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INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 11 May 2021

 

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

1. विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन, राहत कार्यों में बाधक: एनजीओ

2. राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)

3. क्वाड से जुड़ने पर संबंध प्रभावित होंगे: बांग्लादेश को चीन की धमकी

4. ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ की मांगों को पूरा करने हेतु पाकिस्तान सरकार के नए नियम

 

सामान्य अध्ययन-III

1. एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH)

2. नासा का ओसीरिस-रेक्स मिशन

3. हरित समिति द्वारा ‘ग्रेट निकोबार परियोजना’ आगे बढ़ाने की अनुमति

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन, राहत कार्यों में बाधक: एनजीओ


संदर्भ:

हाल ही में एक गैर-सरकारी संगठन (NGO) ने केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा, नई दिल्ली में भारतीय स्टेट बैंक की शाखा में एक निर्दिष्ट FCRA खाता खोलने हेतु निर्धारित की गई 31 मार्च की समयसीमा में छूट की मांग करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय में अपील की है।

संबंधित प्रकरण:

वर्ष 2020 में अधिनियमित विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (Foreign Contribution (Regulation) Act- FCRA) के तहत पंजीकृत गैर सरकारी संगठन (NGO) के लिए दिल्ली में बैंक खाता खोलना अनिवार्य किया गया था।

  • लेकिन, इससे कई संगठनों का काम बाधित हुआ है, क्योंकि इस शर्त के कारण ये सगठन विदेशी वित्तीय सहायता प्राप्त करने में असमर्थ हो गए।
  • कई गैर सरकारी संगठन, इन नए नियमों से प्रभावित हुए हैं, जिससे महामारी के दौरान इनके द्वारा किए जाने वाले राहत कार्यों में बाधा उत्पन्न हो रही है।

विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन, 2020:

  • इसमें ‘लोक सेवकों’ के लिए किसी भी विदेशी धन को स्वीकार करने को निषिद्ध किया गया है।
  • इसमें, गैर-सरकारी संगठनों द्वारा प्रशासन-संबंधी लागतों के लिए विदेशी निधियों के उपयोग को मौजूदा 50 प्रतिशत से कम करके 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।
  • इस विधेयक में ‘विदेशी अंशदान का किसी प्रकार से किसी भी संघठन / व्यक्ति के लिए हस्तांतरण को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव किया गया है’।
  • इसके तहत, विदेशी अनुदान प्राप्त करने के लिए पात्र सभी, गैर-सरकारी संगठनों अथवा अन्य संबद्ध संगठनों के प्रमुख पदाधिकारियों, और निदेशकों के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य पहचान दस्तावेज बनाने का प्रस्ताव किया गया है।
  • इसके तहत, FCRA द्वारा अनुमोदित संस्थाओं के लिए ‘अनप्रयुक्त विदेशी अनुदान राशि को प्रयोग करने अथवा शेष विदेशी अनुदान को प्राप्त करने से रोकने के लिए’ केंद्र सरकार को अविलंबित जांच करने की अनुमति दिए जाने संबंधी प्रावधान किया गया है।
  • इसके अलावा, प्रशासनिक प्रयोजनों के लिए विदेशी निधियों के उपयोग को सीमित करने संबंधी प्रावधान किया गया है। यह प्रावधान अनुसंधान और पक्षसमर्थन संगठनों के प्रशासनिक कार्यों संबंधी लागतों को प्रभावित करेगा।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. FCRA कब लागू किया गया था?
  2. इस क़ानून का कार्यान्वयन किसके द्वारा किया जाता है?
  3. अधिनियम के अनुसार विदेशी अनुदान की परिभाषा।
  4. अधिनियम के अनुसार विदेशी योगदान कौन स्वीकार नहीं कर सकता है।
  5. अनुदान प्राप्त करने हेतु पंजीकरण के लिए पात्रता मानदंड क्या है?
  6. संशोधन विधेयक में प्रमुख प्रावधान।

मेंस लिंक:

हाल के दिनों में FCRA विवादास्पद क्यों रहा है, चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)


(National Register of Citizens)

संदर्भ:

हाल ही में, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने कहा है कि उनकी गठबंधन सरकार, बांग्लादेश के सीमावर्ती जिलों में, अद्यतन नागरिक सूची के 20% नामों तथा शेष जिलों में 10% नामों का पुनःसत्यापन कराए जाने का समर्थन करती है।

पृष्ठभूमि:

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में, असम राज्य में, वर्ष 1951 के ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ को अद्यतन करने की प्रक्रिया पूरी की गई थी। इसके तहत, कुल 3.30 करोड़ आवेदकों में से 19 लाख आवेदक ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ (National Register of Citizens- NRC)  की अद्यतन सूची से बाहर हो गए थे।

‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ क्या है?

  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) मुख्यतः अवैध भारतीय नागरिकों का आधिकारिक रिकॉर्ड है। इसमें ‘नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, भारतीय नागरिक के रूप में पात्र व्यक्तियों के बारे में जनांकिक विवरण शामिल किया जाता है।
  • सबसे पहले इस रजिस्टर को वर्ष 1951 की जनगणना के बाद तैयार किया गया था। इसके बाद, कुछ समय पूर्व तक कभी भी अद्यतन / अपडेट नहीं किया गया था।
  • अब तक, केवल असम राज्य के लिए इस तरह के डेटाबेस को तैयार किया गया है।

 

असम में ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ को अद्यतन किए जाने का कारण:

वर्ष 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने, नागरिकता अधिनियम, 1955 और नागरिकता नियम, 2003 के अनुसार, असम के सभी भागों में ‘राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर’ को अद्यतन करने का आदेश दिया था। यह प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर वर्ष 2015 में शुरू हुई।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जनगणना और NPR के बीच संबंध।
  2. NPR बनाम NRC
  3. NRC, असम समझौते से किस प्रकार संबंधित है।
  4. नागरिकता प्रदान करने और रद्द करने के लिए संवैधानिक प्रावधान।
  5. जनगणना किसके द्वारा की जाती है?

मेंस लिंक:

एक राष्ट्रव्यापी राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC)  प्रक्रिया क्यों नहीं संभव हो सकती है, चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

क्वाड से जुड़ने पर संबंध प्रभावित होंगे: बांग्लादेश को चीन की धमकी


संदर्भ:

चीन ने रुखाई-पूर्वक बांग्लादेश को, क्वाड में किसी भी तरह की भागीदारी का विचार करने पर परिणाम भुगतने की स्पष्ट धमकी दी है, और इससे द्विपक्षीय संबंध ख़राब होने की चेतवानी भी दी है।

बीजिंग, क्वाड समूह (Quad Grouping) को चीन-विरोधी समूह के रूप में देखता है।

भारत के लिए निहितार्थ:

भारत के संबंध में चीन का कड़ा रुख वर्ष 2020 से कुछ अधिक तीक्ष्ण हो गया है। क्वाड का संदर्भ देते हुए और गैर-कूटनैतिक तरीके से, जिस प्रकार चीन ने बांग्लादेश को चेतावनी दी है, उससे स्पष्ट संकेत मिलता है, कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, और जिन क्षेत्रों को चीन अपना प्रभुत्व-क्षेत्र मानता है, उनमे उसके प्रभाव को सीमित करने के इरादे से बनाए गए समूह से चीन बुरी तरह चिढ़ा हुआ है।

क्वाड समूह’ क्या है?

यह, जापान, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया देशों का एक चतुष्पक्षीय संगठन है।

  • इस समूह के सभी सदस्य राष्ट्र लोकतांत्रिक राष्ट्र होने साथ-साथ गैर-बाधित समुद्री व्यापार तथा सुरक्षा संबंधी हित साझा करते हैं।

क्वाड समूह की उत्पत्ति:

क्वाड समूह की उत्पत्ति के सूत्र, वर्ष 2004 में आयी सुनामी के बाद राहत कार्यों के लिए चारो देशों द्वारा किए गए समन्वित प्रयासों में खोजे जा सकते हैं।

  • इसके बाद, इन चारो देशों के मध्य वर्ष 2007 में हुए आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान पहली बार बैठक हुई।
  • इसका उद्देश्य, जापान, भारत, संयुक्त राज्य अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, चारो देशों के मध्य समुद्री सहयोग बढ़ाना था।

इस संगठन का महत्व:

  • क्वाड (Quad) समान विचारधारा वाले देशों के लिए परस्पर सूचनाएं साझा करने तथा पारस्परिक हितों संबंधी परियोजनाओं पर सहयोग करने हेतु एक अवसर है।
  • इसके सदस्य राष्ट्र एक खुले और मुक्त इंडो-पैसिफिक दृष्टिकोण को साझा करते हैं।
  • यह भारत, ऑस्ट्रेलिया, जापान और अमेरिका के मध्य वार्ता के कई मंचों में से एक है तथा इसे किसी एक विशेष संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. क्वाड – संरचना।
  2. यह पहली बार कब प्रस्तावित किया गया था?
  3. हिंद महासागर क्षेत्र में देश और महत्वपूर्ण द्वीप।
  4. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का भौगोलिक अवलोकन।
  5. इस क्षेत्र में महत्वपूर्ण समुद्र और जलडमरूमध्य।

मेंस लिंक:

शांति और सुरक्षा बनाए रखने और संयुक्त राष्ट्र के समुद्रीय कानून के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए क्वाड की औपचारिक बहाली और पुन: प्रवर्तन की आवश्यकता है। परीक्षण कीजिए।

स्रोत: टाइम्स ऑफ़ इंडिया

 

विषय: भारतीय एवं इसके पड़ोस। महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।

‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ की मांगों को पूरा करने हेतु पाकिस्तान सरकार के नए नियम


संदर्भ:

पाकिस्तान, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) की ग्रे सूची से बाहर निकलने के लिए, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद वित्तपोषण मामलों से संबंधित नए नियमों को लागू करने के लिए तैयार है।

नए परिवर्तनों के तहत, एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग (anti-money laundering- AML) मामलों की जांच और अभियोजन का दायित्व पुलिस, प्रांतीय भ्रष्टाचार-रोधी संस्थाओं (anti-corruption establishments- ACE) तथा इसी प्रकार की अन्य एजेंसियों से लेकर विशिष्ट एजेंसियों (specialised agencies) को सौंपा गया है।

आगे की कार्रवाई:

इन उपायों के आधार पर, ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’, पाकिस्तान द्वारा निर्धारित किये गए 27 मानदंडो में से बचे हुए तीन मानदंडो के अनुपालन किए जाने के बारे में  निर्णय करेगा। ज्ञातव्य है, कि इन्ही तीन मानदंडो की वजह से पाकिस्तान, इस साल फरवरी में ग्रे सूची से बाहर नहीं निकल सका था।

पृष्ठभूमि:

जून 2018 में, पेरिस स्थित ‘वित्तीय कार्रवाई कार्यबल’ (Financial Action Task Force- FATF) द्वारा  पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में रखा गया था, और तब से वह इस सूची बाहर आने के लिए प्रयास कर रहा है।

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) के बारे में:

वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ / फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) का गठन वर्ष 1989 में जी-7 देशों की पेरिस में आयोजित बैठक में हुआ था। यह एक अंतर-सरकारी निकाय है।

  • यह एक ‘नीति-निर्माणक निकाय’ है जो विभिन्न क्षेत्रों में राष्ट्रीय स्तर पर विधायी एवं नियामक सुधार करने हेतु आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने के लिए कार्य करता है।
  • इसका सचिवालय पेरिस में ‘आर्थिक सहयोग और विकास संगठन’ (Economic Cooperation and Development- OECD) मुख्यालय में स्थित है।

भूमिका एवं कार्य:

  • शुरुआत में FATF को मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने संबंधी उपायों की जांच करने तथा इनका विकास करने के लिए स्थापित किया गया था।
  • अक्टूबर 2001 में, FATF द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अलावा आतंकवादी वित्तपोषण से निपटने संबंधी प्रयासों को शामिल करने हेतु अपने अधिदेश का विस्तार किया गया।
  • अप्रैल 2012 में, इसके द्वारा सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार हेतु वित्तपोषण पर रोक लगाने को अपने प्रयासों में सम्मिलित किया गया।

संरचना:

वर्त्तमान में ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य बल’ (FATF) में 39 सदस्य शामिल हैं। इसके सदस्य विश्व के अधिकांश वित्तीय केंद्रों का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें 2 क्षेत्रीय संगठन – गल्फ ऑफ कोऑपरेशन कौंसिल (GCC) तथा यूरोपियन कमीशन (EC) – भी सम्मिलित हैं।

ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट:

ब्लैक लिस्ट: आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों का समर्थन करने वाले तथा इन गतिविधियों पर रोक लगाने संबंधी वैश्विक प्रावधानों के साथ सहयोग नहीं करने वाले देशों (Non-Cooperative Countries or Territories- NCCTs) को ‘ब्लैक लिस्ट’ में रखा जाता है।

FATF द्वारा नियमित रूप से ब्लैकलिस्ट में संशोधन किया जाता है, जिसमे नयी प्रविष्टियों को शामिल किया जाता है अथवा हटाया जाता है।

ग्रे लिस्ट: जिन देशों को आतंकी वितपोषण तथा मनी लॉन्ड्रिंग संबंधित गतिविधियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, उन्हें FATF द्वारा ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया जाता है।

ग्रे लिस्ट’ में शामिल देशों को निम्नलिखित स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है:

  1. आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी से आर्थिक प्रतिबंध।
  2. आईएमएफ, विश्व बैंक, एडीबी और अन्य देशों से ऋण प्राप्त करने में समस्या।
  3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में कमी।
  4. अंतर्राष्ट्रीय बहिष्कार।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जी-7, जी-8 तथा जी- 20 में अंतर
  2. ब्लैक लिस्ट तथा ग्रे लिस्ट
  3. क्या FATF के निर्णय सदस्य देशों पर बाध्यकारी हैं?
  4. FATF का प्रमुख कौन है?
  5. इसका सचिवालय कहाँ है?

मेंस लिंक:

फाइनेंसियल एक्शन टास्क फ़ोर्स (FATF) का अधिदेश तथा उद्देश्य क्या हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH)


(Mission for Integrated Development of Horticulture)

संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने वर्ष 2021-22 में बागवानी क्षेत्र के विकास के लिए 2250 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। ये आवंटन केंद्र सरकार द्वारा समर्थित एकीकृत बागवानी विकास मिशन (Mission for Integrated Development of HorticultureMIDH) कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया है।

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (MIDH) के बारे में:

यह भारतीय बागवानी क्षेत्र की समग्र वृद्धि और विकास के लिए एक केंद्र प्रायोजित योजना है।

  • इस योजना के अंतर्गत सब्ज़ियाँ, जड़ और कंद फसलों, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू आदि को कवर किया गया है।
  • MIDH के तहत, राज्य बागवानी मिशनों, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (RKVY), केसर मिशन और राष्ट्रीय कृषि मिशन (NMSA) के लिए तकनीकी सहायता और सलाह भी प्रदान की जाती है।
  • एकीकृत बागवानी विकास मिशन, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • MIDH के तहत, जबकि भारत सरकार (GOI) द्वारा पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों में विकासात्मक कार्यक्रमों के लिए कुल परिव्यय का 85% योगदान किया जाता है, तथा राज्य सरकारों 15% परिव्यय का वहन किया जाता है। पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के मामले में, भारत सरकार का योगदान शत-प्रतिशत व्यय वहन करती है।

उप योजनाएं:

  1. राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM)
  2. पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (HMNEH)
  3. राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM)
  4. राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (NHB)
  5. नारियल विकास बोर्ड (CDB)
  6. केंद्रीय बागवानी संस्थान (CIH)

प्रीलिम्स लिंक:

  1. MIDH के बारे में
  2. विशेषताएं
  3. उप-योजनाएं

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

नासा का ओसीरिस-रेक्स मिशन


(NASA’s OSIRIS-Rex)

संदर्भ:

11 मई को, नासा का ओसीरिस-रेक्स (OSIRIS-REx) अंतरिक्ष यान, क्षुद्रग्रह बेन्नू (asteroid Bennu) की सतह से वापस पृथ्वी की ओर उड़ान भरेगा। इसे वापसी यात्रा में दो वर्ष का समय लगेगा।

ओसीरिस-रेक्स का पूरा नाम, ओरिजिन, स्पेक्ट्रल इंटरप्रिटेशन, रिसोर्स आइडेंटिफिकेशन, सिक्योरिटी-रेगोलिथ एक्सप्लोरर (Origins, Spectral Interpretation, Resource Identification, Security-Regolith Explorer- OSIRIS-Rex) है।

OSIRIS-REx मिशन के बारे में:

  • यह किसी प्राचीन क्षुद्रग्रह से नमूना एकत्र करने तथा इन्हें पृथ्वी पर वापस लाने के उद्देश्य से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का पहला मिशन है।
  • अक्टूबर 2020 में OSIRIS-REx अंतरिक्ष यान ने क्षुद्रग्रह बेन्नू (asteroid Bennu) की सतह का स्पर्श किया था, और इसका उद्देश्य ऐस्टरॉइड की सतह से धूल और कंकड़ों के नमूने एकत्र करना था।
  • यह मिशन वर्ष 2016 में शुरू लांच किया गया था।

क्षुद्रग्रह बेन्नू (Asteroid Bennu)

ऐस्टरॉइड बेन्नू को एक प्राचीन क्षुद्रग्रह माना जाता है, जिसमे अरबों वर्षों बीत जाने दौरान भी, इसकी संरचना में बहुत परिवर्तन नहीं हुए हैं। अर्थात, इसकी सतह के नीचे स्थित चट्टानें और पाए जाने वाले रासायनिक पदार्थ, सौर प्रणाली की उत्पत्ति के समय के है।

  • इसलिए, वैज्ञानिक और शोधकर्ताओं की रुचि इस क्षुद्रग्रह का अध्ययन करने हैं, क्योंकि इससे उन्हें सौर मंडल, सूर्य, पृथ्वी और अन्य ग्रहों की उत्पत्ति के बारे में कोई सुराग मिल सकता है।
  • अब तक, ज्ञात जानकारी के अनुसार, बेन्नू एक ‘बी-प्रकार’ का क्षुद्रग्रह है, जिसका अर्थ है कि इस पर महत्वपूर्ण मात्रा में कार्बन और अन्य विभिन्न खनिज मौजूद हैं।
  • यह क्षुद्रग्रह, कार्बन की उच्च मात्रा के कारण, यह अपनी ओर आने वाले प्रकाश का मात्र चार प्रतिशत परावर्तित करता है। परावर्तित प्रकाश की यह मात्रा शुक्र जैसे ग्रह की तुलना में काफी कम है, शुक्र ग्रह अपनी ओर आने वाले लगभग 65 प्रतिशत प्रकाश को परावर्तित करता है। पृथ्वी लगभग 30 प्रतिशत प्रकाश परावर्तित करती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. OSIRIS- REx का उद्देश्य
  2. पृथ्वी के निकटवर्ती क्षुद्रग्रह
  3. क्षुद्रग्रह बेन्नू के बारे में।

मेंस लिंक:

OSIRIS- REx के उद्देश्यों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

हरित समिति द्वारा ‘ग्रेट निकोबार परियोजना’ आगे बढ़ाने की अनुमति


संदर्भ:

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) की ‘पर्यावरण समीक्षा समिति’- अवसंरचना-I  (Environment Appraisal CommitteeEAC: Infrastructure I) द्वारा ग्रेट निकोबार द्वीप के लिए नीति आयोग की महत्वाकांक्षी परियोजना के संदर्भ में गंभीर चिंताओं को चिह्नित किया गया है।

हालांकि, समिति ने पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (Environmental Impact Assessment -EIA) अध्ययनों हेतु इस परियोजना के लिए ‘संदर्भ शर्तों को जारी किए जाने’ की सिफारिश की है। जिसमें, पहले दौर में, तीन महीनों के भीतर आधार-रेखा संबंधी अध्ययन किये जाएंगे।

ग्रेट निकोबार द्वीप समूह हेतु परियोजना के बारे में:

इस प्रस्ताव में एक अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांस-शिपमेंट टर्मिनल, एक ग्रीनफील्ड अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा, एक बिजली संयंत्र और 166 वर्ग किलोमीटर में फैला एक टाउनशिप कॉम्प्लेक्स का निर्माण शामिल है, जिसे मुख्यतः मौलिक तटीय प्रणाली और उष्णकटिबंधीय वनों की भूमि पर तैयार किया जाएगा।

इस परियोजना की अनुमानित लागत 75,000 करोड़ रुपए है।

प्रमुख चिंताएँ:

  • परियोजना के दस्तावेज में, भूकंपीय और सुनामी खतरों, मीठे पानी की आवश्यकता और विशालकाय लेदरबैक कछुओं पर पड़ने वाले प्रभाव से संबंधित विवरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
  • इसके अलावा, परियोजना के तहत काटे जाने वाले पेड़ों का कोई विवरण नहीं दिया गया है। चूंकि इस परियोजना के अंतर्गत भारत के कुछ बेहतरीन उष्णकटिबंधीय वनों का 130 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल है, इसलिए काटे जाने वाले पेड़ों की संख्या लाखों में पहुँच सकती है।
  • समिति द्वारा, इसके अलावा कई अन्य मुद्दों, जैसेकि गैलाथिया खाड़ी, बंदरगाह निर्माण का स्थान और नीति आयोग के प्रस्ताव के केंद्र बिंदु आदि को भी उठाया गया है।
  • गैलाथिया की खाड़ी (Galathea Bay), विश्व के सबसे बड़े समुद्री कछुए रहस्यमयी ‘’महाकाय लैदरबैक कछुआ’ (Giant Leatherback) का प्रजनन स्थल है।

समिति द्वारा सूचीबद्ध कार्रवाई बिंदु:

  • स्थलीय और समुद्री जैव विविधता के स्वतंत्र मूल्यांकन की आवश्यकता।
  • तेल रिसाव सहित तलकर्षण (dredging), भूमि-सुधार और बंदरगाह परिचालन के प्रभाव का अध्ययन।
  • पर्यावरण और पारिस्थितिकी प्रभाव, विशेष रूप से लेदरबैक कछुओं के लिए होने वाले जोखिम से निपटने की क्षमताओं के विश्लेषण, तथा बंदरगाह हेतु वैकल्पिक साइटों के अध्ययन की आवश्यकता।
  • भूकंपीय और सूनामी खतरा मानचित्र, एक आपदा प्रबंधन योजना, श्रम का विवरण, श्रम शिविरों और उनकी आवश्यकताओं पर एक अध्ययन।
  • भूवैज्ञानिक अध्ययन और सतही जल पर परियोजना के संचयी प्रभाव के आकलन की आवश्यकता।

संरक्षण की आवश्यकता:

पिछले कुछ वर्षों में, पारिस्थितिक सर्वेक्षणों द्वारा इस क्षेत्र में कई नई प्रजातियों की सूचना दी गई है। इनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय निकोबार छछूँदर (Nicobar Shrew), ग्रेट निकोबार क्रेक, निकोबार मेंढक, निकोबार कैट स्नेक (Nicobar Cat Snake), एक नया स्किंक (Lipinia Sp), एक नई छिपकली (Dibamus Sp) और लाइकोडोन एसपी (Lycodon Sp) का एक साँप शामिल है, जिसे अभी वर्गीकृत नहीं किया गया है।

स्रोत: द हिंदू


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