधि
- रोग को ठीक करने वाली औषधि
- मटेरिया मेडिका, फार्मेसी और फार्माकोलॉजी
मार्तंड सूर्य मंदिर
कश्मीर के मार्तंड सूर्य मंदिर (Martand Sun Temple) को पैंडो लेदन (Pandou Laidan) के नाम से भी जाना जाता है। यह सूर्य को समर्पित एक हिंदू मंदिर है।
- इसका निर्माण कार्कोटराजवंश के तीसरे शासक ‘ललितादित्य मुक्तापीड’ द्वारा 8वीं शताब्दी में करवाया गया था।
- यह मंदिर, भारतीय केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में अनंतनाग से पांच मील दूर मार्तण्ड (वर्तमान बिगड़ कर बने मातन) नामक स्थान पर स्थित है।
- मुस्लिम शासक सिकंदर शाह मिरी के आदेश से यह मंदिर नष्ट कर दिया गया था।
- यह मंदिर ‘कोणार्क’ और ‘मोढेरा’ से काफी प्राचीन ज्ञात सूर्य मंदिरों में से एक है।
एलियम नेगियनम
एलियम नेगियनम (Allium negianum) नामक पौधे की खोज उत्तराखंड में चमोली जिले की नीति घाटी के मलारी गांव के भारत-तिब्बत सीमा क्षेत्र में की गई है। हालांकि स्थानीय लोग इस पौधे के बारे में पहले से ही जानते हैं।
- यह पौधा समुद्र तल से 3000 से 4800 मीटर की ऊंचाई पर उगता है। यह खुले घास के मैदानों, नदियों के किनारे रेतीली मिट्टी और अल्पाइन घास के मैदानों जिन्हें स्थानीय रूप से “बुग्याल” के रूप में जाना जाता है। साथ यह जहां बर्फ से ढके मैदान होते हैं यह उन जगहों पर पाया जा सकता है।
- यह बहुत ही कम जगहों पर पाया गया है, नई प्रजाति पश्चिमी हिमालय के क्षेत्र तक ही सीमित है और अभी तक दुनिया में कहीं और से इसके पाए जाने की जानकारी नहीं है।
- एलियम नेगियनम का वैज्ञानिक नाम भारत के प्रख्यात खोजकर्ता और एलियम संग्रहकर्ता स्वर्गीय डॉ. कुलदीप सिंह नेगी के सम्मान में रखा गया है।
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