HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- संविधान का अनुच्छेद 100 के अनुसार सदन की बैठक में सभी प्रश्नों का निर्धारण उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के बहुमत से किया जाएगा।
- संविधान विधायिका में बहुमत निर्धारित करने के लिए ध्वनि मत को मान्यता देता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
संविधान का अनुच्छेद 100: इस संविधान में यथा अन्यथा उपबंधित के सिवाय, प्रत्येक सदन की बैठक में या सदनों की संयुक्त बैठक में सभी प्रश्नों का अवधारण, अध्यक्ष को अथवा सभापति या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति को छोड़कर, उपस्थिति और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत से किया जाएगा।
संविधान में ध्वनि मत का उल्लेख नहीं है। फिर भी, इसे सामान्य परिस्थितियों में अपनाया जाता है, लेकिन जब कोई सदस्य वोट की मांग करता है, तो अध्यक्ष को इसकी अनुमति देनी होती है। बहुमत का निर्धारण ध्वनि मत से से नहीं किया जा सकता है। इसलिए सदन के नियम वास्तविक मतदान का प्रावधान करते हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
संविधान का अनुच्छेद 100: इस संविधान में यथा अन्यथा उपबंधित के सिवाय, प्रत्येक सदन की बैठक में या सदनों की संयुक्त बैठक में सभी प्रश्नों का अवधारण, अध्यक्ष को अथवा सभापति या अध्यक्ष के रूप में कार्य करने वाले व्यक्ति को छोड़कर, उपस्थिति और मत देने वाले सदस्यों के बहुमत से किया जाएगा।
संविधान में ध्वनि मत का उल्लेख नहीं है। फिर भी, इसे सामान्य परिस्थितियों में अपनाया जाता है, लेकिन जब कोई सदस्य वोट की मांग करता है, तो अध्यक्ष को इसकी अनुमति देनी होती है। बहुमत का निर्धारण ध्वनि मत से से नहीं किया जा सकता है। इसलिए सदन के नियम वास्तविक मतदान का प्रावधान करते हैं।
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Question 2 of 5
2. Question
भारत के संविधान में निम्नलिखित किसका स्पष्ट रूप से उल्लेख नहीं किया गया है लेकिन इसका अनुपालन करना एक परिपाटी बन गया है?
Correct
उत्तर: b)
निचले सदन में बहुमत खोने पर प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देना पड़ता है। यह एक परिपाटी है और संविधान में इसका उल्लेख नहीं किया गया है।
अनुच्छेद 75 केवल यह कहता है कि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, इसका यह अर्थ यह नहीं है कि राष्ट्रपति किसी को भी प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है। सरकार की संसदीय प्रणाली की परंपराओं के अनुसार, राष्ट्रपति को लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करना होता है।
Incorrect
उत्तर: b)
निचले सदन में बहुमत खोने पर प्रधानमंत्री को त्यागपत्र देना पड़ता है। यह एक परिपाटी है और संविधान में इसका उल्लेख नहीं किया गया है।
अनुच्छेद 75 केवल यह कहता है कि प्रधानमंत्री को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाएगा। हालांकि, इसका यह अर्थ यह नहीं है कि राष्ट्रपति किसी को भी प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है। सरकार की संसदीय प्रणाली की परंपराओं के अनुसार, राष्ट्रपति को लोकसभा में बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त करना होता है।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- राज्यसभा के सभापति के विपरीत, लोकसभा का अध्यक्ष निलंबन के प्रस्ताव को स्वीकार किए बिना किसी सदस्य को निलंबित नहीं कर सकता।
- जहाँ राज्यसभा के सभापति को किसी सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है, लेकिन इस आदेश को रद्द करने का अधिकार उसके पास नहीं होता है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सहीं नहीं है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
अध्यक्ष “सदस्य द्वारा सदन में सदन के नियमों का दुरुपयोग करने, लगातार और जानबूझकर नारे लगाने या अन्यथा …” कार्यों में बाधा डालने के मामले में नियम 374A लागू कर सकता है। संबंधित सदस्य, “अध्यक्ष द्वारा नामित किए जाने पर, लगातार पांच बैठकों या शेष सत्र के लिए (जो भी कम हो), सदन की सेवा से स्वतः निलंबित हो जाता है”। इस खंड को 5 दिसंबर, 2001 को नियम पुस्तिका में शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य निलंबन के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने और अपनाना था।
जहाँ राज्यसभा के सभापति को किसी सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है, लेकिन इस आदेश को रद्द करने का अधिकार उसके पास नहीं होता है। यदि सदन चाहे तो निलंबन को रद्द करने के प्रस्ताव पर संकल्प पारित कर सकता है।
राज्यसभा का सभापति “किसी ऐसे सदस्य का नाम निर्दिष्ट कर सकता है जो उसके अधिकार की अवहेलना या नियमों का दुरूपयोग और जानबूझकर बाधित करता है”। ऐसी स्थिति में, सदन उस सदस्य को सदन से निलंबित करने के लिए प्रस्ताव को स्वीकार कर सकता है। हालाँकि, सदन एक अन्य प्रस्ताव द्वारा निलंबन को समाप्त कर सकता है। अध्यक्ष के विपरीत, राज्यसभा के सभापति के पास किसी सदस्य को निलंबित करने की शक्ति नहीं होती है।
Incorrect
उत्तर: c)
अध्यक्ष “सदस्य द्वारा सदन में सदन के नियमों का दुरुपयोग करने, लगातार और जानबूझकर नारे लगाने या अन्यथा …” कार्यों में बाधा डालने के मामले में नियम 374A लागू कर सकता है। संबंधित सदस्य, “अध्यक्ष द्वारा नामित किए जाने पर, लगातार पांच बैठकों या शेष सत्र के लिए (जो भी कम हो), सदन की सेवा से स्वतः निलंबित हो जाता है”। इस खंड को 5 दिसंबर, 2001 को नियम पुस्तिका में शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य निलंबन के प्रस्ताव को आगे बढ़ाने और अपनाना था।
जहाँ राज्यसभा के सभापति को किसी सदस्य को निलंबित करने का अधिकार है, लेकिन इस आदेश को रद्द करने का अधिकार उसके पास नहीं होता है। यदि सदन चाहे तो निलंबन को रद्द करने के प्रस्ताव पर संकल्प पारित कर सकता है।
राज्यसभा का सभापति “किसी ऐसे सदस्य का नाम निर्दिष्ट कर सकता है जो उसके अधिकार की अवहेलना या नियमों का दुरूपयोग और जानबूझकर बाधित करता है”। ऐसी स्थिति में, सदन उस सदस्य को सदन से निलंबित करने के लिए प्रस्ताव को स्वीकार कर सकता है। हालाँकि, सदन एक अन्य प्रस्ताव द्वारा निलंबन को समाप्त कर सकता है। अध्यक्ष के विपरीत, राज्यसभा के सभापति के पास किसी सदस्य को निलंबित करने की शक्ति नहीं होती है।
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Question 4 of 5
4. Question
स्थगन प्रस्ताव (Adjournment Motion) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- स्थगन प्रस्ताव तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले की ओर ध्यान आकर्षित करता है।
- इसमें सरकार के खिलाफ निंदा का तत्व शामिल होता है।
- राज्यसभा को स्थगन प्रस्ताव का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
स्थगन प्रस्ताव को संसद में तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है, और इसे 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। चूंकि यह सदन के सामान्य कार्य को बाधित करता है, इसलिए इसे एक असाधारण युक्ति माना जाता है। इसमें सरकार के खिलाफ निंदा का तत्व शामिल है और इसलिए राज्यसभा को इस उपकरण का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कम से कम दो घंटे तीस मिनट तक चलनी चाहिए।
Incorrect
उत्तर: c)
स्थगन प्रस्ताव को संसद में तत्काल सार्वजनिक महत्व के मामले पर सदन का ध्यान आकर्षित करने के लिए पेश किया जाता है, और इसे 50 सदस्यों के समर्थन की आवश्यकता होती है। चूंकि यह सदन के सामान्य कार्य को बाधित करता है, इसलिए इसे एक असाधारण युक्ति माना जाता है। इसमें सरकार के खिलाफ निंदा का तत्व शामिल है और इसलिए राज्यसभा को इस उपकरण का उपयोग करने की अनुमति नहीं है। स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कम से कम दो घंटे तीस मिनट तक चलनी चाहिए।
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Question 5 of 5
5. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- सार्वजनिक पदों पर पदोन्नति में आरक्षण एक मौलिक अधिकार है।
- अनुच्छेद 335 के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के दावों पर विचार करने के लिए विशेष उपायों को अपनाने की आवश्यकता है ताकि उन्हें समान अवसर प्रदान किया जा सके।
उपरोक्त में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि राज्य नियुक्तियों और पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं और पदोन्नति में आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
संविधान के अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4-A) व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने का मौलिक अधिकार प्रदान नहीं करते हैं। यह राज्य को केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में नियुक्ति और पदोन्नति के मामलों में आरक्षण प्रदान करने का अधिकार देता है, यदि राज्य की राय में राज्य की सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
अनुच्छेद 335 के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के दावों पर विचार करने के लिए विशेष उपायों को अपनाने की आवश्यकता है ताकि उन्हें समान अवसर प्रदान किया जा सके।
Incorrect
उत्तर: b)
सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय दिया था कि राज्य नियुक्तियों और पदोन्नति में आरक्षण प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं और पदोन्नति में आरक्षण कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
संविधान के अनुच्छेद 16 (4) और 16 (4-A) व्यक्तियों को पदोन्नति में आरक्षण का दावा करने का मौलिक अधिकार प्रदान नहीं करते हैं। यह राज्य को केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के पक्ष में नियुक्ति और पदोन्नति के मामलों में आरक्षण प्रदान करने का अधिकार देता है, यदि राज्य की राय में राज्य की सेवाओं में उनका पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं है।
अनुच्छेद 335 के अनुसार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के दावों पर विचार करने के लिए विशेष उपायों को अपनाने की आवश्यकता है ताकि उन्हें समान अवसर प्रदान किया जा सके।
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