HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- RBI मुख्य रूप से अपनी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति का निर्माण करते समय खुदरा मुद्रास्फीति का उपयोग करता है।
- व्यापक घरेलू और वैश्विक आर्थिक सुधार से मुद्रास्फीति में वृद्धि हो सकती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
RBI मुख्य रूप से अपनी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति का निर्माण करते समय खुदरा मुद्रास्फीति का उपयोग करता है।
व्यापक रूप से घरेलू और वैश्विक आर्थिक सुधार से सकल मांग में सुधार होता है, जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है। दूसरी ओर, अनुकूल आधार प्रभाव, रुपये के मजबूत होने और कोविड की दूसरी या तीसरी लहर के जोखिम के कारण मंदी का सामना करना पड़ सकता है, सीपीआई मुद्रास्फीति का कारण बन सकता है।
Incorrect
उत्तर: c)
RBI मुख्य रूप से अपनी द्वि-मासिक मौद्रिक नीति का निर्माण करते समय खुदरा मुद्रास्फीति का उपयोग करता है।
व्यापक रूप से घरेलू और वैश्विक आर्थिक सुधार से सकल मांग में सुधार होता है, जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है। दूसरी ओर, अनुकूल आधार प्रभाव, रुपये के मजबूत होने और कोविड की दूसरी या तीसरी लहर के जोखिम के कारण मंदी का सामना करना पड़ सकता है, सीपीआई मुद्रास्फीति का कारण बन सकता है।
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Question 2 of 5
2. Question
जीडीपी अपस्फीतिकारक (GDP deflator) के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- जीडीपी अपस्फीतिकारक मूल रूप से मुद्रास्फीति का मापक है।
- यह इसे प्रदर्शित करने में मदद करता है कि उत्पादन में वृद्धि के बजाय सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि किस हद तक अधिक हुई है।
- यह केवल उन वस्तुओं और सेवाओं को शामिल करता है जिनका प्रत्यक्षत परिवारों द्वारा उपभोग किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
जीडीपी अपस्फीतिकारक (GDP deflator), जिसे निहित मूल्य अपस्फीतिकारक भी कहा जाता है, मुद्रास्फीति का मापक है। यह किसी अर्थव्यवस्था द्वारा किसी विशेष वर्ष में प्रचलित कीमतों पर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं तथा आधार वर्ष के दौरान प्रचलित उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों का अनुपात होता है।
यह अनुपात यह इसे प्रदर्शित करने में मदद करता है कि उत्पादन में वृद्धि के बजाय सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि किस हद तक अधिक हुई है।
चूंकि अपस्फीतिकारक अर्थव्यवस्था में थोक या उपभोक्ता मूल्य सूचकांकों के लिए सीमित कमोडिटी बास्केट के विपरीत उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की पूरी श्रृंखला को कवर करता है। अत: इसे मुद्रास्फीति के अधिक व्यापक मापक के रूप में माना जाता है।
उपभोग के पैटर्न में बदलाव या वस्तुएं और सेवाएँ स्वत जीडीपी अपस्फीतिकारक में परिलक्षित होती है। अत: यह जीडीपी अपस्फीतिक को अर्थव्यवस्था की खपत या निवेश पैटर्न में बदलाव को संतुलित करने में मदद करता है। प्राय:, जीडीपी अपस्फीतिकारक का रुझान CPI के समान होगा।
Incorrect
उत्तर: b)
जीडीपी अपस्फीतिकारक (GDP deflator), जिसे निहित मूल्य अपस्फीतिकारक भी कहा जाता है, मुद्रास्फीति का मापक है। यह किसी अर्थव्यवस्था द्वारा किसी विशेष वर्ष में प्रचलित कीमतों पर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं तथा आधार वर्ष के दौरान प्रचलित उन्हीं वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों का अनुपात होता है।
यह अनुपात यह इसे प्रदर्शित करने में मदद करता है कि उत्पादन में वृद्धि के बजाय सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि किस हद तक अधिक हुई है।
चूंकि अपस्फीतिकारक अर्थव्यवस्था में थोक या उपभोक्ता मूल्य सूचकांकों के लिए सीमित कमोडिटी बास्केट के विपरीत उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की पूरी श्रृंखला को कवर करता है। अत: इसे मुद्रास्फीति के अधिक व्यापक मापक के रूप में माना जाता है।
उपभोग के पैटर्न में बदलाव या वस्तुएं और सेवाएँ स्वत जीडीपी अपस्फीतिकारक में परिलक्षित होती है। अत: यह जीडीपी अपस्फीतिक को अर्थव्यवस्था की खपत या निवेश पैटर्न में बदलाव को संतुलित करने में मदद करता है। प्राय:, जीडीपी अपस्फीतिकारक का रुझान CPI के समान होगा।
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Question 3 of 5
3. Question
मुद्रास्फीति का निम्नलिखित में से क्या परिणाम हो सकता/सकते है/हैं
- अधिक से अधिक लोग कार्यरत होने पर भी अर्थव्यवस्था की कुल उत्पादक क्षमता में कमी।
- अर्थव्यवस्था में वस्तुओं की अत्यधिक आपूर्ति।
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: a)
- मुद्रास्फीति का आशय मूल रूप से अत्यधिक पैसे में अल्प वस्तुओं की प्राप्ति, या अत्यधिक मांग की स्थिति में भी आपूर्ति के निम्न बने रहने से है।
- यदि आय में तेजी से वृद्धि होती है, तो वस्तुओं और सेवाओं की मांग में भी वृद्धि होगी। दूसरी ओर, यदि अर्थव्यवस्था बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ है, जैसे कि खराब अवसंरचना, उत्पादन में कमी आदि के कारण, तो उच्च आय के कारण कीमतों में वृद्धि होगी और इसके परिणामस्वरूप उच्च मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न होगी।
- अत्यधिक आपूर्ति की स्थिति में कीमतों में कमी होने की संभावना होती है (न की बढ़ने की)।
Incorrect
उत्तर: a)
- मुद्रास्फीति का आशय मूल रूप से अत्यधिक पैसे में अल्प वस्तुओं की प्राप्ति, या अत्यधिक मांग की स्थिति में भी आपूर्ति के निम्न बने रहने से है।
- यदि आय में तेजी से वृद्धि होती है, तो वस्तुओं और सेवाओं की मांग में भी वृद्धि होगी। दूसरी ओर, यदि अर्थव्यवस्था बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ है, जैसे कि खराब अवसंरचना, उत्पादन में कमी आदि के कारण, तो उच्च आय के कारण कीमतों में वृद्धि होगी और इसके परिणामस्वरूप उच्च मुद्रास्फीति की स्थिति उत्पन्न होगी।
- अत्यधिक आपूर्ति की स्थिति में कीमतों में कमी होने की संभावना होती है (न की बढ़ने की)।
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Question 4 of 5
4. Question
उच्च प्रच्छन्न बेरोजगारी (Disguised unemployment) का आवश्यक परिणाम होगा
- बेरोजगारी का उच्च स्तर
- प्राथमिक क्षेत्र में कम संख्या में लोगों का संलग्न होना
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
प्रच्छन्न बेरोजगारी वहां मौजूद होती है जहां श्रम शक्ति का हिस्सा या तो कार्य विहीन होता है या अनावश्यक तरीके से काम में संलग्न होता है तथा श्रमिक उत्पादकता अनिवार्य रूप से शून्य होती है। यह ऐसी बेरोजगारी की स्थिति है जो कुल उत्पादन को प्रभावित नहीं करती है।
प्रच्छन्न बेरोजगारी आमतौर पर तब होती है जब उच्च और निरर्थक रोजगार मौजूद होता है। जब उच्च बेरोजगारी होती है, तो इसका अर्थ है कि फर्मों द्वारा अपनी पूरी क्षमता से श्रम का उपयोग किये जाने की संभावना होती है, या नौकरियों की कमी या लोगों के कौशल और उपलब्ध नौकरियों के बीच अंतराल की स्थिति होती है। इनमें से कोई भी आवश्यक रूप से प्रच्छन्न बेरोजगारी का संकेत नहीं है।
उदा. भारतीय कृषि में जरूरत से ज्यादा लोग संलग्न हैं। इसलिए, यदि कुछ लोगों को बाहर हटा भी दिया जाता है, तो भी उत्पादन प्रभावित नहीं होता है। लेकिन, S2 के अनुसार, अगर कृषि जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में बहुत कम लोग काम कर रहे हैं, तो उच्च प्रच्छन्न बेरोजगारी होने की संभावना कम होती है।
प्रत्येक व्यक्ति कुछ काम कर रहा है लेकिन कोई भी पूरी तरह से कार्यरत नहीं है।
इस तरह की बेरोजगारी उस व्यक्ति के विपरीत छिपी हुई होती है जिसके पास नौकरी नहीं है और बेरोजगार के रूप में स्पष्ट दिखाई देता है। इसलिए, इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी भी कहा जाता है।
Incorrect
उत्तर: c)
प्रच्छन्न बेरोजगारी वहां मौजूद होती है जहां श्रम शक्ति का हिस्सा या तो कार्य विहीन होता है या अनावश्यक तरीके से काम में संलग्न होता है तथा श्रमिक उत्पादकता अनिवार्य रूप से शून्य होती है। यह ऐसी बेरोजगारी की स्थिति है जो कुल उत्पादन को प्रभावित नहीं करती है।
प्रच्छन्न बेरोजगारी आमतौर पर तब होती है जब उच्च और निरर्थक रोजगार मौजूद होता है। जब उच्च बेरोजगारी होती है, तो इसका अर्थ है कि फर्मों द्वारा अपनी पूरी क्षमता से श्रम का उपयोग किये जाने की संभावना होती है, या नौकरियों की कमी या लोगों के कौशल और उपलब्ध नौकरियों के बीच अंतराल की स्थिति होती है। इनमें से कोई भी आवश्यक रूप से प्रच्छन्न बेरोजगारी का संकेत नहीं है।
उदा. भारतीय कृषि में जरूरत से ज्यादा लोग संलग्न हैं। इसलिए, यदि कुछ लोगों को बाहर हटा भी दिया जाता है, तो भी उत्पादन प्रभावित नहीं होता है। लेकिन, S2 के अनुसार, अगर कृषि जैसे प्राथमिक क्षेत्रों में बहुत कम लोग काम कर रहे हैं, तो उच्च प्रच्छन्न बेरोजगारी होने की संभावना कम होती है।
प्रत्येक व्यक्ति कुछ काम कर रहा है लेकिन कोई भी पूरी तरह से कार्यरत नहीं है।
इस तरह की बेरोजगारी उस व्यक्ति के विपरीत छिपी हुई होती है जिसके पास नौकरी नहीं है और बेरोजगार के रूप में स्पष्ट दिखाई देता है। इसलिए, इसे प्रच्छन्न बेरोजगारी भी कहा जाता है।
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Question 5 of 5
5. Question
मान लीजिए कि एक छोटी कैंटीन के मालिक को वास्तव में अपने व्यवसाय को करने के लिए केवल दो श्रमिकों की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि उसका पांच सदस्यों का पूरा परिवार व्यवसाय कर रहा है, तो इस स्थिति को किस रूप में जाना जाता है।
Correct
उत्तर: a)
प्रच्छन्न बेरोजगारी एक तरह की बेरोजगारी है जिसमें ऐसे लोग हैं जो कार्यरत तो होते हैं लेकिन वास्तव में बेरोजगार होते हैं। इस स्थिति को छिपी हुई बेरोजगारी के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी स्थिति में आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य में संलग्न होते हैं।
Incorrect
उत्तर: a)
प्रच्छन्न बेरोजगारी एक तरह की बेरोजगारी है जिसमें ऐसे लोग हैं जो कार्यरत तो होते हैं लेकिन वास्तव में बेरोजगार होते हैं। इस स्थिति को छिपी हुई बेरोजगारी के रूप में भी जाना जाता है। ऐसी स्थिति में आवश्यकता से अधिक लोग किसी कार्य में संलग्न होते हैं।