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INSIGHTS करेंट अफेयर्स+ पीआईबी नोट्स [ DAILY CURRENT AFFAIRS + PIB Summary in HINDI ] 8 February 2021

 

विषयसूची

 सामान्य अध्ययन-II

1. राज्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा मंत्री को प्रतिबंधित करने संबंधी आदेश खारिज: उच्च न्यायालय

2. खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड की सीमा निर्धारित

 

सामान्य अध्ययन-III

1. मुक्त बाज़ार परिचालन (OMO)

2. प्रधान मंत्री उर्जा गंगा परियोजना

3. होप: संयुक्त अरब अमीरात का पहला मंगल मिशन

4. हिमनदीय प्रकोप एवं इसके कारण

 

प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य

1. धौलीगंगा

2. तपोवन जल विद्युत परियोजना

3. राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद

 


सामान्य अध्ययन- II


 

विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्य- सरकार के मंत्रालय एवं विभाग, प्रभावक समूह और औपचारिक/अनौपचारिक संघ तथा शासन प्रणाली में उनकी भूमिका।

राज्य निर्वाचन आयुक्त द्वारा मंत्री को प्रतिबंधित करने संबंधी आदेश खारिज: उच्च न्यायालय


संदर्भ:

आंध्र प्रदेश के राज्य निर्वाचन आयुक्त (State Election Commissioner- SEC) ने पंचायत राज एवं ग्रामीण विकास मंत्री पेडिरेड्डी रामचंद्र रेड्डी को ग्राम पंचायत चुनाव की प्रक्रिया को भंग करने अथवा प्रभावित करने से रोकने  के लिए 21 फरवरी तक उनके निवास पर परिरुद्ध करने का आदेश दिया था।

  • हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस आदेश को रद्द कर दिया है।
  • मंत्री ने अदालत में तर्क दिया है कि उन पर संदेह कार्रवाई करना राज्य निर्वाचन आयुक्त (SEC) के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, और यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का उल्लंघन है।

इस संबंध में राज्य निर्वाचन आयुक्त की शक्तियां:

राज्य निर्वाचन आयुक्त (SEC)  के अनुसार, यह आदेश संविधान के अनुच्छेद 243K के तहत प्रद्दत शक्तियों को अंतर्गत जारी किया गया है, और इसके तहत राज्य के डीजीपी को, ‘मंत्री’ के लिए स्थानीय / ग्राम पंचायत चुनावों के पूरा होने तक उनके आवासीय परिसर में परिरुद्ध करने का निर्देश दिया गया था।

‘राज्य निर्वाचन आयोग’ के बारे में:

भारत के संविधान में राज्य निर्वाचन आयोग का उल्लेख किया गया है, जिसमें अनुच्छेद 243K, तथा 243ZA के अंतर्गत राज्य निर्वाचन आयुक्त, पंचायतों और नगर पालिकाओं हेतु सभी चुनावों का संचालन, निर्वाचन संबंधी दिशा-निर्देश, तथा मतदाता सूची तैयार करने संबंधी प्रावधान किये गए है।

  • राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (C3) के अनुसार, राज्यपाल, राज्य निर्वाचन आयुक्त (SEC) द्वारा अनुरोध किए जाने पर राज्य निर्वाचन आयोग के लिए अन्य कर्मचारियों को उपलब्ध कराता है।

भारतीय निर्वाचन आयोग तथा राज्य निर्वाचन आयोग की शक्तियां

राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) के गठन से संबंधित अनुच्छेद 243K के प्रावधान, भारतीय निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) से संबंधित अनुच्छेद 324 के समान हैं। दूसरे शब्दों में, राज्य निर्वाचन आयोग को भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के समान दर्जा प्राप्त होता है।

किशन सिंह तोमर बनाम अहमदाबाद शहर नगर निगम मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था,  कि राज्य सरकारें, जिस प्रकार संसदीय निर्वाचन तथा विधानसभा चुनावों के दौरान भारतीय निर्वाचन आयोग (ECI) के निर्देशों का पालन करती हैं, उसी तरह, राज्य सरकारों को पंचायत और नगरपालिका चुनावों के दौरान राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) के आदेशों का पालन करना चाहिए।

चुनाव-प्रक्रिया में न्यायिक हस्तक्षेप की सीमा

चुनावी प्रक्रिया आरंभ होने के पश्चात, न्यायालय द्वारा स्थानीय निकायों और स्व-प्रशासित संस्थानों के निर्वाचन-संचालन में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 243-O में राज्य निर्वाचन आयोग (SEC) द्वारा शुरू किये गए निर्वाचन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप को प्रतिबंधित किया गया है।

इसी प्रकार, अनुच्छेद 329 के तहत चुनाव आयोग द्वारा शुरू किये गए निर्वाचन संबंधी मामलों में हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

  • चुनाव समाप्त होने के बाद ही राज्य निर्वाचन आयोग के निर्णयों या आचरण पर चुनाव याचिका के माध्यम से सवाल उठाए जा सकते हैं।
  • राज्य निर्वाचन आयोग को प्राप्त शक्तियाँ चुनाव आयोग की शक्तियों के समान हैं।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. अनुच्छेद 243 अनुच्छेद 324
  2. चुनाव आयोग के फैसलों के खिलाफ अपील
  3. संसद और राज्य विधानसभाओं के चुनाव तथा स्थानीय निकायों की चुनाव प्रक्रिया
  4. भारतीय निर्वाचन आयोग तथा राज्य चुनाव आयोग की शक्तियों के बीच अंतर

मेंस लिंक:

क्या भारत में राज्य चुनाव आयोग, भारतीय निर्वाचन आयोग की भांति स्वतंत्र हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

खाद्य पदार्थों में ट्रांस फैटी एसिड की सीमा निर्धारित


संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा खाद्य उत्पादों में औद्योगिक ट्रांस फैटी एसिड (Trans Fatty AcidTFA) की अनुमेय मात्रा निर्धारित कर दी गयी है, इसके तहत ट्रांस फैटी एसिड की अनुमेय सीमा, वर्तमान में 5 प्रतिशत से कम करके वर्ष 2021 तक 3 प्रतिशत तथा वर्ष 2022 तक 2 प्रतिशत होगी।

पृष्ठभूमि:

पिछले वर्ष दिसंबर में, भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा खाद्य सुरक्षा और मानक (बिक्री पर निषेधाज्ञा एवं रोक) विनियम (Food Safety and Standards (Prohibition and Restriction on Sales) Regulations) में संशोधन करते हुए तेल और वसा में ट्रांस फैटी एसिड (TFA) की मात्रा वर्ष 2021 के लिए 3% और वर्ष 2022 में 2% तक निर्धारित की थी।

प्रयोज्यता:

नए विनियमन, रिफाइंड खाद्य तेलों, वनस्पति (आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत तेल), मार्जरीन (कृत्रिम मक्खन), बेकरी से संबंधित वस्तुओं तथा खाना पकाने में प्रयुक्त होने वाले अन्य माध्यमों जैसे कि वनस्पति वसा और मिश्रित वसा पर लागू होंगे।

‘औद्योगिक ट्रांस फैटी एसिड’ क्या हैं?

‘ट्रांस फैटी एसिड’, एक औद्योगिक प्रक्रिया द्वारा निर्मित किए जाते हैं, जिसके अंतर्गत तरल वनस्पतीय तेलों को ठोस करने हेतु इनमें हाइड्रोजन को मिश्रित किया जाता है। इससे खाद्य पदार्थ अधिक समय तक खराब नहीं होते है, और सस्ते होने के कारण इनका उपयोग मिलावटी पदार्थों (adulterant) के रूप में भी किया जाता है।

  • ये पके हुए, तले हुए और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के साथ-साथ मिलावटी घी में भी उपस्थित होते हैं, और ये कमरे के तापमान पर ठोस हो जाते हैं।
  • ट्रांस फैट, वसा का सबसे हानिकारक रूप होते हैं, इनके कारण धमनियों का अवरुद्ध होना, उच्च रक्तचाप, दिल के दौरे और अन्य हृदय रोगों की समस्याएं उत्पन्न होती है।

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प्रीलिम्स लिंक:

  1. ट्रांस फैट क्या होते हैं?
  2. वे हानिकारक क्यों हैं?
  3. उनका उत्पादन कैसे और कहाँ किया जाता है?
  4. WHO और FSSAI द्वारा निर्धारित स्वीकार्य सीमा क्या है?
  5. REPLACE अभियान किससे संबंधित है?
  6. FSSAI के बारे में।

मेंस लिंक:

ट्रांस फैट क्या हैं? वे हानिकारक क्यों हैं? चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 


सामान्य अध्ययन- III


 

विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और संसाधन, विकास, विकास और रोजगार की योजना बनाने से संबंधित मुद्दे।

मुक्त बाज़ार परिचालन (OMO)


(Open Market Operations)

संदर्भ:

हाल ही में, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा 20,000 करोड़ रुपए के मुक्त बाजार परिचालनों (Open Market Operations OMO) की घोषणा की गई है।

‘मुक्त बाज़ार परिचालन’ क्या होते हैं?

मुक्त बाज़ार परिचालन (Open Market Operation- OMO), भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) या देश के केंद्रीय बैंक द्वारा सरकारी प्रतिभूतियों और ट्रेजरी बिलों की बिक्री और खरीद होती है।

  • OMO का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को विनियमित करना है।
  • यह मात्रात्मक मौद्रिक नीति उपकरणों में से एक होता है।

कार्यविधि:

भारतीय रिजर्व बैंक, मुक्त बाज़ार परिचालन (OMO) का निष्पादन वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से करता है तथा इसके तहत RBI जनता के साथ सीधे व्यापार नहीं करता है।

OMO बनाम तरलता:

  • जब केंद्रीय बैंक मौद्रिक प्रणाली में तरलता (liquidity) में वृद्धि करना चाहता है, तो वह खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। इस प्रकार केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंकों को तरलता प्रदान करता है।
  • इसके विपरीत, जब केंद्रीय बैंक मौद्रिक प्रणाली में तरलता को कम करना चाहता है, तो वह सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री करेगा। इस प्रकार केंद्रीय बैंक अप्रत्यक्ष रूप से धन की आपूर्ति को नियंत्रित करता है और अल्पकालिक ब्याज दरों को प्रभावित करता है।

‘मुक्त बाज़ार परिचालन’ के प्रकार

भारतीय रिजर्व बैंक दो प्रकार से ‘मुक्त बाज़ार परिचालन’ (OMO) का निष्पादन करता है:

  1. एकमुश्त खरीद (Outright PurchasePEMO) – यह स्थायी प्रक्रिया होती है और इसमें सरकारी प्रतिभूतियों की एकमुश्त बिक्री या खरीद की जाती है।
  2. पुनर्खरीद समझौता (Repurchase AgreementREPO) – यह अल्पकालिक प्रक्रिया होती है और पुनर्खरीद के अधीन होती है।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. मौद्रिक बनाम राजकोषीय नीति उपकरण
  2. मात्रात्मक बनाम गुणात्मक उपकरण
  3. OMO क्या हैं?
  4. PEMO बनाम REPO

मेंस लिंक:

से ‘मुक्त बाज़ार परिचालन’ (OMO)  क्या होता हैं? इसके महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

प्रधानमंत्री उर्जा गंगा परियोजना


संदर्भ:

देश की सबसे बड़ी गैस कंपनी गेल (इंडिया) लिमिटेड ने 2,433 करोड़ रुपये की पाइपलाइन बिछाकर पश्चिम बंगाल को भारत के गैस मानचित्र पर स्थान दे दिया है। इस पाइपलाइन से राज्य को रसोई के लिये ऐसी गैस की सुविधा मिलेगी, जो एलपीजी और सीएनजी की तुलना में सस्ती और पेट्रोल और डीजल की तुलना में कम लागत वाली है।

बिहार के डोभी से पश्चिम बंगाल के दुर्गापुर तक 348 किलोमीटर की पाइपलाइन, प्रधानमंत्री उर्जा गंगा परियोजना का एक भाग है।

परियोजना के बारे में:

  • प्रधानमंत्री उर्जा गंगा परियोजना की शुरुआत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी, उत्तर प्रदेश में की गयी थी।
  • इस परियोजना के तहत, उत्तर प्रदेश से ओडिशा तक 2540 किमी लंबी एक पाइपलाइन का निर्माण किया जा रहा है।

उद्देश्य:

  • आगामी दो वर्षों के भीतर वाराणसी के प्रत्येक परिवार में, तथा इसके एक वर्ष बाद पड़ोसी राज्यों के लाखों लोगों को पाइपलाइन से रसोई गैस उपलब्ध कराना।
  • इन राज्यों में 25 औद्योगिक क्लस्टर्स का निर्माण करना। इससे, इन क्षेत्रों में गैस का उपयोग ईंधन के रूप में किया जा सकता है, और क्षेत्रों में रोजगार भी उत्पन्न होगा।

पाइपलाइन का लंबाई-वार वितरण:

  1. परियोजना के तहत, पाइपलाइन की लंबाई, उत्तर प्रदेश में 338 किमी तथा बिहार में लगभग 441 किलोमीटर होगी।
  2. झारखंड में 500 किमी लंबी पाइपलाइन बिछाई जायेगी।
  3. पश्चिम बंगाल तथा ओडिशा में पाइपलाइन की लंबाई क्रमशः 542 किमी तथा 718 किलोमीटर होगी।

प्रीलिम्स लिंक:

  1. प्रधानमंत्री उर्जा गंगा परियोजना के बारे में।
  2. उद्देश्य
  3. लक्ष्य
  4. परियोजना के तहत पाइपलाइन का लंबाई वार वितरण

मेंस लिंक:

प्रधानमंत्री उर्जा गंगा परियोजना के महत्व पर चर्चा कीजिए।

स्रोत: पीआईबी

  

विषय: सूचना प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-टैक्नोलॉजी, बायो-टैक्नोलॉजी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के संबंध में जागरुकता।

होप: संयुक्त अरब अमीरात का पहला मंगल मिशन


(Hope: UAE’s first mission to Mars)

संदर्भ:

अरब के पहले अंतराग्रहीय मिशन, होप मिशन (HOPE Mission) के 9 फरवरी को मंगल ग्रह की कक्षा में पहुंचने की संभावना है। यह, लाल ग्रह पर मौसम के रहस्यों को जानने के लिए इस यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण भाग है।

मिशन होप (Hope Mission):

मिशन होप की घोषणा वर्ष 2015 में की गयी थी। यह अरब विश्व का पहला अंतराग्रहीय मिशन (interplanetary mission) है

  • होप मिशन एक मंगल की परिक्रमा करने वाला अंतरिक्ष यान है, जो मंगल ग्रह के विरल वातावरण का अध्ययन करेगा।
  • इस मिशन का आधिकारिक नाम अमीरात मार्स मिशन (Emirates Mars Mission- EMM) है, ऑर्बिटर को होप (Hope) अथवा अल अमाल‘ (‘Al Amal’) नाम दिया गया है।
  • इस मिशन के सफल होने पर, होप ऑर्बिटर, अमेरिका, यूरोप और भारत के मंगल ग्रह का अध्ययन करने वाले छह मिशनों में सम्मिलित हो जाएगा।

होप ऑर्बिटर (Hope Orbiter)

होप प्रोब की मिशन-आयु एक मंगल-वर्ष (Martian year) है, जो पृथ्वी पर लगभग दो वर्षों के बराबर का समय है।

होप प्रोब के तीन मुख्य उद्देश्य हैं:

  1. मंगल के वातावरण की निचली सतह तथा ग्रह पर जलवायु की गतिशीलता का अध्ययन, और मंगल का पहला ग्लोबल वेदर मैप तैयार करना।
  2. मंगल के उपरी तथा निचले वातावरण की स्थितियों के परस्पर संबंध तथा ग्रह से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के पलायन में मंगल के वातावरण की भूमिका को स्पष्ट करना।
  3. मंगल के ऊपरी वायुमंडल में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन की उपस्थिति तथा परिवर्तनशीलता का अध्ययन।

मिशन का महत्व:

  • मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति के प्रमाण तथा जैव पदार्थो के अवशेष इस तथ्य की ओर संकेत करते हैं, कि यह लाल ग्रह कभी जीवन-योग्य था।
  • मंगल के अतीत की समझ वैज्ञानिकों को पृथ्वी के भविष्य को समझने में मदद कर सकती है।

प्रीलिम्स लिंक:

निम्नलिखित अभियानों का संक्षिप्त विवरण:

  1. मिशन होप
  2. MAVEN
  3. मार्स ऑर्बिटर मिशन
  4. नासा की Curiosity तथा Opportunity मिशन
  5. एक्सोमार्स (ExoMars)
  6. ओडिसी (Odyssey)

स्रोत: द हिंदू

 

विषय: आपदा और आपदा प्रबंधन।

हिमनदीय प्रकोप एवं इसके कारण


(What is a glacier outburst flood and why does it occur?)

संदर्भ:

हाल ही में, उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में नंदादेवी हिमनद / ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के बाद उत्तराखंड के कुछ हिस्सों में व्यापक रूप से बाढ़ का सामना करना पड़ा।

  • वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा की यादों को ताजा करते हुए, हिमनद के विखंडन से पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील हिमालय की ऊपरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर तबाही हुई है।
  • उपलब्ध जानकारी के अनुसार, उतराखंड के तपोवन-रैणी (Tapovan-Reni) में स्थित एक विद्युत परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक मजदूर लापता हैं।

हिमनद झील के फटने से उत्पन्न बाढ़ (GLOF):

आमतौर पर, हिमनद झील पर बने हुए बाँध के विफल होने की स्थित में ‘हिमनद झील के फटने से उत्पन्न बाढ़’ /ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड’ (Glacial Lake Outburst FloodGLOF) की उत्त्पत्ति होती है।

GLOF की तीन प्रमुख विशेषताएं होती हैं:

  1. इस प्रकार की बाढ़ में, अचानक और कभी-कभी क्रमिक रूप से पानी छोड़ा जाता है।
  2. ये बहुत तीव्रता से घटित होती है, तथा इनकी अवधि कुछ घण्टों से लेकर कुछ दिनों तक होती है।
  3. इनके कारण बड़ी नदियों के निचले भागों में जल का बहाव अति तीव्र हो जाता है, और इसमें, बहुधा जल के परिमाण के अनुसार वृद्धि होती रहती है।

हिमनद विखंडन के कारण:

  1. अपरदन (Erosion)
  2. जल दबाव में वृद्धि
  3. हिम हिमस्खलन अथवा चट्टानों का अधवाह
  4. हिम के अधःस्तर में भूकंपीय घटनाएं
  5. किसी निकटवर्ती हिमनद के हिमनदीय झील में समाहित हो जाने पर भारी मात्रा में जल का विस्थापन।

प्रभाव:

यद्यपि, हिमनदीय / ग्लेशियर झीलें आकार में भिन्न हो सकती हैं, लेकिन इनमें लाखों क्यूबिक मीटर पानी का भण्डार होता है। इन झीलों में हिम अथवा हिमनदीय अवसाद की मात्रा अनियंत्रित होने पर, इनसे कई दिनों तक जल-प्रवाह जारी रह सकता है।

नंदा देवी ग्लेशियर / हिमनद:

नंदा देवी ग्लेशियर, भारत में दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत, नंदा देवी पर्वत का एक भाग है।

हालांकि, नंदा देवी, ‘कंचनजंगा’ के बाद दूसरा सबसे ऊँची पर्वत चोटी है, लेकिन पूर्णतया भारतीय क्षेत्र में स्थित यह सबसे ऊँचा पर्वत है। कंचनजंगा, भारत और नेपाल, दोनों देशों की सीमा में अवस्थित है।

स्रोत: द हिंदू

 


प्रारम्भिक परीक्षा हेतु तथ्य


धौलीगंगा

  • उत्तराखंड की संभवत: सबसे बड़ी ग्लेशियर / हिमनदीय झील वसुधारा ताल से उद्गमित होने वाली धौलीगंगा, सर्पिले बहाव के साथ मार्ग तय करती हुई नंदादेवी नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरती है।
  • धौलीगंगा, आगे चलकर विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी में मिल जाती है।
  • यह गंगा की कई सहायक नदियों में से एक है।

चर्चा का कारण:

हाल ही में, नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर धौलीगंगा में गिरने के बाद, नदी में अचानक भयानक बाढ़ आ गई।

तपोवन जल विद्युत परियोजना

(Tapovan hydro power project)

तपोवन विष्णुगढ़ जल विद्युत संयंत्र, 520MW की एक नदी जल परियोजना है, जिसका निर्माण उत्तराखंड के चमोली जिले के धौलीगंगा नदी पर किया जा रहा है।

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद

(National Safety Council)

हाल ही में, श्री एस एन सुब्रह्मण्यन को तीन वर्षों के कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।

  • राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (NSC) की स्थापना 4 मार्च, 1966 को श्रम मंत्रालय, भारत सरकार (GOI) द्वारा की गई थी।
  • परिषद् की स्थापना, राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण (Safety, Health and Environment- SHE) पर स्वयंसेवी गतिविधियों को शुरू करने, विकसित करने और जारी रखने के लिए की गयी थी।
  • यह एक शीर्ष स्तर का गैर-लाभकारी, त्रिपक्षीय निकाय है, तथा सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम 1860 और बॉम्बे पब्लिक ट्रस्ट ट्रस्ट 1950 के तहत पंजीकृत है।

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