[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 4 October 2021

 

 

विषय सूची:

सामान्य अध्ययन-II

1. निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को प्रतीक चिह्नों का आवंटन

2. इनर लाइन परमिट

3. चीन-ताइवान संबंध

4. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद

 

सामान्य अध्ययन-III

1. जल जीवन मिशन

2. बिजली (उपभोक्ताओं के अधिकार) संशोधन नियम, 2021 मसौदा

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. राष्ट्रीय सत्य एवं सुलह दिवस

2. अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस 2021

3. गेमिंग डिसऑर्ड

4. ब्रह्मपुत्र विरासत केंद्र

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

निर्वाचन आयोग द्वारा राजनीतिक दलों को प्रतीक चिह्नों का आवंटन


संदर्भ:

भारत निर्वाचन आयोग (Election Commission of India – ECI) ने लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के आधिकारिक चुनाव चिन्ह (बंगला) पर रोक लगा दी है, जिससे पार्टी के दोनों गुटों में से कोई भी गुट बिहार में ‘कुशेश्वर अस्थान’ और ‘तारापुर’ सीट के लिए होने वाले आगामी विधानसभा उपचुनाव में इसका इस्तेमाल नहीं कर पाएगा।

पृष्ठभूमि:

राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्नों पर निर्वाचन आयोग द्वारा रोक लगाया जाना कोई नई बात नहीं है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान, वर्ष 2017 में दो अन्य प्रमुख मामलों में ‘समाजवादी पार्टी’ (साइकिल) और ‘अन्नाद्रमुक’ (दो पत्ते) के संबंध में, पार्टियों के बंटवारे बाद ‘चुनाव चिन्ह’ को लेकर विवाद देखा गया था।

राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन:

निर्वाचन आयोग के दिशानिर्देशों के अनुसार- किसी राजनीतिक दल को चुनाव चिह्न का आवंटन करने हेतु निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाती है:

  • नामांकन पत्र दाखिल करने के समय राजनीतिक दल / उम्मीदवार को निर्वाचन आयोग की प्रतीक चिह्नों की सूची में से तीन प्रतीक चिह्न प्रदान किये जाते हैं।
  • उनमें से, राजनीतिक दल / उम्मीदवार को ‘पहले आओ-पहले पाओ’ आधार पर एक चुनाव चिह्न आवंटित किया जाता है।
  • किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के विभाजित होने पर, पार्टी को आवंटित प्रतीक/चुनाव चिह्न पर निर्वाचन आयोग द्वारा निर्णय लिया जाता है।

निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ:

चुनाव चिह्न (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के अंतर्गत निर्वाचन आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने और प्रतीक चिह्न आवंटित करने का अधिकार दिया गया है।

  • आदेश के अनुच्छेद 15 के तहत, निर्वाचन आयोग, प्रतिद्वंद्वी समूहों अथवा किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के गुटों द्वारा पार्टी के नाम तथा प्रतीक चिह्न संबंधी दावों के मामलों पर निर्णय ले सकता है।
  • निर्वाचन आयोग, राजनीतिक दलों के किसी विवाद अथवा विलय पर निर्णय लेने हेतु एकमात्र प्राधिकरण भी है। सर्वोच्च न्यायालय ने सादिक अली तथा अन्य बनाम भारत निर्वाचन आयोग (ECI) मामले (1971) में इसकी वैधता को बरकरार रखा।

चुनाव चिह्नों के प्रकार:

‘निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) (संशोधन) आदेश, 2017 (Election Symbols (Reservation and Allotment) (Amendment) Order, 2017) के अनुसार, राजनीतिक दलों के प्रतीक चिह्न निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:

  1. आरक्षित (Reserved): देश भर में आठ राष्ट्रीय दलों और 64 राज्य दलों को ‘आरक्षित’ प्रतीक चिह्न प्रदान किये गए हैं।
  2. स्वतंत्र (Free): निर्वाचन आयोग के पास लगभग 200 ‘स्वतंत्र’ प्रतीक चिह्नों का एक कोष है, जिन्हें चुनावों से पहले अचानक नजर आने वाले हजारों गैर-मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय दलों को आवंटित किया जाता है।

पार्टी का विभाजन होने पर ‘चुनाव चिन्ह’ संबंधी विवाद में निर्वाचन आयोग की शक्तियां:

विधायिका के बाहर किसी राजनीतिक दल का विभाजन होने पर, ‘निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश’, 1968 के पैरा 15 में कहा गया है:

“निर्वाचन आयोग जब इस बात इस संतुष्ट हो जाता है, कि किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल में दो या अधिक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह हो गए हैं और प्रत्येक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह, उस ‘राजनीतिक दल’ पर दावा करता है, तो ऐसी स्थिति में, निर्वाचन आयोग को, इनमे से किसी एक प्रतिद्वंद्वी वर्ग या समूह को ‘राजनीतिक दल’ के रूप में मान्यता देने, अथवा इनमे से किसी को भी मान्यता नहीं देने संबंधी निर्णय लेने की शक्ति होगी, और आयोग का निर्णय इन सभी प्रतिद्वंद्वी वर्गों या समूहों के लिए बाध्यकारी होगा”।

  • यह प्रावधान ‘मान्यता प्राप्त’ सभी राष्ट्रीय और राज्यीय दलों (इस मामले में लोजपा की तरह) में होने वाले विवादों पर लागू होता है।
  • पंजीकृत, लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन होने पर, निर्वाचन आयोग आमतौर पर, संघर्षरत गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अदालत जाने की सलाह देता है।

कृपया ध्यान दें, कि वर्ष 1968 से पहले निर्वाचन आयोग द्वारा ‘चुनाव आचरण नियम’, 1961 के तहत अधिसूचना और कार्यकारी आदेश जारी किए जाते थे।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप एक मान्यता प्राप्त ‘राष्ट्रीय राजनीतिक दल’ और एक ‘राज्य राजनीतिक दल’ के बीच अंतर जानते हैं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करने हेतु प्रक्रिया।
  2. राज्य दल और राष्ट्रीय दल क्या हैं?
  3. मान्यता प्राप्त दलों को प्राप्त लाभ।
  4. पार्टी प्रतीक चिह्न किसे कहते हैं? प्रकार क्या हैं?
  5. राजनीतिक दलों के विलय से जुड़े मुद्दों पर निर्णय कौन करता है?
  6. अनुच्छेद 226 किससे संबंधित है?

मेंस लिंक:

राजनीतिक दलों को प्रतीक चिन्हों का आवंटन किस प्रकार किया जाता हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

इनर लाइन परमिट


संदर्भ:

चूंकि, पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में COVID-19 की स्थिति “नियंत्रण में” है और इसे देखते हुए, पर्यटन क्षेत्र को फिर से खोलने हेतु, अरुणाचल प्रदेश सरकार द्वारा यात्रियों के लिए ‘इनर लाइन परमिट’ (Inner Line Permits – ILP) और ‘संरक्षित क्षेत्र परमिट’ जारी करने पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया गया है।

इनर लाइन परमिट (ILP) क्या है?

इनर लाइन परमिट, गैर-मूल निवासियों के लिए ILP प्रणाली के अंतर्गत संरक्षित राज्य में प्रवेश करने अथवा ठहरने हेतु आवश्यक दस्तावेज होता है।

वर्तमान में, पूर्वोत्तर के चार राज्यों, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर और नागालैंड में ILP प्रणाली  लागू है। लक्षद्वीप में प्रवेश करने के लिए भी ‘इनर लाइन परमिट’ अनिवार्य है।

  • इनर लाइन परमिट के द्वारा, किसी गैर-मूल निवासी के लिए, राज्य में ठहरने की अवधि तथा भ्रमण करने के क्षेत्र को निर्धारित किया जाता है।
  • ILP को संबंधित राज्य सरकार द्वारा जारी किया जाता है और इसे ऑनलाइन या व्यक्तिगत रूप से आवेदन करके प्राप्त किया जा सकता है।

‘इनर लाइन परमिट’ केवल घरेलू पर्यटकों के लिए मान्य होता है।

‘इनर-लाइन परमिट’ का तर्काधार

इनर लाइन परमिट, ‘बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट’ (BEFR) 1873 का एक विस्तार है। यह अंग्रेजों द्वारा कुछ निर्दिष्ट क्षेत्रों में प्रवेश पर रोक लगाने वाले वाले नियम हैं।

  • अंग्रेजों द्वारा पूर्वोत्तर भारत पर कब्जा करने के बाद, उपनिवेशवादियों ने आर्थिक लाभ के लिए इस क्षेत्र और इसके संसाधनों का शोषण करना शुरू कर दिया।
  • उन्होंने सबसे पहले ब्रह्मपुत्र घाटी में चाय बागान लगाए और तेल उद्योग शुरू किए।
  • पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाली स्थानीय जनजातियाँ नियमित रूप से ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा स्थापित चाय बागानों, तेल के कुओं और व्यापारिक चौकियों पर लूटपाट की घटनाओं को अंजाम देती थी।
  • इसलिए ये नियम, ब्रिटिश शासन के हितों की सुरक्षा हेतु कुछ राज्यों में ‘ब्रिटिश प्रजा’ अर्थात भारतीयों को इन क्षेत्रों में व्यापार करने से रोकने हेतु बनाए गए थे, और इसी संदर्भ में BEFR 1873 को लागू किया गया था।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘इनर लाइन परमिट’ (ILP) और ‘संरक्षित क्षेत्र परमिट’ (Protected Area Permit- PAP) के बीच अंतर जानते हैं?

current affairs

 

प्रीलिम्स लिंक:

चूंकि इनर लाइन परमिट (ILP) अक्सर चर्चा में रहता है, अतः निम्नलिखित पर ध्यान केंद्रित करें:

  1. उत्तर-पूर्वी राज्यों से जुड़े मानचित्र आधारित प्रश्न।
  2. पूर्वोत्तर राज्य और उनके अंतर्राष्ट्रीय पड़ोसी।

मेंस लिंक:

भारत के पूर्वोत्तर  राज्यों में इनर लाइन परमिट (ILP) प्रणाली को लागू करने संबंधी मुद्दे और इस प्रणाली द्वारा भारत सरकार के समक्ष पेश की गयी दुविधा का विश्लेषण कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

चीन-ताइवान संबंध


संदर्भ:

ताइवान द्वारा, हाल ही में, 38 चीनी सैन्य जेट विमानों के उसके रक्षा हवाई क्षेत्र में उड़ान भरने के बारे में जानकारी दी गयी है। ताइवान का दावा है, कि यह बीजिंग द्वारा उसके क्षेत्र में की गयी सबसे बड़ी घुसपैठों में से एक है।

चीन और ताइवान के बीच हालिया झड़पें:

ताइवान के नागरिकों द्वारा, चीन की मुख्य भूमि के साथ राजनीतिक एकीकरण करने संबंधी ‘बीजिंग’ की मांग को जोरदार तरीके से खारिज किए जाने के बाद से चीन ने ताइवान पर राजनयिक, आर्थिक और सैन्य दबाव बढाता जा रहा है।

चीन ने काफी लंबे समय से ताइवान को संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भाग लेने से अवरुद्ध किया हुआ है और वर्ष 2016 में ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग-वेन के चुनाव के बाद से, इस तरह का दबाव और अधिक बढ़ा दिया है।

पृष्ठभूमि:

बीजिंग, ताइवान को चीन का एक प्रांत मानता है। वहीं ताइवान खुद को एक ‘संप्रभु राज्य’ मानता है। संप्रभुता, विदेशी संबंध और सैन्य-शक्ति निर्माण जैसे मुद्दों को लेकर, दोनों के बीच संबंध (China- Taiwan relations) ऐतिहासिक रूप से खट्टे रहे हैं।

चीन- ताइवान संबंध: पृष्ठभूमि

चीन, अपनी ‘वन चाइना’ (One China) नीति के जरिए ताइवान पर अपना दावा करता है। सन् 1949 में चीन में दो दशक तक चले गृहयुद्ध के अंत में जब ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ के संस्थापक माओत्से तुंग ने पूरे चीन पर अपना अधिकार जमा लिया तो विरोधी राष्ट्रवादी पार्टी के नेता और समर्थक ताइवान द्वीप पर भाग गए। इसके बाद से ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ ने ताइवान को बीजिंग के अधीन लाने, जरूरत पड़ने पर बल-प्रयोग करने का भी प्रण लिया हुआ है।

  • चीन, ताइवान का शीर्ष व्यापार भागीदार है। वर्ष 2018 के दौरान दोनों देशों के मध्य 226 बिलियन डॉलर के कुल व्यापार हुआ था।
  • हालांकि, ताइवान एक स्वशासित देश है और वास्तविक रूप से स्वतंत्र है, लेकिन इसने कभी भी औपचारिक रूप से चीन से स्वतंत्रता की घोषणा नहीं की है।
  • एक देश, दो प्रणाली” (one country, two systems) सूत्र के तहत, ताइवान, अपने मामलों को खुद संचालित करता है; हांगकांग में इसी प्रकार की समान व्यवस्था का उपयोग किया जाता है।

वर्तमान में, चीन, ताइवान पर अपना दावा करता है, और इसे एक राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले देशों के साथ राजनयिक संबंध नहीं रखने की बात करता है।

भारत-ताइवान संबंध

  • यद्यपि भारत-ताइवान के मध्य औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, फिर भी ताइवान और भारत विभिन्न क्षेत्रों में परस्पर सहयोग कर रहे हैं।
  • भारत ने वर्ष 2010 से चीन की ‘वन चाइना’ नीति का समर्थन करने से इनकार कर दिया है।

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इंस्टा जिज्ञासु:

चीन द्वारा “एक देश, दो प्रणाली” (one country, two systems) पद्धति के तहत किन सभी क्षेत्रों का प्रशासन किया जाता है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ताइवान की अवस्थिति और इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
  2. वन चाइना नीति के तहत चीन द्वारा प्रशासित क्षेत्र
  3. क्या ताइवान का WHO और संयुक्त राष्ट्र में प्रतिनिधित्व किया गया है?
  4. दक्षिण चीन सागर में स्थित देश
  5. कुइंग राजवंश (Qing dynasty)

मेंस लिंक:

भारत- ताइवान द्विपक्षीय संबंधों पर एक टिप्पणी लिखिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद


संदर्भ:

हाल ही में, उत्तर कोरिया ने ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (United Nations Security Council – UNSC) को अलग-थलग किए जा चुके अपने देश के मिसाइल कार्यक्रम की आलोचना करने के खिलाफ चेतावनी दी है।

संबंधित प्रकरण:

उत्तर कोरिया ने ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) को चेतावनी देते हुए कहा है, कि यदि ‘परिषद्’ द्वारा उत्तर कोरिया की संप्रभुता का अतिक्रमण करने की कोशिश की जाएगी तो उसे भविष्य में इसके परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

साथ ही, उत्तर कोरिया ने संयुक्त राष्ट्र निकाय पर “दोहरे व्यवहार के मानक” अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा है, कि ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’, अमेरिका और उसके सहयोगियों देशों द्वारा ‘समान हथियारों के परीक्षण करने पर समान रूप से मुद्दा नहीं उठाता है।

पृष्ठभूमि:

छह महीने के अंतराल के बाद, उत्तर कोरिया ने सितंबर में फिर से मिसाइल परीक्षण शुरू कर दिया है और कई नई मिसाइलों सहित दक्षिण कोरिया और जापान तक मार करने में सक्षम परमाणु-सक्षम हथियारों को विकसित किया है।

वर्तमान परिदृश्य:

चूंकि उत्तर कोरिया द्वारा अपनी बैलिस्टिक मिसाइलों को परमाणु हथियारों से लैस किया जा रहा था, इसे देखते हुए ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के कई प्रस्तावों के तहत, उत्तर कोरिया के लिए किसी भी बैलिस्टिक मिसाइल गतिविधियों में शामिल होने से प्रतिबंधित कर दिया गया था।

‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) के बारे में:

  • ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर’ द्वारा ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) सहित संयुक्त राष्ट्र के छह मुख्य अंगों की स्थापना की गई है।
  • चार्टर के तहत, सुरक्षा परिषद को निर्णय लेने की शक्ति दी गई है, और इसके निर्णय सदस्य-राष्ट्रों के लिए बाध्यकारी होते है।
  • स्थायी और गैर-स्थायी सदस्य: ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ में कुल 15 सदस्य होते हैं, जिनमे 5 सदस्य स्थायी और 10 अस्थायी सदस्य होते है।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ द्वारा हर साल, दो वर्ष के कार्यकाल हेतु पांच अस्थायी सदस्यों का चुनाव किया जाता है।

‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ की अध्यक्षता के बारे में:

  1. ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ की अध्यक्षता (Security Council Presidency), सदस्य राष्ट्रों द्वारा अपने नामों के अंग्रेजी वर्णानुक्रमानुसार बारी-बारी से एक महीने के लिए की जाती है।
  2. ‘सुरक्षा परिषद’ 15 सदस्य-राष्ट्रों के मध्य मासिक रूप से यह क्रम जारी रहता है।
  3. सदस्य-देश के प्रतिनिधिमंडल के प्रमुख को ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के अध्यक्ष के रूप में जाना जाता है।
  4. ‘सुरक्षा परिषद’ का अध्यक्ष, परिषद के कार्यों का समन्वय करने, नीतिगत विवादों पर निर्णय करने और कभी-कभी परस्पर विरोधी समूहों के बीच एक राजनयिक या मध्यस्थ के रूप में कार्य करता है।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्तावित सुधार:

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में पाँच प्रमुख मुद्दों पर सुधार किया जाना प्रस्तावित है:

  1. सदस्यता की श्रेणियां,
  2. पांच स्थायी सदस्यों को प्राप्त वीटो पॉवर का प्रश्न,
  3. क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व,
  4. विस्तारित परिषद का आकार और इसकी कार्यप्रणाली, और,
  5. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद एवं संयुक्त राष्ट्र महासभा के मध्य संबंध।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता हेतु प्रमुख बिंदु:

  1. भारत, संयुक्त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य है।
  2. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, कि विभिन्न अभियानों में तैनात, भारत के शांति सैनिकों की संख्या, P5 देशों की तुलना में लगभग दोगुनी है।
  3. भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश भी है।
  4. मई 1998 में भारत को एक परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र (Nuclear Weapons State – NWS) का दर्जा प्राप्त हुआ था, और वह मौजूदा स्थायी सदस्यों के समान परमाणु हथियार संपन्न है, इस आधार पर भी भारत सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का स्वभाविक दावेदार बन जाता है।
  5. भारत, तीसरी दुनिया के देशों का निर्विवाद नेता है, और यह ‘गुटनिरपेक्ष आंदोलन’ और जी-77 समूह में भारत द्वारा नेतृत्व की भूमिका से सपष्ट परिलक्षित होता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने “कॉफी क्लब” के बारे में सुना है? यह 40 सदस्य देशों का एक अनौपचारिक समूह है। इसके क्या उद्देश्य हैं?

क्या आप जानते हैं कि:

  • हाल ही में, भारत ने अगस्त माह के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ (UNSC) की क्रमिक अध्यक्षता (rotating Presidency) ग्रहण की थी।
  • ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के अध्यक्ष के रूप में, भारत का यह दसवां कार्यकाल था।
  • भारत, वर्तमान में 2021-22 कार्यकाल के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ का एक ‘गैर-स्थायी सदस्य’ भी है, और इस दौरान भारत, पहली बार UNSC का अध्यक्ष बना था।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के बारे में।
  2. सदस्य
  3. चुनाव
  4. कार्य
  5. UNSC प्रेसीडेंसी के बारे में
  6. संयुक्त राष्ट्र चार्टर के बारे में

मेंस लिंक:

‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ में सुधारों की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

जल जीवन मिशन (JJM)


संदर्भ:

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर, 2021 को गांधी जयंती के अवसर पर हितधारकों को और जागरूक बनाने तथा मिशन के तहत योजनाओं की अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए जल जीवन मिशन (JJM) मोबाइल एप्लिकेशन का शुभारंभ किया है।

प्रधान मंत्री ने ‘राष्ट्रीय जल जीवन कोष’ की भी शुरुआत की, जिसमे कोई भी व्यक्ति, संस्था, निगम, या परोपकारी, चाहे वह भारत में हो या विदेश में, प्रत्येक ग्रामीण घर, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र, आश्रम शाला और अन्य सार्वजनिक संस्थानों में नल से जल पहुँचाने में मदद करने के लिए योगदान दे सकता है।

‘जल जीवन मिशन’ के बारे में:

  • ‘जल जीवन मिशन’ (Jal Jeevan Mission) के तहत वर्ष 2024 तक सभी ग्रामीण घरों में, कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (Functional House Tap Connections- FHTC) के माध्यम से प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर जल की आपूर्ति की परिकल्पना की गई है।
  • यह अभियान, जल शक्ति मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किया जा रहा है।

इसके अंतर्गत निम्नलिखित कार्यो को शामिल किया गया है:

  1. गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों, सूखा प्रवण और रेगिस्तानी क्षेत्रों के गांवों, सांसद आदर्श ग्राम योजना (SAGY) के अंतर्गत आने वाले गांवों, आदि में कार्यात्मक घरेलू नल कनेक्शन (FHTC) लगाए जाने को प्राथमिकता देना।
  2. स्कूलों, आंगनवाड़ी केंद्रों, ग्राम पंचायत भवनों, स्वास्थ्य केंद्रों, कल्याण केंद्रों और सामुदायिक भवनों के लिए कार्यात्मक नल कनेक्शन की सुविधा प्रदान करना।
  3. जल-गुणवत्ता की समस्या वाले स्थानों को प्रदूषण-मुक्त करने के लिए तकनीकी हस्तक्षेप।

कार्यान्वयन:

  • ‘जल जीवन मिशन’, जल के प्रति सामुदायिक दृष्टिकोण पर आधारित है और इसके तहत मिशन के प्रमुख घटक के रूप में व्यापक जानकारी, शिक्षा और संवाद को शामिल किया गया है।
  • इस मिशन का उद्देश्य, जल के लिए एक जन-आंदोलन तैयार करना है, जिसके द्वारा यह हर किसी की प्राथमिकता में शामिल हो जाए।
  • इस मिशन के लिए, केंद्र और राज्यों द्वारा, हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90:10; अन्य राज्यों के लिए 50:50 के अनुपात में; और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केंद्र सरकार द्वारा 100% वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।

योजना के अंतर्गत प्रदर्शन:

अब तक, 772,000 (76 प्रतिशत) स्कूलों और 748,000 (67.5 प्रतिशत) आंगनवाड़ी केंद्रों में ‘नल के पानी की आपूर्ति’ सुनिश्चित की जा चुकी है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि गांव की जलापूर्ति प्रणालियों की योजना, क्रियान्वयन, प्रबंधन, संचालन और रखरखाव के लिए ‘जल जीवन मिशन’ का प्रबंधन ‘पानी समितियों’ द्वारा किया जाता है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘जल जीवन मिशन’ का लक्ष्य
  2. कार्यान्वयन
  3. राशि आवंटन

मेंस लिंक:

‘जल जीवन मिशन’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

 विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) संशोधन नियम, 2021 मसौदा


संदर्भ:

हाल ही में 30 सितंबर, 2021 को, ‘विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) संशोधन नियम, 2021’ का मसौदा (Draft Electricity (Rights of Consumers) Amendment Rules, 2021) प्रकाशित किया गया था।

कृपया ध्यान दें, कि इस ‘मसौदा संशोधन’ द्वारा ‘विद्युत (उपभोक्ता के अधिकार) नियम, 2020’ में कुछ प्रमुख परिवर्धन और संशोधन किए गए हैं।

नए नियमों का अवलोकन:

  • वितरण लाइसेंसधारियों के लिए सभी उपभोक्ताओं को 24×7 निर्बाध बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करनी चाहिए, जिससे बिजली आपूर्ति के लिए ‘डीजल-चालित’ जेनरेटिंग सेट चलाने की कोई आवश्यकता न हो।
  • बिजली नियामक आयोग, द्वारा वितरण कंपनी को बुनियादी ढांचे में निवेश के लिए धन की आवश्यकता होने पर, एक अलग विश्वसनीयता शुल्क पर विचार किया जा सकता है।
  • वितरण कंपनी द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करने की स्थिति में राज्य विद्युत नियामक आयोग द्वारा भी वितरण कंपनी पर दंड लगाए जाने का प्रावधान किया जा सकता है।

 

विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) नियम, 2020:

हाल ही में, केंद्रीय विद्युत मंत्रालय द्वारा देश में विद्युत उपभोक्‍ता अधिकारों को निर्धारित करते हुए नियम लागू किए गए थे। ये नियम उपभोक्ताओं के गुणवत्तापूर्ण, विश्वसनीय और विद्युत् की निरंतर आपूर्ति के अधिकार को सशक्त बनाएँगे।

विद्युत (उपभोक्ता अधिकार) नियमों में निम्‍नलिखित प्रमुख क्षेत्रों को कवर किया गया हैं:

  1. उपभोक्‍ताओं के अधिकारों तथा वितरण लाइसेंसियों के दायित्‍व
  2. नया कनेक्‍शन जारी करना तथा वर्तमान कनेक्‍शन में संशोधन
  3. मीटर प्रबंधन
  4. बिलिंग और भुगतान
  5. डिस्‍कनेक्‍शन और रिकनेक्‍शन
  6. सप्‍लाई की विश्‍वसनीयता
  7. प्रोज्‍यूमर के रूप में कन्‍ज्‍यूमर
  8. लाइसेंसी के कार्य प्रदर्शन मानक
  9. मुआवजा व्‍यवस्‍था
  10. उपभोक्‍ता सेवाओं के लिए कॉल सेन्‍टर
  11. शिकायत समाधान व्‍यवस्‍था

प्रमुख प्रावधान:

  1. सभी राज्यों के लिए इन नियमों को लागू करना अनिवार्य होगा और बिजली के कनेक्शन प्रदान करने और नवीनीकरण में देरी जैसे मुद्दों के लिए डिस्कॉम को जवाबदेह ठहराया जाएगा।
  2. विद्युत मंत्रालय के अनुसार, सभी राज्य उपभोक्ताओं को चौबीसों घंटे बिजली देने के लिए भी बाध्य होंगे।
  3. नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु सरकार उत्तरदायी इकाईयों पर दंड लगायेगी जिसे उपभोक्ता के खाते में जमा किया जाएगा।
  4. इन नियमों के तहत कृषि प्रयोजनों के लिए उपयोग के संबंध में कुछ अपवाद भी शामिल किये गए हैं।

पृष्ठभूमि:

विद्युत्, समवर्ती सूची (सातवीं अनुसूची) का एक विषय है और केंद्र सरकार को इस विषय पर कानून बनाने की शक्ति और अधिकार प्राप्त है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. 7 वीं अनुसूची के तहत विद्युत्
  2. सातवीं अनुसूची के तहत विषय।
  3. राज्य कानून के केंद्रीय कानून के विरोध में होने की स्थिति में क्या होता है?

मेंस लिंक:

विद्युत (उपभोक्ताओं के अधिकार) संशोधन नियमों के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: डाउन टू अर्थ।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


राष्ट्रीय सत्य एवं सुलह दिवस

हाल ही में, कनाडा द्वारा देश के ‘मूल निवासी आवासीय स्कूलों’, परिवारों और समुदायों के मृत बच्चों और बचे लोगों की स्मृति में ‘30 सितंबर’ को ‘राष्ट्रीय सत्य एवं सुलह दिवस’ (National Day for Truth and Reconciliation) के रूप में घोषित किया गया है।

  • इस अवकाश का उद्देश्य ‘मूल निवासी बच्चों’ (Indigenous Children) के इतिहास और उनकी पीड़ा के बारे में सभी नागरिकों को जानकारी देना और याद दिलाना है।
  • ‘मूल निवासी बच्चों’ को उनकी संस्कृति और स्वतंत्रता से वंचित किए जाने को उजागर करने के लिए सभी नागरिकों को इस दिन ‘नारंगी रंग’ के वस्त्र पहनने के लिए प्रोत्साहित किया गया।

‘राष्ट्रीय सत्य एवं सुलह दिवस’ की शुरुआत की पृष्ठभूमि:

इस साल की शुरुआत में, कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया के ‘कमलूप्स इंडियन रेजिडेंशियल स्कूल’ के 215 ‘मूल निवासी छात्रों’ के सैकड़ों अचिह्नित कब्रे मिली थी। इस घटना से देश में राष्ट्रीय स्तर पर आक्रोश फैल गया और मूल निवासी समूहों को इस तरह की सामूहिक कब्रों की पूरे देश में खोज करने के लिए प्रेरित किया।

  • कनाडा के ‘सत्य एवं सुलह आयोग’ (Truth and Reconciliation Commission – TRC) ने इसके बाद यह निष्कर्ष निकाला, कि इस प्रकार के आवासीय विद्यालय ” आदिवासी समुदायों का अलग लोगों के रूप में अस्तित्व ख़त्म करने के उद्देश्य से, आदिवासी संस्कृतियों और भाषाओं को नष्ट करने और आदिवासी लोगों को अपनी जीवन-शैली आत्मसात करने पर विवश करने के लिए एक व्यवस्थित, सरकार द्वारा प्रायोजित प्रयास था।”
  • आयोग ने इन स्कूलों के संचालन और उद्देश्य को “सांस्कृतिक नरसंहार” के समान घोषित किया है।
  • बाद में, मृत छात्रों और व्यक्तियों की स्मृति में कार्यवाही की मांग (कॉल टू एक्शन) की गयी। फिर, कनाडा की संसद ने ‘कानूनी रूप से इस दिन को ‘संघीय अवकाश’ घोषित किए जाने की मंजूरी दे दी।

 

अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस 2021

प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर को ‘अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस’ मनाया जाता है।

  • उद्देश्य: कॉफी बीन्स के किसानों की दुर्दशा को समझना और सुगंधित पेय के प्रति अपने प्यार का इजहार करना।
  • इसे पहली बार जापान में मनाया गया था, बाद में आधिकारिक तौर पर वर्ष 2015 में अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस के रूप में घोषित किया गया था।
  • दिन का महत्व: 1963 में लंदन में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय कॉफी संगठन ने पहली बार 1 अक्टूबर 2015 को अंतर्राष्ट्रीय कॉफी दिवस घोषित किया। तब से, यह दिन पूरी दुनिया में मनाया जाता है।

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गेमिंग डिसऑर्ड

इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज (ICD-11) के 11वें संशोधन में ‘गेमिंग डिसऑर्डर’ (Gaming disorder) को ‘गेमिंग व्यवहार’ (“डिजिटल-गेमिंग” या “वीडियो-गेमिंग”) के एक पैटर्न के रूप में परिभाषित किया गया है। इसमें ‘गेमिंग’ के प्रति बिगड़ा हुआ नियंत्रण और गेमिंग को दी जाने वाली प्राथमिकता में वृद्धि आदि को इसके लक्षणों में शामिल किया गया है।

पृष्ठभूमि:

WHO ने वर्ष 2018 के मध्य में ‘रोगों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण’ (ICD-11) का 11वां संशोधन जारी किया गया था।

ICD क्या है?

रोगों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (International Classification of Diseases – ICD), विश्व स्तर पर स्वास्थ्य प्रवृत्तियों और आंकड़ों की पहचान करने तथा बीमारियों और स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में रिपोर्ट करने के लिए ‘अंतर्राष्ट्रीय मानक आधार’ है।

  • इसका उपयोग दुनिया भर के चिकित्सकों द्वारा ‘स्थितियों का निदान करने’ के लिए और शोधकर्ताओं द्वारा स्थितियों को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है।
  • ICD में किसी विकार को शामिल किए जाने के बाद, देशों द्वारा सार्वजनिक स्वास्थ्य रणनीतियों की योजना बनाते समय इन विकारों की प्रवृत्तियों को ध्यान में रखा जाता है।

current affairs

 ब्रह्मपुत्र विरासत केंद्र

असम के गुवाहाटी में लगभग 150 साल पुराने बंगले में, ‘ब्रह्मपुत्र नदी विरासत केंद्र’ (Brahmaputra River Heritage Centre) की स्थापना की गई है।

यह बंगला, 17वीं सदी में अहोम शासकों का ‘सैन्य कार्यालय’ हुआ करता था।

  • इसे बड़फुकनार टीला (Barphukanar Tila) भी कहा जाता था, जिसका अर्थ है बड़फुकन की पहाड़ी।
  • ‘बड़फुकन’, अहोम राजा प्रताप सिम्हा या सुसेंगफा (1603-1641) द्वारा सृजित गवर्नर जनरल के समकक्ष पद था।
  • ब्रह्मपुत्र के नजदीक स्थित इस पहाड़ी का उल्लेख प्राचीन धर्मग्रंथों में मंदराचल के रूप में किया गया है। इसी स्थान से मार्च 1671 में अहोम सेनापति ‘लचित बड़फुकन’ ने सरायघाट की लड़ाई शुरू की थी, जिसमे उसने मुगलों को बुरी तरह पराजित किया था।
  • सरायघाट को “नदी में लड़ी गई अब तक की सबसे बड़ी नौसैनिक लड़ाई” के रूप में माना जाता है।

 


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