विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. अवनींद्र नाथ टैगोर
सामान्य अध्ययन-II
1. लोक लेखा समिति
2. नई सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम
3. ‘सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ में ‘आपातकालीन मध्यस्थ’
4. भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट के लिए दावा
सामान्य अध्ययन-III
1. भोजन की परोक्ष लागत
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2021
2. ध्यानचंद के नाम पर ‘खेल रत्न’ पुरुस्कार
3. ‘हिज़्बुल्लाह’
4. ‘पानी माह’ अभियान
सामान्य अध्ययन- I
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
अवनींद्र नाथ टैगोर
(Abanindranath Tagore)
संदर्भ:
7 अगस्त: अवनींद्र नाथ टैगोर की 150वीं जयंती।
‘अवनींद्र नाथ टैगोर’ के बारे में:
रबींद्रनाथ टैगोर के भतीजे, अवनींद्र नाथ टैगोर, भारत में बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के सबसे प्रमुख कलाकारों में से एक थे। वह भारतीय कला में स्वदेशी मूल्यों के पहले प्रमुख समर्थक थे।
भारतीय कला और संस्कृति में ‘अवनींद्र नाथ टैगोर’ का योगदान:
- उन्होंने पहले ‘इंडियन सोसाइटी ऑफ़ ओरिएंटल आर्ट’ का गठन किया तथा इसके पश्चात ‘बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट’ की स्थापना की।
- उनका मानना था, कि भारतीय कला और इसके कला-रूप आध्यात्मिकता को महत्व देते है, इसके विपरीत पश्चिम की कला में भौतिकवाद पर जोर दिया जाता है। अतः उन्होंने कला की पश्चिम में प्रचलित कला रूपों को अस्वीकार कर दिया।
- मुगल एवं राजपूत चित्रकला को आधुनिक बनाने के उनके विचार ने अंततः आधुनिक भारतीय चित्रकला को जन्म दिया। जिसका विकास बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट में हुआ।
- उनका अधिकांश कार्य हिंदू-दर्शन से प्रेरित है।
- अपने बाद के कार्यों में, अवनींद्र नाथ ने चीनी और जापानी सुलेख रूपांकन परंपराओं को अपनी शैली में एकीकृत करना शुरू कर दिया था। इसकी पीछे उनका उद्देश्य सम्पूर्ण एशियाई आधुनिक कला परंपरा तथा पूरब की कलात्मक और आध्यात्मिक संस्कृति के सामान्य तत्वों का समामेलन करना था।
प्रसिद्ध चित्र:
भारत माता, शाहजहाँ (1900), मेरी माँ (1912–13), परीलोक चित्रण (1913), यात्रा का अंत (1913)।
साहित्य में योगदान:
- एक चित्रकार के साथ-साथ वे बंगाली बाल साहित्य के प्रख्यात लेखक भी थे। उनकी अधिकांश साहित्यिक कृतियाँ बच्चों पर केंद्रित थीं।
- वे ‘अबन ठाकुर’ के नाम से प्रसिद्ध थे और उनकी पुस्तकें जैसे राजकहानी, बूड़ो अंगला, नलक, खिरेर पुतुल बांग्ला बाल-साहित्य में महत्त्वपूर्ण स्थान रखती हैं।
- अरेबियन नाइट्स श्रृंखला उनकी उल्लेखनीय कृतियों में से एक थी।
- विलियम रोथेंस्टीन (William Rothenstein) ने रवींद्रनाथ टैगोर को ‘गीतांजलि’ को अंग्रेजी में प्रकाशित करने में सहायता की।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आपने ‘राजा रवि वर्मा’ के बारे में सुना है? भारतीय कला में उनका क्या योगदान है?
प्रीलिम्स लिंक:
- इंडियन सोसायटी ऑफ ओरिएंटल आर्ट- उद्देश्य
- बंगाल स्कूल ऑफ आर्ट के बारे में
- अवनींद्र नाथ टैगोर चित्रों के विषय
- साहित्यिक रचनाएँ
- उनके प्रसिद्ध चित्र
मेंस लिंक:
बंगाल स्कूल ऑफ़ आर्ट के विकास तथा मुख्य विशेषताओं का परीक्षण कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन- II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
लोक लेखा समिति (PAC)
संदर्भ:
कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी की अध्यक्षता में ‘लोक लेखा समिति’ (Public Accounts Committe – PAC) श्रीनगर, कारगिल, लेह और द्रास के चार दिवसीय दौरे पर जा रही है।
संबंधित प्रकरण:
‘लोक लेखा समिति’ का यह दौरा, सेना के जवानों के लिए “उच्च तुंगता क्षेत्रों के लिए उपयुक्त कपड़े, उपकरण, राशन और आवास” संबंधी विषय पर ‘भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक’ (CAG) द्वारा वर्ष 2019 में प्रस्तुत रिपोर्ट के संबंध में है।
CAG की इस रिपोर्ट में ‘उच्च तुंगता क्षेत्रों के लिए उपयुक्त कपड़ों और उपकरणों’ की खरीद में चार साल तक की देरी के बारे में जानकरी दी गई थी, जिसकी वजह से सेना को आवश्यक कपड़ों और उपकरणों की भारी कमी से गुजरना पड़ा था।
लोक लेखा समिति:
(Public Accounts Committee- PAC)
- लोक लेखा समिति का गठन प्रतिवर्ष किया जाता है। इसमें अधिकतम सदस्यों की संख्या 22 होती है, जिनमें से 15 सदस्य लोकसभा से और 7 सदस्य राज्यसभा से चुने जाते हैं।
- इस समिति के सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष का होता है।
- समिति के अध्यक्ष की नियुक्ति लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाती है। वर्ष 1967 से, समिति के अध्यक्ष का चयन, विपक्ष के सदस्यों में से किया जाता है।
- इसका मुख्य कार्य नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (CAG) की ऑडिट रिपोर्ट को संसद में रखे जाने के बाद इसकी जांच करना है।
लोक लेखा समिति की सीमाएं:
- मोटे तौर पर, यह नीतिगत सवालों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- यह व्यय होने के बाद ही, इन पर निगरानी कर सकती है। इसमें व्ययों को सीमित करने संबंधी कोई शक्ति नहीं होती है।
- यह दिन-प्रतिदिन के प्रशासन के मामलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकती है।
- समिति द्वारा की जाने वाली अनुशंसाएं मात्र परामर्शी होती है। मंत्रालयों द्वारा इन सिफारिशों की उपेक्षा भी की जा सकती है।
- इसके लिए विभागों द्वारा व्यय पर रोक लगाने की शक्ति नहीं होती है।
- यह मात्र एक कार्यकारी निकाय है और इसे कोई आदेश जारी करने की शक्ति नहीं है। इसके निष्कर्षों पर केवल संसद ही अंतिम निर्णय ले सकती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि पहली बार लोक लेखा समिति का गठन वर्ष 1921 में मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के मद्देनजर किया गया था।
प्रीलिम्स लिंक:
- संसदीय बनाम कैबिनेट समितियों के बीच अंतर
- स्थायी समितियों, चयन समितियों और वित्त समितियों के मध्य अंतर
- इन समितियों के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
- केवल लोकसभा सदस्यों से गठित समितियां
- लोकसभा अध्यक्ष की अध्यक्षता में गठित की जाने वाली समितियाँ
मेंस लिंक:
संसदीय स्थायी समितियां क्या होती हैं? इनकी आवश्यकता और महत्व को उजागर करने के लिए उनकी भूमिकाओं और कार्यों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
नई सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियम
(New Information Technology (IT) Rules)
संदर्भ:
हाल ही में, सोशल मीडिया कंपनी ‘ट्विटर’ द्वारा ‘नए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों’ (New Information Technology (IT) Rules) के अनुपालन में एक ‘स्थायी मुख्य अनुपालन अधिकारी’ (Chief Compliance Office – CCO), एक रेज़ीड़ेंट शिकायत अधिकारी (Resident Grievance Officer – RGO) और एक ‘नोडल संपर्क व्यक्ति’ (Nodal Contact Person) को नियुक्त किया गया है।
संबंधित प्रकरण:
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने ‘ट्विटर’ द्वारा अदालत में पेश किए गए अपने हलफनामे में ‘मुख्य अनुपालन अधिकारी’ (CCO) की नियुक्ति स्थिति को “अंतरिम” से “आकस्मिक” में बदलने पर आपत्ति व्यक्त की थी।
आईटी नियमों के अनुसार, CCO के रूप में एक वरिष्ठ कर्मचारी की नियुक्ति करना अनिवार्य है, लेकिन ट्विटर ने ‘तीसरे पक्ष के ठेकेदार’ के माध्यम से एक CCO के पद पर एक “आकस्मिक कर्मचारी” नियुक्त किया था। केंद्र सरकार द्वारा इस पर अपना विरोध दर्ज किया किया गया है।
नियमों के अनुसार:
आईटी अधिनियम, 2000 की धारा 2(1)(w) और आईटी नियम 2021 के तहत, ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ (Significant Social Media Intermediary – SSMI) के अर्थ में ‘ट्विटर इंक’ निश्चित रूप से एक ‘मध्यस्थ’ (Intermediary) है।
आईटी नियमों के अनुसार, ‘महत्वपूर्ण सोशल मीडिया मध्यस्थ’ (SSMI) के लिए एक ‘मुख्य अनुपालन अधिकारी’, एक ‘नोडल अधिकारी’ और एक ‘शिकायत अधिकारी’ नियुक्त करना अनिवार्य है- और ये अधिकारी भारत का निवासी होने चाहिए।
नियमों के अनुपालन न करने की स्थिति में क्या होगा?
- किसी भी रूप में नियमों का अनुपालन नहीं करना, आईटी नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन होगा, जिसके परिणामस्वरूप ‘ट्विटर’ के लिए “मध्यस्थ” के रूप में प्राप्त ‘प्रतिरक्षा’ को हटाया जा सकता है।
- ‘मध्यस्थ’ दर्जा, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर किसी भी तीसरे पक्ष द्वारा पोस्ट किए डेटा पर उत्तरदायित्व से प्रतिरक्षा प्रदान करता है। यह दर्जा नहीं होने पर, शिकायतों के मामले में ‘ट्विटर’ पर आपराधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।
पृष्ठभूमि:
इसी वर्ष 25 फरवरी को, केंद्र सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 87 (2) के तहत शक्तियों के प्रयोग करते हुए और पूर्व के सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ) नियम, 2011 का निवर्तन करते हुए, सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशानिर्देश एवं डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 (Information Technology (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) Rules 2021) तैयार किए गए थे। ये नियम 26 मई से लागू किए गए हैं।
नए नियमों का अवलोकन:
- इन नियमों के तहत, देश भर में ‘ओवर द टॉप’ (OTT) और डिजिटल पोर्टलों द्वारा एक ‘शिकायत निवारण प्रणाली’ गठित करना अनिवार्य किया गया है। उपयोगकर्ताओं के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग किए जाने के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज कराने हेतु यह आवश्यक है।
- महत्वपूर्ण सोशल मीडिया कंपनियों के लिए ‘एक मुख्य अनुपालन अधिकारी’ (Chief Compliance Officer) की नियुक्ति करना अनिवार्य होगा, इसके साथ ही ये कंपनियां एक नोडल संपर्क अधिकारी भी नियुक्त करेंगी, जिससे कानून प्रवर्तन एजेंसियां कभी भी संपर्क कर सकेंगी।
- शिकायत अधिकारी (Grievance Officer): सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, एक शिकायत अधिकारी को भी नियुक्त करेंगे, जो 24 घंटे के भीतर कोई भी संबंधित शिकायत दर्ज करेगा और 15 दिनों में इसका निपटारा करेगा।
- सामग्री को हटाना (Removal of content): यदि किसी उपयोगकर्ता, विशेष रूप से महिलाओं की गरिमा के खिलाफ शिकायतें- व्यक्तियों के निजी अंगों या नग्नता या यौन कृत्य का प्रदर्शन अथवा किसी व्यक्ति का प्रतिरूपण आदि के बारे में- दर्ज कराई जाती हैं, तो ऐसी सामग्री को, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को शिकायत दर्ज करने के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा।
- मासिक रिपोर्ट: इनके लिए, हर महीने प्राप्त होने वाली शिकायतों की संख्या और इनके निवारण की स्थिति के बारे में मासिक रिपोर्ट भी प्रकाशित करनी होगी।
- समाचार प्रकाशकों के लिए विनियमन के तीन स्तर होंगे – स्व-विनियमन, किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की अध्यक्षता में एक स्व-नियामक निकाय, और ‘प्रथा सहिंता एवं शिकायत समिति’ सहित सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा निगरानी।
प्रीलिम्स लिंक:
- नए नियमों का अवलोकन
- परिभाषा के अनुसार ‘मध्यस्थ’ कौन हैं?
- ‘सेफ हार्बर’ संरक्षण क्या है?
- नए नियमों के तहत ‘शिकायत निवारण तंत्र’
मेंस लिंक:
नए आईटी नियमों के खिलाफ क्या चिंता जताई जा रही है? इन चिंताओं को दूर करने के तरीकों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
‘सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ में ‘आपातकालीन मध्यस्थ’
संदर्भ:
हाल ही में, उच्चतम न्यायालय द्वारा ‘फ्यूचर रिटेल लिमिटेड’ (FRL) और ‘रिलायंस रिटेल’ के मध्य प्रस्तावित ₹24,713 करोड़ विलय सौदे के खिलाफ ई-कॉमर्स दिग्गज ‘अमेज़न’ के पक्ष में फैसला सुनाया गया है।
अदालत ने ‘सिंगापुर स्थित आपातकालीन मध्यस्थ’ (Emergency Arbitrator – EA) द्वारा अक्टूबर 2020 में सुनाए गए फैसले की वैधता और प्रवर्तनीयता को भी बरकरार रखा है। इस फैसले में सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) द्वारा वैश्विक ई-कॉमर्स दिग्गज अमेज़ॅन की याचिका पर ‘फ्यूचर-रिलायंस’ सौदे पर रोक लगा दी गयी थी।
संबंधित प्रकरण:
(नोट: मामले का केवल संक्षिप्त अवलोकन करें। परीक्षा के दृष्टिकोण से इस मामले के बारे में कोई विवरण आवश्यक नहीं है।)
फ्यूचर ग्रुप और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के मध्य अगस्त 2020 में 24,713 करोड़ रुपये का सौदा हुआ था, जिसके तहत ‘फ्यूचर रिटेल’ की रिटेल, होलसेल, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउसिंग इकाइयों को ‘रिलायंस रिटेल’ और ‘फैशनस्टाइल’ के लिए बेचा जाना था।
- अमेज़न, ‘फ्यूचर ग्रुप’ का भारतीय साझेदार है।
- अमेज़ॅन का कहना है, कि फ्यूचर ग्रुप ने अपनी परिसंपत्तियों को प्रतिद्वंद्वी के लिए बेच कर साझेदारी अनुबंध का उल्लंघन किया है, और यह अमेज़ॅन को तबाह करना चाहता है। जबकि, ऋणों के बोझ टेल दबे ‘फ्यूचर ग्रुप’ का कहना है, कि यदि यह सौदा नहीं हुआ तो वह बरबाद हो जाएगा।
उच्चतम न्यायालय का फैसला:
अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, कि ‘सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ (Singapore International Arbitration Centre– SIAC) में ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ (Emergency Arbitrator) द्वारा दिया गया निर्णय, ‘मध्यस्थता और सुलह अधिनियम,’ 1996 (Arbitration and Conciliation Act, 1996 Act) की धारा 17 के तहत ‘मध्यस्थ न्यायाधिकरण’ द्वारा जारी आदेश के समान है।
- अतः ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ का निर्णय, अधिनियम की धारा 17(1) (मध्यस्थ न्यायाधिकरण द्वारा आदेशित अंतरिम उपाय) के तहत जारी एक आदेश की तरह है।
- इसलिए, मध्यस्थता अधिनियम की धारा 37 के तहत, ‘आपातकालीन मध्यस्थ’ के आदेश को लागू करने के आदेश के खिलाफ कोई अपील मान्य नहीं होगी।
अमेज़न द्वारा SIAC में मामला क्यों ले जाया गया?
आमतौर पर, किसी सौदे में पक्षकारों द्वारा एक ‘अनुबंध समझौते’ पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिसमे निम्नलिखित विषयों के बारे में स्पष्ट किया जाता है:
- मध्यस्थता करने वाली मध्यस्थ संस्था
- लागू होने वाले नियम
- मध्यस्थता की जगह
इस मामले में अमेज़ॅन और फ्यूचर ग्रुप ने अपने समझौते के तहत, अपने विवादों को ‘सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ (SIAC) में निपटाने पर सहमति व्यक्त की थी। अतः अनुबंध के अनुसार, मामले को निपटाने हेतु सिंगापुर संभवतः उचित जगह थी।
SIAC के तहत प्रक्रिया:
सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) में किसी विवाद को फैसले के लिए जाने के पश्चात, मध्यस्थ न्यायाधिकरण (arbitral tribunal) की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया शुरू होती है।
मध्यस्थ न्यायाधिकरण का गठन: प्रायः, तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण होने पर, दोनों पक्षों द्वारा न्यायाधिकरण में एक-एक सदस्य की नियुक्ति की जाती हैं, तथा तीसरे सदस्य को दोनों पक्षों की सहमति से नियुक्त किया जाता है। सहमति नहीं होने पर, तीसरे सदस्य की नियुक्ति SIAC द्वारा की जाती है।
आपातकालीन मध्यस्थ की नियुक्ति:
- आमतौर पर मध्यस्थ न्यायाधिकरण की नियुक्ति में समय लगता है।
- अतः, SIAC के नियमों के तहत, पक्षकारों द्वारा ‘सिंगापुर अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र’ से अंतरिम राहत पाने हेतु आपातकालीन मध्यस्थ (Emergency Arbitrator) नियुक्त करने को कहा जा सकता है। इसके साथ ही मुख्य मध्यस्थ न्यायाधिकरण की नियुक्ति संबंधी प्रक्रिया जारी रहती है।
पक्षकारों द्वारा फैसला मानने से इंकार करने पर:
वर्तमान में भारतीय कानून के तहत, आपातकालीन मध्यस्थ (Emergency Arbitrator) के आदेशों के प्रवर्तन के लिए कोई अभिव्यक्त तंत्र नहीं है।
- हालांकि, पक्षकारों द्वारा आपातकालीन मध्यस्थ (इमरजेंसी आर्बिट्रेटर) के आदेशों का स्वेच्छा से अनुपालन किया जाता है।
- यदि, पक्षकारों द्वारा आदेशों का स्वेच्छा से अनुपालन नहीं किया जाता है, तो जिस पक्ष के हक़ में निर्णय दिया गया होता है, इस मामले में अमेज़ॅन, वह मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम (Arbitration & Conciliation Act), 1996 की धारा 9 के तहत, भारत में उच्च न्यायालय से सामान राहत पाने के लिए अपील कर सकता है।
सिंगापुर के ‘अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता’ केंद्र बनने का कारण
- भारत में निवेश करने वाले विदेशी निवेशक आमतौर पर भारतीय अदालतों की नीरस और निरर्थक प्रक्रिया से बचना चाहते हैं।
- विदेशी निवेशकों को लगता है, कि विवादों के समाधान में सिंगापुर तटस्थ रहने वाला देश है।
- समय के साथ सिंगापुर ने अंतरराष्ट्रीय मानकों और उच्च सत्यनिष्ठा सहित विधि के शासन द्वारा शासित क्षेत्राधिकार के रूप में एक उत्कृष्ट प्रतिष्ठा अर्जित कर ली है। इससे निवेशकों को विश्वास होता है कि मध्यस्थता प्रक्रिया त्वरित, निष्पक्ष और न्यायपूर्ण होगी।
SIAC की 2019 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, भारत, मध्यस्थता केंद्र का शीर्ष उपयोगकर्ता था। भारत से वर्ष 2019 में 485 मामले निर्णय करवाने हेतु SIAC में भेजे गए। इसके पश्चात, फिलीपींस (122 मामले), चीन (76 मामले) और संयुक्त राज्य अमेरिका (65 मामले) का स्थान रहा।
भारत का निजी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र:
मुंबई में अब भारत का अपना अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र है।
सिंगापुर अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र (SIAC) के बारे में:
यह सिंगापुर में स्थित एक गैर-लाभकारी अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संगठन है। यह मध्यस्थता संबंधी अपने नियमों और UNCITRAL मध्यस्थता नियमों के तहत मध्यस्थता प्रबंधन करता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘अंतर्राष्ट्रीय समाधान समझौतों पर संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ (United Nations Convention on International Settlement Agreements-UNCISA) के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- मध्यस्थता न्यायाधिकरण क्या है?
- SIAC के बारे में
- मध्यस्थता एवं सुलह अधिनियम, 1996 का अवलोकन
- UNCITRAL के बारे में
मेंस लिंक:
सिंगापुर, अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता का केंद्र क्यों बन गया है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
भारत का संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थायी सीट के लिए दावा
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् (UNSC) में भारत के स्थायी सीट के दावे पर, बिडेन के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन द्वारा समर्थन दिए जाने पर अभी तक कोई प्रतिबद्धता जाहिर नहीं की गयी है।
हालांकि, ओबामा और ट्रम्प प्रशासन ने सुरक्षा परिषद में भारत के लिए स्थायी सीट दिए जाने का समर्थन किया था।
अमेरिका का दृष्टिकोण:
अमेरिका द्वारा स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के संदर्भ में – संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के विस्तार हेतु आम सहमति बनाने के लिए सशर्त समर्थन देने का प्रस्ताव किया गया है। तथापि, अमेरिका का कहना है, कि वह पांच स्थायी सदस्यों (P-5) – चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और यू.एस. – को दिए ‘वीटो’ में विस्तार का समर्थन नहीं करेगा।
सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता पर और किसने विरोध किया है?
आम सहमति के लिए एकजुट (Uniting for Consensus) समूह – पाकिस्तान, दक्षिण कोरिया, इटली और अर्जेंटीना – द्वारा G-4 योजना का विरोध किया गया है। चीन भी, सुरक्षा परिषद में भारत और जापान के स्थायी सदस्यता के दावों का विरोध करता है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता हेतु भारत द्वारा निम्नलखित आधारों पर दावा किया जाता है:
- भारत, संयुक्त राष्ट्र संघ का संस्थापक सदस्य है।
- भारत, विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र और दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश भी है।
- जहाँ कुछ अन्य देश संयुक्त राष्ट्र संघ को केवल एक बातों की दुकान के रूप में मानते हैं, वही भारत ने हमेशा अपने सिद्धांतों और साख को कायम रखा है।
- संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UNPKF) में प्रभावशाली योगदान।
- एक उभरती हुई आर्थिक शक्ति।
G4 राष्ट्र कौन से हैं?
ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान को ‘G4 राष्ट्र’ के रूप में जाना जाता है। ये चारो देश, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटों के लिए एक-दूसरे के दावों का समर्थन करते हैं।
इनकी मांगों का आधार:
- ये चारो देश, संयुक्त राष्ट्र की स्थापना के बाद से, सुरक्षा परिषद के निर्वाचित गैर-स्थायी सदस्यों रह चुके हैं।
- इन देशों का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव पिछले दशकों में उल्लेखनीय रूप से बढ़ा है और सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों (P5) के बराबर तक पहुंच चुका है।
वर्तमान में ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के कौन से सुधार आवश्यक हैं?
- इन देशों के लिए सुरक्षा परिषद में स्थायी सीटें दी जानी चाहिए।
- सुरक्षा परिषद को अधिक वैध, प्रभावी और प्रतिनिधि बनाने हेतु संयुक्त राष्ट्र में विकासशील देशों और प्रमुख योगदानकर्ताओं की बढ़ी हुई भूमिका की स्पष्ट जरूरत है।
- अफ्रीका को स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में प्रतिनिधित्व दिए जाने की आवश्यकता है ताकि इस महाद्वीप के खिलाफ कम प्रतिनिधित्व के संदर्भ में अब तक हुए ऐतिहासिक अन्याय को सुधार जा सके।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ में सुधार हेतु एक निश्चित समय सीमा के भीतर ‘पाठ आधारित वार्ता’ (text-based negotiations) की आवश्यकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
भारत, वर्तमान में 2021-22 कार्यकाल के लिए ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ का एक ‘गैर-स्थायी सदस्य’ भी है। ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ की अध्यक्षता किस प्रकार निर्धारित की जाती है?
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ के स्थायी सदस्य
- अस्थाई सदस्य कैसे चुने जाते हैं?
- UNSC में मतदान की शक्तियाँ
- अस्थाई सीटों का वितरण कैसे किया जाता है?
- UNGA बनाम UNSC
- G4 समूह क्या है?
मेंस लिंक:
भारत को ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ में स्थाई सदस्यता क्यों दी जानी चाहिए? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू।
सामान्य अध्ययन- III
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
भोजन की परोक्ष लागत
(Hidden costs of food)
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार:
- हमारे द्वारा उपभोग किए जाने वाले भोजन की कीमत, वास्तविक लागत की लगभग एक तिहाई होती है, इसमें पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य की परोक्ष लागत भी शामिल होती है।
- ये परोक्ष लागतें या ‘बाह्य कीमतें’, जो हानिकारक खाद्य पदार्थों के बाजार मूल्य में प्रतिबिंबित नहीं होती हैं और संवहनीय एवं स्वस्थ भोजन को महंगा बना देती हैं।
- इसके अलावा, बाहरी लागतों को छोड़ देने से, पर्यावरण-क्षति, खाद्य असुरक्षा में वृद्धि, स्वास्थ्य संबंधी जोखिम और श्रमिकों के लिए कम भुगतान एवं असमानता जैसी सामाजिक बुराइयों में वृद्धि होती है।
‘भोजन की वास्तविक लागत’ क्या हैं?
हमारी वर्तमान खाद्य प्रणाली में, प्राकृतिक पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य संबंधी परोक्ष लागतें बड़ी संख्या में मौजूद रहती हैं, जिनमे पेट्रोलियम आधारित उर्वरक और कीटनाशकों के उपयोग से लेकर मृदा-क्षरण, जल प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और मोटापे की वैश्विक बीमारी आदि को शामिल किया जा सकता है। ये लागतें, खाद्य सामग्री की सामान्य उत्पादन लागतों के अलावा होती हैं, और इन सबको मिलकर “भोजन की वास्तविक लागत” बनती है।
वर्तमान में ‘भोजन की वास्तविक कीमत’:
- वर्तमान परोक्ष लागतें (externalities), वैश्विक खाद्य खपत ($9 ट्रिलियन) से लगभग दोगुनी ($19.8 ट्रिलियन) होने का अनुमान है।
- इन परोक्ष लागतों को, पर्यावरणीय लागतों में $7 ट्रिलियन (4-11 के मध्य), मानव जीवन की लागत में $11 ट्रिलियन (3-39 के मध्य) और आर्थिक लागतों में $1 ट्रिलियन (2-1.7 के मध्य) पाया जा सकता है।
इसे ठीक करने हेतु उपकरण:
‘भोजन की वास्तविक कीमत’ को ठीक करने के लिए ‘भोजन के मूल्य’ को फिर से परिभाषित किया जाना चाहिए।
- इसके लिए ‘वास्तविक लागत लेखा पद्धति’ (True Cost Accounting – TCA) उपकरण का उपयोग किया जा सकता है।
- ‘वास्तविक लागत लेखा पद्धति’ (TCA) में आंकलन का कार्य, आम तौर पर, लक्ष्य और दायरे की पहचान, विश्लेषण- इकाई और तंत्र की सीमाओं के निर्धारण से शुरू होता है। इसके बाद, विभिन्न परोक्ष लागतों का (गुणात्मक या मात्रात्मक रूप से) आंकलन, कीमत-निर्धारण और कुल जोड़ किया जाता है।
‘वास्तविक लागत लेखा पद्धति’ (TCA) का उपयोग:
संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए सुझाव के अनुसार, सभी वर्ग के लोग, निम्नलिखित तरीकों से ‘वास्तविक लागत लेखा पद्धति’ (TCA) उपकरण का उपयोग कर सकते हैं:
- सरकारों द्वारा ‘वास्तविक लागत लेखा पद्धति’ को स्थानीय, राष्ट्रीय या क्षेत्रीय नीति और बजट में एकीकृत किया जा सकता है।
- व्यवसायों द्वारा, नकारात्मक प्रभावों को कम करने और कीमत- श्रृंखलाओं में सकारात्मक लाभों को बढ़ाने के लिए, इन संरचित आकलनों का उपयोग किया जा सकता है।
- वित्तीय संस्थानों द्वारा रिपोर्टिंग, निवेश को प्रभावित करने और जोखिम मूल्यांकन हेतु TCA का उपयोग किया जाता है, और इस ‘प्रकाशित प्रभाव विवरण’ (Published Impact Statement) के आधार पर इन संस्थानों की ‘साख’ भी निर्धारित होती है।
- किसान, अपनी कृषि पद्धतियों की लागत और लाभ की गणना के लिए TCA का उपयोग एक साधन के रूप में कर सकते हैं।
- उपभोक्ता, अपने द्वारा खरीदे जाने वाले भोजन में निहित पर्यावरणीय और सामाजिक परोक्ष लागतों के बारे में जागरूक होने के लिए TCA का उपयोग कर सकते हैं।
स्रोत: डाउन टू अर्थ।
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2021
(Central University (Amendment) Bill 2021)
लोकसभा में ‘केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2021 को मंजूरी दे दी गई है, जिसमें केंद्र शासित क्षेत्र लद्दाख में एक केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।
- इस विधेयक के तहत, केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन किया जाएगा।
- इस विश्वविद्यालय का नाम ‘सिंधु केंद्रीय विश्वविद्यालय’ होगा।
- केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना से लद्दाख में छात्रों को आसानी से उच्च अध्ययन करने में मदद मिलेगी और यह आने वाले वर्षों में क्षेत्रीय आकांक्षाओं को भी पूरा करेगा।
कृपया ध्यान दें, कि भारत में केंद्रीय विश्वविद्यालय या संघीय विश्वविद्यालयों की स्थापना संसद के एक अधिनियम द्वारा की जाती है, और ये विश्वविद्यालय, शिक्षा मंत्रालय में उच्च शिक्षा विभाग के अधीन होते हैं।
ध्यानचंद के नाम पर ‘खेल रत्न’ पुरुस्कार
हॉकी के जादूगर के सम्मान में राजीव गांधी खेल रत्न का नाम बदलकर “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न” कर दिया गया है।
- तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता ध्यानचंद को भारत का सबसे महान हॉकी खिलाड़ी माना जाता है। उनका जन्मदिन, 29 अगस्त, राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है, और इस दिन हर साल राष्ट्रीय खेल पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।
- खेल रत्न पुरस्कार, चार साल की अवधि में किसी खिलाड़ी द्वारा खेल के क्षेत्र में शानदार और उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए, युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च खेल पुरस्कार है।
‘हिज़्बुल्लाह’
हिज़्बुल्लाह (Hezbollah), लेबनान में स्थित एक शिया इस्लामी राजनीतिक दल है।
इस संगठन की स्थापना, 1980 के दशक में ईरान द्वारा लेबनानी शिया समूहों को एकत्रित करने प्रयास के तहत गई थी। वर्तमान में जारी ईरान-इज़राइल संघर्ष में, हिज़्बुल्लाह ईरान के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में कार्य करता है।
‘पानी माह‘ अभियान
केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख ने अपने यहां जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन की गति बढ़ाने और स्वच्छ पानी के महत्व पर ग्रामीण समुदायों को सूचित करने और साथ जोड़ने के लिए एक महीने का अभियान- ‘पानी माह’ (जल माह) शुरू किया है।
- ‘पानी माह’ अभियान, दो चरणों में ब्लॉक और पंचायत स्तर पर चलेगा।
- इस अभियान में, त्रि-आयामी दृष्टिकोण – पानी की गुणवत्ता का परीक्षण, जल आपूर्ति की योजना और रणनीति तथा गांवों में पानी सभा का निर्बाध आयोजन- अपनाया जाएगा।
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