HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित में से किस अधिनियम ने गवर्नर-जनरल और परिषद को उनकी आधिकारिक क्षमता में उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से छूट प्रदान की?
Correct
उत्तर: b)
1773 के विनियमन अधिनियम के दोषों को सुधारने के लिए, ब्रिटिश संसद ने 1781 का संशोधन अधिनियम पारित किया, जिसे एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट के रूप में भी जाना जाता है। अगला महत्वपूर्ण अधिनियम पिट पिट्स इंडिया एक्ट 1784 था।
• इसने गवर्नर-जनरल और परिषद को उनकी आधिकारिक क्षमता में उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से छूट प्रदन की। इसी तरह, इसने कंपनी के कर्मचारियों को उनके आधिकारिक कार्यों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से भी छूट प्रदान की। इसने राजस्व मामलों और राजस्व के संग्रह से सम्बंधित मामलों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा।
Incorrect
उत्तर: b)
1773 के विनियमन अधिनियम के दोषों को सुधारने के लिए, ब्रिटिश संसद ने 1781 का संशोधन अधिनियम पारित किया, जिसे एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट के रूप में भी जाना जाता है। अगला महत्वपूर्ण अधिनियम पिट पिट्स इंडिया एक्ट 1784 था।
• इसने गवर्नर-जनरल और परिषद को उनकी आधिकारिक क्षमता में उनके द्वारा किए गए कार्यों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से छूट प्रदन की। इसी तरह, इसने कंपनी के कर्मचारियों को उनके आधिकारिक कार्यों के लिए सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से भी छूट प्रदान की। इसने राजस्व मामलों और राजस्व के संग्रह से सम्बंधित मामलों को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा।
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Question 2 of 5
2. Question
निम्नलिखित में से कौनसी भारतीय संविधान की संघीय विशेषताएं हैं?
- संविधान की सर्वोच्चता
- द्विसदनीय विधायिका
- एकीकृत न्यायपालिका
- शक्तियों का पृथक्करण
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correct
उत्तर: c)
भारत का संविधान सरकार की एक संघीय प्रणाली स्थापित करता है। इसमें एक संघ (federation), अर्थात, दो सरकार, शक्तियों का पृथक्करण, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, संविधान की कठोरता, स्वतंत्र न्यायपालिका और द्विसदनीयता जैसी विशेषताएं समाहित हैं।
हालाँकि, भारतीय संविधान में एकात्मक या गैर-संघीय विशेषताएं शामिल हैं, जैसे, एक सुदृढ़ केंद्र, एकल संविधान, एकल नागरिकता, संविधान का लचीलापन, एकीकृत न्यायपालिका, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति, अखिल भारतीय सेवाएं , आपातकालीन प्रावधान आदि।
Incorrect
उत्तर: c)
भारत का संविधान सरकार की एक संघीय प्रणाली स्थापित करता है। इसमें एक संघ (federation), अर्थात, दो सरकार, शक्तियों का पृथक्करण, लिखित संविधान, संविधान की सर्वोच्चता, संविधान की कठोरता, स्वतंत्र न्यायपालिका और द्विसदनीयता जैसी विशेषताएं समाहित हैं।
हालाँकि, भारतीय संविधान में एकात्मक या गैर-संघीय विशेषताएं शामिल हैं, जैसे, एक सुदृढ़ केंद्र, एकल संविधान, एकल नागरिकता, संविधान का लचीलापन, एकीकृत न्यायपालिका, केंद्र द्वारा राज्य के राज्यपाल की नियुक्ति, अखिल भारतीय सेवाएं , आपातकालीन प्रावधान आदि।
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Question 3 of 5
3. Question
भारत के महान्यायवादी के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- वह संघ की कार्यकारिणी का हिस्सा होता है।
- वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है।
- एक प्रख्यात न्यायविद को भारत के अटॉर्नी जनरल के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
भारत का महान्यायवादी केंद्र सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है, और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रथम वकील है।
वह संघ की कार्यकारिणी का हिस्सा होता है।
नियुक्ति और पात्रता:
उसे संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।
उसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य व्यक्ति होना चाहिए।
उसे भारतीय नागरिक होना चाहिए।
उसने या तो किसी भारतीय राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में 5 वर्ष या उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में 10 वर्ष पूरे किए हों।
राष्ट्रपति की दृष्टि में वे एक प्रख्यात विधिवेत्ता भी हो।
Incorrect
उत्तर: b)
भारत का महान्यायवादी केंद्र सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार होता है, और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में सरकार का प्रथम वकील है।
वह संघ की कार्यकारिणी का हिस्सा होता है।
नियुक्ति और पात्रता:
उसे संविधान के अनुच्छेद 76(1) के तहत भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है और राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यंत पद धारण करता है।
उसे सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के योग्य व्यक्ति होना चाहिए।
उसे भारतीय नागरिक होना चाहिए।
उसने या तो किसी भारतीय राज्य के उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में 5 वर्ष या उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में 10 वर्ष पूरे किए हों।
राष्ट्रपति की दृष्टि में वे एक प्रख्यात विधिवेत्ता भी हो।
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Question 4 of 5
4. Question
शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत भारतीय संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है और इसमें विशेष रूप से इसका उल्लेख किया गया है।
- इसका तात्पर्य है कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका अलग-अलग कार्य करती हैं और परस्पर पृथक संस्थाएं होती हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत भारतीय संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है, भले ही इसका विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है।
इसका तात्पर्य है कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका अलग-अलग कार्य करती हैं और परस्पर पृथक संस्थाएं होती हैं।
सिद्धांत की विशेषताओं यह है कि राज्य के एक अंग को अन्य अंगों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए या दूसरे अंग के कार्य का निर्वहन नहीं करना चाहिए।
Incorrect
उत्तर: b)
शक्तियों के पृथक्करण का सिद्धांत भारतीय संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है, भले ही इसका विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है।
इसका तात्पर्य है कि कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका अलग-अलग कार्य करती हैं और परस्पर पृथक संस्थाएं होती हैं।
सिद्धांत की विशेषताओं यह है कि राज्य के एक अंग को अन्य अंगों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए या दूसरे अंग के कार्य का निर्वहन नहीं करना चाहिए।
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Question 5 of 5
5. Question
भारत के संविधान में निम्नलिखित में से कौनसे प्रावधान शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत की सुविधा प्रदान करते हैं?
- राज्य की लोक सेवाओं में न्यायपालिका को कार्यपालिका से अलग करने के लिए राज्य कदम उठाएगा।
- संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही की वैधता पर किसी भी न्यायालय में सवाल नहीं उठाया जा सकता है।
- राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने पद की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए किसी भी न्यायालय के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
शक्तियों के पृथक्करण की सुविधा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद निम्नलिखित हैं:
अनुच्छेद 50: राज्य की लोक सेवाओं में, न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक् करने के लिए राज्य कदम उठाएगा। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 122 और 212: संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही की वैधता पर किसी भी न्यायालय में सवाल नहीं उठाया जा सकता है। इसके अलावा, विधायकों को भाषण के संबंध में कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं और संसद में कही गई किसी भी बात का उनके खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 361: राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने पद की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।
Incorrect
उत्तर: d)
शक्तियों के पृथक्करण की सुविधा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद निम्नलिखित हैं:
अनुच्छेद 50: राज्य की लोक सेवाओं में, न्यायपालिका को कार्यपालिका से पृथक् करने के लिए राज्य कदम उठाएगा। यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
अनुच्छेद 122 और 212: संसद और विधानमंडलों की कार्यवाही की वैधता पर किसी भी न्यायालय में सवाल नहीं उठाया जा सकता है। इसके अलावा, विधायकों को भाषण के संबंध में कुछ विशेषाधिकार प्राप्त हैं और संसद में कही गई किसी भी बात का उनके खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 361: राष्ट्रपति या राज्यपाल अपने पद की शक्तियों और कर्तव्यों के प्रयोग और प्रदर्शन के लिए किसी भी अदालत के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे।
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