HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और निवल घरेलू उत्पाद (NDP) के बीच उत्तरोत्तर अंतर कम होगा
Correct
उत्तर: b)
किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद में से उस देश के पूँजी वस्तुओं पर मूल्यह्रास (डिप्रेसिएशन) को घटाने पर निवल देशीय उत्पाद (net domestic product: NDP) प्राप्त होता है। मूल्यह्रास परिसंपत्तियों और सेवाओं के उत्पादन के दौरान होता है। अत: NDP = GDP – मूल्यह्रास।
मूल्यह्रास पूंजी के वियर एंड टियर के कारण या खराब तकनीकी विकास के कारण होता है जो मूल्यह्रास को कम करने में विफल रहते हैं।
जितना मूल्यह्रास कम होगा, उतना ही GDP और NDP के बीच अंतर कम होगा।
Incorrect
उत्तर: b)
किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद में से उस देश के पूँजी वस्तुओं पर मूल्यह्रास (डिप्रेसिएशन) को घटाने पर निवल देशीय उत्पाद (net domestic product: NDP) प्राप्त होता है। मूल्यह्रास परिसंपत्तियों और सेवाओं के उत्पादन के दौरान होता है। अत: NDP = GDP – मूल्यह्रास।
मूल्यह्रास पूंजी के वियर एंड टियर के कारण या खराब तकनीकी विकास के कारण होता है जो मूल्यह्रास को कम करने में विफल रहते हैं।
जितना मूल्यह्रास कम होगा, उतना ही GDP और NDP के बीच अंतर कम होगा।
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Question 2 of 5
2. Question
सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की गणना के दौरान मध्यस्थ वस्तुओं के बाजार मूल्य को घटाया जाता है क्योंकि –
- वस्तुओं की दोहरी गणना से बचने हेतु
- पूँजी भंडार में मूल्यह्रास के मूल्य को शामिल करने हेतु
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
मध्यवर्ती वस्तु एक उत्पाद है जिसका उपयोग अंतिम वस्तु या तैयार उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। इन वस्तुओं को उद्योगों को पुनर्विक्रय या अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए बेचा जाता है।
चूंकि GDP (सकल घरेलू उत्पाद) अंतिम वस्तुओं के बाजार मूल्य का एक मापक है, इसलिए इसकी गणना में मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग करने से वस्तुओं की दो बार गणना हो जाती है और इस तरह संबंधित आंकड़े गलत हो सकते हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
मध्यवर्ती वस्तु एक उत्पाद है जिसका उपयोग अंतिम वस्तु या तैयार उत्पाद बनाने के लिए किया जाता है। इन वस्तुओं को उद्योगों को पुनर्विक्रय या अन्य वस्तुओं के उत्पादन के लिए बेचा जाता है।
चूंकि GDP (सकल घरेलू उत्पाद) अंतिम वस्तुओं के बाजार मूल्य का एक मापक है, इसलिए इसकी गणना में मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग करने से वस्तुओं की दो बार गणना हो जाती है और इस तरह संबंधित आंकड़े गलत हो सकते हैं।
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Question 3 of 5
3. Question
व्यावसायिक फर्मों के “रेंट सीकिंग एक्टिविटीज (Rent Seeking activities)” में अक्सर शामिल होती हैं
Correct
उत्तर: b)
सरकार से नियमों को परिवर्तन करवाने की कोशिश करना ताकि वास्तविक वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन पर समय और पैसा खर्च करने के बजाय किसी व्यक्ति के व्यवसाय को अधिक लाभदायक बनाया जा सके, जिसे रेंट सीकिंग कहा जाता है।
इसके द्वारा ग्राहकों के लिए अधिक उत्पादन किये बिना ही अधिक पैसा बनाने की कोशिश की जाती है।
रेंट सीकिंग और क्रोनी कैपिटलिज्म परस्पर अत्यधिक संबंधित हैं। ये अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धा को समाप्त करते हैं, जो धन के संचयन और असमानता को बढ़ावा देते हैं।
Incorrect
उत्तर: b)
सरकार से नियमों को परिवर्तन करवाने की कोशिश करना ताकि वास्तविक वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन पर समय और पैसा खर्च करने के बजाय किसी व्यक्ति के व्यवसाय को अधिक लाभदायक बनाया जा सके, जिसे रेंट सीकिंग कहा जाता है।
इसके द्वारा ग्राहकों के लिए अधिक उत्पादन किये बिना ही अधिक पैसा बनाने की कोशिश की जाती है।
रेंट सीकिंग और क्रोनी कैपिटलिज्म परस्पर अत्यधिक संबंधित हैं। ये अर्थव्यवस्था की प्रतिस्पर्धा को समाप्त करते हैं, जो धन के संचयन और असमानता को बढ़ावा देते हैं।
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Question 4 of 5
4. Question
‘कैश मैनेजमेंट बिल‘ के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ये दीर्घकालिक बिल हैं
- इन्हें सरकार की ओर से RBI द्वारा जारी किए जाते हैं।
- इन्हें बैंकों द्वारा SLR प्रतिभूतियों के रूप में रखा जा सकता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
कैश मैनेजमेंट बिल (CMBs) को अपनी तत्काल नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अल्पकालिक बिल हैं।
सरकार की ओर से बिल RBI द्वारा जारी किए जाते हैं। इसलिए CMBs अल्पकालिक मुद्रा बाजार साधन होते हैं जो सरकार को अपने अस्थायी नकदी प्रवाह को पूरा करने में मदद करते हैं।
इन्हें बैंकों द्वारा SLR प्रतिभूतियों के रूप में रखा जा सकता है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 के तहत SLR प्रयोजन के लिए बैंकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में पात्र निवेश के रूप में CMBs में निवेश को भी मान्यता दी गई है।
Incorrect
उत्तर: b)
कैश मैनेजमेंट बिल (CMBs) को अपनी तत्काल नकदी जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा जारी अल्पकालिक बिल हैं।
सरकार की ओर से बिल RBI द्वारा जारी किए जाते हैं। इसलिए CMBs अल्पकालिक मुद्रा बाजार साधन होते हैं जो सरकार को अपने अस्थायी नकदी प्रवाह को पूरा करने में मदद करते हैं।
इन्हें बैंकों द्वारा SLR प्रतिभूतियों के रूप में रखा जा सकता है। बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 के तहत SLR प्रयोजन के लिए बैंकों द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों में पात्र निवेश के रूप में CMBs में निवेश को भी मान्यता दी गई है।
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Question 5 of 5
5. Question
पूंजी बाजार के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- पूंजी बाजार वित्तीय साधनों और कमोडिटीज़ से संबंधित है जो दीर्घकालिक प्रतिभूतियां होती हैं।
- द्वितीयक बाजार विशेष रूप से नई प्रतिभूतियों के निर्गत से संबंधित होता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
पूंजी बाजार वित्तीय साधनों और कमोडिटीज़ से संबंधित है जो दीर्घकालिक प्रतिभूतियां (कम से कम एक वर्ष से अधिक की परिपक्वता) होती हैं।
पूंजी बाजार का सबसे महत्वपूर्ण प्रकार प्राथमिक बाजार है। इसे न्यू इश्यू मार्केट कहा जाता है। यह विशेष रूप से नई प्रतिभूतियों, यानी प्रतिभूतियों के निर्गत से संबंधित है जिन्हें पहली बार निवेशकों को जारी की जाती हैं।
प्राथमिक बाजार के बाद द्वितीयक पूंजी बाजार होता है। इसे सामान्यतः स्टॉक मार्केट या स्टॉक एक्सचेंज के रूप में जाना जाता है। यहां प्रतिभूतियों (शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड, बिल आदि) को निवेशकों द्वारा खरीदा और बेचा जाता है।
प्राथमिक और द्वितीयक बाजार के बीच अंतर का मुख्य बिंदु यह है कि प्राथमिक बाजार में केवल नई प्रतिभूतियां जारी की गई थीं, जबकि द्वितीयक बाजार में व्यापार पहले से मौजूद प्रतिभूतियों में किया जाता है। द्वितीयक बाजार में कोई न्यू इश्यू नहीं होता है।
Incorrect
उत्तर: a)
पूंजी बाजार वित्तीय साधनों और कमोडिटीज़ से संबंधित है जो दीर्घकालिक प्रतिभूतियां (कम से कम एक वर्ष से अधिक की परिपक्वता) होती हैं।
पूंजी बाजार का सबसे महत्वपूर्ण प्रकार प्राथमिक बाजार है। इसे न्यू इश्यू मार्केट कहा जाता है। यह विशेष रूप से नई प्रतिभूतियों, यानी प्रतिभूतियों के निर्गत से संबंधित है जिन्हें पहली बार निवेशकों को जारी की जाती हैं।
प्राथमिक बाजार के बाद द्वितीयक पूंजी बाजार होता है। इसे सामान्यतः स्टॉक मार्केट या स्टॉक एक्सचेंज के रूप में जाना जाता है। यहां प्रतिभूतियों (शेयर, डिबेंचर, बॉन्ड, बिल आदि) को निवेशकों द्वारा खरीदा और बेचा जाता है।
प्राथमिक और द्वितीयक बाजार के बीच अंतर का मुख्य बिंदु यह है कि प्राथमिक बाजार में केवल नई प्रतिभूतियां जारी की गई थीं, जबकि द्वितीयक बाजार में व्यापार पहले से मौजूद प्रतिभूतियों में किया जाता है। द्वितीयक बाजार में कोई न्यू इश्यू नहीं होता है।
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