HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
मध्य पाषाण युग (Middle Stone Age) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- पाषाण की कलाकृतियाँ अक्सर पाँच सेंटीमीटर से अधिक आकार की होती हैं, जिन्हें माइक्रोलिथ कहा जाता है।
- ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े जानवरों के शिकार से छोटे जानवरों के शिकार और मछली पकड़ने के तरीकों में बदलाव हुआ।
- इस काल में पशुओं को पालतू बनाना, बागवानी और आदिम खेती शुरू हुई थी।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
मध्य पाषाण काल
मानव जीवन के अगले चरण (पुरा पाषाण युग) को मेसोलिथिक या मध्य पाषाण युग कहा जाता है जो लगभग 10000 ईसा पूर्व से 6000 ई.पू. के मध्य की अवधि थी। यह पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का संक्रमणकालीन चरण था। मध्य पाषाण काल के अवशेष गुजरात के लंघंज, मध्य प्रदेश के आदमगढ़ और राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ स्थानों पर पाए जाते हैं। शैल आश्रयों में पाए गए चित्र और उत्कीर्णन मध्यपाषाण काल के लोगों के सामाजिक जीवन और आर्थिक गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। मध्य पाषाण काल के स्थलों में एक भिन्न प्रकार के पाषाण के औजार प्राप्त हुए हैं। ये छोटे पत्थर की कलाकृतियाँ हैं, जिनका आकार अक्सर पाँच सेंटीमीटर से अधिक नहीं है, और इसलिए इन्हें माइक्रोलिथ कहा जाता है। इस अवधि के दौरान शिकार-संग्रह गतिविधि जारी थी।
हालाँकि, ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े जानवरों के शिकार से छोटे जानवरों के शिकार और मछली पकड़ने के तरीकों में बदलाव हुआ। इसी काल में धनुष-बाण का प्रयोग भी प्रारम्भ हुआ। साथ ही, एक क्षेत्र में अधिक समय तक बसने की प्रवृत्ति शुरू हुई। इसलिए पशुओं को पालतू बनाना, बागवानी और आदिम खेती शुरू हुई। इन स्थलों में जानवरों की हड्डियाँ पाई गई हैं और जिसमें कुत्ता, हिरण, सूअर और शुतुरमुर्ग शामिल हैं। कभी-कभी, कुछ माइक्रोलिथ और शेल के साथ मृतकों को दफनाने की क्रिया की जाती थी है।
Incorrect
उत्तर: c)
मध्य पाषाण काल
मानव जीवन के अगले चरण (पुरा पाषाण युग) को मेसोलिथिक या मध्य पाषाण युग कहा जाता है जो लगभग 10000 ईसा पूर्व से 6000 ई.पू. के मध्य की अवधि थी। यह पुरापाषाण युग और नवपाषाण युग के बीच का संक्रमणकालीन चरण था। मध्य पाषाण काल के अवशेष गुजरात के लंघंज, मध्य प्रदेश के आदमगढ़ और राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के कुछ स्थानों पर पाए जाते हैं। शैल आश्रयों में पाए गए चित्र और उत्कीर्णन मध्यपाषाण काल के लोगों के सामाजिक जीवन और आर्थिक गतिविधियों के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं। मध्य पाषाण काल के स्थलों में एक भिन्न प्रकार के पाषाण के औजार प्राप्त हुए हैं। ये छोटे पत्थर की कलाकृतियाँ हैं, जिनका आकार अक्सर पाँच सेंटीमीटर से अधिक नहीं है, और इसलिए इन्हें माइक्रोलिथ कहा जाता है। इस अवधि के दौरान शिकार-संग्रह गतिविधि जारी थी।
हालाँकि, ऐसा प्रतीत होता है कि बड़े जानवरों के शिकार से छोटे जानवरों के शिकार और मछली पकड़ने के तरीकों में बदलाव हुआ। इसी काल में धनुष-बाण का प्रयोग भी प्रारम्भ हुआ। साथ ही, एक क्षेत्र में अधिक समय तक बसने की प्रवृत्ति शुरू हुई। इसलिए पशुओं को पालतू बनाना, बागवानी और आदिम खेती शुरू हुई। इन स्थलों में जानवरों की हड्डियाँ पाई गई हैं और जिसमें कुत्ता, हिरण, सूअर और शुतुरमुर्ग शामिल हैं। कभी-कभी, कुछ माइक्रोलिथ और शेल के साथ मृतकों को दफनाने की क्रिया की जाती थी है।
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Question 2 of 5
2. Question
निम्नलिखित में से अंतिम मौर्य राजा कौन था?
Correct
उत्तर: c)
अशोक की मृत्यु 232 ई.पू. हुयी थी जिसके बाद मौर्य साम्राज्य का दो भागों में विभाजन हुआ – पश्चिमी और पूर्वी। पश्चिमी भाग पर अशोक के पुत्र कुणाल का शासन था और पूर्वी भाग पर अशोक के पौत्रों में से एक दशरथ का शासन था। बैक्ट्रियन आक्रमणों के कारण साम्राज्य का पश्चिमी भाग ध्वस्त हो गया। दशरथ के उत्तराधिकारी संप्रति के अधीन पूर्वी भाग अक्षुण्ण बना रहा था। अंतिम मौर्य राजा बृहत्रथ था, जिनकी हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की थी।
Incorrect
उत्तर: c)
अशोक की मृत्यु 232 ई.पू. हुयी थी जिसके बाद मौर्य साम्राज्य का दो भागों में विभाजन हुआ – पश्चिमी और पूर्वी। पश्चिमी भाग पर अशोक के पुत्र कुणाल का शासन था और पूर्वी भाग पर अशोक के पौत्रों में से एक दशरथ का शासन था। बैक्ट्रियन आक्रमणों के कारण साम्राज्य का पश्चिमी भाग ध्वस्त हो गया। दशरथ के उत्तराधिकारी संप्रति के अधीन पूर्वी भाग अक्षुण्ण बना रहा था। अंतिम मौर्य राजा बृहत्रथ था, जिनकी हत्या पुष्यमित्र शुंग ने की थी।
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Question 3 of 5
3. Question
लचित बोरफुकन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- वह अहोम राज्य में सेनापति था।
- वह सरायघाट की लड़ाई में अपने नेतृत्व के लिए जाना हैं।
- सरायघाट की लड़ाई अहोम साम्राज्य और ब्रिटिश साम्राज्य के बीच लड़ी गई थी।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
लचित बोरफुकन
वह अहोम राज्य में सेनापति था।
1671 में सरायघाट की लड़ाई में उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है, जिसने अहोम साम्राज्य पर कब्जा करने के लिए रामसिंह प्रथम की कमान के तहत मुगल सेना द्वारा किए गए प्रयास को विफल कर दिया था।
सरायघाट की लड़ाई गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र के तट पर लड़ी गई थी।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), 1999 से अब तक सर्वश्रेष्ठ पासिंग आउट कैडेट को लचित बोरफुकन स्वर्ण पदक से सम्मानित कर रही है।
सरायघाट की लड़ाई के अंतिम चरण के दौरान, जब मुगलों ने सरायघाट में नदी के माध्यम से असमिया सेना पर हमला किया, तो कई असमिया सैनिकों ने लड़ने से मना कर दिया। यह सभी सैनिकों के लिए लचित का स्पष्ट आह्वान था जिसने उन्हें अपनी अंतिम सांस तक लड़ने के लिए मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः मुगलों की हार हुई।
Incorrect
उत्तर: b)
लचित बोरफुकन
वह अहोम राज्य में सेनापति था।
1671 में सरायघाट की लड़ाई में उनके नेतृत्व के लिए जाना जाता है, जिसने अहोम साम्राज्य पर कब्जा करने के लिए रामसिंह प्रथम की कमान के तहत मुगल सेना द्वारा किए गए प्रयास को विफल कर दिया था।
सरायघाट की लड़ाई गुवाहाटी में ब्रह्मपुत्र के तट पर लड़ी गई थी।
राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), 1999 से अब तक सर्वश्रेष्ठ पासिंग आउट कैडेट को लचित बोरफुकन स्वर्ण पदक से सम्मानित कर रही है।
सरायघाट की लड़ाई के अंतिम चरण के दौरान, जब मुगलों ने सरायघाट में नदी के माध्यम से असमिया सेना पर हमला किया, तो कई असमिया सैनिकों ने लड़ने से मना कर दिया। यह सभी सैनिकों के लिए लचित का स्पष्ट आह्वान था जिसने उन्हें अपनी अंतिम सांस तक लड़ने के लिए मजबूर किया, जिसके परिणामस्वरूप अंततः मुगलों की हार हुई।
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Question 4 of 5
4. Question
मोपला विद्रोह के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह मालाबार क्षेत्र में अंग्रेजों और हिंदू जमींदारों के खिलाफ लड़ा गया था।
- इसने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा को भी जन्म दिया।
- वर्ष 2021 विद्रोह की 100वीं वर्षगांठ है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
1921 का मैपिला विद्रोह या मोपला विद्रोह (मोपला दंगा) 19वीं और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में मालाबार (उत्तरी केरल) में ब्रिटिश और हिंदू जमींदारों के खिलाफ मोपला (मालाबार के मुस्लिम) द्वारा द्वारा लड़ा गया था।
- वर्ष 2021 में विद्रोह की 100वीं वर्षगांठ होगी।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और सामंती व्यवस्था के खिलाफ शुरू हुआ प्रतिरोध बाद में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा में परिणित हुआ।
Incorrect
उत्तर: d)
1921 का मैपिला विद्रोह या मोपला विद्रोह (मोपला दंगा) 19वीं और 20वीं शताब्दी की शुरुआत में मालाबार (उत्तरी केरल) में ब्रिटिश और हिंदू जमींदारों के खिलाफ मोपला (मालाबार के मुस्लिम) द्वारा द्वारा लड़ा गया था।
- वर्ष 2021 में विद्रोह की 100वीं वर्षगांठ होगी।
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और सामंती व्यवस्था के खिलाफ शुरू हुआ प्रतिरोध बाद में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच सांप्रदायिक हिंसा में परिणित हुआ।
-
Question 5 of 5
5. Question
पं. मदन मोहन मालवीय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार क्जिये।
- उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य नहीं किया था।
- उन्होंने दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया।
- वह एक समाज सुधारक थे जिन्होंने छुआछूत का विरोध किया और दलितों के मंदिर में प्रवेश के लिए काम किया।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: d)
- मदन मोहन मालवीय एक स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।
- उन्हें 2014 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- वे एक हिंदी पत्रिका ‘हिन्दोस्थान’ के संपादक थे।
- वे 1889 में ‘इंडियन ओपिनियन’ के संपादक बने। उन्होंने एक हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’, एक अंग्रेजी दैनिक ‘लीडर’, एक हिंदी अखबार ‘मर्यादा’ भी शुरू किया।
- पंडित मालवीय ने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे 1939 तक इसके कुलपति भी बने रहे।
- वह मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल और लखनऊ समझौते के विरोधी थे।
- वह खिलाफत आंदोलन में कांग्रेस की भागीदारी के भी खिलाफ थे।
- उन्होंने 1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था।
- उन्होंने गंगा में बांधों पर निर्माण का विरोध करने के लिए गंगा महासभा की शुरुआत की।
- वे एक समाज सुधारक भी थे जिन्होंने छुआछूत का विरोध किया था। उन्होंने महाराष्ट्र के नासिक में कालाराम मंदिर में दलितों के मंदिर में प्रवेश के लिए काम किया।
Incorrect
उत्तर: d)
- मदन मोहन मालवीय एक स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक थे।
- उन्होंने चार बार कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया था।
- उन्हें 2014 में मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।
- वे एक हिंदी पत्रिका ‘हिन्दोस्थान’ के संपादक थे।
- वे 1889 में ‘इंडियन ओपिनियन’ के संपादक बने। उन्होंने एक हिंदी साप्ताहिक ‘अभ्युदय’, एक अंग्रेजी दैनिक ‘लीडर’, एक हिंदी अखबार ‘मर्यादा’ भी शुरू किया।
- पंडित मालवीय ने 1916 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे 1939 तक इसके कुलपति भी बने रहे।
- वह मुसलमानों के लिए पृथक निर्वाचक मंडल और लखनऊ समझौते के विरोधी थे।
- वह खिलाफत आंदोलन में कांग्रेस की भागीदारी के भी खिलाफ थे।
- उन्होंने 1931 में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया था।
- उन्होंने गंगा में बांधों पर निर्माण का विरोध करने के लिए गंगा महासभा की शुरुआत की।
- वे एक समाज सुधारक भी थे जिन्होंने छुआछूत का विरोध किया था। उन्होंने महाराष्ट्र के नासिक में कालाराम मंदिर में दलितों के मंदिर में प्रवेश के लिए काम किया।
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