विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. H10N3 बर्ड फ्लू स्ट्रेन
2. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग
3. माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007
4. चीन तथा ‘मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय’ 17+1 तंत्र
सामान्य अध्ययन-III
1. ‘आईपीओ ग्रे मार्केट’
2. राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. सिनोवैक कोविड-19 वैक्सीन
2. ‘संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक’
3. न्यायमूर्ति ए.के. मिश्रा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष
4. ऐम्बिटैग
सामान्य अध्ययन- II
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
H10N3 बर्ड फ्लू स्ट्रेन
संदर्भ:
हाल ही में, चीन में ‘H10N3 बर्ड फ्लू’ स्ट्रेन (H10N3 bird flu strain) से मनुष्य के संक्रमित होने का विश्व का पहला मामला दर्ज किया गया है।
‘H10N3 बर्ड फ्लू’ के बारे में:
H10N3 एक प्रकार का ‘बर्ड फ्लू’ या पक्षियों में होने वाला फ्लू (एवियन फ्लू) है। दुनिया भर के जंगली जलीय पक्षियों में ये बीमारियां आमतौर पर पाई जाती हैं और ये घरेलू कुक्कुट प्रजातियों और अन्य पक्षी एवं पशु प्रजातियों को संक्रमित कर सकती हैं।
प्रसार और संचरण:
एवियन फ्लू का वायरस, संक्रमित पक्षियों की लार (Saliva), बलगम (Mucus) और मल (Poop) से फैलता है, और जब यह वायरस पर्याप्त मात्रा में मनुष्य की आँखों, नाक या मुंह में चला जाता है, या इन संक्रमित पदार्थों के श्वसन-प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति के भीतर पहुँचने पर मनुष्य संक्रमित हो सकते हैं।
चिंता का कारण:
- स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा प्रकोप संबंधी आशंका को नकारते हुए कहा गया है, कि उक्त मामला पोल्ट्री से मनुष्यों में वायरस का एक छिटपुट संचरण था, और इससे महामारी फैलने का जोखिम बहुत कम है।
- H10N3, पोल्ट्री पक्षियों में पाए जाने वाले वायरस का एक निम्न रोगजनक या अपेक्षाकृत कम गंभीर प्रकार है, और इसके बड़े पैमाने पर फैलने का जोखिम बहुत कम है।
मनुष्यों में H10N3 के प्रसार को फैलने से रोकने संबंधी उपाय:
- व्यक्तियों के लिए बीमार या मृत घरेलू पक्षियों के संपर्क में आने से बचना चाहिए और जितना हो सके जीवित पक्षियों के भी सीधे संपर्क से बचना चाहिए।
- लोगों को इस समय खाने की स्वच्छता पर ध्यान देना चाहिए।
- लोगों को मास्क पहनना चाहिए और आत्म-सुरक्षा हेतु जागरूक रहना चाहिए, साथ ही बुखार और श्वसन संबंधी लक्षणों की लगातार निगरानी करते रहना चाहिए।
बर्ड फ्लू के विभिन्न प्रकार (Strains):
चीन में जानवरों में बर्ड फ्लू के कई स्ट्रेन पाए गए हैं किंतु मनुष्यों में बड़े पैमाने पर अभी तक इसका कोई प्रकोप नहीं फैला है।
- चीन में बर्ड फ्लू के कारण आखिरी मानव महामारी वर्ष 2016-2017 के दौरान H7N9 वायरस से फ़ैली थी।
- H5N8, ‘इन्फ्लुएंजा ए’ वायरस (जिसे बर्ड फ्लू वायरस के रूप में भी जाना जाता है) का एक उपप्रकार है। H5N8, हालांकि मनुष्यों के लिए कम खतरनाक है, किंतु यह जंगली पक्षियों और घरेलू पक्षियों के लिए अत्यधिक घातक है।
- अप्रैल में, पूर्वोत्तर चीन के शेनयांग शहर में, जंगली पक्षियों में अत्यधिक रोगजनक H5N6 एवियन फ्लू संक्रमण पाया गया था।
वर्गीकरण:
‘इन्फ्लूएंजा ए’ वायरस को दो प्रकार के प्रोटीन हेमाग्लगुटिनिन (Hemagglutinin- HA) और न्यूरोमिनिडेस (Neuraminidase- NA) के आधार पर उप-प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है। उदाहरण के लिए, जिस वायरस में HA 7 प्रोटीन और NA 9 प्रोटीन पाया जाता है, उसे ‘H7N9’ सबटाइप / उपप्रकार कहा जाता है।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप जानते हैं कि भारत 2019 में एवियन इन्फ्लुएंजा (H5N1) से मुक्त घोषित किया जा चुका है? यहां पढ़ें:
प्रीलिम्स लिंक:
- जब किसी देश को एवियन इन्फ्लुएंजा से मुक्त घोषित किया जाता है, तो इसे कौन घोषित करता है?
- H5N1 बनाम H5N6 बनाम H9N2 बनाम H5N8
- H10N3 के बारे में।
मेंस लिंक:
बर्ड फ्लू पर एक टिप्पणी लिखिए। इसकी रोकथाम के लिए उपायों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: वैधानिक, नियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)
(National Commission for Protection of Child Rights)
संदर्भ:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वतः संज्ञान लेते हुए, महामारी के कारण अपने निकटस्थ लोगों को खोने वाले और सदमा झेलने वाले बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के तरीकों की जाँच की जा रही है।
- इस संबंध में, 28 मई को, अदालत ने केंद्र सरकार को, महामारी की वजह से अनाथ होने वाले बच्चों के लिए कल्याणकारी उपाय करने का निर्देश दिया था।
- राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) और राज्यों को, तत्काल देखभाल की आवश्यकता वाले बच्चों को चिह्नित करते हुए संबंधित जानकारी को संकलित करने के लिए भी कहा गया था।
‘बाल स्वराज’ नामक एक ऑनलाइन ट्रैकिंग पोर्टल पर जुटाई गई जानकारी के आधार पर, NCPCR ने निम्नलिखित प्रस्तुतियाँ दीं है:
- देश में लगभग 10,000 बच्चों को तत्काल देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता है।
- इनमें मार्च 2020 से कोविड-19 महामारी के दौरान, ‘शून्य’ से 17 वर्ष तक की आयु के अनाथ या परित्यक्त बच्चे शामिल हैं।
- इन बच्चों के लिए तस्करी और देह व्यापार में धकेले जाने का खतरा काफी अधिक है।
विशेष ध्यान देने की जरूरत:
प्रलयकारी कोविड-19 महामारी ने समाज के कमजोर वर्गों को तबाह कर दिया है। ऐसे कई बच्चे हैं जो, या तो परिवार में कमाने वाले या अपने माता-पिता दोनों की मृत्यु हो जाने के कारण अनाथ हो गए हैं। इन बच्चों को अधिकारियों की ओर से तत्काल और विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
NCPCR के बारे में:
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights- NCPCR) की स्थापना ‘बाल अधिकार संरक्षण अधिनियम’, 2005 के अंतर्गत मार्च 2007 में की गई थी।
- यह महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।
- आयोग का कार्य, देश में बनायी गयी, समस्त विधियाँ, नीतियां, कार्यक्रम तथा प्रशासनिक तंत्र, भारत के संविधान तथा साथ ही संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन में प्रतिपाादित बाल अधिकारों के संदर्श के अनुरूप होंने को सुनिश्चित करना है।
‘शिक्षा के अधिकार अधिनियम’ 2009 के संदर्भ में NCPCR की शक्तियाँ:
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR):
- कानून के उल्लंघन के संबंध में शिकायतों की जांच कर सकता है।
- किसी व्यक्ति को पूछतांछ करने हेतु बुलाना तथा साक्ष्यों की मांग कर सकता है।
- न्यायायिक जांच का आदेश दे सकता है।
- हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दायर कर सकता है।
- अपराधी के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए सरकार से संपर्क कर सकता है।
- प्रभावित लोगों को अंतरिम राहत देने की सिफारिश कर सकता है।
आयोग का गठन:
इस आयोग में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिनमें से कम से कम दो महिलाएँ होना आवश्यक है।
- सभी सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है, तथा इनका कार्यकाल तीन वर्ष का होता है।
- आयोग के अध्यक्ष की अधिकतम आयु 65 वर्ष तथा सदस्यों की अधिकतम आयु 60 वर्ष होती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
बच्चों के लिए ‘नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (संशोधन) अधिनियम’, 2019 के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करें: Read here
प्रीलिम्स लिंक:
- NCPCR – संरचना और कार्य।
- ‘शिक्षा का अधिकार’ (RTE) अधिनियम के तहत NCPCR की शक्तियां।
- आरटीई अधिनियम की मुख्य विशेषताएं
- आरटीई के दायरे में आने वाले बच्चे
- बाल स्वराज के बारे में
मेंस लिंक:
‘शिक्षा का अधिकार’ (RTE) अधिनियम की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007
(Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007)
संदर्भ:
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा है, कि ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007, (Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007) के प्रावधानों के अनुसार वृद्धाश्रम स्थापित करने संबंधी अपने वैधानिक दायित्व का पालन करने में राज्य सरकार अपनी ओर से पूरी तरह से विफल रही है।
क्या कानून के अनुसार, राज्य के लिए ‘वृद्धाश्रम’ स्थापित करना अनिवार्य है?
कानून की धारा 19 के अनुसार-
- राज्य सरकार, चरणबद्ध रीति से, सुलभ स्थानों पर, जितने वह आवश्यक समझे, उतने वृद्धाश्रम स्थापित करेगी और उनका अनुरक्षण करेगी और आरंभ में प्रत्येक जिले में कम-से-कम एक वृद्धाश्रम स्थापित करेगी।
- राज्य सरकार, वृद्धाश्रमों के प्रबंधन के लिए एक योजना भी निर्धारित करेगी।
इस विषय पर उच्च न्यायालय की टिप्पणी:
हालांकि अधिनियम में कहा गया है, कि राज्य सरकारें वृद्धाश्रमों की स्थापना और अनुरक्षण ‘करेंगी’ और इसके लिए अंग्रेजी के ‘May’ शब्द का पृओग किया गया है, अदालत ने कहा है, विभिन्न कारकों के आधार पर क़ानून की व्याख्या करते समय, ‘करेंगी’ अर्थात ‘May’ शब्द की व्याख्या ‘करना होगा’ अर्थात ‘Shall’ भी की जा सकती है, यह इसके विपरीत भी की जा सकती है।
वृद्धाश्रमों की आवश्यकता:
जीवन की कठोर वास्तविकता को देखते हुए, निर्धन वरिष्ठ नागरिकों को सुरक्षा की आवश्यकता है। संयुक्त परिवार प्रणाली के समाप्त होने के कारण, काफी बुजुर्गों की देखभाल उनके परिवारों द्वारा नहीं की जाती है। इसके अलावा, बुढ़ापा एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन गया है।
‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 का अवलोकन:
- इस अधिनियम के तहत, वयस्क बच्चों एवं उत्तराधिकारियों के लिए, माता-पिता को मासिक भत्ता के रूप में भरण-पोषण प्रदान करना, कानूनी रूप से बाध्य बनाया गया है।
- इस अधिनियम में ‘माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के लिए मासिक भरण-पोषण का दावा करने के लिए एक सस्ती और त्वरित प्रक्रिया का प्रावधान किया गया है।
- इस अधिनियम के अनुसार, माता-पिता का अर्थ जैविक, दत्तक या सौतेले माता-पिता हो सकता है।
- इस अधिनियम के तहत ऐसे व्यक्तियों (बुजुर्गों) के जीवन और संपत्ति की रक्षा के प्रावधान भी किए गए हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप इस अधिनियम में प्रस्तावित संशोधनों के बारे में जानते हैं? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- अधिनियम के अनुसार ‘निर्धन वरिष्ठ नागरिक’ कौन हैं?
- अधिनियम के अनुसार राज्यों की भूमिका
- अधिनियम की अन्य प्रमुख विशेषताएं
- संशोधन प्रस्तावित
मेंस लिंक:
बुढ़ापा एक बड़ी सामाजिक चुनौती बन गया है। टिप्पणी कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
चीन तथा ‘मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय’ 17+1 तंत्र
(China and Central & Eastern European (CEE) 17+1 mechanism)
संदर्भ:
लिथुआनिया ने, यूरोपीय संघ के भीतर चीन समर्थक देशों के समूह के रूप में देखे जाने वाले ‘चीन तथा ‘मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय’ 17+1 तंत्र’ (China and Central & Eastern European (CEE) 17+1 mechanism) से बाहर निकलने के अपने निर्णय को उचित ठहराया है।
लिथुआनिया ने इस बात से भी इनकार किया है, कि उसने यह फैसला अमेरिकी दबाव के कारण लिया था।
इस निर्णय के मुख्य कारण:
- लिथुआनिया के अनुसार, यह ’17 प्लस वन’ प्रारूप एक विभाजनकारी मंच में परिवर्तित हो चुका है; जबकि इसे यूरोप की एक मजबूत आवाज के रूप में कार्य करना चाहिए था।
- चीन और लिथुआनिया के बीच कई मुद्दों पर तनाव बढ़ रहा है: ताइवान के साथ लिथुआनिया के नए संबंध, उइगरों पर लिथुआनिया संसद का प्रस्ताव, और फिर लिथुआनियाई और यूरोपीय संघ के राजनेताओं पर चीन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध।
- चीन ने कुछ यूरोपीय राजनेताओं और शिक्षाविदों के खिलाफ देश में प्रवेश करने संबंधी तथा अन्य प्रतिबंध लगाने का भी फैसला किया है, और इसका यूरोपीय संघ-चीन संबंधों पर प्रभाव पड़ा है।
‘17+1’ पहल क्या है?
‘17+1’ पहल (17+1 initiative), चीन के नेतृत्व में गठित एक प्रारूप है जिसकी स्थापना वर्ष 2012 में बुडापेस्ट में की गई थी।
- इसका उद्देश्य ‘मध्य एवं पूर्वी यूरोपीय’ (Central and Eastern European– CEE) क्षेत्र के विकास हेतु निवेश और व्यापार के लिए ‘मध्य एवं पूर्वी यूरोप’ के सदस्य देशों तथा बीजिंग के मध्य सहयोग का विस्तार करना था।
- ढांचा सदस्य राज्यों में पुलों, मोटरमार्गों, रेलवे लाइनों और बंदरगाहों के आधुनिकीकरण जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर भी ध्यान केंद्रित करता है।
इस पहल से चीन का लाभ:
- चीन के अनुसार, 17+1 पहल, पश्चिमी यूरोपीय राज्यों की तुलना में कम विकसित यूरोपीय देशों के साथ अपने संबंधों का सुधार करने लिए शुरू की गई है।
- हालांकि, इस मंच को व्यापक तौर पर चीन की प्रमुख ‘बेल्ट एंड रोड पहल’ (BRI) के विस्तार के रूप में देखा जाता है।
‘17+1’ पहल का गठन:
इस पहल में यूरोपीय संघ के बारह सदस्य देश और पांच बाल्कन राष्ट्र- अल्बानिया, बोस्निया और हर्जेगोविना, बुल्गारिया, क्रोएशिया, चेक गणराज्य, एस्टोनिया, ग्रीस, हंगरी, लातविया, लिथुआनिया, मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो, पोलैंड, रोमानिया, सर्बिया, स्लोवाकिया और स्लोवेनिया- शामिल हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
यूरोपीय संघ के अधीन महत्वपूर्ण संस्थानों पर एक त्वरित नज़र डालें: Read here
प्रीलिम्स लिंक:
- बाल्टिक राष्ट्र कौन से हैं?
- यूरोपीय संघ के बारे में
- सीईई 17+1 तंत्र क्या है?
- ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ के बारे में।
- यूरोजोन तथा यूरोपीय संघ में शामिल देश
मेंस लिंक:
एशिया और इसके आसपास के क्षेत्रों में चीन किस प्रकार अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
‘आईपीओ ग्रे मार्केट’
(IPO Grey Market)
संदर्भ:
हालिया चार दिनों में, पेटीएम का स्टॉक, ग्रे मार्केट में ₹11,500 से बढ़कर ₹21,000 हो गया है।
कुछ दिन पूर्व पेटीएम ने इस साल के अंत तक 3 बिलियन अमरीकी डालर के ‘शुरुआती सार्वजनिक प्रस्ताव’ (Initial Public Offer– IPO) अर्थात ‘आईपीओ’ जारी करने की घोषणा की थी, इसी की प्रतिक्रिया स्वरूप पेटीएम के स्टॉक जोरदार वृद्धि हुई है।
‘आईपीओ ग्रे मार्केट’ क्या होती है?
आम तौर पर, जब कंपनियां अपनी वृद्धि को तेज करने के लिए धन जुटाना चाहती है, तो वे अपने स्टॉक का कुछ हिस्सा शेयर बाजार में बिक्री कर देती हैं। इस प्रक्रिया को ‘शुरुआती सार्वजनिक प्रस्ताव / पेशकश’ (Initial Public Offering) या ‘आईपीओ’ कहा जाता है।
- लेकिन, ‘आईपीओ ग्रे मार्केट’ (IPO grey market), ऐसी अनौपचारिक बाजार होती है, जिसमे ‘आईपीओ के शेयर या आवेदन, शेयर बाजार में ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध होने से पहले खरीदे और बेचे जाते हैं।
- इसे ‘समानांतर बाजार’ (Parallel Market) या ‘ओवर-द-काउंटर बाजार’ (Over-the-Counter Market) भी कहा जाता है।
इसकी वैधता एवं प्रशासन:
चूंकि ‘आईपीओ ग्रे मार्केट’ एक अनौपचारिक बाजार होती है, अतः स्वाभाविक है कि इसको विनियमित करने के लिए कोई नियम नहीं होते हैं। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI), स्टॉक एक्सचेंज और दलालों की इसमें कोई भूमिका नहीं होती है। इनका खरीद-बिक्री, निजी तौर पर नकद रूप में होती है।
‘कोस्टक दर’ क्या है?
‘कोस्टक रेट’ (Kostal rate), आईपीओ आवेदन (IPO application) से संबंधित होती है। अतएव, किसी निवेशक द्वारा जिस दर पर, लिस्टिंग होने से पहले ‘आईपीओ आवेदन’ खरीदे जाते हैं, उसे ‘कोस्टक रेट’ या ‘कोस्टक दर’ कहा जाता है।
निवेशक ‘ग्रे मार्केट’ में व्यापर क्यों करते हैं?
- जब निवेशकों को लगता है, कि किसी कंपनी के शेयरों की कीमतों में वृद्धि होने वाली है, तो इनके लिए, कंपनी के सूचीबद्ध होने से पहले ही इसके शेयर खरीदने का यह एक उत्कृष्ट अवसर होता है।
- यदि कोई निवेशक, आईपीओ आवेदन के लिए निर्धारित समय सीमा से चूक जाता है या अधिक शेयर खरीदना चाहता है, तो वे आईपीओ ग्रे मार्केट में संपर्क कर सकता है।
इसमें कंपनियों के लिए क्या लाभ होता है?
- कंपनियों के लिए, ग्रे मार्केट यह जानने का एक बढ़िया तरीका होती है, कि उनके शेयरों की मांग कैसी है और सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के शेयरों का प्रदर्शन कैसा हो सकता है।
- इसके अलावा, एक ‘आईपीओ ग्रे मार्केट’ का इस्तेमाल, सूचीबद्ध होने के बाद कंपनी के स्टॉक के प्रदर्शन के बारे में जानने के लिए किया जा सकता है।
संबंधित चिंताएं:
आईपीओ ग्रे मार्केट, एक अनौपचारिक बाजार होती है, जो सेबी के अधिकार-क्षेत्र से बाहर संचालित होती है। अतः इसमें कोई गारंटी नहीं दी जाती हैं।
- सभी लेन-देन, विश्वास और प्रतिपक्ष जोखिम (counterparty risk) के आधार पर किए जाते हैं।
- इसलिए, स्टॉक टैंक हो जाने अर्थात स्टॉक के खराब प्रदर्शन करने पर पार्टियों के लिए बहुत कम कानूनी सुरक्षा उपलब्ध होती हैं।
इंस्टा जिज्ञासु:
क्या आप सोशल स्टॉक एक्सचेंज के बारे में जानते हैं? यहां पढ़ें:
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘आईपीओ’ क्या होते है?
- ‘सूचीबद्ध कंपनियां’ कौन सी होती हैं?
- प्राथमिक और द्वितीयक बाजार क्या हैं?
- सेबी के बारे में
मेंस लिंक:
भारत में ‘ग्रे मार्केट’ से जुड़ी चिंताओं पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: लाइवमिंट
विषय: संचार नेटवर्क के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा को चुनौती, आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों में मीडिया और सामाजिक नेटवर्किंग साइटों की भूमिका, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें, धन-शोधन और इसे रोकना।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980
(National Security Act)
संदर्भ:
दवाओं और उपकरणों सहित कोविड-19 के उपचार के लिए आवश्यक वस्तुओं की जमाखोरी, मुनाफाखोरी, मिलावट और कालाबाजारी करने पर ‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम’ (National Security Act-NSA) लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है।
पृष्ठभूमि:
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के तथा ‘निर्धनता रेखा से नीचे’ आने वाले (BPL) हजारों नागरिक, अस्पताल के बिस्तरों की जमाखोरी, मिलावटी कोविड दवाओं, ऑक्सीजन सिलेंडर जैसे चिकित्सा उपकरणों की कालाबाजारी और रेमडेसिविर, टोसीलिज़ुमैब, आदि जैसे जीवन रक्षक इंजेक्शन की बिक्री में भारी मुनाफाखोरी के कारण, सड़कों पर, वाहनों में, अस्पताल के परिसरों और अपने घरों में मर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है, कि इसलिए इन कृत्यों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और दोषियों को दंडित किया जाना चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के बारे में:
‘राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम’ (National Security Act) अर्थात NSA एक निवारक निरोध कानून है।
- निवारक निरोध (Preventive Detention) के अंतर्गत, किसी व्यक्ति के लिए, उसको भविष्य में अपराध करने से रोकने और/या भविष्य में अभियोजन से बचने के लिए, हिरासत में रखना (कैद करना) शामिल होता है।
- संविधान के अनुच्छेद 22 (3) (b) में, राज्य की सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था संबंधी कारणों के लिए व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर निवारक निरोध और प्रतिबंध लगाने की अनुमति का प्रावधान किया गया है।
अनुच्छेद 22(4) के अनुसार:
निवारक निरोध का उपबंध करने वाली कोई विधि किसी व्यक्ति का तीन मास से अधिक अवधि के लिए तब तक निरुद्ध किया जाना प्राधिकृत नहीं करेगी जब तक कि—
- एक सलाहकार बोर्ड, तीन मास की उक्त अवधि के निरोध को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त कारणों का प्रतिवेदन नहीं करता है।
44वें संशोधन अधिनियम, 1978 के द्वारा ‘सलाहकार बोर्ड’ की राय प्राप्त किए बिना नजरबंदी की अवधि को तीन महीने से घटाकर दो महीने कर दिया गया है। हालाँकि, यह प्रावधान अभी तक लागू नहीं किया गया है, इसलिए, तीन महीने की मूल अवधि का प्रावधान अभी भी जारी है।
हिरासत की अवधि:
- राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत, किसी व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है। लेकिन यदि सरकार को कुछ नए साक्ष्य प्राप्त होते हैं तो यह अवधि आगे भी बढाई जा सकती है।
- राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत, हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उसके खिलाफ आरोपों को बताए बिना 10 दिनों के लिए हिरासत में रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील रखने की अनुमति नहीं होती है।
इस कानून के दुरुपयोग से जुड़ी चिंताएं:
- भारतीय संविधान का अनुच्छेद 22(1) कहता है, कि गिरफ्तार किए गए किसी व्यक्ति को अपनी रुचि के विधि व्यवसायी से परामर्श करने और प्रतिरक्षा कराने के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा।
- ‘आपराधिक प्रक्रिया संहिता’ (CrPC) की धारा 50 के अनुसार, गिरफ्तार किए गए किसी भी व्यक्ति को उसकी गिरफ्तारी के आधार के बारे में सूचित किया जाना चाहिए और उसे जमानत हासिल करने का अधिकार प्राप्त है।
हालाँकि, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के तहत, हिरासत में लिए गए व्यक्ति को इनमें से कोई भी अधिकार उपलब्ध नहीं होता है। इस क़ानून के तहत सरकार, उन जानकारियों को रोक सकती है, जिन्हें वह सार्वजनिक हित के विरुद्ध मानती है।
इंस्टा जिज्ञासु:
भारत में निवारक निरोध कानून: कार्यकारिणी के अत्याचारों का एक उपकरण? यहां पढ़ें,
प्रीलिम्स लिंक:
- NSA किसके द्वारा लगाया जा सकता है?
- निवारक निरोध के विरुद्ध अपील?
- NSA के तहत गिरफ्तारी का कारण जानने का अधिकार
- इस संबंध में संवैधानिक अधिकारों की प्रयोज्यता
- संविधान के तहत याचिका
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम क्या है? इसे एक कठोर कानून के रूप में क्यों जाना जाता है? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
सिनोवैक कोविड-19 वैक्सीन
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आपातकालीन उपयोग के लिए सिनोवैक कोविड-19 वैक्सीन (Sinovac COVID-19 vaccine) को मंजूरी दे दी है। WHO की अनुमति प्राप्त करने वाला यह चीन द्वारा निर्मित दूसरा टीका है।
- पिछले महीने ‘सिनोफार्म’ (Sinopharm), WHO द्वारा अनुमोदित होने वाला पहला चीन निर्मित टीका था।
विभिन्न देशों के लिए, विशेष रूप से उन देशों के लिए जिनके स्वयं के अंतरराष्ट्रीय मानक नियामक नहीं है, आपातकालीन उपयोग सूची में शामिल होने से किसी वैक्सीन को शीघ्रता से आयात करने और वितरित करने का मार्ग प्रशस्त होता है।
‘संयुक्त राष्ट्र के विशेष प्रतिवेदक’
(UN Special Rapporteurs)
ये, संयुक्त राष्ट्र की ओर से काम करने वाले स्वतंत्र विशेषज्ञ होते हैं। वे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा निर्दिष्ट देश या विषयगत अधिदेश पर कार्य करते हैं।
- इनके लिए विषयगत या देश-विशिष्ट परिप्रेक्ष्य से मानवाधिकारों (नागरिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक) पर रिपोर्ट करने और सलाह देने का अधिदेश प्राप्त होता है।
- इन प्रतिवेदकों को अपने कार्यों के लिए संयुक्त राष्ट्र से कोई वित्तीय मुआवजा नहीं मिलता है।
न्यायमूर्ति ए.के. मिश्रा, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष
- सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अरुण कुमार मिश्रा राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) के नए अध्यक्ष होंगे।
- इनकी नियुक्ति प्रधान मंत्री, गृहमंत्री, राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा अध्यक्ष और विपक्ष के नेता की चयन-समिति द्वारा की गई है।
- 1993 में स्थापित राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC), ‘मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के प्रावधानों के अनुसार एक स्वतंत्र वैधानिक निकाय है।
‘राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग’ के बारे में अधिक जानने हेतु देखें: https://www.insightsonindia.com/2020/09/18/national-human-rights-commission-nhrc/.
ऐम्बिटैग
‘ऐम्बिटैग’ (AmbiTAG) कोल्ड चेन प्रबंधन के लिए तापमान दर्ज करने वाली भारत की पहली स्वदेशी डिवाइस है।
- यह पहली अत्याधुनिक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) अर्थात आईओटी डिवाइस है, जो खराब होने वाले उत्पादों, वैक्सीन और यहां तक कि शरीर के अंगों व रक्त की ढुलाई के दौरान उनके आसपास का रियल टाइम तापमान दर्ज करती है।
- इसे आईआईटी रोपड़ द्वारा विकसित किया गया है।