HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
सत्र के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- सत्र मठवासी संस्थान हैं जो मुख्य रूप से लद्दाख और पड़ोसी क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- यह श्रीमंत शंकरदेव द्वारा शुरू किए गए नव-वैष्णव सुधारवादी आंदोलन से संबंधित है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
सत्र 16वीं शताब्दी के नव-वैष्णव सुधारवादी आंदोलन के दौरान निर्मित मठवासी संस्थान हैं, जो वैष्णव संत-सुधारक श्रीमंत शंकरदेव (1449-1596) द्वारा शुरू किए गए थे। जैसा कि संत ने असम में यात्रा की, अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया और एक समतामूलक समाज को प्रोत्साहित किया, इन सत्रों को 16वीं शताब्दी में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। वतर्मान में, सत्र राज्य भर में फैले हुए हैं, जो संगीत (बोरगीत), नृत्य (सतरीया) और रंगमंच (भौना) के द्वारा शंकरदेव की विशिष्ट “कला के माध्यम से उपासना” का प्रचार करते है।
Incorrect
उत्तर: b)
सत्र 16वीं शताब्दी के नव-वैष्णव सुधारवादी आंदोलन के दौरान निर्मित मठवासी संस्थान हैं, जो वैष्णव संत-सुधारक श्रीमंत शंकरदेव (1449-1596) द्वारा शुरू किए गए थे। जैसा कि संत ने असम में यात्रा की, अपनी शिक्षाओं का प्रसार किया और एक समतामूलक समाज को प्रोत्साहित किया, इन सत्रों को 16वीं शताब्दी में धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सुधारों के केंद्र के रूप में स्थापित किया गया था। वतर्मान में, सत्र राज्य भर में फैले हुए हैं, जो संगीत (बोरगीत), नृत्य (सतरीया) और रंगमंच (भौना) के द्वारा शंकरदेव की विशिष्ट “कला के माध्यम से उपासना” का प्रचार करते है।
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Question 2 of 5
2. Question
लोक नृत्यों के निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
लोक नृत्य राज्य
- गरबा गुजरात
- कालबेलिया राजस्थान
- रासलीला उत्तर प्रदेश
- पाइका मध्य प्रदेश
सही उत्तर कूट चुनिए:
Correct
उत्तर: a)
गरबा गुजरात का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जो नवरात्र के समय आयोजित किया जाता है। गरबा वास्तव में “गर्भ दीप” को संदर्भित करता है – इसमें छेद वाले एक मिट्टी के बर्तन में एक दीपक जलाया जाता है और महिलाएं ताली बजाते हुए गोलाकार क्रम में नृत्य करती हैं।
कालबेलिया राजस्थान के कालबेलिया समुदाय की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक भावमय लोक नृत्य है। वेशभूषा और नृत्य की गति नागों के समान होती है। ‘बीन’ (सपेरे द्वारा बजाया जाने वाला सुषिर वाद्य) इस नृत्य शैली का लोकप्रिय वाद्य यंत्र है। यूनेस्को ने 2010 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में कालबेलिया लोक गीतों और नृत्यों को शामिल किया गया है।
ब्रज रासलीला उत्तर प्रदेश के क्षेत्र का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जिसमें राधा और कृष्ण की किशोर प्रेम कहानियां सुनाई जाती है।
पाइका ओडिशा के दक्षिणी भागों में किया जाने वाला एक मार्शल लोक नृत्य है।
Incorrect
उत्तर: a)
गरबा गुजरात का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जो नवरात्र के समय आयोजित किया जाता है। गरबा वास्तव में “गर्भ दीप” को संदर्भित करता है – इसमें छेद वाले एक मिट्टी के बर्तन में एक दीपक जलाया जाता है और महिलाएं ताली बजाते हुए गोलाकार क्रम में नृत्य करती हैं।
कालबेलिया राजस्थान के कालबेलिया समुदाय की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला एक भावमय लोक नृत्य है। वेशभूषा और नृत्य की गति नागों के समान होती है। ‘बीन’ (सपेरे द्वारा बजाया जाने वाला सुषिर वाद्य) इस नृत्य शैली का लोकप्रिय वाद्य यंत्र है। यूनेस्को ने 2010 में मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची में कालबेलिया लोक गीतों और नृत्यों को शामिल किया गया है।
ब्रज रासलीला उत्तर प्रदेश के क्षेत्र का एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जिसमें राधा और कृष्ण की किशोर प्रेम कहानियां सुनाई जाती है।
पाइका ओडिशा के दक्षिणी भागों में किया जाने वाला एक मार्शल लोक नृत्य है।
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Question 3 of 5
3. Question
कोणार्क सूर्य मंदिर के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- मंदिर को सफेद पैगोडा के रूप में जाना जाता था और ओडिशा के प्राचीन नाविकों द्वारा एक नौवहन स्थल के रूप में उपयोग किया जाता था।
- यह कलिंग वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- यह मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
मंदिर के बारे में:
- 13वीं शताब्दी में निर्मित, कोणार्क मंदिर की कल्पना सूर्य देव के विशाल रथ के रूप में की गई थी, जिसमें सात घोड़ों द्वारा खींचे गए 12 जोड़े उत्कृष्ट अलंकृत पहिये लगे हैं।
- इसे गंग वंश के महान शासक राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था। इसे सूर्य देवालय भी कहा जाता है, यह वास्तुकला या कलिंग वास्तुकला की ओडिशा शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- मंदिर को इसकी स्थापत्य और मूर्तिकला के लिए 1984 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था।
- मंदिर कलिंग वास्तुकला, विरासत, विदेशी समुद्र तट और प्रमुख प्राकृतिक सुंदरता का एक आदर्श मिश्रण है।
- यह प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम (1958) और इसके नियम (1959) द्वारा भारत के राष्ट्रीय ढांचे के तहत संरक्षित है।
- कोणार्क ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज की तीसरी कड़ी है। पहली कड़ी जगन्नाथ पुरी है और दूसरी कड़ी भुवनेश्वर (ओडिशा की राजधानी) है।
- यह मंदिर अपने गहरे रंग के कारण ‘ब्लैक पैगोडा‘ के नाम से भी जाना जाता था और ओडिशा के प्राचीन नाविकों द्वारा एक नौवहन स्थल के रूप में उपयोग किया जाता था। इसी तरह, पुरी में जगन्नाथ मंदिर को “सफेद पैगोडा” कहा जाता था।
- यह हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बना हुआ है, जो हर साल फरवरी के महीने में चंद्रभागा मेले के लिए यहां इकट्ठा होते हैं।
Incorrect
उत्तर: c)
मंदिर के बारे में:
- 13वीं शताब्दी में निर्मित, कोणार्क मंदिर की कल्पना सूर्य देव के विशाल रथ के रूप में की गई थी, जिसमें सात घोड़ों द्वारा खींचे गए 12 जोड़े उत्कृष्ट अलंकृत पहिये लगे हैं।
- इसे गंग वंश के महान शासक राजा नरसिंहदेव प्रथम ने बनवाया था। इसे सूर्य देवालय भी कहा जाता है, यह वास्तुकला या कलिंग वास्तुकला की ओडिशा शैली का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
- मंदिर को इसकी स्थापत्य और मूर्तिकला के लिए 1984 में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया था।
- मंदिर कलिंग वास्तुकला, विरासत, विदेशी समुद्र तट और प्रमुख प्राकृतिक सुंदरता का एक आदर्श मिश्रण है।
- यह प्राचीन संस्मारक तथा पुरातत्वीय स्थल और अवशेष (AMASR) अधिनियम (1958) और इसके नियम (1959) द्वारा भारत के राष्ट्रीय ढांचे के तहत संरक्षित है।
- कोणार्क ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज की तीसरी कड़ी है। पहली कड़ी जगन्नाथ पुरी है और दूसरी कड़ी भुवनेश्वर (ओडिशा की राजधानी) है।
- यह मंदिर अपने गहरे रंग के कारण ‘ब्लैक पैगोडा‘ के नाम से भी जाना जाता था और ओडिशा के प्राचीन नाविकों द्वारा एक नौवहन स्थल के रूप में उपयोग किया जाता था। इसी तरह, पुरी में जगन्नाथ मंदिर को “सफेद पैगोडा” कहा जाता था।
- यह हिंदुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल बना हुआ है, जो हर साल फरवरी के महीने में चंद्रभागा मेले के लिए यहां इकट्ठा होते हैं।
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Question 4 of 5
4. Question
भरहुत प्रतिमाओं के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार करें।
- मौर्य काल में यक्ष और यक्षिणी की प्रतिमाओं के विपरीत, भरहुत की प्रतिमाएं छोटी हैं।
- रानी माया देवी के स्वप्न को दर्शाने वाला आख्यान भरहुत मूर्तिकला का एक उदाहरण है।
- भावों को दर्शाने वाले उभार पैनलों में त्रि-आयामीता का भ्रम पाया जा सकता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
मौर्य काल में यक्ष और यक्षिणी की प्रतिमाओं की तरह भरहुत की मूर्तियां लंबी हैं, प्रतिमाएं रैखिकता को बनाए रखते हुए कम उभार वाली है। भावों को दर्शाने वाले उभार पैनलों में त्रि-आयामीता का भ्रम पाया जा सकता है। मुख्य घटनाओं का चयन करके कथा में स्पष्टता को बढ़ाया जाता है। भरहुत में, कथा पैनल कम पात्रों के साथ दर्शायें गए हैं लेकिन समय के साथ मुख्य चरित्र के अलावा, अन्य चित्रों को भी दर्शाया जाने लगा। कभी-कभी एक भौगोलिक स्थान पर एक से अधिक घटनाओं को चित्रित किया गया है या केवल एक ही मुख्य घटना को सचित्र स्थान में दर्शाया गया।
- भरहुत में वर्णनात्मक उभारे दर्शाती हैं कि किस प्रकार कारीगरों ने कहानियों को संप्रेषित करने के लिए चित्रात्मक भाषा का बहुत प्रभावी ढंग से उपयोग किया।
- ऐसी ही एक कथा में रानी माया देवी (सिद्धार्थ गौतम की माता) के स्वप्न को एक उतरते हुए हाथी को दिखाया गया है। रानी को बिस्तर पर लेटा हुआ दिखाया गया है जबकि एक हाथी को रानी मायादेवी के गर्भ के शीर्ष की ओर दिखाया गया है।
Incorrect
उत्तर: a)
मौर्य काल में यक्ष और यक्षिणी की प्रतिमाओं की तरह भरहुत की मूर्तियां लंबी हैं, प्रतिमाएं रैखिकता को बनाए रखते हुए कम उभार वाली है। भावों को दर्शाने वाले उभार पैनलों में त्रि-आयामीता का भ्रम पाया जा सकता है। मुख्य घटनाओं का चयन करके कथा में स्पष्टता को बढ़ाया जाता है। भरहुत में, कथा पैनल कम पात्रों के साथ दर्शायें गए हैं लेकिन समय के साथ मुख्य चरित्र के अलावा, अन्य चित्रों को भी दर्शाया जाने लगा। कभी-कभी एक भौगोलिक स्थान पर एक से अधिक घटनाओं को चित्रित किया गया है या केवल एक ही मुख्य घटना को सचित्र स्थान में दर्शाया गया।
- भरहुत में वर्णनात्मक उभारे दर्शाती हैं कि किस प्रकार कारीगरों ने कहानियों को संप्रेषित करने के लिए चित्रात्मक भाषा का बहुत प्रभावी ढंग से उपयोग किया।
- ऐसी ही एक कथा में रानी माया देवी (सिद्धार्थ गौतम की माता) के स्वप्न को एक उतरते हुए हाथी को दिखाया गया है। रानी को बिस्तर पर लेटा हुआ दिखाया गया है जबकि एक हाथी को रानी मायादेवी के गर्भ के शीर्ष की ओर दिखाया गया है।
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Question 5 of 5
5. Question
नायक पेंटिंग (Nayaka paintings) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- नायक पेंटिंग कृष्ण-लीला के दृश्यों को दर्शाती हैं।
- नायक पेंटिंग कुछ क्षेत्रीय संशोधनों के साथ विजयनगर शैली का विस्तार है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
नायक पेंटिंग महाभारत और रामायण के एपिसोड और कृष्ण-लीला के दृश्यों को भी दर्शाती हैं। तिरुवरूर में, मुचुकुंद की कहानी सुनाने वाला एक पैनल है।
चिदंबरम में, शिव और विष्णु से संबंधित कहानियों का वर्णन करने वाले चित्रों के पैनल हैं- शिव, भिक्षाटन मूर्ति के रूप में, विष्णु, मोहिनी के रूप में, आदि।
आरकोट जिले के चेंगम में श्री कृष्ण मंदिर में रामायण की कहानी वाले 60 पैनल हैं जो नायक चित्रों के अंतिम चरण का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरणों से पता चलता है कि नायक पेंटिंग कमोबेश विजयनगर शैली का विस्तार थी जिसमें कुछ क्षेत्रीय संशोधन किये गए थे।
Incorrect
उत्तर: c)
नायक पेंटिंग महाभारत और रामायण के एपिसोड और कृष्ण-लीला के दृश्यों को भी दर्शाती हैं। तिरुवरूर में, मुचुकुंद की कहानी सुनाने वाला एक पैनल है।
चिदंबरम में, शिव और विष्णु से संबंधित कहानियों का वर्णन करने वाले चित्रों के पैनल हैं- शिव, भिक्षाटन मूर्ति के रूप में, विष्णु, मोहिनी के रूप में, आदि।
आरकोट जिले के चेंगम में श्री कृष्ण मंदिर में रामायण की कहानी वाले 60 पैनल हैं जो नायक चित्रों के अंतिम चरण का प्रतिनिधित्व करते हैं।
ऊपर दिए गए उदाहरणों से पता चलता है कि नायक पेंटिंग कमोबेश विजयनगर शैली का विस्तार थी जिसमें कुछ क्षेत्रीय संशोधन किये गए थे।
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