विषयसूची
सामान्य अध्ययन-I
1. शहरी नवाचार सूचकांक (CiX)
2. पूर्वोत्तर बेंत एवं बांस विकास परिषद (NECBDC)
सामान्य अध्ययन-II
1. ‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (AIIB)
सामान्य अध्ययन-III
1. पीएसएलवी-सी 51 प्रक्षेपण
2. तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (TEQIP)
3. राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
4. हिमाचल प्रदेश में हिम तेंदुए पर अध्ययन
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. ऑस्ट्रेलिया की सबसे पुरानी आदिवासी शैल कला
2. गेमिंग में उत्कृष्टता केंद्र
3. खुजली घर
4. जल शक्ति अभियान: ‘कैच द रेन’
5. बीर चिलाराय
सामान्य अध्ययन- I
विषय: महिलाओं की भूमिका और महिला संगठन, जनसंख्या एवं संबद्ध मुद्दे, गरीबी और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और उनके रक्षोपाय।
शहरी नवाचार सूचकांक (CiX)
(City Innovation Exchange)
संदर्भ:
हाल ही में, आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा शहरी नवाचार सूचकांक (City Innovation Exchange– CiX) लॉन्च किया गया है।
यह क्या है?
- शहरी नवाचार सूचकांक (सीआईएक्स) शहरों में बढ़ती चुनौतियों के लिए नवीन समाधान तैयार करने के उद्देश्य से राष्ट्रीय स्तर पर शहरों के साथ नवाचारकर्ताओं को जोड़ेगा।
- यह प्लेटफॉर्म एक मजबूत, पारदर्शी और यूजर केन्द्रित प्रक्रिया के माध्यम से समाधानों की खोज, डिजाइन और सत्यापन को आसान बनाएगा।
- ‘मुक्त नवाचार’ की अवधारणा पर बना यह प्लेटफॉर्म ‘बाहर से भीतर और भीतर से बाहर’ विचारों के प्रवाह में सहायक होगा तथा स्मार्ट शहरी प्रशासन के लिए जरूरी कौशल और क्षमता में बढ़ोतरी करेगा।
इस मंच का महत्व:
- शिक्षाविदों और उद्यमों/ स्टार्टअप्स के साथ परामर्श के माध्यम से, यह प्लेटफॉर्म ‘प्रयोगशालाओं’ से वास्तविक माहौल में विचारों के हस्तांतरण में शहरों को लाभान्वित करेगा।
- आने वाले समय में यह प्लेटफॉर्म हमारे शहरों में समाधानों को लागू कराने में मददगार होगा। इससे वहां के नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता बेहतर होगी और कारोबारी सुगमता में भी खासा सुधार होगा।
- इसी प्रकार, नागरिकों के साथ संवाद से शहरी सरकारों को सहायता के द्वारा यह प्लेटफॉर्म जांचे परखे समाधानों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करेगा। इसके तहत प्रभावी और टिकाऊ समाधान लागू किए जाएंगे।
प्रीलिम्स लिंक:
- शहरी नवाचार सूचकांक (सीआईएक्स) के बारे में
- उद्देश्य
- विशेषताएं
- स्मार्ट सिटीज मिशन के बारे में
मेंस लिंक:
स्मार्ट सिटीज मिशन के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: पीआईबी
विषय: विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करते हुए), विश्व (भारत सहित) के विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार कारक।
पूर्वोत्तर बेंत एवं बांस विकास परिषद (NECBDC)
(North East Cane and Bamboo Development Council)
संदर्भ:
केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में पूर्वोत्तर बेंत एवं बांस विकास परिषद (North East Cane and Bamboo Development Council– NECBDC) की तकनीकी जानकारी तथा सहयोग से तीन बांस कलस्टरों की स्थापना की जाएगी।
इन कलस्टरों में अगरबत्ती, टोकरी और चारकोल का उत्पादन किया जाएगा।
NECBDC के बारे में:
‘NECBDC’ को पहले बेंत एवं बांस विकास परिषद (Cane and Bamboo Development Council– CBDC) के रूप में जाना जाता था, बाद में, इसके उद्देश्यों में पूर्वोत्तर भारत के अब तक अछूते बांस-क्षेत्र को संगठित करना शामिल किया गया और इसे ‘पूर्वोत्तर बेंत एवं बांस विकास परिषद’ (NECBDC) में परिवर्तित कर दिया गया।
जम्मू और कश्मीर में ‘बेंत और बांस’:
- केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में बांस के विशाल भंडार हैं, जिनका भविष्य में केंद्र शासित प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में उपयोग किया जा सकता है।
- बाँस की खेती, जम्मू-कश्मीर में लागत-प्रभावी तरीके से उद्योग में क्रांति ला सकती है और युवा स्टार्ट-अप के लिए नए द्वार खोल सकती है।
- केंद्र शासित प्रदेश केंद्र शासित प्रदेश सरकार द्वारा पहले चरण में लागू किये जाने वाले कार्यक्रमों तथा उनके लिए 100 स्थानों को चिह्नित करने की प्रक्रिया जारी है।
‘राष्ट्रीय बांस मिशन’ (National Bamboo Mission–NBM):
- ‘राष्ट्रीय बांस मिशन’ अप्रैल 2018 में शुरू किया गया था।
- इसका उद्देश्य बांस की खेती के क्षेत्रफल में वृद्धि करना और बांस उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्र आधारित रणनीतियों को अपनाना है।
- राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) के तहत, क्षेत्र आधारित, क्षेत्रीय रूप से विभेदित रणनीति को अपनाकर और बांस की खेती के अंतर्गत क्षेत्रफल तथा विपणन में वृद्धि करके बांस- उद्योग के समग्र विकास को प्रोत्साहित करने की परिकल्पना की गयी है।
- ‘राष्ट्रीय बांस मिशन’, ‘कृषोन्नत्ति (Krishonnati) योजना’ नामक एक छाता योजना, के तहत राष्ट्रीय सतत कृषि अभियान (National Mission on Sustainable Agriculture– NMSA) की एक उप-योजना के रूप में लागू किया जाएगा।
प्रीलिम्स लिंक:
- भारत में बांस की खेती।
- बांस-उत्पादन करने वाले प्रमुख राज्य।
- बांस-उत्पादन हेतु जलवायु-स्थिति।
- NBM के बारे में।
- NECBDC के बारे में।
स्रोत: पीआईबी
सामान्य अध्ययन- II
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ (AIIB)
(Asian Infrastructure Investment Bank)
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार और एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (AIIB) के मध्य असम में विद्युत संचार नेटवर्क के लिए 304 मिलियन डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किये गए हैं।
इस राशि का उपयोग, राज्य में पावर ट्रांसमिशन नेटवर्क की विश्वसनीयता, क्षमता और सुरक्षा में सुधार करने के उद्देश्य से ‘असम इंट्रा-स्टेट ट्रांसमिशन सिस्टम एनहांसमेंट प्रोजेक्ट‘ के लिए किया जाएगा।
AIIB के बारे में:
‘एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक’ / एशियाई इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) एक बहुपक्षीय विकास बैंक है। यह एशिया और उसके बाहर के सामाजिक और आर्थिक परिणामों में सुधार हेतु एक मिशन के रूप में कार्य करता है।
- शुरुआत में, समझौते में शामिल पक्षकार (57 संस्थापक सदस्य) देश इस बैंक के सदस्य थे।
- इसका मुख्यालय बीजिंग में है।
- AIIB में जनवरी 2016 से कार्य करना शुरू किया था।
उद्देश्य:
इसका उद्देश्य, स्थायी बुनियादी ढाचों और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में निवेश के माध्यम से, लोगों, सेवाओं और बाजारों को परस्पर सम्बद्ध करना है, जिससे, समय के साथ अरबों व्यक्तियों का जीवन प्रभावित होगा तथा एक बेहतर भविष्य का निर्माण होगा।
सदस्यता:
- वर्तमान में इसके 103 अनुमोदित सदस्य हैं।
- फ्रांस, जर्मनी, इटली और यूनाइटेड किंगडम सहित G-20 समूह के चौदह देश ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ के सदस्यों में शामिल हैं।
मताधिकार:
- ‘एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक’ में चीन की शेयरधारिता सर्वाधिक है, इसके पास 61% वोटिंग शेयर है, इसके बाद भारत (7.6%), रूस (6.01%) और जर्मनी (4.2%) शेयरों के साथ सबसे बड़े शेयरधारक है।
- बैंक में, क्षेत्रीय सदस्यों की कुल मतदान शक्ति 75% हैं।
एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक के विभिन्न अंग:
बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: गवर्नर्स बोर्ड में प्रत्येक सदस्य देश द्वारा नियुक्त एक गवर्नर तथा एक वैकल्पिक गवर्नर होते हैं।
निदेशक मंडल: बैंक के सामान्य संचालन के लिए गैर-निवासी निदेशक मंडल (Non-resident Board of Directors) जिम्मेदार होता है, इस निदेशक मंडल को बोर्ड ऑफ गवर्नर्स द्वारा सभी शक्तियां प्रदान की जाती है। इनके कार्यों में बैंक की रणनीति बनाना, वार्षिक योजना और बजट को मंजूरी देना, नीति-निर्माण; बैंक संचालन से संबंधित निर्णय लेना; और बैंक के प्रबंधन और संचालन की देखरेख और एक निगरानी तंत्र स्थापित करना आदि सम्मिलित है।
अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति: AIIB द्वारा बैंक की रणनीतियों तथा नीतियों के साथ-साथ सामान्य परिचालन मुद्दों पर बैंक के अध्यक्ष और शीर्ष प्रबंधन की सहायता हेतु एक अंतर्राष्ट्रीय सलाहकार समिति (International Advisory Panel- IAP) का गठन किया गया है।
प्रीलिम्स लिंक:
- AIIB बनाम ADB बनाम विश्व बैंक
- एआईआईबी के सदस्य
- शीर्ष शेयरधारक
- मतदान की शक्तियां
- भारत में एआईआईबी समर्थित परियोजनायें
मेंस लिंक:
एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।
पीएसएलवी-सी 51 प्रक्षेपण
(PSLV-C51 launch)
संदर्भ:
हाल ही में, इसरो द्वारा पीएसएलवी-सी 51 (PSLV-C51) को सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया।
- यह इसरो के प्रक्षेपण यान की 53 वीं उड़ान थी, और इसके साथ ही यह इसरो की वाणिज्यिक शाखा, ‘न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड’ का पहला समर्पित मिशन था।
- इस मिशन का प्रक्षेपण अमेरिका की मिशन प्रबंधन प्रदाता स्पेसप्लाइट इंक (Spaceflight Inc.) वाणिज्य प्रबंधन के तहत किया जा रहा है।
प्रक्षेपण यान से भेजे गए उपग्रह:
इस रॉकेट के जरिए 19 उपग्रहों, (ब्राजील के ऑप्टिकल पृथ्वी प्रेक्षण उपग्रह ‘अमेजोनिया-1 तथा 18 अन्य उपग्रह, भारत के पांच तथा अमेरिका के तेरह उपग्रहों) को अंतरिक्ष में भेजा गया है।
- अमेजोनिया -1 (Amazonia-1), पूर्ण रूप से ब्राजील निर्मित पहला उपग्रह है, जो अमेज़ॅन के जंगलों की निगरानी करने में मदद करेगा।
- अमेजोनिया -1 को सूर्य-तुल्यकालिक ध्रुवीय कक्षा में 758 किमी की उंचाई पर अपनी निर्धारित कक्षा में पहुँचाया गया है।
भारत द्वारा भेजे गए उपग्रह:
- चेन्नई की स्पेस किड्ज इंडिया द्वारा निर्मित सतीश धवन सैटेलाइट (SDSAT), इसके शीर्ष पैनल पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर उकेरी गई है।
- एक नैनो-उपग्रह, जिसका उद्देश्य विकिरण स्तर, अंतरिक्ष मौसम का अध्ययन करना और लंबी दूरी की संचार प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन करना है।
- यूनिटी सैट (UNITYsat), रेडियो प्रसारण सेवाएं प्रदान करने के लिए तीन उपग्रहों का एक संयोजन।
- डीआरडीओ से संबंधित एक अन्य उपग्रह।
इनके साथ ही एक एसडी (सुरक्षित डिजिटल) कार्ड में भगवद गीता को भी भेजा गया है, जो एकात्मकता (oneness) को मानवता के सर्वोच्च रूप और सर्वोच्च सम्मान बताती है।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV):
- ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान / ’पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’, इसरो द्वारा एक स्वदेशी रूप से विकसित उपभोजित (expendable) प्रक्षेपण प्रणाली है।
- यह मध्यम भारवाली प्रक्षेपण यानो की श्रेणी के अंतर्गत आता है, तथा यह भू-तुल्यकालिक अंतरण कक्षा (Geo Synchronous Transfer Orbit), पृथ्वी की निचली कक्षा (Lower Earth Orbit) और सूर्य तुल्यकाली ध्रुवीय कक्षा (Polar Sun Synchronous Orbit) सहित विभिन्न कक्षाओं तक उपग्रहों को पहुंचाने में सक्षम है।
- PSLV के सभी परिचालनों को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से नियंत्रित किया जाता है।
PSLV और GSLV के मध्य अंतर
- वर्तमान में, भारत के पास दो प्रक्षेपण यान हैं, ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान / ’पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल’(PSLV) और भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण वाहन / जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV)।
- PSLV को ‘पृथ्वी की निचली कक्षा में परिभ्रमण करने वाले उपग्रहों’ (low-Earth Orbit satellites) को ध्रुवीय और सूर्य तुल्यकालिक कक्षाओं में प्रक्षेपित करने के लिए विकसित किया गया था। बाद में, इस राकेट ने, भू-तुल्यकालिक, चंद्र और अंतर-ग्रहीय अंतरिक्ष यानों को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित करके इसकी बहुमुखी उपयोग क्षमता साबित की है।
- दूसरी ओर, भू-तुल्यकाली उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (GSLV)।, को इन्सैट श्रेणी के भारी भू- तुल्यकालिक उपग्रहों को कक्षाओं में लॉन्च करने के लिए विकसित किया गया था। अपने तीसरे और अंतिम चरण में, जीएसएलवी में स्वदेशी रूप से विकसित ऊपरी चरण के क्रायोजेनिक का उपयोग किया गया था।
प्रीलिम्स लिंक:
- भूस्थैतिक कक्षा क्या है?
- भू-तुल्यकालिक कक्षा क्या है?
- ध्रुवीय कक्षा क्या है?
- अंतरण कक्षा क्या है?
- पीएसएलवी के बारे में।
- अमेजोनिया -1 के बारे में।
मेंस लिंक:
संचार उपग्रह क्या हैं? भारत के लिए उनके महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (TEQIP)
(Technical Education Quality Improvement Programme)
संदर्भ:
मार्च के अंत में, तकनीकी शिक्षा गुणवत्ता सुधार कार्यक्रम (Technical Education Quality Improvement Programme-TEQIP) समाप्त हो रहा है, इसके साथ ही 1,200 से अधिक सहायक प्रोफेसर नौकरी से बाहर हो जायेंगे तथा कुछ ग्रामीण कॉलेजों में लगभग शिक्षकों के आधे स्थान रिक्त हो जाएंगे।
आगे की कार्रवाई:
केंद्र सरकार द्वारा तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए कुछ इसी तरह के उद्देश्यों के साथ अपनी स्वयं की MERITE परियोजना तैयार की जा रही है, लेकिन मौजूदा परियोजना के तहत नियोजित शिक्षकों के लिए तब तक बहुत देर हो सकती है।
TEQIP के बारे में:
- वर्ष 2002 में मानव संसाधन और विकास मंत्रालय द्वारा TEQIP परियोजना शुरू की गई थी।
- यह परियोजना, विश्व बैंक की सहायता से शुरू की गयी थी।
- कार्यक्रम का उद्देश्य भारत में निम्न आय वाले राज्यों और विशेष श्रेणी राज्यों (SCS) में तकनीकी शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करना था।
परियोजना के अंतर्गत शामिल किये गए उपाय:
संस्थान आधारित: एनबीए के माध्यम से पाठ्यक्रमों की मान्यता, प्रशासन सुधार, प्रक्रिया सुधार, डिजिटल पहल, महाविद्यालयों के लिए स्वायत्तता हासिल करना।
छात्र आधारित: शिक्षण गुणवत्ता में सुधार, शिक्षक प्रशिक्षण, क्लास रूम को सुविधा युक्त करना, पाठ्यक्रम पुनरीक्षण, उद्योग सहभागिता, छात्रों के लिए अनिवार्य इंटर्नशिप, छात्रों को उद्योग-संबंधित कौशल में प्रशिक्षण देना, उन्हें गेट परीक्षा की तैयारी करवाना आदि।
प्रीलिम्स लिंक:
- TEQIP के बारे में
- कार्यान्वयन
- परियोजना की विशेषताएं
मेंस लिंक:
परियोजना के मूल उद्देश्यों और महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस
(National Science Day)
संदर्भ:
भारत में, 28 फरवरी, राष्ट्रीय विज्ञान दिवस (NSD) के रूप में मनाया जाता है।
- राष्ट्रीय विज्ञान दिवस, ‘रमन प्रभाव’ की खोज की स्मृति में मनाया जाता है जिसके लिए सर सी.वी. रमन को वर्ष 1930 में नोबेल पुस्कार से सम्मानित किया गया था।
- पहला राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 28 फरवरी 1987 को मनाया गया था।
राष्ट्रीय विज्ञान दिवस का विषय / थीम: ‘एसटीआई का भविष्य: शिक्षा, कैशल और काम पर प्रभाव’।
‘रमन प्रभाव’ क्या है?
रमन प्रभाव अथवा रमन इफ़ेक्ट, स्पेक्ट्रोस्कोपी से संबंधित एक परिघटना है, जिसकी खोज वर्ष 1928 में प्रख्यात भौतिक विज्ञानी सर चंद्रशेखर वेंकट रमन द्वारा खोजी गई थी।
- जब कोई प्रकाश किरण अणुओं द्वारा विक्षेपित होती है, तो प्रकाश की तरंग दैर्ध्य में होने वाले परिवर्तन को ‘रमन प्रभाव अथवा रमन इफ़ेक्ट’ कहा जाता है।
- जब कोई प्रकाश किरण, किसी रासायनिक यौगिक के धूल रहित, पारदर्शी नमूने से गुजरती है, तो उसमें आपतित प्रकाश किरण के अतिरिक्त अत्यल्प तीव्रता के कुछ अन्य वर्णों का प्रकाश दिखाई पड़ता है।
- इस प्रकीर्णित प्रकाश का अधिकांश भाग की तरंग दैर्ध्य अपरिवर्तित रहती है। हालांकि, इसके एक छोटे से अंश की तरंग दैर्ध्य, आपतित किरण की तरंग दैर्ध्य से भिन्न होती है। इसकी उपस्थिति रमन प्रभाव का परिणाम है।
स्रोत: द हिंदू
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।
हिमाचल प्रदेश में ‘हिम तेंदुए’ पर अध्ययन
संदर्भ:
हाल ही में, ‘हिम तेंदुआ’ (snow leopard), एक दुष्प्राप्य / चालाक जानवर, की वैज्ञानिक गणना पर आधारित एक अध्ययन के अनुसार- हिमाचल प्रदेश के उच्च तुंगता वाले पहाड़ी इलाकों में 73 हिम तेंदुओं (Panthera uncia) का आवास हो सकता है।
पर्यावास (Habitats):
हिम तेंदुआ, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश, पांच राज्यों के उच्च हिमालयी और पार-हिमालयी क्षेत्रों में निवास करता है।
- हिमाचल प्रदेश में, हिम तेंदुए का आवास-क्षेत्र लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिलों के बड़े भाग में विस्तृत है।
- इसके संभावित निवास स्थान, शिमला, कुल्लू, चंबा और कांगड़ा जिलों के ऊपरी क्षेत्रों में भी विस्तारित है।
इन क्षेत्रों में से अधिकांश काफी दूरस्थ हैं, सर्दियों के दौरान इन क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए अतिरिक्त चुनौती का सामना करना पड़ता है।
अध्ययन में प्रस्तुत किए गए सुझाव:
यदि स्थानीय समुदायों की चिंताओं को संरक्षण योजना में शामिल कर लिया जाए तो, ‘संरक्षण’ प्रयासों में, ये सर्वाधिक मजबूत सहयोगी साबित हो सकते हैं।
भारत में हिम तेंदुआ संरक्षण:
- भारत सरकार ‘प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड’ (Project Snow Leopard- PSL) के माध्यम से हिम तेंदुए और उसके निवास स्थान का संरक्षण कर रही है।
- भारत, वर्ष 2013 से ‘वैश्विक हिम तेंदुआ और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण’ (Global Snow Leopard and Ecosystem Protection- GSLEP) कार्यक्रम में भी भागीदार रहा है।
- हिम तेंदुआ संरक्षण के लिए, भारत ने तीन बड़े परिदृश्यों को चिन्हित किया है: लद्दाख एवं हिमाचल प्रदेश में हेमिस- स्पिति, (Hemis-Spiti),उत्तराखंड के गंगोत्री-नंदा देवी और सिक्किम एवं अरुणाचल प्रदेश में विस्तृत खंगचेंदजोंगा- तवांग (Khangchendzonga – Tawang)।
- हिम तेंदुआ और उसके वास स्थान के संरक्षण हेतु समावेशी और भागीदारी के दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2009 में प्रोजेक्ट स्नो लेपर्ड की शुरुआत की गयी थी।
- हिम तेंदुआ, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के रिकवरी कार्यक्रम (Recovery Programme) हेतु 21 गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में सम्मिलित है।
संरक्षण:
हिम तेंदुओं को IUCN द्वारा और भारतीय वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 की अनुसूची-I में असुरक्षित (Vulnerable) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
वन्यजीवों के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर अभिसमय (CITES) की परिशिष्ट I और प्रवासी प्रजाति अभिसमय (CMS) में सूचीबद्ध हैं। यह विश्व स्तर पर और भारत में, प्रजातियों को उच्चतम संरक्षण दर्जा प्रदान करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हैं।
प्रीलिम्स लिंक:
- IUCN के तहत हिम तेंदुए की संरक्षण स्थिति
- प्रोजेक्ट हिम तेंदुए के बारे में
- भारत में हिम तेंदुए- वितरण और संरक्षण केंद्र
- GSLEP के बारे में
- बिश्केक घोषणा के बारे में
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
ऑस्ट्रेलिया की सबसे पुरानी आदिवासी शैल कला
हाल ही में, ऑस्ट्रेलियाई आदिवासियों कलाकारों द्वारा 17,000 साल पहले बनाई गई एक कंगारू पेंटिंग को ऑस्ट्रेलिया की सबसे पुरानी अक्षुण्ण रॉक कला के रूप में की पहचान की गई है।
पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के किम्बरली क्षेत्र में एक रॉक शेल्टर की ढालू छत पर दो मीटर लंबी (छह फीट) यह कलाकृति एक प्रारंभिक प्राकृतिक शैली में चित्रित की गई थी। इस शैली में अक्सर जानवरों के वास्तविक-आकार को चित्रित किया जाता था।
गेमिंग में उत्कृष्टता केंद्र
(Centre of Excellence in gaming)
सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा आईआईटी बॉम्बे के सहयोग से गेमिंग और अन्य संबंधित क्षेत्रों में उत्कृष्टता केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया है।
खुजली घर
(khujli ghar)
- यह, स्थानीय तौर पर पायी जाने वाली, खुजली पैदा करने वाली लकड़ियों से निर्मित एक तंग, त्रिकोणीय पिंजरा होता है।
- यह अपराधों पर रोक लगाने के लिए सजा का एक पारंपरिक रूप है।
- नागालैंड के कुछ गाँवों में सजा के इस रूप को पुनर्जीवित किया जा रहा है।
- इन खुजली वाले पिंजरों को नागा भाषा में खुजली घर कहा जाता है। हालांकि, प्रत्येक नागा समुदाय में इसका अलग नाम होता है। नागालैंड की प्रमुख जनजातियों में से एक ‘औ’ (Aos) में इसे शी-की (Shi-ki) कहा जाता हैं जिसका अर्थ है मांस-गृह।
- इस पिंजरे को आमतौर पर गांव में, आमतौर पर मोरंग या कुंवारों के वास-गृह के सामने या किसी एक मुख्य स्थान पर रखा जाता है। जिससे कैदी को पूरा गाँव देख सके।
- यह पिंजरा मसांग-फंग (Masang-fung) की लकड़ियों से निर्मित किया जाता है। यह एक स्थानीय पेड़ है, और इसके छू जाने से त्वचा में जलन होने लगती है।
जल शक्ति अभियान: ‘कैच द रेन’
(Jal Shakti Abhiyan ‘catch the rain’)
- यह अभियान जल शक्ति मंत्रालय द्वारा शुरू किया जा रहा है।
- इसके तहत आसपास के जल स्रोतों की सफाई और वर्षा जल के संरक्षण के लिए 100 दिनों का अभियान चलाया जाएगा।
बीर चिलाराय
- बीर चिलाराय (1510 – 1571 CE) एक बहादुर योद्धा और असम के कोच शाही वंश का सेनापति थे।
- वे कामता साम्राज्य के राजा नारा नारायण के छोटे भाई थे।