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INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 15 June 2021

 

 

विषय-सूची:

सामान्य अध्ययन-I

1. तुलु भाषा का इतिहास और इसके लिए राजभाषा के दर्जे की मांग

 

सामान्य अध्ययन-II

1. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)

2. इंटरनेट प्रतिबंधों की आवश्यकता पर भारतीय नजरिए का G7 द्वारा समायोजन

3. नाटो शिखर सम्मेलन

4. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ईयर बुक 2021

 

सामान्य अध्ययन-III

1. न्यू शेफर्ड रॉकेट सिस्टम

2. बासमती को लेकर भारत और पाकिस्तान की लड़ाई

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL)

2. ‘जीवन वायु’

3. जरदालु आम

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

तुलु भाषा का इतिहास और इसके लिए राजभाषा के दर्जे की मांग


संदर्भ:

तुलु भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने, तथा कर्नाटक और केरल में इसे आधिकारिक भाषा का दर्जा दिए जाने की मांग जोर पकडती जा रही है।

तुलु भाषा के बारे में:

तुलु (Tulu) एक द्रविड़ भाषा है, जिसे मुख्यतः कर्नाटक के दो तटीय जिलों दक्षिण कन्नड़ तथा उडुपी, और केरल के कासरगोड जिले में बोला जाता है।

  • वर्ष 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, भारत में तुलु भाषी लोगों की संख्या 18,46,427 है।
  • ‘रॉबर्ट काल्डवेल’ (1814-1891) ने अपनी पुस्तक ‘ए कम्पेरेटिव ग्रामर ऑफ द द्रविड़ियन या साउथ-इंडियन फैमिली ऑफ लैंग्वेजेज’ में तुलु भाषा को “द्रविड़ परिवार की सबसे विकसित भाषाओं में से एक” बताया है।
  • तुलु भाषा में एक समृद्ध मौखिक साहित्य परंपरा पाई जाती है, जिसमे पद्दाना (Paddana) जैसे लोक-गीत और यक्षगान जैसे पारंपरिक लोक रंगमंच रूप शामिल हैं।

संविधान की आठवीं अनुसूची:

भारतीय संविधान के भाग XVII में अनुच्छेद 343 से अनुच्छेद 351 तक आधिकारिक भाषाओं से संबंधित प्रावधान किये गए हैं।

आठवीं अनुसूची से संबंधित संवैधानिक प्रावधान:

  1. अनुच्छेद 344: अनुच्छेद 344(1) में संविधान के प्रारंभ से पांच वर्ष की समाप्ति पर राष्ट्रपति द्वारा एक आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है।
  2. अनुच्छेद 351: इसके तहत, हिंदी भाषा के विकास हेतु इसका प्रसार करने के संबंध में प्रावधान किये गए हैं, जिससे कि वह भारत की सामासिक संस्कृति के सभी तत्वों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन सके।

वर्तमान में, संविधान की आठवीं अनुसूची में, असमिया, बंगाली, गुजराती, हिंदी, कन्नड़, कश्मीरी, कोंकणी, मलयालम, मणिपुरी, मराठी, नेपाली, उड़िया, पंजाबी, संस्कृत, सिंधी, तमिल, तेलुगु, उर्दू, बोडो, संथाली, मैथिली और डोगरी, कुल 22 भाषाएँ शामिल है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि कासरगोड जिले को ‘सप्त भाषा संगम भूमि (सात भाषाओं का संगम)’ कहा जाता है, और तुलु इन सात भाषाओँ में से एक है? इस मुद्दे के बारे में और अधिक यहाँ पढ़ें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भारत के किन राज्यों में अदालती कार्यवाही में हिंदी के वैकल्पिक उपयोग का प्रावधान है?
  2. भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची क्या है
  3. अनुच्छेद 348 किससे संबंधित है?
  4. उच्च न्यायालय की कार्यवाही में हिंदी के उपयोग को अधिकृत करने के लिए राज्यपालों की शक्तियां
  5. आठवीं अनुसूची में भाषाओं को सम्मिलित करने अथवा हटाने की शक्ति
  6. राजभाषा अधिनियम 1963 का अवलोकन

मेंस लिंक:

सरकार को प्रशासन में हिंदी और अंग्रेजी भाषा तक सीमित नहीं रहते हुए, अन्य देशज भाषाओं को शामिल करने के लिए आधिकारिक भाषा अधिनियम, 1963 में संशोधन करने पर विचार करना चाहिए। चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA)


(National Food Security Act)

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित करते हुए बताया किया है, कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने, बिना राशन कार्ड वाले प्रवासियों और ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम’ (NFSA) के तहत प्रदान किए गए खाद्य-सुरक्षा दायरे से बाहर के व्यक्तियों को खाद्यान्न-आपूर्ति करने के लिए, इस साल ‘भारतीय खाद्य निगम’ (FCI) से रियायती दरों पर लगभग 3.7 लाख टन खाद्यान्न खरीदा है।

इसके साथ ही, केंद्र-सरकार ने अदालत में उठाई गई उन आशंकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमे कहा गया था, कि बिना राशन कार्ड वालों को विनाशकारी महामारी के बीच मरने के लिए छोड़ दिया जा सकता है।

पृष्ठभूमि:

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा था कि “बिना राशन कार्ड वाले प्रवासी मजदूरों तक भोजन किस प्रकार पहुँचाया जाएगा”।

‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम’, 2013:   

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act- NFSA) 2013 का उद्देश्य एक गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए लोगों को वहनीय मूल्‍यों पर अच्‍छी गुणवत्‍ता के खाद्यान्‍न की पर्याप्‍त मात्रा उपलब्‍ध कराते हुए उन्‍हें मानव जीवन-चक्र दृष्‍टिकोण में खाद्य और पौषणिक सुरक्षा प्रदान करना है।

अधिनियम की प्रमुख विशेषताऐं:

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली (TPDS) के तहत कवरेज और पात्रता: TPDS के अंतर्गत 5 किलोग्राम प्रति व्‍यक्‍ति प्रति माह की एक-समान हकदारी के साथ 75% ग्रामीण आबादी और 50% शहरी आबादी को कवर किया जाएगा। हालांकि, मौजूदा अंत्‍योदय अन्‍न योजना (AAY) में सम्मिलित निर्धनतम परिवारों की 35 किलोग्राम प्रति परिवार प्रति माह की हकदारी सुनिश्‍चित रखी जाएगी।

टीपीडीएस के अंतर्गत राजसहायता प्राप्‍त मूल्‍य और उनमें संशोधन: इस अधिनियम के लागू होने की तारीख से 3 वर्ष की अवधि के लिए टीपीडीएस के अंतर्गत खाद्यान्‍न अर्थात् चावल, गेहूं और मोटा अनाज क्रमश: 3/2/1 रूपए प्रति किलोग्राम के राजसहायता प्राप्‍त मूल्‍य पर उपलब्‍ध कराया जाएगा। तदुपरान्‍त इन मूल्‍यों को न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य के साथ उचित रूप से जोड़ा जाएगा।

परिवारों की पहचान: टीपीडीएस के अंतर्गत प्रत्‍येक राज्‍य के लिए निर्धारित कवरेज के दायरे में  पात्र परिवारों की पहचान संबंधी कार्य राज्‍यों/संघ राज्‍य क्षेत्रों द्वारा किया जाएगा।

महिलाओं और बच्‍चों के लिए पोषण सहायता: गर्भवती महिलाएं और स्‍तनपान कराने वाली माताएं तथा 6 माह से लेकर 14 वर्ष तक की आयु वर्ग के बच्‍चे एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) और मध्‍याह्न भोजन (एमडीएम) स्‍कीमों के अंतर्गत निर्धारित पौषणिक मानदण्‍डों के अनुसार भोजन के हकदार होंगे । 6 वर्ष की आयु तक के कुपोषित बच्‍चों के लिए उच्‍च स्‍तर के पोषण संबंधी मानदण्‍ड निर्धारित किए गए हैं।

महिलाओं और बच्चों को पोषण संबंधी सहायता: 6 महीने से 14 वर्ष की आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) और मिड-डे मील (MDM) योजनाओं के तहत निर्धारित पोषण मानदंडों के अनुसार भोजन का अधिकार होगा। 6 वर्ष की आयु तक के कुपोषित बच्चों के लिए उच्च पोषण मानदंड निर्धारित किये गए है।

मातृत्व लाभ: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को 6,000 रु. का मातृत्व लाभ भी प्रदान किया जाएगा।

महिला सशक्तीकरण: राशन कार्ड जारी करने के उद्देश्य से, परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला को परिवार का मुखिया माना जाएगा।

शिकायत निवारण तंत्र: जिला और राज्य स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र उपलब्ध कराया जाएगा।

खाद्यान्न की रखरखाव व परिवहन लागत तथा उचित मूल्य की दुकान (FPS) व्यापारियों का लाभ: राज्य के भीतर खाद्यान्न के परिवहन पर खर्च, इसके रखरखाव तथा उचित मूल्य की दुकान (FPS) व्यापारियों के लाभ को इस प्रयोजन हेतु तैयार किए गए मानदंडों के अनुसार निर्धारित किया जाएगा, तथा उपरोक्त व्यय को पूरा करने के राज्यों केंद्र सरकार द्वारा सहायता प्रदान की जाएगी।

पारदर्शिता और जवाबदेही: पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने हेतु, पीडीएस, सामाजिक लेखापरीक्षा और सतर्कता समितियों के गठन से संबंधित रिकॉर्ड को दिखाए जाने संबंधी प्रावधान किए गए हैं।

खाद्य सुरक्षा भत्ता: उपयुक्त खाद्यान्न अथवा भोजन की आपूर्ति नहीं होने की स्थिति में, लाभार्थियों के लिए खाद्य सुरक्षा भत्ता का प्रावधान किया गया है।

दंड अथवा जुर्माना: यदि कोई लोक सेवक या प्राधिकरण, जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा अनुशंसित राहत सहायता प्रदान करने में विफल रहता है, तो प्रावधान के अनुसार राज्य खाद्य आयोग द्वारा जुर्माना लगाया जाएगा।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप पीडीएस और टीपीडीएस में अंतर जानते हैं? यहां पढ़ें,

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. TPDS के बारे में
  2. योजना के तहत खाद्य सुरक्षा भत्ता किसे प्रदान किया जाता है?
  3. अधिनियम के तहत दंड प्रावधान
  4. मातृत्व लाभ संबंधित प्रावधान
  5. एकीकृत बाल विकास सेवा (ICDS) योजना का अवलोकन
  6. मध्याह्न भोजन (MDM) योजना का अवलोकन
  7. योजना के तहत पात्र परिवारों की पहचान

मेंस लिंक:

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA), 2013 के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

इंटरनेट प्रतिबंधों की आवश्यकता पर भारतीय नजरिए का G7 द्वारा समायोजन


संदर्भ:

हाल ही में, “खुले समाज” (Open Societies) पर भारत ने G7 तथा अतिथि देशों के साथ एक संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसमे “लोकतंत्र की रक्षा करने तथा लोगों को भय और दमन से मुक्त रहने में सहायता करने वाली एक स्वतंत्रता के रूप में, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों”, के मूल्यों की पुष्टि और प्रोत्साहित करने की बात कही गई है।

इस बयान में “राजनीति से प्रेरित इंटरनेट शटडाउन” को भी स्वतंत्रता और लोकतंत्र के लिए एक खतरा के रूप में संदर्भित किया गया है।

11 लोकतंत्र / डेमोक्रेसीज़ इलेवन

इस संयुक्त बयान पर G-7 देशों तथा भारत, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका द्वारा हस्ताक्षर किए गए। मेजबान ब्रिटिश प्रधान मंत्री बोरिस जॉनसन ने इन देशों को 11 लोकतंत्र / डेमोक्रेसीज़ इलेवन (Democracies 11) का नाम दिया है।

‘इंटरनेट पर प्रतिबंध’ की आवश्यकता पर भारत के विचार:

खुले समाज, विशेष रूप से दुष्प्रचार और साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील होते हैं। इसलिए, यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि “साइबरस्पेस, लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाने का एक रास्ता बना रहे न कि उसे नष्ट करने का”। इसलिए, कुछ अवसरों पर इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक है।

पृष्ठभूमि:

भारत, जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंधों को लेकर जांच के दायरे में रहा है, यहां तक ​​​​कि केंद्र सरकार अपने नए आईटी नियमों पर ट्विटर जैसे तकनीकी दिग्गजों के विरोध का सामना कर रही है।

  • ट्विटर ने, पिछले महीने भारत में अपने कार्यालयों पर की जाने वाली पुलिस जांच को “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरा” बताया था ।
  • वर्ष 2019-2020 के दौरान ‘नागरिकता संशोधन अधिनियम’ के विरोध और पिछले जनवरी में किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान दिल्ली और असम में इसी प्रकार से संचार-प्रणाली बंद कर दी गई थी।

इंटरनेट सेवाओं को निलंबित करने हेतु प्रक्रिया:

इंटरनेट सेवाओं के निलंबन से संबंधित तीन कानून, सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम-2000, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC), 1973 और टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 हैं।

  • 2017 से पहले, इंटरनेट निलंबन आदेश ‘दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 14के तहत जारी किए जाते थे।
  • वर्ष 2017 में, केंद्र सरकार द्वारा इंटरनेट निलंबन को नियंत्रित करने के लिए ‘टेलीग्राफ अधिनियम के तहत ‘दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (पब्लिक इमरजेंसी या पब्लिक सर्विस) नियम’ (Temporary Suspension of Telecom Services (Public Emergency or Public Service) Rules) को अधिसूचित किया गया।
  • 2017 के नियमों के बावजूद, सरकार द्वारा प्रायः धारा 144 के तहत व्यापक शक्तियों का उपयोग किया जाता है।
  • इन नियमों की शक्तियों का स्रोत भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5(2) है, जिसमे “भारत की संप्रभुता और अखंडता के हित” में संदेशो के अवरोधन (Interception) का प्रावधान किया गया है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

भारत में आपराधिक कानून व्यवस्था में सुधार के नवीनतम प्रयासों के बारे में जानिए: Click here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 144
  2. भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के बारे में
  3. आईटी अधिनियम 2000 के प्रमुख प्रावधान
  4. अनुराधा भसीन केस (2020) किससे संबंधित है?
  5. संविधान का अनुच्छेद 370

मेंस लिंक:

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में इंटरनेट प्रतिबंध लागू होने से पड़ने वाले विभिन्न प्रभावों के बारे में चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

 नाटो शिखर सम्मेलन


(NATO Summit)

संदर्भ:

हाल ही में, बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में नाटो शिखर सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसमें सभी 30 मित्र राष्ट्रों के नेताओं ने भाग लिया।

बैठक के परिणाम:

  1. नाटो देशों के प्रमुखों ने कहा कि वे “नाटो की संस्थापकवाशिंगटन संधि’ तथा इसमें शामिल ‘सामूहिक रक्षा संबंधी अनुच्छेद- 5के प्रति दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। ‘अनुच्छेद- 5 में कहा गया है, कि नाटो संगठन के किसी एक सहयोगी के खिलाफ हमले को, सभी के खिलाफ हमला माना जाएगा।
  2. इस बैठक में, एक महत्वपूर्ण और चिंताजनक विषय बन चुके प्रमुख साइबर हमलों को, अनुच्छेद 5 की भाषा में शामिल करने के लिए इसको अद्यतन करने के बारे में सहमति वयक्त की गई।

‘उत्तर अटलांटिक संधि संगठन’ (NATO):

(North Atlantic Treaty Organization)

  • यह एक ‘अंतर-सरकारी सैन्य गठबंधन’ है।
  • ‘वाशिंगटन संधि’ द्वारा स्थापित किया गया था।
  • इस संधि पर 4 अप्रैल 1949 को हस्ताक्षर किए गए थे।
  • मुख्यालय – ब्रुसेल्स, बेल्जियम।
  • एलाइड कमांड ऑपरेशंस मुख्यालय’ – मॉन्स (Mons), बेल्जियम।

संरचना:

नाटो की स्थापना के बाद से, गठबंधन में नए सदस्य देश शामिल होते रहें है। शुरुआत में, नाटो गठबंधन में 12 राष्ट्र शामिल थे, बाद में इसके सदस्यों की संख्या बढ़कर 30 हो चुकी है। नाटो गठबंधन में शामिल होने वाला सबसे अंतिम देश ‘उत्तरी मकदूनिया’ था, उसे 27 मार्च 2020 को शामिल किया गया था।

नाटो की सदस्यता, ‘इस संधि के सिद्धांतों को आगे बढ़ाने और उत्तरी अटलांटिक क्षेत्र की सुरक्षा में योगदान करने में योगदान करने में सक्षम किसी भी ‘यूरोपीय राष्ट्र’ के लिए खुली है’।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

आपको क्यों लगता है कि नाटो के साथ जुड़ाव, भारत के नए यूरोपीय अभिविन्यास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए? यहां पढ़ें, 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. नाटो- स्थापना एवं मुख्यालय
  2. नाटो ‘एलाइड कमांड ऑपरेशन’ क्या है?
  3. ‘नाटो’ का सदस्य बनने हेतु शर्ते?
  4. वाशिंगटन संधि का अवलोकन।
  5. ‘उत्तरी अटलांटिक महासागर’ के आसपास के देश।
  6. नाटो में शामिल होने वाला अंतिम सदस्य।

मेंस लिंक:

नाटो के उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: भारत के हितों, भारतीय प्रवासी पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ईयर बुक 2021


संदर्भ:

हाल ही में, स्वीडिश थिंक टैंक ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (SIPRI) द्वारा अपनी ईयर बुक 2021 जारी की गई है।

प्रमुख निष्कर्ष:

  1. वर्ष 2021 की शुरुआत में भारत के पास अनुमानतः 156 परमाणु हथियार थे, जबकि पिछले साल की शुरुआत में इनकी संख्या 150 थी।
  2. वर्ष 2020 में पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों की संख्या 160 थी, जोकि अब बढकर 165 हो गई है।
  3. चीन के परमाणु शस्त्रागार में 2020 की शुरुआत में 320 से अधिक परमाणु हथियार शामिल थे, जोकि वर्ष 2021 में 350 हो चुके हैं।
  4. परमाणु हथियार संपन्न नौ देशों – अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इज़राइल और उत्तर कोरिया – के पास वर्ष 2021 की शुरुआत में अनुमानित रूप से कुल 13,080 परमाणु हथियार थे।
  5. कुल मिलाकर वैश्विक परमाणु हथियारों का 90% से अधिक हिस्सा, रूस और अमेरिका के पास है।

वर्तमान में चिंता का विषय:

वैश्विक सैन्य भंडारों में हथियारों की कुल संख्या, वर्तमान में बढ़ती हुई प्रतीत हो रही है, जोकि इस बात का एक चिंताजनक संकेत है, कि शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से वैश्विक परमाणु शस्त्रागार में कमी होने की प्रवृत्ति अब रुक गई है।

  • सबसे बड़ी चिंता यह है, कि भारत और पाकिस्तान, परमाणु युद्ध की सीमा पर एक दूसरे की सुरक्षा को खतरनाक रूप से कमजोर करने वाली नई प्रौद्योगिकियों और क्षमताओं की खोज में लगे हैं।
  • भारत-पाकिस्तान “भविष्य में किसी संकटकालीन स्थिति के दौरान गलत अनुमान या गलत व्याख्या की वजह से अपने परमाणु हथियारों का उपयोग करने में ठोकर खाने का जोखिम उठा सकते हैं”।
  • परमाणु हथियार संपन्न राष्ट्र के रूप में चीन की उभरती हुई छवि, भारत की सुरक्षा चुनौतियों को बढ़ा रही है।

परमाणु हथियारों पर भारत का दृष्टिकोण:

भारत, परमाणु हथियार संपन्न देशों के खिलाफ पहले इस्तेमाल न करने (No First UseNFU) की नीति और गैर-परमाणु हथियार वाले राज्यों के खिलाफ ‘उपयोग न करने’ की नीति के लिए प्रतिबद्ध है।

  • भारत के अनुसार, निशस्त्रीकरण सम्मेलन’ (The Conference on Disarmament- CD) को विश्व का एकमात्र बहुपक्षीय निशस्त्रीकरण समझौता मंच है, और भारत इस मंच के माध्यम से एक व्यापक परमाणु हथियार सम्मेलन के तहत वार्ता आयोजित करने का समर्थन करता है।
  • भारत निशस्त्रीकरण सम्मेलन में ‘फिसाइल मैटेरियल कट-ऑफ ट्रीटी’ (Fissile Material Cut-off Treaty– FMCT) के संदर्भ में भी वार्ता के लिये प्रतिबद्ध है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि ‘स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट’ (SIPRI)  द्वारा ‘वैश्विक सैन्य व्यय के रुझानों’ पर भी एक रिपोर्ट जारी की जाती है?  नवीनतम रिपोर्ट के बारे में यहां पढ़ें,

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. SIPRI क्या है?
  2. दुनिया में कितने परमाणु हथियार संपन्न राज्य हैं?
  3. वर्ष 2020 में परमाणु शस्त्र भण्डार
  4. न्यू START संधि क्या है?
  5. पिछले वर्ष किन देशों ने परमाणु वारहेड कम किए हैं?
  6. न्यूक्लियर ट्रायड (Nuclear Triad) क्या है?

मेंस लिंक:

SIPRI ईयरबुक, 2020 के नवीनतम निष्कर्षों पर टिप्पणी कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

न्यू शेफर्ड रॉकेट सिस्टम


(New Shephard rocket system)

संदर्भ:

अमेज़ॅन के संस्थापक और अरबपति जेफ बेजोस की अंतरिक्ष कंपनी ‘ब्लू ओरिजिन’ (Blue Origin) द्वारा, हाल ही में, पर्यटकों को अंतरिक्ष में ले जाने वाले ‘न्यू शेफर्ड’ (New Shephard) रॉकेट सिस्टम में पहली सीट के लिए ऑनलाइन नीलामी पूरी की गई।

न्यू शेफर्ड 20 जुलाई को मानव-सहित अपनी पहली उड़ान भरेगा, और बोली जीतने वाले को जेफ बेजोस और उसके भाई के साथ न्यू शेफर्ड पर उड़ान भरने का मौका मिलेगा। 20 जुलाई, नील आर्मस्ट्रांग और बज़ एल्ड्रिन के चंद्रमा पर उतरने की 52 वीं वर्षगांठ का प्रतीक भी है।

पृष्ठभूमि:

‘ब्लू ओरिजिन’ द्वारा आयोजित नीलामी में ‘पहली सीट’ के लिए बोली लगाने हेतु 159 देशों के 7,600 से अधिक लोगों ने पंजीकरण कराया था। अंततः इस सीट को $28 मिलियन की बोली लगाकर जीता गया।

‘न्यू शेफर्ड’ रॉकेट सिस्टम क्या है?

  • यह पर्यटकों को अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक सैर कराने वाला एक रॉकेट सिस्टम है।
  • यह प्रणाली / सिस्टम ‘ब्लू ओरिजिन’ द्वारा निर्मित की गई है।
  • ‘न्यू शेफर्ड’ का नामकरण अंतरिक्ष में जाने वाले पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री ‘एलन शेफर्ड’ के नाम पर किया गया है।
  • यह पृथ्वी से 100 किमी से अधिक दूरी पर अंतरिक्ष में उड़ान भरने और अंतरिक्ष उपकरण (Payloads) ले जाने की सुविधा उपलब्ध कराता है।
  • ‘न्यू शेफर्ड’, पूरी तरह से पुन: प्रयोज्य (Reusable), ऊर्ध्वाधर उड़ान भरने वाला और ऊर्ध्वाधर लैंडिंग करने वाला अंतरिक्ष वाहन है।

मिशन के वैज्ञानिक उद्देश्य:

  • यह मिशन, अंतरिक्ष यात्रियों और अनुसंधान संबंधी अंतरिक्ष उपकरणों को ‘क्रेमन लाइन’ (Karman line) से आगे तक ले जाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ‘क्रेमन लाइन’, पृथ्वी के वायुमंडल और बाह्य अंतरिक्ष के बीच, एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त अंतरिक्ष सीमा है।
  • इस प्रणाली को तैयार करने का उद्देश्य, शैक्षणिक अनुसंधान, कॉर्पोरेट प्रौद्योगिकी विकास और अन्य उद्यम उपक्रमों के लिए अंतरिक्ष में सुगम और लागत प्रभावी पहुंच प्रदान करना है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष स्टेशन पर भेजने के लिए रूसी सोयुज अंतरिक्ष यान पर निर्भरता को समाप्त करने के लिए नासा ने कॉमर्शियल क्रू के रूप में एक समाधान खोजा है। इसके बारे में और अधिक पढ़ें, Click here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. न्यू शेफर्ड रॉकेट सिस्टम के बारे में।
  2. उद्देश्य
  3. महत्व
  4. ‘क्रेमन लाइन’ क्या है?

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस।

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

बासमती को लेकर भारत और पाकिस्तान की लड़ाई


संदर्भ:

विश्व में बासमती चावल के सबसे बड़े निर्यातक भारत ने यूरोपीय संघ की ‘कृषि उत्पाद एवं खाद्य पदार्थ गुणवत्ता योजना परिषद’ (Council on Quality Schemes for Agricultural Products and Foodstuffs) से ‘संरक्षित भौगोलिक संकेतक’ (Protected Geographical Indication– PGI) दर्जा हासिल करने के लिए आवेदन किया है। इससे भारत को यूरोपीय संघ में ‘बासमती’ नाम पर एकमात्र स्वामित्व मिल जाएगा।

संबंधित प्रकरण:

पाकिस्तान, बासमती चावल का निर्यात करने वाला, भारत के बाद, दूसरा इकलौता देश है। इसने भारत के इस कदम का विरोध किया है, क्योंकि, विशेष रूप से यूरोपीय संघ, पाकिस्तान की बासमती के लिए एक प्रमुख बाजार है, और भारत को बासमती के लिए ‘पीजीआई टैग’ हासिल होने से इसके निर्यात पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

पूर्व घटनाक्रम:

मार्च 2020 में, पाकिस्तान द्वारा ‘भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम’ (Geographical Indications (Registration and Protection) Act) लागू किया गया था। इसके तहत, पाकिस्तान को ‘बासमती चावल पर एकमात्र अधिकार’ का पंजीकरण कराने हेतु भारत द्वारा किए जाने वाले आवेदन का विरोध करने का अधिकार दिया गया है।

जबकि भारत ने, 11 सितंबर को यूरोपीय संघ की आधिकारिक पत्रिका में प्रकाशित अपने आवेदन में बासमती को भारतीय मूल का उत्पाद बताया है।

यूरोपीय संघ की आधिकारिक पत्रिका के अनुसार, कोई भी देश ‘कृषि उत्पाद एवं खाद्य पदार्थ गुणवत्ता योजना परिषद’ और यूरोपीय संसद के विनियमों (EU) के अनुच्छेद 50(2) (a) के अनुसार किसी ‘नाम’ के पंजीकरण आवेदन का, इसके प्रकाशन की तारीख से तीन महीने के भीतर, विरोध कर सकता है।

पाकिस्तान का दावा:

पाकिस्तान ने कहा कि वह बासमती चावल का प्रमुख उत्पादक है और ‘बासमती चावल पर एकमात्र अधिकार’ के लिए भारत का आवेदन अनुचित है।

पृष्ठभूमि:

मई 2010 में, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश और जम्मू और कश्मीर के कुछ हिस्सों में उगाई जाने वाली बासमती को भौगोलिक संकेतक’ (जीआई) का दर्जा दिया गया था।

जीआई टैग’ के बारे में:

  • भौगोलिक संकेतक (Geographical Indication- GI), मुख्यतः, किसी एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित, कृषि, प्राकृतिक अथवा निर्मित उत्पाद (हस्तशिल्प और औद्योगिक वस्तुएं) होते हैं।
  • आमतौर पर, इन उत्पादों का नाम गुणवत्ता और विशिष्टता का आश्वासन देता है, जोकि वास्तव में इनकी उत्पत्ति-स्थान विशेषता को अभिव्यक्त करता है।

जीआई टैग’ के लाभ:

एक बार जीआई सुरक्षा प्रदान किये जाने के बाद, किसी अन्य निर्माता द्वारा इससे मिलते-जुलते उत्पादों को बाजार में लाने के लिए, इनके नाम का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता है। यह संकेतक, ग्राहकों के लिए उत्पाद की गुणवत्ता और प्रामाणिकता सुनिश्चित करते हैं।

भौगोलिक संकेतक (GI) का पंजीकृत मालिक कौन होता है?

  • व्यक्तियों या उत्पादकों का कोई संघ, कानून के अंतर्गत अथवा इसके द्वारा निर्धारित संस्था अथवा प्राधिकरण, कोई भी भौगोलिक संकेतक (GI) का पंजीकृत मालिक हो सकता है।
  • भौगोलिक संकेतक रजिस्टर में इनका नाम, भौगोलिक संकेतक के लिए आवेदन किए जाने वाले उत्पाद के वास्तविक स्वामी के रूप में दर्ज किया जाता है।

भौगोलिक संकेतक पंजीकरण की वैधता अवधि:

  • किसी भौगोलिक संकेतक का पंजीकरण 10 साल की अवधि तक के लिए वैध होता है।
  • इसे समय-समय पर आगामी 10 वर्षों की अवधि के लिए नवीनीकृत किया जा सकता है।

भौगोलिक संकेतक संबंधी समझौते एवं विनियमन:

  1. अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर: औद्योगिक परिसंपत्ति संरक्षण हेतु ‘पेरिस अभिसमय’ तहत भौगोलिक संकेतक बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights- IPR) के एक घटक के रूप में शामिल हैं। जीआई, विश्व व्यापार संगठन (WTO) के ‘बौद्धिक संपदा अधिकारों के व्यापार संबंधी पहलुओं’ (Trade Related Aspects of Intellectual Property Rights-TRIPS) समझौते द्वारा भी प्रशासित होते हैं।
  2. भारत में, भौगोलिक संकेतक पंजीकरण को वस्तुओं का भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम, 1999 (Geographical Indications of Goods (Registration and Protection) Act, 1999) द्वारा प्रशासित होता है। यह अधिनियम सितंबर 2003 को लागू किया गया था। भारत में सबसे पहला जीआई टैग, वर्ष 2004-05 में, ‘दार्जिलिंग चाय’ को दिया गया था।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप जानते हैं कि बासमती सदियों से, पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में रावी और चिनाब नदियों के बीच स्थित ‘कलार क्षेत्र’ (Kalar tract) में उगाई जाती है?

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. भौगोलिक संकेतक (GI) टैग क्या होता है?
  2. जीआई टैग किसके द्वारा प्रदान किया जाता है?
  3. भारत में जीआई उत्पाद और उनके भौगोलिक स्थान
  4. अन्य बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR)
  5. ‘यूरोपीय संघ’ क्या है? इसकी विभिन्न संस्थाएं?

मेंस लिंक:

भौगोलिक संकेतक (GI) टैग क्या होता है? इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड (NSDL)

  • अगस्त 1996 में ‘डिपॉजिटरी अधिनियम’ के अधिनियमन के साथ ही NSDL की स्थापना का मार्ग प्रशस्त हुआ था।
  • यह, भारतीय पूंजी बाजार में अभौतिकीकृत रूप में रखी और स्थापित अधिकांश प्रतिभूतियों को संभालने का कार्य करता है।
  • NSDL देश के पूंजी बाजार में निवेशकों और दलालों की सहायता करने हेतु कार्य करता है।
  • इसका उद्देश्य दक्षता बढ़ाने, जोखिम कम करने और लागत कम करने वाले निपटान समाधान विकसित करके भारतीय बाजारों की सुरक्षा और सुदृढ़ता सुनिश्चित करना है।

यूरोपीय संघ की सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP)

हाल ही में, यूरोपीय संसद द्वारा एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था, जिसमें यूरोपीय आयोग से श्रीलंका को दिए गए GSP+ दर्जे को अस्थायी रूप से वापस लेने पर विचार करने का आग्रह किया गया है।

सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (Generalised System of Preferences- GSP), कमजोर विकासशील देशों के लिए, यूरोपीय संघ को निर्यात की जाने वाली वस्तुओं पर कम शुल्क या बगैर किसी शुल्क का भुगतान करने की अनुमति देती है। जिससे इस देशों को यूरोपीय संघ के बाजार में महत्वपूर्ण पहुंच मिलती है और उनके विकास में मदद मिलती है।

पृष्ठभूमि:

श्रीलंका को, मानव अधिकारों, श्रम स्थितियों, पर्यावरण की सुरक्षा और सुशासन पर 27 अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों को लागू करने संबंधी प्रतिबद्धता व्यक्त करने पर, वर्ष 2017 में GSP +, या यूरोपीय संघ की सामान्यीकृत वरीयता प्रणाली (GSP) का दर्जा दिया गया था।

जीवन वायु

आईआईटी रोपड़ द्वारा देश का पहला विद्युत मुक्त CPAP उपकरण ‘जीवन वायु’  (Jivan Vayu) विकसित किया गया है।

  • इसे CPAP मशीन के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
  • हालांकि, यह देश का पहला ऐसा उपकरण है जो बिना बिजली के भी काम करता है और अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलेंडर व ऑक्सीजन पाइपलाइन जैसी दोनों प्रकार की ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों के लिए अनुकूलित है।

CPAP क्या है?

  • निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (Continuous positive airway pressure – CPAP), नींद के दौरान सांस लेने में समस्या, जिसे नींद स्वास अवरोध (स्लीप एपनिया) कहा जाता है, वाले मरीजों के लिए एक उपचार पद्धति है।
  • यह मशीन आसान सांस लेने को लेकर हवा के रास्ते को खुला रखने के लिए हल्के वायु दाब का उपयोग करती है।

जरदालु आम

  • जरदालु या जरदालु आम, बिहार के भागलपुर और आसपास के जिलों में उगाए जाने वाले आम की एक अनूठी किस्म है।
  • इसे 2018 में जीआई टैग प्रदान किया गया था।

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