HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
राज्यपाल पद से संबंधित शर्तों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- राज्यपाल किसी भी समय राज्य के मुख्यमंत्री को अपना त्यागपत्र सौंपकर इस्तीफा दे सकता है।
- संविधान मेंउन आधारों को निर्धारित नहीं किया गया है जिन पर राष्ट्रपति किसी राज्यपाल को पदच्युत कर सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: b)
- राज्यपाल द्वारा अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को सौंपा जाता है, न कि मुख्यमंत्री को।
- राज्यपाल पद धारण की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के लिए पद पर बना रहता है। हालांकि, पांच वर्ष कि यह अवधि राष्ट्रपति की दया पर निर्भर करती है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राष्ट्रपति की यह शक्ति उचित नहीं है। राज्यपाल को अपने कार्यकाल की कोई सुरक्षा प्राप्त नहीं है और न ही उसका कोई निश्चित कार्यकाल है। उसे किसी भी आधार का उल्लेख किए बिना किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
Incorrect
उत्तर: b)
- राज्यपाल द्वारा अपना त्याग पत्र राष्ट्रपति को सौंपा जाता है, न कि मुख्यमंत्री को।
- राज्यपाल पद धारण की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि के लिए पद पर बना रहता है। हालांकि, पांच वर्ष कि यह अवधि राष्ट्रपति की दया पर निर्भर करती है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने माना कि राष्ट्रपति की यह शक्ति उचित नहीं है। राज्यपाल को अपने कार्यकाल की कोई सुरक्षा प्राप्त नहीं है और न ही उसका कोई निश्चित कार्यकाल है। उसे किसी भी आधार का उल्लेख किए बिना किसी भी समय राष्ट्रपति द्वारा हटाया जा सकता है।
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Question 2 of 5
2. Question
संविधान द्वारा, राज्यपाल पद या राज्यपाल पद के चयन के लिए निम्नलिखित में से कौन-सी शर्त/शर्तें निर्धारित की गई है/हैं?
- राज्यपाल को उस राज्य से संबंधित नहीं होना चाहिए जहां उसे नियुक्त किया गया है।
- राज्यपाल की नियुक्ति राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करने के बाद की जानी चाहिए।
- एक सेवारत राज्यपाल संसद के किसी भी सदन या राज्य विधान सभा का सदस्य नहीं बन सकता है।
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: b)
भारत के संविधान के अनुच्छेद 157 और अनुच्छेद 158 में राज्यपाल के पद के लिए पात्रता आवश्यकताएँ निर्दिष्ट की गई हैं। वे इस प्रकार हैं:
- एक राज्यपाल को:
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- कम से कम 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
- संसद के किसी भी सदन या राज्य विधायिका का का सदस्य नहीं चाहिए।
- लाभ का कोई पद धारण नहीं करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, वर्षों के दौरान दो परिपाटियाँ भी विकसित हुयी हैं।
- प्रथम, वह एक बाहरी व्यक्ति होना चाहिए, अर्थात, वह उस राज्य से संबंधित नहीं होना चाहिए जहां उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त हो।
- दूसरा, राज्यपाल की नियुक्ति करते समय, राष्ट्रपति को संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करने की आवश्यकता होती है, ताकि राज्य में संवैधानिक मशीनरी का सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके।
- हालाँकि, कुछ मामलों में दोनों परिपाटियों का उल्लंघन किया गया है
Incorrect
उत्तर: b)
भारत के संविधान के अनुच्छेद 157 और अनुच्छेद 158 में राज्यपाल के पद के लिए पात्रता आवश्यकताएँ निर्दिष्ट की गई हैं। वे इस प्रकार हैं:
- एक राज्यपाल को:
- भारत का नागरिक होना चाहिए।
- कम से कम 35 वर्ष की आयु होनी चाहिए।
- संसद के किसी भी सदन या राज्य विधायिका का का सदस्य नहीं चाहिए।
- लाभ का कोई पद धारण नहीं करना चाहिए।
इसके अतिरिक्त, वर्षों के दौरान दो परिपाटियाँ भी विकसित हुयी हैं।
- प्रथम, वह एक बाहरी व्यक्ति होना चाहिए, अर्थात, वह उस राज्य से संबंधित नहीं होना चाहिए जहां उसे नियुक्त किया गया है, ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त हो।
- दूसरा, राज्यपाल की नियुक्ति करते समय, राष्ट्रपति को संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श करने की आवश्यकता होती है, ताकि राज्य में संवैधानिक मशीनरी का सुचारू संचालन सुनिश्चित हो सके।
- हालाँकि, कुछ मामलों में दोनों परिपाटियों का उल्लंघन किया गया है
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Question 3 of 5
3. Question
राज्यपाल की विधायी शक्तियों के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यदि राज्य विधायिका द्वारा पारित एक विधेयक राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति के समक्ष खतरा उत्पन्न करता है, तो राज्यपाल को राष्ट्रपति के विचारार्थ विधेयक को आरक्षित करना चाहिए।
- यदि राज्य विधानमंडल के पुनर्विचार के लिए राज्यपाल द्वारा भेजा गया कोई विधेयक बिना संशोधनों के पुन: पारित कर दिया जाता है, तो राज्यपाल पर विधेयक पर अपनी सहमति देने के लिए कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
जब राज्य विधायिका द्वारा पारित होने के बाद कसी विधेयक को राज्यपाल को भेजा जाता है, तो वह:
(a) विधेयक पर अपनी सहमति दे सकता है, या
(b) विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है, या
(c) राज्य विधायिका के पुनर्विचार के लिए विधेयक (यदि यह धन विधेयक नहीं है) लौटा सकता है। हालाँकि, यदि विधेयक को राज्य विधानसभा द्वारा संशोधनों या बिना संशोधनों के पुन: पारित कर दिया जाता है, तो राज्यपाल को विधेयक के लिए अपनी सहमति देना अनिवार्य होता है, या
(d) राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित कर सकता है। एक मामले में ऐसा आरक्षण अनिवार्य है, अर्थात् जहां राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयक राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति के समक्ष खतरा उत्पन्न करता हो।
इसके अलावा, राज्यपाल विधेयक को आरक्षित कर सकता है यदि वह निम्न प्रकृति का हो:
(i) अल्ट्रा-वायर्स, यानी संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध।
(ii) राज्य नीति के निर्देशक तत्वों के विरुद्ध।
(iii) देश के व्यापक हित के विरुद्ध।
(iv) गंभीर राष्ट्रीय महत्व।
(v) संविधान के अनुच्छेद 31A के तहत संपत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण से सम्बंधित।
Incorrect
उत्तर: a)
जब राज्य विधायिका द्वारा पारित होने के बाद कसी विधेयक को राज्यपाल को भेजा जाता है, तो वह:
(a) विधेयक पर अपनी सहमति दे सकता है, या
(b) विधेयक पर अपनी सहमति रोक सकता है, या
(c) राज्य विधायिका के पुनर्विचार के लिए विधेयक (यदि यह धन विधेयक नहीं है) लौटा सकता है। हालाँकि, यदि विधेयक को राज्य विधानसभा द्वारा संशोधनों या बिना संशोधनों के पुन: पारित कर दिया जाता है, तो राज्यपाल को विधेयक के लिए अपनी सहमति देना अनिवार्य होता है, या
(d) राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयक को आरक्षित कर सकता है। एक मामले में ऐसा आरक्षण अनिवार्य है, अर्थात् जहां राज्य विधायिका द्वारा पारित विधेयक राज्य उच्च न्यायालय की स्थिति के समक्ष खतरा उत्पन्न करता हो।
इसके अलावा, राज्यपाल विधेयक को आरक्षित कर सकता है यदि वह निम्न प्रकृति का हो:
(i) अल्ट्रा-वायर्स, यानी संविधान के प्रावधानों के विरुद्ध।
(ii) राज्य नीति के निर्देशक तत्वों के विरुद्ध।
(iii) देश के व्यापक हित के विरुद्ध।
(iv) गंभीर राष्ट्रीय महत्व।
(v) संविधान के अनुच्छेद 31A के तहत संपत्ति के अनिवार्य अधिग्रहण से सम्बंधित।
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Question 4 of 5
4. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार करें
- राज्यपाल को अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति की तरह विशेष रूप से गठित निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है।
- किसी राज्य के राज्यपाल का पद केंद्र सरकार के अधीन रोजगार माना जाता है।
उपरोक्त कथनों में से कौन-सा/से सही नहीं है/हैं?
Correct
उत्तर: c)
राज्यपाल को न तो सीधे लोगों द्वारा चुना जाता है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से एक विशेष रूप से गठित निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है जैसा कि राष्ट्रपति के मामले में किया जाता है। उसे राष्ट्रपति द्वारा द्वारा नियुक्त किया जाता है।
जैसा कि 1979 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया गया था, कि किसी राज्य के राज्यपाल का पद केंद्र सरकार के अधीन रोजगार नहीं होता है। यह एक स्वतंत्र संवैधानिक पद है और केंद्र सरकार के अधीन या अधीनस्थ के अधीन नहीं होता है।
Incorrect
उत्तर: c)
राज्यपाल को न तो सीधे लोगों द्वारा चुना जाता है और न ही अप्रत्यक्ष रूप से एक विशेष रूप से गठित निर्वाचक मंडल द्वारा चुना जाता है जैसा कि राष्ट्रपति के मामले में किया जाता है। उसे राष्ट्रपति द्वारा द्वारा नियुक्त किया जाता है।
जैसा कि 1979 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्णय दिया गया गया था, कि किसी राज्य के राज्यपाल का पद केंद्र सरकार के अधीन रोजगार नहीं होता है। यह एक स्वतंत्र संवैधानिक पद है और केंद्र सरकार के अधीन या अधीनस्थ के अधीन नहीं होता है।
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Question 5 of 5
5. Question
संसद में राष्ट्रपति के संबोधन के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- भारत में, संसद में राष्ट्रपति के संबोधन प्रथा की शुरुआत 1919 के भारत सरकार अधिनियम से हुई थी।
- अतीत में, ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जहां राष्ट्रपति के अभिभाषण को राष्ट्रपति के कार्यों का निर्वहन करने वाले उपराष्ट्रपति द्वारा दिया गया।
- राष्ट्रपति का संबोधन वर्ष में एकमात्र अवसर है जब संपूर्ण संसद एक साथ बैठक करती है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
Correct
उत्तर: d)
भारत में, संसद में राष्ट्रपति के संबोधन प्रथा की शुरुआत 1919 के भारत सरकार अधिनियम से हुई थी। इस कानून ने गवर्नर-जनरल को विधान सभा और राज्य परिषद को संबोधित करने का अधिकार दिया। कानून में संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं था लेकिन गवर्नर-जनरल ने कई मौकों पर विधानसभा और परिषद को एक साथ संबोधित किया। 1947 से 1950 तक संविधान सभा (विधान सभा) में उनके द्वारा कोई संबोधन नहीं किया गया था। और संविधान लागू होने के बाद, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 31 जनवरी, 1950 को पहली बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को संबोधित किया।
Incorrect
उत्तर: d)
भारत में, संसद में राष्ट्रपति के संबोधन प्रथा की शुरुआत 1919 के भारत सरकार अधिनियम से हुई थी। इस कानून ने गवर्नर-जनरल को विधान सभा और राज्य परिषद को संबोधित करने का अधिकार दिया। कानून में संयुक्त बैठक का प्रावधान नहीं था लेकिन गवर्नर-जनरल ने कई मौकों पर विधानसभा और परिषद को एक साथ संबोधित किया। 1947 से 1950 तक संविधान सभा (विधान सभा) में उनके द्वारा कोई संबोधन नहीं किया गया था। और संविधान लागू होने के बाद, राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 31 जनवरी, 1950 को पहली बार लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों को संबोधित किया।