विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. केबल टीवी नेटवर्क नियमों में संशोधन
2. गोल्ड हॉलमार्किंग और इसकी अनिवार्यता
सामान्य अध्ययन-III
1. न्यूट्रिनो
2. सफलतापूर्वक डॉकिंग के बाद तीन चीनी अंतरिक्ष यात्रियों का अपने अंतरिक्ष स्टेशन में प्रवेश
3. ट्विटर के लिए ‘सेफ हार्बर’ दर्जा खोने का तात्पर्य
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. ‘जूनटीन्थ’
2. केरल की सिल्वरलाइन परियोजना
3. भारत का मरुस्थलीकरण एवं भूमि क्षरण एटलस
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
केबल टीवी नेटवर्क नियमों में संशोधन
संदर्भ:
सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने केंद्र ‘केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम’, 1994 में संशोधन करते हुए एक अधिसूचना जारी की है, जिसके अनुसार टेलीविजन चैनलों द्वारा प्रसारित सामग्री से संबंधित नागरिकों की आपत्तियों/शिकायतों के निवारण के लिए एक वैधानिक व्यवस्था करने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
केबल टेलीविजन नेटवर्क (संशोधन) नियम, 2021 का अवलोकन:
यह संशोधित नियम शिकायतों के निपटारे हेतु त्रिस्तरीय तंत्र का प्रावधान करते हैं।
- प्रसारकों द्वारा स्व-नियमन (self-regulation by broadcasters),
- प्रसारकों के स्व-नियमन निकायों द्वारा स्व-नियमन (self-regulation by the self-regulating bodies of the broadcasters) और
- केंद्र सरकार के स्तर पर एक अंतर-विभागीय समिति द्वारा निगरानी (oversight by an Inter-Departmental Committee at the level of the Union government)।
शिकायत निवारण प्रक्रिया:
- नियमों के अनुसार, चैनलों पर प्रसारित किसी भी कार्यक्रम से परेशानी होने पर दर्शक उस संबंध में प्रसारक से लिखित शिकायत कर सकता है। ऐसी शिकायत प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर प्रसारक को उसका निपटारा करना होगा और शिकायतकर्ता को अपना निर्णय बताना होगा।
- यदि शिकायतकर्ता, प्रसारक के जबाव से संतुष्ट नहीं होता है, तो शिकायत को टीवी चैनलों द्वारा स्थापित स्व-विनियमन निकाय के पास भेजा जा सकता है। ये स्व-नियामक निकाय अपील प्राप्ति के 60 दिनों के भीतर अपील का निपटारा करेंगे।
- यदि शिकायतकर्ता स्व-नियामक निकाय के निर्णय से संतुष्ट नहीं है, वह इस तरह के निर्णय के 15 दिनों के भीतर, निगरानी तंत्र के तहत विचार करने के लिए केंद्र सरकार से अपील कर सकता है।
- इस प्रकार की अपीलों पर निगरानी तंत्र के तहत गठित अंतर-विभागीय समिति द्वारा कार्रवाई की जाएगी।
समिति की संरचना:
इस समिति की अध्यक्षता सूचना और प्रसारण मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव द्वारा की जाएगी और इसमें विभिन्न मंत्रालयों के सदस्य शामिल होंगे।
समिति की शक्तियां:
- यह समिति, केंद्र सरकार के लिए संबंधित मामलों पर सलाह देने, चेतावनी जारी करने, भर्त्सना करने, या किसी प्रसारक को फटकार लगाने अथवा माफी की मांग करने के संबंध में सिफारिश करेगी।
- यह समिति आवश्यक समझे जाने पर, किसी प्रसारक (ब्रॉडकास्टर) किसी कार्यक्रम के प्रसारण के दौरान ‘चेतावनी सूचना या एक खंडन (Disclaimer) शामिल करने, किसी सामग्री को हटाने या संशोधित करने, चैनल या किसी कार्यक्रम को एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए बंद करने के लिए कह सकती है।
वर्तमान शिकायत निवारण तंत्र:
वर्तमान में, नियमों के तहत कार्यक्रम/विज्ञापन संहिताओं के उल्लंघन से संबंधित नागरिकों की शिकायतों का समाधान करने हेतु एक अंतर-मंत्रालयी समिति के माध्यम से एक संस्थागत तंत्र कार्य करता है, हालांकि, इस समिति के पास वैधानिक आधार नहीं है।
नए नियमों का महत्व:
- यह नियम, शिकायतों के निवारण हेतु एक सशक्त संस्थागत व्यवस्था करने का मार्ग प्रशस्त प्रशस्त करते हैं।
- इनके माध्यम से, प्रसारकों और उनके स्व-नियामक निकायों पर जवाबदेही एवं जिम्मेदारी निर्धारित की गई है।
केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995:
(Cable Television Networks (Regulation) Act, 1995)
- केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम के अधीन प्रशासित किसी भी मीडिया द्वारा अधिनियम के प्रावधानों तथा ‘प्रोग्राम कोड’ का पहली बार उल्लंघन करने पर दो साल तक की कैद अथवा 1,000 रुपए तक जुर्माना या दोने हो सकते है, इसके बाद फिर से अपराध करने पर पांच साल तक की कैद तथा 5,000 रुपए तक जुर्माना हो सकता है।
- ‘प्रोग्राम कोड’ में केबल टीवी चैनलों के लिए एक विस्तृत ‘निषिद्ध’ सूची शामिल की गए है, जिसमे कहा गया है, कि किसी भी प्रकार के अश्लील, अपमानजनक, मिथ्या और परोक्ष में इशारा करने वाले तथा अर्ध-सत्य विवरण देने वाले कार्यक्रमों का प्रसारण नहीं किया जाना चाहिए।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि इंडियन ब्रॉडकास्टिंग फाउंडेशन (IBF), डिजिटल स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म को नियमों के अंतर्गत लाने हेतु अपने दायरे का विस्तार कर रहा है और इसका नाम बदलकर ‘इंडियन ब्रॉडकास्टिंग एंड डिजिटल फाउंडेशन’ (IBDF) कर दिया जाएगा? इसके बारे में अधिक जानें,
प्रीलिम्स लिंक:
- केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 के बारे में
- नवीनतम संशोधन
- अंतर-विभागीय समिति की संरचना
- समिति के कार्य
मेंस लिंक:
नवीनतम संशोधनों की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
गोल्ड हॉलमार्किंग और इसकी अनिवार्यता
संदर्भ:
हाल ही में, भारत सरकार ने 16 जून से सोने के आभूषणों की हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने की घोषणा की है। इसे पूरे देश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा।
प्रयोज्यता:
घोषणा के तहत, पहले चरण में केवल 256 जिलों में ही ‘गोल्ड हॉलमार्किंग’ (Gold Hallmarking) उपलब्ध होगी और 40 लाख रुपये से अधिक का वार्षिक कारोबार वाले जौहरी इस प्रावधान के दायरे में आएंगे।
‘गोल्ड हॉलमार्किंग’ क्या होती है?
हॉलमार्किंग, बहुमूल्य धातु की वस्तु में उस कीमती धातु के आनुपातिक अंश का सटीक निर्धारण और आधिकारिक रिकॉर्डिंग होती है।
- इस प्रकार, हॉलमार्क, बहुमूल्य धातु की वस्तुओं की उत्कृष्टता या शुद्धता की गारंटी की तरह होता है और कई देशों में आधिकारिक चिह्न के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- भारत में, सोने और चांदी की हॉलमार्किंग योजना का कार्यान्वयन ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ (Bureau of Indian Standard- BIS) द्वारा किया जाता है।
हॉलमार्किंग के दायरे में आने वाली धातुएं:
- स्वर्ण आभूषण और स्वर्ण निर्मित की कलाकृतियां।
- चांदी के आभूषण और चांदी की कलाकृतियां।
अनिवार्य हॉलमार्किंग व्यवस्था से छूट:
- भारत सरकार की व्यापार नीति के तहत आभूषणों का निर्यात और पुन:आयात करने वाली इकाइयों को इस व्यवस्था से छूट प्रदान की गई है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शनी के साथ-साथ सरकार द्वारा अनुमोदित बी2बी (व्यापारियों के बीच) घरेलू प्रदर्शनियों के लिये भी इससे छूट होगी।
- सोने की घड़ियों, फाउंटेन पेन्स और कुंदन, पोल्की व जड़ाऊ जैसे गोल्ड आइटम्स के लिए हॉलमार्किंग का प्रावधान नहीं लागू होगा।
हॉलमार्किंग को अनिवार्य करने की आवश्यकता:
भारत सोने का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। हालांकि, देश में हॉलमार्क वाले गहनों का स्तर बहुत कम है- भारतीय सोने के आभूषणों में से केवल 30% पर ही हॉलमार्क होता है। इसके पीछे मुख्य कारण पर्याप्त ‘परख और हॉलमार्किंग केंद्रों’ (Assaying and Hallmarking Centres– A&HC) की अनुपलब्धता है।
- अनिवार्य हॉलमार्किंग योजना का मुख्य उद्देश्य मिलावटी सोने से जनता की रक्षा करना और उत्कृष्टता के वैध मानकों को बनाए रखने के लिए निर्माताओं को बाध्य करना है।
- यह उपभोक्ताओं के लिए आभूषणों पर अंकित शुद्धता को प्राप्त करने में भी मदद करेगा।
- यह व्यवस्था पारदर्शिता लाएगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्ता का आश्वासन प्रदान करेगी।
इंस्टा जिज्ञासु:
यानोमामी क्षेत्र (Yanomami territory) से आने वाले सोने को ‘ब्लड गोल्ड’ क्यों कहा जाता है? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- हॉलमार्किंग के बारे में
- कार्यान्वयन एजेंसी
- प्रयोज्यता
- छूट
- लाभ
मेंस लिंक:
भारत में सोने की हॉलमार्किंग की आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सामान्य अध्ययन- III
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी- विकास एवं अनुप्रयोग और रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
न्यूट्रीनो
(Neutrinos)
संदर्भ:
हाल ही में, वैज्ञानिकों ने साबित किया है कि अंतरिक्ष-समय (Space-Time) की ज्यामिति न्यूट्रिनो का दोलन कर सकती है।
(नोट: इससे संबंधित तकनीकी विवरण परीक्षा की दृष्टि से इतना महत्वपूर्ण नहीं हैं, हालांकि, आपको न्यूट्रीनो और उनकी विशेषताओं के बारे में जानना आवश्यक है।)
‘न्यूट्रिनो’ क्या हैं?
वर्ष 1959 में पहली बार खोजे गए, न्यूट्रिनो (Neutrinos), फोटॉन या प्रकाश कणों के बाद विश्व में दूसरे सर्वाधिक प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले कण हैं।
- न्यूट्रिनो रहस्यमयी कण हैं, जो सूर्य, तारों और अन्यत्र जगहों पर होने वाली परमाणु अभिक्रियाओं के दौरान प्रचुर मात्रा में उत्पन्न होते हैं।
- न्यूट्रिनो “दोलन” (Oscillate) भी करते हैं, जिसका अर्थ है कि विभिन्न प्रकार के न्यूट्रिनों एक दूसरे में परिवर्तित हो जाते हैं ।
- वे “दोलन” भी करते हैं – जिसका अर्थ है कि विभिन्न प्रकार के न्यूट्रिनो एक दूसरे में बदल जाते हैं।
- ब्रह्मांड की उत्पत्ति के अध्ययन में न्यूट्रिनो के दोलनों और द्रव्यमान के साथ उनके संबंधों की जांच बेहद महत्वपूर्ण है।
स्रोत:
न्यूट्रिनो, किसी सुपरनोवा परिघटना के दौरान, ब्रह्मांडीय किरणों द्वारा परमाणुओं पर प्रहार करने, आदि से होने वाले विभिन्न रेडियोधर्मी क्षय (Radioactive Decays) द्वारा निर्मित होते हैं।
न्यूट्रिनो की विशेषताएं:
- न्यूट्रिनो, किसी भी वस्तु या पदार्थ से शायद ही कभी कोई अभिक्रिया करते हैं – वास्तव में, न्यूट्रिनो, प्रति सेकंड सैकड़ों ट्रिलियन न्यूट्रिनो, इंसानों के बीच से होकर गुजरते रहते हैं, और हम उन्हें कभी भी नोटिस नहीं कर पाते हैं।
- न्यूट्रिनो का प्रचक्रण (स्पिन) सदैव अपनी गति की विपरीत दिशा में होता है।
- कुछ साल पहले तक, न्यूट्रिनो को द्रव्यमान रहित माना जाता था।
- किंतु अब आमतौर पर यह माना जाता है कि न्यूट्रिनो को दोलनों की घटना के लिए थोड़े द्रव्यमान की आवश्यकता होती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि तमिलनाडु के थेनी जिले के बोडी वेस्ट हिल्स में एक ‘भारत स्थित न्यूट्रिनो वेधशाला’ (India based Neutrino Observatory – INO) स्थापित की जा रही है? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- न्यूट्रिनो क्या हैं?
- विशेषताएं
- न्यूट्रिनो बनाम फोटॉन
- फ़र्मिऑन (fermions) क्या होते हैं?
स्रोत: पीआईबी।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
सफलतापूर्वक डॉकिंग के बाद तीन चीनी अंतरिक्ष यात्रियों का अपने अंतरिक्ष स्टेशन में प्रवेश
संदर्भ:
हाल ही में, चीन का मानवयुक्त अंतरिक्ष यान ‘शेनझोउ-12’ (Shenzhou-12) सफलतापूर्वक चीनी अंतरिक्ष स्टेशन के कोर मॉड्यूल तियान्हे (Tianhe) के साथ सफलतापूर्वक जुड़ गया है और ऑर्बिटल कैप्सूल में प्रवेश कर गया है।
चीन के अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में:
- चीन का नया मल्टी-मॉड्यूल ‘तिआनगोंग’ (Tiangong) अंतरिक्ष स्टेशन कम से कम 10 वर्षों तक कार्य करने के तैयार हो चुका है।
- तियान्हे मॉड्यूल, चीन के पहले स्व-विकसित अंतरिक्ष स्टेशन के तीन मुख्य घटकों में से एक है। यह, वर्तमान में कार्यरत एकमात्र अन्य अंतरिक्ष स्टेशन- अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station- ISS) को प्रतिद्वंद्वी होगा।
- यह अंतरिक्ष स्टेशन पृथ्वी की सतह से 340-450 किमी की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में कार्य करेगा।
चीनी अंतरिक्ष स्टेशन का महत्व:
- पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थित चीनी अंतरिक्ष स्टेशन, चीन की आकशीय दृष्टि की भांति कार्य करेगा, और यह चीन के अंतरिक्ष यात्रियों के लिए, विश्व के बाकी हिस्सों का चौबीसों घंटे विहंगम दृश्य प्रदान करेगा।
- यह अंतरिक्ष स्टेशन, चीन को वर्ष 2030 तक एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति बनने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगा।
संबंधित चिंताएं:
- चीन का अंतरिक्ष स्टेशन रोबोटिक-आर्म से लैस होगा जिस पर अमेरिका द्वारा इसके संभावित सैन्य अनुप्रयोगों में उपयोग किए जाने पर चिंता जताई है।
- चिंता की बात यह है कि इस तकनीक का “भविष्य में अन्य उपग्रहों से साथ मॉल-युद्ध करने में इस्तेमाल किया जा सकता है”।
अन्य अंतरिक्ष स्टेशन:
- वर्तमान में, अंतरिक्षीय कक्षा में एकमात्र अंतरिक्ष स्टेशन, ‘अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन’ (ISS) कार्यरत है। आईएसएस, संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, यूरोप, जापान और कनाडा का अंतर्राष्ट्रीय सहयोग प्रोजेक्ट है।
- चीन द्वारा अब तक ‘तिआनगोंग-1’ और ‘तिआनगोंग-2’ नामक दो परीक्षण अंतरिक्ष स्टेशनों को अंतरिक्षीय कक्षा में भेजा जा चुका है।
- भारत भी, वर्ष 2030 तक अपना स्पेस स्टेशन लॉन्च करने की योजना बना रहा है।
इंस्टा जिज्ञासु:
विभिन्न प्रकार की अंतरिक्षीय कक्षाएं: click here
प्रीलिम्स लिंक:
- आईएसएस के बारे में
- आईएसएस में शामिल देश
- उद्देश्य
- पिछले अंतरिक्ष स्टेशन
मेंस लिंक:
अन्तर्राष्ट्रीय अन्तरिक्ष स्टेशन (ISS) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
ट्विटर के लिए ‘सेफ हार्बर’ दर्जा खोने का तात्पर्य
संदर्भ:
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 26 मई से लागू हुए नए आईटी नियमों का पालन न करने के कारण ट्विटर ने भारत में अपना ‘मध्यस्थ दर्जा’ (Intermediary Status) गवां दिया है।
‘मध्यस्थ स्थिति’ का क्या अर्थ है?
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 2 (1) के अनुसार, ‘मध्यस्थ’ (Intermediary) वे व्यक्ति / संस्थाएं होते है, जो जानकारी या सूचनाएं प्राप्त करते हैं, संग्रहीत करते हैं और प्रसारित करते हैं अथवा सूचनाओं के प्रसारण हेतु सेवा प्रदान करते हैं।
‘मध्यस्थ’ की श्रेणी में दूरसंचार सेवा प्रदाता, नेटवर्क सेवा प्रदाता, इंटरनेट सेवा प्रदाता, खोज इंजन, ऑनलाइन भुगतान साइट, ऑनलाइन नीलामी साइट, ऑनलाइन बाज़ार और यहां तक कि साइबर कैफे भी शामिल किए गए हैं।
कृपया ध्यान दें, ‘मध्यस्थ का दर्जा’ सरकार द्वारा दिया गया पंजीकरण (Registration) नहीं होता है।
‘मध्यस्थ दर्जा’ के लाभ:
ट्विटर जैसी मध्यस्थों को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 79 के तहत सरंक्षण प्रदान किया गया है। इसके अनुसार, जब तक कोई मध्यस्थ, अदालतों या अन्य प्राधिकारियों से सामग्री को हटाने संबंधी कानूनी आदेश का पालन करते हैं, तब तक उन्हें अपने प्लेटफ़ॉर्म पर प्रकाशित तीसरे पक्ष की सामग्री के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।
सेफ हार्बर (Safe harbour) संरक्षण क्या है?
- गौर कीजिए, किसी उपयोगकर्ता के ट्वीट वायरल हो जाते हैं और जिसके परिणामस्वरूप हत्या या हिंसा की घटना घटित हो जाती है। अब, सेफ हार्बर (Safe Harbour) संरक्षण के तहत, ट्विटर को केवल इस कारण से उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। हालांकि, यदि ट्विटर या किसी अन्य मध्यस्थ को अदालत या अधिकारियों से इस संबंध में कानूनी आदेश मिलता है तो उन्हें सामग्री को हटाना होगा। इसे सेफ हार्बर संरक्षण कहा जाता है।
- इन सेफ हार्बर प्रावधानों को आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत परिभाषित किया गया है, और इनके तहत, सोशल मीडिया मध्यवर्ती इकाइयों को अपने प्लेटफार्मों पर पोस्ट की गई किसी भी सामग्री के लिए कानूनी अभियोजन से प्रतिरक्षा प्रदान की जायेगी।
यह ट्विटर को किस प्रकार प्रभावित करता है?
- संक्षेप में कहें तो, चूंकि आईटी अधिनियम की धारा 79 के तहत ट्विटर को दी गई प्रतिरक्षा अब समाप्त हो गई है, और इस वजह से किसी सामग्री के प्रकाशक के रूप में इसके खिलाफ किसी भी और सभी दंडात्मक कार्रवाईयां की जा सकती हैं।
- इसका मतलब यह है, कि यदि कोई उपयोगकर्ता ट्विटर पर कोई ऐसी सामग्री पोस्ट करता है जिससे किसी प्रकार की हिंसा होती है, या सामग्री के संबंध में किसी भी भारतीय कानून का उल्लंघन होता है, तो न केवल ट्वीट करने वाले व्यक्ति को जिम्मेदार ठहराया जाएगा, बल्कि ट्विटर भी कानूनी रूप से इसके लिए जिम्मेदार होगा।
‘मध्यस्थ दर्जा’ का निर्धारण कौन करेगा?
इस विषय पर, केवल न्यायालय यह तय करेगा कि क्या ट्विटर या अन्य सोशल मीडिया मध्यस्थ, कानून के तहत इस दर्जे को खो सकते हैं। ‘मध्यस्थ दर्जा’ खोने संबंधी निर्णय सरकार नहीं कर सकती।
मध्यस्थ प्लेटफॉर्म्स द्वारा ‘सेफ हार्बर’ की मांग का कारण:
- लाखों उपयोगकर्ताओं वाले ट्विटर और फेसबुक जैसे प्लेटफॉर्म, का तर्क है, कि जैसे कि अमेज़ॅन के प्रबंध निदेशक को हमेशा ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर बेची जाने वाली सभी वस्तुओं के बारे में पता नहीं होता है, उसी प्रकार उन्हें संभवतः हर पोस्ट के बारे में जानकारी नहीं हो सकती है।
- परिणामस्वरूप, उनके लिए किसी भी पोस्ट के लिए उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है। ‘सेफ हार्बर’ सुरक्षा को हटाने का मतलब यह होगा कि प्लेटफ़ॉर्म को, उनके द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं पर उपलब्ध सामग्री पर सक्रिय रूप से पुलिसिंग और सेंसर करना होगा, जोकि स्वतंत्र अभिव्यक्ति और अन्य मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो सकता है।
‘सेफ हार्बर’ के खिलाफ तर्क:
‘सेफ हार्बर’ प्रावधान के खिलाफ एक यह तर्क दिया जा रहा है, कि इन प्लेटफॉर्म्स पर क्या प्रदर्शित किया जा सकता है, यह निर्धारित करने के लिए, ये कंपनियां ‘रैंकिंग एल्गोरिदम’ का उपयोग करके संपादकीय निर्णय ले रही हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
इन नियमों को गृह मंत्रालय द्वारा लागू नहीं किया गया है। आईटी अधिनियम को इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने तैयार और लागू किया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- नए नियमों का अवलोकन
- परिभाषा के अनुसार ‘मध्यस्थ’ कौन हैं?
- ‘सेफ हार्बर’ संरक्षण क्या है?
- नए नियमों के तहत प्रदत्त शिकायत निवारण तंत्र।
मेंस लिंक:
नए आईटी नियमों के खिलाफ क्या चिंताएं जताई जा रही है? इन आशंकाओं को दूर करने के तरीकों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
‘जूनटीन्थ’
(Juneteenth)
हाल ही में, अमेरिकी सरकार ने ‘जूनटीन्थ’ (Juneteenth) या 19 जून को संघीय अवकाश के रूप में मान्यता दी है।
जूनटीन्थ क्या है?
यह अमेरिका में दासता की समाप्ति का राष्ट्रीय स्तर पर मनाया जाने वाला सबसे पुराना स्मरणोत्सव है और 19 जून को मनाया जाता है।
- इस दिन को मुक्ति दिवस या जूनटीन्थ स्वतंत्रता दिवस के रूप में भी जाना जाता है।
- 19 जून, 1865 को, मेजर जनरल गॉर्डन ग्रेंजर, टेक्सास के गैल्वेस्टन पहुंचे और गृहयुद्ध और दासता दोनों के अंत की घोषणा की।
- तब से, जूनटीन्थ, अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए स्वतंत्रता का प्रतिनिधित्व करने वाली एक प्रतीकात्मक तिथि बन गई है।
केरल की सिल्वरलाइन परियोजना
(Kerala’s SilverLine project)
यह केरल की प्रमुख ‘सेमी हाई-स्पीड’ रेलवे परियोजना (semi high-speed railway project) है, और इसका उद्देश्य राज्य के उत्तरी और दक्षिणी छोर के बीच यात्रा के समय को कम करना है।
- यह परियोजना केरल के दक्षिणी छोर तथा राज्य की राजधानी तिरुवनंतपुरम को कासरगोड के उत्तरी छोर से जोड़ती है।
- यह लाइन लगभग 529.45 किलोमीटर लंबी होगी, और राज्य के 11 जिलों से होकर गुजरेगी।
- यह परियोजना केरल रेल विकास निगम लिमिटेड (KRDCL) द्वारा निष्पादित की जा रही है। KRDCL अथवा के- रेल (K-Rail), केरल सरकार और केंद्रीय रेल मंत्रालय के मध्य एक संयुक्त उद्यम है।
भारत का मरुस्थलीकरण एवं भूमि क्षरण एटलस
(Desertification and Land Degradation Atlas of India)
इसे अहमदाबाद स्थित एप्लीकेशन सेंटर, इसरो ने प्रकाशित किया है।
- यह एटलस 2018-19 की समयावधि के लिए अपरदित भूमि का राज्यवार क्षेत्र को दिखाता है।
- इसे 17 जून को मनाए गए ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ के अवसर पर जारी किया गया था।
- ‘विश्व मरुस्थलीकरण और सूखा रोकथाम दिवस’ 2021 की थीम: ‘रेस्टोरेशन. लैंड. रिकवरी. वी बिल्ड बेक बेटर विद हेल्थी लैंड’ ( Land. Recovery. We build back better with healthy land’ है।
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