INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 15 February 2021

 

विषयसूची

सामान्य अध्ययन-II

1. कैलाश पर्वत श्रेणी

 

सामान्य अध्ययन-III

1. मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना

2. वन नेशन वन राशन कार्ड योजना

3. इसरो द्वारा ’भुवन’ की घोषणा

4. राष्ट्रीय कोयला सूचकांक

5. फास्टैग

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. विश्व रेडियो दिवस

2. मैंडारिन बत्तख

3. मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-1A

4 डिकइंसोनिया

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी- संबंध।

कैलाश पर्वत श्रेणी


(Kailash Range)

संदर्भ:

वर्ष 1962 के चीनी आक्रमण के दौरान, कैलाश पर्वत श्रेणी (Kailash Range) एक युद्ध क्षेत्र बन गयी थी, और इसमें रेजांग ला (Rezang La) और गुरुंग हिल (Gurung Hill) की प्रमुख लड़ाईयां लड़ी गई थी।

वर्ष 2020 में, भारतीय सैनिकों ने, चीनियों को आश्चर्यचकित करते हुए, एक ऑपरेशन में ‘कैलाश रिज’ पर अपना अधिकार सुरक्षित कर लिया।

कैलाश रेंज के बारे में:

पैंगोंग त्सो झील के उत्तरी छोर पर काराकोरम पर्वत श्रेणी की समाप्ति होती है। उत्तर-पूर्व से दक्षिण-पूर्व की दिशा में 60 किमी से अधिक दूरी तक फ़ैली हुई है।

  • इस पर्वत श्रेणी में 4,000-5,500 मीटर की ऊंचाई की कई उबड़-खाबड़ और खंडित पहाड़ियां पायी जाती हैं।
  • इसकी प्रमुख विशेषताओं में हेलमेट टॉप, गुरुंग हिल, स्पैंग्गुर गैप, मग्गर हिल, मुखपरी, रेजांग ला और रेचिन ला शामिल हैं।
  • यह कटक, चूशुल घाटी पर प्रभुत्व रखती है, जोकि एक महत्वपूर्ण संचार केंद्र है।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. कैलाश रेंज / रिज के बारे में
  2. प्रमुख विशेषताएं
  3. काराकोरम रेंज
  4. हिमालय का विभाजन

मेंस लिंक:

हिमालय, केवल भौतिक अवरोधक नहीं है, बल्कि एक जलवायु, जल-प्रवाह और सांस्कृतिक रूप से विभाजक भी है। विश्लेषण कीजिए।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।

विश्व दलहन दिवस


(World Pulses Day)

संदर्भ:

वैश्विक खाद्य के रूप में दालों और फलियों (legumes) के महत्व को मान्यता प्रदान करने और इनके इनके उपयोग को प्रोत्साहित करने हेतु प्रतिवर्ष 10 फरवरी को वैश्विक कार्यक्रम के रूप में विश्व दलहन दिवस (World Pulses Day) मनाया जाता है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा वर्ष 2016 को अंतर्राष्ट्रीय दलहन वर्ष (International Year of Pulse IYP) के रूप में घोषित किया गया था।

विश्व दलहन दिवस 2021 विषय: #लवपल्सस (#LovePulses)

पृष्ठभूमि:

सर्वप्रथम, बुर्किना फ़ासो (Burkina Faso),पश्चिम अफ्रीका के एक स्थ्लरुद्ध देश, द्वारा संयुक्त राष्ट्र में ‘विश्व दलहन दिवस’ के आयोजन का प्रस्ताव रखा गया था। वर्ष 2019 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 10 फरवरी को विश्व दलहन दिवस के रूप में घोषित किया गया।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत, दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है और इसने दालों में लगभग आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है।
  • वर्ष 2019-20 में, भारत में 15 मिलियन टन दलहन उत्‍पादन हुआ, जो विश्व के कुल दलहन उत्पादन का 23.62% है।
  • पिछले पांच-छह साल में ही, भारत में दलहन उत्पादकता, 140 लाख टन से बढ़कर 240 लाख टन से अधिक हो गई है।

दालों के लाभ:

  • दालों में पोषक तत्वों और प्रोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है, और ये स्वस्थ आहार का एक महत्वपूर्ण भाग होती हैं।
  • दलहन और फलियाँ (दाल, मटर, छोले, बीन्स, सोयाबीन और मूंगफली) स्वास्थ्य को बनाए रखने और इसमें समग्र रूप से सुधार हेतु भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
  • दलहनों का, ‘सतत विकास एजेंडा’-2030 के लक्ष्यों को हासिल करने में भी प्रमुख योगदान है।
  • दलहन, निर्धनता, खाद्य-श्रृंखला संबंधी सुरक्षा, निम्न स्वास्थ्य स्तर और जलवायु परिवर्तन आदि चुनौतियों को सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
  • दलहन और फलीदार फसलें, कृषि उत्पादन प्रणालियों की उत्पादकता में सुधार करने हेतु सहायक होती हैं।
  • दलहनी फसलें ,पर्यावरणीय हितों में भी योगदान करती हैं। दालों के, नाइट्रोजन की मात्रा संतुलित करने संबंधी गुण, मृदा-उर्वरता में सुधार करते हैं, जिससे खेतों की उत्पादकता और उर्वरता में वृद्धि होती है।
  • स्वस्थ आहार के लिए दालें महत्वपूर्ण होती हैं। ‘विश्व दलहन दिवस’ को जागरूकता बढ़ाने और संवहनीय खाद्य प्रणालियों और स्वस्थ भोजन चक्र में दालों के योगदान को चिह्नित करने के अवसर के रूप लिया जाना चाहिए।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. दलहन- जलवायु परिस्थितियाँ।
  2. भारत में दलहन उत्पादन करने वाले महत्वपूर्ण क्षेत्र।
  3. दालों के लाभ।
  4. विश्व दलहन दिवस।

मेंस लिंक:

भारत को दालों के उत्पादन में क्यों और किस प्रकार वृद्धि की जानी चाहिए? चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: मुख्य फसलें- देश के विभिन्न भागों में फसलों का पैटर्न- सिंचाई के विभिन्न प्रकार एवं सिंचाई प्रणाली- कृषि उत्पाद का भंडारण, परिवहन तथा विपणन, संबंधित विषय और बाधाएँ; किसानों की सहायता के लिये ई-प्रौद्योगिकी।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना


(Soil Health Card scheme)

संदर्भ:

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना (Soil Health Card scheme), देश के 32 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में लागू की जा रही है।

योजना के बारे में:

  • इस योजना की शुरुआत 5, दिसंबर, 2015 को कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा की गयी थी।
  • इस योजना के तहत, कृषि, महिला स्वयं सहायता समूहों, कृषक उत्पादक संगठन (FPOs) आदि में शिक्षा प्राप्त युवाओं द्वारा ग्रामीण स्तर पर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की जाएंगी।
  • इस योजना में उपयुक्त कौशल विकास के पश्चात रोजगार सृजन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ (SHC) क्या है?

  • ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ (Soil Health Card- SHC) एक मुद्रित रिपोर्ट कार्ड होता है, जो किसान को उसकी प्रत्येक कृषि-जोत के लिए प्रदान किया जाएगा।
  • मृदा स्वास्थ्य कार्ड, छह फसलों के लिए, जैविक खादों सहित उर्वरकों की सिफारिशों के दो सेट उपलब्ध कराता है।

इसमें मृदा के संदर्भ में निम्नलिखित 12 मानकों के स्तरों को शामिल किया जाता है:

  1. नाईट्रोजन, फास्फोरस तथा पोटेशियम / एन, पी, के (N,P,K) (वृहत-पोषक तत्व);
  2. सल्फर (S) (मध्यम-पोषक तत्व);
  3. जिंक (Zn), आयरन (Fe), मैगनीज (Mn), बोरान (Bo) (सूक्ष्म- पोषक तत्व); तथा
  4. पीएच (pH), वैद्युत चालकता (EC), जैविक कार्बन (OC) (भौतिक मानक)।

‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ के उद्देश्य:

‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ का उद्देश्य प्रत्येक किसान को उसकी कृषि-जोतों की मृदा के पोषक तत्वों की स्थिति के बारे में जानकारी देना है।

यह कार्ड, उर्वरकों की मात्रा के संबंध में किसान को सलाह प्रदान करता है, और मृदा के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए, इसमें आवश्यक संशोधनों के बारे में भी सुझाव देता है।

मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ का महत्व:

इस योजना के तहत, प्रति दो वर्ष में एक बार राज्य सरकारों द्वारा मृदा संरचना का विश्लेषण कराए जाने का प्रावधान किया गया है ताकि मृदा के पोषक तत्वों में सुधार हेतु समय पर उपचारात्मक कदम उठाए जा सकें। मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन योजना किसानों के लिए वरदान साबित हुई है, और साथ ही यह कृषि-कार्य में लगे युवाओं के लिए रोजगार भी पैदा कर रही है।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित विषय; जन वितरण प्रणाली- उद्देश्य, कार्य, सीमाएँ, सुधार; बफर स्टॉक तथा खाद्य सुरक्षा संबंधी विषय; प्रौद्योगिकी मिशन; पशु पालन संबंधी अर्थशास्त्र।

‘वन नेशन वन राशन कार्ड’ योजना


संदर्भ:

केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत पंजाब ‘एक राष्ट्र एक राशन कार्ड प्रणाली’ / वन नेशन वन राशन कार्ड’ सिस्टम सुधारों को सफलतापूर्वक पूरा करने वाला देश का 13 वां राज्य बन गया है।

इसके पश्चात, पंजाब अब ओपन मार्केट से वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए 1516 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर्ज लेने का पात्र हो गया है।

योजना के बारे में:

वन नेशन वन राशन कार्ड योजना के तहत लाभार्थी विशेषकर प्रवासी देश के किसी भी भाग में, अपनी पसंद की सार्वजानिक वितरण प्रणाली दुकान से खाद्यान्न प्राप्त करने में सक्षम हो होंगे।

लाभ: इस योजना के लागू होने पर कोई भी गरीब व्यक्ति, एक स्थान से दूसरे स्थान पर प्रवास करने पर खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत सब्सिडी वाले खाद्यान्न प्राप्त करने से वंचित नहीं होगा।

इसका उद्देश्य विभिन्न राज्यों से लाभ उठाने के लिये एक से अधिक राशन कार्ड रखने वाले व्यक्तियों पर रोक लगाना है।

महत्व: यह योजना लाभार्थियों को स्वतंत्रता प्रदान करेगी, क्योंकि वे किसी एक सार्वजानिक वितरण प्रणाली (PDS) दुकान से बंधे नहीं होंगे तथा दुकान मालिकों पर इनकी निर्भरता भी कम होगी। इस योजना के लागू होने पर PDS संबधित भ्रष्टाचार के मामलों पर अंकुश भी लगेगा।

एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड’ का मानक प्रारूप:

विभिन्न राज्यों द्वारा उपयोग किए जाने वाले प्रारूप को ध्यान में रखते हुए राशन कार्ड के लिए एक मानक प्रारूप तैयार किया गया है।

  1. राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को द्वि-भाषी प्रारूप में राशन कार्ड जारी करने के लिए कहा गया है। इसमें स्थानीय भाषा के अतिरिक्त, अन्य भाषा के रूप में हिंदी अथवा अंग्रेजी को सम्मिलित किया जा सकता है।
  2. राज्यों को 10 अंकों का राशन कार्ड नंबर जारी करने के लिए कहा गया है, जिसमें पहले दो अंक राज्य कोड होंगे और अगले दो अंक राशन कार्ड नंबर होंगे।
  3. इसके अतिरिक्त, राशन कार्ड में परिवार के प्रत्येक सदस्य की यूनिक मेंबर आईडी बनाने के लिए राशन कार्ड नंबर में दो अंक जोड़े जायेंगे।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. पीडीएस क्या है?
  2. NFSA क्या है? पात्रता? लाभ?
  3. उचित मूल्य की दुकानें (fair price shops) कैसे स्थापित की जाती हैं?
  4. राशनकार्ड का प्रस्तावित प्रारूप।

मेंस लिंक:

वन नेशन वन राशन कार्ड योजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

इसरो द्वारा ’भुवन’ की घोषणा


संदर्भ:

हाल ही में, अंतरिक्ष विभाग (Department of Space-DoS) और भारतीय भू-स्‍थानिक प्रौद्योगिकी कंपनी, सीई इंफो सिस्‍टम्‍स प्राइवेट लिमिटेड के मध्य एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए गए। ज्ञातव्य है कि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO), अंतरिक्ष विभाग के अधीन कार्य करता है।

  • इस समझौते से दोनों टीमें संयुक्‍त रूप से, मैप माय इंडिया (MapmyIndia) पर उपलब्‍ध भू-प्रेक्षण डेटासेटों, नाविक (NavIC) वेब सेवाएं तथा ए.पी.आई. (application programming interface APIs) का उपयोग करते हुए समग्र भू-स्‍थानिक पोर्टल को चिह्नित एवं निर्मित करने में सक्षम होंगी।
  • इन भू-स्थानिक पोर्टल्स को भुवन’ (Bhuvan), ‘वेदास’ (VEDAS) और ‘मोजडैक’ (MOSDAC) का नाम दिया गया जाएगा।

प्रमुख तथ्य:

भुवन’ (Bhuvan), इसरो द्वारा विकसित और संचालित किया जाने वाला ‘राष्ट्रीय भू-पोर्टल’ (national geo-portal) है। इसमें भू-स्थानिक आंकड़े, सेवाएं और विश्लेषण करने हेतु उपकरण, सम्मिलित होते हैं।

वेदास’ (Visualisation of Earth observation Data and Archival System– VEDAS), अर्थात पृथ्वी अवलोकन डेटा का मानसिक चित्रण और अभिलेखीय प्रणाली, एक ऑनलाइन जियोप्रोसेसिंग प्लेटफ़ॉर्म है जो विशेष रूप से शिक्षा, अनुसंधान और समस्या समाधानों हेतु अनुप्रयोगों के लिए ऑप्टिकल, माइक्रोवेव, थर्मल और हाइपरस्पेक्ट्रल पृथ्वी अवलोकन (Earth observation- EO) डेटा का उपयोग करता है।

मोजडैक’ (Meteorological and Oceanographic Satellite Data Archival Centre– MOSDAC) अर्थात, मौसम विज्ञान और महासागरीय उपग्रह डेटा अभिलेखीय केंद्र, इसरो के सभी मौसमविज्ञान-संबंधी मिशनों के लिए आंकड़ों का भंडार है तथा मौसम संबंधी जानकारी, समुद्र-विज्ञान और उष्णकटिबंधीय जलवायु चक्र से संबंधित है।

नाविक (NAVIC) क्या है?

नाविक- नैविगेशन विद इंडियन कौन्स्टेलेशन (NAVigation with Indian Constellation- NavIC), एक स्वतंत्र क्षेत्रीय नेविगेशन उपग्रह प्रणाली है, जिसे भारतीय क्षेत्र तथा भारतीय मुख्य भूमि के आसपास 1500 किमी की दूरी में अवस्थिति-जानकारी प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

इसके निम्नलिखित अनुप्रयोग हैं:

  1. स्थलीय, हवाई और समुद्री नेविगेशन।
  2. आपदा प्रबंधन।
  3. वाहन ट्रैकिंग और बेड़ों का प्रबंधन (fleet management)
  4. मोबाइल फोनों के साथ समेकन।
  5. सटीक समय-मापन।
  6. मानचित्रण एवं भूगणितीय आंकड़े हासिल करने हेतु।
  7. पैदल यात्रियों और अन्य यात्रियों के लिए स्थलीय नेविगेशन सहायता।
  8. ड्राइवरों के लिए दृश्यिक और आवाज द्वारा नेविगेशन।

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नाविक (NAVIC) प्रणाली में कितने उपग्रह शामिल हैं?

It is powered by eight IRNSS satellites, of which one provides messaging services

यह प्रणाली IRNSS के आठ उपग्रहों से संचालित होती है, इनमे से एक उपग्रह संदेश सेवायें प्रदान करता है।

  • इनमें से तीन उपग्रह हिंद महासागर के ऊपर भू-स्थिर(Geostationary) कक्षा में स्थित होंगे, अर्थात, ये उपग्रह इस क्षेत्र के ऊपर आसमान में स्थिर दिखाई देंगे, और चार उपग्रह भू-तुल्यकालिक (geosynchronous) कक्षा में स्थित होंगे तथा प्रतिदिन आकाश में एक ही समय पर एक ही बिंदु पर दिखाई देंगे।
  • उपग्रहों का यह विन्यास, यह सुनिश्चित करता है, कि प्रत्येक उपग्रह, पृथ्वी पर स्थापित चौदह स्टेशनों में से कम से कम किसी एक स्टेशन के द्वारा ट्रैक होता रहे तथा भारत में किसी भी बिंदु से अधिकांश उपग्रहों को देखे जाने की उच्च संभावना बनी रहे।

स्वदेशी ‘ग्लोबल नेविगेशन सिस्टम’ की आवश्यकता

  • किसी राष्ट्र के पास स्वदेशी ‘वैश्विक नेविगेशन प्रणाली’ होने से, विशेषकर इस प्रकार की आश्वासन नीतियों की गारंटी के माध्यम से, राष्ट्र की ‘समग्र सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में क्षमताओं का विकास होता है।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में, वर्ष 2004 में आये ‘सुनामी’ और वर्ष 2005 में पाकिस्तान-भारत भूकंप जैसी आपदाओं के बाद राहत प्रयासों में भी यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

 

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

राष्ट्रीय कोयला सूचकांक


(National Coal Index)

संदर्भ:

हाल ही में, कोयला मंत्रालय द्वारा राजस्व भागीदारी के आधार पर कोयला खानों की वाणिज्यिक नीलामी शुरू की गयी है।

कोयले के बाजार मूल्यों के आधार पर राजस्व हिस्सेदारी निर्धारित करने हेतु, राष्ट्रीय कोयला सूचकांक’ (National Coal Index-NCI) की संकल्पना की गई है।

राष्ट्रीय कोयला सूचकांक (NCI) क्या है?

‘राष्ट्रीय कोयला सूचकांक’ एक मूल्य सूचकांक है। यह एक निश्चित आधार वर्ष के सापेक्ष किसी विशेष महीने में कोयले की कीमतों के स्तर में परिवर्तन को दर्शाता है।

  • राष्ट्रीय कोयला सूचकांक (NCI) के लिए वित्त वर्ष 2017-18 को आधार वर्ष निर्धारित किया गया है।
  • इसे 4 जून 2020 से लागू किया गया है।
  • इसका उद्देश्य, कोयले के बाजार मूल्य को वास्तविक रूप से प्रतिबिंबित करने वाले सूचकांक का निर्माण करना है।

लाभ:

  • कराधान उद्देश्यों हेतु, कोयला सूचकांक एक आधार सूचक के रूप में कार्य करेगा।
  • खदानों के लिए अग्रिम राशि और वास्तविक कीमतों की भविष्य गणना में यह सूचकांक सहायता प्रदान करेगा।
  • वार्षिक वृद्धि (मासिक भुगतान) की गणना के लिए, यह सूचकांक एक आधार के रूप में कार्य कर सकता है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. NCI के बारे में।
  2. प्रमुख विशेषताएं।
  3. कोयले के प्रकार।
  4. कोयला गैसीकरण क्या है?
  5. यह किस प्रकार किया जाता है?
  6. इसके उपोत्पाद (Byproducts)
  7. गैसीकरण के लाभ?
  8. भूमिगत कोयला गैसीकरण क्या है?
  9. कोयला द्रवीकरण क्या है?
  10. द्रवीकरण के लाभ

मेंस लिंक:

कोयला गैसीकरण एवं द्रवीकरण पर एक टिप्पणी लिखिए, तथा इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

 

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

फास्टैग (FASTag)


संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने फैसला किया है, कि राष्ट्रीय राजमार्गों पर शुल्क संग्रह प्लाज़ा की सभी लेन को 15 फरवरी/16 फरवरी 2021 की आधी रात से  “शुल्क प्लाजा फास्टैग लेन” के रूप में घोषित कर दिया जाएगा।

कोई भी वाहन जिसमें फास्टैग नहीं लगा हुआ है, उसे शुल्क प्लाज़ा में प्रवेश करने पर उस श्रेणी के लिए निर्धारित शुल्क की दोगुनी राशि का भुगतान करना होगा।

FASTag किस प्रकार कार्य करता है?

  • फास्टैग प्रणाली में, इससे संबंधितप्रीपेड या बचत खाते से टोल शुल्क के भुगतान हेतु रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (Radio Frequency Identification- RFID) का उपयोग किया जाता जाता है।
  • ये स्टीकर के रूप में वाहनों के विंडस्क्रीन पर चिपकाए जाते हैं, जिससे वाहन बिना रुके प्लाज़ा से गुजर सकता है।
  • यह भुगतान विधि, राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (NETC) कार्यक्रम का एक हिस्सा है। इस भुगतान को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) द्वारा संग्रहीत किया जाता है।

इस योजना की आवश्यकता:

  • भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) के अनुसार, इस तकनीक के प्रयोग से, वाहन चालकों के लिए नकदी रखने तथा शुल्क भुगतान करने हेतु रुकना नहीं पड़ेगा, जिससे टोल से गुजरना काफी आसान हो जाएगा।
  • टोल बूथों पर लगे कैमरे, वाहन में बैठे यात्रियों की तस्वीरें खींच लेंगे, जोकि किसी वाहन की आवाजाही के रिकॉर्ड रूप में दर्ज होगा तथा गृह मंत्रालय के लिए उपयोगी होगा।

RFID

स्रोत: पीआईबी

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


विश्व रेडियो दिवस

(World Radio Day)

13 फरवरी, को प्रतिवर्ष ‘विश्व रेडियो दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।

  • वर्ष 2011 में यूनेस्को के सदस्य राज्यों द्वारा इस दिन को ‘विश्व रेडियो दिवस’ घोषित किया गया और 2012 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाया गया था।
  • विश्व रेडियो दिवस का उद्देश्य, इस माध्यम को बढ़ावा देना, लोगों तक पहुंच में वृद्धि करना और अधिक लोगों को इसका उपयोग करने हेतु प्रोत्साहित करना है।

विश्व रेडियो दिवस (WRD), 2021 संस्करण को तीन मुख्य उप-विषयों में विभाजित किया गया है।

  1. विकास: दुनिया बदलती है, रेडियो विकसित होता है।
  2. नवाचार: दुनिया बदलती है, रेडियो इसके लिए खुद को अनुकूलित करता है है और नवोन्मेष करता है।
  3. कनेक्शन: दुनिया बदलती है, रेडियो संपर्क जोड़ता है।

मैंडारिन बत्तख

(Mandarin duck)

  • हाल ही में, असम के मागुरी-मोटापुंग बील (Maguri-Motapung beel) में पहली बार ‘मैंडारिन बत्तख’ देखी गई।
  • इसका वैज्ञानिक नाम ‘आइक्स गलेरिकुलाता’ (Aix galericulata) है। पहली बार स्वीडिश वनस्पतिशास्त्री, चिकित्सक और प्राणी विज्ञानी कार्ल लिनिअस (Carl Linnaeus) ने वर्ष 1758 में इसकी पहचान की थी।
  • यह प्रवासी बत्तख, रूस, कोरिया, जापान और चीन के उत्तरपूर्वी हिस्सों में प्रजनन करती है। वर्तमान में यह प्रजाति पश्चिमी यूरोप और अमेरिका में भी पायी जाती है।

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मुख्य युद्धक टैंक अर्जुन मार्क-1A

(Arjun Main Battle Tank MK-1A)

  • मुख्य युद्धक टैंक (MBT) अर्जुन, परियोजना की शुरुआत वर्ष 1972 में रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (DRDO) द्वारा की गयी थी।
  • इस टैंक के लिए, चेन्नई स्थित DRDO की एक प्रमुख प्रयोगशाला ‘युद्धक वाहन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान (Combat Vehicles Research and Development EstablishmentCVRDE)में निर्मित किया गया है।
  • बेहतर स्वदेशी रूप से विकसित ‘फिन स्टैबलाइज्ड आर्मर पियर्सिंग डिस्चार्जिंग सबोट’ (FSAPDS ) गोला-बारूद की क्षमता और 120 मिमी कैलिबर वाली राइफल्ड गन मुख्य युद्धक टैंक (MBT) अर्जुन को विशिष्टता प्रदान करती है।
  • इसे एक कंप्यूटर-नियंत्रित एकीकृत अग्नि नियंत्रण प्रणाली से लैस किया गया है, जो सभी प्रकार की रोशनियों में स्थिर दृश्यता प्रदान करती है।

डिकइंसोनिया

(Dickinsonia)

हाल ही में, शोधकर्ताओं ने भोपाल से लगभग 40 किमी दूर भीमबेटका की सैल गुफाओं की छत पर, अब तक ज्ञात सबसे प्राचीन जीवित प्राणी, 550 मिलियन वर्ष पुराने, डिकइंसोनिया (Dickinsonia) के तीन जीवाश्मों की खोज की है।

डिकइंसोनिया, इडिऐकरन कल्प (Ediacaran) के अंतिम दौर में जीवित, एक बुनियादी जंतु (basal animal) की विलुप्त प्रजाति है। ये जीवाश्म, बलुआ पत्थरों की सतहों में केवल छापों और चिह्नों के रूप में पाए जाते हैं।

इडिऐकरन कल्प, एक भूवैज्ञानिक काल है। इसकी अवधि, 635 मिलियन वर्ष पहले क्रायोजेनियन (Cryogenian) काल के अंत के बाद 541 मिलियन वर्ष पहले कैम्ब्रियन काल की शुरुआत तक, 94 मिलियन वर्ष की मानी जाती है।


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