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सामान्य अध्ययन– II
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
1. सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) को मान्यता देने के संबंध में 102 वें संवैधानिक संशोधन पर सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय की व्याख्या कीजिए। क्या यह राज्य सरकारों को सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBC) की पहचान करने की उनकी शक्ति से वंचित करेगा? (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
व्याख्या कीजिए- प्रश्न में पूछी गई जानकारी को सरल भाषा में व्यक्त कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न की पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
102 वें संवैधानिक संशोधन एवं इस पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्णय पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
राज्य सरकारों की शक्ति पर इसके प्रभावों की चर्चा कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
2. “अतिरिक्त प्रोटोकॉल देश भर के गैर-सरकारी संगठनों की कार्यप्रणाली में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं”। विदेशी अंशदान विनियमन (संशोधन) अधिनियम 2020 के संदर्भ में उपर्युक्त कथन का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों में ही तथ्यों को बताते हुए अंत में एक सारगर्भित निष्कर्ष निकालना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न की संक्षिप्त पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) में विगत वर्ष किये गए संशोधन एवं गैर-सरकारी संगठनों की कार्यप्रणाली से सम्बंधित इसके प्रमुख प्रावधानों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
इससे सम्बंधित प्रमुख मुद्दों पर विस्तार से चर्चा कीजिए एवं सुझाव दीजिए कि क्या किया जाना चाहिए।
निष्कर्ष:
इन मुद्दों के समाधान के लिए उपाय बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
3. देश में चिकित्सा आपदाओं से निपटने एवं उन्हें संबोधित करने के लिए भारतीय कानून किस हद तक संतोषजनक हैं? स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
इस महामारी के दौरान देश में उत्पन्न वर्तमान चिकित्सा संकट पर प्रकाश डालते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि कोविड संकट से निपटने के उत्साह में, संविधान एवं कानूनों पर अक्सर ध्यान नहीं दिया जाता है।
देश में चिकित्सा संकट से निपटने के लिए कानूनों की कमियों पर चर्चा कीजिए।
उपर्युक्त को समझाने के लिए उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: केन्द्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ और इन योजनाओं का कार्य-निष्पादन; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान एवं निकाय।
4. कोविड-19 की द्वितीय लहर में उछाल एवं तृतीय लहर की सम्भावना देश में श्रमिकों की आजीविका एवं आय की सुरक्षा को संकट में कैसे डालेगी? उन सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में चर्चा कीजिए, जिन्हें श्रमिकों की आजीविका को बनाए रखने के लिए सरकार द्वारा प्राथमिकता दी जानी चाहिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Financial Express
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
वर्तमान महामारी का संक्षिप्त संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
कोविड-19 की द्वितीय लहर में उछाल एवं तृतीय लहर की सम्भावना देश में श्रमिकों की आजीविका एवं आय की सुरक्षा को संकट में कैसे डालेगी? विस्तार से समझाइए।
सरकार द्वारा क्या उपाय अपनाया जाना चाहिए? चर्चा कीजिए।
उपर्युक्त से सम्बंधित प्रमुख सामाजिक सुरक्षा योजनाओं पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
इसके समाधान की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।
5. क्या आपको लगता है कि महामारी के दौरान शीर्ष अदालत द्वारा मौजूदा न्यायिक हस्तक्षेप ने देश में कार्यपालिका डोमेन का अतिक्रमण किया है? विश्लेषण कीजिए। (250)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
न्यायिक हस्तक्षेप को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
वर्तमान कोविड -19 स्वास्थ्य संकट में न्यायिक हस्तक्षेप एवं इसके द्वारा कार्यपालिका के अधिकारों के अतिक्रमण के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
इसके पक्ष एवं विपक्ष दोनों की व्याख्या कीजिए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन– IV
विषय: अभिवृत्तिः सारांश (कंटेन्ट), संरचना, वृत्ति; विचार तथा आचरण के परिप्रेक्ष्य में इसका प्रभाव एवं संबंध; नैतिक और राजनीतिक अभिरुचि; सामाजिक प्रभाव और धारण।
6. नैतिक भावनाओं एवं आधारभूत भावनाओं के मध्य सोदाहरण अंतर स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
नैतिक भावनाओं को परिभाषित कीजिए एवं उदाहरणों के साथ उनकी भूमिका को स्पष्ट करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि ये नैतिक रूप से क्या भूमिका निभाती हैं।
उपयुक्त उदाहरणों के साथ नैतिक भावनाओं एवं आधारभूत भावनाओं के मध्य अंतर स्पष्ट कीजिए।
निष्कर्ष:
इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: नीतिशास्त्र तथा मानवीय सह-संबंधः मानवीय क्रियाकलापों में नीतिशास्त्र का सार तत्त्व, इसके निर्धारक और परिणाम; नीतिशास्त्र के आयाम; निजी और सार्वजनिक संबंधों में नीतिशास्त्र, मानवीय मूल्य- महान नेताओं, सुधारकों और प्रशासकों के जीवन तथा उनके उपदेशों से शिक्षा; मूल्य विकसित करने में परिवार, समाज और शैक्षणिक संस्थाओं की भूमिका।
7. हम हमारे समाज में एक ऐसे समय में हैं, जब सही एवं गलत के मध्य के अपरिभाषित क्षेत्र का विस्तार हो रहा है एवं व्यक्तिगत निर्णय कभी भी इतने व्यक्तिपरक नहीं रहे हैं। स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रश्न का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि सही एवं गलत व्यवहार का अध्ययन नीतिशास्त्र कहलाता है। हालाँकि, कभी भी इस बात पर आम सहमति नहीं बन पाई है कि कुछ या स्पष्ट शब्दों में सही और गलत व्यवहार क्या है। इस सन्दर्भ में सदैव अस्पष्टता रही है कि वास्तव में सही व्यवहार क्या है; यह मुद्दा ‘नैतिक सापेक्षवाद’ के दृष्टिकोण में वर्णित स्थिति में परिलक्षित होता है।
सही और गलत के मध्य के अपरिभाषित क्षेत्र को सूचीबद्ध कीजिए एवं उसकी व्याख्या कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि इस प्रकार, एक समाज में मान्य सार्वभौमिक नैतिक सिद्धांत चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और विभिन्न लोगों और संस्कृतियों में विभिन्न मूल्य, विश्वास और सत्य का तेजी से विस्तार हो रहा है, जिनमें से प्रत्येक को वैध माना जा सकता है। इस प्रकार, एक संस्कृति के भीतर भी नैतिक सिद्धांतों की सार्वभौमिकता कोई वैध साध्य नहीं है।
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