विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. मॉडल किरायेदारी अधिनियम (MTA)
2. भारत में डिजिटल टैक्स
3. कोविड- 19 का केवल डेल्टा वैरिएंट ही चिंताजनक वैरिएंट है: WHO
4. ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ प्रमुख
सामान्य अध्ययन-III
1. अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (RDSO)
2. चीन के ‘कृत्रिम सूर्य’ प्रायोगिक संलयन रिएक्टर द्वारा एक नया विश्व रिकॉर्ड
3. महामारी के दौरान, पहली बार लागू किया जाने वाला विशिष्ट डीएम एक्ट 2005
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. मई-जून 1921 का टुल्सा नस्लीय नरसंहार
सामान्य अध्ययन- II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मॉडल किरायेदारी अधिनियम (MTA)
(Model Tenancy Act)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा ‘मॉडल किरायेदारी अधिनियम’ (Model Tenancy Act- MTA) को मंजूरी दे दी गई।
राज्य और केंद्र शासित प्रदेश, नए कानून बनाकर ‘मॉडल किरायेदारी अधिनियम’ लागू कर सकते हैं या वे अपने मौजूदा किरायेदारी कानूनों में अपने हिसाब से संशोधन कर सकते हैं।
मॉडल किरायेदारी कानून के प्रमुख बिंदु:
- ये क़ानून उत्तरव्यापी प्रभाव से लागू होंगे तथा मौजूदा किरायेदारी को प्रभावित नहीं करेंगे।
- सभी नई किरायेदारिर्यों के लिए लिखित अनुबंध जरूरी होगा। इस अनुबंध को संबंधित जिला ‘किराया प्राधिकरण’ के पास जमा करना होगा।
- इस कानून में मकान मालिक और किरायेदारों की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में भी स्पष्ट किया गया है।
- कोई भी मकान मालिक या संपत्ति प्रबंधक, किरायेदार के कब्जे वाले परिसर हेतु किसी भी आवश्यक आपूर्ति को रोक नहीं सकता है।
- किरायेदारी का नवीनीकरण नहीं किये जाने पर, पुराने अनुबंध के नियमों और शर्तों सहित किरायेदारी को मासिक आधार पर, अधिकतम छह महीने की अवधि तक, नवीनीकृत मान लिया जाएगा।
- मकान खाली नहीं करने के मामले में मुआवजा: तय किरायेदारी अवधि के बाद छह महीने पूरे हो जाने पर अथवा किसी आदेश या नोटिस से किरायेदारी समाप्त करने पर, किरायेदार एक ‘बकाया किरायेदार’ (Tenant in Default) बन जाएगा, और उसे अगले दो महीने के लिए निर्धारित किराए का दोगुना, तथा इससे आगे के महीनों के लिए मासिक किराए का चार गुना भुगतान करना होगा।
- कोई मकान मालिक या संपत्ति प्रबंधक, किरायेदार के परिसर में, घुसने के कम से कम चौबीस घंटे पहले इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से लिखित सूचना या नोटिस देने के बाद ही प्रवेश कर सकता है।
महत्व:
यह, दीवानी अदालतों पर भार कम करने, कानूनी विवादों में फंसी किराये की संपत्तियों को खोलने और किरायेदारों और मकान-मालिकों के हितों को संतुलित करके भविष्य की उलझनों को रोकने का वादा करने वाला एक महत्वपूर्ण कानून।
इस संबंध में ‘कानून’ की आवश्यकता:
- बड़े महानगरों में प्रवास करने वाले युवा, नौकरी की खोज में शिक्षित व्यक्ति, अक्सर किराए पर रहने के लिए जगह के लिए, किरायेदारी की दुष्कर शर्तों और सुरक्षा-जमा के रूप में बेहिसाब रकम मांगे जाने की शिकायत करते हैं। कुछ शहरों में, किरायेदारों को 11 महीने के किराए के बराबर सुरक्षा-जमा राशि का भुगतान करने के लिए कहा जाता है।
- इसके अलावा, कुछ मकान मालिक नियमित रूप से विविध मरम्मत कार्यों के लिए अघोषित रूप से किरायेदारों के परिसर में जाकर उनकी निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
- किराए में मनमानी बढ़ोतरी भी किरायेदारों के लिए एक और समस्या है, जिनमें से कई “बंदी ग्राहक” की तरह निचोड़े जाने की शिकायत करते हैं।
- इसके अलावा, किरायेदारों पर अक्सर किराए के परिसर में “अवैध रूप से रहने” या संपत्ति हथियाने की कोशिश करने का आरोप लगाया जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि मकान-मालिक और किराएदार के संबंध, किराएदारी अवधि और किराए का संग्रह, भारतीय संविधान की राज्य सूची (7वीं अनुसूची) का विषय हैं? यहां और पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘मॉडल किरायेदारी कानून’ के बारे में- प्रमुख बिंदु
- राज्यों की भूमिका
मेंस लिंक:
‘मॉडल किरायेदारी कानून’ के महत्व और प्रासंगिकता की विवेचना कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
भारत में डिजिटल टैक्स
(Digital tax in India)
संदर्भ:
हाल ही में, संयुक्त राज्य अमेरिका द्वारा, भारत सहित छह देशों द्वारा अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनियों पर डिजिटल सेवा कर लगाए जाने की प्रतिक्रिया स्वरूप, इन देशों से होने वाले $2 बिलियन से अधिक कीमत के आयात पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाने की घोषणा की गयी थी।
लेकिन, अंतरराष्ट्रीय कराधान को लेकर चल रही बहुपक्षीय वार्ता के पूरा होने के लिए समय देते हुए अमेरिका ने इस अतिरिक्त शुल्क को तत्काल ही निलंबित कर दिया।
- ‘अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय’ द्वारा ‘धारा 301’ के तहत की गयी जाँच के निष्कर्ष के पश्चात ब्रिटेन, इटली, स्पेन, तुर्की, भारत और ऑस्ट्रिया से आने वाली वस्तुओं पर इस धमकी भरे शुल्क के लिए मंजूरी दी गयी थी। धारा 301’ के तहत की गयी जाँच में पाया गया था, कि इन देशों द्वारा लगाए जाने वाले डिजिटल कर अमेरिकी कंपनियों के साथ भेदभाव करते हैं।
- इस प्रस्तावित टैरिफ का लक्ष्य अमेरिकी कंपनियों से एकत्र किए जाने वाले डिजिटल करों की मात्रा के बराबर कर हासिल करना था।
डिजिटल टैक्स के बारे में:
- भारत, वर्ष 2016 में 6 प्रतिशत ‘समकारी लेवी’ (Equalisation Levy) लागू करने की शुरुआत करने वाले पहले देशों में से एक था, हालांकि यह लेवी केवल ऑनलाइन विज्ञापन सेवाओं तक ही सीमित थी।
- यद्यपि, भारत में ग्राहकों को ऑनलाइन सामान और सेवाएं बेचने वाली तथा 2 करोड़ रुपये से अधिक की वार्षिक आय दिखाने वाली विदेशी कंपनियों पर अप्रैल 2020 से डिजिटल टैक्स लागू है।
प्रयोज्यता:
भारत द्वारा पिछले कुछ वर्षों के दौरान, देश के बाहर स्थित डिजिटल संस्थाओं पर कर लगाने हेतु ‘समकारी लेवी’ के दायरे का विस्तार किया गया है।
- हालाँकि, समकारी लेवी वर्ष 2019-20 तक 6 प्रतिशत की दर से केवल डिजिटल विज्ञापन सेवाओं पर लागू होती थी, फिर सरकार ने पिछले साल अप्रैल में, 2 करोड़ रुपए से अधिक का सालाना व्यापार करने वाली गैर-निवासी ई-कॉमर्स कंपनियों पर 2 प्रतिशत कर लगाने हेतु इस डिजिटल टैक्स का दायरा बढ़ा दिया था।
- वित्त अधिनियम 2021-22 में, ई-कॉमर्स आपूर्ति या सेवाओं को कर-दायरे में लाने के लिए डिजिटल टैक्स का दायरा और विस्तारित किया गया।
- मई 2021से, डिजिटल टैक्स के दायरे में, भारत में व्यवस्थित ढंग से और लगातार, 3 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं के साथ व्यापार करने वाली सभी ईकाइयों को शामिल कर दिया गया है।
किन स्थितयों में इस टैक्स से छूट दी जाएगी?
- भारतीय इकाई के माध्यम से बिक्री करने वाली अपतटीय ई-कॉमर्स फर्मों को इस टैक्स का भुगतान नहीं करना होगा।
- इसका मतलब यह है, कि यदि विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं का स्वामित्व, किसी भारतीय निवासी या भारत में स्थित प्रतिष्ठान के पास है, तो इनके लिए 2 प्रतिशत ‘समकारी लेवी’ का भुगतान नहीं करना होगा।
इसे लागू करने का कारण:
‘समकारी लेवी’ को, ‘भारत में कर-भुगतान करने वाले भारतीय व्यवसायों और भारत में व्यापार करने वाली, किंतु यहाँ कोई आयकर नहीं देने वाली विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के मध्य समान अवसर देने के लिए लागू किया गया था।
दूसरे किन देशों में डिजिटल विक्रेताओं पर इस प्रकार का शुल्क लगाया जाता है?
- फ्रांस में तीन प्रतिशत डिजिटल सेवा कर लगाया जाता है।
- आसियान क्षेत्र में, सिंगापुर, इंडोनेशिया और मलेशिया द्वारा डिजिटल सेवा कर लगाया जाता है, और हाल ही में थाईलैंड ने विदेशी डिजिटल सेवा प्रदाताओं पर कर लगाने संबंधी योजनाओं की घोषणा की है।
- इंटरनेट अर्थव्यवस्थाओं के तेजी से विकास को देखते हुए अंतर्राष्ट्रीय कर नियमों में बदलाव हेतु 140 देशों के मध्य ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (OECD) में वार्ता जारी है।
संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) द्वारा डिजिटल टैक्स को भेदभावपूर्ण बताए जाने का कारण:
- सबसे पहले, USTR का कहना है, कि ‘डिजिटल सेवा कर’ (DST) अमेरिकी डिजिटल व्यवसायों के साथ भेदभाव करता है, क्योंकि इसमें विशेष रूप से अपने घरेलू (भारतीय) डिजिटल व्यवसायों को कर के दायरे में नहीं लाया गया है।
- USTR यह भी कहता है, कि DST, गैर-डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा प्रदान की जाने वाली समान सेवाओं पर लागू नहीं होता है।
भारत द्वारा डिजिटल सेवा कर को गैर-भेदभावपूर्ण बताए जाने का तर्क एवं इसकी आवश्यकता:
- अनिवासी डिजिटल सेवा प्रदाताओं द्वारा नियोजित व्यापार मॉडल, भारत में व्यवसाय की भौतिक रूप से मौजूदगी की जरूरत को खत्म कर देते हैं और यहां से अर्जित होने वाले लाभ पर आयकर देने से आसानी से बच सकते हैं। इसलिए, इस तरह का कराधान आवश्यक है।
- बदलती हुई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था: भारत जैसे देश, जो डिजिटल कारपोरेशंस के लिए बड़े बाजार उपलब्ध कराते हैं, उन्हें उनके देश में अर्जित की जाने वाले आय पर कर लगाने का अधिकार होंना चाहिए।
संबद्ध चिंताएं:
- अंत में, डिजिटल उपभोक्ताओं के लिए यह कर एक बोझ बन सकता है।
- इसके परिणामस्वरूप, भारत पर भी प्रतिकार शुल्क (जैसेकि अमेरिका द्वारा घोषित हालिया टैक्स) लगाए जा सकते हैं। कुछ समय पूर्व अमेरिका द्वारा इसी तरह के टैरिफ फ्रांस पर लगाए गए थे।
- यह दोहरे कराधान में भी बदल सकता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
- क्या भारत का डिजिटल सेवा कर भेदभावपूर्ण है? यहां पढ़ें,
- क्या आप जानते हैं USTR द्वारा प्रतिवर्ष तैयार की जाने वाली विशेष 301 रिपोर्ट अन्य देशों में बौद्धिक संपदा कानूनों के कारण, संयुक्त राज्य की कंपनियों और उत्पादों के लिए होने वाली व्यापार बाधाओं की पहचान करती है? यहां पढ़ें, ,
प्रीलिम्स लिंक:
- समकारी लेवी के बारे में।
- प्रयोज्यता
- अपवाद
- समान कर लगाने वाले अन्य देश
- OECD के बारे में
मेंस लिंक:
समकारी लेवी के कार्यान्वयन से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
कोविड- 19 का केवल डेल्टा वैरिएंट ही चिंताजनक वैरिएंट है: WHO
संदर्भ:
हाल ही में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है, सर्वप्रथम भारत में पाए जाने वाले B.1.617 कोविड-19 के तीन प्रकारों / वैरिएंट में से केवल एक वैरिएंट B.1.617.2, अब चिंताजनक वैरिएंट (Variant of Concern– VOC) है।
पृष्ठभूमि:
कोविड-19 के B.1.617 वैरिएंट को सबसे पहले भारत में पाया गया था, और इसे B.1.617.1, B.1.617.2 और B.1.617.3 नामक तीन उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है।.
वायरस का रूपांतरण किस प्रकार और क्यों होता है?
- वायरस के प्रकारों में एक या एक से अधिक उत्परिवर्तन (Mutations) होते हैं, जो इस नए रूपांतरित प्रकार को, माजूदा अन्य वायरस वेरिएंटस से अलग करते हैं।
- दरअसल, वायरस का लक्ष्य एक ऐसे चरण तक पहुंचना होता है जहां वह मनुष्यों के साथ रह सके, क्योंकि उसे जीवित रहने के लिए एक पोषक (Host) की जरूरत होती है।
- विषाणुजनित RNA में होने वाली त्रुटियों को उत्परिवर्तन कहा जाता है, और इस प्रकार उत्परिवर्तित वायरस को ‘वेरिएंट’ कहा जाता है। एक या कई उत्परिवर्तनों से निर्मित हुए ‘वेरिएंट’ परस्पर एक-दूसरे से भिन्न हो सकते हैं।
‘वायरस उत्परिवर्तिन’ क्या होता है?
- उत्परिवर्तन अथवा ‘म्युटेशन’ (Mutation) का तात्पर्य जीनोम अनुक्रमण में होने वाला परिवर्तन होता है।
- SARS-CoV-2 के मामले में, जोकि एक राइबोन्यूक्लिक एसिड (RNA) वायरस है, उत्परिवर्तन का अर्थ, उसके अणु-क्रम संयोजन व्यवस्था में बदलाव होता है।
- आरएनए वायरस में उत्परिवर्तन, प्रायः वायरस द्वारा स्व-प्रतिलिपियाँ (copies of itself) बनाते समय गलती करने के कारण होता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
- वायरस का नामकरण किस प्रकार किया जाता है? यहां पढ़ें,
- डीएनए बनाम आरएनए- आप कितने अंतर जानते हैं? Read here
प्रीलिम्स लिंक:
- कोविड-19 क्या है?
- उत्परिवर्तन क्या है?
- mRNA क्या है?
- RT- PCR टेस्ट क्या है?
मेंस लिंक:
कोविड- 19 वायरस के उत्परिवर्तन से संबंधित चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ प्रमुख
संदर्भ:
भारत ने ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (United Nations General Assembly- UNGA) के अध्यक्ष पद हेतु चुनाव में मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद के समर्थन में मतदान करने का फैसला किया है।
इस बार ‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) का प्रमुख, एशिया-प्रशांत समूह से चुना जाएगा।
संयुक्त राष्ट्र का ‘एशिया-प्रशांत समूह’
- संयुक्त राष्ट्र के ‘एशिया-प्रशांत समूह’ (Asia- Pacific group of the UN) में 53 सदस्य राष्ट्र शामिल हैं, और यह सदस्य राष्ट्रों की संख्या के हिसाब से अफ्रीकी समूह के बाद, दूसरा सबसे बड़ा क्षेत्रीय समूह है।
- इसके भू-क्षेत्र में, कुछ देशों को छोड़कर, एशिया और ओशिनिया महाद्वीपों के अधिकांश देश आते हैं।
‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ (UNGA) के बारे में:
- महासभा (General Assembly), संयुक्त राष्ट्र का मुख्य विचार-विमर्शक, नीति निर्धारक और प्रतिनिधि अंग है।
- महासभा में, संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य राष्ट्रों के प्रतिनिधि होते हैं, और इस प्रकार, यह सार्वभौमिक प्रतिनिधित्व वाली संयुक्त राष्ट्र की एकमात्र संस्था है।
- महासभा के द्वारा इसके अध्यक्ष का, एक वर्ष के कार्यकाल के लिए प्रतिवर्ष चुनाव किया जाता है।
‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ के अध्यक्ष पद हेतु, प्रतिवर्ष पांच भौगोलिक समूहों के बीच से चुनाव किया जाता है:
- अफ्रीकी समूह,
- एशिया-प्रशांत,
- पूर्वी यूरोपीय देशों का समूह,
- लैटिन अमेरिकी और कैरिबियन देश, और
- पश्चिमी यूरोपीय और अन्य देश।
‘संयुक्त राष्ट्र महासभा’ में निर्णय किस प्रकार लिए जातें हैं?
- महासभा में महत्त्वपूर्ण प्रश्नों पर निर्णय लेने जैसे कि शांति एवं सुरक्षा, नए सदस्यों के प्रवेश तथा बजटीय मामलों के लिये दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।
- अन्य प्रश्नों पर निर्णय साधारण बहुमत से लिया जाता है।
‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ की भांति, ‘महासभा’ के पास कोई बाध्यकारी वोट या वीटो शक्तियां नहीं होती हैं।
संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार, महासभा:
- संयुक्त राष्ट्र के बजट पर विचार और अनुमोदन करेगी और सदस्य देशों का वित्तीय आकलन निर्धारित करेगी।
- सुरक्षा परिषद के गैर-स्थायी सदस्यों और अन्य संयुक्त राष्ट्र परिषदों और अंगों के सदस्यों का चुनाव करेगी और सुरक्षा परिषद की सिफारिश पर महासचिव की नियुक्ति करेगी।
- निरस्त्रीकरण सहित अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए सहयोग के सामान्य सिद्धांतों पर विचार करेगी और इसके लिए सिफारिशें करेगी।
- सुरक्षा परिषद द्वारा वर्तमान में किसी विवाद या स्थिति पर की जा रही चर्चा को छोड़कर, अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा से संबंधित किसी भी प्रश्न पर चर्चा करेगी, उस पर सिफारिशें करेगी।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि वर्ष 2020 में संयुक्त राष्ट्र और उसके संस्थापना से संबंधित चार्टर की 75वीं वर्षगांठ थी? Read here
प्रीलिम्स लिंक:
- कौन से देश UNGA के सदस्य नहीं हैं?
- UNGA के अध्यक्ष का चुनाव कैसे किया जाता है?
- UNSC के स्थायी सदस्यों के नाम बताइए?
- अस्थाई सदस्य कैसे चुने जाते हैं?
- UNSC में मतदान की शक्तियाँ
- अस्थाई सीटों का वितरण कैसे किया जाता है?
- UNGA vs UNSC
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: उदारीकरण का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव, औद्योगिक नीति में परिवर्तन तथा औद्योगिक विकास पर इनका प्रभाव।
अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (RDSO)
(Research Design & Standards Organization)
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय रेल के संस्थान ‘अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन’ (Research Design & Standards Organization- RDSO) को “एक राष्ट्र एक मानक” (One Nation One Standard) अभियान के तहत ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ (BIS) का पहला ‘मानक विकास संगठन’ (Standard Developing Organization- SDO) घोषित किया गया है।
इस मान्यता के लाभ:
- भारतीय रेल आपूर्ति श्रृंखला में उद्योग / विक्रेताओं / MSME / प्रौद्योगिकी डेवलपर्स की बड़ी भागीदारी।
- उद्योग / विक्रेताओं के बीच प्रतिस्पर्धा में वृद्धि होगी।
- लागत में और उत्पाद और सेवाओं की गुणवत्ता में मात्रात्मक सुधार।
- भारतीय रेलवे में नवीनतम विकसित और उभरती प्रौद्योगिकियों का सहज समावेश।
- आयात पर निर्भरता कम होगी और “मेक-इन-इंडिया” को बढ़ावा मिलेगा।
- व्यवसाय की सुगमता में सुधार।
- अनुसंधान अभिकल्प और मानक संगठन (RDSO) का मानक निर्धारित करने वाली अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला/वैश्विक व्यापार के साथ एकीकरण।
“एक राष्ट्र एक मानक” के बारे में:
- देश में उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु, ‘एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ योजना की तर्ज पर, ‘एक राष्ट्र एक मानक’ अभियान / ‘वन नेशन वन स्टैंडर्ड’ मिशन (‘One Nation One Standard’ Mission) की परिकल्पना की गई थी।
- इसका उद्देश्य, देश में प्रचलित विभिन्न मानकों को ‘भारतीय मानक ब्यूरो’ ( BIS) के साथ संबंद्ध करना है। ‘भारतीय मानक ब्यूरो’, भारत में मानकीकरण के लिए एक मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय निकाय है।
- इसके तहत, एक उत्पाद के लिए, विभिन्न एजेंसियोँ द्वारा मानक निर्धारित करने के बजाय, मानकों का एक नमूना (Template) विकसित किया जाएगा।
आवश्यकता:
- उत्पादों और सेवाओं की गुणवत्ता के लिए बनाए गए मानक, अक्सर राष्ट्र की शक्ति और चरित्र का उदाहरण पेश करते हैं।
- सभी प्रकार की सार्वजनिक खरीद का मानकीकरण और राष्ट्रीय एकरूपता लाने के लिए तत्काल निविदा जारी की जा सकती है।
- समान राष्ट्रीय मानक अधिक उत्पादों के लिए मानकीकरण को अनिवार्य बनाने में मदद करेंगे।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप ‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ सिस्टम के बारे में जानते हैं?
प्रीलिम्स लिंक:
- भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के बारे में
- कार्य
- बीआईएस अधिनियम 2016 का अवलोकन
मेंस लिंक:
‘वन नेशन वन स्टैंडर्ड’ मिशन की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी।
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
चीन के ‘कृत्रिम सूर्य‘ प्रायोगिक संलयन रिएक्टर द्वारा एक नया विश्व रिकॉर्ड
संदर्भ:
चीन के ‘प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक’ (Experimental Advanced Superconducting Tokamak- EAST) द्वारा एक नवीनतम प्रयोग के दौरान एक नया रिकॉर्ड बनाया है, जिसमे उसने 101 सेकंड की अवधि तक 216 मिलियन फ़ारेनहाइट (120 मिलियन डिग्री सेल्सियस) का प्लाज्मा तापमान पैदा करने में सफलता हासिल की।
इस ‘प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक’ (EAST) को ‘कृत्रिम सूर्य’ (Artificial Sun) भी कहा जाता है।
इस उपलब्धि का महत्व:
- ऐसा माना जाता है, कि सूर्य के केंद्र का तापमान 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस है, और इस उपलब्धि का मतलब है, कि EAST द्वारा पैदा किया गया तापमान ‘सूर्य के तापमान से लगभग सात गुना अधिक’ है।
- यह, न्यूनतम अपशिष्ट उत्पादों सहित स्वच्छ और असीमित ऊर्जा उत्पादित करने हेतु चीन द्वारा किए जा रहे प्रयासों की दिशा एक महत्वपूर्ण कदम है।
‘EAST’ क्या है?
‘प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक’ (EAST) मिशन में ‘सूर्य की ऊर्जा उत्पादन प्रक्रिया’ की नकल की जा रही है।
- ‘प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक’ रिएक्टर, एक ‘उन्नत परमाणु संलयन प्रायोगिक अनुसंधान उपकरण’ (Advanced Nuclear Fusion Experimental Research Device) है और चीन के हेफ़ेई (Hefei) में स्थित है।
- यह वर्तमान में देश भर में कार्यरत तीन प्रमुख स्वदेशी टोकामक में से एक है।
- EAST परियोजना ‘अंतर्राष्ट्रीय ताप-नाभिकीय प्रायोगिक रिएक्टर’ (International Thermonuclear Experimental Reactor- ITER) कार्यक्रम का हिस्सा है। इस आईटीईआर सुविधा का परिचालन वर्ष 2035 आरंभ होगा, इसके बाद यह विश्व का सबसे बड़ा ‘परमाणु संलयन रिएक्टर’ बन जाएगी।
- आईटीईआर परियोजना में भारत, दक्षिण कोरिया, जापान, रूस और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित कई देशों द्वारा योगदान किया जा रहा है।
‘कृत्रिम सूर्य‘ EAST किस प्रकार कार्य करता है?
यह ‘प्रायोगिक उन्नत सुपरकंडक्टिंग टोकामक’ अर्थात EAST, सूर्य एवं तारों द्वारा में हो रही ‘परमाणु संलयन प्रक्रिया’ (Nuclear Fusion Process) का अनुकरण करता है।
- परमाणु संलयन हेतु, हाइड्रोजन परमाणुओं पर अत्यधिक ताप और दाब प्रयुक्त किया जाता है, ताकि वे पिघलकर परस्पर संलयित हो जाएं।
- हाइड्रोजन में पाए जाने वाले ‘ड्यूटेरियम और ट्रिटियम’ नाभिक, परस्पर संलयित होकर भारी हीलियम नाभिकों का निर्माण करते हैं, और इस प्रक्रिया में न्यूट्रॉन अणुओं सहित भारी मात्रा में ऊर्जा निर्मुक्त होती हैं।
- इसमें, ईंधन को 150 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान तक गर्म किया जाता है, जिससे ‘अपरमाणविक अणुओं’ (Subatomic Particles) का एक गर्म प्लाज्मा “सूप” निर्मित होता है।
- एक शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र की मदद से, प्लाज्मा को रिएक्टर की दीवारों से दूर रखा जाता है, क्योंकि रिएक्टर की सतह के संपर्क में आने से ‘प्लाज्मा’ के ठंडा होने तथा बड़ी मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता खोने की आशंका होती है।
- संलयन अभिक्रिया होने के लिए प्लाज्मा को लंबी अवधि तक परिरुद्ध किया जाता है।
संलयन प्रक्रिया, विखंडन प्रक्रिया से बेहतर क्यों होती है?
- हालांकि, किसी नाभिक का विखंडन (fission) करना एक आसान प्रक्रिया होती है, किंतु इसमें काफी अधिक मात्रा में परमाणु अपशिष्ट उत्सर्जित होते हैं।
- विखंडन प्रक्रिया की भांति, संलयन (Fusion) प्रक्रिया में ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं होता है और इसमें दुर्घटनाओं का जोखिम होता है तथा इसे एक सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है।
- संलयन प्रक्रिया पर एक बार नियंत्रण हासिल करने के बाद, परमाणु संलयन से बहुत कम लागत पर संभवतः असीमित स्वच्छ ऊर्जा हासिल की सकती है।
अन्य किन देशों द्वारा यह उपलब्धि हासिल की चुकी है?
उच्च प्लाज्मा तापमान हासिल करने वाला चीन अकेला देश नहीं है। वर्ष 2020 में, दक्षिण कोरिया के KSTAR रिएक्टर ने 20 सेकंड तक 100 मिलियन डिग्री सेल्सियस से अधिक प्लाज्मा तापमान हासिल करते रखते हुए एक नया रिकॉर्ड बनाया था।
इंस्टा जिज्ञासु:
फ्रांस में निर्माणाधीन विश्व की सबसे बड़ी ‘परमाणु संलयन परियोजना’ में भारत की भूमिका के बारे में जानिए: Read here
प्रीलिम्स लिंक:
- टोकामक (Tokamak) क्या है?
- चीन का EAST कार्यक्रम क्या है?
- परमाणु संलयन बनाम परमाणु विखंडन
- संलयन और विखंडन के उपोत्पाद
- सूर्य की ‘कोर’ के बारे में।
- ITER क्या है?
मेंस लिंक:
चीन द्वारा विकसित किए जा रहे कृत्रिम सूर्य के महत्व का वर्णन कीजिए।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।
महामारी के दौरान, पहली बार लागू किया जाने वाला विशिष्ट डीएम एक्ट 2005
संदर्भ:
हाल ही में, पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा आपदा प्रबंधन (डीएम) अधिनियम, 2005 (Disaster Management (DM) Act), 2005 की धारा 51 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी गया है। इस धारा के तहत आरोप साबित होने पर दो साल तक की कैद या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
संबंधित प्रकरण:
पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव, 28 मई को पश्चिम बंगाल में चक्रवात प्रभावित कलाईकुंडा में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई समीक्षा बैठक में शामिल नहीं हुए थे। इस तरह इन्होंने केंद्र सरकार के वैध निर्देशों का पालन करने से इनकार करने के समान कार्य किया और इस प्रकार इन्होंने क़ानून की धारा 51 (b) उल्लंघन किया।
आपदा प्रबंधन (डीएम) अधिनियम, 2005 की धारा 51:
अधिनियम के तहत, केंद्र सरकार या राज्य सरकार या राष्ट्रीय कार्यकारी समिति या राज्य कार्यकारी समिति या जिला प्राधिकरण की ओर से दिए गए किसी भी निर्देश का पालन करने से इनकार करने पर इस धारा के द्वारा “व्यवधान पहुचाने के लिए दंड” निर्धारित किया गया है।
- इसमें कहा गया है,कि उल्लंघन का दोष-सिद्ध होंने पर, एक वर्ष अवधि तक का कारावास या जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है।
- इसमें कहा गया है कि यदि “निर्देशों का पालन करने से इनकार करने से जानमाल की हानि होती है या कोई खतरा आसन्न होता है, तो दोषसिद्धि पर दो साल तक के कारावास से दंडित किया जा सकता है”।
इस धारा का हालिया उपयोग:
- इस धारा के तहत, विशेष प्रावधान के माध्यम से गृह मंत्रालय द्वारा पिछले साल अप्रैल में सार्वजनिक रूप से थूकना दंडनीय अपराध बना दिया गया था।
- “सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क पहनना अनिवार्य” कर दिया गया।
- 30 मार्च, 2020 को, देशव्यापी तालाबंदी की अचानक घोषणा के बाद, दिल्ली के आनंद विहार रेलवे स्टेशन पर हजारों प्रवासी एकत्र हुए थे, इसके लिए दिल्ली सरकार के दो अधिकारियों को कर्तव्यों की अवहेलना के आरोप में निलंबित कर दिया गया और दो अन्य अधिकारियों को केंद्र द्वारा कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
पृष्ठभूमि:
- आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, वर्ष 2004 में आई सुनामी के बाद अस्तित्व में आया था।
- 24 मार्च, 2020 को, केंद्र सरकार द्वारा प्रधान मंत्री की अध्यक्षता वाले ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण’ (NDMA) के माध्यम से, महामारी प्रबंधन को सुव्यवस्थित करने के लिए अधिनियम के प्रावधानों को लागू किया गया, तथा जिला मजिस्ट्रेटों को निर्णय लेने और ऑक्सीजन की आपूर्ति और वाहनों की आवाजाही पर अन्य निर्णयों को केंद्रीकृत करने का अधिकार दिया।
- इस क़ानून को गृह मंत्रालय द्वारा लागू किया गया है और वर्तमान में इस अधिनियम को पूरे देश में 30 जून तक बढ़ा दिया गया है।
डीएम अधिनियम के विवरण के लिए, देखें: INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 27 April 2021 – INSIGHTSIAS (insightsonindia.com)
प्रीलिम्स लिंक:
- आपदा प्रबंधन अधिनियम क्या है?
- इस अधिनियम के तहत स्थापित निकाय
- राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) की संरचना
- आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत राज्यों और केंद्र की शक्तियां
- अधिसूचित आपदा क्या है?
- NDRF के कार्य
- तरल ऑक्सीजन और इसके उपयोग के बारे में।
मेंस लिंक:
क्या आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005, देश के मुख्य आपदा प्रबंधन कानून के अनुकूल नहीं है? वर्तमान स्थिति में एक महामारी कानून की आवश्यकता का विश्लेषण कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
मई-जून 1921 का टुल्सा नस्लीय नरसंहार
(Tulsa Race Massacre)
वर्ष 1921 के मई-जून ने हुआ टुल्सा नस्लीय नरसंहार, (Tulsa Race Massacre), अमेरिका के आधुनिक इतिहास में हिंसक नस्लीय घृणा संबंधी सबसे ख़राब घटनाओं में से एक है।
इस नस्लीय नरसंहार में ओक्लाहोमा राज्य के टुल्सा में, श्वेत नस्ल की भीड़ द्वारा अपेक्षाकृत समृद्ध अफ्रीकी-अमेरिकियों लक्षित करके बड़े पैमाने पर हत्याएं की गयीं तथा इनकी संपत्ति को व्यापक क्षति पहुंचाई गयी थी।
टुल्सा को अमेरिका में ‘सिविल राइट्स’ लागू होने से पहले ‘जिम क्रो’ कानूनों या बेहद कठोर पृथक्करण कानूनों की वजह से पीड़ित अफ्रीकी अमेरिकियों के लिए एक ‘अनौपचारिक अभयारण्य- शहर’ माना जाता था। इस शहर को अमेरिका का “ब्लैक वॉल स्ट्रीट” भी कहा जाता था।
चर्चा का कारण:
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन, हाल ही में इस घटना को आधिकारिक रूप से स्वीकार करने वाले पहले अमेरिकी राष्ट्राध्यक्ष बने।
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