विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. ज्योतिराव फुले
सामान्य अध्ययन-II
1. भिक्षावृत्ति को गैर-अपराध घोषित करने हेतु याचिका
2. लोग अपने धर्म का चुनाव करने के लिए स्वतंत्र हैं: उच्चतम न्यायालय
3. वैक्सीन पासपोर्ट
सामान्य अध्ययन-III
1. चिलिका झील में डॉल्फिनों की संख्या में तीव्र वृद्धि
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. डूम्स-डे ग्लेशियर
2. उन्नत पुरावशेष प्रबंधन प्रणाली (AAMS)
3. ब्रुसेलोसिस
4. उमंगोत नदी
सामान्य अध्ययन-I
विषय: 18वीं सदी के लगभग मध्य से लेकर वर्तमान समय तक का आधुनिक भारतीय इतिहास- महत्त्वपूर्ण घटनाएँ, व्यक्तित्व, विषय।
ज्योतिराव फुले
संदर्भ:
इनका जन्म 11 अप्रैल, 1827 को हुआ था और उनकी जयंती, हर साल ज्योतिबा फुले जयंती के रूप में मनाई जाती है।
महात्मा ज्योतिराव फुले के बारे में:
- इनका जन्म वर्ष 1827 में महाराष्ट्र के सतारा जिले हुआ था।
- फुले को महात्मा की उपाधि, महाराष्ट्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता विट्ठलराव कृष्णजी वांडेकर द्वारा, 11 मई, 1888 को प्रदान की गयी थी।
सामाजिक सुधार और महत्वपूर्ण योगदान:
- महात्मा ज्योतिराव फुले का कार्य मुख्य रूप से अस्पृश्यता और जाति व्यवस्था का उन्मूलन, महिलाओं की मुक्ति और सशक्तिकरण, हिंदू पारिवारिक जीवन में सुधार से संबंधित है।
- इने अपनी पत्नी, सावित्रीबाई फुले के साथ, भारत में महिलाओं की शिक्षा का अग्र-दूत माना जाता है।
- यह दंपति पुणे, महाराष्ट्र में लड़कियों के लिए अगस्त 1848 में भारत का पहला स्वदेशी स्कूल खोलने वाले पहले भारतीय थे।
- इसके बाद फुले दंपति ने ‘महार और मंग’ जैसी अछूत जातियों के बच्चों के लिए स्कूल आरंभ किए।
- वर्ष 1863 में, ज्योतिबा फुले ने गर्भवती ब्राह्मण विधवाओं के लिए सुरक्षित प्रसव हेतु एक ‘गृह’ का आरंभ किया।
- उन्होंने शिशुहत्या से बचाव के लिए एक अनाथालय खोला। इस संबंध में, उन्हें दुर्भाग्यशाली बच्चों के लिए अनाथालय शुरू करने वाला पहला हिंदू माना जाता है।
- वर्ष 1868 में, ज्योतिराव ने अपने घर के बाहर एक सामूहिक स्नानागार का निर्माण करने का फैसला किया, जिससे उनकी सभी मनुष्यों के प्रति अपनत्व की भावना प्रदर्शित होती है, इसके साथ ही, उन्होंने सभी जातियों के सदस्यों के साथ भोजन करने की शुरुआत की।
- वर्ष 1873 में, फुले ने दलित वर्गों के अधिकारों हेतु, जाति व्यवस्था की निंदा करने तथा तर्कसंगत विचारधारा का प्रसार करने के लिए ‘सत्यशोधक समाज’ की स्थापना की।
उनकी प्रसिद्ध रचनाएँ:
तृतीय रत्न (1855), गुलामगिरि (1873), शेतकरायचा आसुद, या कल्टीवेटर व्हिपकॉर्ड (1881), सत्यशोधक समाजोत्कल मंगलाष्टक सर्व पूजा-विधि (1887)।
प्रीलिम्स लिंक:
- महात्मा फुले की महत्वपूर्ण साहित्यिक रचनाएँ।
- उन्हें फुले की उपाधि किसने दी?
- सत्यशोधक समाज के उद्देश्य।
- किस राज्य ने ज्योतिराव फुले पर एक योजना शुरू की है और यह किससे संबंधित है?
- सावित्रीबाई फुले का उल्लेखनीय योगदान।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन-II
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
भिक्षावृत्ति को गैर-अपराध घोषित करने हेतु याचिका
संदर्भ:
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार तथा महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब और हरियाणा, चार राज्यों से ‘भिक्षावृत्ति को गैर-अपराध घोषित करने संबंधी याचिका’ याचिका पर प्रतिक्रिया देने को कहा है।
पृष्ठभूमि:
अदालत द्वारा, फरवरी 2021 में, केंद्र सरकार और पांच राज्यों से ‘भिक्षावृत्ति’ से संबंधित एक याचिका पर जबाव माँगा था, जिसमे दावा किया गया था, कि ‘भिक्षावृत्ति’ का अपराधीकरण करने वाले क़ानून की धाराएं, संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।
संबंधित प्रकरण:
दायर की गई याचिका में दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा अगस्त 2018 में दिए गए एक फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमे अदालत ने, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ‘भीख मांगने’ को गैर-अपराध घोषित कर दिया गया था, और कहा कि ‘बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट’ (Bombay Prevention of Begging Act), 1959 की ‘भिक्षावृत्ति को अपराध घोषित करने वाली’ धाराएं संवैधानिक जांच पर सही साबित नहीं होती हैं।
याचिका में तर्क दिया गया है, कि भीख मांगने के कृत्य को अपराध धोषित करने वाले क़ानूनों के प्रावधान, लोगों को ‘अपराध करने या, अपराध नहीं करने तथा भूखा मरने’ में से एक अनुचित विकल्प चुनने की स्थिति में लाकर खड़ा कर देते हैं। जोकि संविधान की मूल भावना के खिलाफ है, और ‘अनुच्छेद 21’ अर्थात ‘जीवन का अधिकार’ का उल्लंघन है।
अन्य सम्बंधित मुद्दे:
वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत में भिखारियों की कुल संख्या 4,13,670 है और पिछली जनगणना से इस संख्या में इज़ाफा हुआ है।
- संविधान में ‘राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों’ के अंतर्गत, सरकार के लिए सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने तथा मूलभूत सुविधाएं सुनिश्चित करने का अधिदेश दिया गया है। हालाँकि, भिखारियों की मौजूदगी इस बात का प्रमाण है, कि देश अपने सभी नागरिकों को ‘बुनियादी सुविधाएं’ प्रदान करने में विफल रहा है।
- इसलिए, राज्य द्वारा अपनी विफलता पर काम करने और लोगों द्वारा भीख मांगने के कारणों की जाँच करने के बजाय, भीख माँगने के कृत्य को अपराध घोषित करना तर्कहीन है और हमारे संविधान की प्रस्तावना में अंतर्निहित समाजवादी राष्ट्र के उपागम के खिलाफ है।
- भीख मांगना एक शांतिपूर्ण तरीका भी है, जिसके द्वारा कोई व्यक्ति, किसी दूसरे को अपनी स्थिति को बताता है और उनकी सहायता मांगता है। इस प्रकार, भीख माँगने का अपराधीकरण ‘अनुच्छेद 19 (1) (क) के तहत प्रद्दत ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का भी उल्लंघन है।
भारत में भिक्षावृत्ति संबंधी कानून:
- भारत में, भिक्षावृत्ति संबंधी कोई केंद्रीय अधिनियम नहीं है, हालांकि, कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने, ‘बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट’, 1959 की कुछ धाराओं, के आधार पर अपने कानून बनाए हैं। 1959 का यह भीख मागने को आपराध घोषित करता है।
- इन कानूनों के माध्यम से, सरकारें, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने, जबरन भीख मंगवाने अथवा ‘भीख मांगने वाले के गिरोहों’ का समाधान करने तथा पर्यटकों को परेशान करने से रोकने का प्रयास करती हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगिंग एक्ट’ के प्रमुख प्रावधान।
- अनुच्छेद 19(1)(a) के बारे में
- राज्य नीति निदेशक तत्वों से संबंधित प्रमुख तथ्य
- अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त अधिकार
मेंस लिंक:
भिक्षावृत्ति को गैर-अपराध घोषित क्यों किया जाना चाहिए? चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, विवाद निवारण तंत्र तथा संस्थान।
लोग अपने धर्म का चुनाव करने के लिए स्वतंत्र हैं: उच्चतम न्यायालय
संदर्भ:
हाल ही में, एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है, कि लोग अपने धर्म का चुनाव करने के लिए स्वतंत्र हैं।
संबंधित प्रकरण:
- हाल ही में, अदालत में दायर की गई एक याचिका में दावा किया गया था, कि देश भर में ‘कैसे भी करके’ सामूहिक धर्मांतरण करवाए जा रहें है।
- याचिका में शीर्ष अदालत से काला जादू, अंधविश्वास और धमकी से, डरा कर, अथवा प्रलोभन देकर धोखाधड़ी से धर्मांतरण कराने पर नियंत्रण करने हेतु केंद्र सरकार और राज्यों को निर्देश देने की मांग की गई थी।
अदालत द्वारा की गई टिप्पणियाँ:
- सभी नागरिकों को अपनी पसंद के धर्म को मानने, उसका पालन करने और उसका प्रचार करने की आजादी है (अनुच्छेद 25)।
- प्रत्येक व्यक्ति, अपनी पसंद के धर्म का चुनाव करने तथा अपनी पसंद का जीवन-साथी चुनने के संबंध में अंतिम निर्णयकर्ता होता है। अदालत, धर्म या जीवन साथी के संबंध में किसी व्यक्ति की पसंद के फैसले पर अपना निर्णय नहीं दे सकती है।
- धार्मिक आस्था, निजता के मौलिक अधिकार का एक हिस्सा है।
- संविधान पीठ के फैसले में ‘निजता के अधिकार’ को ‘जीवन, गरिमा तथा स्वतंत्रता के अधिकार’ के समान बताते हर, इसकी अनुल्लंघनीयता को पहले ही बरकरार रखा गया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- अनुच्छेद 25 के तहत अपवाद।
- केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त अधिकार
- भारतीय संविधान के तहत धर्म का अधिकार
मेंस लिंक:
प्रत्येक व्यक्ति, अपनी पसंद के धर्म का चुनाव करने तथा अपनी पसंद का जीवन-साथी चुनने के संबंध में अंतिम निर्णयकर्ता होता है। चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
वैक्सीन पासपोर्ट
संदर्भ:
अभी तक, कई प्रकार के कोरोनावायरस टीकाकरण संबंधी रिकॉर्ड, जिन्हें अक्सर ‘वैक्सीन पासपोर्ट (Vaccine Passports) भी कहा जाता है, कागज और डिजिटल प्रारूप में मौजूद हैं। सैकड़ों एयरलाइंस, सरकारें और अन्य संगठनो द्वारा इनका जांच के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है।
‘वैक्सीन पासपोर्ट’ क्या होता है?
- यह, संभवतः ‘क्यूआर कोड’ (QR code) के रूप में टीकाकरण का एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड होता है, जिसे किसी स्मार्टफोन के माध्यम से पढ़ा जा सकता है, इसे मोबाईल फोन में स्टोर भी किया जा सकता है, तथा इसका प्रिंट आउट भी लिया जा सकता है। इसका ज्यादातर उपयोग अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के लिए किया जाता है।
- फरवरी 2021 में, इजरायल द्वारा पहली बार, इस प्रकार की ‘प्रमाणन प्रणाली’ की शुरुआत की गई थी। इसके माध्यम से, कोविड-19 के विरुद्ध टीकाकरण करवा चुके लोगों को कुछ सुविधाओं और कार्यक्रमों में शामिल होने की अनुमति दी गई थी।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) अंतर्राष्ट्रीय यात्राओं के लिए, ‘कोविड -19 टीकाकरण प्रमाणपत्र’ को एक अनिवार्य दस्तावेज़ के रूप में लागू करने के खिलाफ है।
- महामारी संचरण को कम करने में टीकाकरण की प्रभावकारिता के बारे में अभी भी महत्वपूर्ण तथ्यों की जानकारी उपलब्ध नहीं हैं।
- टीकाकरण साक्ष्य की आवश्यकता और इसे जारी करने के क्षेत्राधिकार में एकरूपता का अभाव है।
- यात्रियों का अधिमान्य टीकाकरण किये जाने से गंभीर कोविड—19 से संक्रमित होने के उच्च जोखिम की संभवना युक्त प्राथमिकता प्राप्त आबादी के लिए टीकों की आपूर्ति में कमी हो सकती है।
- इस बात की संभावना है कि इन ‘वैक्सीन पासपोर्ट्स’ का उपयोग अधिकारियों द्वारा धारकों की आवाजाही पर नज़र रखने के लिए किया जा सकता है। इससे निजता संबंधी चिंताएं उत्पन्न हो सकती हैं।
स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस
सामान्य अध्ययन-III
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
चिलिका झील में डॉल्फिनों की संख्या में तीव्र वृद्धि
संदर्भ:
हाल ही में, ओडिशा सरकार ने डॉल्फ़िन-गणना संबंधी अंतिम आंकड़े जारी किए गए हैं।
प्रमुख निष्कर्ष:
- भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील, ओडिशा तट पर अवस्थित, चिल्का झील में डॉल्फिनों की आबादी और पिछले साल की तुलना में इस वर्ष दोगुनी हो गई है।
- इस गणना के दौरान डॉल्फ़िन की तीन प्रजातियों, इरावदी, बॉटलनोज़ (Bottlenose) तथा हंपबैक डॉल्फ़िन की संख्या 544 दर्ज की गई, जबकि पिछले वर्ष इनकी कुल संख्या मात्र 233 थी।
- चिल्का झील में इरावदी डॉल्फिनों की आबादी में वृद्धि का कारण मछली पकड़ने वाले अवैध बाड़ों का हटाया जाना बताया गया है।
इरावदी डॉल्फ़िन के बारे में:
- इरावदी डॉल्फिन (Irrawaddy Dolphins), दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के तटीय क्षेत्रों, तथा तीन नदियों: इरावदी (म्यांमार), महाकम नदी (इंडोनेशियाई बोर्नियो) और मेकांग नदी (चीन) में पाई जाती हैं
- ‘इरावदी डॉल्फ़िन’ आईयूसीएन रेड सूची के अनुसार ‘लुप्तप्राय‘ या संकटग्रस्त (Endangered) हैं।
‘इंडो-पैसिफिक बॉटलनोज़ डॉल्फ़िन’ (Indo- Pacific Bottlenose dolphins) के बारे में:
- भारत, उत्तरी ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण चीन, लाल सागर और अफ्रीका के पूर्वी तट के तटवर्ती जल में निवास करती हैं।
- आईयूसीएन स्थिति: संकट-निकट (Near Threatened) (स्रोत: विकी)।
हिंद महासागर हंपबैक डॉल्फ़िन के बारे में:
- हिंद महासागर हंपबैक डॉल्फिन (Indian Ocean Humpback dolphins) हिंद महासागर में, दक्षिण अफ्रीका से भारत के मध्य, पाई जाती हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) स्थिति: संकटग्रस्त (Endangered)। (स्रोत: विकी)
- भारत में, डॉल्फिन, भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनयम 1972 की अनुसूची 1 के अंतर्गत ‘संकटग्रस्त ह्वेल प्रजाति’ के रूप में संरक्षित है।
- भारतीय हंपबैक डॉल्फ़िन, वन्यजीवों और वनस्पतियों की लुप्तप्राय प्रजातियों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार अभिसमय (Convention on International Trade in Endangered Species- CITES) की परिशिष्ट I में सूचीबद्ध है।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत में पाए जाने वाली विभिन्न डॉल्फ़िनों के आवास और IUCN स्थिति के बारे में।
- डॉल्फ़िनों का वैश्विक वितरण
- चिल्का झील
- CITES के बारे में
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
डूम्स-डे ग्लेशियर
(Doomsday Glacier)
- अंटार्कटिका में स्थित, इस ग्लेशियर को ‘थ्वायटेस’ (Thwaites) ग्लेशियर भी कहा जाता है।
- इस ग्लेशियर का पिघलना काफी लंबे समय से चिंता का कारण बना हुआ है, क्योंकि इसके द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक रूप से समुद्र स्तर में होने वाली वृद्धि और तेज हो सकती है।
- थ्वायटेस ग्लेशियर की अधिकतम चौड़ाई 120 किमी चौड़ा है। अपने विशाल क्षेत्रफल (9 लाख वर्ग किमी) के कारण, इस ग्लेशियर के पिघलने से वैश्विक जल स्तर में आधा मीटर से अधिक की वृद्धि हो सकती है।
उन्नत पुरावशेष प्रबंधन प्रणाली (AAMS)
(Advanced Antiquities Management System)
- हाल ही में गोवा सरकार द्वारा शुरू की गई है।
- यह प्राचीन वस्तुओं के भंडारण हेतु देश में इस प्रकार की पहली प्रणाली है।
- AAMS, विभिन्न वस्तुओं के भंडारण हेतु एक सॉफ्टवेयर-चालित स्वचालित स्टोरेज है।
- वर्तमान में, इस प्रणाली के द्वारा 83 पुरावशेषों को सूचीबद्ध किया गया है, और इसका उद्देश्य सॉफ्टवेयर से जुड़ी प्राचीन वस्तुओं के बारे में त्वरित जानकारी प्रदान करना, भंडार स्थान की बचत करना और ऐतिहासिक महत्व की वस्तुओं का बेहतर संरक्षण सुनिश्चित करना है।
ब्रुसेलोसिस
(Brucellosis)
- ब्रुसेलोसिस, ‘ब्रुसेला’ वर्ग के बैक्टीरिया द्वारा होने वाला एक जूनोटिक संक्रमण है।
- यह जीवाणु संक्रमण पशुओं से मनुष्यों में फैल सकता है। यह संक्रमण, आमतौर पर कच्चे या अधपके डेयरी उत्पादों के सेवन से फैलता है।
उमंगोत नदी
(Umngot)
- यह मेघालय में बहने वाली एक नदी है।
- इसे भारत की सबसे निर्मल / स्वच्छ नदी माना जाता है।
- यह नदी, बांग्लादेश की सीमा से लगे ‘डॉकी’ (Dawki) में कई पर्यटकों को आकर्षित करती है।
- यह नदी, री पनार (Ri Pnar) (जयंतिया पहाड़ियों में निवास करने वाली जनजाति) तथा हेमा खिरिम (Hima Khyrim), (खासी पहाड़ियों में निवास करने वाली जनजाति) के बीच प्राकृतिक सीमा बनाती है।
चर्चा का कारण:
मेघालय में उमंगोत नदी पर बनाई जा रही 210 मेगावाट की जल-विद्युत् परियोजना का कम से कम 12 गांवों द्वारा कड़ा प्रतिरोध किया जा रहा है।
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