INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 05 March 2021

 

विषयसूची

 सामान्य अध्ययन-I

1. जीवनयापन सुगमता सूचकांक (EoLI)

2. नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक, 2020

 

सामान्य अध्ययन-II

1. विषय आधारित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021

2. अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा

 

सामान्य अध्ययन-III

1. हरियाणा का आरक्षण कानून

2. भारतीय विशेष बल (एसएफ)

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य:

1. हज़ारा जातीय समूह

2. सेरावीक पुरस्कार

3. ‘बाओ-धान’ (Bao-dhaan)

 


सामान्य अध्ययन- I


 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

जीवनयापन सुगमता सूचकांक (EoLI)


(Ease of Living Index)

संदर्भ:

हाल ही में, आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जीवनयापन सुगमता सूचकांक / ईज ऑफ लिविंग इंडेक्स (EoLI)– 2020 की अंतिम रैंकिंग सूची जारी की गयी है।

यह क्या है?

जीवनयापन सुगमता सूचकांक (EoLI), एक मूल्यांकन उपकरण है जो जीवन की गुणवत्ता और शहरी विकास के लिए की जा रही विभिन्न पहलों के प्रभाव का आकलन करता है।

यह जीवन की गुणवत्ता, शहर की आर्थिक क्षमता, स्थिरता और लचीलापन के आधार पर देश भर के प्रतिभागी शहरों की व्यापक समझ उपलब्ध कराता है।

शहरों की रैंकिंग किस प्रकार की जाती है?

सूचकांक में शहरों को दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है:

  1. मिलियन + आबादी वाले शहर, अर्थात जिन शहरों की आबादी 10 लाख से अधिक है ।
  2. 10 लाख से कम आबादी वाले शहर: इस श्रेणी में एक मिलियन से कम आबादी वाले शहरों के साथ-साथ स्मार्ट सिटी कार्यक्रम के तहत आने वाले सभी शहरों को शामिल किया गया है ।

 जीवनयापन सुगमता सूचकांक2020 रैंकिंग:

‘मिलियन प्लस’ /10 लाख से अधिक आबादी वाली श्रेणी:

  • बेंगलुरु सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले शहर के रूप में उभरा है।
  • इसके बाद पुणे, अहमदाबाद, चेन्नई, सूरत, नवी मुंबई, कोयंबटूर, वडोदरा, इंदौर और ग्रेटर मुंबई का स्थान रहा।

10 लाख से कम आबादी वाली श्रेणी:

  • शिमला, ‘जीवनयापन सुगमता’ में सर्वोच्च स्थान पर रहा।
  • इसके बाद भुवनेश्वर, सिलवासा, काकीनाडा, सलेम, वेल्लोर, गांधीनगर, गुरुग्राम, दावणगेरे, और तिरुचिरापल्ली रहे।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. जीवनयापन सुगमता सूचकांक (EoLI) के बारे में।
  2. रैंकिंग पद्धति
  3. शीर्ष प्रदर्शनकर्ता

मेंस लिंक:

हाल ही में, शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए ‘जीवनयापन सुगमता सूचकांक’ (EoLI) के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।

नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक, 2020


(Municipal Performance Index)

संदर्भ:

केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा ‘नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक’ (Municipal Performance IndexMPI)– 2020 जारी किया गया है।

  • ‘नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक’ (MPI), सेवाओं, वित्त, नीति, प्रौद्योगिकी और शासन के सभी क्षेत्रों में नगरपालिकाओं में स्थानीय शासन प्रणाली की जांच करता है।
  • यह स्थानीय शासन प्रणाली में जटिलताओं का सरलीकरण और मूल्यांकन करने के साथ-साथ पारदर्शिता और जवाबदेही के लोकाचार को भी बढ़ावा देता है।

नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक’ (MPI) 2020:

MPI द्वारा 111 नगरपालिकाओं (दिल्ली के NDMC और 3 नगर निगमों के लिए अलग से मूल्यांकन किया गया) की पाँच स्तंभों में क्षेत्रवार किए गए प्रदर्शन की जांच की गई। इन पांच स्तंभों में कुल मिलाकर 20 क्षेत्र और 100 संकेतक शामिल हैं।

MPI के अंतर्गत पाँच स्तंभ- सेवाएँ, वित्त, नीति, प्रौद्योगिकी और प्रशासन, हैं।

शहरों की रैंकिंग:

नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक’ (MPI) 2020 के तहत मूल्यांकन ढांचे में जनसंख्या के आधार पर नगरपालिकाओं को दस लाख से अधिक जनसंख्या वाली नगरपालिका और दस लाख से कम आबादी वाले नगरपालिकाओं में श्रेणीबद्ध किया गया है।

  1. ‘मिलियन प्लस’ / दस लाख से अधिक आबादी वाली श्रेणी: इंदौर सबसे अधिक रैंक वाली नगरपालिका के रूप में उभरा है, इसके बाद सूरत और भोपाल का स्थान रहा है।
  2. दस लाख से कम आबादी वाली श्रेणी: नई दिल्ली नगरपालिका परिषद शीर्ष स्थान पर रही, इसके बाद तिरुपति और गांधीनगर का स्थान रहा।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक’ (MPI) के बारे में।
  2. रैंकिंग पद्धति
  3. शीर्ष प्रदर्शनकर्ता

मेंस लिंक:

हाल ही में, शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा जारी किये गए ‘नगरपालिका कार्य निष्पादन सूचकांक’ (MPI) 2020 के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

विषय आधारित क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021


(QS World University Rankings by Subject)

संदर्भ:

विषय आधारित क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग 2021 में 12 भारतीय संस्थानों ने शीर्ष 100 में स्थान हासिल किया है।

विश्व के शीर्ष 100  संस्थानों में जगह बनाने वाले 12 भारतीय संस्थान – आईआईटी मुंबई, आईआईटी दिल्ली, आईआईटी मद्रास, आईआईटी खड़गपुर, आईआईएससी बेंगलुरु, आईआईटी गुवाहाटी, आईआईएम बेंगलुरु, आईआईएम अहमदाबाद, जेएनयू, अन्ना विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय और ओ. पी. जिन्दल विश्वविद्यालय हैं।

इनमें से:

  1. आईआईटी मद्रास को पेट्रोलियम इंजीनियरिंग विषय के लिए विश्व में 30 वाँ स्थान दिया गया है,
  2. खनिज और खनन इंजीनियरिंग विषय के लिए आईआईटी बॉम्बे को 41 वाँ स्थान और आईआईटी खड़गपुर को 44 वाँ स्थान दिया गया है,
  3. विकास अध्ययन के क्षेत्र में दिल्ली विश्वविद्यालय को 50 वां स्थान दिया गया है।

विषय आधारित QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग के बारे में:

  • विषय आधारित QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, भावी छात्रों को एक विशेष विषय में अग्रणी विश्वविद्यालयों की पहचान करने में सहायता करने के लिए वार्षिक रूप से तैयार की जाती है।
  • विश्वविद्यालयों की रैंकिंग करने हेतु नियोक्ताओं और शिक्षाविदों के प्रमुख वैश्विक सर्वेक्षणों के परिणामों के साथ-साथ शोध उद्धरणों को भी शामिल किया जाता है।

विषय आधारित QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2021 में, कुल 51 शिक्षण विषयों को शामिल किया गया है, जिन्हें पाँच व्यापक विषय-क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है।

  1. कला और मानविकी।
  2. इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी।
  3. जीवन विज्ञान और चिकित्सा।
  4. प्राकृतिक विज्ञान।
  5. सामाजिक विज्ञान और प्रबंधन।

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग क्या है?

QS वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, एक ब्रिटिश संस्था ‘क्वैकेरेली साइमंड्स’ (Quacquarelli Symonds- QS) का एक वार्षिक प्रकाशन है। ‘क्वैकेरेली साइमंड्स’ (QS), विश्व में उच्च शिक्षा संस्थानों के विश्लेषण में विशेषज्ञता प्राप्त संस्था है।

  • वर्ष 2010 से पूर्व इसे, टाइम्स हायर एजुकेशन – क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग (Times Higher Education – QS world University rankings) के नाम से भी जाना जाता था। वर्ष 2010 इसका नाम परिवर्तित कर दिया गया था।
  • यह अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग विशेषज्ञ समूह (International Ranking Expert Group -IREG) द्वारा मान्यता प्राप्त एकमात्र अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. संस्थानों की रंकिग हेतु प्रयुक्त संकेतकों का नाम बताइए।
  2. भारतीय संस्थानों का प्रदर्शन।
  3. इंस्टीट्यूट ऑफ एमिनेंस योजना का आरम्भ कब हुआ था?
  4. विश्व के शीर्ष 10 संस्थान।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तरदक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC)


(International North South Transport Corridor)

संदर्भ:

हाल ही में आयोजित तीन-दिवसीय ‘मैरीटाइम इंडिया’ (Maritime India) शिखर सम्मेलन में भारत ने  ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे’ (International North South Transport Corridor– INSTC) के संबंध में निम्नलिखित मांगे की हैं:

  1. 13-राष्ट्रों की भागीदारी वाले ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे’ में ‘चाबहार बंदरगाह’ को शामिल किया जाए।
  2. INSTC परियोजना में अफगानिस्तान और उज्बेकिस्तान को शामिल करके इसकी सदस्यता में विस्तार किया जाए।

आवश्यकता और महत्व:

अफगानिस्तान से होकर गुजरने वाले ‘एक पूर्वी गलियारे’ की स्थापना किये जाने से अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) की क्षमता में वृद्धि होगी।

अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (INSTC) के बारे में:

अंतर्राष्‍ट्रीय उत्‍तर-दक्षिण परिवहन गलियारा- INSTC, माल ढुलाई के लिए जहाज, रेल और सड़क मार्ग का 7,200 किलोमीटर लंबा बहु-विधिक (मल्टी-मोड) नेटवर्क है।

सम्मिलित क्षेत्र: भारत, ईरान, अफगानिस्तान, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप।

वर्ष 2014 में, इसके दो मार्गों का पूर्व परीक्षण किया गया था:

  1. पहला, मुंबई से ‘बंदर अब्बास’ होते हुए अजरबैजान के बाकू तक।
  2. दूसरा, मुंबई से ‘बंदर अब्बास’ के रास्ते अस्त्राखान, तेहरान और बन्दर-ए-अंज़ालि तक।

इस गलियारे का महत्व:

  1. ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (INSTC) की परिकल्पना, चीन की ‘बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव’ (BRI) से काफी पहले की गयी थी। INSTC के माध्यम से, भारत से ईरान के रास्ते रूस और यूरोप के लिए भेजे जाने वाले माल की परिवहन लागत और समय की बचत होगी और साथ ही में, यूरेशियन देशों के साथ संपर्कों के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध होगा।
  2. यह मध्य एशिया और फारस की खाड़ी तक माल-परिवहन हेतु एक अंतरराष्ट्रीय परिवहन और पारगमन गलियारा बनाने के लिए, भारत, ओमान, ईरान, तुर्कमेनिस्तान, उजबेकिस्तान और कजाकिस्तान द्वारा हस्ताक्षरित एक बहुउद्देशीय परिवहन समझौते, जिसे ‘अश्गाबात समझौता’ कहा जाता है, के साथ भी तालमेल स्थापित करेगा।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ (INSTC) के बारे में
  2. भागीदार देश
  3. ‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ पर महत्वपूर्ण शहर
  4. INSTC से संबंधित प्रमुख बंदरगाह

मेंस लिंक:

‘अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा’ के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।

हरियाणा का आरक्षण कानून


(Haryana’s quota law)

संदर्भ:

हाल ही में, हरियाणा सरकार द्वारा एक नया कानून अधिसूचित किया गया है, जिसके तहत राज्य में निजी क्षेत्र की 75% नौकरियों को स्थानीय उम्मीदवारों के लिए आरक्षित करने का प्रावधान किया गया है।

जुलाई 2019 में, आंध्र प्रदेश सरकार ने इसी तरह का एक कानून पारित किया था, जिसे अदालत में चुनौती दी गई थी।

‘हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार विधेयक’, 2020 के प्रमुख बिंदु:

  1. इस विधेयक में निजी कंपनियों में 50,000 रुपए या उससे कम कुल मासिक वेतन या मजदूरी और समय-समय पर सरकार द्वारा अधिसूचित वेतन वाली 75% नौकरियों के लिए हरियाणा का अधिवासी होना आवश्यक किया गया है।
  2. यह कानून, सरकार द्वारा अधिसूचित, सभी कंपनियों, सोसाइटी, ट्रस्ट, सीमित देयता भागीदारी फर्म, साझेदारी वाली फर्म और 10 या अधिक व्यक्तियों को नियोजित करने वाला कोई व्यक्ति अथवा इकाईयों पर लागू होगा।

इस प्रकार के विधानों से संबंधित कानूनी विवाद:

  1. नौकरियों में अधिवास के आधार पर आरक्षण का सवाल: हालांकि, शिक्षा में अधिवास के आधार पर आरक्षण काफी सामान्य है, लेकिन, अदालतों द्वारा इसे लोक रोजगार संबंधित मामलों में लागू करने के खिलाफ रही हैं। यह नागरिकों को प्राप्त ‘समानता के मौलिक अधिकार’ से संबंधित प्रश्न खड़े करता है।
  2. निजी क्षेत्र के लिए रोजगार में आरक्षण का पालन करने को विवश करने का मुद्दा: लोक रोजगार में आरक्षण लागू करने के लिए, राज्य को संविधान के अनुच्छेद 16 (4) से शक्ति प्राप्त होती है। लेकिन, संविधान में, निजी क्षेत्र के लिए रोजगार रोजगार में आरक्षण लागू करने हेतु राज्य की शक्तियों के संबंध में कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं किया गया है।
  3. यह क़ानून अनुच्छेद 19(1)(g) के मापदंडो पर न्यायिक परीक्षण का सामना करने में विफल हो सकता है।

इस प्रकार के कानून लागू करने के लिए सरकार का तर्क:

  • सभी नौकरियों में सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों का अनुपात काफी कम होता है। इसलिए, संविधान में सभी नागरिकों के लिए समानता प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया है, इस अधिदेश को पूरा करने हेतु विधिक सुरक्षा को निजी क्षेत्र तक विस्तारित करने के बारे में बात की जा रही है।
  • चूंकि निजी उद्योगों द्वारा कई तरीकों से सार्वजनिक अवसंरचनाओं, जैसे कि- सार्वजनिक बैंकों से ऋण प्राप्त करने हेतु सब्सिडी पर हासिल की गयी भूमि का उपयोग, कर छूट और कई मामलों में ईंधन आदि के लिए सब्सिडी आदि, का उपयोग किया जाता हैं। अतः, राज्य के पास निजी क्षेत्रों में आरक्षण लागू करने के लिए आवश्यक कानूनी अधिकार होता है।

अन्य देशों में रोजगार के संदर्भ में इस प्रकार की सकारात्मक कार्रवाई के उदाहरण:

कई देशों में नस्लीय और लैंगिक संदर्भ में सकारात्मक कार्रवाई अपनाई जाती है।

  1. उदाहरण के लिए, अमेरिका में, हालांकि नियोक्ताओं के लिए आरक्षण लागू करने के संदर्भ में कोई वैधानिक अनिवार्यता नहीं है, फिर भी, भेदभाव के शिकार लोगों के लिए, अदालत द्वारा इस तरह की उपयुक्त सकारात्मक कार्रवाई के साथ-साथ मौद्रिक हर्जाना तथा निषेधाज्ञा राहत का आदेश दिया जा सकता है।
  2. कनाडा में एंप्लॉयमेंट इक्विटी एक्ट के अंतर्गत अल्पसंख्यक समूहों, विशेष रूप से आदिवासियों को संघीय रूप से विनियमित उद्योगों, तथा निजी क्षेत्र में भी भेदभाव से सुरक्षा प्रदान की गयी है।

चिंताएँ और चुनौतियाँ:

  1. यह क़ानून, हरियाणा में औद्योगिक विकास और निजी निवेश हेतु चुनौतियां पेश करता है।
  2. यह कुछ फर्मों के लिए मौजूदा कार्यबल को हटाने हेतु एक सुरक्षात्मक ढाल भी प्रदान कर सकता है।
  3. सर्वोत्तम मानव संसाधनों की तलाश में निवेशक और व्यवसाय राज्य से बाहर जाना शुरू कर सकते हैं।
  4. यह क़ानून, संविधान की भावना के खिलाफ है, जिसमे भारत के नागरिकों को देश में कहीं भी काम करने की स्वतंत्रता प्रदान की गयी है।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।

भारतीय विशेष बल (SF)


(Indian Special Forces)

संदर्भ:

तुर्कमेनिस्तान स्पेशल फोर्सेज़ का भारतीय स्पेशल फोर्सेज़ के प्रशिक्षण स्कूल में कॉम्बैट फ्री फॉल प्रशिक्षण शुरू किया गया है।

पृष्ठभूमि:

भारतीय विशेष बलों (Indian Special Forces- SF) ने अपनी व्यावसायिकता, सामरिक विशेषज्ञता और बलिदान के कारण दुनिया के बेहतरीन स्पेशल फोर्सेज़ में से एक होने का अपार सम्मान और प्रतिष्ठा अर्जित की है।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, मध्य एशियाई क्षेत्र के देशों और मध्य पूर्व समेत मित्र राष्ट्रों के स्पेशल फोर्सेज़ ने युद्धक स्थितियों की कठोरता वाले भारतीय स्पेशल फोर्सेज़ (SF) सैनिकों से प्रशिक्षण पाने की अधिक से अधिक इच्छा जताते रहे हैं।
  • इसके जवाब में भारतीय सेना के विशेष बलों ने मित्र राष्ट्रों के अपने समकक्षों के साथ संबंध और तालमेल बढ़ाया है।

‘भारतीय विशेष बलों’ के बारे में:

भारत में कई ‘विशेष बल इकाइयाँ’ (Special Forces units) कार्यरत हैं।

  • आमतौर पर ये विशेष बल, भारतीय सशस्त्र सेना, भारतीय नौसेना और भारतीय वायु सेना की कमान के तहत कार्य करते हैं।
  • कुछ अन्य विशेष बल, सेना के स्थान पर, गृह मंत्रालय जैसे नागरिक संस्थानों के अधीन कार्य करते हैं।

भारत के प्रमुख विशेष बल (SF):

MARCOS (मरीन कमांडो): यह एक विशेष बल इकाई है जिसे 1987 में भारतीय नौसेना द्वारा प्रत्यक्ष कार्रवाई, विशेष टोही गतिविधियों, जल-स्थल युद्ध और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए गठित किया गया था।

पैरा कमांडो: 1966 में गठित, पैरा कमांडो भारतीय सेना के उच्च प्रशिक्षित पैराशूट रेजिमेंट का हिस्सा हैं और भारत के विशेष बलों का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। भारतीय सेना की पैराशूट यूनिट्स दुनिया की सबसे पुरानी हवाई यूनिट्स में से एक हैं।

घातक: अपने नाम के अनुरूप ‘घातक’ बल, पैदल सेना की प्लाटून है, जो बटालियन के पहले आगे जाकर हमला करने के लिए प्रसिद्ध है। भारतीय सेना की प्रत्येक बटालियन में एक ‘घातक’ प्लाटून होती है और इनमे केवल सर्वाधिक फिट और अभिप्रेरित सैनिक भर्ती किये जाते हैं।

COBRA (कमांडो बटालियन फॉर रिजॉल्यूट एक्शन): यह केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की एक विशेष यूनिट है, जिसका गठन भारत में नक्सलवाद का मुकाबला करने के लिए किया गया था। यह विशेष रूप से गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित, कुछ भारतीय विशेष बलों में से एक है।

फोर्स वन: मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले के बाद वर्ष 2010 में फोर्स वन का गठन किया गया था। इस विशेष उत्कृष्ट बल की प्रमुख भूमिका मुंबई शहर को आतंकवादी हमलों से बचाना है।

राष्ट्रीय सुरक्षा प्रहरी (National Security Guard): यह भारत का प्रमुख आतंकवाद-रोधी बल है। राष्ट्रीय सुरक्षा प्रहरी (NSG) बल देश में वीआईपी को सुरक्षा प्रदान करते है, अंतर्ध्वंस-रोधी मिशन  और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों पर आतंकवादी खतरों को बेअसर करने के लिए जिम्मेदार है।

विशेष सुरक्षा समूह (Special Protection GroupSPG): यह भारत सरकार का एक सुरक्षा बल है जो भारत के प्रधान मंत्री की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार है।

प्रीलिम्स लिंक:

निम्नलिखित का संक्षिप्त विवरण:

  1. मार्कोस
  2. एसपीजी
  3. एनएसजी
  4. कोबरा
  5. घातक बल

मेंस लिंक:

भारतीय विशेष बल (SF) क्या हैं? इनके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


हज़ारा जातीय समूह

  • ये मध्य अफगानिस्तान में एक फ़ारसी भाषी जातीय समूह हैं, और मुख्य रूप से हज़ाराजत (Hazarajat)पहाड़ी क्षेत्र में रहते हैं।
  • हज़ारा जातीय समूह को अफ़ग़ानिस्तान के सबसे उत्पीड़ित समूहों में से एक माना जाता है।

सेरावीक पुरस्कार

(CERAWeek Award)

पीएम नरेंद्र मोदी को वर्ष 2021 का सेरावीक वैश्विक ऊर्जा एवं पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार (CERAWeek Global Energy and Environment Leadership Award) प्रदान किया जा रहा है।

  • सेरावीक ग्लोबल वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण नेतृत्व पुरस्कार की शुरुआत 2016 में की गई थी।
  • यह वैश्विक ऊर्जा और पर्यावरण के भविष्य के लिए नेतृत्व और ऊर्जा की उपलब्धता, सस्ती ऊर्जा और पर्यावरणीय प्रबंधन के लिए समाधान व नीतियों की पेशकश के उद्देश्य से प्रतिबद्धता को पहचान देती है।
  • डॉ. डैनियल येर्गिन ने 1983 में सेरावीक की स्थापना की थी।
  • 1983 से ही इसे हर साल ह्यूस्टन में आयोजित किया जा रहा है और इसे दुनिया के प्रतिष्ठित वार्षिक ऊर्जा मंच के रूप में जाना जाता है।

‘बाओ-धान (Bao-dhaan)

असम में उत्पादित होने वाले ‘बाओ-धान’ को अमेरिका के लिए निर्यात किया जा रहा है।

  • आयरन से भरपूर ‘लाल चावल’ असम की ब्रह्मपुत्र घाटी में किसी भी रासायनिक उर्वरक के इस्तेमाल के बिना उगाया जाता है।
  • चावल की इस किस्म को ‘बाओ-धान’ कहा जाता है, जो कि असमिया भोजन का एक अभिन्न अंग है।


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