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INSIGHTS NEW SECURE – 2020: YEARLONG TIMETABLE
सामान्य अध्ययन – 2
विषय: सर्वोच्च न्यायालय।
1. भारत के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय को सूचना के अधिकार के अंतर्गत लाने सम्बन्धी शीर्ष न्यायालय का निर्णय पारदर्शिता एवं जवाबदेही सम्बन्धी लोगों के लक्ष्य को प्रोत्साहित करेगा। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: भारतीय राजव्यवस्था: लक्ष्मीकांत, The Print
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
पारदर्शिता एवं न्यायिक स्वतंत्रता को संतुलित करने के महत्व पर चर्चा करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि कैसे इस प्रकार के निर्णय ने न्यायपालिका में उन्नत पारदर्शिता के द्वार खोल दिए हैं।
निर्णय के महत्व पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
इससे संबंधित चिंताओं / चुनौतियों को सूचीबद्ध कीजिए।
निष्कर्ष:
इस प्रकार के निर्णय के महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: न्यायाधिकरण।
2. क्या न्यायिक दक्षता के लिए न्यायाधिकरण एक उपचार है? क्या न्याय का अधिकरण हमारे संविधान में निर्धारित सिद्धांतों को कमजोर करता है? परीक्षण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: भारतीय राजव्यवस्था: लक्ष्मीकांत
निर्देशक शब्द:
परीक्षण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
न्यायाधिकरण की अवधारणा का संक्षेप में उल्लेख करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
समझाइए कि मूल संविधान में अधिकरणों के संबंध में कोई प्रावधान नहीं था। हालाँकि, 42 वें संशोधन अधिनियम, 1976 ने संविधान में एक नया भाग XIV A जोड़ा। प्रशासनिक न्यायाधिकरण का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323 A के तहत किया जाता है। हालांकि, भारतीय संविधान के अनुच्छेद 323 B के तहत अन्य मामलों के लिए न्यायाधिकरण का गठन किया जाता है।
चर्चा कीजिए कि क्या न्यायाधिकरण, न्यायिक दक्षता को बढ़ावा देते हैं। तर्क के दोनों पक्षों को प्रस्तुत कीजिए।
न्याय के अधिकरण के रूप में हमारे संविधान में निर्धारित विचारों / सिद्धांतों का विश्लेषण कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि इस प्रकार की चुनौतियों के बावजूद, न्यायाधिकरण त्वरित विवाद समाधान का एक उत्कृष्ट साधन हैं और सुशासन के एजेंट बन गए हैं। बेहतर न्याय वितरण के हित में न्यायाधिकरण जैसी संस्थाओं को पूर्ण रूप से समाप्त नहीं किया जा सकता है।
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और / अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
3. ब्रेक्सिट एवं भारत के “आत्मनिर्भर भारत अभियान” की पृष्ठभूमि में, अपने निर्यातों को पुनर्जीवित करने के लिए भारत को यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को सशक्त बनाने की आवश्यकता एवं अवसर की जाँच कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
जांच कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भारत के आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण की व्याख्या करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
आत्मनिर्भर भारत कार्यक्रम एवं बजट 2021-22 ने आपूर्ति श्रृंखलाओं को सशक्त करने एवं आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए मार्ग निर्धारित किया है। हालाँकि, इसका अर्थ यह नहीं है कि भारत आर्थिक रूप से बहुत कमज़ोर है।
कुछ आंकड़ों की सहायता से भारत की निर्यात क्षमता पर चर्चा कीजिए।
इससे सम्बद्ध चिंताओं का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि ब्रेक्सिट के पश्चात् के यूरोपीय संघ के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने साथी देशों के साथ संबंधों की पुनरावृत्ति करे। पारस्परिक रूप से लाभप्रद समझौते के माध्यम से यूरोपीय संघ के साथ मजबूत संबंध बनाने से भारतीय विनिर्माण को सशक्त करने एवं निर्यात को पुनर्जीवित करने में सहायता मिल सकती है।
सामान्य अध्ययन – 3
विषय: सरकारी बजट।
4. भागीदारी बजट की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए। भारत में स्थानीय स्वशासन के बजट में इसकी प्रासंगिकता पर भी चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Indian Express
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
भागीदारी बजट को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
ऐसी प्रणाली के लाभों पर चर्चा कीजिए।
भारत में स्थानीय स्वशासन के बजट में इसकी प्रासंगिकता पर टिप्पणी कीजिए।
निष्कर्ष:
इसके महत्व पर प्रकाश डालते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
5. भारत द्वारा “विश्व की फार्मेसी” बनने की क्षमता को स्पष्ट कीजिए एवं उसका आकलन कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Indian Express
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
आकलन कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के सर्वकालिक और तात्कालिक दोनों महत्त्व को स्पष्ट करते हुए उसकी सारगर्भित उपयोगिता बताइये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
नवीन प्रस्तावित नियमों का संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारतीय फार्मेसी की वर्तमान स्थिति को दर्शाने वाले कुछ प्रमुख आंकड़े प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
उन तथ्यों पर चर्चा कीजिए, जो सम्पूर्ण विश्व के समक्ष एक सशक्त दवा केंद्र के रूप में भारत को प्रस्तुत करते हैं।
अन्य प्रमुख देशों के साथ भारत की तुलना करने सम्बन्धी कुछ प्रमुख आंकड़े प्रस्तुत कीजिए एवं समझाइए कि भारत अभी भी बेहतर स्थिति में कैसे है।
निष्कर्ष:
इसके महत्व को पहचानने एवं इस दिशा में आवश्यक कदम उठाने सम्बन्धी सरकार की आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय:केस स्टडी।
6. आप देश की एक शीर्ष आईटी कंपनी में प्रबंधक हैं। आपको एक आगामी परियोजना के लिए नवीन भर्तियां करने का काम दिया गया है। आप पाते हैं कि कंपनी ने सरकार द्वारा पारित किए गए नवीन मातृत्व कानून के मद्देनजर महिला उम्मीदवारों को काम पर नहीं रखने के मौन निर्देश दिए हैं। आप इसे अत्यधिक आपत्तिजनक पाते हैं और उच्च प्रबंधन में शामिल लोगों के समक्ष विरोध दर्ज कराते हैं लेकिन वे दृढ़ हैं क्योंकि वे सभी अनावश्यक लागतों की कटौती करना चाहते हैं। इस जानकारी के आधार पर, निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए: (250 शब्द)
(a) इस स्थिति में शामिल हितधारकों एवं उनके हितों की पहचान कीजिए।
(b) इस परिदृश्य में भर्ती करने वाले प्रबंधक के समक्ष उपस्थित दुविधाओं पर प्रकाश डालिए।
(c) आपके समक्ष कौन-कौन से विकल्प उपलब्ध हैं? आप किस विकल्प का चयन करेंगे एवं क्यों? समझाइए।
निर्देशक शब्द:
प्रकाश डालिये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर लेखन में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह प्रश्न से सम्बंधित प्रासंगिक जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
समझाइये- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय प्रश्न से संबंधित सूचना अथवा जानकारी को सरल भाषा में प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
सम्बंधित मामले की संक्षिप्त पृष्ठभूमि प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
उत्तर के मुख्य भाग में निम्नलिखित पहलुओं को शामिल कीजिए:
- सम्बंधित हितधारकों की सूची बनाइए।
- उनसे सम्बंधित हितों को सूचीबद्ध कीजिए।
- आपके द्वारा सामना की जा रही दुविधाओं पर चर्चा कीजिए।
- उपलब्ध विकल्पों को सूचीबद्ध कीजिए। दी गयी परिस्थिति के आलोक में प्रत्येक का विश्लेषण कीजिए। आपके द्वारा अपनाये जाने वाले विकल्प का चयन कीजिए।
निष्कर्ष:
एक निष्पक्ष एवं संतुलित राय प्रस्तुत करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: लोक प्रशासन में लोक/सिविल सेवा मूल्य तथा नीतिशास्त्रः स्थिति तथा समस्याएँ; सरकारी तथा निजी संस्थानों में नैतिक चिंताएँ तथा दुविधाएँ; नैतिक मार्गदर्शन के स्रोतों के रूप में विधि, नियम, विनियम तथा अंतरात्मा; उत्तरदायित्व तथा नैतिक शासन, शासन व्यवस्था में नीतिपरक तथा नैतिक मूल्यों का सुदृढ़ीकरण; अंतर्राष्ट्रीय संबंधों तथा निधि व्यवस्था (फंडिंग) में नैतिक मुद्दे; कॉरपोरेट शासन व्यवस्था।
7. “प्रशासनिक नैतिकता की आधारभूत समस्या यह है कि अपने लक्ष्यों को पूरा करने के लिए संगठन की क्षमता को कमजोर किए बिना अधिकारियों को असहमति की गुंजाइश कैसे दी जाए।”कथन का मूल्यांकन कीजिए एवं भारतीय प्रशासन के संदर्भ में उपाय भी सुझाइए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता, सत्यनिष्ठा एवं अभिवृत्ति: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
मूल्यांकन कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है की वह कथन अथवा विषय के महत्व को रेखांकित करते हुए उसकी समग्र उपयोगिता बताये।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
प्रशासनिक नैतिकता को परिभाषित करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
प्रश्न में दिए गए कथन का विस्तार से विश्लेषण कीजिए।
भारत के सन्दर्भ में प्रशासन से सम्बंधित समस्याओं पर प्रकाश डालिए।
निष्कर्ष:
इन समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक उपाय सुझाते हुए निष्कर्ष निकालिए।