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INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 31 May 2021

 

विषयसूची

 सामान्य अध्ययन-I

1. केरल में मानसून की शुरुआत में देरी

 

सामान्य अध्ययन-II

1. केरल में ग्रामीण बुजुर्गों के लिए ‘बेल ऑफ फेथ’

2. कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तिकरण हेतु पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन

3. अग्रिम जमानत की अवधारणा

4. संदिग्ध मतदाता अथवा डी-वोटर

5. पश्चिम अफ्रीकी देशों का आर्थिक समूह (ECOWAS)

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. चर्चित स्थल: कैली

2. ऋषिगंगा

3. काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभ्यारण्य

4. विटामिन डी

5. युवा (युवा, आगामी और बहुमुखी लेखक) योजना

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएं जैसे भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी गतिविधि, चक्रवात आदि।

केरल में मानसून की शुरुआत में देरी


संदर्भ:

भारत मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department- IMD) के अनुसार, केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून के आगमन में देरी होगी तथा अब यह 3 जून को पहुंचेगा।

हालांकि, एक निजी मौसम पूर्वानुमान एजेंसी ‘स्काईमेट’ का कहना है, कि केरल में मानसून पहुँच चुका है। क्योंकि, इसके लिए आईएमडी द्वारा परिभाषित तीन मानदंडों में दो मानक पूरे हो चुके है।

आईएमडी द्वारा निर्धारित मानदंड हैं:

  1. वर्षा करने वाली पछुआ पवनों की न्यूनतम गहराई और गति पर होना चाहिए।
  2. केरल और तटीय कर्नाटक में कार्यरत 14 स्टेशनों में से कम से कम 60% स्टेशनों पर, 10 मई के पश्चात् लगातार दो दिनों तक 5 मिमी या उससे अधिक वर्षा दर्ज की गई हो।
  3. ‘आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन’ (OLR) नामक एक पैरामीटर पर, बादलों को एक निश्चित डिग्री, अर्थात 200 W/वर्ग मीटर से कम पर दर्शाया गया हो।

वर्तमान में, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अपने डेटा के अनुसार, ‘आउटगोइंग लॉन्गवेव रेडिएशन’ (OLR)  के अलावा, अन्य मानदंडों को पूरे हो चुके हैं। इस प्रकार, मानसून में आगमन में  व्यक्तिपरकता का एक प्रमुख भाग है।

दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत को प्रभावित करने वाले कारक:

दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की शुरुआत एक भावनात्मक घटना होती है, क्योंकि इसमें देरी होने पर बेचैनी होने लगती है, और यदि इसका आगमन समय से पूर्व होता है तो यह घबराहट का कारण बन सकती है।

इसकी शुरुआत को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारक:

मानसून की शुरुआत के लिए, एक ट्रिगर की आवश्यकता होती है, जिसके लिए तटीय क्षेत्रों की मौसम प्रणाली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। समुद्र में घटित होने वाली परिघटनाओं के कारण, सामान्य समय के आसपास मानसून की शुरुआत अधिक सुस्पष्ट हो जाती है। इन परिघटनाओं में निम्लिखित को शामिल किया जा सकता है:

  • मई के अंतिम दिनों में अथवा जून के शुरुआती दौर में बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब क्षेत्र अथवा डिप्रेशन (Depression) की स्थिति होती है।
  • इसी दौरान अरब सागर में भी लगभग इसी प्रकार की स्थितियां होती हैं, जिनके परिणामस्वरूप तटीय स्थलीय भागों में मानसून पहुँच जाता है।
  • मानसून की शुरुआत के लिए, केरल और लक्षद्वीप के नजदीक दक्षिणपूर्व अरब सागर में उत्पन्न होने वाले ‘चक्रवातीय भंवर’ (Cyclonic Vortex) भी एक महत्वपूर्ण कारक होते हैं। इन ‘चक्रवातीय भंवरों’ के पश्चिमी तट की ओर खिसकने की वजह से मानसून-प्रवाह तेजी से आगे बढ़ता है।
  • स्थल और समुद्र के मध्य तापमान भिन्नता होने के कारण पश्चिमी तट के निकट एक वायुमंडलीय ‘गर्त’ (Trough) का निर्माण होता है, और इसकी वजह से मानसून की हल्की शुरुआत और धीमी वृद्धि हो सकती है।
  • अंत में, भूमध्य रेखा के पार से आने वाली हवाओं, जिसमे दक्षिणी गोलार्ध को पार करती हुई उत्तरी गोलार्ध तक पहुँचने वाली व्यापारिक पवने शामिल होती है, के द्वारा भारतीय मुख्य भूमि की ओर एक जोरदार मानसून आ सकता है।

भारत में मानसून- प्रमुख तथ्य:

  1. आम तौर पर, दुनिया भर में, उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में लगभग 20 डिग्री उत्तर और 20 डिग्री दक्षिण के मध्य मानसून परिघटना देखी जाती है।
  2. भारत के कुल 4 मौसमी विभाजनों में से, दो विभाजनों अर्थात् दक्षिण-पश्चिम मानसून काल तथा मानसून निवर्तन काल, पर मानसून का प्रभाव रहता है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

दक्षिण पश्चिम मानसून के निर्माण (शुरुआत नहीं) को प्रभावित करने वाले कारकों के बारे में उत्सुक हैं? यहां पढ़ें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अल नीनो क्या है?
  2. ला नीना क्या है?
  3. ENSO क्या है?
  4. ये घटनाएँ कब घटित होती हैं?
  5. एशिया, अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया पर ENSO का प्रभाव।
  6. हिंद महासागर द्विध्रुव (Indian Ocean Dipole) क्या है?
  7. दक्षिण-पश्चिम और पूर्वोत्तर मानसून के बीच अंतर।
  8. दक्षिण-पश्चिम मानसून की शुरुआत को प्रभावित करने वाले कारक।

मेंस लिंक:

भारत पर ‘ला नीना’ मौसमी परिघटना के प्रभाव पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

केरल में ग्रामीण बुजुर्गों के लिए बेल ऑफ फेथ


संदर्भ:

केरल में, गांवों में अकेले रहने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए ‘धर्म-घंटी’ अर्थात बेल ऑफ फेथ (Bell of Faith) योजना शुरू की जाएगी।

इससे पहले, यह योजना केरल के कई शहरी परिवारों में सफलतापूर्वक लागू की चुकी है।

बेल ऑफ फेथयोजना क्या है?

  • ‘धर्म-घंटी’ अर्थात ‘बेल ऑफ फेथ’ योजना, केरल की ‘सामुदायिक पुलिसिंग योजना’ के तहत परिकल्पित एक सुरक्षा योजना है।
  • ‘बेल ऑफ फेथ’, बुजुर्ग नागरिक आपात स्थिति में रिमोट से नियंत्रित अलार्म के माध्यम से ‘तेज आवाज’ का उपयोग करके अपने पड़ोसियों का ध्यान आकर्षित करने में मदद करेगी।
  • केरल में वर्ष 2018 से यह योजना कार्यान्वित की जा रही है।

योजना का महत्व:

‘बेल ऑफ फेथ’ योजना, बुजुर्गों की भलाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सामुदायिक भागीदारी का एक उदाहरण स्थापित करती है। कोविड-19 महामारी के दौरान अपने स्वास्थ्य के प्रति आशंकित रहने वाले वृद्धों के लिए यह योजना बहुत सहायक हो सकती है।

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘बेल ऑफ फेथ’ योजना के बारे में
  2. कार्यान्वित करने वाले राज्य
  3. लक्ष्य
  4. लाभ

मेंस लिंक:

बुजुर्गों की भलाई और सुरक्षा सुनिश्चित करने में सामुदायिक भागीदारी की आवश्यकता पर चर्चा कीजिए एवं इसके लिए उपाय सुझाईए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।

कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और सशक्तिकरण हेतु पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन


संदर्भ:

हाल ही में,, कोविड से प्रभावित बच्चों की सहायता और इनका सशक्तिकरण करने के लिए ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना (PM CARES for Children) की शुरुआत की गई है।

पात्रता: कोविड 19 के कारण माता-पिता दोनों या माता-पिता में से किसी जीवित बचे अभिभावक या कानूनी अभिभावक/दत्तक माता-पिता को खोने वाले सभी बच्चों को ‘पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन’ योजना के तहत सहायता दी जाएगी।

इस योजना के प्रमुख बिंदु:

  1. बच्चे के नाम पर सावधि जमा (फिक्स्ड डिपॉजिट): 18 वर्ष की आयु पूरी करने वाले प्रत्येक बच्चे के लिए 10 लाख रुपये का एक कोष गठित किया जाएगा।
  2. स्कूली शिक्षा: 10 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए नजदीकी केंद्रीय विद्यालय या निजी स्कूल में डे स्कॉलर के रूप में प्रवेश दिलाया जाएगा।
  3. स्कूली शिक्षा: 11 -18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए केंद्र सरकार के किसी भी आवासीय विद्यालय जैसेकि सैनिक स्कूल, नवोदय विद्यालय आदि में प्रवेश दिलाया जाएगा।
  4. उच्च शिक्षा के लिए सहायता: मौजूदा शिक्षा ऋण के मानदंडों के अनुसार भारत में व्यावसायिक पाठ्यक्रमों / उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण दिलाने में बच्चे की सहायता की जाएगी।
  5. स्वास्थ्य बीमा: ऐसे सभी बच्चों को ‘आयुष्मान भारत योजना’ (PM-JAY) के तहत लाभार्थी के रूप में नामांकित किया जाएगा, जिसमें 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा कवर होगा।

(नोट: हमने यहां केवल योजना के प्रमुख बिंदु शामिल किए हैं।) पूर्ण विवरण के लिए, कृपया देखें: https://pib.gov.in/PressReleasePage.aspx?PRID=1722781

इन उपायों की आवश्यकता:

  • भारत, वर्तमान में कोविड-19 महामारी की दूसरी प्रचंड लहर से जूझ रहा है और इस महामारी के कारण कई बच्चों के माता-पिता की मृत्यु होने के मामलों में वृद्धि हो रही है।
  • इसके साथ ही, इन बच्चों को गोद लेने की आड़ में बाल तस्करी की आशंका भी बढ़ गई है।
  • कोविड-19 के कारण लागू लॉकडाउन के दौरान ‘बाल विवाह’ संबंधी मामलों में भी वृद्धि हुई है।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

पीएम केयर्स फंड के बारे में यहां जानें: Read here

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘सार्वजनिक खाता’ क्या होता है?
  2. PM CARES फंड का संचालन कौन करता है?
  3. किन संगठनों को आरटीआई अधिनियम के दायरे से छूट दी गई है?
  4. भारत की समेकित निधि क्या है?
  5. चैरिटेबल ट्रस्ट क्या है?
  6. PM केयर्स फॉर चिल्ड्रन- कोविड प्रभावित बच्चों का सशक्तिकरण- पात्रता और लाभ।

मेंस लिंक:

PM CARES फंड को आरटीआई अधिनियम के दायरे में क्यों लाया जाना चाहिए? चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।

 ‘अग्रिम जमानत’ की अवधारणा


संदर्भ:

हाल ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ‘उच्च न्यायालयों’ के दृष्टिकोण में एक विरोधाभास का समाधान करते हुए एक फैसला सुनाया गया, जिसमे शीर्ष अदालत ने कहा है, कि “असाधारण परिस्थितियों” में अदालतों के पास, किसी अभियुक्त को ‘अग्रिम जमानत’ (Anticipatory Bail) देने से इनकार करते हुए भी, उसे गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान करने की विवेकाधिकार शक्ति होती है। किंतु, इस शक्ति का प्रयोग बेरोक-टोक नहीं किया जा सकता, और इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए कोई तर्क-पूर्ण आधार होना चाहिए।

पृष्ठभूमि:

शीर्ष अदालत द्वारा यह फैसला, उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए दो आदेशों के खिलाफ एक अपील पर सुनवाई करने के दौरान सुनाया गया।

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में अभियुक्तों को अग्रिम जमानत दिए जाने को रद्द करते हुए, निचली अदालत के सामने आत्मसमर्पण करने तथा 90 दिन के भीतर एक नियमित जमानत याचिका दायर करने के लिए कहा था, और इसके साथ ही अभियुक्तों के लिए इस अवधि के दौरान किसी भी दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा भी प्रदान की थी।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला:

  1. संविधान में अनुच्छेद 21 के तहत प्रत्याभूत ‘स्वतंत्रता के अधिकार’ के लिए दिए गए अधिमूल्य के मद्देनजर उच्च न्यायालय तथा उच्चत्तम न्यायालय के लिए, किसी आरोपी को ‘अग्रिम जमानत’ देने की शक्तियां दी गई हैं।
  2. दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत किसी आवेदन को मंजूर करने अथवा रद्द करने का किसी व्यक्ति के जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इसलिए, इस प्रावधान को उदारतापूर्वक पढ़ने और इसके लाभकारी स्वरूप पर विचार करने की आवश्यकता है। अदालतों के लिए, इन प्रतिबंधों को, विधायिका द्वारा बनाए गए क़ानून के स्पष्ट उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए देखना चाहिए।
  3. इस हेतु अदालत, संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भी इस तरह के आदेश पारित कर सकती हैं।

इस प्रकार के संरक्षोपाय की आवश्यकता:

  • कोई अभियुक्त, सिर्फ एक आरोपी होने के अलावा, अपने परिवार का मुख्य देखभाल करने वाला या एकमात्र कमाने वाला भी हो सकता है। उसकी गिरफ्तारी से उसके प्रियजनों को भुखमरी और उपेक्षा का सामना करना पड़ सकता है।
  • वर्ष 1980 के गुरबख्श सिंह सिब्बिया बनाम पंजाब राज्य मामले में, तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश वाई वी चंद्रचूड़ के नेतृत्व में सुप्रीम कोर्ट की पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने फैसला सुनाया था, कि धारा 438 (1) की व्याख्या संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण) के आलोक में की जानी चाहिए है।

‘अग्रिम जमानत’ की अवधारणा:

  • वर्ष 1973 में दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में संशोधन करने के दौरान, धारा 438 के तहत ‘अग्रिम जमानत’ (Anticipatory Bail) का प्रावधान लागू किया गया था।
  • गिरफ्तार होने के बाद किसी व्यक्ति को दी जाने वाली साधारण जमानत के विपरीत, अग्रिम जमानत में, व्यक्ति को गिरफ्तारी से पहले ही जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है।
  • समय सीमा: सुशीला अग्रवाल बनाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (2020) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सुनाते हुए कहा, कि अग्रिम जमानत देते समय कोई समय सीमा निर्धारित नहीं की जा सकती है और यह, मामले की सुनवाई के अंत तक जारी रह सकती है।
  • ‘अग्रिम जमानत’ केवल सत्र न्यायालय और उच्च न्यायालय द्वारा प्रदान की जाती है।

महत्व:

एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक देश में व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण आधार को प्राप्त संसदीय स्वीकृति की वजह से, दंड प्रक्रिया संहिता में धारा 438 को अधिनियमित किया गया था।

संसद का उद्देश्य व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व को बढ़ावा देना था, और इसके साथ ही, यह आपराधिक न्यायशास्त्र के एक मौलिक सिद्धांत को प्राथमिकता प्रमुखता प्रदान करना चाहती थी, जिसमे कहा गया है, कि ‘जब तक कोई व्यक्ति दोषी साबित नहीं हो जाता, तब तक उसे निर्दोष माना जाता है’।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

अनुच्छेद 21 के तहत आने वाले मूल अधिकारों के बारे में आप क्या जानते हैं? यहां पढ़ें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अनुच्छेद 21 के अंतर्गत प्रदत्त विभिन्न अधिकार
  2. ‘जमानत’ क्या होती है?
  3. अग्रिम जमानत क्या होती है?
  4. जमानती और गैर-जमानती अपराधों के मध्य अंतर
  5. अग्रिम जमानत देने की शर्तें
  6. अग्रिम जमानत हेतु समय सीमा

मेंस लिंक:

‘अग्रिम जमानत’ की आवश्यकता और महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

संदिग्ध मतदाता अथवा डी-वोटर


(D-voter or doubtful voter)

संदर्भ:

हाल ही में, असम के छह हिरासत केंद्रों (Detention Centre) में से एक हिरासत केंद्र में बचे अंतिम ‘विदेशी’ (Foreigner), मणीन्द्र दास रिहा कर दिए गए हैं। अभी, अन्य पांच हिरासत केंद्रों में बंद लगभग 170 व्यक्तियों को रिहा किया जाना बाकी है।

मणीन्द्र दास को वर्ष 2015 में ‘डी-वोटर’ अर्थात ‘संदिग्ध मतदाता’ के रूप में चिह्नित किया गया था और बाद में इनके लिए वर्ष 2019 में एक ‘विदेशी अधिकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) द्वारा एकतरफा निर्णय सुनाते हुए “विदेशी” घोषित कर दिया गया।

डी-वोटरया ‘संदिग्ध मतदाता’ कौन होते है?

  • असम में ‘राष्ट्रीय नागरिक पंजी (National Register of CitizensNRC) को तैयार करने के दौरान जिन व्यक्तियों की नागरिकता संदेहास्पद या विवादित पाई गई थी, उन्हें ‘डी-वोटर’ के रूप में वर्गीकृत कर दिया गया था।
  • इन व्यक्तियों के लिए ‘नागरिकता अधिनियम, 1955 अथवा ‘नागरिकता नियम 2003 में भी परिभाषित नहीं किया गया है।

‘घोषित विदेशी’ कौन होते है?

‘घोषित विदेशी’ (Declared Foreigners-DF), वे व्यक्ति होते हैं, जो राज्य पुलिस की सीमा शाखा द्वारा अवैध अप्रवासी के रूप में चिह्नित किए जाने पर अपनी नागरिकता का प्रमाण देने में विफल रहते है, और उन्हें किसी एक ‘विदेशी अधिकरण’ (Foreigners’ Tribunal- FT) द्वारा ‘विदेशी’ घोषित कर दिया जाता है।

‘विदेशी अधिकरण’ क्या होते है?

यह ‘विदेशी (अधिकरण) आदेश’ [Foreigners (Tribunals) Order], 1964 के तहत स्थापित अर्ध-न्यायिक निकाय होते हैं।

  • ये अधिकरण, देश में अवैध रूप से रहने वाले व्यक्ति के बारे यह निर्धारित करते हैं, कि वह ‘”विदेशी” है अथवा नहीं।
  • संरचना: ‘विदेशी अधिकरण’ के सदस्यों में, असम न्यायिक सेवा के सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी, न्यायिक अनुभव रखने वाले सिविल सेवक, (जो सचिव या अतिरिक्त सचिव के पद से नीचे सेवानिवृत्त नहीं हुआ हो) तथा न्यूनतम सात वर्ष के वकालत अनुभव वाले 35 वर्ष से कम आयु के अधिवक्ता को शामिल किया जाता है।

विदेशी अधिकरणों को स्थापित करने की शक्ति:

  • गृह मंत्रालय (MHA) द्वारा विदेशी (अधिकरण) आदेश, 1964 में संशोधन किए जाने के पश्चात सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ज़िला मजिस्ट्रेटों को ट्रिब्यूनल स्थापित करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इसके पूर्व, ट्रिब्यूनल स्थापित करने की शक्तियाँ केवल केंद्र के पास निहित थीं।

 ‘विदेशी अधिकरणों’ में अपील करने का अधिकार

  • संशोधित आदेश [विदेशी (अधिकरण) संशोधन आदेश 2019] में सभी व्यक्तियों को अधिकरणों में अपील करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
  • इसके पूर्व, केवल राज्य प्रशासन ही किसी संदिग्ध के खिलाफ इन अधिकरणों में मामला दायर कर सकता था।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

आप सभी को नागरिकता- त्रिय अर्थात NRC, NPR और CAA के बारे में जानने की आवश्यकता है। आइल लिए, यहां पढ़ें: 

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अवैध प्रवासी (अधिकरण द्वारा निर्धारण) अधिनियम बनाम विदेशी (अधिकरण) आदेश 1964
  2. इस आदेश के अंतर्गत प्रमाण का दायित्व
  3. अधिकरण द्वारा हल किये जाने वाले विषय
  4. अधिकरण की संरचना।
  5. अधिकरण तथा न्यायालय में अंतर
  6. असम और अन्य पूर्वोत्तर राज्यों की भौगोलिक स्थिति।
  7. शरणार्थी बनाम अवैध प्रवासी।
  8. विदेशियों के लिए उपलब्ध मौलिक अधिकार तथा अन्य संवैधानिक प्रावधान
  9. मानवाधिकार बनाम मौलिक अधिकार

मेंस लिंक:

देश में अवैध गैर-प्रवासियों से निपटने के लिए कानूनों की संक्षिप्त चर्चा कीजिए। विदेशी (अधिकरण) आदेश, 1964 में संशोधन क्यों किया गया?

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

 पश्चिम अफ्रीकी देशों का आर्थिक समूह (ECOWAS)


(Economic Community of West African States)

संदर्भ:

पश्चिम अफ्रीकी देश ‘माली’ में जारी संकट को हल करने के लिए,‘पश्चिम अफ्रीकी देशों के आर्थिक समूह’ (Economic Community of West African States- ECOWAS) के द्वारा मध्यस्थता करने का प्रयास किया जा रहा है।

‘माली’ में क्या हो रहा है?

1960 में फ्रांस से स्वतंत्रता हासिल करने के बाद से माली में अब तक तक पांच तख्तापलट हो चुके है, और केवल एक बार, लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित राष्ट्रपति से दूसरे राष्ट्रपति के लिए शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता-अंतरण हुआ है।

हालिया तख्तापलट: नौ महीने पहले, बड़े पैमाने पर हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के परिणामस्वरूप, राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता (Ibrahim Boubacar Keïta) को सत्ता से हटा दिया गया था। पिछले हफ्ते, एक नए मंत्रिमंडल की घोषणा की गई थी जिसमें दो प्रमुख सैन्य नेताओं को शामिल नहीं किया गया था। इसके बाद सेना ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को हिरासत में ले लिया है।

ECOWAS के बारे में:

  • पश्चिम अफ्रीकी देशों का आर्थिक समूह (ECOWAS), पश्चिम अफ्रीका में स्थित पंद्रह देशों का एक क्षेत्रीय राजनीतिक और आर्थिक संघ है।
  • इसकी स्थपाना वर्ष 1975 में लागोस की संधि पर हस्ताक्षर करने के साथ हुई थी।
  • ECOWAS का लक्ष्य, एक पूर्ण आर्थिक एवं व्यापारिक संघ का निर्माण कर, एक विस्तृत व्यापार ब्लॉक बनाना तथा अपने सदस्य देशो के लिए “सामूहिक आत्मनिर्भरता” (collective self-sufficiency) प्राप्त करना है।
  • यह, इस क्षेत्र में ‘शांति-सेना’ (Peacekeeping Force) के रूप में भी कार्य करता है।
  • यह संपूर्ण महाद्वीप को शामिल करने वाले ‘अफ्रीकी आर्थिक समूह’ (African Economic CommunityAEC) के मुख्य क्षेत्रीय समूहों में से एक माना जाता है।

ECOWAS में दो उप-क्षेत्रीय ब्लॉक शामिल हैं:

  1. पश्चिम अफ्रीकी आर्थिक और मौद्रिक संघ’ (West African Economic and Monetary Union): यह मुख्य रूप से, आठ फ्रेंच भाषी देशों का एक संगठन है।
  2. 2000 में स्थापित ‘पश्चिम अफ्रीकी मौद्रिक क्षेत्र’ (West African Monetary Zone- WAMZ): इसमें मुख्यतः अंग्रेजी बोलने वाले छह देश शामिल हैं।

 

इंस्टा जिज्ञासु:

क्या आप ‘अफ्रीकी परमाणु-हथियार-मुक्त क्षेत्र संधि’ के बारे में जानते हैं? अधिक जानकारी के लिए यहां पढ़ें:

 

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ECOWAS के बारे में
  2. लक्ष्य और उद्देश्य
  3. सदस्य
  4. इसके तहत उप-क्षेत्रीय ब्लॉक

स्रोत: द हिंदू

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


चर्चित स्थल: कैली

  • कैली (Cali) क्षेत्रफल के हिसाब से कोलंबिया का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और सबसे अधिक आबादी वाला तीसरा शहर है।
  • यह प्रशांत महासागर तट से जुड़ा हुआ एकमात्र प्रमुख कोलंबियाई शहर है।
  • कैली, कोका नदी (Cauca River) के पश्चिम में स्थित कोका घाटी में बसा हुआ है।

चर्चा का कारण:

हालिया सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद कोलंबियाई सेना ने कैली पर अपना नियंत्रण कड़ा कर दिया है।

विरोध के कारण:

  • अप्रैल में कैली और अन्य शहरों में, वेतन पर लगने वाली कर-सीमा में एक प्रस्तावित सुधार को लेकर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
  • सरकार का तर्क है कि इस कदम को आर्थिक कठिनाइयों को कम करने के लिए उठाया गया हैं, लेकिन कोलंबियाई नागरिकों को इसके परिणामस्वरूप गरीबी में गिर जाने का डर सता रहा है।
  • हालांकि, इस कर-योजना को वापस ले लिया गया था लेकिन सरकार विरोधी भावना ने पुलिस हिंसा, गरीबी और स्वास्थ्य संकट को विरोध प्रदर्शनों में शामिल कर लिया है।

 

ऋषिगंगा

यह उत्तराखंड के चमोली जिले में एक बहने वाली नदी है।

स्रोत: इसका उद्गम नंदा देवी पर्वत पर उत्तरी नंदा देवी ग्लेशियर से होता है। और इसमें ‘दक्षिणी नंदा देवी ग्लेशियर का जल भी समाहित होता है।

नंदा देवी राष्ट्रीय उद्यान से होकर बहती हुई, यह रिनी गांव के पास धौलीगंगा नदी में मिल जाती है।

2021 में आपदा:

फरवरी 2021 में, एक भूस्खलन, हिमस्खलन तथा हिमनदीय झील फटने के परिणामस्वरूप ऋषिगंगा नदी में बाढ़ आपदा आई थी।

चर्चा का कारण:

चमोली में ऋषिगंगा के उद्गम स्थल पर ग्लेशियरों में दरारें आने की रिपोर्ट के बाद, वैज्ञानिकों के एक दल ने हवाई सर्वेक्षण किया और कुछ भी गलत नहीं पाया।

इंस्टा जिज्ञासु:

गंगा और इसके मार्ग में पड़ने वाले महत्वपूर्ण स्थानों के बारे में जानें: Read here

काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभ्यारण्य

  • यह असम में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है।
  • मैरी कर्जन की सिफारिश पर वर्ष 1908 में निर्मित, यह उद्यान पूर्वी हिमालयी जैव विविधता हॉटस्पॉट – गोलाघाट और नागांव जिले की सीमाओं पर स्थित है।
  • पूरे विश्व में पाए जाने वाले एक सींग वाले गैंडों की कुल आबादी का दो-तिहाई काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में पाए जाते हैं।
  • इसे एक ‘विश्व धरोहर स्थल’ का दर्जा प्राप्त है।
  • इसे पक्षी प्रजातियों के संरक्षण के लिए बर्डलाइफ इंटरनेशनल द्वारा एक महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र के रूप में भी मान्यता प्राप्त है।
  • काजीरंगा में जारी संरक्षण प्रयासों का मुख्य ध्यान ‘बड़ी चार’ प्रजातियों पर केंद्रित है- गैंडा, हाथी, रॉयल बंगाल टाइगर और एशियाई जल भैंसा।
  • चार मुख्य नदियां – ब्रह्मपुत्र, डिफ्लू, मोरा डिफ्लू और मोरा धनसिरी, काजीरंगा से होकर गुजरती है।

चर्चा का कारण:

हाल ही में, असम सरकार ने काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभ्यारण्य के गार्डों की मारक क्षमता बढ़ाने और उन्हें कमांडो प्रशिक्षण प्रदान करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन उपायों का उद्देश्य अवैध शिकार को रोकना है।

विटामिन डी

  • ‘विटामिन डी’ वसा में घुलनशील एक विटामिन है, जिसका अर्थ है कि यह वसा और तेलों में आसानी से घुल जाती है और यह आपके शरीर में लंबे समय तक संग्रहीत की जा सकती है।
  • यह त्वचा पर सूर्य के प्रकाश (या कृत्रिम प्रकाश, विशेष रूप से 190-400 nm तरंग दैर्ध्य के पराबैंगनी क्षेत्र में) पड़ने के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती है, और कोलेस्ट्रॉल-आधारित अणुओं की एक रासायनिक प्रतिक्रिया को प्रेरित करती है तथा इसे यकृत में कैल्सीडियोल (calcidiol) और किड्नी में कैल्सीट्रियोल (calcitriol) के रूप परिवर्तित करती है।
  • भूमिका: यह हड्डियों में कैल्शियम की मात्रा संतुलित करने, कोशिका झिल्ली को क्षति से बचाने की प्रक्रिया को उत्प्रेरित करने ऊतकों की सूजन को रोकने, ऊतकों को फाइबर बनाने से रोकने तथा हड्डियों को कमजोर होने से रोकने में सहायक होती है।
  • विटामिन डी की कमी से बच्चों में रिकेट्स और वयस्कों में ऑस्टियोमलेशिया (osteomalacia) रोग हो सकते हैं।

चर्चा का कारण:

निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (NIMS) के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि विटामिन डी का उच्च स्तर कोरोनावायरस संक्रमण के जोखिम को कम करता है, और संक्रमित रोगियों के लिए यह विटामिन देने से मृत्यता काफी कम हो जाती है।

युवा (युवा, आगामी और बहुमुखी लेखक) योजना

  • शिक्षा मंत्रालय ने युवा लेखकों का मार्गदर्शन करने के लिए ‘युवा’ अर्थात (Young, Upcoming and Versatile Authors- YUVA) योजना की शुरुआत की है।
  • यह योजना युवा और नवोदित लेखकों (30 वर्ष से कम आयु) को प्रशिक्षित करने के लिए एक लेखक परामर्श कार्यक्रम है, जिससे पढ़ने, लिखने और पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा दिया जा सके व वैश्विक स्तर पर भारत और भारतीय लेखन को प्रदर्शित किया सके।
  • युवा योजना के तहत तहत छह महीने की अवधि के लिए प्रत्येक लेखक को 50,000 रुपये प्रति माह की समेकित छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाएगा।
  • युवा, भारत@75 परियोजना (आजादी का अमृत महोत्सव) का एक हिस्सा है।
  • शिक्षा मंत्रालय के तहत नेशनल बुक ट्रस्ट, भारत इस योजना के लिए कार्यान्वयन एजेंसी है।

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