HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
मार्शल आर्ट और संबंधित राज्य के निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए।
- गतका : मणिपुर
- थांग-ता : पंजाब
- सिलंबम : तमिलनाडु
- मर्दानी खेल : महाराष्ट्र
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correct
उत्तर: c)
मूल रूप से महाराष्ट्र का मर्दानी खेल एक हथियार आधारित मार्शल आर्ट है। इसका विकास राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों (पहाड़ियों, गुफाओं और घाटियों) के कारण हुआ है। यह कला का एक बहुत ही प्राचीन रूप, इसका उदय मराठा राजवंश के दौरान हुआ था।
केरल के कलारीपयट्टू से निकटता से संबंधित, सिलंबम तमिलनाडु की एक प्राचीन स्टिक-मार्शल कला है।
गतका:
यह लकड़ी की डंडियों से लड़ने की एक शैली है जिसकी उत्पत्ति 15वीं शताब्दी में पंजाब में हुई थी। इसमें बाना और चोला को कर्मकांडों के प्रदर्शन के लिए पहने जाते हैं, लेकिन जब एक खेल के रूप में प्रदर्शन किया जाता है, तो कलाकार ट्रैक पैंट और टी-शर्ट पहनता है, और छड़ी भी होती है।
थांग टा:
यह एक मणिपुरी कला रूप है।
यह अनुष्ठान, प्रदर्शन और युद्ध से संबंधित है और इसमें विभिन्न प्रकार के नृत्य रूप और योद्धा अभ्यास शामिल होते हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
मूल रूप से महाराष्ट्र का मर्दानी खेल एक हथियार आधारित मार्शल आर्ट है। इसका विकास राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों (पहाड़ियों, गुफाओं और घाटियों) के कारण हुआ है। यह कला का एक बहुत ही प्राचीन रूप, इसका उदय मराठा राजवंश के दौरान हुआ था।
केरल के कलारीपयट्टू से निकटता से संबंधित, सिलंबम तमिलनाडु की एक प्राचीन स्टिक-मार्शल कला है।
गतका:
यह लकड़ी की डंडियों से लड़ने की एक शैली है जिसकी उत्पत्ति 15वीं शताब्दी में पंजाब में हुई थी। इसमें बाना और चोला को कर्मकांडों के प्रदर्शन के लिए पहने जाते हैं, लेकिन जब एक खेल के रूप में प्रदर्शन किया जाता है, तो कलाकार ट्रैक पैंट और टी-शर्ट पहनता है, और छड़ी भी होती है।
थांग टा:
यह एक मणिपुरी कला रूप है।
यह अनुष्ठान, प्रदर्शन और युद्ध से संबंधित है और इसमें विभिन्न प्रकार के नृत्य रूप और योद्धा अभ्यास शामिल होते हैं।
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Question 2 of 5
2. Question
उत्तरमेरूर के अभिलेखों से मुख्यतः कसके प्रशासन के बारे में जानकारी मिलती है
Correct
उत्तर: b)
चोल स्थानीय प्रशासन:
चोल प्रशासन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता जिलों, कस्बों और गांवों के स्तर पर स्थानीय प्रशासन था।
उत्तरमेरूर के अभिलेख चोल प्रशासन के बारे में जानकारी प्रदान करता हैं।
ग्राम स्वायत्तता चोल प्रशासनिक व्यवस्था की सबसे अनूठी विशेषता थी।
नाडु चोलों की महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाइयों में से एक था। नाडु में प्रतिनिधि सभाएँ होती थीं। नाडुओं के प्रमुखों को नत्तर कहा जाता था।
नाडु की परिषद को नट्टवई (Nattavai) कहा जाता था।
Incorrect
उत्तर: b)
चोल स्थानीय प्रशासन:
चोल प्रशासन की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता जिलों, कस्बों और गांवों के स्तर पर स्थानीय प्रशासन था।
उत्तरमेरूर के अभिलेख चोल प्रशासन के बारे में जानकारी प्रदान करता हैं।
ग्राम स्वायत्तता चोल प्रशासनिक व्यवस्था की सबसे अनूठी विशेषता थी।
नाडु चोलों की महत्वपूर्ण प्रशासनिक इकाइयों में से एक था। नाडु में प्रतिनिधि सभाएँ होती थीं। नाडुओं के प्रमुखों को नत्तर कहा जाता था।
नाडु की परिषद को नट्टवई (Nattavai) कहा जाता था।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित में से कौनसे जानवरों के चित्र पशुपति मुहर पर पाए गए हैं?
- हाथी
- बाघ
- बैल
- गैंडा
- मृग
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correct
उत्तर: c)
सबसे उल्लेखनीय मुहर वह है जिसके केंद्र में एक आकृति और चरों तरफ जानवरों को चित्रित किया गया है। इस मुहर को आम तौर पर कुछ विद्वानों द्वारा पशुपति मुहर के रूप में पहचाना जाता है जबकि कुछ इसे महिला देवता के रूप में पहचानते हैं। इस मुहर में आलती पालती मारकर बैठे एक मानव आकृति को दर्शाया गया है। बैठी हुई आकृति के दाईं ओर एक हाथी और एक बाघ को दर्शाया गया है, जबकि बाईं ओर एक गैंडा और एक भैंस को दर्शाया गया है। इन जानवरों के अलावा नीचे की तरफ दो मृग दिखाए गए हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
सबसे उल्लेखनीय मुहर वह है जिसके केंद्र में एक आकृति और चरों तरफ जानवरों को चित्रित किया गया है। इस मुहर को आम तौर पर कुछ विद्वानों द्वारा पशुपति मुहर के रूप में पहचाना जाता है जबकि कुछ इसे महिला देवता के रूप में पहचानते हैं। इस मुहर में आलती पालती मारकर बैठे एक मानव आकृति को दर्शाया गया है। बैठी हुई आकृति के दाईं ओर एक हाथी और एक बाघ को दर्शाया गया है, जबकि बाईं ओर एक गैंडा और एक भैंस को दर्शाया गया है। इन जानवरों के अलावा नीचे की तरफ दो मृग दिखाए गए हैं।
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Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित मंदिर स्थापत्य कला को आरंभिक से नवीनतम कालक्रम के अनुसार व्यवस्थित कीजिए।
- कोणार्की सूर्य मंदिर
- कैलाश मंदिर
- बृहदेश्वर मंदिर
- लद्दाखन मंदिर
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correct
उत्तर: a)
ओडिशा की कलात्मक और स्थापत्य प्रतिभा की सबसे बड़ी उपलब्धि कोणार्क का सूर्य मंदिर है, जिसका निर्माण पूर्वी गंग शासक नरसिंह वर्मन ने लगभग 1250 ई. में करवाया था
बृहदेश्वर मंदिर जिसे लगभग 1000 ईस्वी में बनाया गया था, भुवनेश्वर के राजारानी मंदिर का समकालीन है।
एलोरा का प्रसिद्ध कैलाश मंदिर अपने आप में एक समूह है क्योंकि यह एक रॉक-कट मंदिर परिसर है, जो कई मायनों में महाबलीपुरम के विभिन्न रथों से मिलता जुलता है। इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट राजा कृष्ण के शासनकाल के दौरान किया गया था और यह 8वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य में निर्मित मंदिर है।
ऐहोल का लदखान मंदिर लगभग 5वीं शताब्दी ईस्वी सन् का है। यहाँ वास्तुकार ने परिक्रमा पथ पर ध्यान देने की कोशिश की है जो एक दीवार से घिरा हुआ है जिससे भक्तों को पवित्र स्थान की प्रदक्षिणा या सिरुमम्बुलेटरी की सुविधा मिलती है।
Incorrect
उत्तर: a)
ओडिशा की कलात्मक और स्थापत्य प्रतिभा की सबसे बड़ी उपलब्धि कोणार्क का सूर्य मंदिर है, जिसका निर्माण पूर्वी गंग शासक नरसिंह वर्मन ने लगभग 1250 ई. में करवाया था
बृहदेश्वर मंदिर जिसे लगभग 1000 ईस्वी में बनाया गया था, भुवनेश्वर के राजारानी मंदिर का समकालीन है।
एलोरा का प्रसिद्ध कैलाश मंदिर अपने आप में एक समूह है क्योंकि यह एक रॉक-कट मंदिर परिसर है, जो कई मायनों में महाबलीपुरम के विभिन्न रथों से मिलता जुलता है। इस मंदिर का निर्माण राष्ट्रकूट राजा कृष्ण के शासनकाल के दौरान किया गया था और यह 8वीं शताब्दी ईस्वी के मध्य में निर्मित मंदिर है।
ऐहोल का लदखान मंदिर लगभग 5वीं शताब्दी ईस्वी सन् का है। यहाँ वास्तुकार ने परिक्रमा पथ पर ध्यान देने की कोशिश की है जो एक दीवार से घिरा हुआ है जिससे भक्तों को पवित्र स्थान की प्रदक्षिणा या सिरुमम्बुलेटरी की सुविधा मिलती है।
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Question 5 of 5
5. Question
प्राचीन भारतीय बौद्ध मठों में आयोजित पवराना समारोह के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह बौद्ध संघ में शामिल नए अनुयायियों की दीक्षा का समारोह है।
- भिक्षु बरसात के मौसम में मठों में रहने के दौरान किए गए अपने अपराधों को स्वीकार करते हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
पवाराना बौद्धों का एक पवित्र दिन है जो ग्यारहवें चंद्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह वास (Vassa) के महीने के अंत का प्रतीक है, जिसे कभी-कभी “बौद्ध व्रत” कहा जाता है। यह दिन थाईलैंड जैसे कुछ एशियाई देशों में बारिश के मौसम के अंत का प्रतीक है, जहां थेरवाद बौद्ध धर्म का पालन किया जाता है। इस दिन, प्रत्येक भिक्षु को भिक्षुओं के समुदाय के सामने आते है और वास के दौरान किए गए अपराध का प्रायश्चित करते हैं।
Incorrect
उत्तर: b)
पवाराना बौद्धों का एक पवित्र दिन है जो ग्यारहवें चंद्र मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। यह वास (Vassa) के महीने के अंत का प्रतीक है, जिसे कभी-कभी “बौद्ध व्रत” कहा जाता है। यह दिन थाईलैंड जैसे कुछ एशियाई देशों में बारिश के मौसम के अंत का प्रतीक है, जहां थेरवाद बौद्ध धर्म का पालन किया जाता है। इस दिन, प्रत्येक भिक्षु को भिक्षुओं के समुदाय के सामने आते है और वास के दौरान किए गए अपराध का प्रायश्चित करते हैं।
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