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[Mission 2022] INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 13 September 2021

 

विषय सूची:

सामान्य अध्ययन-I

1. स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की 128वीं वर्षगांठ।

2. सुब्रमण्यम भारथियार कौन थे?

 

सामान्य अध्ययन-II

1. ‘राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण’ एवं ‘आयकर अपीलीय अधिकरण’

 

सामान्य अध्ययन-III

1. मच्छरों की वृद्धि पर नियंत्रण पाने हेतु CRISPR तकनीक

2. नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. LCA-Mk2

2. सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (LSHP)

3. सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तकनीक

4. संवत्सरी

5. गोवा में पहली खुराक का शत-प्रतिशत टीकाकरण

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।

स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की 128वीं वर्षगांठ


संदर्भ:

11 सितंबर, 1893 को, स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में आयोजित ‘विश्व धर्म संसद’ (Parliament of the World’s Religions) में अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था, जिसमे उनके लिए महासभा में सम्मलित व्यक्ति पूरे दो मिनट तक खड़े होकर तालियाँ बजाते रहे। इस एतिहासिक भाषण के पश्चात उन्हें ‘भारत का चक्रवाती भिक्षु’ (Cyclonic Monk of India) का उपनाम दिया गया।

इस वर्ष स्वामी विवेकानंद के ऐतिहासिक शिकागो संबोधन की 128वीं वर्षगांठ मनाई जा रही है।

इस आयोजन का महत्व:

  • शिकागो में दिए गए भाषण में हिंदू धर्म और भारतीय संस्कृति का विस्तार से वर्णन गया था, और इस भाषण के शब्द आज भी गुंजायमान हैं।
  • विश्व धर्म संसद में अपने प्रसिद्ध भाषण के बाद स्वामी विवेकानंद पश्चिमी दुनिया में काफी लोकप्रिय हो गए।
  • उन्हें भारत में हिंदू धर्म के पुनरुद्धार और 19वीं शताब्दी के अंत में एक प्रमुख विश्व धर्म का दर्जा दिलाने के लिए एक प्रमुख शक्ति माना जाता है।
  • 1893 में शिकागो में विश्व “धर्म संसद” में उनके भाषण ने दुनिया का ध्यान वेदांत के प्राचीन भारतीय दर्शन की ओर भी आकर्षित किया।

स्वामी विवेकानंद के बारे में:

  • वह वास्तविक रूप से एक तेजस्वी व्यक्‍ति थे, और इनके लिए पश्चिमी जगत को हिंदू धर्म से परिचित कराने का श्रेय दिया जाता है।
  • वह श्री रामकृष्ण परमहंस के एक उत्साही शिष्य और भारत में हिंदू धर्म का पुनरुद्धार करने में एक प्रमुख शक्ति थे।
  • उन्होंने औपनिवेशिक भारत में राष्ट्रीय एकता पर जोर दिया, और उन्होंने वर्ष 1893 में शिकागो में आयोजित विश्व धर्म संसद में अपना सर्वाधिक प्रसिद्ध भाषण दिया था ।
  • वर्ष 1984 में भारत सरकार द्वारा स्वामी विवेकानंद के जन्म दिवस 12 जनवरी को ‘राष्ट्रीय युवा दिवस’ के रूप में घोषित किया गया था।

प्रारंभिक जीवन एवं योगदान:

  • 12 जनवरी 1863 को कोलकाता में जन्मे स्वामी विवेकानंद को उनके संन्यास-पूर्व जीवन में नरेंद्र नाथ दत्त के नाम से जाना जाता था।
  • उन्हें योग और वेदांत संबंधी हिंदू दर्शन को पश्चिम में प्रस्तुत करने के लिए जाना जाता है।
  • नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने विवेकानंद को “आधुनिक भारत का निर्माता” कहा था।
  • 1893 में, खेतड़ी राज्य के महाराजा अजीत सिंह के अनुरोध पर उन्होंने ‘विवेकानंद’ नाम धारण किया था।
  • उन्होंने, सबसे निर्धन और निकृष्ट लोगों तक उत्कृष्ट विचारों को पहुचाने के लिए, 1897 में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की।
  • वर्ष 1899 में उन्होंने बेलूर मठ की स्थापना की, जो आगे चलकर उनका स्थायी निवास बन गया।
  • उन्होंने ‘नव-वेदांत’, पश्चिमी दृष्टिकोण से हिंदू धर्म की व्याख्या, का प्रचार किया, और वह भौतिक प्रगति के साथ-साथ आध्यात्मिकता के संयोजन में विश्वास करते थे।

उनके द्वारा रचित पुस्तकें:

‘राज योग’, ‘ज्ञान योग’, ‘कर्म योग’ उनके द्वारा लिखी गयी कुछ पुस्तकें हैं।

स्वामी विवेकानंद के विचारों की वर्तमान में प्रासंगिकता:

  • स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण में ‘सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकरण’ के विचार का प्रसार किया था।
  • उन्होंने, समाज में राष्ट्रों और सभ्यताओं के लिए अर्थहीन और सांप्रदायिक संघर्षों से उत्पन्न खतरों का विश्लेषण किया था।
  • उनका दृढ़ विश्वास था, कि धर्म का वास्तविक सार ‘सामूहिक भलाई और सहिष्णुता’ होता है। धर्म का स्थान, अंधविश्वास और कट्टरता से ऊपर होना चाहिए।
  • स्वामी विवेकानंद का मानना ​​था, कि भारत की युवा पीढी हमारे अतीत को एक महान भविष्य से जोड़ती है।

इसलिए, आज समकालीन भारत में, स्वामी विवेकानंद द्वारा 1893 में कहे गए शब्दों पर ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने श्री वेदान्त देशिक (Sri Vedānta Desikan) के बारे में सुना है? उनकी शिक्षाएँ क्या थीं?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. विश्व धर्म संसद, 1893 के बारे में
  2. मुख्य प्रतिभागी
  3. हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व किसने किया?
  4. विश्व धर्म संसद परिषद का मुख्यालय।
  5. अब तक आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आधुनिक धर्म संसद।

मेंस लिंक:

स्वामी विवेकानंद, पश्चिम में ‘भारतीय ज्ञान के दूत’  किस प्रकार बन गए। चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

सुब्रमण्य भरथियार


(Subramaniya Bharathiyar)

संदर्भ:

हाल ही में, उपराष्ट्रपति ने कवि और स्वतंत्रता सेनानी की पुण्यतिथि शताब्दी के अवसर पर सुब्रमण्यम भारती को श्रद्धांजलि दी।

सुब्रमण्यम भारती के बारे में:

  • चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भरथियार का जन्म 11 दिसंबर 1882 को तमिलनाडु में तिरुनेलवेली जिले के एट्टयपुरम् गाँव में हुआ था।
  • ये तमिलनाडु के एक महान कवि, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे।
  • इन्हें सुब्रमण्य भारती तथा महाकवि भरथियार के नाम से जाना जाता है।
  • राष्ट्रवाद और भारत की स्वतंत्रता पर उनके लिखे गीतों ने तमिलनाडु में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने हेतु लोगों को प्रेरित्त करने में योगदान दिया।
  • साहित्यिक कृतियाँ: ‘कण्णऩ् पाट्टु’, ‘निलावुम वन्मिनुम कत्रुम, (Nilavum Vanminum Katrum) ‘पांचाली सपथम’ ‘कुयिल् पाट्टु’।
  • उन्होंने सन 1908 में ‘सुदेश गीतंगल’ नामक क्रांतिकारी रचना का प्रकाशन किया।
  • वर्ष 1949 में वे प्रथम कवि बन गए, जिनकी कृतियों का राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण किया गया।

current affairs

समाज सुधारक के रूप में ‘सुब्रमण्यम भारती’:

  • वह जाति व्यवस्था के खिलाफ थे। उन्होंने कहा, मनुष्य की केवल दो जातियाँ होती हैं- पुरुष और महिला और इससे ज्यादा कुछ नहीं। और सबसे पहले, उन्होंने स्वयं अपना ‘पवित्र धागा’ जनेऊ उतार कर रख दिया।
  • उन्होंने महिलाओं को नीचा दिखने वाले शास्त्रों की निंदा की, और मानव जाति की समानता में विश्वास किया। उन्होंने गीता और वेदों को पढ़ाते समय अपने व्यक्तिगत पूर्वाग्रहों को मिलाने पर कई उपदेशकों की आलोचना की।

वर्तमान समय में महत्व:

  • इनकी द्वारा बताई गयी ‘प्रगति की परिभाषा’ में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका थी। उन्होंने लिखा है, कि महिलाओं को सिर ऊंचा करके चलना चाहिए, लोगों की आंखों में सीधे देख कर बात करनी चाहिए।
  • सरकार इस दृष्टिकोण से प्रेरणा लेकर महिला नेतृत्व सहित उनके ‘सशक्तिकरण’ को सुनिश्चित करने के लिए कार्य कर रही है।
  • वे प्राचीन और आधुनिक के बीच एक स्वस्थ समन्वय में विश्वास करते थे, जोकि वैज्ञानिक दृष्टिकोण, जिज्ञासा की भावना और प्रगति की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता को दर्शाता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘वनविल सांस्कृतिक केंद्र’ (Vanavil Cultural Centre) द्वारा 1994 में स्थापित भारती पुरस्कार के बारे में जानते हैं? इस पुरुस्कार हेतु पात्रता मानदंड क्या है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारथियार का जन्म कहाँ हुआ था?
  2. महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ।
  3. सामाजिक सुधारों में उनका योगदान।

मेंस लिंक:

सुब्रमण्यम भारथियार कौन थे? जाति व्यवस्था पर उनके विचारों की चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय।

‘राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण’ एवं ‘आयकर अपीलीय अधिकरण’


संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार द्वारा ‘राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण’ (National Company Law Appellate Tribunal – NCLAT) और ‘आयकर अपीलीय अधिकरण’ (Income Tax Appellate Tribunal – ITAT) में 31 व्यक्तियों को न्यायिक, तकनीकी और लेखाकार सदस्यों के रूप में नियुक्त किया गया है।

कुछ समय पूर्व सर्वोच्च न्यायालय ने विभिन्न अधिकरणों में रिक्तियों के बारे में चिंता व्यक्त की थी, इस पृष्ठिभूमि में सरकार की ये कारवाईयां घटनाक्रम महत्वपूर्ण हो जाती हैं।

पृष्ठभूमि:

‘राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण’ (NCLAT), ऋण वसूली अधिकरण (DRT), दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील अधिकरण (TDSAT) और राज्य प्रशासनिक अधिकरण (SAT) जैसे विभिन्न प्रमुख अधिकरणों और अपीलीय अधिकरणों में लगभग 250 पद खाली पड़े हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में यह कहते हुए चिंता व्यक्त की थी, कि केंद्र सरकार, कर्मचारियों की कमी का सामना कर रहे ‘अर्ध-न्यायिक निकायों’ में अधिकारियों की नियुक्ति नहीं करके अधिकरणों को “प्रभावहीन” कर रही है।

‘राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण’ (NCLAT) के बारे में:

यह भारत में, कंपनियों से संबंधित विवादों का न्यायनिर्णयन करने हेतु एक ‘अर्ध-न्यायिक’ निकाय (Quasi-Judicial Body) है।

  • ‘राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण’ को कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत 1 जून, 2016 को स्थापित किया गया था।
  • इसका गठन ‘न्यायमूर्ति एराडी समिति’ की सिफारिशों के आधार पर किया गया है।
  • यह मुख्य रूप से कंपनी कानून और दिवाला कानून से संबंधित मामलों का समाधान करता है।
  • सदस्यों का कार्यकाल: अधिकरण में सदस्यों की नियुक्ति कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से पांच वर्ष के लिए या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक या अगले आदेश जारी होने तक के लिए की जाती है।

‘आयकर अपीलीय अधिकरण’ (ITAT) के बारे में:

  • ITAT, आयकर मामलों से संबंधित है।
  • यह ‘प्रत्यक्ष करों’ के क्षेत्र से संबंधित एक ‘वैधानिक निकाय’ है और ‘तथ्यों के निष्कर्ष’ पर आयकर अपीलीय अधिकरण’ द्वारा जारी आदेशों को अंतिम माना है।
  • ‘आयकर अपीलीय अधिकरण’ (ITAT) 25 जनवरी, 1941 को गठित किया जाने वाला पहला अधिकरण था और इसे ‘मदर ट्रिब्यूनल’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • ‘आईटीएटी’ की स्वतंत्रता के उच्चतम स्तर को सुनिश्चित करने की दृष्टि से, यह ‘विधि एवं न्याय मंत्रालय’ में विधि मामलों के विभाग के अधीन कार्य करता है, और वित्त मंत्रालय द्वारा किसी भी प्रकार के नियंत्रण से दूर रखा जाता है।
  • आईटीएटी द्वारा पारित आदेशों को, कानून के महत्वपूर्ण प्रश्नों पर, संबंधित उच्च न्यायालय के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी जा सकती है।

current affairs

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आपने ‘ई-द्वार’ (e-dwar) के बारे में सुना है? यह आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (ITAT) का हाल ही में लॉन्च किया गया एक ई-फाइलिंग पोर्टल है। इसके बारे में अधिक जानने हेतु पढ़िए

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अधिकरण (ट्रिब्यूनल) क्या होते हैं?
  2. संबंधित संवैधानिक प्रावधान
  3. संरचना और कार्य
  4. नवीनतम अध्यादेश का अवलोकन

मेंस लिंक:

क्या अधिकरण, न्यायिक दक्षता के लिए ‘रामबाण’ के समान हैं? क्या न्यायिक अधिकरण हमारे संविधान में निर्धारित सिद्धांतों को कमजोर करते है? परीक्षण कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

मच्छरों की वृद्धि पर नियंत्रण पाने हेतु CRISPR तकनीक


संदर्भ:

हाल ही में, कैलिफ़ोर्निया स्थित शोधकर्ताओं ने नसबंदी के माध्यम से मच्छरों पर सुरक्षित रूप से नियंत्रण पाने हेतु ‘क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट’ (CRISPR) आधारित प्रणाली विकसित की है। इसे नई ‘परिशुद्ध-निर्देशित अप्रजायी कीट तकनीक’ (Precision-Guided Sterile insect technique) या pgSIT कहा जाता है।

कार्यविधि:

‘परिशुद्ध-निर्देशित अप्रजायी कीट तकनीक’ (pgSIT), मापनीय आनुवंशिक नियंत्रण करने वाली नयी प्रणाली है, जिसमे  मच्छरों की आबादी का दमन करने हेतु ‘संवर्धित मच्छरों’ को चिह्नित स्थानों पर छोड़े जाने संबंधी CRISPR-आधारित पद्धति का प्रयोग किया जाता है।

  • इस तकनीक में, नर कीट की प्रजनन क्षमता से जुड़े जीन में परिवर्तन कर दिया जाता है, जिससे संवर्धित कीटों की नई पीढी प्रजनन करने में सक्षम नहीं रहती है, अर्थात ‘बंध्या’ हो जाती है। इस तरह से, डेंगू बुखार, चिकनगुनिया और जीका सहित व्यापक बीमारियों को फैलाने के लिए जिम्मेदार मच्छर प्रजाति ‘एडीज एजिप्टी’ के मादा मच्छरों से नए मच्छर पैदा नहीं होते हैं ।
  • ‘पीजीएसआईटी’ में नर मच्छरों का वंध्यीकरण करने / बधिया (sterilize) करने के लिए CRISPR का उपयोग किया जाता है, और बीमारी फैलाने वाली मादा मच्छरों को प्रजनन रहित बना दिया जाता है।

इस तकनीक का महत्व:

pgSIT संवर्धित अंडों को मच्छर जनित बीमारी से खतरे वाले स्थान पर भेजा जा सकता है, अथवा आस-पास की जगहों पर छोड़े जाने के लिए इन जीन संवर्धित अंडों को किसी एक स्थान पर विकसित किया जा सकता है।

खुली जगहों पर pgSIT संवर्धित अंडों को छोड़े जाने के बाद इनमे से प्रजनन क्षमता-रहित संवर्धित नर मच्छर उत्पन्न होते हैं। इन मच्छरों के मादा मच्छरों से संभोग करने पर कोई अंडे पैदा नहीं होंगे और इस तरह से मच्छरों की आबादी को आवश्यकतानुसार कम किया जा सकेगा।

CRISPR तकनीक क्या है?

‘क्लस्टर्ड रेगुलेटरी इंटरसेप्टर शॉर्ट पालिंड्रोमिक रिपीट’ (Clustered Regularly Interspaced Short Palindromic Repeats- CRISPR) मूल रूप से एक ‘जीन एडिटिंग तकनीक’ है, इसका उपयोग आनुवांशिक दोषों को ठीक करने और रोगों के प्रसार को रोकने और उपचार करने में किया जाता है।

crispr

महत्व:

CRISPR तकनीक जीनोम एडिटिंग के लिए एक सरल लेकिन शक्तिशाली उपकरण है। यह तकनीक शोधकर्ताओं को DNA अनुक्रमों को आसानी से बदलने और जीन फ़ंक्शन को संशोधित करने में सक्षम बनाती है। इस प्रौद्योगिकी को भविष्य में कई अन्य रोगजनकों का पता लगाने के लिए भी समनुरूप बनाया (Configured) जा सकता है। हालाँकि, इसका उपयोग ‘नैतिक चिंताओं’ को भी सामने लाता है।

यह तकनीक किस प्रकार कार्य करती है?

CRISPR प्रौद्योगिकी, आनुवंशिक जानकारी रखने वाले डीएनए तंतुओं पर ‘कट-एंड-पेस्ट’ (cut-and-paste) क्रियाविधि की तरह कार्य करती है।

  • आनुवंशिक कूटों के जिस भाग को ‘एडिट’ करने या ‘परिवर्तित’ करने की जरूरत होती है, उसे डीएनए के कुंडलित तंतुओं पर चिह्नित किया जाता है, फिर ‘Cas9 प्रोटीन’, (जोकि एक कैंची की तरह काम करता है) का उपयोग करते हुए उस चिह्नित भाग को कुंडलित तंतुओं से काट कर अलग कर दिया जाता है।
  • डीएनए के कुंडलित तंतुओं में, विखंडन हो जाने या टूट जाने पर, स्वतः ही ठीक हो जाने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है।
  • इसी स्वतः मरम्मत या पुनर्निर्माण की प्रक्रिया में वैज्ञानिकों द्वारा हस्तक्षेप किया जाता है, और आनुवंशिक कोड में वांछित अनुक्रम या परिवर्तन की क्रिया पूरी की जाती है, और अंततः यह वांछित अनुक्रम टूटे हुए डीएनए तंतुओं पर स्थापित हो जाता है।

संबंधित चिंताएं और मुद्दे:

  1. यह तकनीक, मनुष्यों में इस्तेमाल होने पर यह विवादास्पद हो जाती है। क्षेत्र में अग्रणी वैज्ञानिक लंबे समय से, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत प्रोटोकॉल विकसित होने तक, ‘मनुष्यों पर प्रौद्योगिकी के नैदानिक ​​अनुप्रयोगों’ पर “वैश्विक विराम” लगाने की मांग कर रहे हैं।
  2. अध्ययनों से पता चला है कि CRISPR-Cas9 तकनीक में एडिट की गयी कोशिकाएं कैंसर को जन्म दे सकती हैं।
  3. यह तकनीक उन संसाधित कोशिकाओं में, कहीं और जीनोम उत्परिवर्तन के जोखिम को बढ़ा सकती है।
  4. इस तकनीक के बारे में बहुत सी बातें अभी स्पष्ट नहीं हैं, जैसे कि कौन सी बीमारी या लक्षण, जीन एडिटिंग के लिए उपयुक्त है, इसका निर्धारण किस प्रकार किया जाना चाहिए।
  5. नैतिक चिंताएं: इसके अलावा, अपने हित के लिए मानव भ्रूणों में हेर-फेर करने संबंधी मामले सामने आने की भी चिंता है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जीन क्या हैं?
  2. जीन एडिटिंग किस प्रकार की जाती है?
  3. CRISPR तकनीक क्या है?
  4. डीएनए और आरएनए के बीच अंतर।

मेंस लिंक:

CRISPR प्रौद्योगिकी से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड


(NATGRID)

संदर्भ:

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शीघ्र ही ‘राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड’ अर्थात ‘नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड’ (NATGRID) की शुरुआत की जाएगी। NATGRID का उद्देश्य “भारत की आतंकवाद-रोधी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए अत्याधुनिक तकनीक” प्रदान करना है।

नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) क्या है?

NATGRID की परिकल्पना वर्ष 2009 में की गयी थी, इसका उद्देश्य सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लिए एक ‘सुरक्षित मंच’ पर आव्रजन संबधी प्रविष्टियों अर्थात प्रवासियों के आने व जाने संबंधित सूचनाओं, किसी संदिग्ध का टेलीफ़ोन विवरण तथा बैंकिंग संबंधी जानकारी प्राप्त करने हेतु ‘वन-स्टॉप केंद्र’ का निर्माण करना था।

वर्ष 2010 में, सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट समिति (CCS) द्वारा 3,400 करोड़ रुपये की NATGRID परियोजना को मंजूरी दी गयी थी।

NATGRID के डेटा का उपयोग करने का अधिकार:

यह इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R & AW) सहित कम से कम 10 केंद्रीय एजेंसियों के लिए सुरक्षित प्लेटफॉर्म पर डेटा एक्सेस करने का माध्यम होगा। NATGRID, दूरसंचार, कर-रिकॉर्ड, बैंक, आव्रजन आदि 21 संस्थाओं से डेटा संग्रह करेगा।

आलोचनायें:

  1. NATGRID का निजता के संभावित उल्लंघन तथा निजी गोपनीय जानकारी के लीक होने की संभावना के आधार पर विरोध किया जा रहा है।
  2. आतंकवाद को रोकने में इसकी प्रभावकारिता पर भी सवाल उठाया गया है, क्योंकि किसी भी राज्य एजेंसी या पुलिस बल को NATGRID डेटाबेस एक्सेस करने की अनुमति नहीं है, जिससे तत्काल प्रभावी कार्रवाई की संभावना कम हो जाती है।
  3. कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, NATGRID जैसे डिजिटल डेटाबेस का दुरुपयोग किया जा सकता है। पिछले दो दशकों में, आतंकवादियों द्वारा डिजिटल उपकरणों का उपयोग हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए किया गया है।
  4. NATGRID के संदर्भ में खुफिया एजेंसियों ने भी आशंका व्यक्त की है, इनका कहना कि यह उनके कार्य-क्षेत्र को प्रभावित कर सकता है तथा उनके काम के संदर्भ में अन्य एजेंसियों को जानकारी लीक कर सकता है।

NATGRID की आवश्यकता:

  1. NATGRID जैसे परिष्कृत माध्यमों के न होने का नुकसान यह है, कि पुलिस को कोई जानकारी प्राप्त करने के लिए कठोर तथा अपमानजनक तरीकों को अपनाने के लिए विवश होना पड़ता है।
  1. प्रत्येक आतंकवादी घटना के बाद, पुलिस कई संदिग्धों को गिरफ्तार करती है, जिनमे से अधिकाँश निर्दोष होते हैं। यदि इसके स्थान पर, एक अन्वेषण व पहचान तंत्र के होने पर, मानवाधिकारों के उल्लंघन संबंधी मामलों में कमी आयेगी।
  2. NATGRID, इंटेलिजेंस ब्यूरो के लिए संदिग्ध पृष्ठभूमि वाले व्यक्तियों पर नजर रखने में भी मदद करेगा।
  3. पुलिस के पास संदिग्ध व्यक्ति के सभी डेटा तक पहुंच होगी तथा डेटा बेस की मदद से इसकी गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकेगा।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. CCTNS क्या है?
  2. NATGRID- उद्देश्य और उद्देश्य।
  3. NCRB क्या है?
  4. NATGRID के अंतर्गत आने वाली एजेंसियां।

मेंस लिंक:

NATGRID के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू।

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


LCA-Mk2

  • डीआरडीओ की वैमानिकी विकास एजेंसी (ADA) के सहयोग में दूसरी पीढ़ी के लड़ाकू प्रोटोटाइप, हलके युद्धक वायुयान (Light Combat Aircraft – LCA) मार्क 2, अर्थात LCA-Mk2 पर कार्य जारी है।
  • इसे पहली उड़ान के लिए वर्ष 2023 तक तैयार हो जाने की संभवना है।
  • Mk2 की लम्बाई 1,350 मिमी है और यह कनार्ड विशेषता से युक्त है, इसके अलावा यह 6,500 किलोग्राम का पेलोड ले जाने में सक्षम है।

current affairs

सुबनसिरी जलविद्युत परियोजना (LSHP)

  • सुबनसिरी लोअर हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Subansiri Lower Hydroelectric Project – SLHEP), असम और अरुणाचल प्रदेश की सीमा के साथ बहने वाली सुबनसिरी नदी पर एक निर्माणाधीन गुरुत्व बांध (Gravity Dam) है।
  • सुबनसिरी नदी (स्वर्ण नदी), तिब्बत के पठार से निकलती है और अरुणाचल प्रदेश में मिरी पहाड़ियों से बहती हुई भारत में प्रवेश करती है।
  • यह ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
  • यह परियोजना राज्य द्वारा संचालित ‘राष्ट्रीय जल विद्युत निगम’ (NHPC) द्वारा विकसित की जा रही है।
  • पूरा होने पर यह भारत का अकेला ‘सबसे बड़ा जलविद्युत संयंत्र’ होगा। इस परियोजना के 2023 में पूरा होने की उम्मीद है।

परियोजना से संबंधित विवाद:

निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना पर विरोध को दूरगामी बांध विरोधी आंदोलन के रूप में देखा जाता है। यह आरोप लगाया जाता है, कि यह बांध एक भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है और इसे भूकंप को सहन करने की आवश्यक क्षमता के अनुरूप डिजाइन नहीं किया गया है। नदी में जल स्तर के उतार-चढ़ाव से भविष्य में निचले सुबनसिरी क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर भी असर पड़ने की आशंका है।

current affairs

सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तकनीक

(Saline Gargle RT-PCR technology)

  • नमक-युक्त द्रव्य से गरारे करना (Saline Gargle) काफी सरल, तीव्र असरकारक, किफ़ायती, रोगी के अनुकूल और आरामदायक तकनीक है।
  • यह तत्काल परीक्षण परिणाम भी प्रदान करती है और न्यूनतम बुनियादी ढांचा आवश्यकताओं को देखते हुए ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।

कार्यविधि:

  • सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर विधि में नमकीन घोल से भरी एक साधारण संग्रह ट्यूब का उपयोग किया जाता है। इस विधि में, रोगी को घोल से गरारे करने और ट्यूब में कुल्ला करना होता है।
  • कुल्ले के इस नमूने को प्रयोगशाला में ले जाया जाता है जहां इसे कमरे के तापमान पर लगभग 30 मिनट के लिए NEERI द्वारा निर्मित एक विशेष बफर घोल में रखा जाता है।
  • इस घोल को गर्म करके एक आरएनए टेम्पलेट तैयार होता है, जिसे आरटी-पीसीआर के लिए संसाधित किया जाता है।

चर्चा का कारण:

नागपुर स्थित राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) ने स्वदेश में विकसित सेलाइन गार्गल आरटी-पीसीआर तकनीक को व्यावसायीकरण के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (एमएसएमई) को सौंप दिया है।

NEERI, ‘वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद’ (CSIR) के अधीन एक संस्थान है।

 संवत्सरी

  • संवत्सरी (Samvatsari), जैन समुदाय, विशेष रूप से श्वेतांबर संप्रदाय द्वारा मनाया जाने वाला त्योहार है।
  • यह पर्युषण पर्व या पर्युषण के दौरान आठ दिवसीय प्रार्थनाओं के पालन का अंतिम दिन होता है।
  • यह जैन कैलेंडर माह के भाद्रपद में हर साल शुक्ल पंचमी को मनाया जाता है।
  • ‘संवत्सरी’ को क्षमा दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

current affairs

गोवा में पहली खुराक का शत-प्रतिशत टीकाकरण

  • गोवा, अपने सभी अहर्ता प्राप्त निवासियों के लिए पहली खुराक का 100% कोविड टीकाकरण पूरा करने वाला भारत का दूसरा राज्य बन गया है।
  • हिमाचल प्रदेश यह उपलब्धि हासिल करने वाला पहला राज्य था।

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