विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. जुलाई में संसद का मानसून सत्र
2. रेंगमा नागाओं द्वारा ‘स्वायत्त परिषद’ की मांग
3. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा महासचिव गुटेरेश के दूसरे कार्यकाल हेतु सिफारिश
4. ब्रिक्स असाधारणवाद का विरोध करता है: चीन
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. ऑपरेशन पैंजिया XIV
2. चर्चा में: जीआई प्रमाणित आम
3. लद्दाख केन्द्र-शासित प्रदेश को कार्बन न्यूट्रल बनाने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
4. ‘सुरक्षित हम सुरक्षित तुम’ अभियान
5. YUVA: युवा लेखकों का मार्गदर्शन करने हेतु प्रधानमंत्री की योजना
सामान्य अध्ययन- II
विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।
जुलाई में संसद का मानसून सत्र
संदर्भ:
संसद का मानसून सत्र जुलाई में तय समय पर शुरू होने की उम्मीद है।
संसद के पिछले सत्र की अवधि को कम करते हुए, 25 मार्च को अनिश्चितकाल तक के लिए समाप्त कर दिया गया था और संवैधानिक मानदंडों के तहत, अगला सत्र छह महीने की अवधि के भीतर आयोजित किया जाना अनिवार्य होता है। यह अवधि 14 सितंबर को समाप्त हो रही है।
पृष्ठभूमि:
पिछले साल मार्च में महामारी शुरू होने के बाद से, संसद के तीन सत्रों की अवधि में कटौती की गई है। इनमें से पहला सत्र वर्ष 2020 का बजट सत्र था। पिछले साल का शीतकालीन सत्र का समय भी कम किया गया, और मानसून सत्र, जो आमतौर पर जुलाई में शुरू होता है, पिछले साल सितंबर में शुरू हुआ था।
इस संदर्भ में संवैधानिक प्रावधान:
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 85 के अनुसार, संसद के दो सत्रों के मध्य छह माह से अधिक समय का अंतर नहीं होना चाहिए।
- संविधान में यह निर्दिष्ट नहीं किया गया है, कि, संसद के सत्र कब और कितने दिन तक आयोजित किए जाने चाहिए।
अनुच्छेद 85 में कहा गया है, कि राष्ट्रपति समय-समय पर, संसद के प्रत्येक सदन को ऐसे समय और स्थान पर, जो वह ठीक समझे, अधिवेशन के लिए आहूत कर सकता है। इस प्रकार, संसद के किसी सत्र को सरकार की सिफारिश पर आहूत किया जा सकता है, और सरकार ही सत्र की तारीख और अवधि तय करती है।
संसदीय सत्र का महत्व:
- विधि-निर्माण अर्थात क़ानून बनाने के कार्य संसदीय सत्र के दौरान किए जाते है।
- इसके अलावा, सरकार के कामकाज की गहन जांच और राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श केवल संसद के दोनों सदनों में जारी सत्र के दौरान ही किया जा सकता है।
- एक अच्छी तरह से काम कर रहे लोकतंत्र के लिए संसदीय कार्य-पद्धति का पूर्वानुमान होना आवश्यक होता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
- क्या आप जानते हैं कि कैबिनेट समितियों का गठन क्यों किया जाता है और इनके क्या कार्य होते हैं? यहां पढ़ें,
- संसद को आहूत करना संविधान के अनुच्छेद 85 में निर्दिष्ट है। कई अन्य अनुच्छेदों की भांति, यह अनुच्छेद भी भारत सरकार अधिनियम, 1935 के प्रावधानों पर आधारित है। भारतीय संविधान में इस अधिनियम से और क्या-क्या लिया गया है? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- संसद के सत्र को आहूत करने की शक्ति किसे प्राप्त है?
- अनुच्छेद 85
- ‘अनिश्चित काल के लिए स्थगन’ क्या होता है?
- ‘सदन का भंग होना’ क्या होता है?
- राज्यसभा को भंग क्यों नहीं किया जा सकता है?
मेंस लिंक:
संसद के दोनों सदनों की उत्पादिता बढ़ाने के लिए क्या किया जाना चाहिए? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
रेंगमा नागाओं द्वारा ‘स्वायत्त परिषद’ की मांग
संदर्भ:
केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कार्बी-आंगलोंग स्वायत्त परिषद (Karbi Anglong Autonomous Council- KAAC) को एक ‘क्षेत्रीय परिषद’ (Territorial Council) में अपग्रेड करने का निर्णय लिया गया है, इसी बीच असम के रेंगमा नागाओं (Rengma Nagas) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर केंद्र एक स्वायत्त जिला परिषद (Autonomous District Council) का गठन करने की मांग की है।
संबंधित प्रकरण:
असम सरकार, कार्बी-आंगलोंग क्षेत्र में स्थित प्रभावी उग्रवादी संगठनों के साथ शांति समझौता करने की कगार पर है, इसी बीच NSCN-IM नामक नागा संगठन ने कहा है, कि रेंगमा नागाओं को पीड़ित करने वाला कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं होगा।
- इस सारे प्रकरण के केंद्र में कार्बी आंगलोंग क्षेत्र है, जिसे पहले ‘रेंगमा हिल्स’ (Rengma Hills) के नाम से जाना जाता था। रेंगमा हिल्स को निहित स्वार्थों के चलते बाहरी लोगों के आक्रामक अंतः प्रवाह का शिकार बनाया जाता रहा है।
- नागालैंड राज्य के निर्माण के समय वर्ष 1963 में, रेंगमा हिल्स को असम और नागालैंड के बीच विभाजित कर दिया गया था।
‘स्वायत्त जिला परिषदें’ क्या होती हैं?
- संविधान की छठी अनुसूची के अनुसार, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम, चार राज्यों के जनजातीय क्षेत्र, तकनीकी रूप से अनुसूचित क्षेत्रों से भिन्न हैं।
- हालांकि ये क्षेत्र राज्य के कार्यकारी प्राधिकरण के दायरे में आते हैं, किंतु कुछ विधायी और न्यायिक शक्तियों के प्रयोग हेतु जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों के गठन का प्रावधान किया गया है।
- इसके तहत, प्रत्येक जिला एक स्वायत्त जिला होता है और राज्यपाल एक अधिसूचना के माध्यम से उक्त जनजातीय क्षेत्रों की सीमाओं को संशोधित / विभाजित कर सकते हैं।
राज्यपाल एक सार्वजनिक अधिसूचना द्वारा:
- किसी भी क्षेत्र को शामिल कर सकते हैं।
- किसी भी क्षेत्र को बाहर निकाल सकते हैं।
- एक नया स्वायत्त जिला गठित कर सकते हैं।
- किसी भी स्वायत्त जिले के क्षेत्र में वृद्धि कर सकते हैं।
- किसी भी स्वायत्त जिले के क्षेत्र को कम कर सकते हैं।
- किसी स्वायत्त जिले का नाम परिवर्तित कर सकते हैं।
- किसी स्वायत्त जिले की सीमाओं को परिभाषित कर सकते हैं।
जिला परिषदों और क्षेत्रीय परिषदों का गठन:
- प्रत्येक स्वायत्त जिले में एक जिला परिषद होगी, जिसमें तीस से अधिक सदस्य नहीं होंगे और इनमे से अधिकतम चार सदस्य राज्यपाल द्वारा नामित किए जाएंगे और शेष सदस्यों को वयस्क मताधिकार के आधार पर चुना जाएगा।
- गठित किये गए प्रत्येक स्वायत्त क्षेत्र में एक अलग क्षेत्रीय परिषद परिषद होगी।
- प्रत्येक जिला परिषद और प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद में, क्रमशः जिला परिषद (जिले का नाम) तथा क्षेत्रीय परिषद (क्षेत्र का नाम) नामक निगमित निकाय (body corporate) होंगे, इनमें चिर उत्तराधिकार (perpetual succession) प्रणाली तथा एक सामूहिक मुहर होगी, तथा उक्त नामों से ही ये कार्रवाई करेंगे और इन पर कार्रवाई की जाएगी।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप 5वीं और 6वीं अनुसूची के क्षेत्रों के बीच अंतर जानते हैं? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- स्वायत्त जिला परिषद क्या है?
- उनका गठन कौन करता है?
- शक्तियां और भूमिकाएं?
- क्षेत्रीय परिषदें क्या हैं?
- इन परिषदों की संरचना?
- भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में कितने राज्य शामिल हैं।
मेंस लिंक:
भारतीय संविधान की 5 वीं और 6 वीं अनुसूची के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा महासचिव गुटेरेश के दूसरे कार्यकाल हेतु सिफारिश
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने महासचिव के तौर पर पाँच-वर्षीय दूसरे कार्यकाल के लिये निवर्तमान महासचिव एंटोनियो गुटेरेश (Antonio Guterres) के नाम की सिफारिश की है। नया कार्यकाल, 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2026 तक का होगा।
‘संयुक्त राष्ट्र महासचिव’ के बारे में:
(UN Secretary General)
संयुक्त राष्ट्र चार्टर में ‘महासचिव’ को संगठन के ‘मुख्य प्रशासनिक अधिकारी’ बताया गया है। ‘महासचिव’, संयुक्त राष्ट्र के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी के रूप में तथा सुरक्षा परिषद, महासभा, आर्थिक और सामाजिक परिषद और संयुक्त राष्ट्र के अन्य अंगों द्वारा सौंपे गए अन्य कार्यों को पूरा करेगा।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर द्वारा महासचिव को ऐसे किसी भी मामले को सुरक्षा परिषद के संज्ञान में लाने का अधिकार दिया गया है, जो उनकी राय में अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के रखरखाव के लिए खतरा हो सकते हैं।
नियुक्ति:
सुरक्षा परिषद द्वारा ‘महासचिव’ के पद पर नियुक्ति हेतु 193 सदस्यीय महासभा के लिए एक उम्मीदवार की सिफारिश की जाती है। यद्यपि, महासचिव के चयन में संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों की राय ली जाती है, किंतु इसमें सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों का सर्वाधिक प्रभाव रहता है। इनमे से कोई भी सदस्य, अपनी वीटो पॉवर का इस्तेमाल करते हुए ‘महासचिव’ के पद हेतु किसी नामित व्यक्ति की उमीद्वारी को समाप्त कर सकता है।
संयुक्त राष्ट्र महासचिव पद से संबंधित मुद्दे/चुनौतियां:
- संयुक्त राष्ट्र चार्टर में महासचिव के कार्यों और शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं किया गया है।
- महासचिव का चयन, पूरी तरह से योग्यता और पारदर्शिता के आधार पर नहीं किया जाता है।
महासचिव कार्यालय का महत्व:
- शांति स्थापना: संयुक्त राष्ट्र महासचिव कार्यालय, शांति अभियानों की देखरेख करता है और इससे संबंधित विभाग के प्रभारी अवर सचिव की नियुक्ति करता है।
- मध्यस्थता: एक महत्वपूर्ण कार्यालय की जिम्मेदारी के रूप में, महासचिव, संघर्षों को रोकने और प्रतिबंधित करने के लिए स्वतंत्रता और निष्पक्षता के साथ कार्य करता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र महासभा या संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, शांति स्थापना मिशन शुरू कर सकती है, किंतु इन मिशनों का संचालन नियंत्रण, सचिवालय के पास होता है। महासचिव की जिम्मेदारियों के बारे में अधिक समझने के लिए इसे पढ़ें।
प्रीलिम्स लिंक:
- UNSC के बारे में
- संयुक्त राष्ट्र महासचिव का चुनाव
- कार्य और शक्तियां
मेंस लिंक:
संयुक्त राष्ट्र महासचिव कार्यालय से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
ब्रिक्स असाधारणवाद का विरोध करता है: चीन
(BRICS opposes exceptionalism: China)
संदर्भ:
हाल ही में, ब्रिक्स देशों के विदेश मंत्रियों की आभासी प्रारूप में एक बैठक आयोजित की गई थी।
बैठक के अंत में ‘ब्रिक्स देशों के विदेश मामले / अंतर्राष्ट्रीय संबंध के मंत्रियों की बैठक’ (Meeting of the BRICS Ministers of Foreign Affairs/International Relations) तथा ‘बहुपक्षीय प्रणाली के सशक्तिकरण और सुधार पर ब्रिक्स देशों का संयुक्त वक्तव्य’ (BRICS Joint Statement on Strengthening and Reforming the Multilateral System),पर दो बयान जारी किए गए।
ब्रिक्स एवं इसके अभिप्रेत उद्देश्यों पर चीन का वक्तव्य:
- ब्रिक्स देश, खुलेपन, समावेशिता और सबके लिए हितकारी सहयोग का अनुसरण करते हैं, और “गुटबंदी-राजनीति और वैचारिक टकराव” को अस्वीकार करते हैं।
- ब्रिक्स देश, उभरते बाजारों और विकासशील देशों के रूप में, वास्तव में बहुपक्षवाद और बहुपक्षीय सहयोग के प्रति अपने दृष्टिकोण में कुछ विकसित देशों से अलग हैं।
- ब्रिक्स देश, संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का पालन करने और असाधारण-वाद (Exceptionalism) और दोहरे मानकों का विरोध करने की आवश्यकता पर बल देते हैं।
इस वक्तव्य का अभिप्राय / संकेत:
- चीन के इन बयानों से स्पष्ट पता चलता है कि वह, अमेरिका, भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के मध्य ‘क्वाड ग्रुपिंग’ के निर्माण का विरोध कर रहा है।
- इसका मानना है, कि यह समूह तीसरे पक्ष के हितों को लक्षित कर रहा है या नुकसान पहुंचा रहा है।
ब्रिक्स (BRICS):
- ब्रिक्स, विश्व की पाँच अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं- ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के समूह के लिये एक संक्षिप्त शब्द है।
- वर्ष 2001 में ब्रिटिश अर्थशास्री जिम ओ’ नील (Jim O’Neill) द्वारा ब्राज़ील, रूस, भारत और चीन की अर्थव्यवस्थाओं के लिये एक रिपोर्ट में ‘BRIC’ शब्द की चर्चा की गई थी।
- वर्ष 2006 में BRIC देशों के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक में इस ‘समूह’ को औपचारिक रूप दिया गया।
- दिसंबर 2010 में दक्षिण अफ्रीका को BRIC में शामिल होने के लिये आमंत्रित किया गया और इसके बाद से इस समूह को BRICS कहा जाने लगा।
- BRICS फोरम की अध्यक्षता B-R-I-C-S अक्षरों के क्रमानुसार, प्रतिवर्ष सदस्य देशों के द्वारा की जाती है।
सहयोग तंत्र: सदस्यों के बीच निम्नलिखित माध्यमों से सहयोग किया जाता है:
- ट्रैक I: राष्ट्रीय सरकारों के मध्य औपचारिक राजनयिक जुड़ाव।
- ट्रैक II: सरकार से संबद्ध संस्थानों के माध्यम से संबंध, जैसे कि राज्य के स्वामित्व वाले उद्यम और व्यापार परिषद।
- ट्रैक III: सिविल सोसायटी और पीपल-टू-पीपल संपर्क।
भारत और ब्रिक्स:
- भारतीय दृष्टिकोण से, ब्रिक्स विकासशील देशों या वैश्विक दक्षिण की एक आवाज बनकर उभरा है।
- नई दिल्ली का मानना है, कि विश्व व्यापार संगठन से लेकर जलवायु परिवर्तन तक के मुद्दों पर चुनौतियों को उठाने के साथ-साथ BRICS को विकासशील देशों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी।
- ब्रिक्स द्वारा आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को अपने एजेंडे में सबसे ऊपर रखा गया है, यह भारत के लिए एक सफलता रही है।
इंस्टा जिज्ञासु:
भारत ने जनवरी 2021 से ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण की है। न्यू डेवलपमेंट बैंक, जिसे अनौपचारिक रूप से ब्रिक्स डेवलपमेंट बैंक भी कहा जाता है, ब्रिक्स देशों द्वारा स्थापित एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। इसके बारे में यहाँ और पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- BRICS के बारे में
- शिखर सम्मेलन
- अध्यक्षता
- ब्रिक्स से जुड़े संगठन और समूह
मेंस लिंक:
भारत के लिए ब्रिक्स के महत्व और प्रासंगिकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
ऑपरेशन पैंजिया XIV
(Operation Pangea XIV)
नकली और अवैध दवाओं और चिकित्सा उत्पादों की बिक्री को लक्षित करते हुए ‘ऑपरेशन पैंजिया’ XIV (Operation Pangea XIV) के तहत रिकॉर्ड संख्या में नकली ऑनलाइन फ़ार्मेसी को बंद कर दिया गया है।
- इंटरपोल द्वारा समन्वित इस ऑपरेशन में 92 देशों के पुलिस, सीमा शुल्क और स्वास्थ्य नियामक प्राधिकरणों ने भाग लिया था।
- इसके परिणामस्वरूप वेबसाइटों और ऑनलाइन मार्केटप्लेस सहित 113,020 वेब लिंक्स को बंद या हटा दिया गया। वर्ष 2008 में शुरू किए गए पहले ऑपरेशन पैंजिया के बाद इस प्रकार की यह सबसे बड़ी कार्रवाई थी।
चर्चा में: जीआई प्रमाणित आम
- पश्चिम बंगाल और बिहार से, तीन जीआई प्रमाणित किस्मों सहित आम की सोलह किस्मों का बहरीन को निर्यात किया जा रहा है।
- इसमें से तीन प्रजातियाँ (किस्में)- खिर्सापति और लक्ष्मणभोग (पश्चिम बंगाल) और जरदालू (बिहार) भौगोलिक सूचक (जीआई) प्रमाणित हैं I
लद्दाख केन्द्र-शासित प्रदेश को कार्बन न्यूट्रल बनाने हेतु समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर
- हाल ही में, कन्वर्जेंस एनर्जी सर्विसेज लिमिटेड (CESL) ने लद्दाख केन्द्र-शासित प्रदेश को एक स्वच्छ और हरा-भरा केन्द्र-शासित प्रदेश बनाने के लिए इस केन्द्र-शासित प्रदेश के प्रशासन के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए है।
- CESL, विद्युत मंत्रालय के तहत एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है।
‘सुरक्षित हम सुरक्षित तुम’ अभियान
नीति आयोग और पिरामल फाउंडेशन द्वारा 112 आकांक्षी जिलों में सुरक्षित हम सुरक्षित तुम अभियान की शुरुआत की गई है।
- इस अभियान के तहत 20 लाख नागरिकों को कोविड होम-केयर सहायता प्रदान की जाएगी।
- यह अभियान एक विशिष्ट पहल, आकांक्षी जिला सहभागिता का हिस्सा बन रहा है, जिसमें स्थानीय नेता, नागरिक समाज और स्वयंसेवक आकांक्षी जिला कार्यक्रम के ध्यान केंद्रित करने वाले प्रमुख क्षेत्रों में उभरती समस्याओं का समाधान करने के लिए जिला प्रशासन के साथ काम करते हैं।
YUVA: युवा लेखकों का मार्गदर्शन करने हेतु प्रधानमंत्री की योजना
- ‘युवा’ अर्थात (Young, Upcoming and Versatile Authors- YUVA) योजना, युवाओं को उनके लेखन कौशल को प्रोत्साहित करने के लिए युवा लेखकों का मार्गदर्शन करने हेतु एक राष्ट्रीय योजना है।
- इस योजना के तहत, खुद को व्यक्त करने और भारत को किसी भी अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत करने के लिए तैयार युवा और नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) के एक पूल का निर्माण किया जाएगा।
- इसके साथ ही यह योजना, भारतीय संस्कृति और साहित्य को विश्व स्तर पर पेश करने में मदद करेगी।
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