HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 को संविधान लागू होने के बाद निरस्त कर दिया गया था।
- संविधान के सभी प्रावधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुए थे।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
संविधान के कुछ प्रावधान जैसे नागरिकता, निर्वाचन, अनंतिम संसद, अस्थायी और संक्रमणकालीन प्रावधानों और अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391 , 392 और 393 को 26 नवंबर 1949 को ही लागू किया गया था।
संविधान के शेष प्रावधान (प्रमुख भाग) 26 जनवरी 1950 को लागू हुए थे।
संविधान के लागु होने के साथ ही, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 और भारत सरकार अधिनियम 1935 अधिनियमों को निरस्त कर दिया गया।
Incorrect
उत्तर: a)
संविधान के कुछ प्रावधान जैसे नागरिकता, निर्वाचन, अनंतिम संसद, अस्थायी और संक्रमणकालीन प्रावधानों और अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391 , 392 और 393 को 26 नवंबर 1949 को ही लागू किया गया था।
संविधान के शेष प्रावधान (प्रमुख भाग) 26 जनवरी 1950 को लागू हुए थे।
संविधान के लागु होने के साथ ही, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 और भारत सरकार अधिनियम 1935 अधिनियमों को निरस्त कर दिया गया।
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Question 2 of 5
2. Question
निम्नलिखित में से किस मौलिक अधिकार को डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने ‘संविधान के हृदय और आत्मा’ के रूप में वर्णित किया था?
Correct
उत्तर: d)
संविधान में मौलिक अधिकारों की घोषणा अर्थहीन और बेकार है, अगर उनके उल्लघंन के लिए एक प्रभावी तंत्र मौजूद नहीं हैं।
इसलिए, अनुच्छेद 32 एक पीड़ित नागरिक के मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उपचार का अधिकार प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में मौलिक अधिकारों की रक्षा का अधिकार अपने आप में एक मौलिक अधिकार है। यह मौलिक अधिकारों को वास्तविक बनाता है।
इसीलिए डॉ. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद कहा-‘एक ऐसा अनुच्छेद जिसके बिना यह संविधान व्यर्थ होगा। यह संविधान की आत्मा और इसका हृदय है।
Incorrect
उत्तर: d)
संविधान में मौलिक अधिकारों की घोषणा अर्थहीन और बेकार है, अगर उनके उल्लघंन के लिए एक प्रभावी तंत्र मौजूद नहीं हैं।
इसलिए, अनुच्छेद 32 एक पीड़ित नागरिक के मौलिक अधिकारों के प्रवर्तन के लिए उपचार का अधिकार प्रदान करता है। दूसरे शब्दों में मौलिक अधिकारों की रक्षा का अधिकार अपने आप में एक मौलिक अधिकार है। यह मौलिक अधिकारों को वास्तविक बनाता है।
इसीलिए डॉ. अम्बेडकर ने अनुच्छेद 32 को संविधान का सबसे महत्वपूर्ण अनुच्छेद कहा-‘एक ऐसा अनुच्छेद जिसके बिना यह संविधान व्यर्थ होगा। यह संविधान की आत्मा और इसका हृदय है।
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Question 3 of 5
3. Question
संसद किस सीमा के अधीन संविधान में संशोधन कर सकती है?
Correct
उत्तर: b)
केशवानंद भारती मामले (1973) में, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 368 के तहत संसद की घटक शक्ति इसे संविधान के ‘मूल ढांचे’ को बदलने में सक्षम नहीं बनाती है।
विकल्प (c): उदाहरण के लिए केंद्र जीएसटी के तहत राज्यों की कराधान शक्तियों को कम कर सकता है, जो संसद के माध्यम से संभव है।
प्रस्तावना में पहले ही एक बार संशोधन किया जा चुका है, और DPSP का भी विस्तार किया गया है।
Incorrect
उत्तर: b)
केशवानंद भारती मामले (1973) में, सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि अनुच्छेद 368 के तहत संसद की घटक शक्ति इसे संविधान के ‘मूल ढांचे’ को बदलने में सक्षम नहीं बनाती है।
विकल्प (c): उदाहरण के लिए केंद्र जीएसटी के तहत राज्यों की कराधान शक्तियों को कम कर सकता है, जो संसद के माध्यम से संभव है।
प्रस्तावना में पहले ही एक बार संशोधन किया जा चुका है, और DPSP का भी विस्तार किया गया है।
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Question 4 of 5
4. Question
कैबिनेट समितियों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए?
- इनका गठन सरकार के कार्य संचालन नियम के तहत किया जाता है।
- सभी कैबिनेट समितियों की अध्यक्षता सदैव प्रधानमंत्री करते हैं।
- इन्हें कैबिनेट सचिव की मुहर और हस्ताक्षर द्वारा स्थापित किया जाता हैं।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही नहीं है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
कैबिनेट समितियां:
इनका उल्लेख संविधान में नहीं है। हालाँकि, इनका गठन सरकार के कार्य संचालन नियम के तहत किया जाता है।
वे दो प्रकार की होती हैं- स्थायी (स्थायी प्रकृति) और तदर्थ (अस्थायी प्रकृति)।
ज्यादातर कैबिनेट समितियों की अध्यक्षता सदैव प्रधानमंत्री करते हैं। कभी-कभी अन्य कैबिनेट मंत्री, विशेष रूप से गृह मंत्री या वित्त मंत्री भी उनके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
लेकिन, यदि प्रधानमंत्री किसी समिति का सदस्य होता है, तो वह हमेशा इसकी अध्यक्षता करता है।
इन्हें समय और स्थिति की आवश्यकताओं के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा स्थापित किया जाता है। इसलिए, उनकी संख्या, नामकरण और संरचना समय-समय पर बदलती रहती है।
वे न केवल विभिन्न मुद्दों का समाधान और कैबिनेट के विचार हेतु प्रस्ताव तैयार करती हैं, बल्कि निर्णय भी लेती हैं। हालांकि कैबिनेट उनके फैसलों की समीक्षा कर सकती है।
Incorrect
उत्तर: b)
कैबिनेट समितियां:
इनका उल्लेख संविधान में नहीं है। हालाँकि, इनका गठन सरकार के कार्य संचालन नियम के तहत किया जाता है।
वे दो प्रकार की होती हैं- स्थायी (स्थायी प्रकृति) और तदर्थ (अस्थायी प्रकृति)।
ज्यादातर कैबिनेट समितियों की अध्यक्षता सदैव प्रधानमंत्री करते हैं। कभी-कभी अन्य कैबिनेट मंत्री, विशेष रूप से गृह मंत्री या वित्त मंत्री भी उनके अध्यक्ष के रूप में कार्य करते हैं।
लेकिन, यदि प्रधानमंत्री किसी समिति का सदस्य होता है, तो वह हमेशा इसकी अध्यक्षता करता है।
इन्हें समय और स्थिति की आवश्यकताओं के अनुसार प्रधानमंत्री द्वारा स्थापित किया जाता है। इसलिए, उनकी संख्या, नामकरण और संरचना समय-समय पर बदलती रहती है।
वे न केवल विभिन्न मुद्दों का समाधान और कैबिनेट के विचार हेतु प्रस्ताव तैयार करती हैं, बल्कि निर्णय भी लेती हैं। हालांकि कैबिनेट उनके फैसलों की समीक्षा कर सकती है।
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Question 5 of 5
5. Question
निम्नलिखित में से कौनसे कार्य राज्य विधानसभा द्वारा किया जा सकता है, लेकिन राज्य विधान परिषद द्वारा नहीं?
- राज्य वित्त आयोग की रिपोर्ट पर विचार
- राज्य के राज्यपाल द्वारा जारी अध्यादेशों की स्वीकृति
- राज्यसभा में राज्य के प्रतिनिधियों का चुनाव
- धन विधेयक को प्रस्तुत करना
नीचे दिए गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिए।
Correct
उत्तर: b)
कुछ मामलों को छोड़कर राज्य विधान परिषद की शक्तियाँ और स्थिति मोटे तौर पर राज्य विधान सभा के बराबर होती है।
राज्य वित्त आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग और भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक जैसे संवैधानिक निकायों की रिपोर्टों पर विचार करने के लिए दोनों के पास समान अधिकार हैं।
परिषद बजट पर चर्चा कर सकती है लेकिन अनुदान की मांगों पर मतदान नहीं कर सकती (जो कि विधानसभा का विशेष विशेषाधिकार है)।
एक कानून के पारित होने के समान, अध्यादेशों को भी दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होने की आवश्यकता होती है।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (एकल संक्रमणीय मत) के आधार पर राज्यसभा सांसदों के चुनाव में केवल विधानसभा भाग लेती है।
धन विधेयक केवल विधान सभा में ही पेश किया जा सकता है।
Incorrect
उत्तर: b)
कुछ मामलों को छोड़कर राज्य विधान परिषद की शक्तियाँ और स्थिति मोटे तौर पर राज्य विधान सभा के बराबर होती है।
राज्य वित्त आयोग, राज्य लोक सेवा आयोग और भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक जैसे संवैधानिक निकायों की रिपोर्टों पर विचार करने के लिए दोनों के पास समान अधिकार हैं।
परिषद बजट पर चर्चा कर सकती है लेकिन अनुदान की मांगों पर मतदान नहीं कर सकती (जो कि विधानसभा का विशेष विशेषाधिकार है)।
एक कानून के पारित होने के समान, अध्यादेशों को भी दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित होने की आवश्यकता होती है।
आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (एकल संक्रमणीय मत) के आधार पर राज्यसभा सांसदों के चुनाव में केवल विधानसभा भाग लेती है।
धन विधेयक केवल विधान सभा में ही पेश किया जा सकता है।
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