विषय सूची:
सामान्य अध्ययन–II
1. ‘भुलाए जाने के अधिकार’ पर दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणी
2. पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर
3. WHO की पूर्व-अहर्ता या आपातकालीन उपयोग सूची
सामान्य अध्ययन–III
1. राष्ट्रीय अभियंता दिवस
2. गगनयान मिशन
3. अनुसूचित जाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. हिंदी दिवस
2. शांतिपूर्ण मिशन युद्धाभ्यास
सामान्य अध्ययन- II
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
‘भुलाए जाने के अधिकार’ पर दिल्ली उच्च न्यायालय की टिप्पणी
संदर्भ:
पिछले हफ्ते, दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा इस दृष्टिकोण को बरकरार रखा गया, कि “निजता के अधिकार” में ‘भुलाए जाने का अधिकार’ (Right to be Forgotten) और “अकेला छोड़ दिए जाने का अधिकार” (Right to be Left Alone) अंतर्निहित होते है।
अदालत ने एक अनाम बंगाली अभिनेता द्वारा दायर एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान पारित आदेश में यह टिप्पणी की थी।
पृष्ठभूमि:
वर्ष 2008 में रियलिटी टीवी शो ‘बिग बॉस’ और ‘एमटीवी रोडीज़ 5.0’ के विजेता ‘आशुतोष कौशिक’ ने इसी वर्ष जुलाई में दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी, जिसमे उसने अपने ‘भुलाए जाने का अधिकार’’ (Right to be Forgotten) का हवाला देते हुए, उसके वीडियो, फोटो और संबधित लेखों आदि को इंटरनेट से हटाने की मांग की थी।
भारतीय संदर्भ में ‘भुलाए जाने का अधिकार’:
- ‘भुलाए जाने का अधिकार’ (Right to be Forgotten), व्यक्ति के ‘निजता के अधिकार’ के दायरे में आता है।
- वर्ष 2017 में, सुप्रीम कोर्ट द्वारा अपने एक ऐतिहासिक फैसले (पुत्तुस्वामी मामले) में ‘निजता के अधिकार’ को एक ‘मौलिक अधिकार’ (अनुच्छेद 21 के तहत) घोषित कर दिया गया था।
- अदालत ने उस समय कहा था कि “निजता का अधिकार ‘अनुच्छेद 21’ के तहत ‘जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार’ के अंतर्भूत हिस्से के रूप में, और संविधान के भाग III द्वारा गारंटीकृत ‘स्वतंत्रता’ के एक भाग के रूप में रक्षित है।”
इस संदर्भ में ‘निजी डेटा सुरक्षा विधेयक’ के अंतर्गत किए गए प्रावधान:
‘निजता का अधिकार’, ‘निजी डेटा सुरक्षा विधेयक’ (Personal Data Protection Bill) द्वारा प्रशासित होता है, यद्यपि यह विधेयक अभी संसद में लंबित है।
- इस ‘विधेयक’ में विशिष्ट रूप से “भुलाए जाने के अधिकार” के बारे में बात की गई है।
- मोटे तौर पर, ‘भुलाए जाने के अधिकार’ के तहत, उपयोगकर्ता ‘डेटा न्यासियों’ (data fiduciaries) द्वारा जमा की गई अपनी व्यक्तिगत जानकारी को डी-लिंक या सीमित कर सकते है तथा इसे पूरी तरह से हटा भी सकते है या जानकारी को सुधार के साथ दिखाए जाने के लिए इसे सही भी कर सकते हैं।
विधेयक में इस प्रावधान से संबंधित विवाद:
- इस प्रावधान के साथ मुख्य मुद्दा यह है, कि व्यक्तिगत डेटा और जानकारी की संवेदनशीलता को संबंधित व्यक्ति द्वारा स्वतंत्र रूप से निर्धारित नहीं किया जा सकता है, बल्कि ‘डेटा संरक्षण प्राधिकरण’ (Data Protection Authority – DPA) द्वारा इसका निरीक्षण किया जाएगा।
- इसका मतलब यह है, कि हालांकि मसौदा विधेयक में किए गए प्रावधान के अनुसार, उपयोगकर्ता अपने निजी डेटा को इंटरनेट से हटाने की मांग कर सकता है, लेकिन उसका यह अधिकार ‘डेटा संरक्षण प्राधिकरण’ (DPA) के लिए काम करने वाले न्यायनिर्णायक अधिकारी की अनुमति के अधीन होगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
एक ओर, अनुच्छेद 21 “भुलाए जाने के अधिकार” को संविधान के अंर्तगत समाहित किए जाने का मार्ग प्रशस्त करता है, दूसरी ओर, अनुच्छेद 19 इस प्रावधान के लिए एक बाधा के रूप में खड़ा है। इस विरोधाभास के बारे में जानने हेतु पढ़िए।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘भुलाए जाने का अधिकार’ के बारे में।
- ‘निजता का अधिकार’ क्या है?
- ‘निजी डेटा संरक्षण विधेयक’ की मुख्य विशेषताएं।
मेंस लिंक:
‘भुलाए जाने का अधिकार’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर
(Pakistan Occupied Kashmir)
संदर्भ:
हाल ही में ‘पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर’ (Pakistan Occupied Kashmir – PoK) के पालांदरी क्षेत्र में सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने वहां की सड़कों पर पाकिस्तानी चंगुल से आजादी की मांग की।
संबंधित प्रकरण:
प्रदर्शनकारियों ने इस्लामाबाद पर पिछले सात दशकों से उनके साथ ‘दोयम दर्जे के नागरिकों की तरह व्यवहार करने’ और उनके अधिकारों को कुचलने का आरोप लगाया है। इसके अतिरिक्त, प्रदर्शन करने वाले लोगों ने, पाकिस्तान के प्रशासन पर नागरिकों का राजनीतिक और आर्थिक शोषण करने का भी आरोप लगाया है।
‘पाक अधिकृत कश्मीर’ की वर्तमान स्थिति:
- ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (PoK) को पाकिस्तान में “आजाद जम्मू और कश्मीर” (संक्षेप में “AJK”) कहा जाता है।
- भारत और पाकिस्तान के बीच वर्ष 1949 के हुए युद्धविराम के बाद ‘PoK’ अपने अस्तित्व में आया था।
- इस क्षेत्र में, तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य के कुछ हिस्से शामिल हैं, जिन पर वर्ष 1949 में पाकिस्तानी सेना का कब्जा था।
- ‘पीओके’ पर पाकिस्तान की संवैधानिक स्थिति यह है, कि यह देश का हिस्सा नहीं है, बल्कि कश्मीर का “विमुक्त” (liberated) हिस्सा है।
हालाँकि, पाकिस्तान संविधान के अनुच्छेद 257 में कहा गया है. कि “जब जम्मू और कश्मीर राज्य के लोग पाकिस्तान में शामिल होने का निर्णय लेंगे, तब पाकिस्तान और राज्य के बीच संबंध, उस राज्य के निवासियों की इच्छा के अनुसार निर्धारित किए जाएंगे।”
‘पाक अधिकृत कश्मीर’ की राजनीतिक संरचना और इसका प्रशासन:
पाकिस्तान के संविधान में देश के चार प्रांतों – पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा को सूचीबद्ध किया गया है।
- सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए, ‘पीओके’ को पाकिस्तान सरकार द्वारा पूर्णतः शक्तिमान ‘कश्मीर परिषद’ के माध्यम से प्रशासित किया जाता है। कश्मीर परिषद्, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में 14 नामित सदस्यों का एक निकाय है।
- ‘पीओके’ की विधानसभा का कार्यकाल पांच साल का होता है। विधायकों द्वारा इस क्षेत्र के लिए एक “प्रधान मंत्री” और “राष्ट्रपति” का चुनाव किया जाया है।
- प्रत्यक्षतः ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (PoK) एक स्वायत्त, स्वशासी क्षेत्र है, किंतु वास्तविक रूप में, कश्मीर के सभी मामलों पर अंतिम निर्णय पाकिस्तानी सेना द्वारा लिए जाते है।
पीओके पर भारत का रुख:
- ‘पीओके’ भारत का एक अभिन्न अंग है, यह तथ्य वर्ष 1947 से लगातार हमारी नीति का भाग रहा है।
- भारत ने दुनिया को यह भी स्पष्ट कर दिया है, कि पीओके से जुड़ा कोई भी मामला भारत का आंतरिक मामला है।
कृपया ध्यान दें, कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (PoK) नव निर्मित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का हिस्सा है, और गिलगित-बाल्टिस्तान, भारत सरकार द्वारा जारी नवीनतम मानचित्रों में केंद्र शासित प्रदेश ‘लद्दाख’ का भाग है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि ‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (PoK) में होने वाले चुनावों में शरणार्थियों के लिए 12 सीटें आरक्षित हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- पीओके की अवस्थिति
- इससे होकर बहने वाली नदियाँ
- इसके निकटवर्ती देश / राज्य
- विलय के दस्तावेज
मेंस लिंक:
‘पाक अधिकृत कश्मीर’ (PoK) भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
WHO की पूर्व-अहर्ता या आपातकालीन उपयोग सूची
संदर्भ:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), इस सप्ताह ‘भारत बायोटेक’ द्वारा निर्मित ‘कोवैक्सिन’ टीके को आपातकालीन उपयोग सूची (Emergency Use Listing – EUL) में शामिल करने पर निर्णय ले सकता है।
आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल होने से, इस वैक्सीन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और विदेश यात्रा करने के इच्छुक लोगों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
पृष्ठभूमि:
किसी भी वैक्सीन उत्पादक कंपनी द्वारा ‘कोवक्स’ (COVAX) अथवा ‘अंतरराष्ट्रीय अधिप्राप्ति’ (International Procurement) जैसी वैश्विक सुविधाओं के लिए टीकों की आपूर्ति करने हेतु, उन टीकों का विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ‘पूर्व-अहर्ता’ (pre-qualification) या ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ (Emergency Use Listing – EUL) में शामिल होना अनिवार्य है।
- अब तक आठ टीकों को WHO की ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ ( EUL) में शामिल किया जा चुका है।
- WHO द्वारा शीघ्र ही ‘भारत बायोटेक’ द्वारा निर्मित ‘कोवैक्सिन’ को EUL सूची में शामिल करने पर निर्णय लिया जाएगा।
WHO की ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ (EUL) के बारे में:
विश्व स्वास्थ्य संगठन’ की ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ (Emergency Use Listing- EUL), गैर- लाइसेंसशुदा टीकों, चिकित्सा-विधानों (Therapeutics) तथा ‘परखनली में किए गए निदानों’ (in vitro diagnostics) का आकलन करने और सूचीबद्ध करने के लिए एक जोखिम-आधारित प्रक्रिया है।
इसका प्रमुख उद्देश्य, किसी सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान प्रभावित लोगों के लिए इन उत्पादों को उपलब्ध कराने संबंधी प्रकिया को तेज करना होता है।
- यह सूची, उपलब्ध गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावकारिता और प्रदर्शन आंकड़ों के आधार पर विशिष्ट उत्पादों का उपयोग करने संबंधी स्वीकार्यता निर्धारित करने में संयुक्त राष्ट्र की इच्छुक खरीद एजेंसियों और सदस्य देशों की सहायता करती है।
WHO सूची में शामिल होने के लिए निम्नलिखित मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है:
- जिस बीमारी के लिए किसी उत्पाद को ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ में शामिल करने हेतु आवेदन किया गया है, वह बीमारी, गंभीर, जीवन के लिए तत्काल संकट उत्पन्न करने वाली, प्रकोप, संक्रामक रोग या महामारी फैलाने में सक्षम होनी चाहिए। इसके अलावा, उत्पाद को ‘आपातकालीन उपयोग सूची’ मूल्यांकन हेतु विचार करने हेतु उचित आधार होने चाहिए, जैसेकि बीमारी से निपटने, अथवा आबादी के किसी उपभाग (जैसेकि, बच्चे) के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त उत्पाद उपलब्ध नहीं है।
- मौजूदा उत्पाद (टीके और दवाईयां), बीमारी को खत्म करने या प्रकोप को रोकने में विफल रहे हैं।
- उत्पाद का निर्माण, दवाओं और टीकों के मामले में वर्तमान अच्छी विनिर्माण पद्धतियों (Good Manufacturing Practices- GMP) का अनुपालन करते हुए और ‘इन विट्रो डायग्नोस्टिक्स’ (IVD) के मामले में कार्यात्मक ‘गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली’ (QMS) के तहत किया गया होना चाहिए।
- आवेदक को उत्पाद के विकास (IVD के मामले में उत्पाद की पुष्टि और सत्यापन) को पूरा करने के लिए वचनबद्ध होना तथा लाइसेंस प्राप्त होने के बाद उत्पाद के लिए WHO से पूर्व-योग्यता (prequalification) हासिल करने हेतु आवेदन करना आवश्यक है।
इंस्टा जिज्ञासु:
आपातकालीन उपयोग प्राधिकरण (Emergency Use Authorisation – EUA) क्या है? भारत में इसे कैसे विनियमित किया जाता है?
प्रीलिम्स लिंक:
- यूरोपीय संघ- संरचना और उद्देश्य।
- WHO की आपातकालीन उपयोग सूची (EUL) के बारे में।
- लाभ
- अहर्ता
मेंस लिंक:
WHO की आपातकालीन उपयोग सूची (EUL) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: विज्ञान और प्रौद्योगिकी- दैनिक जीवन में विकास और उनके अनुप्रयोग और प्रभाव विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण और नई तकनीक विकसित करना।
राष्ट्रीय अभियंता दिवस
(National Engineer’s day)
संदर्भ:
हर साल 15 सितंबर को, भारत श्रीलंका और तंजानिया में महान इंजीनियर ‘मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया’ (Mokshagundam Visvesvaraya) की उपलब्धियों को मान्यता देने और उनका सम्मान करने के लिए राष्ट्रीय अभियंता दिवस मनाया जाता है।
- यह दिवस, इंजीनियरों के महान कार्यों का अभिनंदन करने और उन्हें सुधार और नवाचार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए मनाया जाता है।
- ‘एम विश्वेश्वरैया’ का जन्म 15 सितंबर, 1861 को कर्नाटक के मुद्दनहल्ली गांव में हुआ था और इस साल इनकी 160वीं जयंती है।
सर एम विश्वेश्वरैया के बारे में:
- सिंचाई तकनीकों और बाढ़ आपदा प्रबंधन के विशेषज्ञ, ‘सर एम विश्वेश्वरैया’ एक महान सिविल इंजीनियर थे, और इसके अलावा उन्होंने वर्ष 1912 से 1919 के मध्य मैसूर के 19वें दीवान के रूप में भी राज्य की सेवा की।
- मैसूर के दीवान के रूप में सेवा करते हुए, वर्ष 1915 में उन्हें ‘किंग जॉर्ज पंचम’ द्वारा ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य के कमांडर के रूप में ‘नाइट‘ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
प्रमुख योगदान:
- इन्होने वर्ष 1903 में पुणे के समीप खड़कवासला जलाशय में ‘पानी के वहाव को रोकने हेतु दरवाजे’ (water floodgates) सहित सिंचाई प्रणाली को स्थापित किया और इसका पेटेंट कराया।
- ग्वालियर के तिगरा बांध और मैसूरु के कृष्णराज सागर (KRS) बांध में भी यही प्रणाली स्थापित की गई थी। जिसके बाद ‘कृष्णराज सागर बांध’ उस समय एशिया के सबसे बड़े जलाशयों में से एक बन गया था।
- उन्होंने वर्ष 1917 में बैंगलोर में सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस कॉलेज का नाम बाद में उनके नाम पर ‘यूनिवर्सिटी विश्वेश्वरैया कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग’ (UVCE) कर दिया गया।
- उन्होंने ‘तिरुमाला और तिरुपति’ के बीच सड़क निर्माण की योजना तैयार की थी।
- उन्होंने विशाखापत्तनम बंदरगाह को समुद्री कटाव से बचाने के लिए एक प्रणाली विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- उन्होंने मैसूर राज्य में कई नई रेलवे लाइनों को भी चालू किया।
- उन्होंने 1895 में ‘सुक्कुर नगर पालिका’ के लिए वाटरवर्क्स का डिजाइन और निर्माण किया था।
इनकी विरासत:
- भारत के निर्माण में उनके योगदान के लिए, सरकार ने उन्हें वर्ष 1955 में भारत के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न‘ से सम्मानित किया।
- द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल किए जाने वाले एक बख्तरबंद वाहन का टाटा स्टील के इंजीनियरों द्वारा अविष्कार किया था, यह वाहन गोलियों का सामना करने में सक्षम था। इस आविष्कार में सर विश्वेश्वरैया का महत्वपूर्ण योगदान था, इसे चिह्नित करते हुए वर्ष 2018 में, गूगल ने उनके महत्वपूर्ण कार्यों की स्मृति में उनके जन्मदिन पर एक डूडल लॉन्च किया।
- उन्हें लगातार 50 वर्षों के लिए लंदन इंस्टीट्यूशन ऑफ सिविल इंजीनियर्स की मानद सदस्यता से सम्मानित किया गया।
उनके द्वारा लिखित पुस्तकें:
‘भारत का पुनर्निर्माण’ (Reconstructing India) और ‘भारत की नियोजित अर्थव्यवस्था’ (Planned Economy of India) ।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं, कि ‘राष्ट्रीय अभियंता दिवस’ 4 मार्च को यूनेस्को द्वारा प्रतिवर्ष मनाए जाने वाले ‘विश्व इंजीनियरिंग दिवस’ से अलग है?
स्रोत: द हिंदू।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
गगनयान
(Gaganyaan)
संदर्भ:
ऑस्ट्रेलिया भारत के ‘गगनयान मिशन’ (Gaganyaan Mission) में ‘कोकोस कीलिंग द्वीप’ (Cocos Keeling island) से निगरानी करने में सहयोग करेगा।
आवश्यकता एवं महत्व:
यदि कक्षा में स्थित उपग्रहों के पास जमीनी स्टेशन का स्पष्ट दृश्य नहीं होता है, तो वे अपनी जानकारी को पृथ्वी पर स्थित स्टेशन तक नहीं पहुंचा सकते हैं। उपग्रह की सूचनाओं को प्रसारित करने का कार्य ‘डेटा रिले उपग्रह’ करते है। अंतरिक्ष और पृथ्वी पर स्थित स्टेशन के मध्य कुछ ‘ब्लाइंड स्पॉट’ होने के कारण कई बार सिग्नल नहीं पहुंचते हैं। कोकोस कीलिंग द्वीप से डेटा रिले उपग्रह की निगरानी से इन मुद्दों के समाधान में मदद मिलेगी।
गगनयान कार्यक्रम की घोषणा कब की गई थी?
- गगनयान कार्यक्रम की औपचारिक घोषणा, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2018 को अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन के दौरान की थी।
- इसरो का लक्ष्य, भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पहले, 15 अगस्त, 2022 तक अपने पहले मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन, गगनयान को लॉन्च करना है।
उद्देश्य:
गगनयान कार्यक्रम का उद्देश्य, भारतीय प्रक्षेपण यान पर मानव को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की क्षमता प्रदर्शित करना है।
तैयारियां और प्रक्षेपण:
- गगनयान कार्यक्रम के एक भाग के रूप में चार भारतीय अंतरिक्ष यात्री-उम्मीदवार पहले ही रूस में सामान्य अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं।
- इस मिशन के लिए, इसरो के हैवी-लिफ्ट लॉन्चर ‘जी.एस.एल.वी. मार्क III’ (GSLV Mk III) को चिह्नित किया गया है।
भारत के लिए मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन की प्रासंगिकता:
उद्योगों को प्रोत्साहन: अत्यधिक मांग वाले अंतरिक्ष अभियानों में भागीदारी के माध्यम से भारतीय उद्योग को बड़े अवसर प्राप्त होंगे। गगनयान मिशन में प्रयुक्त लगभग 60% उपकरणों को भारतीय निजी क्षेत्र द्वारा निर्मित किया जाएगा।
रोजगार: इसरो प्रमुख के अनुसार, गगनयान मिशन 15,000 नए रोजगार के अवसर सृजित करेगा, उनमें से 13,000 रोजगार निजी उद्योग में होंगे। इसके अलावा, अंतरिक्ष संगठन के लिए 900 व्यक्तियों की अतिरिक्त श्रमशक्ति की आवश्यकता होगी।
प्रौद्योगिकी विकास: मानव सहित अंतरिक्ष उड़ानें, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सबसे आगे हैं। मानव-सहित अंतरिक्ष उड़ानों से मिलने वाली चुनौतियां और इन मिशनों को स्वीकार करने से भारत को काफी लाभ होगा और भारत में तकनीकी विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
अनुसंधान और विकास में प्रोत्साहन: इससे, अच्छे अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास को बढ़ावा मिलेगा। उचित उपकरणों सहित बड़ी संख्या में शोधकर्ताओं के शामिल होने से मानव सहित अंतरिक्ष उड़ानों (Human Space flights- HSF) से खगोल-जीव विज्ञान, संसाधन खनन, ग्रह रसायन विज्ञान, ग्रह कक्षीय अभिकलन और कई अन्य क्षेत्रों में महत्वपूर्ण अनुसंधानों का विस्तार होगा।
प्रेरणा: मानव-सहित अंतरिक्ष उड़ान, राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य लोगों के साथ-साथ युवाओं को प्रेरणा प्रदान करेगी। यह, युवा पीढ़ी को उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल करने के लिए प्रेरित करेगी और उन्हें भविष्य के कार्यक्रमों में चुनौतीपूर्व भूमिका निभाने में सक्षम करेगी।
प्रतिष्ठा: भारत, मानव-सहित अंतरिक्ष मिशन शुरू करने वाला चौथा देश होगा। गगनयान न केवल देश में प्रतिष्ठा लाएगा, बल्कि अंतरिक्ष उद्योग में एक प्रमुख भागीदार के रूप में भारत की भूमिका भी स्थापित करेगा।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप मीर स्पेस स्टेशन के बारे में जानते हैं? इसके बारे में जानकारी हेतु (संक्षेप में) पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- गगनयान के बारे में
- उद्देश्य
- जीएसएलवी के बारे में
मेंस लिंक:
गगनयान मिशन भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
अनुसूचित जाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम
संदर्भ:
हाल ही में ‘वन अधिकार अधिनियम’ (Forest Rights Act) के तहत जम्मू-कश्मीर में गुर्जर-बकरवाल और गद्दी-सिप्पी समुदायों के लाभार्थियों को व्यक्तिगत और सामुदायिक अधिकार प्रमाण पत्र सौंपे गए।
यह अधिनियम 1 दिसंबर, 2020 से लागू है। वर्ष 2019 से पहले, श्रीनगर में कई केंद्रीय कानूनों को लागू नहीं किया जा रहा था।
वन अधिकार अधिनियम (FRA) के बारे में:
‘अनुसूचित जाति एवं अन्य पारंपरिक वनवासी (वन अधिकार मान्यता) अधिनियम, 2006’ (The Scheduled Tribes and Other Forest Dwellers (Recognition of Forest Rights) Act, 2006), जिसे ‘वन अधिकार अधिनियम’ (Forest Rights Acts – FRA) भी कहा जाता है, वर्ष 2006 में पारित किया गया था। यह अधिनियम पारंपरिक वन वासी समुदायों के अधिकारों को कानूनी मान्यता प्रदान करता है।
अधिनियम के तहत अधिकार:
- स्वामित्व अधिकार – वनवासियों अथवा आदिवासियों द्वारा 13 दिसंबर 2005 तक कृषि की जाने वाली भूमि पर, जो कि 4 हेक्टेयर से अधिक नहीं होनी चाहिए, उक्त तारीख तक वास्तव में कृषि करने वाले संबंधित परिवार को स्वामित्व अधिकार प्रदान किए जाएंगे। अर्थात, कोई अन्य नयी भूमि प्रदान नहीं की जाएगी।
- अधिकारों का उपयोग- वनवासियों अथवा आदिवासियों के लिए, लघु वन उपज (स्वामित्व सहित), चारागाह क्षेत्र, तथा पशुचारक मार्ग संबंधी अधिकार उपलब्ध होंगे।
- राहत और विकास अधिकार – वनवासियों अथवा आदिवासियों के लिए अवैध निकासी या बलपूर्वक विस्थापन के मामले में पुनर्वास का अधिकार तथा वन संरक्षण हेतु प्रतिबंधों के अधीन बुनियादी सुविधाओं का अधिकार प्राप्त होगा।
- वन प्रबंधन अधिकार – जंगलों और वन्यजीवों की रक्षा करने संबधी अधिकार होंगे।
पात्रता मापदंड:
वन अधिकार अधिनियम (FRA) की धारा 2(c) के अनुसार, वनवासी अनुसूचित जनजाति (Forest Dwelling Scheduled Tribe – FDST) के रूप में अर्हता प्राप्त करने और FRA के तहत अधिकारों की मान्यता हेतु पात्र होने के लिए, आवेदक द्वारा निम्नलिखित तीन शर्तों को पूरा किया जाना आवश्यक है।
व्यक्ति अथवा समुदाय:
- अधिकार का दावा किये जाने वाले क्षेत्र में अनुसूचित जनजाति का सदस्य होना चाहिए;
- 13-12-2005 से पहले मूल रूप से वन अथवा वन भूमि का निवासी होना चाहिए;
- आजीविका हेतु वास्तविक रूप से वन अथवा वन भूमि पर निर्भर होना चाहिए।
तथा, अन्य पारंपरिक वनवासियों (Other Traditional Forest Dweller – OTFD) के रूप में अर्हता प्राप्त करने और FRA के तहत अधिकारों की मान्यता हेतु पात्र होने के लिए, निम्नलिखित दो शर्तों को पूरा करना आवश्यक है:
व्यक्ति अथवा समुदाय:
- जो 13 दिसम्बर, 2005 से पूर्व कम से कम तीन पीढि़यों (75 वर्ष) तक मूल रूप से वन या वन भूमि में निवास करता हो।
- आजीविका हेतु वास्तविक रूप से वन अथवा वन भूमि पर निर्भर हो।
अधिकारों को मान्यता देने संबंधी प्रक्रिया:
- प्रक्रिया के आरंभ में, ग्राम सभा द्वारा एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा, जिसमे यह सिफारिश की जाएगी कि, किस व्यक्ति को किस संसाधन पर अधिकार को मान्यता दी जानी चाहिए।
- इसके बाद, प्रस्ताव का उप-मंडल (या तालुका) के स्तर पर और फिर जिला स्तर पर, अनुवीक्षण और अनुमोदन किया जाता है।
अनुवीक्षण समिति (Screening Committee) में तीन सरकारी अधिकारी (वन, राजस्व और आदिवासी कल्याण विभाग) और संबंधित स्तर पर स्थानीय निकाय के तीन निर्वाचित सदस्य होते हैं। ये समितियां अपील पर सुनवाई भी करती हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप वन अधिकार अधिनियम, 2006 के तहत परिभाषित ‘संकटपूर्ण वन्यजीव आवासों’ के बारे में जानते हैं जिन्हें किया गया है?
प्रीलिम्स लिंक:
- पांचवी अनुसूची के तहत क्षेत्रों को सम्मिलित करने अथवा बहिष्कृत करने की शक्ति
- अनुसूचित क्षेत्र क्या होते हैं?
- वन अधिकार अधिनियम- प्रमुख प्रावधान
- इस अधिनियम के तहत अधिकार
- पात्रता मानदंड
- इन अधिकारों को मान्यता देने में ग्राम सभा की भूमिका
- ‘संकटपूर्ण वन्यजीव वास स्थल’ क्या होते हैं?
स्रोत: द हिंदू।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
हिंदी दिवस
राष्ट्रीय हिंदी दिवस या हिंदी दिवस प्रति वर्ष 14 सितंबर को मनाया जाता है।
- उद्देश्य: यह दिन हिंदी भाषा और इसकी सांस्कृतिक विरासत और देश और विदेश के लोगों के बीच मूल्यों का उत्सव है।
- देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली हिंदी को 14 सितंबर, 1949 को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था।
- यह भारत गणराज्य की 22 अनुसूचित भाषाओं में से एक है।
- हिंदी के अलावा, अंग्रेजी दूसरी आधिकारिक भाषा है (संविधान का अनुच्छेद 343)।
- भारत की संविधान सभा द्वारा 14 सितंबर 1949 को अनुच्छेद 343 के तहत हिंदी को देश की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था ।
शांतिपूर्ण मिशन युद्धाभ्यास
शांतिपूर्ण मिशन युद्धाभ्यास (Exercise PEACEFUL MISSION) संयुक्त आतंकवाद विरोधी एक बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास है जिसे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों के बीच सैन्य कूटनीति के एक भाग के रूप में द्विवार्षिक रूप से आयोजित किया जाता है।
- इस युद्धाभ्यास, शांतिपूर्ण मिशन, के छठे संस्करण की रूस द्वारा दक्षिण पश्चिम रूस के ऑरेनबर्ग क्षेत्र में 13 से 25 सितंबर 2021 तक मेजबानी की जा रही है।
- इस अभ्यास का उद्देश्य एससीओ सदस्य देशों के बीच घनिष्ठ संबंधों को बढ़ावा देना और बहुराष्ट्रीय सैन्य टुकड़ियों का नेतृत्व करने की सैन्य अधिकारियों की क्षमताओं में वृद्धि करना है।
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