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सामान्य अध्ययन – 1
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
1. मौर्योत्तर अर्थव्यवस्था कृषि, आंतरिक एवं लंबी दूरी के व्यापार तथा शिल्प एवं कला के विकास पर आधारित थी। चर्चा कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: कक्षा 11th इतिहास की पुस्तक – तमिलनाडु बोर्ड
निर्देशक शब्द:
चर्चा कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए तथ्यों के साथ उत्तर लिखें।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
मौर्योत्तरकालीन अर्थव्यवस्था के उत्कर्ष का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
प्रश्न के विभिन्न उप-भागों को विस्तार से संबोधित कीजिए।
- कृषि – उन्नति, अधिशेष एवं कर।
- आंतरिक व्यापार – व्यापार मार्ग, कर, व्यापारी वर्ग एवं व्यापार की वस्तुएं।
- बाह्य व्यापार – रेशम मार्ग, रेशम व्यापार, सोने की आमद एवं व्यापार के विभिन्न क्षेत्र।
- कला एवं शिल्प – विकास, प्रकार, उन पर कर।
निष्कर्ष:
यह उल्लेख करते हुए निष्कर्ष निकालिए कि शहरीकरण उपरोक्त व्यापारिक क्षेत्रों के उत्कर्ष का परिणाम था।
विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू शामिल होंगे।
2. संगम साहित्य यथार्थवादी इतिहास तथा शास्त्रीय महाकाव्यों के साथ आदर्शों का एक संयोजन है, जो सभी मिलकर उस युग के इतिहास के स्रोतों के रूप में कार्य करते हैं। स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: कक्षा 11th इतिहास की पुस्तक – तमिलनाडु बोर्ड
निर्देशक शब्द:
स्पष्ट कीजिए- ऐसे प्रश्नों में अभ्यर्थी से अपेक्षा की जाती है कि वह पूछे गए प्रश्न से संबंधित जानकारियों को सरल भाषा में व्यक्त कर दे।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
तीन तमिल संगम एवं दक्षिणी भारत में राज्य के गठन के बारे में चर्चा करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
संगम ग्रंथों के विभिन्न आयामों पर विस्तार से चर्चा कीजिए।
आदर्श, कर्मकांड, रहस्यवाद एवं वीरता तथा प्रेम की कथायें।
ऐतिहासिक ग्रंथों के रूप में, वे राजाओं, राजवंशों, प्रशासन, करों, व्यापार एवं वाणिज्य, सामाजिक पहलुओं आदि के बारे में जानकारी प्रदान करते हैं।
शास्त्रीय महाकाव्य समकालीन घटनाओं के साथ-साथ ऐतिहासिक पहलुओं पर भी प्रकाश डालते हैं। साहित्य का परिष्कृत और उन्नत स्वरूप दर्शाते हैं।
अपने उत्तर की पुष्टि के लिए उदाहरण के रूप में विभिन्न संगम ग्रंथों का उपयोग कीजिए।
ऐतिहासिक ग्रंथों के रूप में संगम साहित्य की कुछ आलोचनाओं का उल्लेख कीजिए- कालक्रम का अभाव, असततता आदि।
निष्कर्ष:
संगम साहित्य के महत्व को सारांशित करते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 2
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
3. महामारी के इस एक वर्ष बहुत कुछ अनुभव प्राप्त हुआ है लेकिन भारत को इसप्रकार के संकटों में अधिक सशक्त एवं मानवीय प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए अपनी रोग नियंत्रण रणनीति पर पुनः विचार करने की आवश्यकता है। विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: The Hindu
निर्देशक शब्द:
विश्लेषण कीजिए– ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय / मामले के बहुआयामी सन्दर्भों जैसे क्या, क्यों, कैसे आदि पर ध्यान देते हुए उत्तर लेखन कीजिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
महामारी की शुरुआत एवं उसके बाद का अत्यधिक प्रसार का संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
कोविड -19 महामारी के विनाशकारी प्रभावों का संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
महामारी के प्रति भारत की प्रतिक्रिया का उल्लेख कीजिए। महामारी से निपटने के लिए अन्य देशों के द्वारा अपनायी गयी रणनीति का भारत की रणनीति से तुलना कीजिए।
भविष्य में आपातकालीन उद्देश्यों के लिए बेहतर तैयारी के उपाय सुझाइए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 3
विषय: बुनियादी ढाँचाः ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।
4. भारत के बुनियादी ढाँचे के क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए एक राष्ट्रीय अवसंरचना बैंक पहले से उपस्थित सशक्त परियोजना पाइपलाइन एवं अनुकूल सार्वजनिक नीति के साथ तीसरा प्रमुख तत्व हो सकती है। टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द)
सन्दर्भ: Live Mint
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
राष्ट्रीय अवसंरचना बैंक की अवधारणा का वर्णन करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषय वस्तु:
भारत में अवसंरचना को बढ़ावा देने के लिए अब तक उठाए गए कदमों का उल्लेख कीजिए।
राष्ट्रीय अवसंरचना बैंक उपरोक्त उल्लिखित संसाधनों की क्षमता में वृद्धि कैसे कर सकती है? विस्तार से समझाइए।
निष्कर्ष:
आगे की राह बताते हुए निष्कर्ष निकालिए।
सामान्य अध्ययन – 4
विषय: शासन व्यवस्था में ईमानदारीः लोक सेवा की अवधारणा; शासन व्यवस्था और ईमानदारी का दार्शनिक आधार।
5. भ्रष्टाचार आपराधिक, अनैतिक एवं अंतिम रूप से जनता के विश्वास का विश्वासघात है। यह कोविड-19 महामारी के कारण वर्तमान में विश्व के द्वारा अनुभव किये जा रहे संकट के समय में और भी अधिक हानिकारक हो जाता है। परीक्षण कीजिए। (150 शब्द)
सन्दर्भ: नैतिकता: लेक्सिकन प्रकाशन
निर्देशक शब्द:
परीक्षण कीजिए- ऐसे प्रश्नों का उत्तर देते समय उस कथन अथवा विषय के पक्ष और विपक्ष दोनों का परीक्षण करते हुए सारगर्भित उत्तर लिखना चाहिए।
उत्तर की संरचना:
परिचय:
यह संदर्भ प्रस्तुत करते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए कि विश्व महामारी के भ्रष्टाचार से जूझ रहा है।
विषय वस्तु:
भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न नैतिक एवं आर्थिक समस्याओं का उल्लेख कीजिए। निरंतर भ्रष्टाचार, जो ईमानदारी के प्रति उदासीनता दर्शाता है, सरकार में जनता के विश्वास को कैसे समाप्त कर देता है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
प्रवर्तन एजेंसियों की सीमित कार्यप्रणाली, विशेष रूप से महामारी के दौरान, के आलोक में भ्रष्टाचार पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए अभिनव उपायों का उल्लेख कीजिए।
निष्कर्ष:
विशेष रूप से वैश्विक महामारी के समय में एक भ्रष्टाचार मुक्त शासन प्रणाली के प्रभावी होने की आवश्यकता पर बल देते हुए निष्कर्ष निकालिए।
विषय: स्थिति और समस्याएं।
6. “विशेषाधिकार प्राप्त लोग विरोध प्रदर्शन एवं प्रतिवाद नहीं करते हैं; उनकी दुनिया सुरक्षित एवं स्वच्छ होती है तथा वे उन्हें खुश रखने के लिए बनाए गए कानूनों द्वारा शासित होते हैं।“ विश्व भर की हाल की घटनाओं के आलोक में टिप्पणी कीजिए। (150 शब्द)
निर्देशक शब्द:
टिप्पणी कीजिए- ऐसे प्रश्नों के उत्तर देते समय सम्बंधित विषय पर अपने ज्ञान और समझ को बताते हुए एक समग्र राय विकसित करनी चाहिए।
उत्तरकीसंरचना:
परिचय:
विश्व भर में चल रहे विरोध प्रदर्शनों – ब्लैक लाइफ़ मैटर, ग्लोबल क्लाइमेट स्ट्राइक तथा हॉन्गकॉन्ग में जारी सामूहिक विरोध, रूस का विरोध तथा भारत में कृषक विरोध प्रदर्शन का संदर्भ देते हुए उत्तर प्रारम्भ कीजिए।
विषयवस्तु:
समझाइए कि इन विरोध प्रदर्शनों से अधिकांशतः समाज का वंचितवर्ग कैसे संबंधित है।विश्व भर के विरोध प्रदर्शनों का उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उपरोक्त प्रदर्शनों के प्रभावों पर प्रकाश डालिए एवं उपाय सुझाइए।
निष्कर्ष:
निष्कर्ष निकालिए कि कहीं भी होने वाला अन्याय, प्रत्येक स्थान पर उपलब्ध न्याय के लिए भी खतरा होता है।