HINDI INSIGHTS STATIC QUIZ 2020-2021
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Question 1 of 5
1. Question
चकियारकुथु, कूडियाट्टम, कृष्णट्टम और रमनट्टम के बीच कौनसी समानताएं हैं?
- सभी अनुष्ठानिक प्रदर्शन कलाएं हैं।
- इनकी उत्पत्ति केरल से हुई है।
- कथकली पर इसके रूप और तकनीक का कुछ प्रभाव पड़ा है।
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: d)
कथकली (आज एक नृत्य रूप में लोकप्रिय है) जिसे तुलनात्मक रूप से हाल की उत्पत्ति माना जाता है। हालांकि, यह एक कला है जो कई सामाजिक और धार्मिक नाटकीय रूपों से विकसित हुई है जो प्राचीन काल में दक्षिणी क्षेत्र में मौजूद थी।
चकियारकुथु, कूडियाट्टम, कृष्णट्टम और रामानट्टम केरल की कुछ अनुष्ठानिक कलाएं हैं जिनका कथकली पर सीधा प्रभाव पड़ा है। किंवदंती यह है कि कालीकट के ज़मोरिन के अपने कृष्णट्टम मंडली को त्रावणकोर भेजने के लिए मना कर दिया, जिससे कोट्टारकारा के राजा को गुस्सा आ गया और वह रामनट्टम की रचना करने के लिए प्रेरित हुआ।
Incorrect
उत्तर: d)
कथकली (आज एक नृत्य रूप में लोकप्रिय है) जिसे तुलनात्मक रूप से हाल की उत्पत्ति माना जाता है। हालांकि, यह एक कला है जो कई सामाजिक और धार्मिक नाटकीय रूपों से विकसित हुई है जो प्राचीन काल में दक्षिणी क्षेत्र में मौजूद थी।
चकियारकुथु, कूडियाट्टम, कृष्णट्टम और रामानट्टम केरल की कुछ अनुष्ठानिक कलाएं हैं जिनका कथकली पर सीधा प्रभाव पड़ा है। किंवदंती यह है कि कालीकट के ज़मोरिन के अपने कृष्णट्टम मंडली को त्रावणकोर भेजने के लिए मना कर दिया, जिससे कोट्टारकारा के राजा को गुस्सा आ गया और वह रामनट्टम की रचना करने के लिए प्रेरित हुआ।
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Question 2 of 5
2. Question
धम्मचक्कप्पवत्तं सुत्त है
- गौतम बुद्ध द्वारा उनके निधन या परिनिर्वाण से पहले दी गई शिक्षाओं से संबंधित है
- मध्यम मार्ग, क्षणिकता और कार्य-कारण सम्बन्धी बौद्ध अवधारणाएं हैं
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: b)
धम्मचक्काप्पावत्तना सुत्त:
इसे धर्म सूत्र या विधि सूत्र को गौतम बुद्ध द्वारा आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद दिया गया प्रथम शिक्षण का रिकॉर्ड माना जाता है।
परंपरा के अनुसार, बुद्ध ने सारनाथ में यह उपदेश “पाँच तपस्वियों” को दिया था, उनके पूर्व साथी जिनके साथ उन्होंने छह साल तपस्या की थी।
इस सूत्र का मुख्य विषय चार महान सत्य हैं, जो बौद्ध धर्म की केंद्रीय शिक्षाएं हैं जो सभी बौद्ध विचार के लिए एक एकीकृत विषय या वैचारिक रूपरेखा प्रदान करती हैं।
यह मध्य मार्ग, क्षणिकता और कार्य-कारण सम्बन्धी बौद्ध अवधारणाओं को भी प्रस्तुत करता है।
Incorrect
उत्तर: b)
धम्मचक्काप्पावत्तना सुत्त:
इसे धर्म सूत्र या विधि सूत्र को गौतम बुद्ध द्वारा आत्मज्ञान प्राप्त करने के बाद दिया गया प्रथम शिक्षण का रिकॉर्ड माना जाता है।
परंपरा के अनुसार, बुद्ध ने सारनाथ में यह उपदेश “पाँच तपस्वियों” को दिया था, उनके पूर्व साथी जिनके साथ उन्होंने छह साल तपस्या की थी।
इस सूत्र का मुख्य विषय चार महान सत्य हैं, जो बौद्ध धर्म की केंद्रीय शिक्षाएं हैं जो सभी बौद्ध विचार के लिए एक एकीकृत विषय या वैचारिक रूपरेखा प्रदान करती हैं।
यह मध्य मार्ग, क्षणिकता और कार्य-कारण सम्बन्धी बौद्ध अवधारणाओं को भी प्रस्तुत करता है।
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Question 3 of 5
3. Question
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- श्रुतकेवलिन जैन धर्म में उन तपस्वियों के लिए प्रयुक्त एक शब्द है, जिन्हें जैन आगम (ग्रंथों) का पूरा ज्ञान है।
- जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के अनुसार, जैन धर्म में श्रुत केवली नहीं थे।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
Correct
उत्तर: a)
चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, गंगा घाटी में एक गंभीर अकाल पड़ा था। भद्रबाहु और चंद्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में कई जैन भिक्षु कर्नाटक में श्रवण बेलगोला वहले गए।
उत्तर भारत में शेष रहने वालों का नेतृत्व स्थूलबाहु नामक एक भिक्षु ने किया, जिन्होंने भिक्षुओं के लिए आचार संहिता को बदल दिया था।
इसके कारण जैन धर्म का विभाजन दो संप्रदायों श्वेताम्बर और दिगंबर में हुआ।
पहली जैन परिषद को पाटलिपुत्र में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के प्रारंभ में स्थूलबाहु द्वारा बुलाया गया था।
जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के अनुसार, जैन धर्म में पांच श्रुति केवलीं थे – गोवर्धन महामुनि, विष्णु, नंदीमित्रा, अपराजिता और भद्रबाहु।
श्रुतकेवलिन जैन धर्म में उन तपस्वियों के लिए प्रयुक्त एक शब्द है, जिन्हें जैन आगम (ग्रंथों) का पूरा ज्ञान है।
Incorrect
उत्तर: a)
चौथी शताब्दी ईसा पूर्व के अंत तक, गंगा घाटी में एक गंभीर अकाल पड़ा था। भद्रबाहु और चंद्रगुप्त मौर्य के नेतृत्व में कई जैन भिक्षु कर्नाटक में श्रवण बेलगोला वहले गए।
उत्तर भारत में शेष रहने वालों का नेतृत्व स्थूलबाहु नामक एक भिक्षु ने किया, जिन्होंने भिक्षुओं के लिए आचार संहिता को बदल दिया था।
इसके कारण जैन धर्म का विभाजन दो संप्रदायों श्वेताम्बर और दिगंबर में हुआ।
पहली जैन परिषद को पाटलिपुत्र में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व के प्रारंभ में स्थूलबाहु द्वारा बुलाया गया था।
जैन धर्म के दिगंबर संप्रदाय के अनुसार, जैन धर्म में पांच श्रुति केवलीं थे – गोवर्धन महामुनि, विष्णु, नंदीमित्रा, अपराजिता और भद्रबाहु।
श्रुतकेवलिन जैन धर्म में उन तपस्वियों के लिए प्रयुक्त एक शब्द है, जिन्हें जैन आगम (ग्रंथों) का पूरा ज्ञान है।
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Question 4 of 5
4. Question
बसवन्ना द्वारा स्थापित अनुभाव मंतप मुख्य रूप से चर्चा करने का स्थान था
- जनता के जीवन को प्रभावित करने वाले बड़े राजनीतिक प्रश्नों पर
- आध्यात्मिक मामलो पर
- स्थानीय निकायों द्वारा तय किए गए मामलों के खिलाफ सुनवाई करना
सही उत्तर कूट का चयन कीजिए:
Correct
उत्तर: c)
बसवन्ना 12वीं सदी के दार्शनिक, राजनेता, कन्नड़ कवि और कर्नाटक में कलचुरी-वंश के राजा बिज्जला प्रथम के शासनकाल के दौरान एक समाज सुधारक था। बसवन्ना ने अपनी कविता के माध्यम से सामाजिक जागरूकता का प्रचार किया, जिसे वचानास के नाम से जाना जाता है।
बासवन्ना ने लैंगिक या सामाजिक भेदभाव, अंधविश्वास और रिवाजों को खारिज कर दिया।
उन्होंने अनुभाव मंतप (आध्यात्मिक अनुभव) जैसे नए सार्वजनिक संस्थानों की शुरुआत की, जिन्होंने सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के पुरुषों और महिलाओं का स्वागत किया, जो जीवन के आध्यात्मिक और सांसारिक सवालों पर चर्चा करते थे।
एक नेतृत्वकर्ता के रूप में, उन्होंने वीरशैव या “शिव के उत्साही, वीर उपासक” नामक एक नए भक्ति आंदोलन को विकसित और प्रेरित किया। इस आंदोलन ने 7वीं से 11वीं शताब्दी में चल रहे तमिल भक्ति आंदोलन, विशेष रूप से शैव नयनार परंपराओं प्रेरित किया।
Incorrect
उत्तर: c)
बसवन्ना 12वीं सदी के दार्शनिक, राजनेता, कन्नड़ कवि और कर्नाटक में कलचुरी-वंश के राजा बिज्जला प्रथम के शासनकाल के दौरान एक समाज सुधारक था। बसवन्ना ने अपनी कविता के माध्यम से सामाजिक जागरूकता का प्रचार किया, जिसे वचानास के नाम से जाना जाता है।
बासवन्ना ने लैंगिक या सामाजिक भेदभाव, अंधविश्वास और रिवाजों को खारिज कर दिया।
उन्होंने अनुभाव मंतप (आध्यात्मिक अनुभव) जैसे नए सार्वजनिक संस्थानों की शुरुआत की, जिन्होंने सभी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि के पुरुषों और महिलाओं का स्वागत किया, जो जीवन के आध्यात्मिक और सांसारिक सवालों पर चर्चा करते थे।
एक नेतृत्वकर्ता के रूप में, उन्होंने वीरशैव या “शिव के उत्साही, वीर उपासक” नामक एक नए भक्ति आंदोलन को विकसित और प्रेरित किया। इस आंदोलन ने 7वीं से 11वीं शताब्दी में चल रहे तमिल भक्ति आंदोलन, विशेष रूप से शैव नयनार परंपराओं प्रेरित किया।
-
Question 5 of 5
5. Question
आर्य-सिद्धान्त की रचना किसने की है
Correct
उत्तर: b)
आर्यभट्ट गणित और खगोल विज्ञान पर कई ग्रंथों का लेखक है, जिनमें से कुछ समाप्त हो चुके हैं।
उनकी रचनाओं में आर्यभटीय और आर्य-सिद्धान्त शामिल हैं।
गणित और खगोल विज्ञान के संकलन वाले आर्यभटीय को भारतीय गणितीय साहित्य में बड़े पैमाने पर संदर्भित किया गया था और यह वर्तमान में भी मौजूद है।
Incorrect
उत्तर: b)
आर्यभट्ट गणित और खगोल विज्ञान पर कई ग्रंथों का लेखक है, जिनमें से कुछ समाप्त हो चुके हैं।
उनकी रचनाओं में आर्यभटीय और आर्य-सिद्धान्त शामिल हैं।
गणित और खगोल विज्ञान के संकलन वाले आर्यभटीय को भारतीय गणितीय साहित्य में बड़े पैमाने पर संदर्भित किया गया था और यह वर्तमान में भी मौजूद है।








