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INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 29 April 2021

 

विषयसूची

 सामान्य अध्ययन-I

1. महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों के लिए दो-बच्चों का मानदंड

 

सामान्य अध्ययन-II

1. भारतीय संविधान का अनुच्छेद 217

2. नेताओं द्वारा संसदीय समितियों की बैठक बुलाए जाने की मांग

3. वाहन कबाड़ नीति

 

सामान्य अध्ययन-III

1. कृषि अवसंरचना निधि

2. आदित्य-एल 1 सपोर्ट सेल

3. असम भूकंप

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. CoWIN

2. युद्धाभ्यास वरुण- 2021

3. पाइथन-5

 


सामान्य अध्ययन-I


 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

महाराष्ट्र में सरकारी कर्मचारियों के लिए दो-बच्चों का मानदंड


संदर्भ:

हाल ही में, महाराष्ट्र जेल विभाग की एक महिला अधिकारी को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया, क्योंकि विभाग द्वारा की गई एक जांच में पता चला, कि महिला अधिकारी ने ‘महाराष्ट्र सिविल सेवा’ (छोटे परिवार की घोषणा) नियमों का उल्लंघन करते हुए अधिकारियों से अपने तीन बच्चे होने की बात छुपाई थी।

महाराष्ट्र सरकार के कर्मचारियों के लिए ‘दो बच्चे’ संबंधी सेवा नियम क्या है?

वर्ष 2005 के ‘महाराष्ट्र सिविल सेवा’ (छोटे परिवार की घोषणा) नियमों के तहत ‘एक छोटे परिवार’ को पति, पत्नी और दो बच्चों के रूप में परिभाषित किया गया है।

  • इसमें कहा गया है, वर्ष 2005 के बाद से यदि किसी व्यक्ति के दो से अधिक बच्चे होने पर, वह व्यक्ति महाराष्ट्र सरकार के अधीन नौकरी पाने का पात्र नहीं होगा।
  • इन नियमों के तहत बच्चों की परिभाषा में गोद लिए गए बच्चे शामिल नहीं हैं।

पृष्ठभूमि:

महाराष्ट्र, देश के कुछ चुनिंदा राज्यों में से एक है जहाँ सरकारी नौकरियों में नियुक्ति तथा स्थानीय सरकारी निकायों के चुनावों में ‘दो बच्चों की नीति’ लागू है।

‘दो बच्चों की नीति’ लागू करने वाले अन्य राज्य राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, गुजरात, ओडिशा, उत्तराखंड और असम है। असम में यह नीति वर्ष 2019 में लागू की गई थी।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. महाराष्ट्र में ‘दो बच्चों की नीति’
  2. प्रयोज्यता
  3. अपवाद
  4. उचित प्रतिबंध।
  5. समान कानून वाले अन्य राज्य

मेंस लिंक:

महाराष्ट्र सिविल सेवा (छोटे परिवार की घोषणा) नियमों से संबंधित मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


सामान्य अध्ययन-II


 

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 217


संदर्भ:

भारत के राष्ट्रपति ने संविधान के अनुच्छेद 217 के उपबन्ध (1) में निहित अधिकारों का प्रयोग करते हुए छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की अपर न्यायाधीश श्रीमती  विमला सिंह कपूर को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में ही न्यायाधीश नियुक्त किया हैI

अनुच्छेद 217(1) का अवलोकन:

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्ति और उसके पद की शर्तें:

  • उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा, भारत के मुख्य न्यायमूर्ति, उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात्‌ तथा मुख्य न्यायाधीश के अलावा उच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के मामले में, संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के पश्चात्‌ की जाएगी, और वह न्यायाधीश, अपर या कार्यकारी न्यायाधीश की दशा में, अनुच्छेद 224 में उपबंधित, और किसी अन्य दशा में, बासठ वर्ष की आयु पूरी होने तक पद धारण करेगा, बशर्ते:
  • कोई न्यायाधीश, राष्ट्रपति को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा।
  • किसी न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए अनुच्छेद 124 के खंड (4) में उपबंधित रीति से उसके पद से राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकेगा।
  • किसी न्यायाधीश का पद, राष्ट्रपति द्वारा उसे उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किए जाने पर या राष्ट्रपति द्वारा उसे भारत के राज्यक्षेत्र में किसी अन्य उच्च न्यायालय को, अंतरित किए जाने पर रिक्त हो जाएगा।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अनुच्छेद 217 और इसके उप खंड
  2. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का स्थानांतरण
  3. नियुक्ति और निष्कासन
  4. कार्यवाहक न्यायाधीश- नियुक्ति, भूमिकाएँ और जिम्मेदारियाँ

स्रोत: पीआईबी

  

विषय: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

नेताओं द्वारा संसदीय समितियों की बैठक बुलाए जाने की मांग


संदर्भ:

संसद सदस्यों द्वारा राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से संसदीय समितियों की आभासी बैठकों को जारी करने की अनुमति देने के लिए अपील की गई है।

पृष्ठभूमि:

देश में जारी कोविड-19 महामारी की उग्र रूप से संक्रामक दूसरी लहर के दौरान, एक महीने से अधिक समय से संसद की स्थायी समितियों की बैठक नहीं हुई है।

‘संसदीय समितियाँ’ क्या होती हैं?

लोकसभा वेबसाइट के अनुसार, संसदीय समिति (Parliamentary Committee) से तात्‍पर्य उस समिति से है, जो सभा द्वारा नियुक्‍त या निर्वाचित की जाती है अथवा अध्‍यक्ष द्वारा नाम-निर्देशित की जाती है तथा अध्‍यक्ष के निदेशानुसार कार्य करती है एवं अपना प्रतिवेदन सभा को या अध्‍यक्ष को प्रस्‍तुत करती है।

संसदीय समितियाँ दो प्रकार की होती हैं– स्थायी समितियाँ और तदर्थ समितियाँ या प्रवर समितियाँ।

  • स्थायी समितियाँ (Standing Committees), अनवरत प्रकृति की होती हैं अर्थात् इनका कार्य प्रायः निरंतर चलता रहता है। इस प्रकार की समितियों को वार्षिक आधार पर पुनर्गठित किया जाता है।
  • तदर्थ समितियां (ad hoc Committees), किसी विशिष्‍ट प्रयोजन के लिए नियुक्‍त की जाती हैं और जब वे अपना काम समाप्‍त कर लेती हैं तथा अपना प्रतिवेदन प्रस्‍तुत कर देती हैं, तब उनका अस्‍तित्‍व समाप्‍त हो जाता है।

संवैधानिक प्रावधान:

संसदीय समितियां, अनुच्छेद 105 (संसद सदस्यों के विशेषाधिकार) और अनुच्छेद 118 (संसदीय प्रक्रिया तथा कार्यवाही के संचालन के लिए नियम बनाने हेतु संसद की शक्ति) से अपनी शक्तियां प्राप्त करती हैं।

विभागों से संबद्ध स्‍थायी समितियों (DRSCs) की संरचना:

विभागों से संबद्ध स्‍थायी समितियों की संख्‍या 24 है जिनके क्षेत्राधिकार में भारत सरकार के सभी मंत्रालय/विभाग आते हैं।

  • 13 वीं लोकसभा तक प्रत्येक DRSC में 45 सदस्य होते थे – जिनमे से 30 सदस्यों को लोकसभा से तथा 15 सदस्यों को राज्यसभा से नाम-निर्दिष्‍ट किया जाता था।
  • जुलाई 2004 में विभागों से संबद्ध स्‍थायी समितियों के पुनर्गठन के पश्चात, इनमें से प्रत्‍येक समिति में 31 सदस्‍य होते हैं – 21 लोक सभा से तथा 10 राज्‍य सभा से। इन्हें क्रमश: लोक सभा के अध्‍यक्ष तथा राज्‍य सभा के सभापति द्वारा नाम-निर्दिष्‍ट किया जाता है।
  • इन समितियों को एक वर्ष की अधिकतम अवधि के लिए गठित किया जाता है और समितियों के पुनर्गठन में प्रतिवर्ष सभी दलों के सदस्यों को सम्मिलित किया जाता है।

वित्तीय समितियों की संरचना:

  • प्राक्कलन समिति में सदस्यों की संख्या 30 होती है तथा सभी सदस्य लोकसभा से नामित किये जाते हैं।
  • लोक लेखा समिति और सरकारी उपक्रमों संबंधी समिति, दोनों में 22 सदस्य होते हैं – जिनमे से 15 सदस्य लोकसभा से तथा 7 सदस्य राज्यसभा से नामित किये जाते हैं।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. संसदीय समिति तथा मंत्रिमंडलीय समिति के मध्य अंतर।
  2. स्थायी बनाम तदर्थ बनाम वितीय समितियां
  3. इन समितियों के अध्यक्ष तथा सदस्यों की नियुक्ति कौन करता है?
  4. मात्र लोकसभा सदस्यों से गठित की जाने वाली समितियां
  5. सदन के अध्यक्ष की अध्यक्षता वाली समितियां

मेंस लिंक:

संसदीय स्थायी समितियाँ क्या होती हैं? इनकी क्या आवश्यकता है? संसदीय स्थायी समितियों के महत्व को स्पष्ट करते हुए उनकी भूमिका और कार्यों पर चर्चा कीजिए।

संपर्क:

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

वाहन कबाड़ नीति


(Vehicle Scrappage Policy)

संदर्भ:

एक रेटिंग प्रदाता कंपनी ‘क्रिसिल’ (CRISIL) द्वारा की गयी रिसर्च एनालिसिस से पता चलता है कि केंद्र सरकार की ‘वाहन कबाड़ नीति’ (स्क्रैपेज पॉलिसी) से माल-भाडा ट्रांसपोर्टर्स द्वारा पुराने वाहनों को बदलने के लिए कतार में लगाने की संभावना नहीं है। बसों, यात्री वाहनों और दुपहिया वाहनों के स्क्रैप किए जाने मात्रा भी सीमित ही रहेगी।

नई नीति के साथ समस्याएं:

  1. ट्रकों के लिए सीमित प्रोत्साहन और खराब लागत वाली अर्थनीति।
  2. पतालगाने योग्य अन्य वर्गों के वाहनों की कम संख्या।
  3. 15 साल पुरानी एक शुरुआती श्रेणी की छोटी कार को स्क्रैप करने से लगभग 70,000 रुपए का फायदा होगा, जबकि इसे बेचने पर लगभग 95,000 रुपए मिल सकते हैं। इस कारण स्क्रैपिंग करना अनाकर्षक बन जाता है।

समय की मांग:

इन सब कारणों को देखते हुए, स्क्रैपिंग नीति को पूरी तरह से लागू करने के लिए, हमें ‘जिन वाहनों का जीवन समाप्त हो चुका है, अर्थात ‘एंड ऑफ़ लाइफ व्हीकल्स’ (ELV) को सड़क से हटाने के संदर्भ में एक व्यापक योजना तैयार करनी चाहिए। माल-भाडा ट्रांसपोर्टर्स को एक पर्याप्त एवं उत्साही वित्तीय सहायता दिए जाने की आवश्यकता है। हालांकि,  यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि जब तक पुराने वाहनों के बेड़े सड़क से नहीं हटाए जाएंगे, तब तक  बीएस-VI (BS-VI) वाहन लागू करने का लाभ पूरी तरह से नहीं मिल पाएगा।

‘वाहन कबाड़ नीति’ के बारे में:

(Vehicle Scrappage Policy)

  • इस नीति के अनुसार, पुराने वाहनों का फिर से पंजीकरण किए जाने से पहले इनके लिए एक फिटनेस टेस्ट पास करना होगा, और 15 साल से अधिक पुराने सरकारी वाहनों तथा 20 साल से अधिक पुराने निजी वाहनों को तोड़ दिया जाएगा।
  • हतोत्साहन उपाय के रूप में, 15 वर्ष या इससे पुराने वाहनों का फिर से पंजीकरण करने पर, इनके शुरुआती पंजीकरण से ज्यादा शुल्क लिया जाएगा
  • नीति के तहत, पुराने वाहनों के मालिकों द्वारा पुराने और अनफिट वाहनों को हटाने के लिए प्रोत्साहन देने हेतु, निजी वाहनों पर 25% तक और व्यावसायिक वाहनों पर 15% तक रोड-टैक्स में छूट देने के लिए राज्य सरकारों से कहा जा सकता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. इस नीति की मुख्य विशेषताएं
  2. प्रयोज्यता
  3. नीति के तहत दिया जाने वाला प्रोत्साहन

मेंस लिंक:

‘वाहन कबाड़ नीति’ से जुड़े मुद्दों पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन-III


 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

कृषि अवसंरचना निधि


(Agriculture Infrastructure Fund)

संदर्भ:

कृषि अवसंरचना निधि (Agriculture Infrastructure Fund- AIF) ने 8,216 करोड़ रुपये के 8,665 आवेदन प्राप्त करने के बाद 8000 करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है।

इसमें सबसे बड़ा हिस्सा, प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) का 58 प्रतिशत, इसके बाद कृषि-उद्यमियों का 24 प्रतिशत और निजी तौर पर किसानों का 13 प्रतिशत हिस्सा है।

‘कृषि अवसंरचना निधि’ के बारे में:

कृषि अवसंरचना निधि, ब्‍याज माफी तथा ऋण गारंटी के जरिये फसल उपरांत प्रबंधन अवसंरचना एवं सामुदायिक कृषि परिसंपत्तियों के लिए व्‍यावहार्य परियोजनाओं में निवेश के लिए एक मध्‍यम-दीर्धकालिक कर्ज वित्‍त-पोषण सुविधा है।

  • यह एक अखिल भारतीय केंद्रीय क्षेत्रक योजना (Central Sector Scheme) है।
  • इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020 से 2029 (10 वर्ष) है।
  • इस योजना के तहत, सालाना 3 प्रतिशत की ब्याज छूट के साथ ऋण के रूप में बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों द्वारा 1 लाख करोड़ रुपये तथा 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए CGTMSE के तहत क्रेडिट गारंटी कवरेज उपलब्ध कराई जाएगी।

पात्रता:

इस योजना के अंतर्गत, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के द्वारा एक लाख करोड़ रुपये ऋण के रूप में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PAC), विपणन सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), स्वयं सहायता समूहों (SHGs), किसानों, संयुक्त देयता समूहों (Joint Liability Groups- JLG), बहुउद्देशीय सहकारी समितियों, कृषि उद्यमियों, स्टार्टअपों, आदि को उपलब्ध कराये जायेंगे।

ब्याज में छूट:

इस वित्तपोषण सुविधा के अंतर्गत, सभी प्रकार के ऋणों में प्रति वर्ष 2 करोड़ रुपये की सीमा तक ब्याज में 3% की छूट प्रदान की जाएगी। यह छूट अधिकतम 7 वर्षों के लिए उपलब्ध होगी।

क्रेडिट गारंटी:

  • 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) योजना के अंतर्गत इस वित्तपोषण सुविधा के माध्यम से पात्र उधारकर्ताओं के लिए क्रेडिट गारंटी कवरेज भी उपलब्ध होगा।
  • इस कवरेज के लिए सरकार द्वारा शुल्क का भुगतान किया जाएगा।
  • FPOs के मामले में, कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग (DACFW) के FPO संवर्धन योजना के अंतर्गत बनाई गई इस सुविधा से क्रेडिट गारंटी का लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

‘कृषि अवसंरचना निधि’ का प्रबंधन:

  • ‘कृषि अवसंरचना निधि’ का प्रबंधन और निगरानी ऑनलाइन प्रबन्धन सूचना प्रणाली (MIS) प्लेटफॉर्म के माध्यम से की जाएगी।
  • सही समय पर मॉनिटरिंग और प्रभावी फीडबैक की प्राप्ति को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर मॉनिटरिंग कमिटियों का गठन किया जाएगा।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘कृषि अवसंरचना निधि’ के बारे में:
  2. FPOs क्या हैं?
  3. कोआपरेटिवस (Cooperatives) क्या हैं? संवैधानिक प्रावधान।
  4. CGTMSE के बारे में।
  5. केंद्रीय क्षेत्रक तथा केंद्र प्रायोजित योजनाएं।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

 आदित्य-एल 1 सपोर्ट सेल


(Aditya-L1 Support Cell)

संदर्भ:

‘आदित्य-एल 1 सपोर्ट सेल’, भारत के पहले सौर अंतरिक्ष मिशन से प्राप्त होने वाले आंकड़ों को एक वेब इंटरफेस पर इकट्ठा करने के लिए स्थापित किया गया एक ‘कम्युनिटी सर्विस सेंटर’ है।

  • यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंस (ARIIS) का संयुक्त प्रयास है।
  • इस केंद्र का उपयोग अतिथि पर्यवेक्षकों (गेस्ट ऑब्जर्वर) द्वारा वैज्ञानिक आंकड़ों के विश्लेषण करने में किया जाएगा।

‘आदित्य- L1 मिशन’ के बारे में:

  • यह भारत का पहला सौर मिशन है। इसे ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (PSLV) के द्वारा XL विन्यास (XL configuration) में लॉन्च किया जाएगा।
  • इस यान पर सात पेलोड (यंत्र) भेजे जाएंगे।
  • इसका उद्देश्य, सूर्य के कोरोना, सौर उत्सर्जन, सौर हवाओं और लपटों और कोरोना से होने वाल द्रव्यों के उत्क्षेपण (Coronal Mass Ejections- CMEs) का अध्ययन करना है, और यह चौबीसों घंटे सूर्य की तस्वीरें लेने का कार्य भी करेगा।

इस मिशन का महत्व:

आदित्य मिशन से प्राप्त होने वाले आंकड़े, सौर तूफानों की उत्पत्ति से संबंधित विभिन्न मॉडलों के बीच अंतर स्पष्ट करने, सौर तूफानों की उत्पत्ति पर रोक लगने तथा इनके द्वारा सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी तय करने के दौरान गुजरने वाले अंतरिक्षीय मार्ग के बारे में जानकारी हेतु बेहद मददगार साबित होंगे।

उपग्रह का स्थापन:

सूर्य के बारे में सर्वाधिक जानकारी हासिल करने हेतु, बिना किसी आच्‍छादन/ग्रहण के सूर्य का लगातार अवलोकन महत्वपूर्ण होता है, और इसलिए, आदित्य- L1 उपग्रह को सूर्य-पृथ्‍वी प्रणाली के लेग्रांजी बिंदु-1 (Lagrangian point 1) के आस-पास प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।

सूर्य और सौर हवाओं के अध्ययन का कारण:

  • सूर्य एकमात्र तारा है जिसका हम करीब से अध्ययन कर सकते हैं। जिस तारे के साथ हम रहते हैं, उसका अध्ययन करके हम पूरे ब्रह्मांड के तारों के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर सकते हैं।
  • सूर्य, पृथ्वी पर जीवन के लिए प्रकाश और ऊष्मा का एक स्रोत है। जितना अधिक हम इसके बारे में जानेगे, उतना ही हम पृथ्वी पर जीवन के विकास के बारे में जान सकते हैं।
  • यह सौर हवाओं का स्रोत है; जोकि सूर्य से आयनीकृत गैसों का प्रवाह होती है, तथा ये सौर हवाएं 500 किमी प्रति सेकंड (एक मिलियन मील प्रति घंटे) से अधिक की गति से पृथ्वी की ओर प्रवाहित होती है।
  • सौर हवाओं में व्यवधान होने से पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र अस्थिर हो जाता है, और विकिरण पेटी में ऊर्जा स्पंदित होने लगती है, जोकि पृथ्वी के निकटवर्ती अंतरिक्ष, जिसे अंतरिक्षीय मौसम भी कहा जाता है, में परिवर्तनों का एक कारण बनती है।
  • उपग्रहों पर प्रभाव: अंतरिक्षीय मौसम से उपग्रहों की कक्षाओं में परिवर्तन, इनके जीवन-काल में कमी अथवा इन पर लगे हुए इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण क्षतिग्रस्त हो सकते हैं। अंतरिक्षीय मौसम में हलचलों के कारणों के बारे में जानकारी से, इसका पूर्वानुमान किया जा सकता है और हम अपने उपयोगी उपग्रहों की सुरक्षा कर सकते हैं।
  • सुरक्षा और तत्परता: सौर-हवाओं का अंतरिक्ष के वातावरण पर वर्चस्व होता है। जब हम अपने अंतरिक्ष यानो और अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी से दूर भेजते हैं तब हमें अंतरिक्ष वातावरण को उसी प्रकार से जानने की आवश्यकता होती है, जिस प्रकार, समुद्री यात्रियों के लिए समुद्र को समझने की जरूरत होती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘आदित्य- L1 मिशन’ के बारे में।
  2. उद्देश्य
  3. लेग्रांजी बिंदु (Lagrangian point) क्या हैं?
  4. सौर हवाएँ क्या होती हैं?

मेंस लिंक:

‘आदित्य- L1 मिशन’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।

असम में भूकंप


संदर्भ:

हाल ही में, पूर्वोत्तर भारत के असम राज्य में, रिक्टर स्केल पर 6.4 तीव्रता का भूकंप का झटका महसूस किया गया।

भूकंप का अधिकेंद्र (Epicentre):

  • प्रारंभिक विश्लेषण से पता चलता है कि भूकंप का केंद्र, हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) के नजदीक कोपिली भ्रंश (Kopili Fault) पास स्थित था।
  • यह क्षेत्र भूकंपीय रूप से अति सक्रिय है तथा यह विवर्तनिक प्लेटों के टकराव क्षेत्र से संबंधित उच्चतम भूकंपीय जोखिम क्षेत्र V (Seismic Hazard zone V) के अंतर्गत आता है, जहाँ भारतीय प्लेट, यूरेशियन प्लेट के नीचे अधःक्षेपित होती है।

हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) क्या है?

हिमालयन फ्रंटल थ्रस्ट (HFT) के लिए मुख्य फ्रंटल थ्रस्ट (MFT) के रूप में भी जाना जाता है। यह  भारतीय और यूरेशियन विवर्तनिक प्लेटों की सीमा पर भूगर्भीय भ्रंश है।

भ्रंश (fault) क्या होता है?

भ्रंश अथवा ‘फाल्ट’, भू-पर्पटी में एक दरार होती है, जिसके सहारे भू-पर्पटी के खंड या ब्लॉक एक दूसरे के सापेक्ष गति करते हैं ।

समय की मांग:

भारत का पूर्वोत्तर हिस्सा, उच्चतम भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है, इसलिए हमारे पास भूकंप के लिए सभी स्तरों पर निरंतर तैयारी होनी चाहिए। विशेषकर, भ्रंश रेखाओं के सहारे विवर्तनिक तनाव में लगातार वृद्धि होती जा रही है।

पृष्ठभूमि:

ऐतिहासिक और यंत्रवत् दर्ज किए गए भूकंप के आंकड़ों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में कई “मध्यम से लेकर बड़े भूकंप” आ चुके हैं। इनमे से, 1950 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर असम-तिब्बत क्षेत्र में आया भूकंप सबसे भयंकर था।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


CoWIN

  • यह, भारत में कोविड-19 टीकाकरण की योजना, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के लिए क्लाउड-आधारित आईटी समाधान है।
  • CoWIN प्लेटफ़ॉर्म, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधीन कार्यरत है।

युद्धाभ्यास वरुण- 2021

  • यह भारतीय और फ्रांसीसी नौसेना के बीच प्रतिवर्ष आयोजित किया जाने वाला द्विपक्षीय नौसेना-युद्धाभ्यास है।
  • वरुण- 2021, युद्धाभ्यास का 19 वां संस्करण था और इसे अरब सागर में आयोजित किया गया था।

पाइथन-5

(Python-5)

  • हाल ही में, DRDO द्वारा हवा से हवामें मार करने वाली मिसाइल पाइथन-5 का पहला परीक्षण किया गया।
  • पाइथन, इजरायल के हथियार निर्माता राफेल डिफेंस सिस्टम द्वारा निर्मित हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (AAMs) के समूह की मिसाइल है।
  • पाइथन 5, दुश्मन के विमानों को बहुत कम दूरी से और लगभग दृश्य सीमा से परे, मार गिराने में सक्षम है।


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