विषयसूची
सामान्य अध्ययन-II
1. मिशन इन्द्रधनुष 0
2. चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)
3. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद
सामान्य अध्ययन-III
1. चीनी इस्पात उत्पादों पर ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ की समीक्षा
2. अरब देशों के लिए फार्मा निर्यात में जटिलता
3. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (RKA)
सामान्य अध्ययन-IV
1. म्यांमार में तख्तापलट से प्रभावित ग्रामीणों के लिए मिजोरम समूहों द्वारा शरण देने की मांग
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
1. रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)
2. नियंत्रण रेखा (LoC) क्या है?
सामान्य अध्ययन- II
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
मिशन इन्द्रधनुष 3.0
संदर्भ:
पूरे देश में टीकाकरण कवरेज का विस्तार करने हेतु तीव्र मिशन इन्द्रधनुष 3.0 (Intensified Mission Indradhanush IMI– 3.0) शुरु किया गया है।
IMI 3.0 का फोकस, कोविड-19 महामारी के दौरान टीके की खुराक लेने से वंचित रह गए बच्चों और गर्भवती महिलाओं पर होगा।
‘मिशन इन्द्रधनुष’ क्या है?
भारत सरकार द्वारा “मिशन इन्द्रधनुष” की शुरुआत दिसंबर 2014 में की गयी थी, इसका उद्देश्य टीकाकरण कार्यक्रम को पुन: सक्रिय करने और सभी बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए तेजी से पूर्ण टीकाकरण कवरेज के अंतर्गत लाना था।
मिशन इन्द्रधनुष का लक्ष्य:
मिशन इन्द्रधनुष का अंतिम लक्ष्य दो वर्ष की आयु तक के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए सभी उपलब्ध टीकों सहित पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना है।
इस मिशन के अंतर्गत कवर किए जाने वाले रोग:
- मिशन इन्द्रधनुष के तहत, 12 टीका-निरोध्य बीमारियों (Vaccine-Preventable Diseases– VPD) अर्थात डिप्थीरिया, काली खांसी, टेटनस, पोलियो, तपेदिक, हेपेटाइटिस बी, मेनिनजाइटिस और निमोनिया, हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी संक्रमण, जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई), रोटावायरस वैक्सीन, न्यूमोकोकस कंजुगेट वैक्सीन (PCV), खसरा-रूबेला (MR) के खिलाफ टीकाकरण किया जाता है।
- हालांकि, जापानी इंसेफेलाइटिस और हिमोफिलस इन्फ्लूएंजा टाइप-बी, बीमारियों के खिलाफ देश के चयनित जिलों में टीकाकरण किया जा रहा है।
गहन मिशन इन्द्रधनुष (IMI):
टीकाकरण कार्यक्रम को और तीव्र करने हेतु प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 अक्टूबर, 2017 को गहन इन्द्रधनुष मिशन (Intensified Mission Indradhanush- IMI) शुरू किया गया।
- इसका लक्ष्य, दो वर्ष तक की आयु तक के उन बच्चों और गर्भवती महिलाओं तक पहुंचने का है जो नियमित टीकाकरण कार्यक्रम से वंचित रह गए या छूट गए हैं।
- इस विशेष अभियान के तहत, दिसंबर 2018 तक 90% से अधिक पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने हेतु चुनिंदा जिलों और शहरों में टीकाकरण कवरेज में सुधार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
प्रीलिम्स लिंक:
- मिशन इन्द्रधनुष के बारे में
- तीव्र इन्द्रधनुष मिशन क्या है?
- आईएमआई 0 क्या है?
- इन मिशनों के तहत लक्ष्य
- कवरेज
मेंस लिंक:
मिशन इन्द्रधनुष के महत्व पर चर्चा कीजिए।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC)
(China-Pakistan Economic Corridor)
संदर्भ:
हाल ही में, पाकिस्तान के प्रधान मंत्री इमरान खान ने कहा है, कि वह कई अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) के माध्यम से श्रीलंका के साथ व्यापार संबंधों को बढ़ाने के लिए उत्सुक हैं।
CPEC के बारे में:
- चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) पाकिस्तान के ग्वादर से लेकर चीन के शिनजियांग प्रांत के काशगर तक लगभग 2442 किलोमीटर लंबी एक वाणिज्यिक परियोजना हैl
- यह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक महत्वाकांक्षी परियोजना है, जिसका उद्देश्य चीन द्वारा वित्त पोषित बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के माध्यम से दुनिया विश्व में बीजिंग के प्रभाव को बढ़ाना है।
- इस लगभग 3,000 किलोमीटर लंबे चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) में राजमार्ग, रेलवे और पाइपलाइन का निर्माण किया जाना शामिल है।
- इस प्रस्तावित परियोजना को भारी-सब्सिडी वाले ऋणों द्वारा वित्तपोषित किया जाएगा। पाकिस्तान की सरकार के लिए यह ऋण चीनी बैंकिंग दिग्गजों, जैसे एक्जिम बैंक ऑफ चाइना, चीन डेवलपमेंट बैंक तथा चीन के औद्योगिक और वाणिज्यिक बैंक द्वारा प्रदान किया जाएगा।
भारत की चिंताएं:
- यह गलियारा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (POK) के गिलगित-बाल्टिस्तान और पाकिस्तान के विवादित क्षेत्र बलूचिस्तान से होते हुए गुजरेगा।
- यह परियोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर पर भारतीय संप्रुभता के लिए नुकसानदेय साबित होगी l
- CPEC, ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से अपनी आपूर्ति लाइनों को सुरक्षित और छोटा करने के साथ-साथ हिंद महासागर में अपनी मौजूदगी बढ़ाने संबंधी चीनी योजना पर आधारित है। अतः यह माना जाता है कि CPEC के परिणामस्वरूप हिंद महासागर में चीनी मौजूदगी भारत के प्रभाव पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी।
- यातायात और ऊर्जा की मिली-जुली इस परियोजना के तहत समुद्र में बंदरगाह को विकसित किए जाएंगे, जिससे भारतीय हिंद महासागर तक चीन की पहुंच का रास्ता खुलेगाl
- ग्वादर, बलूचिस्तान के अरब सागर तट पर स्थित हैl पाकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम का यह हिस्सा दशकों से अलगाववादी विद्रोह का शिकार हैl
- इस परियोजना के कारण भारत के आस पास के क्षेत्र में अशांति फैलने का डर बना रहेगा l
प्रीलिम्स लिंक:
- CPEC क्या है?
- BRI पहल क्या है?
- गिलगित- बाल्टिस्तान कहां है?
- पाकिस्तान और ईरान में महत्वपूर्ण बंदरगाह।
मेंस लिंक:
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) ढांचे पर भारत की चिंताओं पर चर्चा कीजिए। सुझाव दें कि भारत को इस गठबंधन से उत्पन्न चुनौतियों से कैसे निपटना चाहिए?
स्रोत: द हिंदू
विषय: महत्त्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, संस्थाएँ और मंच- उनकी संरचना, अधिदेश।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC)
(UN Human Rights Council)
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा:
- आतंकवाद मानवता के खिलाफ अपराध है और यह जीवन के अधिकार के सबसे मौलिक मानवाधिकार, ‘जीवन के अधिकार’ (right to life) का उल्लंघन करता है।
- मानवाधिकार के उल्लंघन और इसके क्रियान्वयन में खामियों का चुनिंदा तरीके से नहीं बल्कि निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से समाधान होना चाहिए, तथा देश के आंतरिक मामलों और राष्ट्रीय संप्रभुता में दखल नहीं देने के सिद्धांत का भी पालन होना चाहिए।
पृष्ठभूमि:
भारत ने आतंकवाद से निपटने के लिए पिछले महीने संयुक्त राष्ट्र में आठ सूत्री कार्ययोजना पेश की थी, जिसमे भारत ने विश्व से आतंकवादियों को शरण देने और शरण देने वाले देशों पर शिकंजा कसने के लिए कहा था। इस कार्य-योजना में आतंकी वित्तपोषण पर शिकंजा कसना भी शामिल था।
UNHRC के बारे में:
‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) का पुनर्गठन वर्ष 2006 में इसकी पूर्ववर्ती संस्था, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UN Commission on Human Rights) के प्रति ‘विश्वसनीयता के अभाव’ को दूर करने में सहायता करने हेतु किया गया था।
इसका मुख्यालय जिनेवा, स्विट्जरलैंड में स्थित है।
संरचना:
- वर्तमान में, ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद’ (UNHRC) में 47 सदस्य हैं, तथा समस्त विश्व के भौगोलिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने हेतु सीटों का आवंटन प्रतिवर्ष निर्वाचन के आधार पर किया जाता है।
- प्रत्येक सदस्य तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है।
- किसी देश को एक सीट पर लगातार अधिकतम दो कार्यकाल की अनुमति होती है।
UNHRC के कार्य:
- परिषद द्वारा संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों की ‘सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा’ (Universal Periodic Review- UPR) के माध्यम से मानव अधिकार संबंधी विषयों पर गैर-बाध्यकारी प्रस्ताव पारित करता है।
- यह विशेष देशों में मानवाधिकार उल्लंघनों हेतु विशेषज्ञ जांच की देखरेख करता है।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के समक्ष चुनौतियाँ तथा इसमें सुधारों की आवश्यकता:
- ‘संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के सदस्य-देशों जैसे सऊदी अरब, चीन और रूस के मानवाधिकार रिकॉर्ड इसके उद्देश्य और मिशन के अनुरूप नहीं हैं, जिसके कारण आलोचकों द्वारा परिषद की प्रासंगिकता पर सवाल उठाये जाते है।
- UNHRC में कई पश्चिमी देशों द्वारा निरंतर भागीदारी के बावजूद भी ये मानव अधिकारों संबंधी समझ पर गलतफहमी बनाये रखते हैं।
- UNHRC की कार्यवाहियों के संदर्भ में गैर-अनुपालन (Non-compliance) एक गंभीर मुद्दा रहा है।
- अमेरिका जैसे शक्तिशाली राष्ट्रों की गैर-भागीदारी।
प्रीलिम्स लिंक:
- UNHRC के बारे में
- संरचना
- कार्य
- ‘सार्वभौमिक आवधिक समीक्षा’ (UPR) क्या है?
- UNHRC का मुख्यालय
- हाल ही में UNHRC की सदस्यता त्यागने वाले देश
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- III
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
चीनी इस्पात उत्पादों पर ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ की समीक्षा
संदर्भ:
वाणिज्य मंत्रालय के अधीन ‘व्यापार उपचार महानिदेशालय’ (Directorate General of Trade Remedies- DGTR) द्वारा, घरेलू उद्योगों से शिकायतें आने के बाद, चीन से आयात किये जाने वाले इस्पात उत्पादों पर लगाए जाने वाले ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ (Anti-Dumping Duty) को जारी रखने आवश्यकता पर समीक्षा करने के लिए जांच शुरू की गयी है।
संबंधित प्रकरण:
हाल ही में, कुछ कंपनियों द्वारा ‘व्यापार उपचार महानिदेशालय’ (DGTR) के समक्ष, चीन सीमलेस ट्यूब, पाइप, कच्चा लोहा, मिश्र धातु या गैर-मिश्र धातुओं के आयात पर लगाए जाने वाले ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ की सनसेट समीक्षा (Sunset Review) किये जाने हेतु आवेदन किया गया है।
- आवेदकों ने आरोप लगाया गया है, कि ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ लगाए जाने के बाद भी चीन से इन उत्पादों की डंपिंग जारी है, तथा इनके आयात में उल्लेखनीय मात्रा में वृद्धि हुई है।
आगे की कार्रवाई:
पहली बार, उत्पादों पर ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ फरवरी 2017 में शुरू किया गया था, और यह शुल्क इस वर्ष 16 मई तक के लिए लगाया गया था।
‘व्यापार उपचार महानिदेशालय’ (DGTR) द्वारा, वर्तमान में जारी ‘शुल्कों’ को जारी रखने की आवश्यकता की समीक्षा की जाएगी तथा इसके साथ ही इस बात की जांच भी की जाएगी कि, मौजूदा शुल्कों को समाप्त करने से ‘डंपिंग’ जारी रहने की क्या संभावना है तथा इससे घरेलू उद्योगों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
‘डंपिंग’ तथा ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ क्या है?
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पद्धति में, जब कोई देश अथवा फर्म अपने घरेलू बाजार में किसी उत्पाद की कीमत से कम कीमत पर उस उत्पाद का निर्यात करती है, तो इसे ‘डंपिंग’ कहा जाता है।
- डंपिंग, किसी उत्पाद को आयात करने वाले देश में भी उस उत्पाद की कीमत को प्रभावित करती है, जिससे स्थानीय विनिर्माण फर्मों के लाभ पर चोट पहुँचती है।
- उत्पादों की डंपिंग और इसके द्वारा व्यापार पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव से उत्पन्न स्थिति को सुधारने के लिए ‘एंटी-डंपिंग शुल्क’ लगाया जाता है।
विश्व व्यापार संगठन (WTO) व्यवस्था सहित वैश्विक व्यापार मानदंडों के अनुसार, किसी देश के लिए घरेलू निर्माताओं को बराबर का अवसर प्रदान करने के लिए ऐसे डंप किए जाने वाले उत्पादों पर ‘शुल्क’ लगाने की अनुमति है।
यह ‘शुल्क’ किसी अर्ध-न्यायिक निकाय, जैसे भारत में DGTR, द्वारा गहन जांच के पश्चात् ही लगाए जाते हैं।
इस्पात- आयात और निर्यात:
- भारत 2019-20 में इस्पात का शुद्ध निर्यातक था।
- पिछले पाँच वर्षों में घरेलू कच्चे इस्पात उत्पादन की क्षमता में वृद्धि हुई है।
- पिछले पाँच वर्षों में कच्चे इस्पात का उत्पादन बढ़ा है।
प्रीलिम्स लिंक:
- ‘व्यापार उपचार महानिदेशालय’ (DGTR) के बारे में।
- ‘एंटी डंपिंग शुल्क’ क्या है?
- भारत का इस्पात आयात और निर्यात।
- भारत में उत्पादन।
स्रोत: द हिंदू
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
अरब देशों के लिए फार्मा निर्यात में जटिलता
संदर्भ:
भारत ने अरब देशों से फार्मास्युटिकल उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने का आग्रह किया है तथा खाद्य-आपूर्ति को सुरक्षित करने हेतु भारतीय कृषि-उत्पादों का लाभ उठाने के लिए कहा है। भारत, अरब देशों के साथ $ 160 बिलियन के व्यापार में, ‘हाइड्रोकार्बन’ के आलावा, अन्य क्षेत्रों को शामिल करके विविधता लाने का प्रयास कर रहा है।
वर्तमान मुद्दे:
भारतीय फार्मा उत्पादों को दुनिया भर में काफी विश्वसनीयता हासिल है, लेकिन अरब-जगत के अधिकांश देशों में इन उत्पादों को इसी तरह की मान्यता प्राप्त नहीं है, क्योंकि जिस प्रक्रिया से इस देशों दवाएं भेजी जाती हैं, वह कई बार बहुत विस्तृत और भारी-भरकम होती है।
भारत के लिए अरब-जगत के साथ व्यापार का महत्व:
भारत-अरब व्यापार, भारत के कुल व्यापार का 20% है, लेकिन यह अभी तक मुख्यतः हाइड्रोकार्बन पर केंद्रित है। हालांकि, कृषि, प्रौद्योगिकी और पर्यटन आदि व्यापार में विविधीकरण के संभावित क्षेत्र हैं।
भारतीय फार्मा उद्योग:
- भारत को वैश्विक फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल है तथा भारत वैश्विक स्तर पर जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा प्रदाता है।
- भारतीय दवा उद्योग, विभिन्न टीकों की वैश्विक मांग का 50%, अमेरिका में जेनेरिक दवाओं की मांग का 40% तथा यूनाइटेड किंगडम की दवा संबंधी कुल माँग के 25% भाग की आपूर्ति करता है।
- वर्तमान में, विश्व स्तर पर AIDS (एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम) से निपटने के लिए प्रयोग की जाने वाली 80% से अधिक एंटीरेट्रोवाइरल दवाईयां, भारतीय दवा कंपनियों द्वारा की जाती है।
- भारतीय फार्मास्यूटिकल्स बाजार, मात्रा के संदर्भ में विश्व का तीसरा और कीमतों के संदर्भ में तेरहवां सबसे बड़ा बाजार है। भारत, फार्मा क्षेत्र में एक वैश्विक विनिर्माण और अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित हो चुका है।
- भारत ने दवाओं की विनिर्माण लागत, अमेरिका की तुलना में कम और यूरोप की तुलना में लगभग आधी तथा विश्व में सबसे कम है।
भारतीय फार्मा उद्योग के समक्ष चुनौतियां:
- निर्भरता: भारतीय दवा उद्योग, दवाओं हेतु कच्चे माल के लिए चीन पर अत्यधिक निर्भर है। इन कच्चे माल को ‘सक्रिय औषधीय सामग्री’ (Active Pharmaceutical Ingredients- API) कहा जाता है, तथा इसे बल्क ड्रग्स के रूप में भी जाना जाता है। भारतीय दवा निर्माता, अपनी कुल थोक दवा आवश्यकताओं का लगभग 70% चीन से आयात करते हैं।
- भारत में दवा कंपनियों की महंगी दवाइयों वाले ब्रांडों के नकली संस्करण: इन कंपनियों के व्यवसाय पर प्रतिकूल प्रभाव डालते है और यह एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, नकली दवाइयों से अंतिम उपभोक्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और स्वास्थ्य के लिए खतरा उत्पन्न होता है।
इस दिशा में उठाए गए कदम:
आत्मनिर्भरता का आह्वान: जून में, फार्मास्युटिकल्स विभाग द्वारा देश में तीन बल्क ड्रग पार्कों को बढ़ावा देने के लिए एक योजना की घोषणा की गयी।
- बल्क ड्रग पार्क में, विशिष्ट रूप से सक्रिय दवा संघटकों (APIs), मध्यवर्ती दवाओं (DIs) और मुख्य शुरुआती सामग्री (KSM) के निर्माण हेतु सामूहिक अवस्थापना सुविधाओं सहित एक संस्पर्शी क्षेत्र निर्धारित किया जायेगा, इसके अलावा इसमें एक सामूहिक अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली भी होगी।
- इन पार्कों से देश में बल्क ड्रग्स की विनिर्माण लागत कम होने और घरेलू बल्क ड्रग्स उद्योग में प्रतिस्पर्धा बढ़ने की उम्मीद है।
बल्क ड्रग पार्क प्रोत्साहन योजना की प्रमुख विशेषताएं:
- यह योजना, सामूहिक अवसंरचना सुविधाओं के निर्माण हेतु एकमुश्त अनुदान सहायता प्रदान करते हुए देश में तीन बल्क ड्रग पार्कों की स्थापना में सहयोग करेगी।
- सामूहिक अवसंरचना सुविधाओं के निर्माण में व्यय होने वाली कुल राशि का 70 प्रतिशत अनुदान सहायता के रूप में प्रदान किया जायेगा, तथा हिमाचल प्रदेश और अन्य पहाड़ी राज्यों के मामले में, अनुदान सहायता राशि 90 प्रतिशत होगी।
- केंद्र सरकार द्वारा प्रति पार्क अधिकतम 1,000 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की जाएगी।
- कोई राज्य, बल्क ड्रग पार्क के निर्माण हेतु केवल एक स्थल का प्रस्ताव कर सकता है, जिसका क्षेत्रफल एक हजार एकड़ से कम नहीं होना चाहिए है। पहाड़ी राज्यों के मामले में न्यूनतम सीमा 700 एकड़ निर्धारित की गयी है।
प्रीलिम्स लिंक:
- उपर्युक्त योजना की प्रमुख विशेषताएं।
- अनुदान सहायता
- लक्ष्य
- सक्रिय दवा संघटक (API) क्या होती है?
- फिक्स्ड-डोज़ दवाओं बनाम सिंगल-डोज़ दवा संयोजनों में API
- औषधियों में एक्ससिपिएंट्स (excipients) क्या होते हैं?
स्रोत: द हिंदू
विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (RKA)
संदर्भ:
हाल ही में, राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rashtriya Kamdhenu Aayog – RKA) द्वारा “स्वदेशी गाय विज्ञान” परीक्षा को रद्द कर दिया गया। आयोग के इस कदम की, नकली दावों और छद्म विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए आलोचना की गयी थी ।
पशुपालन विभाग ने कहा है कि ‘राष्ट्रीय कामधेनु आयोग’ को इस तरह की परीक्षा आयोजित करने के लिए ‘कोई अधिदेश’ प्राप्त नहीं था।
संबंधित प्रकरण:
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने 25 फरवरी को एक राष्ट्रीय “कामधेनु गौ विज्ञान प्रसार परीक्षा” आयोजित करने संबंधी एक घोषणा की थी।
- इस परीक्षा के लिए तैयार की गई संदर्भ सामग्री में कई अवैज्ञानिक दावे किए गए थे, जिसमें रेडियोधर्मिता के खिलाफ संरक्षित देशी गायों के गोबर की उपयोगिता, उनके दूध में सोने के निशान, तथा और भूकंप के कारणों में गोहत्या, आदि शामिल थे।
- राष्ट्रीय कामधेनु आयोग को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) का समर्थन हासिल था, तथा UGC ने इस परीक्षा का प्रचार भी किया, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के बारे में:
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग (Rashtriya Kamdhenu Aayog- RKA) का गठन वर्ष 2019 में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा गायों और गौवंश के संरक्षण, सुरक्षा और विकास तथा पशु विकास कार्यक्रम को दिशा प्रदान करने के लिए किया गया था।
- यह मवेशियों से संबंधित योजनाओं के बारे में नीति बनाने और कार्यान्वयन को दिशा प्रदान करने के लिए एक उच्च स्तरीय स्थायी सलाहकार संस्था है।
- राष्ट्रीय कामधेनु आयोग, ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ के अभिन्न अंग के रूप में कार्य करेगा।
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के कार्य:
- मौजूदा कानूनों, नीतियों की समीक्षा करना और साथ ही उन्नत उत्पादन और उत्पादकता हेतु गौ-धन के इष्टतम आर्थिक उपयोग के लिए उपाय सुझाना, ताकि कृषि आय में वृद्धि तथा डेयरी किसानों के लिए बेहतर व गुणवत्तापूर्ण जीवन की प्राप्ति हो सके।
- गायों के संरक्षण, संरक्षण, विकास और कल्याण से संबंधित नीतिगत मामलों पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को सलाह देना और मार्गदर्शन करना।
- जैविक खाद के उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु योजनाओं को बढ़ावा देना और रासायनिक खादों के उपयोग को कम करने हेतु किसानों द्वारा जैविक खाद में गाय के गोबर व मूत्र के उपयोग के लिए प्रोत्साहन योजनाओं सहित उपयुक्त उपायों की सिफारिश करना।
- गौशालाओं और गो-सदनों को तकनीकी जानकारी प्रदान करके देश में परित्यक्त गायों से संबंधित समस्याओं के समाधान संबंधी प्रावधान करना।
- चारागाहों और गौशालाओं को विकसित करना तथा इनके विकास हेतु निजी या सार्वजनिक संस्थानों या अन्य निकायों के साथ सहयोग करना।
प्रीलिम्स लिंक:
- गोकुल ग्राम क्या हैं?
- क्या इन्हें महानगरों में स्थापित किया जा सकता है?
- गोकुल ग्राम में दुधारू और अनुत्पादक पशुओं का अनुपात?
- गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास (NPBBD) के राष्ट्रीय कार्यक्रम के बारे में।
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन कब शुरू किया गया था?
मेंस लिंक:
राष्ट्रीय गोकुल मिशन पर एक टिप्पणी लिखिए।
स्रोत: द हिंदू
सामान्य अध्ययन- IV
विषय: अंतर्राष्ट्रीय नैतिकता।
म्यांमार में तख्तापलट से प्रभावित ग्रामीणों के लिए मिजोरम समूहों द्वारा शरण देने की मांग
संदर्भ:
मिजोरम के शीर्ष छात्र संगठनों ने राज्य सरकार से, म्यांमार में तख्तापलट से प्रभावित ग्रामीणों के लिए शरण प्रदान करने को कहा है।
इस पर, राज्य सरकार ने कहा है कि यदि केंद्र द्वारा इस औपचारिक अनुरोध को मंजूरी दे दी जाती है तो शरण देने पर विचार किया जाएगा।
शरण मांगने वाले लोग:
म्यांमार के चिन समुदाय के लोग सैन्य-कार्रवाइयों से बचने के लिए मिज़ोरम में पलायन करना चाह रहे हैं।
- इसके पीछे एक चरमपंथी समूह, ‘चिन नेशनल आर्मी (CNA)’ है, जो सीमा पार, चिन राज्य में स्वतंत्रता की मांग कर रहा है।
- भारत में मिज़ो तथा चिन समुदाय, ‘ज़ो’ प्रजातीय समूह के हैं, तथा एक ही वंश से संबंधित हैं।
स्रोत: द हिंदू
प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य
रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC)
(Defence Acquisitions Council)
DAC के बारे में: भ्रष्टाचार से निपटने और सैन्य खरीद में तेजी लाने के लिए, 2001 में भारत सरकार ने एक एकीकृत रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) स्थापित करने का निर्णय लिया था। इसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री द्वारा की जाती है।
उद्देश्य: DAC का उद्देश्य सशस्त्र बलों द्वारा अनुमोदित आवश्यकताओं के लिए, आवंटित बजटीय संसाधनों का बेहतर उपयोग करके, निर्धारित की गई क्षमताओं और निर्धारित समय सीमा के अनुसार, शीघ्र खरीद सुनिश्चित करना है।
कार्य: ‘रक्षा अधिग्रहण परिषद’ दीर्घकालिक खरीद योजनाओं के आधार पर अधिग्रहण के लिए नीतिगत दिशानिर्देश जारी करने के लिए जिम्मेदार है। यह आयातित तथा स्वदेशी रूप से या विदेशी लाइसेंस के तहत उत्पादित उपकरणों सहित सभी अधिग्रहणों को मंजूरी प्रदान करती है।
नियंत्रण रेखा (LoC) क्या है?
मूल रूप से इसे ‘संघर्ष विराम रेखा’ के रूप में जाना जाता है, इसे 3 जुलाई 1972 को हस्ताक्षरित शिमला समझौते के पश्चात “नियंत्रण रेखा” के रूप में घोषित किया गया था।
- जम्मू का वह भाग जो भारतीय नियंत्रण में है, जम्मू और कश्मीर राज्य के रूप में जाना जाता है। पाकिस्तानी नियंत्रित हिस्सा आज़ाद जम्मू और कश्मीर तथा गिलगित-बाल्टिस्तान में बटा हुआ है। नियंत्रण रेखा का सबसे उत्तरी बिंदु NJ9842 के रूप में जाना जाता है।
- एक अन्य युद्धविराम रेखा, भारतीय नियंत्रित राज्य जम्मू और कश्मीर को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करती है जिसे अक्साई चिन के नाम से जाना जाता है।
- नियंत्रण रेखा, कश्मीर को दो भागों में विभाजित करती है।
संदर्भ:
जम्मू और कश्मीर प्रशासन द्वारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) की महिलाओं को विदेशी प्रतिनिधियों से मिलने के लिए मना कर दिया गया था, इसके कुछ दिनों बाद, उन्होंने श्रीनगर में एक विरोध मार्च निकाला, जिसमें नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पार उनके रिश्तेदारों से मिलने के लिए यात्रा दस्तावेज दिए जाने की मांग की गई है।